10. दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व के साथ पांच पर्वों जुड़े हुए हैं। सभी पर्वों के साथ दंत - कथाएं जुड़ी हुई हैं। दिवाली का त्योहार दिवाली से दो दिन पूर्व आरम्भ होकर दो दिन पश्चात समाप्त होता है। इसे धनतेरस कहा जाता है। दूसरे दिन चतुर्दशी को नरक - चौदस मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। तीसरे दिन अमावस्या को दिवाली का त्योहार पूरे भारतवर्ष के अतिरिक्त विश्वभर में बसे भारतीय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है। दिवाली के पश्चात अन्नकूट मनाया जाता है। यह दिवाली की श्रृंखला में चौथा उत्सव होता है। लोग इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन की पूजा करते हैं। शुक्ल द्वितीया को भाई - दूज या भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है।
12. गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है . यह त्यौहार महराष्ट्र , गोआ , गुजरात और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता हैं।गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी ( अनंत चौदस ) तक दस दिन गणेशोत्सव मनाया जाता है। आज बालक छोटे - छोटे डण्डों को बजाकर खेलते हैं। यही कारण है कि लोकभाषा में इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है। गणेशजी का यह पूजन करने से विद्या , बुद्धि की तथा ऋद्धि - सिद्धि की प्राप्ति तो होती ही है , साथ ही विघ्न - बाधाओं का भी समूल नाश हो जाता है।
13. भगवान् गणेश की मूर्ती खरीदते हैं और घर लेजाकर पूजा करते हैं। मुंबई और दूसरे बड़े शहरों में , गणेश जी के बड़े - बड़े मूर्तियाँ भी बनाये जाते हैं और मंदिरों में पूजा की जाती हैं। दस दिनों के बाद गणेश की मूर्ती का विसर्जन की जाती हैं। यह दिन बड़े धूम धमके से मनाया जाता हैं। बड़े मूर्तियों को ट्रकों पर रख कर , बैंड बाजे के साथ , रोड पर चलते हैं। लोग खूब जोश में नाचते हैं।
14. होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है , जिसे होलिका दहन भी कहते है होली
17. जन्माष्टमी के त्यौहार में भगवान विष्णु की , श्री कृष्ण के रूप में , उनकी जयन्ती के अवसर पर प्रार्थना की जाती है। हिन्दुओं का यह त्यौहार श्रावण ( जुलाई - अगस्त ) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भारत में मनाया जाता है। हिन्दु पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण का जन्म , मथुरा के असुर राजा कंस , जो उसकी सदाचारी माता का भाई था , का अंत करने के लिए हुआ था। जन्माष्टमी के अवसर पर पुरूष व औरतें उपवास व प्रार्थना करते हैं। मन्दिरों व घरों को सुन्दर ढंग से सजाया जाता है व प्रकाशित किया जाता है। उत्तर प्रदेश के वृन्दावन के मन्दिरों में इस अवसर पर खर्चीले व रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं। कृष्ण की जीवन की घटनाओं की याद को ताजा करने व राधा जी के साथ उनके प्रेम का स्मरण करने के लिए रास लीला की जाती है। इस त्यौहार को कृष्णाष्टमी अथवा गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
20. रक्षाबंधन एक भारतीय त्यौहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन में मनाए जाने के कारण इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाई के दायें हाथ पर राखी बांधकर उसके माथे पर तिलक करती हैं और उसकी दीर्घ आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई - बहन के प्यार के बंधन को मज़बूत करते है। भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते है। और सुख दुख में साथ रहने का यकीन दिलाते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई - बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। उत्तरांचल में इसे श्रावणी कहते हैं।
22. रामनवमी राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम की स्मृति को समर्पित है। उसे " मर्यादा पुरूषोतम " कहा जाता है तथा वह सदाचार का प्रतीक है। यह आती है , को राम के जन्म दिन की स्मृति में मनाया जाता है। रामनवमी के दिन , श्रद्धालु बड़ी संख्या में मन्दिरों में जाते हैं और राम की त्यौहार शुक्ल पक्ष की 9 वीं तिथि जो अप्रैल में किसी समय प्रशंसा में भक्तिपूर्ण भजन गाते हैं तथा उसके जन्मोत्सव को मनाने के लिए उसकी मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। राम , उनकी पत्नी सीता , भाई लक्ष्मण व भक्त हनुमान की रथ यात्राएं बहुत से मंदिरों से निकाली जाती हैं। हिंदू घरों में रामनवमी पूजा करके मनाई जाती है।
24. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं . उत्तरभारत में यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है . तीज का त्योहार मुख्यत : स्त्रियों का त्योहार है . इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है और जगह - जगह झूले पड़ते हैं . इस त्योहार में स्त्रियाँ गीत गाती हैं , झूला झूलती हैं और नाचती हैं . इस दिन मां पार्वती की पूजा की जाती है . विधि - इस दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत करती है।
25. विशेष धन्यवाद :- आराधना महोदया बनाई गई :- s9m, Aaidx, Ai9t, kaMya & devip/ya