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गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका                       अक्टू फय- 2012




                           NON PROFIT PUBLICATION
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        E CIRCULAR
गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका                       ई- जन्भ ऩत्रिका
अक्टू फय 2012

                                    अत्माधुसनक ज्मोसतऴ ऩद्धसत द्राया
वॊऩादक
सिॊतन जोळी
वॊऩका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग               उत्कृ द्श बत्रलष्मलाणी क वाथ
                                                              े
गुरुत्ल कामाारम
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BHUBNESWAR-751018,
                                           १००+ ऩेज भं प्रस्तुत
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                                       Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
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                                                gurutva.karyalay@gmail.com
फशन्द ु ऩयॊ ऩया भं दे ली को त्रलसबन्न रूऩं वे जाना औय ऩूजा जाता शं । ॐ जमॊती भॊगरा कारी बद्रकारी
                           कऩासरनी। दगाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधा नभोऽस्तुते॥ | बालाथा: जमॊती, भॊगरा, कारी, बद्रकारी, कऩासरनी,
                                     ु
                           दगाा, षभा, सळला धािी औय स्लधा क नाभं वे प्रसवद्ध जगदम्फा दे ली। आऩको भेया नभस्काय शं ।…4
                            ु                             े

                           …4
                                     नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥
                          अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत
                          एलॊ बद्रा को भेया प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय कयते शं । …6
                                                                      ा
                                                       नलयाि त्रलळेऴ भं ऩढे ़
                                      त्रलळेऴ भं                                 नलयाि त्रलळेऴ 
 वला कामा सवत्रद्ध        भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ?
                               ु                                           6      काभनाऩूसता शे तु नलाणा भॊि वाधना                   28
                          प्रथभ ळैरऩुिी                                    7      ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु                      30
    कलि …37               फद्रतीमॊ ब्रह्मिारयणी                            8      कभायी ऩूजन वे वकर भनोयथ सवद्ध शोते शं ।
                                                                                   ु                                                 31
                          तृतीमॊ िन्द्रघण्टा                               9      भाॉ दगाा क िभत्कायी भन्ि
                                                                                       ु    े                                        46
                          ितुथा कष्भाण्डा
                                 ू                                         10     नलयाि भं राबदामक कन्मा ऩूजन                        49
                          ऩॊिभ स्कदभाता
                                  ॊ                                        11     भाॊ क ियणं सनलाव कयते वभस्त शं तीथा
                                                                                       े                                             54
                          ऴद्षभ ् कात्मामनी                                12     ऩॊि दे लोऩावना भं उऩमुक्त एलॊ सनत्रऴद्ध ऩि ऩुष्ऩ   55
गणेळ रक्ष्भी मॊि…19       वद्ऱभ कारयात्रि
                                                                           13           शभाये उत्ऩाद 
                          अद्शभ भशागौयी                                    14     बाग्म रक्ष्भी फदब्फी                               18
                          नलभ ् सवत्रद्धदािी                               15     दगाा फीवा मॊि
                                                                                   ु                                                 21
                          ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख-वभृत्रद्ध दामक शं       16     भॊिसवद्ध स्पफटक श्री मॊि                           29
                          नलयाि व्रत की वयर त्रलसध?                        17     वला कामा सवत्रद्ध कलि                              63
नलयत्न जफित श्रीमॊि..69
                          दे ली कृ ऩा वे भनोलाॊस्छित कामो सवत्रद्ध         18     वलासवत्रद्धदामक भुफद्रका                           64
                          वयर त्रलसध-त्रलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत …        19     द्रादळ भशा मॊि                                     65
     दगाा फीवा
      ु                                                                           ळसन ऩीिा सनलायक
                          आस्द्वन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूता               20                                                        68
     मॊि …21              नलयाि स्ऩेळर घट स्थाऩना त्रलसध                   22     श्री शनुभान मॊि                                    70
                          नलाणा भॊि द्राया नलग्रश कद्श सनलायण              26     भॊिसवद्ध रक्ष्भी मॊिवूसि                           71

                             स्थामी औय अन्म रेख                             भॊि सवद्ध दै ली मॊि वूसि                           71
                          वॊऩादकीम                                           4    भॊि सवद्ध रूद्राष                                  73
                          भासवक यासळ पर                                     79    श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि / कलि                          74
    यासळ यत्न…72          अक्टू फय 2102 भासवक ऩॊिाॊग                        83    याभ यषा मॊि                                        75
                          अक्टू फय-2012 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय              85    जैन धभाक त्रलसळद्श मॊि
                                                                                          े                                          76
                          अक्टू फय 2102 -त्रलळेऴ मोग                        91    घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि                 77
                          दै सनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका                91    अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि                            78
                          फदन-यात क िौघफडमे
                                   े                                        92    याळी यत्न एलॊ उऩयत्न                               78
 भॊि सवद्ध रूद्राष …73
                          फदन-यात फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक           93    वला योगनाळक मॊि/                                   95
                          ग्रश िरन अक्टू फय -2012                                 भॊि सवद्ध कलि
अभोद्य भशाभृत्मुजम
                ॊ                                                           94                                                       97
                          वूिना                                             102 YANTRA LIST                                          98
    कलि …78               शभाया उद्दे श्म                                   104 GEM STONE                                            100
त्रप्रम आस्त्भम

           फॊध/ फफशन
              ु

                        जम गुरुदे ल

        फशन्द ु ऩयॊ ऩया भं दे ली को त्रलसबन्न रूऩं वे जाना औय ऩूजा जाता शं ।

                   ॐ जमॊती भॊगरा कारी बद्रकारी कऩासरनी। दगाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधा नभोऽस्तुते॥
                                                         ु
बालाथा: जमॊती, भॊगरा, कारी, बद्रकारी, कऩासरनी, दगाा, षभा, सळला धािी औय स्लधा क नाभं वे प्रसवद्ध जगदम्फा दे ली। आऩको भेया
                                                ु                             े
नभस्काय शं ।

                           नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥
अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया प्रणाभ शं । शभ रोग
सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय कयते शं ।
       ा
        ळास्त्रोक्त लणान शं की दे ली दगाा क उक्त भॊि का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे दे ली प्रवन्न शोकय अऩने बक्तं की इछिा ऩूणा
                                      ु    े
कयती शं । वभस्त दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो की यषा कय उन ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको
                                                             ु
उन्नती क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे ईद्वय भं श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की ळयण
        े
भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे।

भाॊ जगदम्फा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु नलयािी त्रलळेऴ राब प्रदान कयने लारी शं । क्मोफक नलयाि को आद्य् ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला
भाना गमा शं । दे ली बागलत क आठलं स्कध भं दे ली उऩावना का त्रलस्ताय वे लणान फकमा गमा शै ।
                           े        ॊ

भाकण्डे मऩुयाण क अॊतगात दे ली भाशात्म्म भं उल्रेख शं की स्लमॊ भाॊ जगदम्फा का लिन शं ... की
   ा            े

                          ळयत्कारे भशाऩूजा फिमतेमा िलात्रऴकी। तस्माॊभभैतन्भाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्न्लत:॥
                                                          ा                            ु

                             वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधान्मवुतास्न्लत:। भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥
                                             ा

अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये भाशात्म्म (दगाावद्ऱळती) को
                े                                                                                ु
बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धान्म एलॊ ऩुि वे वम्ऩन्न शो जामेगा।
          ा

      भाॊ दगाा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबन्न ळास्त्र एलॊ ग्रॊथो भं त्रलसबन्न भॊिं का उल्रेख फकमा गमा शं । ऩाठको क भागादळान एलॊ
           ु                                                                                                         े
जानकायी शे तु ऩत्रिका क इव अॊक भं कि त्रलळेऴ प्राबाली भॊिो का वॊकरन कयने का प्रमाव फकमा गमा शं । इव अॊक भं करळ
                       े           ु
स्थाऩना वे वॊफसधत लणान बी फकमा गमा शं । स्जववे इछिक फॊधु/फशन त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय अऩने भनोयथो को सवद्ध कयने भं
              ॊ                                   ु
वभथा शं।

                               गुरुत्ल कामाारम ऩरयलाय की ओय वे आऩ वबी को नलयाि की ळुबकाभनएॊ।
         आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॊ बगलती आऩ वबी का कल्माण कयं । आद्य ळत्रक्त भाॊ जगदम्फा वे मशी प्राथना शं ।
त्रलळेऴ वूिना: ऩीिरे कि भफशनो वे शभाये त्रप्रम एलॊ आस्त्भम फॊधु/फशनो को शभायी भासवक ई-ऩत्रिका प्रसतभाश 1 तारयख को उऩरब्ध नशीॊ शो
                      ु
ऩाती इव का भुख्म कायण शं , शभाये त्रप्रम ऩाठको को असधक वे असधक सान लधाक जानकायीमाॊ उऩरब्ध कयाने क उद्दे श्म वे वॊफॊसधत त्रलऴमं ऩय
                                                                                                 े
नई-नई खोज, नमे प्रमोग एलॊ कि तकसनकी वुधाय ल ऩत्रिका को फेशतय फनाने क त्रलसबन्न प्रमावो क कायण वभम का अबाल शो यशा शं , इव
                           ु                                        े                   े
कायण इव नलयाि त्रलळेऴ अॊक भं वॊफॊसधत प्राम वबी रेखं का ऩुन् प्रकाळन फकमा गमा शं ।




                                                                                                                     सिॊतन जोळी
5                                     अक्टू फय 2012




           *****         नलयाि त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत त्रलळेऴ वूिना*****
 ऩत्रिका भं प्रकासळत नलयाि त्रलळेऴ भं वम्फस्न्धत वबी जानकायीमाॊ गुरुत्ल कामाारम क असधकायं क वाथ शी
                                                                                  े         े
   आयस्षत शं ।
 ऩौयास्णक ग्रॊथो ऩय अत्रलद्वाव यखने लारे व्मत्रक्त इव अॊक भं उऩरब्ध वबी त्रलऴम को भाि ऩठन वाभग्री वभझ
   वकते शं ।
 धासभाक त्रलऴम आस्था एलॊ त्रलद्वाव ऩय आधारयत शोने क कायण इव अॊकभं लस्णात वबी जानकायीमा बायसतम
                                                    े
   ग्रॊथो वे प्रेरयत शोकय सरखी गई शं ।
 धभा वे वॊफॊसधत त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभास्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक
   फक नशीॊ शं ।
 इव अॊक भं लस्णात वॊफॊसधत वबी रेख भं लस्णात भॊि, मॊि ल प्रमोग फक प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल फक
   स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं औय ना शीॊ प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल फक स्जन्भेदायी क फाये भं जानकायी
                                                                                              े
   दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं ।
 धभा वे वॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय
   वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्लमॊ का शोगा।
 ळास्त्रोक्त त्रलऴमं वे वॊफॊसधत जानकायी ऩय ऩाठक द्राया फकवी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।
 धभा वे वॊफॊसधत रेख प्राभास्णक ग्रॊथो, शभाये लऴो क अनुबल एल अनुळधान क आधाय ऩय फदमे गमे शं ।
                                                   े             ॊ    े
 शभ फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ द्राया धभा वे वॊफॊसधत त्रलऴमं ऩय त्रलद्वाव फकए जाने ऩय उवक राब मा नुक्ळान की
                                                                                         े
   स्जन्भेदायी नफशॊ रेते शं । मश स्जन्भेदायी धासभाक त्रलऴमो ऩय त्रलद्वाव कयने लारे मा उवका प्रमोग कयने लारे व्मत्रक्त
   फक स्लमॊ फक शोगी।
 क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊ डं, वाभास्जक, कानूनी सनमभं क स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्लाथा ऩूसता
                                                               े
   शे तु मशाॊ लस्णात जानकायी की आधाय ऩय प्रमोग कताा शं अथला धासभाक त्रलऴमो क उऩमोग कयने भे िुफट
                                                                            े
   यखता शं मा उववे िुफट शोती शं तो इव कायण वे प्रसतकर अथला त्रलऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी वॊबल शं ।
                                                    ू
 धासभाक त्रलऴमो वे वॊफॊसधत जानकायी को भानकय उववे प्राद्ऱ शोने लारे राब, शानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा
   वॊऩादक फक नशीॊ शं ।
 शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे धासभाक त्रलऴमो ऩय आधारयत रेखं भं लस्णात जानकायी को शभने कई फाय स्लमॊ ऩय
   एलॊ अन्म शभाये फॊधुगण ने बी अऩने नीजी जीलन भं अनुबल फकमा शं । स्जस्वे शभ कई फाय धासभाक त्रलऴमो के
   आधाय ऩय वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शुई शं । असधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भं वॊऩक कय वकते शं ।
                                                                                    ा

                       (वबी त्रललादो कसरमे कलर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।
                                      े     े
6                                            अक्टू फय 2012




                                    भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ?
                                         ु
                                                                                                                       सिॊतन जोळी
              नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:।                     इव भॊि क जऩ वे भाॉ फक ळयणागती प्राद्ऱ शोती शं ।
                                                                                  े
           नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥                स्जस्वे भनुष्म क जन्भ-जन्भ क ऩाऩं का नाळ शोता शै ।
                                                                                          े           े
अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं ।                     भाॊ जननी वृत्रद्श फक आफद, अॊत औय भध्म शं ।
भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया
                                                                          दे ली वे प्राथाना कयं –
प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय
                          ा
                                                                                         ळयणागत-दीनाता-ऩरयिाण-ऩयामणे
कयते शं ।
                                                                                      वलास्मासतंशये दे त्रल नायामस्ण नभोऽस्तुते॥
उऩयोक्त भॊि वे दे ली दगाा का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे
                      ु
                                                                          अथाात: ळयण भं आए शुए दीनं एलॊ ऩीस़्डतं की यषा भं वॊरग्न
दे ली प्रवन्न शोकय अऩने बक्तं की इछिा ऩूणा कयती शं । वभस्त
                                                                          यशने लारी तथा वफ फक ऩीिा दय कयने लारी नायामणी दे ली
                                                                                                    ू
दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो
                                             ु
                                                                          आऩको नभस्काय शै ।
की यषा कय उन ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको उन्नती
क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे
 े                                                                           योगानळेऴानऩशॊ सव तुद्शा रूद्शा तु काभान वकरानबीद्शान ्।
ईद्वय भं श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की               त्लाभासश्रतानाॊ न त्रलऩन्नयाणाॊ त्लाभासश्रता शाश्रमताॊ प्रमास्न्त।
ळयण भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे।                  अथाात् दे ली आऩ प्रवन्न शोने ऩय वफ योगं को नद्श कय दे ती
                                                                          शो औय कत्रऩत शोने ऩय भनोलाॊसित वबी काभनाओॊ का नाळ
                                                                                 ु
       दे ली प्रऩन्नासताशये प्रवीद प्रवीद भातजागतोsस्खरस्म।
                                                                          कय दे ती शो। जो रोग तुम्शायी ळयण भं जा िुक शै । उनको
                                                                                                                    े
       ऩवीद त्रलद्वेतरय ऩाफश त्रलद्वॊ त्लभीद्ळयी दे ली ियाियस्म।
                                                                          त्रलऩत्रत्त आती शी नशीॊ। तुम्शायी ळयण भं गए शुए भनुष्म दवयं
                                                                                                                                  ू
अथाात: ळयणागत फक ऩीिा दय कयने लारी दे ली आऩ शभ ऩय
                       ू
                                                                          को ळयण दे ने लारे शो जाते शं ।
प्रवन्न शं। वॊऩूणा जगत भाता प्रवन्न शं। त्रलद्वेद्वयी दे ली त्रलद्व
फक यषा कयो। दे ली आऩ फश एक भाि ियािय जगत फक                                            वलाफाधाप्रळभनॊ िेरोक्मस्मास्खरेद्वयी।
असधद्वयी शो।                                                                          एलभेल त्लमा कामाभस्मध्दै रयत्रलनाळनभ ्।
                                                                          अथाात् शे वलेद्वयी आऩ तीनं रोकं फक वभस्त फाधाओॊ को
               वलाभॊगर-भाॊगल्मे सळलेवलााथवासधक ।
                                         ा    े
                                                                          ळाॊत कयो औय शभाये वबी ळिुओॊ का नाळ कयती यशो।
            ळयण्मे िमम्फक गौरय नायामस्ण नभोऽस्तुते॥
                         े
             वृत्रद्शस्स्थसत त्रलनाळानाॊ ळत्रक्तबूते वनातसन।                            ळाॊसतकभास्ण वलाि तथा द:स्लप्रदळाने।
                                                                                                              ु
              गुणाश्रमे गुणभमे नायामस्ण नभोऽस्तुते॥                                  ग्रशऩीडावु िोग्रावु भशात्भमॊ ळणुमात्भभ।
अथाात: शे दे ली नायामणी आऩ वफ प्रकाय का भॊगर प्रदान                       अथाात् वलाि ळाॊसत कभा भं, फुये स्लप्न फदखाई दे ने ऩय तथा
कयने लारी भॊगरभमी शो। कल्माण दासमनी सळला शो। वफ                           ग्रश जसनत ऩीिा उऩस्स्थत शोने ऩय भाशात्म्म श्रलण कयना
ऩुरूऴाथं को सवद्ध कयने लारी ळयणा गतलत्वरा तीन नेिं                        िाफशए। इववे वफ ऩीिाएॉ ळाॊत औय दय शो जाती शं ।
                                                                                                         ू
लारी गौयी शो, आऩको नभस्काय शं । आऩ वृत्रद्श का ऩारन औय                    मफश कायण शं वशस्त्रमुगं वे भाॊ बगलती जगतजननी दगाा
                                                                                                                        ु
वॊशाय कयने लारी ळत्रक्तबूता वनातनी दे ली, आऩ गुणं का                      की उऩावना प्रसत लऴा लवॊत, आस्द्वन एलॊ गुद्ऱ नलयािी भं
आधाय तथा वलागुणभमी शो। नायामणी दे ली तुम्शं नभस्काय                       त्रलळेऴ रुऩ वे कयने का त्रलधान फशन्द ु धभा ग्रॊथो भं शं ।
शै ।                                                                                                   ***
7                                    अक्टू फय 2012



                                                      प्रथभ ळैरऩुिी

                                                                                                         सिॊतन जोळी
          नलयाि क प्रथभ फदन भाॊ क ळैरऩुिी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । ऩलातयाज (ळैरयाज) फशभारम क मशाॊ
                 े               े                                                                     े
ऩालाती रुऩ भं जन्भ रेने वे बगलती को ळैरऩुिी कशा जाता शं ।
          बगलती नॊदी नाभ क लृऴब ऩय वलाय शं ।
                          े                             भाता ळैरऩुिी क दाफशने शाथ भं त्रिळूर औय फाएॊ शाथ भं कभर ऩुष्ऩ
                                                                      े
वुळोसबत शं ।
          भाॊ ळैरऩुिी को ळास्रों भं तीनो रोक क वभस्त लन्म जील-जॊतुओॊ का यषक भाना गमा शं । इवी कायण वे लन्म
                                              े
जीलन जीने लारी वभ्मताओॊ भं वफवे ऩशरे ळैरऩुिी क भॊफदय की स्थाऩना की जाती शं स्जव वं उनका सनलाव स्थान
                                              े
एलॊ उनक आव-ऩाव क स्थान वुयस्षत यशे ।
       े        े


भूर भॊि:-
लन्दे लाॊसितराबाम िन्दाधाकृतळेखयाभ ्। लृऴारूढाॊ ळूरधयाॊ ळैरऩुिीॊ मळस्स्लनीभ ्।।


ध्मान भॊि:-
लन्दे लाॊसितराबामािन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। लृऴारूढाॊळूरधयाॊळैरऩुिीमळस्स्लनीभ ्।
ऩूणेन्दसनबाॊगौयी भूराधाय स्स्थताॊप्रथभ दगाा त्रिनेिा।
       ु                                ु
ऩटाम्फयऩरयधानाॊयत्नफकयीठाॊनानारॊकायबूत्रऴता।
प्रपल्र लॊदना ऩल्रलाधॊयाकातॊकऩोराॊतगकिाभ ्।
    ु                              ु ु
कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीषीणभध्माॊसनतम्फनीभ ्।


स्तोि:-
प्रथभ दगाा त्लॊफशबलवागय तायणीभ ्। धन ऐद्वमा दामनीॊळैरऩुिीप्रणभाम्शभ ्।
       ु
ियािये द्वयीत्लॊफशभशाभोश त्रलनासळन। बुत्रक्त भुत्रक्त दामनी,ळैरऩुिीप्रणभाम्मशभ ्।


कलि:-
ओभकाय:       भेसळय:   ऩातुभूराधाय     सनलासवनी। शीॊकायऩातुरराटे फीजरूऩाभशे द्वयी। श्रीॊकायऩातुलदनेरज्जारूऩाभशे द्वयी। शुॊकाय
ऩातुरृदमेतारयणी ळत्रक्त स्लघृत। पट्काय:ऩातुवलाागेवला सवत्रद्ध परप्रदा।


          भाॊ ळैरऩुिी का भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त को वदा धन-धान्म वे वॊऩन्न
यशता शं । अथाात उवे स्जलन भं धन एलॊ अन्म वुख वाधनो को कभी भशवुव नशीॊ शोतीॊ।
          नलयाि क प्रथभ फदन की उऩावना वे मोग वाधना को प्रायॊ ब कयने लारे मोगी अऩने भन वे 'भूराधाय' िि को जाग्रत
                 े
कय अऩनी उजाा ळत्रक्त को कफद्रत कयते शं , स्जववे उन्शं अनेक प्रकाय फक सवत्रद्धमाॊ एलॊ उऩरस्ब्धमाॊ प्राद्ऱ शोती शं ।
                         ं
                                                               ***
8                                  अक्टू फय 2012



                                                      फद्रतीमॊ ब्रह्मिारयणी
                                                                                                          सिॊतन जोळी
           नलयाि क दवये फदन भाॊ क ब्रह्मिारयणी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । क्मोफक ब्रह्म का अथा शं तऩ। भाॊ
                  े ू            े
ब्रह्मिारयणी तऩ का आियण कयने लारी बगलती शं इवी कायण उन्शं ब्रह्मिारयणी कशा गमा।
           ळास्त्रो भं भाॊ ब्रह्मिारयणी को वभस्त त्रलद्याओॊ की साता भाना गमा शं । ळास्त्रो भं ब्रह्मिारयणी दे ली क स्लरूऩ का
                                                                                                                  े
लणान ऩूणा ज्मोसतभाम एलॊ अत्मॊत फदव्म दळाामा गमा शं ।
           भाॊ ब्रह्मिारयणी द्वेत लस्त्र ऩशने उनक दाफशने शाथ भं अद्शदर फक जऩ भारा एलॊ फामं शाथ भं कभॊडर वुळोसबत
                                                 े
यशता शं । ळत्रक्त स्लरुऩा दे ली ने बगलान सळल को प्राद्ऱ कयने क सरए 1000 वार तक सवप पर खाकय तऩस्मा यत यशीॊ
                                                              े                   ा
औय 3000 वार तक सळल फक तऩस्मा सवप ऩेिं वे सगयी ऩत्रत्तमाॊ खाकय फक, उनकी इवी कफठन तऩस्मा क कायण उन्शं
                                ा                                                       े
ब्रह्मिारयणी नाभ वे जाना गमा।


भॊि:
दधानाऩयऩद्माभ्माभषभाराककभण्डरभ ्। दे ली प्रवीदतु भसम ब्रह्मिारयण्मनुत्तभा।।

ध्मान:-
लन्दे लाॊसित राबामिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्।
जऩभाराकभण्डरुधयाॊब्रह्मिारयणी ळुबाभ ्।
गौयलणाास्लासधद्षानस्स्थताॊफद्रतीम दगाा त्रिनेिाभ ्।
                                   ु
धलर ऩरयधानाॊब्रह्मरूऩाॊऩुष्ऩारॊकायबूत्रऴताभ ्।
ऩदभलॊदनाॊऩल्रलाधयाॊकातॊकऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ ्।
कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीॊसनम्न नासबॊसनतम्फनीभ ्।।

स्तोि:-
तऩद्ळारयणीत्लॊफशताऩिमसनलायणीभ ्। ब्रह्मरूऩधयाब्रह्मिारयणीॊप्रणभाम्मशभ ्।।
नलिग्रबेदनी त्लॊफशनलऐद्वमाप्रदामनीभ ्। धनदावुखदा ब्रह्मिारयणी प्रणभाम्मशभ ्॥
ळॊकयत्रप्रमात्लॊफशबुत्रक्त-भुत्रक्त दासमनी ळाॊसतदाभानदाब्रह्मिारयणी प्रणभाम्मशभ ्।

कलि:-
त्रिऩुया     भेशदमेऩातुरराटे ऩातुळॊकयबासभनी।          अऩाणावदाऩातुनेिोअधयोिकऩोरो॥       ऩॊिदळीकण्ठे ऩातुभध्मदे ळेऩातुभाशे द्वयी
ऴोडळीवदाऩातुनाबोगृशोिऩादमो। अॊग प्रत्मॊग वतत ऩातुब्रह्मिारयणी॥


भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त को अनॊत पर फक प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त भं तऩ, त्माग,
वदािाय, वॊमभ जैवे वद् गुणं फक लृत्रद्ध शोती शं ।


                                                                  ***
9                                        अक्टू फय 2012



                                                      तृतीमॊ िन्द्रघण्टा
                                                                                                               सिॊतन जोळी
            नलयाि क तीवये फदन भाॊ क िन्द्रघण्टा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । िन्द्रघण्टा का स्लरूऩ ळाॊसतदामक
                   े               े
औय ऩयभ कल्माणकायी शं । िन्द्रघण्टा क भस्तक ऩय घण्टे क आकाय का अधािन्द्र ळोसबत यशता शं । इव सरमे भाॊ को
                                    े                े
िन्द्रघण्टा दे ली कशा जाता शं । िन्द्रघण्टा क दे श का यॊ ग स्लणा क वभान िभकीरा शं औय दे त्रल उऩस्स्थसत भं िायं तयप
                                             े                    े
अद्भत तेज फदखाई दे ता शं ।
    ु
            भाॊ तीन नेि एलॊ दव बुजाए शं , स्जवभं कभर, धनुऴ-फाण, खड्ग, कभॊडर, तरलाय, त्रिळूर औय गदा आफद अस्त्र-
ळस्त्र, फाण आफद वुळोसबत यशते शं । भाॊ क कठ भं वपद ऩुष्ऩं फक भारा औय ळीऴा ऩय यत्नजस़्डत भुकट ळोबामभान शं ।
                                       े ॊ      े                                         ु
िन्द्रघण्टा का लाशन सवॊश शं , इनकी भुद्रा मुद्ध क सरए तैमाय यशने की शोती शं । इनक घण्टे वी बमानक प्रिॊड ध्लसन वे
                                                 े                               े
अत्मािायी दै त्म, दानल, याषव ल दै ल बमसबत यशते शं ।

भॊि:
त्रऩण्डज प्रलयारूढ़ा िण्डकोऩास्त्रकमुता। प्रवादॊ तनुते भशमॊ िन्दघण्टे सत त्रलश्रुता।।
                                   ै ा

ध्मान:-
लन्दे लाॊसित राबामिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्।
सवॊशारूढादळबुजाॊिन्द्रघण्टामळस्लनीभ ्॥
किनाबाॊभस्णऩुय स्स्थताॊततीम दगाा त्रिनेिाभ ्।
 ॊ                      ृ    ु
खॊग गदा त्रिळूर िाऩशयॊ ऩदभकभण्डरु भारा लयाबीतकयाभ ्।
ऩटाम्फयऩरयधाॊनाभृदशास्माॊनानारॊकायबूत्रऴताभ ्।
                  ु
भॊजीय, शाय, कमूय फकफकस्णयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्॥
             े     ॊ         ु
प्रपल्र लॊदना त्रफफाधायाकातॊकऩोराॊतग किाभ ्।
    ु                              ुॊ ु
कभनीमाॊरालण्माॊषीणकफटसनतम्फनीभ ्॥
                   ॊ

स्त्रोत:-
आऩदद्रारयणी स्लॊफशआघाळत्रक्त: ळुबा ऩयाभ ्। भस्णभाफदसवफदधदािीिन्द्रघण्टे प्रणबाम्मशभ ्॥
   ु
िन्द्रभुखीइद्शदािी इद्श भॊि स्लरूऩणीभ ्। धनदािीआनॊददािीिन्द्रघण्टे प्रणभाम्मशभ ्॥
नानारूऩधारयणीइछिाभमीऐद्वमादामनीभ ्। वौबाग्मायोग्मदामनीिन्द्रघण्टे प्रणभाम्मशभ ्॥

कलि:-
यशस्मॊ श्रुणलक्ष्मासभळैलेळीकभरानने। श्री िन्द्रघण्टास्मकलिॊवलासवत्रद्ध दामकभ ्॥ त्रफना न्मावॊत्रफना त्रलसनमोगॊत्रफना ळाऩोद्धायत्रफना
            ु
शोभॊ। स्नानॊळौिाफदकनास्स्तश्रद्धाभािेणसवत्रद्धदभ ्॥ कसळष्माभकफटरामलॊिकामसनन्दाकामि। न दातव्मॊन दातव्मॊऩदातव्मॊकदासितभ ्॥
                   ॊ                                 ु       ु


भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने वे व्मत्रक्त का भस्णऩुय िि जाग्रत शो जाता शं । उऩावना वे व्मत्रक्त
को वबी ऩाऩं वे भुत्रक्त सभरती शं उवे वभस्त वाॊवारयक आसध-व्मासध वे भुत्रक्त सभरती शं । इवक उऩयाॊत व्मत्रक्त को
                                                                                         े
सियामु, आयोग्म, वुखी औय वॊऩन्न शोनता प्राद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त क वाशव एल त्रलयता भं लृत्रद्ध शोती शं । व्मत्रक्त स्लय भं
                                                                  े
सभठाव आती शं उवक आकऴाण भं बी लृत्रद्ध शोती शं । िन्द्रघण्टा को सान की दे ली बी भाना गमा शै ।
                े
10                                    अक्टू फय 2012



                                                  ितुथा कष्भाण्डा
                                                         ू
                                                                                                    सिॊतन जोळी
            नलयाि क ितुथा फदन भाॊ क कष्भाण्डा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । अऩनी भॊद शॊ वी द्राया ब्रह्माण्ड को
                   े               े ू
उत्ऩन्न फकमा था इवीक कायण इनका नाभ कष्भाण्डा दे ली यखा गमा।
                    े               ू
            ळास्त्रोक्त उल्रेख शं , फक जफ वृत्रद्श का अस्स्तत्ल नशीॊ था, तो िायं तयप सवप अॊधकाय फश था। उव वभम
                                                                                        ा
कष्भाण्डा दे ली ने अऩने भॊद वी शास्म वे ब्रह्माॊड फक उत्ऩत्रत्त फक। कष्भाण्डा दे ली वूयज क घेये भं सनलाव कयती शं ।
 ू                                                                   ू                    े
इवसरमे कष्भाण्डा दे ली क अॊदय इतनी ळत्रक्त शं , जो वूयज फक गयभी को वशन कय वक। कष्भाण्डा दे ली को जीलन फक
        ू               े                                                   ं  ू
ळत्रक्त प्रदान कयता भाना गमा शं ।
            कष्भाण्डा दे ली का स्लरुऩ अऩने लाशन सवॊश ऩय वलाय शं , भाॊ अद्श बुजा लारी शं । उनक भस्तक ऩय यत्न जस़्डत
             ू                                                                               े
भुकट वुळोसबत शं , स्जस्वे उनका स्लरूऩ अत्मॊम उज्जलर प्रसतत शोता शं । उनक शाथभं शाथं भं िभळ: कभण्डर,
   ु                                                                    े
भारा, धनुऴ-फाण, कभर, ऩुष्ऩ, करळ, िि तथा गदा वुळोसबत यशती शं ।

भॊि:
वुयावम्ऩूणकरळॊ रूसधयाप्रुतभेल ि। दधाना शस्तऩद्माभ्माॊ कष्भाॊडा ळुबदास्तुभे।।
          ा                                            ु

ध्मान:-
लन्दे लाॊसित काभथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्।
सवॊशरूढाअद्शबुजा कष्भाण्डामळस्लनीभ ्॥
                  ु
बास्लय बानु सनबाॊअनाशत स्स्थताॊितुथा दगाा त्रिनेिाभ ्।
                                      ु
कभण्डरु िाऩ, फाण, ऩदभवुधाकरळिि गदा जऩलटीधयाभ ्॥
ऩटाम्फयऩरयधानाॊकभनीमाकृ दशगस्मानानारॊकायबूत्रऴताभ ्।
                         ु
भॊजीय शाय कमूय फकफकणयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्।
           े     ॊ       ु
प्रपल्र लदनाॊनारू सिककाॊकाॊत कऩोराॊतुॊग किाभ ्।
    ु                ु                   ू
कोराॊगीस्भेयभुखीॊषीणकफटसनम्ननासबसनतम्फनीभ ्॥

स्त्रोत:-
दगसतनासळनी त्लॊफशदारयद्राफदत्रलनासळनीभ ्। जमॊदाधनदाॊकष्भाण्डे प्रणभाम्मशभ ्॥
 ु ा                                                 ू
जगन्भाता जगतकिीजगदाधायरूऩणीभ ्। ियािये द्वयीकष्भाण्डे प्रणभाम्मशभ ्॥
                                             ू
िैरोक्मवुॊदयीत्लॊफशद:ख ळोक सनलारयणाभ ्। ऩयभानॊदभमीकष्भाण्डे प्रणभाम्मशभ ्॥
                    ु                              ू

कलि:-
शवयै भेसळय: ऩातुकष्भाण्डे बलनासळनीभ ्। शवरकयीॊनेिथ,शवयौद्ळरराटकभ ्॥ कौभायी ऩातुवलागािेलायाशीउत्तये तथा। ऩूले
                 ू
ऩातुलैष्णली इन्द्राणी दस्षणेभभ। फदस्ग्दधवलािलकफीजॊवलादालतु॥
                                            ै ूॊ

भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का अनाशत िि जाग्रत शो शं । भाॊ कष्भाण्डाका क ऩूजन
                                                                                             ू           े
वे वबी प्रकाय क योग, ळोक औय क्रेळ वे भुत्रक्त सभरती शं , उवे आमुष्म, मळ, फर औय फुत्रद्ध प्राद्ऱ शोती शं ।
               े
11                                अक्टू फय 2012



                                                           ऩॊिभ स्कदभाता
                                                                   ॊ
                                                                                                            सिॊतन जोळी
          नलयाि के        ऩाॊिलं फदन भाॊ क स्कदभाता स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं ।स्कदभाता
                                          े   ॊ                                           ॊ                       कभाय अथाात ्
                                                                                                                   ु
कासताकम फक भाता शोने क कायण, उन्शं स्कन्दभाता क नाभ वे जाना जाता शं ।
      े               े                        े                                         सवॊश औय भमूय स्कदभाता क लाशन
                                                                                                         ॊ      े
शं । दे ली स्कदभाता कभर क आवन ऩय ऩद्मावन फक भुद्रा भं त्रलयाजभान यशती शं , इवसरए उन्शं ऩद्मावन दे ली क नाभ वे
              ॊ          े                                                                            े
बी जाना जाता शं । स्कदभाता का स्लरुऩ िाय बुजा लारा शं । उनक दोनं शाथं भं कभरदर सरए शुए शं , उनकी दाफशनी
                     ॊ                                     े
तयप फक ऊऩय लारी बुजा भं ब्रह्मस्लरूऩ स्कन्द्र कभाय को अऩनी गोद भं सरमे शुए शं । औय स्कदभाता क दाफशने तयप
                                               ु                                      ॊ      े
फक नीिे लारी बुजा लयभुद्राभं शं । स्कदभाता मश स्लरुऩ ऩयभ कल्माणकायी भनागमा शं ।
                                     ॊ

भॊि:
सवॊशावानगता सनतमॊ ऩद्मासश्रतकयद्रमा। ळुबदास्तु वदा दे ली स्कन्दभाता मळस्स्लनी।।

ध्मान:-
लन्दे लाॊसित काभथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशारूढाितुबजास्कन्धभातामळस्लनीभ ्॥
                                                     ुा
धलरलणाात्रलळुद्ध ििस्स्थताॊऩिभ दगाा त्रिनेिाभ। अबम ऩदभमुग्भ कयाॊदस्षण
                            ॊ   ु
उरूऩुिधयाभबजेभ ्॥ ऩटाम्फयऩरयधानाकृ दशसवमानानारॊकायबूत्रऴताभ ्। भॊजीय शाय कमूय
                                    ु                                     े
फकफकस्णयत्नकण्डरधारयणीभ।। प्रबुल्रलॊदनाऩल्रलाधयाॊकाॊत कऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ ्।
  ॊ         ु
कभनीमाॊरालण्माॊजारूत्रिलरीॊसनतम्फनीभ ्॥

स्तोि:-
नभासभ स्कन्धभातास्कन्धधारयणीभ ्। वभग्रतत्लवागयभऩायऩायगशयाभ ्॥
सळप्रबाॊवभुल्लराॊस्पयछिळागळेखयाभ ्। रराटयत्नबास्कयाजगतप्रदीद्ऱबास्कयाभ ्॥
                    ु
भशे न्द्रकश्मऩासिाताॊवनत्कभायवॊस्तुताभ ्। वुयावेयेन्द्रलस्न्दताॊमथाथासनभारादबुताभ ्॥
                          ु
भुभषुसबत्रलासिस्न्तताॊत्रलळेऴतत्लभूसिताभ ्। नानारॊकायबूत्रऴताॊकृगेन्द्रलाशनाग्रताभ ्।।
   ु
वुळद्धतत्लातोऴणाॊत्रिलेदभायबऴणाभ ्। वुधासभाककौऩकारयणीवुयेन्द्रलैरयघासतनीभ ्॥
   ु
ळुबाॊऩष्ऩभासरनीवुलणाकल्ऩळास्खनीभ ्। तभोअन्कायमासभनीसळलस्लबालकासभनीभ ्॥
      ु
वशस्त्रवूमयास्जकाॊधनज्जमोग्रकारयकाभ ्। वुळद्धकार कन्दराॊवबडकृ न्दभज्जुराभ ्॥
          ा                               ु              ु ृ
प्रजासमनीप्रजालती नभासभभातयॊ वतीभ ्। स्लकभाधायणेगसतॊशरयप्रमछिऩालातीभ ्॥
इनन्तळत्रक्तकास्न्तदाॊमळोथभुत्रक्तदाभ ्। ऩुन:ऩुनजागत्रद्धताॊनभाम्मशॊ वयासिाताभ॥
                                                                      ु
जमेद्वरयत्रिरािनेप्रवीददे त्रल ऩाफशभाभ ्॥

कलि:-
ऐॊ फीजासरॊकादे ली ऩदमुग्भधयाऩया। रृदमॊऩातुवा दे ली कासतकममुता॥ श्रीॊशीॊ शुॊ ऐॊ दे ली ऩूलस्माॊऩातुवलादा। वलााग भं वदा
                                                                                        ा
ऩातुस्कन्धभाताऩुिप्रदा॥ लाणलाणाभृतेशुॊ पट् फीज वभस्न्लता। उत्तयस्मातथाग्नेिलारूणेनेितेअलतु॥ इन्द्राणी बैयली
िैलासवताॊगीिवॊशारयणी। वलादाऩातुभाॊ दे ली िान्मान्मावुफश फदषलै॥
भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का त्रलळुद्ध िि जाग्रत शोता शं । व्मत्रक्त फक वभस्त
इछिाओॊ की ऩूसता शोती शं एलॊ जीलन भं ऩयभ वुख एलॊ ळाॊसत प्राद्ऱ शोती शं ।
12                          अक्टू फय 2012



                                                           ऴद्षभ ् कात्मामनी
                                                                                                     सिॊतन जोळी
          नलयाि के      िठं फदन भाॊ क कात्मामनी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । भशत्रऴा कात्मामन फक ऩुिी शोने क
                                     े                                                                             े
कायण उन्शं कात्मामनी क नाभवे जाना जाता शं । कात्मामनी भाता का जन्भ आस्द्वन कृ ष्ण ितुदाळी को शुला था, जन्भ
                      े
क ऩद्ळमाता भाॊ कात्मामनी ने ळुक्र वद्ऱभी, अद्शभी तथा नलभी तक तीन फदन तक कात्मामन ऋत्रऴ फक ऩूजा ग्रशण
 े
फकथी एलॊ त्रलजमा दळभी को भफशऴावुय का लध फकमा था।
           दे ली कात्मामनी का लणा स्लणा क वभान िभकीरा शं , इव कायण दे ली कात्मामनी का स्लरूऩ अत्मॊत शी बव्म
                                         े
एलॊ फदव्म प्रसतत शोता शं । कात्मामनी फक िाय बुजाएॊ शं । उनेक दाफशनी तयप का ऊऩय लारा शाथ अबम भुद्राभं शै , तथा
                                                            े
नीिे लारा लयभुद्राभं, फाई तयप क ऊऩय लारे शाथ भं कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत शं , नीिे लारे शाथभं तरलाय वुळोसबत यशती
                               े
शं । कात्मामनी दे ली अऩने लाशन सवॊश त्रलयाजन शोती शं ।

भॊि:
िॊद्रशावोज्जलरकया ळाइरलयलाशना। कात्मामनी ळुबॊ दद्याद्दे ली दानलघासतनी।।

ध्मान:-
लन्दे लाॊसित भनोयथाथािन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशारूढितुबजाकात्मामनी मळस्लनीभ ्॥
                                                       ुा
स्लणालणााआसाििस्स्थताॊऴद्षम्दगाा त्रिनेिाभ। लयाबीतॊकयाॊऴगऩदधयाॊकात्मामनवुताॊबजासभ॥
                             ु
ऩटाम्फयऩरयधानाॊस्भेयभुखीॊनानारॊकायबूत्रऴताभ ्। भॊजीय शाय कमुयफकफकस्णयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्।।
                                                          े    ॊ         ु
प्रवन्नलॊदनाऩज्जलाधयाॊकातॊकऩोरातुगकिाभ ्। कभनीमाॊरालण्माॊत्रिलरीत्रलबूत्रऴतसनम्न नासबभ ्॥
                                   ु

स्तोि:-
किनाबाॊ कयाबमॊऩदभधयाभुकटोज्लराॊ। स्भेयभुखीसळलऩत्नीकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥
 ॊ                     ु
ऩटाम्फयऩरयधानाॊनानारॊकायबूत्रऴताॊ। सवॊशास्स्थताॊऩदभशस्ताॊकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥
ऩयभदॊ दभमीदे त्रल ऩयब्रह्म ऩयभात्भा। ऩयभळत्रक्त,ऩयभबत्रक्त् कात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥
त्रलद्वकतॉ,त्रलद्वबतॉ,त्रलद्वशतॉ,त्रलद्वप्रीता। त्रलद्वासिताॊ,त्रलद्वातीताकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥
काॊ फीजा, काॊ जऩानॊदकाॊ फीज जऩ तोत्रऴते। काॊ काॊ फीज जऩदावक्ताकाॊ काॊ वन्तुता॥
काॊकायशत्रऴाणीकाॊ धनदाधनभावना। काॊ फीज जऩकारयणीकाॊ फीज तऩ भानवा॥
काॊ कारयणी काॊ भूिऩूस्जताकाॊ फीज धारयणी। काॊ कीॊ कक क:ठ:ि:स्लाशारूऩणी॥
                                                  ूॊ ै

कलि:-
कात्मामनौभुख ऩातुकाॊ काॊ स्लाशास्लरूऩणी। रराटे त्रलजमा ऩातुऩातुभासरनी सनत्म वॊदयी॥ कल्माणी रृदमॊऩातुजमा
बगभासरनी॥


भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का आसा िि जाग्रत शोता शं ।              दे ली कात्मामनी के
ऩूजन वे योग, ळोक, बम वे भुत्रक्त सभरती शं । कात्मामनी दे ली को लैफदक मुग भं मे ऋत्रऴ-भुसनमं को कद्श दे ने लारे यष-
दानल, ऩाऩी जील को अऩने तेज वे शी नद्श कय दे ने लारी भाना गमा शं ।
13                           अक्टू फय 2012



                                                        वद्ऱभ कारयात्रि
                                                                                                    सिॊतन जोळी
          नलयाि के     वातलं फदन भाॊ क कारयात्रि स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । कारयात्रि दे ली क ळयीय का यॊ ग
                                      े                                                               े
घने अॊधकाय फक तयश एकदभ कारा शं , सवय क फार पराकय यखने लारी शं ।
                                      े     ै
          कारयात्रि का स्लरुऩ तीन नेि लारा एलॊ गरे भं िभकने लारी भारा धायण कयने लारी शं । कारयात्रि फक आॊखं
वे अस्ग्न की लऴाा शोती शै एलॊ नासवका क द्वाव भं अस्ग्न की बॊमकय ज्लाराएॊ सनकरती यशती शं । कारयात्रि क ऊऩय उठे
                                      े                                                              े
शुए दाफशने शाथ क लयभुद्रावे वबी भनुष्मो को लय प्रदान कयती शं । दाफशनी तयप का नीिे लारा शाथ अबमभुद्राभं शं ।
                े
एक शाथ वे ळिुओॊ की गदा न ऩकडे शुए शं , दवये शाथ भं खड्ग-तरलाय ळस्त्र वे ळिु का नाळ कयने लारी कारयात्रि
                                        ू
त्रलकट रूऩ भं अऩने लाशन गदा ब(गधे) त्रलयाजभान शं ।


भॊि्
एक लेधी जऩाकणाऩूया नग्ना खयास्स्थता। रम्फोद्षी कस्णकााकणी तैराभ्मक्तळयीरयणी।।
लाभऩदोल्रवल्रोशरताकण्टक बूऴणा। लधानभूधध्लजा कृ ष्णा कारयात्रिबामॊकयी।।
                                      ा

ध्मान:-
कयारलदनाॊ घोयाॊभक्तकळीॊितुबुताभ ्। कारयात्रिॊकयासरॊकाफदव्माॊत्रलद्युत्भारात्रलबूत्रऴताभ ्॥
                ु े         ा
फदव्म रौशलज्रखड्ग लाभाघोध्लाकयाम्फुजाभ ्। अबमॊलयदाॊिैलदस्षणोध्र्लाघ:ऩास्णकाभ ्॥
भशाभेघप्रबाॊश्माभाॊतथा िैऩगदाबारूढाॊ। घोयदॊ द्शाकायारास्माॊऩीनोन्नतऩमोधयाभ ्॥
वुख प्रवन्न लदनास्भेयानवयोरूशाभ ्। एलॊ वॊसिमन्तमेत्कारयात्रिॊवलाकाभवभृत्रद्धधदाभ ्॥


स्तोि:-
शीॊ कारयात्रि श्रीॊकयारी िक्रीॊकल्माणी करालती।
कारभाताकसरदऩाध्नीकभदीॊळकृ ऩस्न्लता॥
काभफीजजऩान्दाकभफीजस्लरूत्रऩणी। कभसतघनीकरीनासतानसळनीकर कासभनी॥
                                ु      ु            ु
क्रीॊशीॊ श्रीॊभॊिलणेनकारकण्टकघासतनी। कृ ऩाभमीकृ ऩाधायाकृ ऩाऩायाकृ ऩागभा॥


कलि:-
ॐ क्रीॊभं शदमॊऩातुऩादौश्रीॊकारयात्रि। रराटे वततॊऩातुदद्शग्रशसनलारयणी॥ यवनाॊऩातुकौभायी बैयली िषुणोभाभ
                                                     ु
शौऩृद्षेभशे ळानीकणोळॊकयबासभनी। लस्जातासनतुस्थानासबमासनिकलिेनफश। तासनवलाास्णभं दे ली वततॊऩातुस्तस्म्बनी॥


भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का बानु िि जाग्रत शोता शं । कारयात्रि क ऩूजन वे
                                                                                                    े
अस्ग्न बम, आकाळ बम, बूत त्रऩळाि इत्मादी ळत्रक्तमाॊ कारयात्रि दे ली क स्भयण भाि वे शी बाग जाते शं , कारयात्रि का
                                                                    े
स्लरूऩ दे खने भं अत्मॊत बमानक शोते शुले बी वदै ल ळुब पर दे ने लारा शोता शं , इव सरमे कारयात्रि को ळुबॊकयी के
नाभवे बी जाना जाता शं । कारयात्रि ळिु एलॊ दद्शं का वॊशाय कय ने लारी दे ली शं ।
                                           ु
14                               अक्टू फय 2012



                                                    अद्शभ भशागौयी
                                                                                                 सिॊतन जोळी
          नलयाि क आठलं फदन भाॊ क भशागौयी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । भशागौयी स्लरूऩ उज्जलर, कोभर,
                 े              े
द्वेतलणाा तथा द्वेत लस्त्रधायी शं । भशागौयी भस्तक ऩय िन्द्र का भुकट धायण फकमे शुए शं । कास्न्तभस्ण क वभान कास्न्त
                                                                  ु                                 े
लारी दे ली जो अऩनी िायं बुजाओॊ भं िभळ् ळॊख, िि, धनुऴ औय फाण धायण फकए शुए शं , उनक कानं भं यत्न
                                                                                 े
जफडतकण्डर स्झरसभराते यशते शं । भशागौयीलृऴब क ऩीठ ऩय त्रलयाजभान शं । भशागौयी गामन एलॊ वॊगीत वे प्रवन्न शोने
     ु                                      े
लारी 'भशागौयी' भाना जाता शं ।

भॊि:
द्वेते लृऴे वभरूढ़ा द्वेताम्फयाधया ळुसि:। भशागौयी ळुबॊ दद्यान्भशादे लप्रभोददा।।

ध्मान:-
लन्दे लाॊसित काभाथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्।
सवॊशारूढाितुबुजाभशागौयीमळस्लीनीभ ्॥
              ा
ऩुणेन्दसनबाॊगौयी वोभलिस्स्थताॊअद्शभ दगाा त्रिनेिभ।
       ु                             ु
लयाबीसतकयाॊत्रिळूर ढभरूधयाॊभशागौयीॊबजेभ ्॥
ऩटाम्फयऩरयधानाभृदशास्मानानारॊकायबूत्रऴताभ ्।
                 ु
भॊजीय, काय, कमूय, फकफकस्णयत्न कण्डर भस्ण्डताभ ्॥
             े      ॊ          ु
प्रपल्र लदनाॊऩल्रलाधयाॊकाॊत कऩोराॊिलोक्मभोशनीभ ्।
    ु                              ै
कभनीमाॊरालण्माॊभणाराॊिॊदन गन्ध सरद्ऱाभ ्॥
                ृ

स्तोि:-
वलावॊकट शॊ िीत्लॊफशधन ऐद्वमा प्रदामनीभ ्।
सानदाितुलदभमी,भशागौयीप्रणभाम्मशभ ्॥
         े
वुख ळाॊसत दािी, धन धान्म प्रदामनीभ ्।
डभरूलाघत्रप्रमा अघा भशागौयीप्रणभाम्मशभ ्॥
िैरोक्मभॊगरात्लॊफशताऩिमप्रणभाम्मशभ ्।
लयदािैतन्मभमीभशागौयीप्रणभाम्मशभ ्॥

कलि:-
ओॊकाय: ऩातुळीऴोभाॊ, शीॊ फीजॊभाॊ रृदमो। क्रीॊफीजॊवदाऩातुनबोगृशोिऩादमो॥ रराट कणो,शूॊ, फीजॊऩात भशागौयीभाॊ नेि घ्राणं।
कऩोर सिफुकोपट् ऩातुस्लाशा भाॊ वलालदनो॥


भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का वोभिि जाग्रत शोता शं । भशागौयी क ऩूजन वे व्मत्रक्त
                                                                                                े
क वभस्त ऩाऩ धुर जाते शं । भशागौयी क ऩूजन कयने लारे वाधन क सरमे भाॊ अन्नऩूणाा क वभान, धन, लैबल औय
 े                                 े                     े                    े
वुख-ळाॊसत प्रदान कयने लारी एलॊ       वॊकट वे भुत्रक्त फदराने लारी दे ली भशागौयी शं ।
15                      अक्टू फय 2012



                                                            नलभ ् सवत्रद्धदािी
                                                                                                   सिॊतन जोळी
          नलयाि क नौलं फदन भाॊ क सवत्रद्धदािी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं ।
                 े              े
दे ली   सवत्रद्धदािी का स्लरूऩ कभर आवन ऩय त्रलयास्जत, िाय बुजा लारा, दाफशनी तयप क नीिे लारे शाथ भं िि, ऊऩय
                                                                                 े
लारे शाथ भं गदा, फाई तयप वे नीिे लारे शाथ भं ळॊख औय ऊऩय लारे शाथ भं कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत यशते शं ।

भॊि : सवद्धगॊधलामषाद्यैयवुयैययभयै यत्रऩ। वेव्मभाना वदा बूमात सवत्रद्धदा सवत्रद्धदासमनी।।

ध्मान:-
लन्दे लाॊसितभनयोयाथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्।
कभरस्स्थताितुबजासवत्रद्ध मळस्लनीभ ्॥
              ुा
स्लणाालणाासनलााणििस्स्थतानलभ ् दगाा त्रिनेिाभ।
                                ु
ळॊख, िि, गदा ऩदभधया सवत्रद्धदािीबजेभ ्॥
ऩटाम्फयऩरयधानाॊवुशास्मानानारॊकायबूत्रऴताभ ्।
भॊजीय, शाय कमूय, फकफकस्णयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्॥
            े      ॊ         ु
प्रपल्र लदनाऩल्रलाधयाकाॊत कऩोराऩीनऩमोधयाभ ्।
    ु
कभनीमाॊरालण्माॊषीणकफटॊ सनम्ननासबॊसनतम्फनीभ ्॥


स्तोि:-
किनाबा ळॊखििगदाभधयाभुकटोज्लराॊ। स्भेयभुखीसळलऩत्नीसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥
 ॊ                    ु
ऩटाम्फयऩरयधानाॊनानारॊकायबूत्रऴताॊ। नसरनस्स्थताॊऩसरनाषीॊसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥
ऩयभानॊदभमीदे त्रल ऩयब्रह्म ऩयभात्भा। ऩयभळत्रक्त,ऩयभबत्रक्तसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥
त्रलद्वकतीॊत्रलद्वबतॉत्रलद्वशतीॊत्रलद्वप्रीता। त्रलद्वसिातात्रलद्वतीतासवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥
बुत्रक्तभुत्रक्तकायणीबक्तकद्शसनलारयणी। बलवागय तारयणी सवत्रद्धदािीनभोअस्तुते।।
धभााथकाभप्रदासमनीभशाभोश त्रलनासळनी। भोषदासमनीसवत्रद्धदािीसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥


कलि:-
ओॊकाय: ऩातुळीऴोभाॊ, ऐॊ फीजॊभाॊ रृदमो। शीॊ फीजॊवदाऩातुनबोगृशोिऩादमो॥ रराट कणोश्रीॊफीजॊऩातुक्रीॊफीजॊभाॊ नेि घ्राणो।
कऩोर सिफुकोशवौ:ऩातुजगत्प्रवूत्मैभाॊ वला लदनो॥


भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का सनलााण िि जाग्रत शोता शं । सवत्रद्धदािी क ऩूजन वे
                                                                                                         े
व्मत्रक्त फक वभस्त काभनाओॊ फक ऩूसता शोकय उवे ऋत्रद्ध, सवत्रद्ध फक प्रासद्ऱ शोती शं । ऩूजन वे मळ, फर औय धन फक प्रासद्ऱ
कामो भं िरे आ यशे फाधा-त्रलध्न वभाद्ऱ शो जाते शं । व्मत्रक्त को मळ, फर औय धन फक प्रासद्ऱ शोकय उवे भाॊ फक कृ ऩा वे
धभा, अथा, काभ औय भोष फक बी प्रासद्ऱ स्लत् शो जाती शं ।
16                                         अक्टू फय 2012




                               ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख-वभृत्रद्ध दामक शं

                                                                                                        सिॊतन जोळी
        नलयाि को ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा        जो व्मत्रक्त दगाावद्ऱळतीक भूर वॊस्कृ त भं ऩाठ कयने भं
                                                                           ु          े
शं । भाकण्डे मऩुयाण क अनुळाय दे ली भाशात्म्म भं स्लमॊ भाॊ
        ा            े                                       अवभथा शं तो उव व्मत्रक्त को वद्ऱद्ऴोकी दगाा को ऩढने वे
                                                                                                     ु
जगदम्फा का लिन शं -।                                         राब प्राद्ऱ शोता शं । क्मोफक वात द्ऴोकं लारे इव स्तोि भं

ळयत्कारे भशाऩूजा फिमतेमा िलात्रऴकी।
                                ा                            श्रीदगाावद्ऱळती का वाय वभामा शुला शं ।
                                                                  ु

तस्माॊभभैतन्भाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्न्लत:॥
                         ु                                   जो व्मत्रक्त वद्ऱद्ऴोकी दगाा का बी न कय वक लश कलर
                                                                                      ु                े    े
                                                             नलााण भॊि का असधकासधक जऩ कयं ।
वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधान्मवुतास्न्लत:।
                ा
भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥                        दे ली क ऩूजन क वभम इव भॊि का जऩ कये ।
                                                                    े      े

अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं
                े                                                                      जमन्ती भङ्गराकारी बद्रकारी
जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती                                                          कऩासरनी।
शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये                                                          दगाा षभा सळला धािी स्लाशा
                                                                                        ु
भाशात्म्म      (दगाावद्ऱळती)
                 ु              को                                                     स्लधानभोऽस्तुते॥
बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये
          ा
                                                                                       दे ली वे प्राथाना कयं -
प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त
शोकय धन-धान्म एलॊ ऩुि वे
वम्ऩन्न शो जामेगा।                                                                     त्रलधेफशदे त्रल कल्माणॊत्रलधेफशऩयभाॊ -
                                                                                       सश्रमभ ्।रूऩॊदेफशजमॊदेफशमळोदे फशफद्र
        नलयाि भं दगाावद्ऱळती
                  ु
                                                                                       ऴोजफश॥
को ऩढने मा          वुनने वे दे ली
अत्मन्त प्रवन्न शोती शं        एवा                                                     अथाात्     शे     दे त्रल! आऩ    भेया
ळास्त्रोक्त लिन शं । वद्ऱळती का                                                        कल्माण कयो। भुझे श्रेद्ष वम्ऩत्रत्त
ऩाठ उवकी भूर बाऴा वॊस्कृ त भं                                                          प्रदान कयो। भुझे रूऩ दो, जम दो,
कयने ऩय शी ऩूणा प्रबाली शोता शं ।                                                      मळ     दो औय        भेये   काभ-िोध
                                                                                       इत्माफद ळिुओॊ का नाळ कयो।
        व्मत्रक्त               को
श्रीदगाावद्ऱळती को बगलती दगाा
     ु                    ु
का शी स्लरूऩ वभझना िाफशए।                                                              त्रलद्रानो क भतानुळाय वम्ऩूणा
                                                                                                   े
ऩाठ कयने वे ऩूला श्रीदगाावद्ऱळती फक ऩुस्तक का इव भॊि वे
                      ु                                      नलयािव्रत का ऩारन कयने भं जो रोगं अवभथा शो लश
ऩॊिोऩिायऩूजन कयं -                                           नलयाि क वात यािी,ऩाॊि यािी, दं यािी औय एक यािी
                                                                    े
                                                             का व्रत कयक बी त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । नलयाि
                                                                        े
नभोदे व्मैभशादे व्मैसळलामैवततॊनभ:।
                                                             भं नलदगाा की उऩावना कयने वे नलग्रशं का प्रकोऩ स्लत्
                                                                   ु
नभ:प्रकृ त्मैबद्रामैसनमता:प्रणता:स्भताभ ्॥
                                                             ळाॊत शो जाता शं ।
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  • 3. फशन्द ु ऩयॊ ऩया भं दे ली को त्रलसबन्न रूऩं वे जाना औय ऩूजा जाता शं । ॐ जमॊती भॊगरा कारी बद्रकारी कऩासरनी। दगाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधा नभोऽस्तुते॥ | बालाथा: जमॊती, भॊगरा, कारी, बद्रकारी, कऩासरनी, ु दगाा, षभा, सळला धािी औय स्लधा क नाभं वे प्रसवद्ध जगदम्फा दे ली। आऩको भेया नभस्काय शं ।…4 ु े …4 नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥ अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय कयते शं । …6 ा नलयाि त्रलळेऴ भं ऩढे ़ त्रलळेऴ भं   नलयाि त्रलळेऴ  वला कामा सवत्रद्ध भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ? ु 6 काभनाऩूसता शे तु नलाणा भॊि वाधना 28 प्रथभ ळैरऩुिी 7 ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु 30 कलि …37 फद्रतीमॊ ब्रह्मिारयणी 8 कभायी ऩूजन वे वकर भनोयथ सवद्ध शोते शं । ु 31 तृतीमॊ िन्द्रघण्टा 9 भाॉ दगाा क िभत्कायी भन्ि ु े 46 ितुथा कष्भाण्डा ू 10 नलयाि भं राबदामक कन्मा ऩूजन 49 ऩॊिभ स्कदभाता ॊ 11 भाॊ क ियणं सनलाव कयते वभस्त शं तीथा े 54 ऴद्षभ ् कात्मामनी 12 ऩॊि दे लोऩावना भं उऩमुक्त एलॊ सनत्रऴद्ध ऩि ऩुष्ऩ 55 गणेळ रक्ष्भी मॊि…19 वद्ऱभ कारयात्रि 13 शभाये उत्ऩाद  अद्शभ भशागौयी 14 बाग्म रक्ष्भी फदब्फी 18 नलभ ् सवत्रद्धदािी 15 दगाा फीवा मॊि ु 21 ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख-वभृत्रद्ध दामक शं 16 भॊिसवद्ध स्पफटक श्री मॊि 29 नलयाि व्रत की वयर त्रलसध? 17 वला कामा सवत्रद्ध कलि 63 नलयत्न जफित श्रीमॊि..69 दे ली कृ ऩा वे भनोलाॊस्छित कामो सवत्रद्ध 18 वलासवत्रद्धदामक भुफद्रका 64 वयर त्रलसध-त्रलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत … 19 द्रादळ भशा मॊि 65 दगाा फीवा ु ळसन ऩीिा सनलायक आस्द्वन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूता 20 68 मॊि …21 नलयाि स्ऩेळर घट स्थाऩना त्रलसध 22 श्री शनुभान मॊि 70 नलाणा भॊि द्राया नलग्रश कद्श सनलायण 26 भॊिसवद्ध रक्ष्भी मॊिवूसि 71  स्थामी औय अन्म रेख  भॊि सवद्ध दै ली मॊि वूसि 71 वॊऩादकीम 4 भॊि सवद्ध रूद्राष 73 भासवक यासळ पर 79 श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि / कलि 74 यासळ यत्न…72 अक्टू फय 2102 भासवक ऩॊिाॊग 83 याभ यषा मॊि 75 अक्टू फय-2012 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 85 जैन धभाक त्रलसळद्श मॊि े 76 अक्टू फय 2102 -त्रलळेऴ मोग 91 घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि 77 दै सनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 91 अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि 78 फदन-यात क िौघफडमे े 92 याळी यत्न एलॊ उऩयत्न 78 भॊि सवद्ध रूद्राष …73 फदन-यात फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 93 वला योगनाळक मॊि/ 95 ग्रश िरन अक्टू फय -2012 भॊि सवद्ध कलि अभोद्य भशाभृत्मुजम ॊ 94 97 वूिना 102 YANTRA LIST 98 कलि …78 शभाया उद्दे श्म 104 GEM STONE 100
  • 4. त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ फफशन ु जम गुरुदे ल फशन्द ु ऩयॊ ऩया भं दे ली को त्रलसबन्न रूऩं वे जाना औय ऩूजा जाता शं । ॐ जमॊती भॊगरा कारी बद्रकारी कऩासरनी। दगाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधा नभोऽस्तुते॥ ु बालाथा: जमॊती, भॊगरा, कारी, बद्रकारी, कऩासरनी, दगाा, षभा, सळला धािी औय स्लधा क नाभं वे प्रसवद्ध जगदम्फा दे ली। आऩको भेया ु े नभस्काय शं । नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥ अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय कयते शं । ा ळास्त्रोक्त लणान शं की दे ली दगाा क उक्त भॊि का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे दे ली प्रवन्न शोकय अऩने बक्तं की इछिा ऩूणा ु े कयती शं । वभस्त दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो की यषा कय उन ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको ु उन्नती क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे ईद्वय भं श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की ळयण े भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे। भाॊ जगदम्फा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु नलयािी त्रलळेऴ राब प्रदान कयने लारी शं । क्मोफक नलयाि को आद्य् ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा शं । दे ली बागलत क आठलं स्कध भं दे ली उऩावना का त्रलस्ताय वे लणान फकमा गमा शै । े ॊ भाकण्डे मऩुयाण क अॊतगात दे ली भाशात्म्म भं उल्रेख शं की स्लमॊ भाॊ जगदम्फा का लिन शं ... की ा े ळयत्कारे भशाऩूजा फिमतेमा िलात्रऴकी। तस्माॊभभैतन्भाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्न्लत:॥ ा ु वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधान्मवुतास्न्लत:। भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥ ा अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये भाशात्म्म (दगाावद्ऱळती) को े ु बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धान्म एलॊ ऩुि वे वम्ऩन्न शो जामेगा। ा भाॊ दगाा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबन्न ळास्त्र एलॊ ग्रॊथो भं त्रलसबन्न भॊिं का उल्रेख फकमा गमा शं । ऩाठको क भागादळान एलॊ ु े जानकायी शे तु ऩत्रिका क इव अॊक भं कि त्रलळेऴ प्राबाली भॊिो का वॊकरन कयने का प्रमाव फकमा गमा शं । इव अॊक भं करळ े ु स्थाऩना वे वॊफसधत लणान बी फकमा गमा शं । स्जववे इछिक फॊधु/फशन त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय अऩने भनोयथो को सवद्ध कयने भं ॊ ु वभथा शं। गुरुत्ल कामाारम ऩरयलाय की ओय वे आऩ वबी को नलयाि की ळुबकाभनएॊ। आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॊ बगलती आऩ वबी का कल्माण कयं । आद्य ळत्रक्त भाॊ जगदम्फा वे मशी प्राथना शं । त्रलळेऴ वूिना: ऩीिरे कि भफशनो वे शभाये त्रप्रम एलॊ आस्त्भम फॊधु/फशनो को शभायी भासवक ई-ऩत्रिका प्रसतभाश 1 तारयख को उऩरब्ध नशीॊ शो ु ऩाती इव का भुख्म कायण शं , शभाये त्रप्रम ऩाठको को असधक वे असधक सान लधाक जानकायीमाॊ उऩरब्ध कयाने क उद्दे श्म वे वॊफॊसधत त्रलऴमं ऩय े नई-नई खोज, नमे प्रमोग एलॊ कि तकसनकी वुधाय ल ऩत्रिका को फेशतय फनाने क त्रलसबन्न प्रमावो क कायण वभम का अबाल शो यशा शं , इव ु े े कायण इव नलयाि त्रलळेऴ अॊक भं वॊफॊसधत प्राम वबी रेखं का ऩुन् प्रकाळन फकमा गमा शं । सिॊतन जोळी
  • 5. 5 अक्टू फय 2012 ***** नलयाि त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत त्रलळेऴ वूिना*****  ऩत्रिका भं प्रकासळत नलयाि त्रलळेऴ भं वम्फस्न्धत वबी जानकायीमाॊ गुरुत्ल कामाारम क असधकायं क वाथ शी े े आयस्षत शं ।  ऩौयास्णक ग्रॊथो ऩय अत्रलद्वाव यखने लारे व्मत्रक्त इव अॊक भं उऩरब्ध वबी त्रलऴम को भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शं ।  धासभाक त्रलऴम आस्था एलॊ त्रलद्वाव ऩय आधारयत शोने क कायण इव अॊकभं लस्णात वबी जानकायीमा बायसतम े ग्रॊथो वे प्रेरयत शोकय सरखी गई शं ।  धभा वे वॊफॊसधत त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभास्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।  इव अॊक भं लस्णात वॊफॊसधत वबी रेख भं लस्णात भॊि, मॊि ल प्रमोग फक प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल फक स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं औय ना शीॊ प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल फक स्जन्भेदायी क फाये भं जानकायी े दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं ।  धभा वे वॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्लमॊ का शोगा।  ळास्त्रोक्त त्रलऴमं वे वॊफॊसधत जानकायी ऩय ऩाठक द्राया फकवी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।  धभा वे वॊफॊसधत रेख प्राभास्णक ग्रॊथो, शभाये लऴो क अनुबल एल अनुळधान क आधाय ऩय फदमे गमे शं । े ॊ े  शभ फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ द्राया धभा वे वॊफॊसधत त्रलऴमं ऩय त्रलद्वाव फकए जाने ऩय उवक राब मा नुक्ळान की े स्जन्भेदायी नफशॊ रेते शं । मश स्जन्भेदायी धासभाक त्रलऴमो ऩय त्रलद्वाव कयने लारे मा उवका प्रमोग कयने लारे व्मत्रक्त फक स्लमॊ फक शोगी।  क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊ डं, वाभास्जक, कानूनी सनमभं क स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्लाथा ऩूसता े शे तु मशाॊ लस्णात जानकायी की आधाय ऩय प्रमोग कताा शं अथला धासभाक त्रलऴमो क उऩमोग कयने भे िुफट े यखता शं मा उववे िुफट शोती शं तो इव कायण वे प्रसतकर अथला त्रलऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी वॊबल शं । ू  धासभाक त्रलऴमो वे वॊफॊसधत जानकायी को भानकय उववे प्राद्ऱ शोने लारे राब, शानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।  शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे धासभाक त्रलऴमो ऩय आधारयत रेखं भं लस्णात जानकायी को शभने कई फाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधुगण ने बी अऩने नीजी जीलन भं अनुबल फकमा शं । स्जस्वे शभ कई फाय धासभाक त्रलऴमो के आधाय ऩय वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शुई शं । असधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भं वॊऩक कय वकते शं । ा (वबी त्रललादो कसरमे कलर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा। े े
  • 6. 6 अक्टू फय 2012 भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ? ु  सिॊतन जोळी नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। इव भॊि क जऩ वे भाॉ फक ळयणागती प्राद्ऱ शोती शं । े नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥ स्जस्वे भनुष्म क जन्भ-जन्भ क ऩाऩं का नाळ शोता शै । े े अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भाॊ जननी वृत्रद्श फक आफद, अॊत औय भध्म शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया दे ली वे प्राथाना कयं – प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय ा ळयणागत-दीनाता-ऩरयिाण-ऩयामणे कयते शं । वलास्मासतंशये दे त्रल नायामस्ण नभोऽस्तुते॥ उऩयोक्त भॊि वे दे ली दगाा का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे ु अथाात: ळयण भं आए शुए दीनं एलॊ ऩीस़्डतं की यषा भं वॊरग्न दे ली प्रवन्न शोकय अऩने बक्तं की इछिा ऩूणा कयती शं । वभस्त यशने लारी तथा वफ फक ऩीिा दय कयने लारी नायामणी दे ली ू दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो ु आऩको नभस्काय शै । की यषा कय उन ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको उन्नती क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे े योगानळेऴानऩशॊ सव तुद्शा रूद्शा तु काभान वकरानबीद्शान ्। ईद्वय भं श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की त्लाभासश्रतानाॊ न त्रलऩन्नयाणाॊ त्लाभासश्रता शाश्रमताॊ प्रमास्न्त। ळयण भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे। अथाात् दे ली आऩ प्रवन्न शोने ऩय वफ योगं को नद्श कय दे ती शो औय कत्रऩत शोने ऩय भनोलाॊसित वबी काभनाओॊ का नाळ ु दे ली प्रऩन्नासताशये प्रवीद प्रवीद भातजागतोsस्खरस्म। कय दे ती शो। जो रोग तुम्शायी ळयण भं जा िुक शै । उनको े ऩवीद त्रलद्वेतरय ऩाफश त्रलद्वॊ त्लभीद्ळयी दे ली ियाियस्म। त्रलऩत्रत्त आती शी नशीॊ। तुम्शायी ळयण भं गए शुए भनुष्म दवयं ू अथाात: ळयणागत फक ऩीिा दय कयने लारी दे ली आऩ शभ ऩय ू को ळयण दे ने लारे शो जाते शं । प्रवन्न शं। वॊऩूणा जगत भाता प्रवन्न शं। त्रलद्वेद्वयी दे ली त्रलद्व फक यषा कयो। दे ली आऩ फश एक भाि ियािय जगत फक वलाफाधाप्रळभनॊ िेरोक्मस्मास्खरेद्वयी। असधद्वयी शो। एलभेल त्लमा कामाभस्मध्दै रयत्रलनाळनभ ्। अथाात् शे वलेद्वयी आऩ तीनं रोकं फक वभस्त फाधाओॊ को वलाभॊगर-भाॊगल्मे सळलेवलााथवासधक । ा े ळाॊत कयो औय शभाये वबी ळिुओॊ का नाळ कयती यशो। ळयण्मे िमम्फक गौरय नायामस्ण नभोऽस्तुते॥ े वृत्रद्शस्स्थसत त्रलनाळानाॊ ळत्रक्तबूते वनातसन। ळाॊसतकभास्ण वलाि तथा द:स्लप्रदळाने। ु गुणाश्रमे गुणभमे नायामस्ण नभोऽस्तुते॥ ग्रशऩीडावु िोग्रावु भशात्भमॊ ळणुमात्भभ। अथाात: शे दे ली नायामणी आऩ वफ प्रकाय का भॊगर प्रदान अथाात् वलाि ळाॊसत कभा भं, फुये स्लप्न फदखाई दे ने ऩय तथा कयने लारी भॊगरभमी शो। कल्माण दासमनी सळला शो। वफ ग्रश जसनत ऩीिा उऩस्स्थत शोने ऩय भाशात्म्म श्रलण कयना ऩुरूऴाथं को सवद्ध कयने लारी ळयणा गतलत्वरा तीन नेिं िाफशए। इववे वफ ऩीिाएॉ ळाॊत औय दय शो जाती शं । ू लारी गौयी शो, आऩको नभस्काय शं । आऩ वृत्रद्श का ऩारन औय मफश कायण शं वशस्त्रमुगं वे भाॊ बगलती जगतजननी दगाा ु वॊशाय कयने लारी ळत्रक्तबूता वनातनी दे ली, आऩ गुणं का की उऩावना प्रसत लऴा लवॊत, आस्द्वन एलॊ गुद्ऱ नलयािी भं आधाय तथा वलागुणभमी शो। नायामणी दे ली तुम्शं नभस्काय त्रलळेऴ रुऩ वे कयने का त्रलधान फशन्द ु धभा ग्रॊथो भं शं । शै । ***
  • 7. 7 अक्टू फय 2012 प्रथभ ळैरऩुिी  सिॊतन जोळी नलयाि क प्रथभ फदन भाॊ क ळैरऩुिी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । ऩलातयाज (ळैरयाज) फशभारम क मशाॊ े े े ऩालाती रुऩ भं जन्भ रेने वे बगलती को ळैरऩुिी कशा जाता शं । बगलती नॊदी नाभ क लृऴब ऩय वलाय शं । े भाता ळैरऩुिी क दाफशने शाथ भं त्रिळूर औय फाएॊ शाथ भं कभर ऩुष्ऩ े वुळोसबत शं । भाॊ ळैरऩुिी को ळास्रों भं तीनो रोक क वभस्त लन्म जील-जॊतुओॊ का यषक भाना गमा शं । इवी कायण वे लन्म े जीलन जीने लारी वभ्मताओॊ भं वफवे ऩशरे ळैरऩुिी क भॊफदय की स्थाऩना की जाती शं स्जव वं उनका सनलाव स्थान े एलॊ उनक आव-ऩाव क स्थान वुयस्षत यशे । े े भूर भॊि:- लन्दे लाॊसितराबाम िन्दाधाकृतळेखयाभ ्। लृऴारूढाॊ ळूरधयाॊ ळैरऩुिीॊ मळस्स्लनीभ ्।। ध्मान भॊि:- लन्दे लाॊसितराबामािन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। लृऴारूढाॊळूरधयाॊळैरऩुिीमळस्स्लनीभ ्। ऩूणेन्दसनबाॊगौयी भूराधाय स्स्थताॊप्रथभ दगाा त्रिनेिा। ु ु ऩटाम्फयऩरयधानाॊयत्नफकयीठाॊनानारॊकायबूत्रऴता। प्रपल्र लॊदना ऩल्रलाधॊयाकातॊकऩोराॊतगकिाभ ्। ु ु ु कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीषीणभध्माॊसनतम्फनीभ ्। स्तोि:- प्रथभ दगाा त्लॊफशबलवागय तायणीभ ्। धन ऐद्वमा दामनीॊळैरऩुिीप्रणभाम्शभ ्। ु ियािये द्वयीत्लॊफशभशाभोश त्रलनासळन। बुत्रक्त भुत्रक्त दामनी,ळैरऩुिीप्रणभाम्मशभ ्। कलि:- ओभकाय: भेसळय: ऩातुभूराधाय सनलासवनी। शीॊकायऩातुरराटे फीजरूऩाभशे द्वयी। श्रीॊकायऩातुलदनेरज्जारूऩाभशे द्वयी। शुॊकाय ऩातुरृदमेतारयणी ळत्रक्त स्लघृत। पट्काय:ऩातुवलाागेवला सवत्रद्ध परप्रदा। भाॊ ळैरऩुिी का भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त को वदा धन-धान्म वे वॊऩन्न यशता शं । अथाात उवे स्जलन भं धन एलॊ अन्म वुख वाधनो को कभी भशवुव नशीॊ शोतीॊ। नलयाि क प्रथभ फदन की उऩावना वे मोग वाधना को प्रायॊ ब कयने लारे मोगी अऩने भन वे 'भूराधाय' िि को जाग्रत े कय अऩनी उजाा ळत्रक्त को कफद्रत कयते शं , स्जववे उन्शं अनेक प्रकाय फक सवत्रद्धमाॊ एलॊ उऩरस्ब्धमाॊ प्राद्ऱ शोती शं । ं ***
  • 8. 8 अक्टू फय 2012 फद्रतीमॊ ब्रह्मिारयणी  सिॊतन जोळी नलयाि क दवये फदन भाॊ क ब्रह्मिारयणी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । क्मोफक ब्रह्म का अथा शं तऩ। भाॊ े ू े ब्रह्मिारयणी तऩ का आियण कयने लारी बगलती शं इवी कायण उन्शं ब्रह्मिारयणी कशा गमा। ळास्त्रो भं भाॊ ब्रह्मिारयणी को वभस्त त्रलद्याओॊ की साता भाना गमा शं । ळास्त्रो भं ब्रह्मिारयणी दे ली क स्लरूऩ का े लणान ऩूणा ज्मोसतभाम एलॊ अत्मॊत फदव्म दळाामा गमा शं । भाॊ ब्रह्मिारयणी द्वेत लस्त्र ऩशने उनक दाफशने शाथ भं अद्शदर फक जऩ भारा एलॊ फामं शाथ भं कभॊडर वुळोसबत े यशता शं । ळत्रक्त स्लरुऩा दे ली ने बगलान सळल को प्राद्ऱ कयने क सरए 1000 वार तक सवप पर खाकय तऩस्मा यत यशीॊ े ा औय 3000 वार तक सळल फक तऩस्मा सवप ऩेिं वे सगयी ऩत्रत्तमाॊ खाकय फक, उनकी इवी कफठन तऩस्मा क कायण उन्शं ा े ब्रह्मिारयणी नाभ वे जाना गमा। भॊि: दधानाऩयऩद्माभ्माभषभाराककभण्डरभ ्। दे ली प्रवीदतु भसम ब्रह्मिारयण्मनुत्तभा।। ध्मान:- लन्दे लाॊसित राबामिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। जऩभाराकभण्डरुधयाॊब्रह्मिारयणी ळुबाभ ्। गौयलणाास्लासधद्षानस्स्थताॊफद्रतीम दगाा त्रिनेिाभ ्। ु धलर ऩरयधानाॊब्रह्मरूऩाॊऩुष्ऩारॊकायबूत्रऴताभ ्। ऩदभलॊदनाॊऩल्रलाधयाॊकातॊकऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ ्। कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीॊसनम्न नासबॊसनतम्फनीभ ्।। स्तोि:- तऩद्ळारयणीत्लॊफशताऩिमसनलायणीभ ्। ब्रह्मरूऩधयाब्रह्मिारयणीॊप्रणभाम्मशभ ्।। नलिग्रबेदनी त्लॊफशनलऐद्वमाप्रदामनीभ ्। धनदावुखदा ब्रह्मिारयणी प्रणभाम्मशभ ्॥ ळॊकयत्रप्रमात्लॊफशबुत्रक्त-भुत्रक्त दासमनी ळाॊसतदाभानदाब्रह्मिारयणी प्रणभाम्मशभ ्। कलि:- त्रिऩुया भेशदमेऩातुरराटे ऩातुळॊकयबासभनी। अऩाणावदाऩातुनेिोअधयोिकऩोरो॥ ऩॊिदळीकण्ठे ऩातुभध्मदे ळेऩातुभाशे द्वयी ऴोडळीवदाऩातुनाबोगृशोिऩादमो। अॊग प्रत्मॊग वतत ऩातुब्रह्मिारयणी॥ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त को अनॊत पर फक प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त भं तऩ, त्माग, वदािाय, वॊमभ जैवे वद् गुणं फक लृत्रद्ध शोती शं । ***
  • 9. 9 अक्टू फय 2012 तृतीमॊ िन्द्रघण्टा  सिॊतन जोळी नलयाि क तीवये फदन भाॊ क िन्द्रघण्टा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । िन्द्रघण्टा का स्लरूऩ ळाॊसतदामक े े औय ऩयभ कल्माणकायी शं । िन्द्रघण्टा क भस्तक ऩय घण्टे क आकाय का अधािन्द्र ळोसबत यशता शं । इव सरमे भाॊ को े े िन्द्रघण्टा दे ली कशा जाता शं । िन्द्रघण्टा क दे श का यॊ ग स्लणा क वभान िभकीरा शं औय दे त्रल उऩस्स्थसत भं िायं तयप े े अद्भत तेज फदखाई दे ता शं । ु भाॊ तीन नेि एलॊ दव बुजाए शं , स्जवभं कभर, धनुऴ-फाण, खड्ग, कभॊडर, तरलाय, त्रिळूर औय गदा आफद अस्त्र- ळस्त्र, फाण आफद वुळोसबत यशते शं । भाॊ क कठ भं वपद ऩुष्ऩं फक भारा औय ळीऴा ऩय यत्नजस़्डत भुकट ळोबामभान शं । े ॊ े ु िन्द्रघण्टा का लाशन सवॊश शं , इनकी भुद्रा मुद्ध क सरए तैमाय यशने की शोती शं । इनक घण्टे वी बमानक प्रिॊड ध्लसन वे े े अत्मािायी दै त्म, दानल, याषव ल दै ल बमसबत यशते शं । भॊि: त्रऩण्डज प्रलयारूढ़ा िण्डकोऩास्त्रकमुता। प्रवादॊ तनुते भशमॊ िन्दघण्टे सत त्रलश्रुता।। ै ा ध्मान:- लन्दे लाॊसित राबामिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशारूढादळबुजाॊिन्द्रघण्टामळस्लनीभ ्॥ किनाबाॊभस्णऩुय स्स्थताॊततीम दगाा त्रिनेिाभ ्। ॊ ृ ु खॊग गदा त्रिळूर िाऩशयॊ ऩदभकभण्डरु भारा लयाबीतकयाभ ्। ऩटाम्फयऩरयधाॊनाभृदशास्माॊनानारॊकायबूत्रऴताभ ्। ु भॊजीय, शाय, कमूय फकफकस्णयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्॥ े ॊ ु प्रपल्र लॊदना त्रफफाधायाकातॊकऩोराॊतग किाभ ्। ु ुॊ ु कभनीमाॊरालण्माॊषीणकफटसनतम्फनीभ ्॥ ॊ स्त्रोत:- आऩदद्रारयणी स्लॊफशआघाळत्रक्त: ळुबा ऩयाभ ्। भस्णभाफदसवफदधदािीिन्द्रघण्टे प्रणबाम्मशभ ्॥ ु िन्द्रभुखीइद्शदािी इद्श भॊि स्लरूऩणीभ ्। धनदािीआनॊददािीिन्द्रघण्टे प्रणभाम्मशभ ्॥ नानारूऩधारयणीइछिाभमीऐद्वमादामनीभ ्। वौबाग्मायोग्मदामनीिन्द्रघण्टे प्रणभाम्मशभ ्॥ कलि:- यशस्मॊ श्रुणलक्ष्मासभळैलेळीकभरानने। श्री िन्द्रघण्टास्मकलिॊवलासवत्रद्ध दामकभ ्॥ त्रफना न्मावॊत्रफना त्रलसनमोगॊत्रफना ळाऩोद्धायत्रफना ु शोभॊ। स्नानॊळौिाफदकनास्स्तश्रद्धाभािेणसवत्रद्धदभ ्॥ कसळष्माभकफटरामलॊिकामसनन्दाकामि। न दातव्मॊन दातव्मॊऩदातव्मॊकदासितभ ्॥ ॊ ु ु भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने वे व्मत्रक्त का भस्णऩुय िि जाग्रत शो जाता शं । उऩावना वे व्मत्रक्त को वबी ऩाऩं वे भुत्रक्त सभरती शं उवे वभस्त वाॊवारयक आसध-व्मासध वे भुत्रक्त सभरती शं । इवक उऩयाॊत व्मत्रक्त को े सियामु, आयोग्म, वुखी औय वॊऩन्न शोनता प्राद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त क वाशव एल त्रलयता भं लृत्रद्ध शोती शं । व्मत्रक्त स्लय भं े सभठाव आती शं उवक आकऴाण भं बी लृत्रद्ध शोती शं । िन्द्रघण्टा को सान की दे ली बी भाना गमा शै । े
  • 10. 10 अक्टू फय 2012 ितुथा कष्भाण्डा ू  सिॊतन जोळी नलयाि क ितुथा फदन भाॊ क कष्भाण्डा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । अऩनी भॊद शॊ वी द्राया ब्रह्माण्ड को े े ू उत्ऩन्न फकमा था इवीक कायण इनका नाभ कष्भाण्डा दे ली यखा गमा। े ू ळास्त्रोक्त उल्रेख शं , फक जफ वृत्रद्श का अस्स्तत्ल नशीॊ था, तो िायं तयप सवप अॊधकाय फश था। उव वभम ा कष्भाण्डा दे ली ने अऩने भॊद वी शास्म वे ब्रह्माॊड फक उत्ऩत्रत्त फक। कष्भाण्डा दे ली वूयज क घेये भं सनलाव कयती शं । ू ू े इवसरमे कष्भाण्डा दे ली क अॊदय इतनी ळत्रक्त शं , जो वूयज फक गयभी को वशन कय वक। कष्भाण्डा दे ली को जीलन फक ू े ं ू ळत्रक्त प्रदान कयता भाना गमा शं । कष्भाण्डा दे ली का स्लरुऩ अऩने लाशन सवॊश ऩय वलाय शं , भाॊ अद्श बुजा लारी शं । उनक भस्तक ऩय यत्न जस़्डत ू े भुकट वुळोसबत शं , स्जस्वे उनका स्लरूऩ अत्मॊम उज्जलर प्रसतत शोता शं । उनक शाथभं शाथं भं िभळ: कभण्डर, ु े भारा, धनुऴ-फाण, कभर, ऩुष्ऩ, करळ, िि तथा गदा वुळोसबत यशती शं । भॊि: वुयावम्ऩूणकरळॊ रूसधयाप्रुतभेल ि। दधाना शस्तऩद्माभ्माॊ कष्भाॊडा ळुबदास्तुभे।। ा ु ध्मान:- लन्दे लाॊसित काभथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशरूढाअद्शबुजा कष्भाण्डामळस्लनीभ ्॥ ु बास्लय बानु सनबाॊअनाशत स्स्थताॊितुथा दगाा त्रिनेिाभ ्। ु कभण्डरु िाऩ, फाण, ऩदभवुधाकरळिि गदा जऩलटीधयाभ ्॥ ऩटाम्फयऩरयधानाॊकभनीमाकृ दशगस्मानानारॊकायबूत्रऴताभ ्। ु भॊजीय शाय कमूय फकफकणयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्। े ॊ ु प्रपल्र लदनाॊनारू सिककाॊकाॊत कऩोराॊतुॊग किाभ ्। ु ु ू कोराॊगीस्भेयभुखीॊषीणकफटसनम्ननासबसनतम्फनीभ ्॥ स्त्रोत:- दगसतनासळनी त्लॊफशदारयद्राफदत्रलनासळनीभ ्। जमॊदाधनदाॊकष्भाण्डे प्रणभाम्मशभ ्॥ ु ा ू जगन्भाता जगतकिीजगदाधायरूऩणीभ ्। ियािये द्वयीकष्भाण्डे प्रणभाम्मशभ ्॥ ू िैरोक्मवुॊदयीत्लॊफशद:ख ळोक सनलारयणाभ ्। ऩयभानॊदभमीकष्भाण्डे प्रणभाम्मशभ ्॥ ु ू कलि:- शवयै भेसळय: ऩातुकष्भाण्डे बलनासळनीभ ्। शवरकयीॊनेिथ,शवयौद्ळरराटकभ ्॥ कौभायी ऩातुवलागािेलायाशीउत्तये तथा। ऩूले ू ऩातुलैष्णली इन्द्राणी दस्षणेभभ। फदस्ग्दधवलािलकफीजॊवलादालतु॥ ै ूॊ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का अनाशत िि जाग्रत शो शं । भाॊ कष्भाण्डाका क ऩूजन ू े वे वबी प्रकाय क योग, ळोक औय क्रेळ वे भुत्रक्त सभरती शं , उवे आमुष्म, मळ, फर औय फुत्रद्ध प्राद्ऱ शोती शं । े
  • 11. 11 अक्टू फय 2012 ऩॊिभ स्कदभाता ॊ  सिॊतन जोळी नलयाि के ऩाॊिलं फदन भाॊ क स्कदभाता स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं ।स्कदभाता े ॊ ॊ कभाय अथाात ् ु कासताकम फक भाता शोने क कायण, उन्शं स्कन्दभाता क नाभ वे जाना जाता शं । े े े सवॊश औय भमूय स्कदभाता क लाशन ॊ े शं । दे ली स्कदभाता कभर क आवन ऩय ऩद्मावन फक भुद्रा भं त्रलयाजभान यशती शं , इवसरए उन्शं ऩद्मावन दे ली क नाभ वे ॊ े े बी जाना जाता शं । स्कदभाता का स्लरुऩ िाय बुजा लारा शं । उनक दोनं शाथं भं कभरदर सरए शुए शं , उनकी दाफशनी ॊ े तयप फक ऊऩय लारी बुजा भं ब्रह्मस्लरूऩ स्कन्द्र कभाय को अऩनी गोद भं सरमे शुए शं । औय स्कदभाता क दाफशने तयप ु ॊ े फक नीिे लारी बुजा लयभुद्राभं शं । स्कदभाता मश स्लरुऩ ऩयभ कल्माणकायी भनागमा शं । ॊ भॊि: सवॊशावानगता सनतमॊ ऩद्मासश्रतकयद्रमा। ळुबदास्तु वदा दे ली स्कन्दभाता मळस्स्लनी।। ध्मान:- लन्दे लाॊसित काभथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशारूढाितुबजास्कन्धभातामळस्लनीभ ्॥ ुा धलरलणाात्रलळुद्ध ििस्स्थताॊऩिभ दगाा त्रिनेिाभ। अबम ऩदभमुग्भ कयाॊदस्षण ॊ ु उरूऩुिधयाभबजेभ ्॥ ऩटाम्फयऩरयधानाकृ दशसवमानानारॊकायबूत्रऴताभ ्। भॊजीय शाय कमूय ु े फकफकस्णयत्नकण्डरधारयणीभ।। प्रबुल्रलॊदनाऩल्रलाधयाॊकाॊत कऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ ्। ॊ ु कभनीमाॊरालण्माॊजारूत्रिलरीॊसनतम्फनीभ ्॥ स्तोि:- नभासभ स्कन्धभातास्कन्धधारयणीभ ्। वभग्रतत्लवागयभऩायऩायगशयाभ ्॥ सळप्रबाॊवभुल्लराॊस्पयछिळागळेखयाभ ्। रराटयत्नबास्कयाजगतप्रदीद्ऱबास्कयाभ ्॥ ु भशे न्द्रकश्मऩासिाताॊवनत्कभायवॊस्तुताभ ्। वुयावेयेन्द्रलस्न्दताॊमथाथासनभारादबुताभ ्॥ ु भुभषुसबत्रलासिस्न्तताॊत्रलळेऴतत्लभूसिताभ ्। नानारॊकायबूत्रऴताॊकृगेन्द्रलाशनाग्रताभ ्।। ु वुळद्धतत्लातोऴणाॊत्रिलेदभायबऴणाभ ्। वुधासभाककौऩकारयणीवुयेन्द्रलैरयघासतनीभ ्॥ ु ळुबाॊऩष्ऩभासरनीवुलणाकल्ऩळास्खनीभ ्। तभोअन्कायमासभनीसळलस्लबालकासभनीभ ्॥ ु वशस्त्रवूमयास्जकाॊधनज्जमोग्रकारयकाभ ्। वुळद्धकार कन्दराॊवबडकृ न्दभज्जुराभ ्॥ ा ु ु ृ प्रजासमनीप्रजालती नभासभभातयॊ वतीभ ्। स्लकभाधायणेगसतॊशरयप्रमछिऩालातीभ ्॥ इनन्तळत्रक्तकास्न्तदाॊमळोथभुत्रक्तदाभ ्। ऩुन:ऩुनजागत्रद्धताॊनभाम्मशॊ वयासिाताभ॥ ु जमेद्वरयत्रिरािनेप्रवीददे त्रल ऩाफशभाभ ्॥ कलि:- ऐॊ फीजासरॊकादे ली ऩदमुग्भधयाऩया। रृदमॊऩातुवा दे ली कासतकममुता॥ श्रीॊशीॊ शुॊ ऐॊ दे ली ऩूलस्माॊऩातुवलादा। वलााग भं वदा ा ऩातुस्कन्धभाताऩुिप्रदा॥ लाणलाणाभृतेशुॊ पट् फीज वभस्न्लता। उत्तयस्मातथाग्नेिलारूणेनेितेअलतु॥ इन्द्राणी बैयली िैलासवताॊगीिवॊशारयणी। वलादाऩातुभाॊ दे ली िान्मान्मावुफश फदषलै॥ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का त्रलळुद्ध िि जाग्रत शोता शं । व्मत्रक्त फक वभस्त इछिाओॊ की ऩूसता शोती शं एलॊ जीलन भं ऩयभ वुख एलॊ ळाॊसत प्राद्ऱ शोती शं ।
  • 12. 12 अक्टू फय 2012 ऴद्षभ ् कात्मामनी  सिॊतन जोळी नलयाि के िठं फदन भाॊ क कात्मामनी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । भशत्रऴा कात्मामन फक ऩुिी शोने क े े कायण उन्शं कात्मामनी क नाभवे जाना जाता शं । कात्मामनी भाता का जन्भ आस्द्वन कृ ष्ण ितुदाळी को शुला था, जन्भ े क ऩद्ळमाता भाॊ कात्मामनी ने ळुक्र वद्ऱभी, अद्शभी तथा नलभी तक तीन फदन तक कात्मामन ऋत्रऴ फक ऩूजा ग्रशण े फकथी एलॊ त्रलजमा दळभी को भफशऴावुय का लध फकमा था। दे ली कात्मामनी का लणा स्लणा क वभान िभकीरा शं , इव कायण दे ली कात्मामनी का स्लरूऩ अत्मॊत शी बव्म े एलॊ फदव्म प्रसतत शोता शं । कात्मामनी फक िाय बुजाएॊ शं । उनेक दाफशनी तयप का ऊऩय लारा शाथ अबम भुद्राभं शै , तथा े नीिे लारा लयभुद्राभं, फाई तयप क ऊऩय लारे शाथ भं कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत शं , नीिे लारे शाथभं तरलाय वुळोसबत यशती े शं । कात्मामनी दे ली अऩने लाशन सवॊश त्रलयाजन शोती शं । भॊि: िॊद्रशावोज्जलरकया ळाइरलयलाशना। कात्मामनी ळुबॊ दद्याद्दे ली दानलघासतनी।। ध्मान:- लन्दे लाॊसित भनोयथाथािन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशारूढितुबजाकात्मामनी मळस्लनीभ ्॥ ुा स्लणालणााआसाििस्स्थताॊऴद्षम्दगाा त्रिनेिाभ। लयाबीतॊकयाॊऴगऩदधयाॊकात्मामनवुताॊबजासभ॥ ु ऩटाम्फयऩरयधानाॊस्भेयभुखीॊनानारॊकायबूत्रऴताभ ्। भॊजीय शाय कमुयफकफकस्णयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्।। े ॊ ु प्रवन्नलॊदनाऩज्जलाधयाॊकातॊकऩोरातुगकिाभ ्। कभनीमाॊरालण्माॊत्रिलरीत्रलबूत्रऴतसनम्न नासबभ ्॥ ु स्तोि:- किनाबाॊ कयाबमॊऩदभधयाभुकटोज्लराॊ। स्भेयभुखीसळलऩत्नीकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥ ॊ ु ऩटाम्फयऩरयधानाॊनानारॊकायबूत्रऴताॊ। सवॊशास्स्थताॊऩदभशस्ताॊकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥ ऩयभदॊ दभमीदे त्रल ऩयब्रह्म ऩयभात्भा। ऩयभळत्रक्त,ऩयभबत्रक्त् कात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥ त्रलद्वकतॉ,त्रलद्वबतॉ,त्रलद्वशतॉ,त्रलद्वप्रीता। त्रलद्वासिताॊ,त्रलद्वातीताकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥ काॊ फीजा, काॊ जऩानॊदकाॊ फीज जऩ तोत्रऴते। काॊ काॊ फीज जऩदावक्ताकाॊ काॊ वन्तुता॥ काॊकायशत्रऴाणीकाॊ धनदाधनभावना। काॊ फीज जऩकारयणीकाॊ फीज तऩ भानवा॥ काॊ कारयणी काॊ भूिऩूस्जताकाॊ फीज धारयणी। काॊ कीॊ कक क:ठ:ि:स्लाशारूऩणी॥ ूॊ ै कलि:- कात्मामनौभुख ऩातुकाॊ काॊ स्लाशास्लरूऩणी। रराटे त्रलजमा ऩातुऩातुभासरनी सनत्म वॊदयी॥ कल्माणी रृदमॊऩातुजमा बगभासरनी॥ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का आसा िि जाग्रत शोता शं । दे ली कात्मामनी के ऩूजन वे योग, ळोक, बम वे भुत्रक्त सभरती शं । कात्मामनी दे ली को लैफदक मुग भं मे ऋत्रऴ-भुसनमं को कद्श दे ने लारे यष- दानल, ऩाऩी जील को अऩने तेज वे शी नद्श कय दे ने लारी भाना गमा शं ।
  • 13. 13 अक्टू फय 2012 वद्ऱभ कारयात्रि  सिॊतन जोळी नलयाि के वातलं फदन भाॊ क कारयात्रि स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । कारयात्रि दे ली क ळयीय का यॊ ग े े घने अॊधकाय फक तयश एकदभ कारा शं , सवय क फार पराकय यखने लारी शं । े ै कारयात्रि का स्लरुऩ तीन नेि लारा एलॊ गरे भं िभकने लारी भारा धायण कयने लारी शं । कारयात्रि फक आॊखं वे अस्ग्न की लऴाा शोती शै एलॊ नासवका क द्वाव भं अस्ग्न की बॊमकय ज्लाराएॊ सनकरती यशती शं । कारयात्रि क ऊऩय उठे े े शुए दाफशने शाथ क लयभुद्रावे वबी भनुष्मो को लय प्रदान कयती शं । दाफशनी तयप का नीिे लारा शाथ अबमभुद्राभं शं । े एक शाथ वे ळिुओॊ की गदा न ऩकडे शुए शं , दवये शाथ भं खड्ग-तरलाय ळस्त्र वे ळिु का नाळ कयने लारी कारयात्रि ू त्रलकट रूऩ भं अऩने लाशन गदा ब(गधे) त्रलयाजभान शं । भॊि् एक लेधी जऩाकणाऩूया नग्ना खयास्स्थता। रम्फोद्षी कस्णकााकणी तैराभ्मक्तळयीरयणी।। लाभऩदोल्रवल्रोशरताकण्टक बूऴणा। लधानभूधध्लजा कृ ष्णा कारयात्रिबामॊकयी।। ा ध्मान:- कयारलदनाॊ घोयाॊभक्तकळीॊितुबुताभ ्। कारयात्रिॊकयासरॊकाफदव्माॊत्रलद्युत्भारात्रलबूत्रऴताभ ्॥ ु े ा फदव्म रौशलज्रखड्ग लाभाघोध्लाकयाम्फुजाभ ्। अबमॊलयदाॊिैलदस्षणोध्र्लाघ:ऩास्णकाभ ्॥ भशाभेघप्रबाॊश्माभाॊतथा िैऩगदाबारूढाॊ। घोयदॊ द्शाकायारास्माॊऩीनोन्नतऩमोधयाभ ्॥ वुख प्रवन्न लदनास्भेयानवयोरूशाभ ्। एलॊ वॊसिमन्तमेत्कारयात्रिॊवलाकाभवभृत्रद्धधदाभ ्॥ स्तोि:- शीॊ कारयात्रि श्रीॊकयारी िक्रीॊकल्माणी करालती। कारभाताकसरदऩाध्नीकभदीॊळकृ ऩस्न्लता॥ काभफीजजऩान्दाकभफीजस्लरूत्रऩणी। कभसतघनीकरीनासतानसळनीकर कासभनी॥ ु ु ु क्रीॊशीॊ श्रीॊभॊिलणेनकारकण्टकघासतनी। कृ ऩाभमीकृ ऩाधायाकृ ऩाऩायाकृ ऩागभा॥ कलि:- ॐ क्रीॊभं शदमॊऩातुऩादौश्रीॊकारयात्रि। रराटे वततॊऩातुदद्शग्रशसनलारयणी॥ यवनाॊऩातुकौभायी बैयली िषुणोभाभ ु शौऩृद्षेभशे ळानीकणोळॊकयबासभनी। लस्जातासनतुस्थानासबमासनिकलिेनफश। तासनवलाास्णभं दे ली वततॊऩातुस्तस्म्बनी॥ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का बानु िि जाग्रत शोता शं । कारयात्रि क ऩूजन वे े अस्ग्न बम, आकाळ बम, बूत त्रऩळाि इत्मादी ळत्रक्तमाॊ कारयात्रि दे ली क स्भयण भाि वे शी बाग जाते शं , कारयात्रि का े स्लरूऩ दे खने भं अत्मॊत बमानक शोते शुले बी वदै ल ळुब पर दे ने लारा शोता शं , इव सरमे कारयात्रि को ळुबॊकयी के नाभवे बी जाना जाता शं । कारयात्रि ळिु एलॊ दद्शं का वॊशाय कय ने लारी दे ली शं । ु
  • 14. 14 अक्टू फय 2012 अद्शभ भशागौयी  सिॊतन जोळी नलयाि क आठलं फदन भाॊ क भशागौयी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । भशागौयी स्लरूऩ उज्जलर, कोभर, े े द्वेतलणाा तथा द्वेत लस्त्रधायी शं । भशागौयी भस्तक ऩय िन्द्र का भुकट धायण फकमे शुए शं । कास्न्तभस्ण क वभान कास्न्त ु े लारी दे ली जो अऩनी िायं बुजाओॊ भं िभळ् ळॊख, िि, धनुऴ औय फाण धायण फकए शुए शं , उनक कानं भं यत्न े जफडतकण्डर स्झरसभराते यशते शं । भशागौयीलृऴब क ऩीठ ऩय त्रलयाजभान शं । भशागौयी गामन एलॊ वॊगीत वे प्रवन्न शोने ु े लारी 'भशागौयी' भाना जाता शं । भॊि: द्वेते लृऴे वभरूढ़ा द्वेताम्फयाधया ळुसि:। भशागौयी ळुबॊ दद्यान्भशादे लप्रभोददा।। ध्मान:- लन्दे लाॊसित काभाथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। सवॊशारूढाितुबुजाभशागौयीमळस्लीनीभ ्॥ ा ऩुणेन्दसनबाॊगौयी वोभलिस्स्थताॊअद्शभ दगाा त्रिनेिभ। ु ु लयाबीसतकयाॊत्रिळूर ढभरूधयाॊभशागौयीॊबजेभ ्॥ ऩटाम्फयऩरयधानाभृदशास्मानानारॊकायबूत्रऴताभ ्। ु भॊजीय, काय, कमूय, फकफकस्णयत्न कण्डर भस्ण्डताभ ्॥ े ॊ ु प्रपल्र लदनाॊऩल्रलाधयाॊकाॊत कऩोराॊिलोक्मभोशनीभ ्। ु ै कभनीमाॊरालण्माॊभणाराॊिॊदन गन्ध सरद्ऱाभ ्॥ ृ स्तोि:- वलावॊकट शॊ िीत्लॊफशधन ऐद्वमा प्रदामनीभ ्। सानदाितुलदभमी,भशागौयीप्रणभाम्मशभ ्॥ े वुख ळाॊसत दािी, धन धान्म प्रदामनीभ ्। डभरूलाघत्रप्रमा अघा भशागौयीप्रणभाम्मशभ ्॥ िैरोक्मभॊगरात्लॊफशताऩिमप्रणभाम्मशभ ्। लयदािैतन्मभमीभशागौयीप्रणभाम्मशभ ्॥ कलि:- ओॊकाय: ऩातुळीऴोभाॊ, शीॊ फीजॊभाॊ रृदमो। क्रीॊफीजॊवदाऩातुनबोगृशोिऩादमो॥ रराट कणो,शूॊ, फीजॊऩात भशागौयीभाॊ नेि घ्राणं। कऩोर सिफुकोपट् ऩातुस्लाशा भाॊ वलालदनो॥ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का वोभिि जाग्रत शोता शं । भशागौयी क ऩूजन वे व्मत्रक्त े क वभस्त ऩाऩ धुर जाते शं । भशागौयी क ऩूजन कयने लारे वाधन क सरमे भाॊ अन्नऩूणाा क वभान, धन, लैबल औय े े े े वुख-ळाॊसत प्रदान कयने लारी एलॊ वॊकट वे भुत्रक्त फदराने लारी दे ली भशागौयी शं ।
  • 15. 15 अक्टू फय 2012 नलभ ् सवत्रद्धदािी  सिॊतन जोळी नलयाि क नौलं फदन भाॊ क सवत्रद्धदािी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । े े दे ली सवत्रद्धदािी का स्लरूऩ कभर आवन ऩय त्रलयास्जत, िाय बुजा लारा, दाफशनी तयप क नीिे लारे शाथ भं िि, ऊऩय े लारे शाथ भं गदा, फाई तयप वे नीिे लारे शाथ भं ळॊख औय ऊऩय लारे शाथ भं कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत यशते शं । भॊि : सवद्धगॊधलामषाद्यैयवुयैययभयै यत्रऩ। वेव्मभाना वदा बूमात सवत्रद्धदा सवत्रद्धदासमनी।। ध्मान:- लन्दे लाॊसितभनयोयाथेिन्द्राघाकृतळेखयाभ ्। कभरस्स्थताितुबजासवत्रद्ध मळस्लनीभ ्॥ ुा स्लणाालणाासनलााणििस्स्थतानलभ ् दगाा त्रिनेिाभ। ु ळॊख, िि, गदा ऩदभधया सवत्रद्धदािीबजेभ ्॥ ऩटाम्फयऩरयधानाॊवुशास्मानानारॊकायबूत्रऴताभ ्। भॊजीय, शाय कमूय, फकफकस्णयत्नकण्डरभस्ण्डताभ ्॥ े ॊ ु प्रपल्र लदनाऩल्रलाधयाकाॊत कऩोराऩीनऩमोधयाभ ्। ु कभनीमाॊरालण्माॊषीणकफटॊ सनम्ननासबॊसनतम्फनीभ ्॥ स्तोि:- किनाबा ळॊखििगदाभधयाभुकटोज्लराॊ। स्भेयभुखीसळलऩत्नीसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥ ॊ ु ऩटाम्फयऩरयधानाॊनानारॊकायबूत्रऴताॊ। नसरनस्स्थताॊऩसरनाषीॊसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥ ऩयभानॊदभमीदे त्रल ऩयब्रह्म ऩयभात्भा। ऩयभळत्रक्त,ऩयभबत्रक्तसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥ त्रलद्वकतीॊत्रलद्वबतॉत्रलद्वशतीॊत्रलद्वप्रीता। त्रलद्वसिातात्रलद्वतीतासवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥ बुत्रक्तभुत्रक्तकायणीबक्तकद्शसनलारयणी। बलवागय तारयणी सवत्रद्धदािीनभोअस्तुते।। धभााथकाभप्रदासमनीभशाभोश त्रलनासळनी। भोषदासमनीसवत्रद्धदािीसवत्रद्धदािीनभोअस्तुते॥ कलि:- ओॊकाय: ऩातुळीऴोभाॊ, ऐॊ फीजॊभाॊ रृदमो। शीॊ फीजॊवदाऩातुनबोगृशोिऩादमो॥ रराट कणोश्रीॊफीजॊऩातुक्रीॊफीजॊभाॊ नेि घ्राणो। कऩोर सिफुकोशवौ:ऩातुजगत्प्रवूत्मैभाॊ वला लदनो॥ भॊि-ध्मान-कलि- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का सनलााण िि जाग्रत शोता शं । सवत्रद्धदािी क ऩूजन वे े व्मत्रक्त फक वभस्त काभनाओॊ फक ऩूसता शोकय उवे ऋत्रद्ध, सवत्रद्ध फक प्रासद्ऱ शोती शं । ऩूजन वे मळ, फर औय धन फक प्रासद्ऱ कामो भं िरे आ यशे फाधा-त्रलध्न वभाद्ऱ शो जाते शं । व्मत्रक्त को मळ, फर औय धन फक प्रासद्ऱ शोकय उवे भाॊ फक कृ ऩा वे धभा, अथा, काभ औय भोष फक बी प्रासद्ऱ स्लत् शो जाती शं ।
  • 16. 16 अक्टू फय 2012 ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख-वभृत्रद्ध दामक शं  सिॊतन जोळी नलयाि को ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा जो व्मत्रक्त दगाावद्ऱळतीक भूर वॊस्कृ त भं ऩाठ कयने भं ु े शं । भाकण्डे मऩुयाण क अनुळाय दे ली भाशात्म्म भं स्लमॊ भाॊ ा े अवभथा शं तो उव व्मत्रक्त को वद्ऱद्ऴोकी दगाा को ऩढने वे ु जगदम्फा का लिन शं -। राब प्राद्ऱ शोता शं । क्मोफक वात द्ऴोकं लारे इव स्तोि भं ळयत्कारे भशाऩूजा फिमतेमा िलात्रऴकी। ा श्रीदगाावद्ऱळती का वाय वभामा शुला शं । ु तस्माॊभभैतन्भाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्न्लत:॥ ु जो व्मत्रक्त वद्ऱद्ऴोकी दगाा का बी न कय वक लश कलर ु े े नलााण भॊि का असधकासधक जऩ कयं । वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधान्मवुतास्न्लत:। ा भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥ दे ली क ऩूजन क वभम इव भॊि का जऩ कये । े े अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं े जमन्ती भङ्गराकारी बद्रकारी जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती कऩासरनी। शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये दगाा षभा सळला धािी स्लाशा ु भाशात्म्म (दगाावद्ऱळती) ु को स्लधानभोऽस्तुते॥ बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये ा दे ली वे प्राथाना कयं - प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धान्म एलॊ ऩुि वे वम्ऩन्न शो जामेगा। त्रलधेफशदे त्रल कल्माणॊत्रलधेफशऩयभाॊ - सश्रमभ ्।रूऩॊदेफशजमॊदेफशमळोदे फशफद्र नलयाि भं दगाावद्ऱळती ु ऴोजफश॥ को ऩढने मा वुनने वे दे ली अत्मन्त प्रवन्न शोती शं एवा अथाात् शे दे त्रल! आऩ भेया ळास्त्रोक्त लिन शं । वद्ऱळती का कल्माण कयो। भुझे श्रेद्ष वम्ऩत्रत्त ऩाठ उवकी भूर बाऴा वॊस्कृ त भं प्रदान कयो। भुझे रूऩ दो, जम दो, कयने ऩय शी ऩूणा प्रबाली शोता शं । मळ दो औय भेये काभ-िोध इत्माफद ळिुओॊ का नाळ कयो। व्मत्रक्त को श्रीदगाावद्ऱळती को बगलती दगाा ु ु का शी स्लरूऩ वभझना िाफशए। त्रलद्रानो क भतानुळाय वम्ऩूणा े ऩाठ कयने वे ऩूला श्रीदगाावद्ऱळती फक ऩुस्तक का इव भॊि वे ु नलयािव्रत का ऩारन कयने भं जो रोगं अवभथा शो लश ऩॊिोऩिायऩूजन कयं - नलयाि क वात यािी,ऩाॊि यािी, दं यािी औय एक यािी े का व्रत कयक बी त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । नलयाि े नभोदे व्मैभशादे व्मैसळलामैवततॊनभ:। भं नलदगाा की उऩावना कयने वे नलग्रशं का प्रकोऩ स्लत् ु नभ:प्रकृ त्मैबद्रामैसनमता:प्रणता:स्भताभ ्॥ ळाॊत शो जाता शं ।