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भयो भेये साथ!
फाांधव नाभक छोटे से गााँव भे आज दे य यात फहुत हरचर थी. यां जजश क चरते 2 ऩरयवायों की
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हत्मा कयक ऩडोसी गााँव झभेर का ननवासी प्रकाश गााँव भे से बागने की फपयाक भे था ऩय भत
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ऩरयवायों क ऩडोससमों द्वाया शोय भचामे जाने ऩय धीये -धीये मे खफय गााँव क भुख्म बाग भे
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आग की तयह फर गमी. सबी गााँववारो भे प्रकाश की इस हयकत ऩय आक्रोश था. राठिमााँ
़ै

औय रारटे न सरए ज़ैसे साये गााँववारे आज फाहय ननकर आमे थे. ऩय गााँव की फाहयी सीभा ऩय
फनी कछ झोऩडडमों तक मे हरचर अबी नहीां ऩहुांची थी. जान फचाता हुआ प्रकाश वहाां तक
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ऩहुाँच चका था.
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"दयवाजा खोर....सुशीर..भै तेया दोस्त प्रकाश हॉ.."
सुशीर दयवाजा खोरता है तो हाॊपता हुआ प्रकाश उसक घय भे आ घुसता है .
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प्रकाश - त घय भे अकरा है , सशीर?
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सुशीर - हाॉ, भेयी फीवी त्मौहाय ऩय अऩने भामक गमी है ..रेककन त इतना ऩये शान क्मों रग
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यहा है ?

सुशीर क सवार का उत्तय दे ने क फजामे प्रकाश ने उसक सय ऩय जोयदाय वाय फकमा जजस से
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सुशीर फेहोश हो गमा. तबी प्रकाश क ऩीछे आते गााँववारे दयवाजा ऩीटने रगे....कछ रोगो ने
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दय से प्रकाश को सशीर क घय भे घसते दे ख सरमा था. सशीर की झोऩडी क फाहय शोय-गर
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फढ़ता जा यहा था.

गााँववारो ने आवाज रगामी.
"सुशीर दयवाजा खोरो....."
कापी दे य तक कोई जवाफ ना आने क फाद आक्रोशशत बीड़ से बड़क हुए स्वय आने रगे.
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"अये , सशीर तो प्रकाश का जजगयी दोस्त है ना.."
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"वो दयवाजा नहीॊ खोरेगा."
"सशीर बी प्रकाश से शभर गमा रगता है .."
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"जजॊदा जरा डारो..उन दोनों को..महीॊ उन ऩापऩमों का अॊततभ सॊस्काय कय डारो."
आक्रोसशत जनसभह की सोचने सभझने की ऺभता ऺीण हो जाती ह़ै ..आज ननदोष सशीर
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शामद इस आक्रोश की बें ट चढ़ने वारा था. प्रकाश की डय से नघग्गी फांध गमी थी.....फचने का
यास्ता ढूाँढती उसकी आाँखों भे चभक आ गमी.

दे खते ही दे खते बीड ने सशीर की झोऩडी जरा दी. प्रकाश सशीर क घय की पऩछरी खखडकी
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को तोडकय सयऩट बागता हुआ ऩीछे जांगरो भे गुभ हो गमा. इधय झोऩडी क जरने से उिे धुएाँ
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ने अचेत सुशीर की फेहोशी को तोडा....धुएाँ से बये फांध घय भे उसका दभ घुटने रगा...

अधधचेतना की हारत भे वो दयवाजा ढूाँढने रगा....उसे दयवाजा तो सभरा ऩय तफ तक ऩये घय
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औय उसक शयीय भे आग रग चुकी थी. वो चचल्राता औय तडऩता हुआ दयवाजा खोर कय
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फाहय की तयप बागा.......बीड भे से आवाजें आमी.
"मही है हत्माया प्रकाश....भाय डारो इसे."
फकसी ने उस जरती..तडऩती औय ददध से कयाहती आकृनत की ऩहचान जानने क फाये भे एक
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ऺण नहीां सोचा..औय फाहय राठिमों-डांडो से उसे तफ तक ऩीटते यहे जफ तक वो फेजान नहीां हो
गमी. गााँव वारो का ऩागरऩन अफ जाकय शाांत हुआ. तफ जाकय सयऩांच क रडक की नजय
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उस अधजरी राश क हाथ ऩय ऩडी जजस ऩय "ॐ" aur "सुशीर" सरखा हुआ था. मे फात बीड
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भे परी औय फकसी को सभझते दे य ना रगी की मे प्रकाश नहीां सशीर ह़ै. कछ रोगो ने फाहय
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से सुशीर की सरगती झोऩडी का भआमना फकमा तो ऩता चरा की भौका दे ख कय प्रकाश
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बाग चुका था. गााँव वारो को अऩनी गरती का एहसास तो हुआ ऩय अफ दे य हो चुकी थी. खुद
को फचाने क सरए उन्होंने ऩसरस क साभने मे कहानी फनाने का ननणधम सरमा की प्रकाश क
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साथ सुशीर बी हत्माओ भे शासभर था औय उग्र बीड ने उसे भाय डारा....जफफक प्रकाश पयाय
हो गमा. ऩुसरस इस घटना भे उम्भीद से जल्दी आ गमी औय कागजी कामधवाही, राश

काऩांचनाभा औय थोडी ऩछ-ताछ कयक चरती फनी. सयऩांच ने स्थानीम ऩसरस थाने क
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इन्चाजध को अऩनी ऩये शानी फताई. तो उस स्टे शन अपसय ने उन्हें तसल्री दी.
"अये , सयऩॊच जी....ऐसा तो गाॊवो भे अक्सय हो जामा कयता है ....इस ऩय ऩये गाॉव को अऩयाध
भे नाभजद थोड़े ही कयें गे."

अगरे ठदन तडक सुशीर की ऩत्नी ये खा अफ तक सरग यही अऩनी झोऩडी क ऩास ऩहुांची औय
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दहाड भाय कय पवराऩ कयने रगी....वो गााँव वारो से अऩने ऩनत की गरती ऩछने रगी..औय
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ऩूये ठदन ऩागरो की तयह फेसध गााँव भे घभती यही. ऩय गााँव वारो ने उस से दयी फनामीां
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यखी..क्मोफक वो सुशीर को अऩयाधी फता कय अऩनी गरती छऩाना चाहते थे..इस काभ भे
ु

सफसे आगे थे गााँव क सयऩांच जजनका भानना था की गााँव की बराई क सरए एक-दो रोग भय
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बी जाए तो क्मा आपत आ जामेगी. अऩने खुशहार जीवन भे अचानक आमे इस फदराव को
वो कसे सहन कय ऩाती? फाय-फाय उसने हय दयवाजे ऩय इांसाप भााँगा ऩय कोई दयवाजा नहीां
़ै
खरा....फकसी का ठदर नहीां ऩसीजा. ये खा को कहीां से इांसाप तो नहीां सभरा ऩय हााँ जल्द ही
ु
ऩागर होने का दजाध सभर गमा. गााँव वारे बी सशीर से जडी हय फात को दफा दे ना चाहते
ु
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थे.....औय ये खा उनक सरए आगे चरकय खतया फन सकती थी. ऩागरखाने की गाडी आई औय
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ऩागरखाने क कभधचायी उसे जफयदस्ती ऩकड कय रे गए. उस यात खफय आई की ऩागरखाने
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की गाडी का एक्सीडेंट हो गमा ह़ै औय वो खाई भे जा चगयी....फकसी क जजांदा फचने की उम्भीद
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नहीां थी....

उसी यात ये खा गााँव भे रौट आई औय अऩने घय की याख ऩय फ़ैि कय बमानक अट्हास कयने
रगी....आधी यात क फाद सफक दयवाजे खटका कय वो सफसे चीखती हुई कह यही थी.
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"उन्होंने भझे फचा शरमा....अफ वो तभ सफसे शभरना चाहते है ....फाहय आओ...दयवाजा
ु
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खोरो."

वो जजांदा थी....गााँवबय भे ससयहन सी दौड गमी.
अधध-चेतना औय अजीफ सी नशा कयने क फाद ज़ैसी हारत भे ये खा गााँव क फीचों-फीच आमी
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जहााँ अक्सय गााँव की चौऩार औय ऩांचामत रगा कयती थी. उसका अट्हास औय खुद से फातें
कयना ननयां तय जायी था....अचम्बे की फात मे थी की उसकी आवाज ऩये गााँव भे गाँज यही
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थी....अफ तक नीांद से उि चुक गााँव वारो को वो आवाज पवचसरत कय यही थी. गााँव क दो
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भशहूय ऩहरवान उसकी ऩये शान कय दे ने वारी हसी औय आवाजों को योकने क सरए उसक
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ऩास ऩहुाँचकय उसे ऩीटने रगे....ऩय उनक आश्चमध की सीभा ही टूट गमी जफ उनक भायने ऩय
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उसकी ध्वनन औय अट्हास औय तेज होते चरे गए....जफ उनभे से एक ऩहरवान ने ये खा ऩय

गस्से भे आकय डांडे से वाय फकमा तो ये खा का अट्हास रुका....ऩय उसकी आवाज अफ बायी औय
ु
भदाधना फन गमी थी....ये खा ने दोनों ऩहरवानों की गदध न ऩकड कय उनक ससयों को जभीन भे
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गाड ठदमा औय दोनों की गदधन ऩकडकय उन्हें जभीन भे घसीटती हुई दौडने रगी औय तफ तक
दौडती यही जफ तक उन ऩहरवानों क सय धयती क घषधण से गामफ नहीां हो गए. अऩने यक्ते
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यां जजत हाथो क साथ वो फपय गााँव क फीचों-फीच ऩहुांची. उसकी आवाज फपय से एक भठहरा
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ज़ैसी हो गमी. ऐसा रगा ज़ैसे वो अऩने ठदवांगत ऩनत से फात कय यही हो.

ये खा - "ऐ जी, सतनए ना....दे खखमे ककतनी दे य से हभ गाॉव वारो को आवाज रगा यहे है ...औय
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कोई दयवाजा ही नहीॊ खोरता."

ये खा क इतना कहने की दे य थी की ऩूये गााँव की झोऩडीमों औय ऩक्क घयो क खखडकी-दयवाजे
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उखड-उखड कय उस स्थान ऩय जभा होने रगे जहााँ ये खा खडी थी. गााँव वारे दहशत भे सभहों
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भे घय से फाहय आमे.....ये खा क हाव-बाव औय आवाज दोफाया फकसी आदभी ज़ैसी हो गमी.
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ये खा - "अऩनी तस्सरी कयना फॊद कयो आत्भाओ को कहीॊ आने-जाने से मे खखड़कीमाॊ,

दयवाजे....नहीॊ योक सकते. आज से इस गाॉव क ककसी घय भे कोई खखड़की मा दयवाजा नहीॊ
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होगा.....सुशीर की भौत का हहसाफ ऩये गाॉव को दे ना ऩड़ेगा....ऩये गाॉव ऩय आपत

टटे गी....ये खा अऩने भामक जा यही है ....औय मे इस गाॉव से जजॊदा तनकरने वारी आखयी
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इॊसान होगी....औय हाॉ कर से जान कय मा अनजाने भे कोई काभ ककसी क साथ भत
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कयना.....जैसे भैंने प्रकाश क साथ ककमा था."
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इतना कहकय ये खा फेहोश हो गमी औय उसका अचेत शयीय गााँव वारो क साभने से उडता हुआ
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उनकी आाँखों से ओझर हो गमा. सबी भे डय औय दहशत फर गमी....सयऩांच सुखयाभ की
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चचांताएाँ फढ़ गमी.

"योतेया.....वभाा....ऩाहटर....आओ औय फाकी 2-4 खारी फैठे हवाल्दायों को साथ रे रो."
"ऩय साहफ ऩोस्टभाटाभ की ड्मटी तो काॊस्टे फर वभाा औय ऩाहटर की रगी है ....हभ रोग वहाॊ
क्मा कयें गे?"

"नमी बती हुई है दोनों की....कह यहे है की डय रग यहा है ....महाॉ सफ थाने भे बी भखखमाॉ भाय
यहे है ....वहाॊ चरकय इन दोनों से तपयीह रें गे....आओ."

फाांधव औय झभेर गााँव का ऩुसरस थाना इांचाजध यभन तरवाय न्माम औय तफ्तीश कयने से

फचता था क्मोफक वो आयाभ से अऩनी सयकायी नौकयी चराना चाहता था. ऩोस्टभाटधभ स्थर

ऩय मे ऩसरस दर भस्ती क भड भे 2 नए ससऩाठहमों जीत वभाध औय प्रदीऩ ऩाठटर को हास्म का
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ऩात्र फना यहा था जजनक साभने सुशीर की राश का ऩोस्टभाटधभ हो यहा था औय वो दोनों उसे
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दे ख नहीां ऩा यहे थे क्मोफक उन्होंने ऩयसों ही इस थाने से अऩनी नौकयी शरू की थी.
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इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - काॊस्टे फर ऩाहटर....भै तम्हे आडाय दे ता हॉ की तभ उरटी कय रो...हा
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हा हा....

काांस्टे फर योतेया - सय जी, आऩने तो ऩाठटर को उरटी कयने को कहा था.....औय महााँ तो वभाध
उरटी कयने रगा....हा हा...फद्तभीजो, जो थानेदाय साहफ कहे ससप उतना ही कयो.....ऩाठटर
ध

तम्हे सय जी ने उरटी कयने को कहा था औय तम्हे चक्कय आ यहे ह़ै .....दे ख अफ सय जी तेयी 2
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ठदन की तनख्वा कटवा दें गे.....हा हा हा......

ऩोस्टभाटधभ कय यहा डॉक्टय ऩुसरस वारो क भजाक से पवचसरत हो यहा था.
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डॉक्टय - आऩ रोग कृऩा कयक चुऩ हो जाइए.....भै राश का ऩोस्टभाटाभ नहीॊ कय ऩा यहा हॉ.
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इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - अये डॉक्टय, हभ कौन सा महाॉ फाय डाॊस कय यहे है जो भुदाा डडस्टफा हो
जाएगा.

.......औय वातावयण फपय से ऩसरस ऩाटी क िहाको से गाँज उिा.
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डॉक्टय- मे....क्मा हो यहा है ....मे नहीॊ हो सकता.....इसका तो 70 प्रततशत शयीय जर चुका है
औय इसे Third, Fourth-Degree Burns आमे है ......तफ बी.....
डॉक्टय की फात ससऩाही योतेया ने फीच भे ही काट दी.
काॊस्टे फर योतेया - क्मा हो गमा डॉक्टय साहफ....दे ख रो कहीॊ डेड फॉडी को साइड भे कयक
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ऩाहटर ना रेट गमा हो.....

ऩय योतेया की फात ऩय डॉक्टय ने अजीफ सी हयकत की औय वो कभया छोड कय बाग गमा.
इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - अफ इसको क्मा हो गमा? ऩाहटर, वभाा, की फीभायी इसे रग गमी
क्मा?

काॊस्टे फर ऩाहटर - सय, म..महाॉ कछ गड़फड़ है .
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यभन तरवाय औय उसक ससऩाही राश क ऩास ऩहुांचे.
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काॊस्टे फर योतेया - सय...इसे तो भया हुआ सीर ककमा था हभने. डॉक्टय इसका शयीय कटा हुआ
छोड़ गमा है .....औय कपय बी इसक कटे -जरे शयीय भे हदर धड़क यहा है ....
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इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - फड़ी सख्त जान है ....वल्डा रयकॉडा फना गेया इसने तो....चर फेटा त
ऩहरे नहीॊ भाया तो तुझे हभ भाय दें गे....दे खो तो कभीने की साॉसे नोभार चर यही है .....शयीय
हहर यहा है .....

अचानक सुशीर का कटा औय अधजरा ठहरता हुआ शयीय उि फ़ैिा औय इांस्ऩेक्टय यभन की
तयप दे ख कय फोरने रगा.

"औय दे ख कभीने! भै तो फोरने बी रगा."
यभन तरवाय औय उसक सबी काांस्टे फरस थय-थय काांऩने रगे. ऩाठटर औय वभाध इस
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अप्रत्मासशत झटक से फेहोश हो गए. औय सुशीर क चरते-फपयते शयीय ने इांस्ऩेक्टय औय
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काांस्टे फर योतेया क साथ आमे हवाल्दायों को ऩकडा....औय उन्हें उनक ऩ़ैयो से ऩकड कय जभीन
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औय छत ऩय फदहवास हारत भे तेज-तेज भायने रगा. कछ ही ऺणों फाद उन दोनों क शयीय
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कचरे हुए से औय ननजीव हो गए. ऩय सुशीर क शयीय को अबी च़ैन कहााँ सभरा था.....
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"ड्मटी तो इन दो नए शसऩहहमों की रगी थी ऩय इनक साथ आकय तभने अऩनी भौत फरा री.
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भयने क फाद माद यखना कबी ककसी का साथ भत दे ना....जैसे भैंने प्रकाश का हदमा था. चर,
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इॊस्ऩेक्टय....दे ख भेया शयीय....दे ख भेयी जरी हुई अॊतडडमाॊ.....भै तुझे आडाय दे ता हॉ की त उरटी
कय.....कय ना....क्मा हुआ...हा हा हा हा....चक्कय आ यहे है? भझे उन रोगो ने
ु
जरामा....ऩीटा औय भाय डारा ऩय तने कछ नहीॊ ककमा.....ऩहरे आग भे भेया हाथ जरा.... "
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सुशीर ने इांस्ऩेक्टय यभन का हाथ ऩकडा औय यभन का हाथ अऩने आऩ जरी अवस्था भे आ
गमा औय वो ददध से तडऩने रगा.

"कपय भेया सय.....जैसे अफ तेया जरा....कपय उसक फाद भेयी आॉखों क साभने अॉधेया छा
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गमा...जैसे तेयी आॉखों क साभने छा यहा है ..."
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काांस्टे फर योतेया अफ तक हॉजस्ऩटर की फारकनी भे बाग यहा था.....औय उसका यास्ता योका
सुशीर ने.....

सुशीर - ऩोस्टभाटधभ भे फहुत भजा आता ह़ै ना....क्मों योतेया साहफ....ऩहरे चीया रगामा
जाता ह़ै .....

सशीर अऩने नाखन से आयऺी योतेया क शयीय भे चीया रगाता चरा गमा औय जड ऩय ददध से
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चीखता योतेया का शयीय फेजान होता चरा गमा.

इांस्ऩेक्टय यभन औय उसक साथी भाये गए. आयऺी वभाध औय आयऺी ऩाठटर.....होश भे आने क
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फाद बी सदभे क कायण कछ फताने की जस्थनत भे नहीां थे......सशीर की राश अऩनी जगह ऩय
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ऩडी थी.

फाांधव गााँव क ननकट हरयमारी से बया फडा ऩिाय इराका था. जहााँ गााँव की आभदनी का एक
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जरयमा भवेसशमों क झांड चयने औय वहीीँ जस्थत झीर ऩय अऩनी प्मास फझाने गए थे. ऩय उनभे
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से फहुत कभ ही रौट कय गााँव आमे...जफ कछ गााँव वारो ने अऩने घयो की छत ऩय चढ़कय
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दे खा तो ऩिाय ऩय ननयीह जानवयों की राशो से फने मे शब्द सरखे थे.
"बख औय प्मास तो कछ ही जानवयों को रगी थी. फाकी सफ फेचाये तो बेडचार भे उनक साथ
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आ गए....औय जो ककसी दसये क काभ भे उसका साथ दे गा वो भये गा....जैसे भै भया था प्रकाश
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का साथ दे ने ऩय."

फाांधव वाससमों का ध़ैमध टूटता जा यहा था ऩय वो कछ कय बी नहीां सकते थे. अफ उन्हें फस ऊऩय
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वारे का सहाया था.

"अरखतनयॊ जन.....जम फाफा बोरे नाथ....गाॉव वारो हभ है फाफा शीरनाथ औय इस गाॉव की
प्रेत फाधा हभे हभायी साधना से महाॉ खीॊच रामी है . महाॉ कछ घोय अऩशगुन क मोग फन यहे
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है ....ऩय हभ सफ दय कयें गे....औय हभायी शजक्त ऩय सॊदेह ना कयना क्मोकक हभ गाॉव क एक
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कोने से फोर यहे है वो सॊदेश ऩये गाॉव भे गॉज यहा है . आज उस दष्टात्भा क ऩवा तनवास क
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तनकट हभने साभहहक साधना का सॊकल्ऩ शरमा है जजसभे ज्मादा से ज्मादा गाॉव वासी आकय
उस दयात्भा को सदै व क शरए महाॉ से बगाने क प्रमास भे हभाया सहमोग कयें . फभ फभ
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बोरे!!!!!"

फाफा शीरनाथ की फात ही गााँव वारो को इस पवकट सभस्मा से ननऩटने का एकभात्र साधन

रगी औय इस वजह से फहुत से गााँव वारे साधना भे शासभर होने भत सुशीर क घय क ऩास
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फाफा द्वाया फनामे गए साधना स्थर ऩय एकत्र हुए.

फाफा शीरनाथ ने अऩनी आयाधना शरू की...उनका भांत्रोचाय फढ़ता जा यहा था औय धीये धीये
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गााँव वासी भांत्रो क प्रबाव से भदहोश होते जा यहे थे.
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"आ.......आह......!!!!!!!!!!!!!!"
तबी ददध से तडऩते कछ रोगो की इस आवाज ने सफको चौंका ठदमा....मे चीांखे अरग
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थी...ऐसी चीांखे फकसी ददध नाक भौत से ऩहरे ही सनने को सभरती ह़ै .
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सहभे रोगो ने आाँखें खोरी तो साभने का नजाया दे ख कय यौशनी से साभांजस्म फनाती उनकी
आाँखें दहशत से पटने को हो गमी. फाफा शीरनाथ की जगह सुशीर की आत्भा वहाां फ़ैिे कछ
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गााँव वारो को साधना स्थर ऩय फने फडे से हवन कड भे झोंक यही थी....
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सशीर - अये ! सफ है यान क्मों हो यहे है ? ऩहरे कबी साधना नहीॊ दे खी क्मा...अफ साधना भे
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भॊत्र होते है , ध्मान रगामा जाता है , हवन होता है ....औय हवन भे आहुततमाॉ दी जाती है .....इस
तयह....हा हा हा हा हाहा...औय बोरे फाफा ऩय सांदेह न कयना. हभ बत ही तो बोरे फाफा क
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गण होते ह़ै .

सशीर ने एक वद्ध क फार ऩकड कय उन्हें हवन कड भे डार ठदमा.
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सुशीर- आऩ रोग तो साथ भे ह़ै तो डयना कसा....ऩय भैंने ऩहरे फकतनी फाय सभझामा ह़ै की
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अगय फकसी का साथ दोगे तो भाये जाओगे....ज़ैसे भ़ै भया था अऩने दोस्त का साथ दे त...
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रोगो ने बागना चाहा ऩय उनका यास्ता आत्भाओ क अवयोध ने योक सरमा.
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सुशीर- मे बटकती रूहों की दीवाय है . अतप्त आत्भाएॊ...सेठ जी. धयती ऩय भनोयॊ जन का
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भौका इन्हें कभ ही शभरता है ....इसशरए भैंने इन सफको अऩना साथी फना शरमा.

ऩय फाांधव क ऩांडडत ऩांडडत जी अऩने साथ ऩपवत्र जर का ऩात्र रामे थे. उन्होंने उसका जर रूहों
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की दीवाय ऩय पका जजस से उस दीवाय की आत्भाएां तडऩी औय उसभे ऺखणक यास्ता फना जजस
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से ऩांडडत जी सभेत गााँव क कछ रोग बागे....वो सफ अबी कछ दय ही बागे होंगे की एक
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पवशारकाम फवांडय ने सफको खुद भे सभाां सरमा औय फपय से साधना स्थर ऩय रा ऩटका..
सबी इस आकजस्भक झटक से उफय ही यहे थे की उन्हें फपय से गस्से से पपकायती सशीर की
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आकृनत ठदखी.

"मे आऩने अच्छा नहीॊ ककमा ऩॊडडत जी...फहुत जरन होती है दष्ट आत्भाओ को ऩपवत्र जर
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से...ऐसे..."

सुशीर ने जभीन ऩय ऩडे ऩांडडत जी ऩय तेजाफ की कछ फूांदे डारी. औय ऩांडडत जी फुयी तयह
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तडऩ उिे .
"बफरकर ऐसी ही जरन जैसी अफ आऩको हो यही है ...रगता है तेजी से गगयने क कायण
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आऩक ऩैय टट गए है ....हाम ये , मे भझ अबागे से क्मा हो गमा....भै तो ऩाऩ का बागीदाय फन
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गमा....औय...औय आऩका ऩपवत्र जर का रोटा आऩ से दय वहाॊ ऩड़ा है ....शामद उसभे अबी
बी जर हो..."
फपय ऩांडडत जी ऩय रगाताय तेजाफ की फारयश होने रगी. ऩांडडत जी की हौरनाक चीांखे उफरने
रगी...उनका शयीय झुरसने, गरने रगा. ऩांडडत जी अऩने जीवन को फचाने की आखयी
उम्भीद ऩपवत्र जर क ऩात्र की तयप जभीन ऩय चगसटने रगे.
े

सशीर - "हाॉ, ऩॊडडत जी....आऩ कय सकते है ....भुझे आऩ ऩय ऩया पवश्वास है ...जोय रगाइमे
ु
ऩॊडडत जी..उठने की कोशशश कीजजमे..."
ऩय ऩांडडत जी का सांघषध जल्द ही उनकी जीवनरीरा क साथ सभाप्त हो गमा. फपय सुशीर ने
े
वहाां फाकी फचे कयाह यहे गााँव वारो ऩय बी यहभ नहीां फकमा औय उन्हें भाय डारा. सुशीर की
आत्भा ने ऩया गााँव ही रीर सरमा था. अफ कवर गााँव का सयऩांच सखयाभ औय उसका ऩरयवाय
े
ू
ु
फचा था जजसभे ससप उसका एकरौता फेटा पवक्राांत औय ऩत्रवधू मासभनी थी. सुखयाभ की
ध
ु
ऩत्नी फहुत ऩहरे ही चर फसी थी. सखयाभ की ऩत्रवधू मासभनी क गबध का नवाां भठहना था
े
ु
ु
औय उसे हरकी प्रसव ऩीडा हो यही थी....ऩय सुखयाभ नहीां चाहता था की मासभनी दसये गााँव क
े
ू
अस्ऩतार जाकय फच्चे को जन्भ दे ....क्मोफक इसभे फहुत खतया था....जफफक पवक्राांत अऩनी
ऩत्नी की ऩीडा दे ख नहीां ऩा यहा था.
"पऩता जी, भुझे माशभनी को अस्ऩतार रे जाना ही ऩड़ेगा."
मासभनी की चीखें औय घय भे तनाव फढ़ता जा यहा था. सुखयाभ का डय जामज था ऩय पवक्राांत
क सब्र का फााँध टूटने की कगाय ऩय था.
े
सुखयाभ- फेटा...माशभनी से ज्मादा ददा तो उसकी हारत दे ख कय भुझे हो यहा है . ऩय वो दरयॊदा
तभ दोनों क साथ शामद उस अजन्भे फच्चे को बी नहीॊ छोडेगा..
े
ु
पवक्राॊत - जो होगा वो हभाये हाथो भे नहीॊ है ऩय हभ जो कय सकते है वो तो हभे कयना चाहहए.
सुखयाभ - वो तुम्हे भाय दे गा, पवक्राॊत.
पवक्राॊत- भय तो माशभनी जामेगी अगय वो अस्ऩतार नहीॊ ऩहुॊची औय अगय भेयी ऩत्नी औय
सॊतान भय जामेंगे तो भेया जीना बी क्मा जीना होगा...पऩता जी, भै ताॊगा तैमाय कयता हॉ आऩ
घय की यखवारी कीजजमे. दे खना हभ रोग जल्दी ही शब सभाचाय रेकय रौंटें गे. आऩक ऩोते
े
ु
मा ऩोती क साथ.
े
सुखयाभ ने अऩने फेटे को सभझाने की राख कोसशश की ऩय आखखय भे भजफूय सखयाभ को ना
ु
चाहते हुए बी अऩने फेटे क ननणधम क आगे झुकना ऩडा...अऩने ऩरयवाय क फचने की सांबावना
े
े
े
कभ दे ख कय सखयाभ का भन बय आमा...अऩनी आाँखों भे आमे आाँसू भजश्कर से थाभकय
ु
ु
उसने पवक्राांत को आशीवाधद ठदमा...
सुखयाभ - ....जीता यह भेये फेटे...भेयी उम्र बी तझे रग जाए.
ु
पवक्राॊत - चरता हॉ, पऩता जी, जम याभ!
ताांगे क ऩगडांडी भे गामफ होने तक सुखयाभ उन्हें नतहायता यहा औय फपय दहाड भाय कय
े
जभीन ऩय ऩडा योने रगा...ज़ैसे वो भान चका था की अफ उसक अऩने कबी नहीां रौटें गे.
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ू
ताांगे क कछ दय जाने ऩय एक चोगाधायी रािी सरए वद्ध से व्मजक्त ने उन्हें योका....
े ु
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ृ
"योको....योको...फेटा भझे फचा रो...उस शैतान आत्भा से जजसने ऩया गाॉव रीर शरमा...."
ु
पवक्राॊत - फाफा, भुझे जाने दो भै फहुत ऩये शान हॉ.
"भै बी फहुत ऩये शान हॉ, फेटा. इतना सभझामा सफको की ककसी का साथ भत दो......भाये
जाओगे ऩय कोई भानता ही नहीॊ."
पवक्राांत सभझ चका था की मे सशीर की आत्भा ह़ै ....ऩय अफ तक दे य हो चकी थी. सशीर
ु
ु
ु
ु
चरते ताांगे भे ही फ़ैि गमा.
सुशीर- ताॊगा योक रेत...दे खो जल्दफाजी भे भेया चोगा ऩीछे छट गमा. ओह, बाबी की हारत
े
तो गचॊताजनक है . तुम्हे तो जल्द से जल्द अस्ऩतार ऩहुॊचना चाहहए...भै फता यहा था की
ककसी का साथ नहीॊ दे ना चाहहए आजकर की दतनमा भे...वनाा इॊसान को भयना ऩड़ता है .
ु
माशभनी - ...आह....हभ..को भाफ़ कय दो....हभे छोड़...दो.....
सुशीर- अये , बाबी आऩ रेटी यहहमे...ऐसी हारत भे सावधानी फहुत जरूयी है . आऩने भझे
ु
ऩहचाना नहीॊ, भै सुशीर..महीॊ गाॉव की सीभा ऩय भेयी झोऩडी है ...थी...
पवक्राॊत - हभने तुम्हाया क्मा बफगाडा है ?
सुशीर- ओपो!! घभ कपय कय वही फात...दे खो भै सभझाता हॉ...तुभ ताॊगा हाॊकते यहो....प्रसव
ऩीडा तो बाबी जी को हो यही थी, फच्चा तो उन्हें होना था...मानी काभ तो उनका था ऩय इसभे
तभ उनक साथ क्मों आ गए? अफ आ गए हो तो भुझे कोई तुभसे दश्भनी थोड़े ही है ....गचॊता
े
ु
ु
भत कयो बाबी अस्ऩतार जरूय ऩहुॉचेगी...आखखय सुयक्षऺत जन्भ हय जच्चा, फच्चा का
अगधकाय है . ऩय जो गरती हुई है उसका पर तो बुगतना ऩड़ेगा न फाफा....ह्म्मम्म्म्भ ्म्भ?
इतना कहते ही सशीर की रािी एक पयसे भे फदर गमी औय उसने पवक्राांत का एक ऩ़ैय काट
ु
ठदमा. पवक्राांत ददध से चीांख उिा...इधय मासभनी अऩने ऩनत को ददध भे दे ख कय दोहये ददध भे
चीत्काय भायने रगी....
सुशीर - क्मा फकवास है...कसे रोग है मे...ताॊगा हाथ से चरता है भैंने ऩैय काटा है ...उसभे बी
ै
आसभान सय ऩय उठा शरमा. ऩहरे ही सन रो तभ दोनों की सॊतान फड़ी शैतान होगी...जैसे
ु
ु
तभ दोनों क रऺण है ....कशरमग है बाई कशरमग!!
े
ु
ु
ु
फपय एक एक कयक सुशीर ताांगे को फकसी तयह चरा यहे पवक्राांत क अवमव काटता चरा गमा
े
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ससप एक हाथ औय एक आाँख को छोड कय.
ध
सुशीर - दे खो कसा ऩतत है मे...ऩत्नी ददा से भयी जा यही है उसऩय ताॊगा इतना धीभा....तेज
ै
चरा बैमा...ओह! तेये कान तो फच ही गए.
आखखयकाय पवक्राांत का ताांगा झभेर गााँव क अस्ऩतार क आगे रुका...औय तबी अधकटे
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शयीयवारे पवक्राांत क प्राण ऩखेरू उड गए. मासभनी बी ददध औय द्ख से फेहोश होचुकी थी.
े
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झभेर गााँव...प्रकाश का गााँव जो इस साये फवार की जड था. वो ऩुसरस से फचने क सरए अऩने
े
घय से बाग चुका था. उसे बगोडा अऩयाधी घोपषत फकमा जा चुका था. उसक घय भे ससप एक
े
ध
ऩत्नी थी वो दोनों ननसांतान थे. यात क अाँधेये भे वो अऩनी ऩत्नी क ऩास ऩहुांचा.
े
े
प्रकाश - दयवाजा खोर, चेतना!! भै प्रकाश...
प्रकाश चेतना को फताता ह़ै की उसने दसये याज्म क शहय पजाफाद भे नौकयी कय री ह़ै औय
े
़ै
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अफ वो वहीीँ अऩनी गहस्ती फसामेंगे. वो दोनों यात क अाँधेये भे अऩना कीभती साभान सभेट
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कय गााँव से ननकरते ह़ै . यास्ते भे उन्हें एक योते हुए नवजात की आवाज आती ह़ै . मे पवक्राांत
औय मासभनी का फच्चा था जजसका जन्भ अफ ताांगे भे ही हो गमा था. मासभनी बी अफ तक
भय चुकी थी औय सयकायी अस्ऩतार भे यात क वक़्त सन्नाटा ऩसया था. प्रकाश औय चेतना
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को जस्थनत सभझते दे य नहीां रगी की मे फच्चा अफ अनाथ ह़ै .....दोनों ने एक दसये की तयप
ू
दे खा औय शामद दोनों ने एकसाथ आाँखों भे ही फच्चे को अऩनाने का भन फनामा औय फच्चे को
ताांगे से उिाकय ननकर गए. दोनों जांगर भे तेजी से बाग यहे थे वो गााँव की सीभा जल्द से
जल्द ऩाय कय रेना चाहते थे. फच्चा चेतना क हाथो भे था कछ दय फाद ऩीछे से उसने फच्चा
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प्रकाश को थभा ठदमा. थोडी दे य फदहवास सा बागने क फाद..प्रकाश को कछ भहसस हुआ.
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प्रकाश - ओह! मे फच्चा तो भुझे काट यहा है , चेतना. आह...नहीॊ मे भझे काट नहीॊ यहा इसने
ु
भेयी गदान से भॉस नोच शरमा, मे भुझे खा यहा है...कोई बत..आदभखोय है .
मे....चेतना...चेतना..
प्रकाश भे ससयहन दौड गमी..क्मोफक चेतना ऩीछे नहीां थी औय उसका जवाफ उसका भॉस चफा
यहे फच्चे ने ठदमा. फच्चे की शक्र वीबत्स हो चकी थी. प्रकाश ने फकसी तयह उस फच्चे को खुद
ु
से अरग कय दय पका.
ू ें
"वो नहीॊ है ...उसको भैंने खा शरमा..औय भै खुद तम्हाये कधे से आ रगा था, भुझे उसने नहीॊ
ॊ
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थभामा था...प्रकाश."
प्रकाश - कौन है ...कौन है त?
"अऩने जजगयी माय की आवाज बी बर गमा."
प्रकाश - स..सुशीर!!!!!
ु
"सही ऩहचाना. आ भेये गरे रग जा..भेये दोस्त."
औय उडकय वो नवजात सशीर से चचऩट कय उसको खाने रगा.
ु
"मे फच्चा तो अऩनी भयती हुई भाॉ की कोख भे ही भय गमा था....वो तो इसको भेये काभ आना
था इसशरए...."
जफफक इधय अऩने घय क दयवाजे क सहाये सुखयाभ ने ऩूयी यात काट दी.....अगरे ठदन बी वो
े
े
वहीीँ ऩडा यहा. फपय यात भे उसका दयवाजा खटका.
सुखयाभ - पवक्राॊत...फेटा?

"तुम्हाया ऩूया गााँव औय ऩरयवाय तो फकसी न फकसी
का साथ दे ते हुए भय गमा. तभ अकरे जी कय क्मा
े
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कयोगे? डयो भत......आओ.....
....भयो भेये साथ!"

सभाप्त!

.......

-

भोठहत शभाध (ट्रें डी फाफा)/Mohit Sharma (Trendster)

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  • 2. फाांधव नाभक छोटे से गााँव भे आज दे य यात फहुत हरचर थी. यां जजश क चरते 2 ऩरयवायों की े हत्मा कयक ऩडोसी गााँव झभेर का ननवासी प्रकाश गााँव भे से बागने की फपयाक भे था ऩय भत े ृ ऩरयवायों क ऩडोससमों द्वाया शोय भचामे जाने ऩय धीये -धीये मे खफय गााँव क भुख्म बाग भे े े आग की तयह फर गमी. सबी गााँववारो भे प्रकाश की इस हयकत ऩय आक्रोश था. राठिमााँ ़ै औय रारटे न सरए ज़ैसे साये गााँववारे आज फाहय ननकर आमे थे. ऩय गााँव की फाहयी सीभा ऩय फनी कछ झोऩडडमों तक मे हरचर अबी नहीां ऩहुांची थी. जान फचाता हुआ प्रकाश वहाां तक ु ऩहुाँच चका था. ु "दयवाजा खोर....सुशीर..भै तेया दोस्त प्रकाश हॉ.." सुशीर दयवाजा खोरता है तो हाॊपता हुआ प्रकाश उसक घय भे आ घुसता है . े प्रकाश - त घय भे अकरा है , सशीर? े ु सुशीर - हाॉ, भेयी फीवी त्मौहाय ऩय अऩने भामक गमी है ..रेककन त इतना ऩये शान क्मों रग े यहा है ? सुशीर क सवार का उत्तय दे ने क फजामे प्रकाश ने उसक सय ऩय जोयदाय वाय फकमा जजस से े े े सुशीर फेहोश हो गमा. तबी प्रकाश क ऩीछे आते गााँववारे दयवाजा ऩीटने रगे....कछ रोगो ने े ु दय से प्रकाश को सशीर क घय भे घसते दे ख सरमा था. सशीर की झोऩडी क फाहय शोय-गर े े ु ु ु ु ू फढ़ता जा यहा था. गााँववारो ने आवाज रगामी. "सुशीर दयवाजा खोरो....." कापी दे य तक कोई जवाफ ना आने क फाद आक्रोशशत बीड़ से बड़क हुए स्वय आने रगे. े े "अये , सशीर तो प्रकाश का जजगयी दोस्त है ना.." ु "वो दयवाजा नहीॊ खोरेगा."
  • 3. "सशीर बी प्रकाश से शभर गमा रगता है .." ु "जजॊदा जरा डारो..उन दोनों को..महीॊ उन ऩापऩमों का अॊततभ सॊस्काय कय डारो." आक्रोसशत जनसभह की सोचने सभझने की ऺभता ऺीण हो जाती ह़ै ..आज ननदोष सशीर ू ु शामद इस आक्रोश की बें ट चढ़ने वारा था. प्रकाश की डय से नघग्गी फांध गमी थी.....फचने का यास्ता ढूाँढती उसकी आाँखों भे चभक आ गमी. दे खते ही दे खते बीड ने सशीर की झोऩडी जरा दी. प्रकाश सशीर क घय की पऩछरी खखडकी े ु ु को तोडकय सयऩट बागता हुआ ऩीछे जांगरो भे गुभ हो गमा. इधय झोऩडी क जरने से उिे धुएाँ े ने अचेत सुशीर की फेहोशी को तोडा....धुएाँ से बये फांध घय भे उसका दभ घुटने रगा... अधधचेतना की हारत भे वो दयवाजा ढूाँढने रगा....उसे दयवाजा तो सभरा ऩय तफ तक ऩये घय ू औय उसक शयीय भे आग रग चुकी थी. वो चचल्राता औय तडऩता हुआ दयवाजा खोर कय े फाहय की तयप बागा.......बीड भे से आवाजें आमी. "मही है हत्माया प्रकाश....भाय डारो इसे." फकसी ने उस जरती..तडऩती औय ददध से कयाहती आकृनत की ऩहचान जानने क फाये भे एक े ऺण नहीां सोचा..औय फाहय राठिमों-डांडो से उसे तफ तक ऩीटते यहे जफ तक वो फेजान नहीां हो गमी. गााँव वारो का ऩागरऩन अफ जाकय शाांत हुआ. तफ जाकय सयऩांच क रडक की नजय े े उस अधजरी राश क हाथ ऩय ऩडी जजस ऩय "ॐ" aur "सुशीर" सरखा हुआ था. मे फात बीड े भे परी औय फकसी को सभझते दे य ना रगी की मे प्रकाश नहीां सशीर ह़ै. कछ रोगो ने फाहय ़ै ु ु से सुशीर की सरगती झोऩडी का भआमना फकमा तो ऩता चरा की भौका दे ख कय प्रकाश ु ु बाग चुका था. गााँव वारो को अऩनी गरती का एहसास तो हुआ ऩय अफ दे य हो चुकी थी. खुद को फचाने क सरए उन्होंने ऩसरस क साभने मे कहानी फनाने का ननणधम सरमा की प्रकाश क े े े ु साथ सुशीर बी हत्माओ भे शासभर था औय उग्र बीड ने उसे भाय डारा....जफफक प्रकाश पयाय हो गमा. ऩुसरस इस घटना भे उम्भीद से जल्दी आ गमी औय कागजी कामधवाही, राश काऩांचनाभा औय थोडी ऩछ-ताछ कयक चरती फनी. सयऩांच ने स्थानीम ऩसरस थाने क े े ू ु इन्चाजध को अऩनी ऩये शानी फताई. तो उस स्टे शन अपसय ने उन्हें तसल्री दी.
  • 4. "अये , सयऩॊच जी....ऐसा तो गाॊवो भे अक्सय हो जामा कयता है ....इस ऩय ऩये गाॉव को अऩयाध भे नाभजद थोड़े ही कयें गे." अगरे ठदन तडक सुशीर की ऩत्नी ये खा अफ तक सरग यही अऩनी झोऩडी क ऩास ऩहुांची औय े े ु दहाड भाय कय पवराऩ कयने रगी....वो गााँव वारो से अऩने ऩनत की गरती ऩछने रगी..औय ू ऩूये ठदन ऩागरो की तयह फेसध गााँव भे घभती यही. ऩय गााँव वारो ने उस से दयी फनामीां ु ू ू यखी..क्मोफक वो सुशीर को अऩयाधी फता कय अऩनी गरती छऩाना चाहते थे..इस काभ भे ु सफसे आगे थे गााँव क सयऩांच जजनका भानना था की गााँव की बराई क सरए एक-दो रोग भय े े बी जाए तो क्मा आपत आ जामेगी. अऩने खुशहार जीवन भे अचानक आमे इस फदराव को वो कसे सहन कय ऩाती? फाय-फाय उसने हय दयवाजे ऩय इांसाप भााँगा ऩय कोई दयवाजा नहीां ़ै खरा....फकसी का ठदर नहीां ऩसीजा. ये खा को कहीां से इांसाप तो नहीां सभरा ऩय हााँ जल्द ही ु ऩागर होने का दजाध सभर गमा. गााँव वारे बी सशीर से जडी हय फात को दफा दे ना चाहते ु ु थे.....औय ये खा उनक सरए आगे चरकय खतया फन सकती थी. ऩागरखाने की गाडी आई औय े ऩागरखाने क कभधचायी उसे जफयदस्ती ऩकड कय रे गए. उस यात खफय आई की ऩागरखाने े की गाडी का एक्सीडेंट हो गमा ह़ै औय वो खाई भे जा चगयी....फकसी क जजांदा फचने की उम्भीद े नहीां थी.... उसी यात ये खा गााँव भे रौट आई औय अऩने घय की याख ऩय फ़ैि कय बमानक अट्हास कयने रगी....आधी यात क फाद सफक दयवाजे खटका कय वो सफसे चीखती हुई कह यही थी. े े "उन्होंने भझे फचा शरमा....अफ वो तभ सफसे शभरना चाहते है ....फाहय आओ...दयवाजा ु ु खोरो." वो जजांदा थी....गााँवबय भे ससयहन सी दौड गमी. अधध-चेतना औय अजीफ सी नशा कयने क फाद ज़ैसी हारत भे ये खा गााँव क फीचों-फीच आमी े े जहााँ अक्सय गााँव की चौऩार औय ऩांचामत रगा कयती थी. उसका अट्हास औय खुद से फातें कयना ननयां तय जायी था....अचम्बे की फात मे थी की उसकी आवाज ऩये गााँव भे गाँज यही ू ू थी....अफ तक नीांद से उि चुक गााँव वारो को वो आवाज पवचसरत कय यही थी. गााँव क दो े े
  • 5. भशहूय ऩहरवान उसकी ऩये शान कय दे ने वारी हसी औय आवाजों को योकने क सरए उसक े े ऩास ऩहुाँचकय उसे ऩीटने रगे....ऩय उनक आश्चमध की सीभा ही टूट गमी जफ उनक भायने ऩय े े उसकी ध्वनन औय अट्हास औय तेज होते चरे गए....जफ उनभे से एक ऩहरवान ने ये खा ऩय गस्से भे आकय डांडे से वाय फकमा तो ये खा का अट्हास रुका....ऩय उसकी आवाज अफ बायी औय ु भदाधना फन गमी थी....ये खा ने दोनों ऩहरवानों की गदध न ऩकड कय उनक ससयों को जभीन भे े गाड ठदमा औय दोनों की गदधन ऩकडकय उन्हें जभीन भे घसीटती हुई दौडने रगी औय तफ तक दौडती यही जफ तक उन ऩहरवानों क सय धयती क घषधण से गामफ नहीां हो गए. अऩने यक्ते े यां जजत हाथो क साथ वो फपय गााँव क फीचों-फीच ऩहुांची. उसकी आवाज फपय से एक भठहरा े े ज़ैसी हो गमी. ऐसा रगा ज़ैसे वो अऩने ठदवांगत ऩनत से फात कय यही हो. ये खा - "ऐ जी, सतनए ना....दे खखमे ककतनी दे य से हभ गाॉव वारो को आवाज रगा यहे है ...औय ु कोई दयवाजा ही नहीॊ खोरता." ये खा क इतना कहने की दे य थी की ऩूये गााँव की झोऩडीमों औय ऩक्क घयो क खखडकी-दयवाजे े े े उखड-उखड कय उस स्थान ऩय जभा होने रगे जहााँ ये खा खडी थी. गााँव वारे दहशत भे सभहों ू भे घय से फाहय आमे.....ये खा क हाव-बाव औय आवाज दोफाया फकसी आदभी ज़ैसी हो गमी. े ये खा - "अऩनी तस्सरी कयना फॊद कयो आत्भाओ को कहीॊ आने-जाने से मे खखड़कीमाॊ, दयवाजे....नहीॊ योक सकते. आज से इस गाॉव क ककसी घय भे कोई खखड़की मा दयवाजा नहीॊ े होगा.....सुशीर की भौत का हहसाफ ऩये गाॉव को दे ना ऩड़ेगा....ऩये गाॉव ऩय आपत टटे गी....ये खा अऩने भामक जा यही है ....औय मे इस गाॉव से जजॊदा तनकरने वारी आखयी े इॊसान होगी....औय हाॉ कर से जान कय मा अनजाने भे कोई काभ ककसी क साथ भत े कयना.....जैसे भैंने प्रकाश क साथ ककमा था." े इतना कहकय ये खा फेहोश हो गमी औय उसका अचेत शयीय गााँव वारो क साभने से उडता हुआ े उनकी आाँखों से ओझर हो गमा. सबी भे डय औय दहशत फर गमी....सयऩांच सुखयाभ की ़ै चचांताएाँ फढ़ गमी. "योतेया.....वभाा....ऩाहटर....आओ औय फाकी 2-4 खारी फैठे हवाल्दायों को साथ रे रो."
  • 6. "ऩय साहफ ऩोस्टभाटाभ की ड्मटी तो काॊस्टे फर वभाा औय ऩाहटर की रगी है ....हभ रोग वहाॊ क्मा कयें गे?" "नमी बती हुई है दोनों की....कह यहे है की डय रग यहा है ....महाॉ सफ थाने भे बी भखखमाॉ भाय यहे है ....वहाॊ चरकय इन दोनों से तपयीह रें गे....आओ." फाांधव औय झभेर गााँव का ऩुसरस थाना इांचाजध यभन तरवाय न्माम औय तफ्तीश कयने से फचता था क्मोफक वो आयाभ से अऩनी सयकायी नौकयी चराना चाहता था. ऩोस्टभाटधभ स्थर ऩय मे ऩसरस दर भस्ती क भड भे 2 नए ससऩाठहमों जीत वभाध औय प्रदीऩ ऩाठटर को हास्म का े ू ु ऩात्र फना यहा था जजनक साभने सुशीर की राश का ऩोस्टभाटधभ हो यहा था औय वो दोनों उसे े दे ख नहीां ऩा यहे थे क्मोफक उन्होंने ऩयसों ही इस थाने से अऩनी नौकयी शरू की थी. ु इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - काॊस्टे फर ऩाहटर....भै तम्हे आडाय दे ता हॉ की तभ उरटी कय रो...हा ु ु हा हा.... काांस्टे फर योतेया - सय जी, आऩने तो ऩाठटर को उरटी कयने को कहा था.....औय महााँ तो वभाध उरटी कयने रगा....हा हा...फद्तभीजो, जो थानेदाय साहफ कहे ससप उतना ही कयो.....ऩाठटर ध तम्हे सय जी ने उरटी कयने को कहा था औय तम्हे चक्कय आ यहे ह़ै .....दे ख अफ सय जी तेयी 2 ु ु ठदन की तनख्वा कटवा दें गे.....हा हा हा...... ऩोस्टभाटधभ कय यहा डॉक्टय ऩुसरस वारो क भजाक से पवचसरत हो यहा था. े डॉक्टय - आऩ रोग कृऩा कयक चुऩ हो जाइए.....भै राश का ऩोस्टभाटाभ नहीॊ कय ऩा यहा हॉ. े इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - अये डॉक्टय, हभ कौन सा महाॉ फाय डाॊस कय यहे है जो भुदाा डडस्टफा हो जाएगा. .......औय वातावयण फपय से ऩसरस ऩाटी क िहाको से गाँज उिा. े ु ू डॉक्टय- मे....क्मा हो यहा है ....मे नहीॊ हो सकता.....इसका तो 70 प्रततशत शयीय जर चुका है औय इसे Third, Fourth-Degree Burns आमे है ......तफ बी.....
  • 7. डॉक्टय की फात ससऩाही योतेया ने फीच भे ही काट दी. काॊस्टे फर योतेया - क्मा हो गमा डॉक्टय साहफ....दे ख रो कहीॊ डेड फॉडी को साइड भे कयक े ऩाहटर ना रेट गमा हो..... ऩय योतेया की फात ऩय डॉक्टय ने अजीफ सी हयकत की औय वो कभया छोड कय बाग गमा. इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - अफ इसको क्मा हो गमा? ऩाहटर, वभाा, की फीभायी इसे रग गमी क्मा? काॊस्टे फर ऩाहटर - सय, म..महाॉ कछ गड़फड़ है . ु यभन तरवाय औय उसक ससऩाही राश क ऩास ऩहुांचे. े े काॊस्टे फर योतेया - सय...इसे तो भया हुआ सीर ककमा था हभने. डॉक्टय इसका शयीय कटा हुआ छोड़ गमा है .....औय कपय बी इसक कटे -जरे शयीय भे हदर धड़क यहा है .... े इॊस्ऩेक्टय यभन तरवाय - फड़ी सख्त जान है ....वल्डा रयकॉडा फना गेया इसने तो....चर फेटा त ऩहरे नहीॊ भाया तो तुझे हभ भाय दें गे....दे खो तो कभीने की साॉसे नोभार चर यही है .....शयीय हहर यहा है ..... अचानक सुशीर का कटा औय अधजरा ठहरता हुआ शयीय उि फ़ैिा औय इांस्ऩेक्टय यभन की तयप दे ख कय फोरने रगा. "औय दे ख कभीने! भै तो फोरने बी रगा." यभन तरवाय औय उसक सबी काांस्टे फरस थय-थय काांऩने रगे. ऩाठटर औय वभाध इस े अप्रत्मासशत झटक से फेहोश हो गए. औय सुशीर क चरते-फपयते शयीय ने इांस्ऩेक्टय औय े े काांस्टे फर योतेया क साथ आमे हवाल्दायों को ऩकडा....औय उन्हें उनक ऩ़ैयो से ऩकड कय जभीन े े औय छत ऩय फदहवास हारत भे तेज-तेज भायने रगा. कछ ही ऺणों फाद उन दोनों क शयीय े ु कचरे हुए से औय ननजीव हो गए. ऩय सुशीर क शयीय को अबी च़ैन कहााँ सभरा था..... े ु
  • 8. "ड्मटी तो इन दो नए शसऩहहमों की रगी थी ऩय इनक साथ आकय तभने अऩनी भौत फरा री. े ु ु भयने क फाद माद यखना कबी ककसी का साथ भत दे ना....जैसे भैंने प्रकाश का हदमा था. चर, े इॊस्ऩेक्टय....दे ख भेया शयीय....दे ख भेयी जरी हुई अॊतडडमाॊ.....भै तुझे आडाय दे ता हॉ की त उरटी कय.....कय ना....क्मा हुआ...हा हा हा हा....चक्कय आ यहे है? भझे उन रोगो ने ु जरामा....ऩीटा औय भाय डारा ऩय तने कछ नहीॊ ककमा.....ऩहरे आग भे भेया हाथ जरा.... " ु सुशीर ने इांस्ऩेक्टय यभन का हाथ ऩकडा औय यभन का हाथ अऩने आऩ जरी अवस्था भे आ गमा औय वो ददध से तडऩने रगा. "कपय भेया सय.....जैसे अफ तेया जरा....कपय उसक फाद भेयी आॉखों क साभने अॉधेया छा े े गमा...जैसे तेयी आॉखों क साभने छा यहा है ..." े काांस्टे फर योतेया अफ तक हॉजस्ऩटर की फारकनी भे बाग यहा था.....औय उसका यास्ता योका सुशीर ने..... सुशीर - ऩोस्टभाटधभ भे फहुत भजा आता ह़ै ना....क्मों योतेया साहफ....ऩहरे चीया रगामा जाता ह़ै ..... सशीर अऩने नाखन से आयऺी योतेया क शयीय भे चीया रगाता चरा गमा औय जड ऩय ददध से े ु ू चीखता योतेया का शयीय फेजान होता चरा गमा. इांस्ऩेक्टय यभन औय उसक साथी भाये गए. आयऺी वभाध औय आयऺी ऩाठटर.....होश भे आने क े े फाद बी सदभे क कायण कछ फताने की जस्थनत भे नहीां थे......सशीर की राश अऩनी जगह ऩय े ु ु ऩडी थी. फाांधव गााँव क ननकट हरयमारी से बया फडा ऩिाय इराका था. जहााँ गााँव की आभदनी का एक े जरयमा भवेसशमों क झांड चयने औय वहीीँ जस्थत झीर ऩय अऩनी प्मास फझाने गए थे. ऩय उनभे े ु ु से फहुत कभ ही रौट कय गााँव आमे...जफ कछ गााँव वारो ने अऩने घयो की छत ऩय चढ़कय ु दे खा तो ऩिाय ऩय ननयीह जानवयों की राशो से फने मे शब्द सरखे थे.
  • 9. "बख औय प्मास तो कछ ही जानवयों को रगी थी. फाकी सफ फेचाये तो बेडचार भे उनक साथ े ु आ गए....औय जो ककसी दसये क काभ भे उसका साथ दे गा वो भये गा....जैसे भै भया था प्रकाश े का साथ दे ने ऩय." फाांधव वाससमों का ध़ैमध टूटता जा यहा था ऩय वो कछ कय बी नहीां सकते थे. अफ उन्हें फस ऊऩय ु वारे का सहाया था. "अरखतनयॊ जन.....जम फाफा बोरे नाथ....गाॉव वारो हभ है फाफा शीरनाथ औय इस गाॉव की प्रेत फाधा हभे हभायी साधना से महाॉ खीॊच रामी है . महाॉ कछ घोय अऩशगुन क मोग फन यहे े ु है ....ऩय हभ सफ दय कयें गे....औय हभायी शजक्त ऩय सॊदेह ना कयना क्मोकक हभ गाॉव क एक े कोने से फोर यहे है वो सॊदेश ऩये गाॉव भे गॉज यहा है . आज उस दष्टात्भा क ऩवा तनवास क े े ु तनकट हभने साभहहक साधना का सॊकल्ऩ शरमा है जजसभे ज्मादा से ज्मादा गाॉव वासी आकय उस दयात्भा को सदै व क शरए महाॉ से बगाने क प्रमास भे हभाया सहमोग कयें . फभ फभ े े ु बोरे!!!!!" फाफा शीरनाथ की फात ही गााँव वारो को इस पवकट सभस्मा से ननऩटने का एकभात्र साधन रगी औय इस वजह से फहुत से गााँव वारे साधना भे शासभर होने भत सुशीर क घय क ऩास े े ृ फाफा द्वाया फनामे गए साधना स्थर ऩय एकत्र हुए. फाफा शीरनाथ ने अऩनी आयाधना शरू की...उनका भांत्रोचाय फढ़ता जा यहा था औय धीये धीये ु गााँव वासी भांत्रो क प्रबाव से भदहोश होते जा यहे थे. े "आ.......आह......!!!!!!!!!!!!!!" तबी ददध से तडऩते कछ रोगो की इस आवाज ने सफको चौंका ठदमा....मे चीांखे अरग ु थी...ऐसी चीांखे फकसी ददध नाक भौत से ऩहरे ही सनने को सभरती ह़ै . ु सहभे रोगो ने आाँखें खोरी तो साभने का नजाया दे ख कय यौशनी से साभांजस्म फनाती उनकी आाँखें दहशत से पटने को हो गमी. फाफा शीरनाथ की जगह सुशीर की आत्भा वहाां फ़ैिे कछ ु गााँव वारो को साधना स्थर ऩय फने फडे से हवन कड भे झोंक यही थी.... ांु
  • 10. सशीर - अये ! सफ है यान क्मों हो यहे है ? ऩहरे कबी साधना नहीॊ दे खी क्मा...अफ साधना भे ु भॊत्र होते है , ध्मान रगामा जाता है , हवन होता है ....औय हवन भे आहुततमाॉ दी जाती है .....इस तयह....हा हा हा हा हाहा...औय बोरे फाफा ऩय सांदेह न कयना. हभ बत ही तो बोरे फाफा क े ू गण होते ह़ै . सशीर ने एक वद्ध क फार ऩकड कय उन्हें हवन कड भे डार ठदमा. ांु ु ृ े सुशीर- आऩ रोग तो साथ भे ह़ै तो डयना कसा....ऩय भैंने ऩहरे फकतनी फाय सभझामा ह़ै की ़ै अगय फकसी का साथ दोगे तो भाये जाओगे....ज़ैसे भ़ै भया था अऩने दोस्त का साथ दे त... े रोगो ने बागना चाहा ऩय उनका यास्ता आत्भाओ क अवयोध ने योक सरमा. े सुशीर- मे बटकती रूहों की दीवाय है . अतप्त आत्भाएॊ...सेठ जी. धयती ऩय भनोयॊ जन का ृ भौका इन्हें कभ ही शभरता है ....इसशरए भैंने इन सफको अऩना साथी फना शरमा. ऩय फाांधव क ऩांडडत ऩांडडत जी अऩने साथ ऩपवत्र जर का ऩात्र रामे थे. उन्होंने उसका जर रूहों े की दीवाय ऩय पका जजस से उस दीवाय की आत्भाएां तडऩी औय उसभे ऺखणक यास्ता फना जजस ें से ऩांडडत जी सभेत गााँव क कछ रोग बागे....वो सफ अबी कछ दय ही बागे होंगे की एक े ु ू ु पवशारकाम फवांडय ने सफको खुद भे सभाां सरमा औय फपय से साधना स्थर ऩय रा ऩटका.. सबी इस आकजस्भक झटक से उफय ही यहे थे की उन्हें फपय से गस्से से पपकायती सशीर की े ु ु ु आकृनत ठदखी. "मे आऩने अच्छा नहीॊ ककमा ऩॊडडत जी...फहुत जरन होती है दष्ट आत्भाओ को ऩपवत्र जर ु से...ऐसे..." सुशीर ने जभीन ऩय ऩडे ऩांडडत जी ऩय तेजाफ की कछ फूांदे डारी. औय ऩांडडत जी फुयी तयह ु तडऩ उिे .
  • 11. "बफरकर ऐसी ही जरन जैसी अफ आऩको हो यही है ...रगता है तेजी से गगयने क कायण े ु आऩक ऩैय टट गए है ....हाम ये , मे भझ अबागे से क्मा हो गमा....भै तो ऩाऩ का बागीदाय फन े ु गमा....औय...औय आऩका ऩपवत्र जर का रोटा आऩ से दय वहाॊ ऩड़ा है ....शामद उसभे अबी बी जर हो..." फपय ऩांडडत जी ऩय रगाताय तेजाफ की फारयश होने रगी. ऩांडडत जी की हौरनाक चीांखे उफरने रगी...उनका शयीय झुरसने, गरने रगा. ऩांडडत जी अऩने जीवन को फचाने की आखयी उम्भीद ऩपवत्र जर क ऩात्र की तयप जभीन ऩय चगसटने रगे. े सशीर - "हाॉ, ऩॊडडत जी....आऩ कय सकते है ....भुझे आऩ ऩय ऩया पवश्वास है ...जोय रगाइमे ु ऩॊडडत जी..उठने की कोशशश कीजजमे..." ऩय ऩांडडत जी का सांघषध जल्द ही उनकी जीवनरीरा क साथ सभाप्त हो गमा. फपय सुशीर ने े वहाां फाकी फचे कयाह यहे गााँव वारो ऩय बी यहभ नहीां फकमा औय उन्हें भाय डारा. सुशीर की आत्भा ने ऩया गााँव ही रीर सरमा था. अफ कवर गााँव का सयऩांच सखयाभ औय उसका ऩरयवाय े ू ु फचा था जजसभे ससप उसका एकरौता फेटा पवक्राांत औय ऩत्रवधू मासभनी थी. सुखयाभ की ध ु ऩत्नी फहुत ऩहरे ही चर फसी थी. सखयाभ की ऩत्रवधू मासभनी क गबध का नवाां भठहना था े ु ु औय उसे हरकी प्रसव ऩीडा हो यही थी....ऩय सुखयाभ नहीां चाहता था की मासभनी दसये गााँव क े ू अस्ऩतार जाकय फच्चे को जन्भ दे ....क्मोफक इसभे फहुत खतया था....जफफक पवक्राांत अऩनी ऩत्नी की ऩीडा दे ख नहीां ऩा यहा था. "पऩता जी, भुझे माशभनी को अस्ऩतार रे जाना ही ऩड़ेगा." मासभनी की चीखें औय घय भे तनाव फढ़ता जा यहा था. सुखयाभ का डय जामज था ऩय पवक्राांत क सब्र का फााँध टूटने की कगाय ऩय था. े
  • 12. सुखयाभ- फेटा...माशभनी से ज्मादा ददा तो उसकी हारत दे ख कय भुझे हो यहा है . ऩय वो दरयॊदा तभ दोनों क साथ शामद उस अजन्भे फच्चे को बी नहीॊ छोडेगा.. े ु पवक्राॊत - जो होगा वो हभाये हाथो भे नहीॊ है ऩय हभ जो कय सकते है वो तो हभे कयना चाहहए. सुखयाभ - वो तुम्हे भाय दे गा, पवक्राॊत. पवक्राॊत- भय तो माशभनी जामेगी अगय वो अस्ऩतार नहीॊ ऩहुॊची औय अगय भेयी ऩत्नी औय सॊतान भय जामेंगे तो भेया जीना बी क्मा जीना होगा...पऩता जी, भै ताॊगा तैमाय कयता हॉ आऩ घय की यखवारी कीजजमे. दे खना हभ रोग जल्दी ही शब सभाचाय रेकय रौंटें गे. आऩक ऩोते े ु मा ऩोती क साथ. े सुखयाभ ने अऩने फेटे को सभझाने की राख कोसशश की ऩय आखखय भे भजफूय सखयाभ को ना ु चाहते हुए बी अऩने फेटे क ननणधम क आगे झुकना ऩडा...अऩने ऩरयवाय क फचने की सांबावना े े े कभ दे ख कय सखयाभ का भन बय आमा...अऩनी आाँखों भे आमे आाँसू भजश्कर से थाभकय ु ु उसने पवक्राांत को आशीवाधद ठदमा... सुखयाभ - ....जीता यह भेये फेटे...भेयी उम्र बी तझे रग जाए. ु पवक्राॊत - चरता हॉ, पऩता जी, जम याभ! ताांगे क ऩगडांडी भे गामफ होने तक सुखयाभ उन्हें नतहायता यहा औय फपय दहाड भाय कय े जभीन ऩय ऩडा योने रगा...ज़ैसे वो भान चका था की अफ उसक अऩने कबी नहीां रौटें गे. े ू ताांगे क कछ दय जाने ऩय एक चोगाधायी रािी सरए वद्ध से व्मजक्त ने उन्हें योका.... े ु ू ृ "योको....योको...फेटा भझे फचा रो...उस शैतान आत्भा से जजसने ऩया गाॉव रीर शरमा...." ु
  • 13. पवक्राॊत - फाफा, भुझे जाने दो भै फहुत ऩये शान हॉ. "भै बी फहुत ऩये शान हॉ, फेटा. इतना सभझामा सफको की ककसी का साथ भत दो......भाये जाओगे ऩय कोई भानता ही नहीॊ." पवक्राांत सभझ चका था की मे सशीर की आत्भा ह़ै ....ऩय अफ तक दे य हो चकी थी. सशीर ु ु ु ु चरते ताांगे भे ही फ़ैि गमा. सुशीर- ताॊगा योक रेत...दे खो जल्दफाजी भे भेया चोगा ऩीछे छट गमा. ओह, बाबी की हारत े तो गचॊताजनक है . तुम्हे तो जल्द से जल्द अस्ऩतार ऩहुॊचना चाहहए...भै फता यहा था की ककसी का साथ नहीॊ दे ना चाहहए आजकर की दतनमा भे...वनाा इॊसान को भयना ऩड़ता है . ु माशभनी - ...आह....हभ..को भाफ़ कय दो....हभे छोड़...दो..... सुशीर- अये , बाबी आऩ रेटी यहहमे...ऐसी हारत भे सावधानी फहुत जरूयी है . आऩने भझे ु ऩहचाना नहीॊ, भै सुशीर..महीॊ गाॉव की सीभा ऩय भेयी झोऩडी है ...थी... पवक्राॊत - हभने तुम्हाया क्मा बफगाडा है ? सुशीर- ओपो!! घभ कपय कय वही फात...दे खो भै सभझाता हॉ...तुभ ताॊगा हाॊकते यहो....प्रसव ऩीडा तो बाबी जी को हो यही थी, फच्चा तो उन्हें होना था...मानी काभ तो उनका था ऩय इसभे तभ उनक साथ क्मों आ गए? अफ आ गए हो तो भुझे कोई तुभसे दश्भनी थोड़े ही है ....गचॊता े ु ु भत कयो बाबी अस्ऩतार जरूय ऩहुॉचेगी...आखखय सुयक्षऺत जन्भ हय जच्चा, फच्चा का अगधकाय है . ऩय जो गरती हुई है उसका पर तो बुगतना ऩड़ेगा न फाफा....ह्म्मम्म्म्भ ्म्भ?
  • 14. इतना कहते ही सशीर की रािी एक पयसे भे फदर गमी औय उसने पवक्राांत का एक ऩ़ैय काट ु ठदमा. पवक्राांत ददध से चीांख उिा...इधय मासभनी अऩने ऩनत को ददध भे दे ख कय दोहये ददध भे चीत्काय भायने रगी.... सुशीर - क्मा फकवास है...कसे रोग है मे...ताॊगा हाथ से चरता है भैंने ऩैय काटा है ...उसभे बी ै आसभान सय ऩय उठा शरमा. ऩहरे ही सन रो तभ दोनों की सॊतान फड़ी शैतान होगी...जैसे ु ु तभ दोनों क रऺण है ....कशरमग है बाई कशरमग!! े ु ु ु फपय एक एक कयक सुशीर ताांगे को फकसी तयह चरा यहे पवक्राांत क अवमव काटता चरा गमा े े ससप एक हाथ औय एक आाँख को छोड कय. ध सुशीर - दे खो कसा ऩतत है मे...ऩत्नी ददा से भयी जा यही है उसऩय ताॊगा इतना धीभा....तेज ै चरा बैमा...ओह! तेये कान तो फच ही गए. आखखयकाय पवक्राांत का ताांगा झभेर गााँव क अस्ऩतार क आगे रुका...औय तबी अधकटे े े शयीयवारे पवक्राांत क प्राण ऩखेरू उड गए. मासभनी बी ददध औय द्ख से फेहोश होचुकी थी. े ु झभेर गााँव...प्रकाश का गााँव जो इस साये फवार की जड था. वो ऩुसरस से फचने क सरए अऩने े घय से बाग चुका था. उसे बगोडा अऩयाधी घोपषत फकमा जा चुका था. उसक घय भे ससप एक े ध ऩत्नी थी वो दोनों ननसांतान थे. यात क अाँधेये भे वो अऩनी ऩत्नी क ऩास ऩहुांचा. े े प्रकाश - दयवाजा खोर, चेतना!! भै प्रकाश... प्रकाश चेतना को फताता ह़ै की उसने दसये याज्म क शहय पजाफाद भे नौकयी कय री ह़ै औय े ़ै ू अफ वो वहीीँ अऩनी गहस्ती फसामेंगे. वो दोनों यात क अाँधेये भे अऩना कीभती साभान सभेट े ृ कय गााँव से ननकरते ह़ै . यास्ते भे उन्हें एक योते हुए नवजात की आवाज आती ह़ै . मे पवक्राांत
  • 15. औय मासभनी का फच्चा था जजसका जन्भ अफ ताांगे भे ही हो गमा था. मासभनी बी अफ तक भय चुकी थी औय सयकायी अस्ऩतार भे यात क वक़्त सन्नाटा ऩसया था. प्रकाश औय चेतना े को जस्थनत सभझते दे य नहीां रगी की मे फच्चा अफ अनाथ ह़ै .....दोनों ने एक दसये की तयप ू दे खा औय शामद दोनों ने एकसाथ आाँखों भे ही फच्चे को अऩनाने का भन फनामा औय फच्चे को ताांगे से उिाकय ननकर गए. दोनों जांगर भे तेजी से बाग यहे थे वो गााँव की सीभा जल्द से जल्द ऩाय कय रेना चाहते थे. फच्चा चेतना क हाथो भे था कछ दय फाद ऩीछे से उसने फच्चा े ू ु प्रकाश को थभा ठदमा. थोडी दे य फदहवास सा बागने क फाद..प्रकाश को कछ भहसस हुआ. े ू ु प्रकाश - ओह! मे फच्चा तो भुझे काट यहा है , चेतना. आह...नहीॊ मे भझे काट नहीॊ यहा इसने ु भेयी गदान से भॉस नोच शरमा, मे भुझे खा यहा है...कोई बत..आदभखोय है . मे....चेतना...चेतना.. प्रकाश भे ससयहन दौड गमी..क्मोफक चेतना ऩीछे नहीां थी औय उसका जवाफ उसका भॉस चफा यहे फच्चे ने ठदमा. फच्चे की शक्र वीबत्स हो चकी थी. प्रकाश ने फकसी तयह उस फच्चे को खुद ु से अरग कय दय पका. ू ें "वो नहीॊ है ...उसको भैंने खा शरमा..औय भै खुद तम्हाये कधे से आ रगा था, भुझे उसने नहीॊ ॊ ु थभामा था...प्रकाश." प्रकाश - कौन है ...कौन है त? "अऩने जजगयी माय की आवाज बी बर गमा." प्रकाश - स..सुशीर!!!!! ु "सही ऩहचाना. आ भेये गरे रग जा..भेये दोस्त."
  • 16. औय उडकय वो नवजात सशीर से चचऩट कय उसको खाने रगा. ु "मे फच्चा तो अऩनी भयती हुई भाॉ की कोख भे ही भय गमा था....वो तो इसको भेये काभ आना था इसशरए...." जफफक इधय अऩने घय क दयवाजे क सहाये सुखयाभ ने ऩूयी यात काट दी.....अगरे ठदन बी वो े े वहीीँ ऩडा यहा. फपय यात भे उसका दयवाजा खटका. सुखयाभ - पवक्राॊत...फेटा? "तुम्हाया ऩूया गााँव औय ऩरयवाय तो फकसी न फकसी का साथ दे ते हुए भय गमा. तभ अकरे जी कय क्मा े ु कयोगे? डयो भत......आओ..... ....भयो भेये साथ!" सभाप्त! ....... - भोठहत शभाध (ट्रें डी फाफा)/Mohit Sharma (Trendster)