The Presentation is an outcome of the Research done on Akhand Jyoti's. It covers may truths and current facts related to Yug Parivartan, the declarations made by Gurudev, its timeline and the parallel work being done by other organizations and scientists. With proper references.
1. मग
ु
100 वषीम कलरमुग
सॊधधकार आयॊ ब
का
सॊसाय ऩय तीसये ववश्व
मुद्ध का ख़तया
प्राकृततक आऩदाएॉ
मुग सॊधध का भधमाॊतय
वतषभान सभम
बायत क उत्कषष का सभम
े
याजनैततक क्ाॊतत, आधथषक
क्ाॊतत का सभम
फौवद्धक क्ाॊतत, नैततक क्ाॊतत,
साभाप्जक क्ाॊतत का सभम
प्रवाह
अखण्ड-दीऩ का शताब्दी वषष
वॊदनीम भाताजी बगवती दे वी शभाष
जी की जन्भ शताब्दी
इस्रालभक धभष भोहम्भद साहहफ
जन्भ क 1500 वषष ऩूणष
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ऋवष अयववॊद जी क अततभानस क
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अवतयण की शताब्दी
सप्त-ऋवष लसद्धाॊत अनसाय,
ु
कलरमुग सभाप्प्त एवॊ फडे ऩरयवतषनो
का सभम
Defined Valued Org. अनुसाय,
कलरमुग सभाप्प्त एवॊ फडे ऩरयवतषनो
का सभम
भानवीम चेतना
की उन्नतत
कलरमुग सॊधध
कार सभाप्त
सतमुग सॊधध
कार शुबायॊ ब
2. यग क्या है ?
ु
सभम चक् क रूऩ भे हभाये चायों ओय घभता है |
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ू
जैसे हदन-यात, छ् ऋतु, 100 वषष की शताब्दी |
ऩथ्वी क अऩनी धुयी ऩय घूभने से हदन-यात का कार-चक्
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ृ
चरता है एवॊ समष क चायो ओय ऩरयक्भा कयने से ऋतुू े
चक् चरता है |
हभ अऩने जीवन ् कार भे इस सत्म को अनबव कयते
ु
यहते हैं औय मह प्रकृतत का साभान्म लसद्धाॊत है |
कार क इस चक् भे अनेक घटनाओॊ का जन्भ होता है |
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मह घटना सजन की बी होती है एवॊ धवॊस की बी |
ृ
हय अच्छी-फुयी घटना क ऩीछे सदा दो शप्ततमाॉ कामष
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कयती हैं :
प्रथभ: मानवीय पुरुषार्थ, दसयी: ईश्वरीय चेतना |
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3. युग क्या है ?
त्रेतायुग
सभम का मही चक् जफ हजायों
वषों भे चरता औय फदरा है तो
उसे मग कहते हैं, जैसे सतमग,
ु
ु
त्रेतामुग, द्वाऩयमुग, कलरमुग |
सतयुग
मग हजायों वषो की अवधध क होते हैं,
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ु
एवॊ इनकी गढ़ना क लरए ज्मोततषी,
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ऩयाताप्त्वक साक्ष्म एवॊ ऩौयाणणक ग्रॊथो
ु
का आधाय रेना ऩडता है |
लशलशय
वसन्त
हदन
यात
ऩतझड
वषाष
हे भन्त
मुगों भें होने वारे ऩरयवतषनों को युग-सॊधि कहते हैं
तथा इसभे बी दो शप्ततमाॉ मानवीय परुषार्थ एवॊ
ु
ईश्वरीय चेतना सभान रूऩ से बागीदाय होती है |
कलऱयुग
ग्रीष्भ
दाा्परयग
ु
4. युग का आिार - ज्योततष ा्
Sources : http://www.interfaith.org/forum/4-yugas-14-manus-brahmas-12971.html
समष अऩनी कऺा ऩय घभता हुआ, भेश यालश से शरू कय क 12 यालशमों भे घभता है | समष
े
ू
ू
ु
ू
ू
को एक डडग्री भे भ्रभण कयने भें 72 वषष का सभम रगता है , भतरफ सूमष को
360 डडग्री x 72 वषष = 25920 वषष का सभम रगता है 12 यालशमों भें घभने का एक
ू
चक् ऩूया कयने भें | अबी सूमष भीन यालश भे है औय फहुत जल्दी वो कब यालश भें जाने
ॊु
वारा है | मह मुग का एक चक् होता है |
5. यग का आिार - पौराणिक ग्रॊर्
ु
Greeks:
Hesiod, a Greek poet of the eighth century BCE. In his Works and Days (lines 109-21)
he describes the ages as a cycle of decline, from Golden to Silver, Bronze, and Iron.
Romans:
The Roman poet Ovid (1st century BC – 1st century AD) tells a similar myth of Four
Ages in Book 1.89–150 of the Metamorphoses.
Bibles
The personified giant image in the king's dream, was made up of metals of decreasing
worth, starting from the head to the toes. They represent the Golden Age through the
Silver, Bronze and Iron periods., Verses 31-35, Hebrew Bible , Daniel 2
The Six Ages of the World (Latin sex aetates mundi), also Seven Ages of the World
(Latin septem aetates mundi), is a Christian historical periodization first written about
by Saint Augustine circa 400 AD, in De catechizandis rudibus (On the catechizing of the
uninstructed), Chapter 22
Hindu :
the Vedic or ancient Hindu culture saw history as cyclical, composed of yugas with
alternating Dark and Golden Ages. The Kali yuga (Iron Age), Dwapara (Bronze Age),
Treta yuga (Silver Age) and Satya yuga (Golden Age) correspond to the four Greek ages.
6. यग का आिार - परातात्ववक साक्ष्य
ु
ु
Source : http://www.grahamhancock.com/forum/DMisraB6.php
दा्ऩयमुग भें कृष्ण नगयी द्वायका का साक्ष्म
त्रेतामुग भें श्रीयाभ-सेतु
का साक्ष्म
Source: http://krishna.org/nasa-images-discover-ancient-bridge-between-india-and-sri-lanka/
7. यग पररवतथन क आिारभत तथ्य
े
ु
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मुगसॊधध वह ववशेष सभम होता है , जफ एक मुग का अॊत होकय
एक नमे मुग की शरुआत होती है | ऩयॊ तु मह आकप्स्भक नहीॊ
ु
होता |
हदन से यात होने क क्भ भें प्राम्30 लभनट का सभम रगता है |
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इसी प्रकाय हजायों वषो क एक मुग को ऩूणष होने भें एवॊ नमा
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मग आयॊ ब होने भे कई सौ वषो का सभम रगता हैं | इस ववशेष
ु
सभम को युगसॊधि (Transition phase) कहा जाता है |
सभम चक् भे होने वारे प्रत्मेक छोटी-फडी, अच्छी-फयी
ु
घटनाओॊ क ऩीछे सदै व दो शप्ततमाॉ कामष कयती हैं:
े
प्रथभ- मानवीय परुषार्थ, दसयी- ईश्वरीय चेतना | उदाहयण
ु
ू
यात्रत्र क सभम भें वातावयण भे नकायात्भक उजाष ज़्मादा
े
होती है , अऩयाधधक वायदातें बी यात्रत्र क सभम भे सफसे
े
ज़्मादा होती है | ऐसे ही समोदम-समाषस्त क सभम ऩववत्र
े
ू
ू
उजाष अधधक होती है , इसलरए सॊधमावॊदन, प्राथषना इस
सभम ककमा जाता है |
8. युग पररवतथन क आिारभत तथ्य
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ू
वऩछरे वषों भे हुए मद्ध, ववबीवषकाओॊ क ऩीछे बी इसी प्रकाय
े
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की नकायात्भक शप्ततमाॉ, कलरमुगी शप्ततमों का हाथ था, जो
कक भनष्मों को बटका कय ववनाश कयवाती यहीॊ है | उदाहयण
ु
हहटरय ने अऩनी जीवनी भे लरखा है कक कोई अऻात शप्तत है
जो कक उसे स्वप्न मा अन्म भाधमभ से आकय तनदे लशत व
प्रेरयत कयती है | ज़्मादातय फडे काभ हहटरय ने इसी अऻात
शप्तत से तनदे लशत हो कय ककए हैं | हभ सबी जानते हैं, कक
दतनमा को मद्ध की अप्नन भे डारने भे इसकी ककतनी फडी
ु
ु
Ref: Hitler and his God – The Background to the Hitler phenomenon
बूलभका थी |
Ref: http://savitrieradevotees.blogspot.com/2013/07/adolf-hitler-sri-aurobindo-and-mo ther.html
Ref: http://letusreason.org/Nam 37.htm
मग ऩरयवतषन की भहान मग सॊधध भे मह ईश्वयीम एवॊ
ु
ु
कलरमुगी शप्ततमाॉ प्रफर रूऩ से सॊघषष कयती हैं एवॊ
भानवीम चेतना को आधाय फनाते हुए ववनाश एवॊ
सजन कयती हैं | इसभे प्रधान शप्तत सदा से भानवीम
ृ
ऩुरुषाथष हैं तमोकक उसभे ववऩयीत ऩरयप्स्थततमों को
उरट कय सजन कयने की ऺभता होती है जो कक फद्ध,
ु
ृ
भुहम्भद, मीश, भहावीय इत्माहद ने कयक हदखामा था |
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9. युग पररवतथन क आिारभत तथ्य
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ऩरयवतषन क ऩीछे सदा दो भख्म शप्ततमाॉ कामष कयती हैं:
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ु
प्रथभ- मानवीय पुरुषार्थ, दसयी- ईश्वरीय चेतना |
ू
मुग ऩरयवतषन जैसे भहान कामष बी अऩने आऩ नहीॊ होता अवऩतु
उच्चस्तयीम भनुष्मो एवॊ ईश्वयीम शप्तत द्वाया सॊचालरत होता
है |
सज न
ृ
ववनाश
ऻान-सॊस्कृतत
प्राकृततक आऩदा
सभवद्ध
ृ
भहाभायी
आववष्काय
मद्ध
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पररवतथन का महान समय
मानवीय
परुषार्थ
ु
ऩरयवतषन
ईश्वरीय
शत्क्त
ऩरयवतषन का भहान सभम ऐसे ऩहचाना जा सकता है
कक उस सभम सजन एवॊ धवॊस दोनों एक साथ होते हैं
ृ
। उदाहयण फच्चे क प्रसव क सभम भाॉ बीषण ऩीडा
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सहन कयती है एवॊ उसक उऩयान्त एक सुखद नए
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फच्चे का जन्भ होता है । वत्तषभान सभम भें बायत
भ्रष्टाचाय, अऩयाध, अनैततकता क दॊ श झेर यहा है ,
े
ऩयन्तु साथ ही साथ वह ववश्व भें मुवा शप्तत, ऻानप्रततबा का बॊडाय, आधथषक भहाशप्तत, सैन्म भहाशप्तत
क रूऩ भें स्थावऩत हुआ है । मह दशाषता है कक बायत
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मुग ऩरयवतषन की प्रकक्मा भें तेजी से ववकलसत हो यहा
है एवॊ जल्द ही ववश्व का भागषदशषन कयने की प्स्थतत
भें आ जामेगा |
10. कब है यह यगपररवतथन ? - पौराणिक प्रमाि
ु
'जफ चॊद्रभा औय समष ऩष्म नऺत्र औय ब्रहस्ऩतत एक यालश भे सभ होकय
ू
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आएॉगे तफ सतमुग होता है | '
मह ऩणष मोग सॊ० 2000 वी श्रवण अभावस्मा तदनसाय ‘1 अगस्त सॊ०
ू
ु
1943 ई०’ को आ चुका है |
- भागवत 12 | 2 | 24
अखण्ड ज्मोतत, भई ४१, ऩष्ठ ३०
ृ
प्रत्मेक शताब्दी की एक ततहाई 33 वषष 4 भास की होती है | दसयी ततहाई
ू
66 वषष 8 भास की हुई | सॊवत दो हजाय ववक्भाहदत्म की श्रावण अभावस्मा
को हहजायी सन 1363 क याज भहीने की 28 तायीख ऩडती है जो सॊवत दो
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हजाय भें कलरमुग सभाप्त होने क भत का सभथषन कयता है |
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मक़सम बख़ारी, मदीना
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अखण्ड ज्मोतत, जनवयी ४२, ऩष्ठ २४
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जफ 'सात सभम' व्मतीत हो जाएगा तो ऩयभात्भा कपय उनकी सधध
ु
रेगा औय इकट्ठे कयक उनक दे श भे फसा दे गा, कपय फहुत हदनो तक
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सख चैन का सभम आएगा | मह सात सभम कयीफ 1931 ई० भे
ु
सभाप्त हो गमा है |
- बाइबऱ
अखण्ड ज्मोतत, जनवयी ४२, ऩष्ठ ४२
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Sources: www.literature.awgp.org
11. कब है यह यगपररवतथन ? - पौराणिक प्रमाि
ु
अखण्ड ज्मोतत, जनवयी ४२, ऩष्ठ १९
ृ
12. कब है यह यगपररवतथन ? - पौराणिक प्रमाि
ु
क़राने-शरीफ और हदीस
ु
अखण्ड ज्मोतत, जनवयी ४२
13. कब है यह यगपररवतथन ? महापुरषो क कर्न
े
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अखॊड ज्मोतत, जनवयी ४२, ऩष्ठ १९
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14. कब है यग पररवतथन ? वैज्ञातनकों का कर्न
ु
http://www.grahamhancock.com/forum/DMisraB6.php
डा० लभश्रा द्वाया सप्तऋवष चक् लसद्धाॊत ऩय की गमी रयसचष अनुसाय 2025 C.E.
वह ऩावन हदवस हैं, जफ वतषभान कलरमग का सभम ऩणष होने जा यहा है एवॊ
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ू
दा्ऩय मुग का 300 वषीम सॊधध कार शरू होने जा यहा है प्जसकी ऩरयणतत
ु
चयणफद्ध रूऩ भें सतमुग भे हो जाएगी |
15. कब है यग पररवतथन ? वैज्ञातनकों का कर्न
ु
सय-कऱॊक एवॊ उसक प्रबाव का अधममन कयने वारे
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ू थ
वैऻातनक एवॊ साधक जानते हैं कक सूमष क मह करॊक मा
े
तूपान ऩथ्वी क जन-जीवन, वातावयण एवॊ गुरुत्वाकषषण
े
ृ
को ककतना प्रबाववत कयते हैं | 2011 एवॊ उसक फाद क
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होने वारे सूमष तूपान को रे कय होने वारी नासा की
चेतावनी हभ दे खते ही यहते हैं | समष धयती क जीवन का
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ू
भुख्म स्त्रोत्र है | सूमष भें होने वारे फदराव क कायण ऩथ्वी
े
ृ
ऩय ऩरयवतषन आना स्वाबाववक है | मह तथ्म बी एक फडे
ऩरयवतषन की तयप इशाया कयता है |
Ref: http://universalangelicview.wordpress.com/2013/04/27/how-solar-flaresare-affecting-humans/
माया सभ्यता क अनसाय बी 21 हदसॊफय 2012 भें हभायी आकाशगॊगा ने
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ब्रहभाॊड क एक उच्च ऊजाष क ऺेत्र भे प्रवेश कय लरमा है एवॊ अफ एक नमा
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सभम - स्वणष सभम की शरुआत होने जा यही है |
ु
Ref: http://hinduism.about.com/od/basics/a/goldenage.htm
Ref: http://www.december212012.com/articles/mayan/7.shtml
16. कब है युग पररवतथन ? वैज्ञातनकों का कर्न
एक अन्म "मुग ऩरयवतषन सॊगठन--Defined Values " क अनुसाय, 2025 मुग
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ऩरयवतषन क इततहास भे भुख्म सभम होगा, जफ कलरमुग का ऩूणष अॊत हो कय
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सतमुग का सभम आयॊ ब होगा | ऩरयवतषन का मह क्भ सुखद तो अवश्म है
ऩयॊ तु इसभे बायी उथर-ऩुथर बी अवश्म होगी जैसे प्राकृततक आऩदा, मुद्ध,
जन-धन हातन इत्माहद होना सॊबव है | मह सतमग अधमात्भ क उच्च आदशो
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ऩय फनेगा, अत् सम्ऩूणष ववश्व को ववचाय ऩरयवतषन एवॊ अधमाप्त्भक जीवन को
अऩनाना ना कवर आवश्मक अवऩतु अतनवामष होने जा यहा है | मह प्जतनी
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जल्दी हो जाए उतना अच्छा होगा तमोकक सभझदायी दयदलशषता भें है न कक
ू
ऩुयानी हठ-धलभषता भें |
http://hiteshchandel.blogspot.com/
17. कब है यग पररवतथन ? वैज्ञातनकों का कर्न
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ऩथ्वी का वातावयण फनाने भे ब्रहभाॊडीम
ृ
ऊजाष ववशेष रूऩ से प्जम्भेदाय है औय
यलशमन साइॊहटस्ट क अनसाय हभायी
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आकाशगॊगा एक उच्च ऊजाष क ऺेत्र भे
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प्रवेश कय यही है | उच्च चेतना की
ब्रहभाॊडीम ककयणें जफ ऩथ्वी ऩय आएॉगी,
ृ
तफ वह महाॉ क गुरुत्वाकषषण, ऩमाषवयण,
े
भौसभ, ववशेषकय चेतना ऺेत्र भे ववशेष
ऩरयवतषन राएगी | धयती ऩय उथर-ऩुथर
होगी, भानवीम चेतना अऩनी सॊकीणषता को
छोड उच्च भानवीम भूल्मों को अऩनाने
रगेगी | अॊधकाय का साम्राज्म हटे गा एवॊ
सत्मवादी-सज्जन-सच्चरयत्र ऩरुषों द्वाया
ु
एक नमे जभाने का शबायॊ ब होगा |
ु
http://indianinthemachine.wordpress.com/2010/01/30/russian-scientist-the-solar-system-is-movinginto-a-new-energy-%E2%80%9Czone%E2%80%9D-that-is-transforming-the-magnetic-fields-of-theplanets/
18. कसे होना है यग पररवतथन ?
ै
ु
इन सबी तथ्मों क आधाय ऩय मह भाना जा सकता है कक मग ऩरयवतषन होना है एवॊ वतषभान सभम मग
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सॊधध का ववशेष सभम है | ऩयॊ तु मह कसे होना है एक भहत्वऩूणष ववषम है | मह जानने क लरए हभें अबी
ै
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तक क हुए मग ऩरयवतषनों की रूऩ ये खा सभझनी होगी |
े
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त्रेतामुग क याभामण कार भें बी ऐसी ही प्स्थतत का उल्रेख
े
लभरता है जफ यावण क आतॊक से साधू-सज्जन रोग याभ
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क शयण भे गमे | याभ जो कक प्रततबावान-प्राणवान
े
भहाभानव थे, ईश्वय क अवतरयत अॊश थे, उन्होनें एक
े
मोजना फना कय यावण को हयामा एवॊ याभयाज्म स्थावऩत
ककमा | साधायण से यीछ-वानय की सेना फना कय यावण क
े
ददाांत दै त्मो से टतकय री औय उन्हें ऩयाप्जत कय हदमा |
ु
मह एक आश्चमष है एवॊ सत्म की शप्तत को लसद्ध कयता है |
ठीक इसी प्रकाय द्वाऩयमुग-भहाबायत भें बी कृष्ण ने कस, ऩूतना
ॊ
इत्माहद याऺसों को भायकय उनक आतॊक को सभाप्त ककमा, एवॊ
े
मोजना फद्ध यीतत से भहाबायत मुद्ध यच कय कौयवों क अन्माम का
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बी अॊत ककमा | कछ धगनती क ऩाॊडव जो कक सत्म क ऩऺ भे थे,
े
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ु
उन्होनें अऩने से कई गुना अधधक कौयवों से मुद्ध ककमा एवॊ ववजमी
हुए | याभामण मुग की तयह महाॉ बी कभ सॊख्मा क सत्म -ऩऺ क
े
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रोगों की ही ववजम हुई |
19. कसे होना है यग पररवतथन ?
ै
ु
हहॊद ू ऩौयाणणक ग्रॊथो भे 10 अवताय का उल्रेख है प्जसभे ईश्वयीम शप्तत ने भत्स्मा, कभाष, वयहा,
ु
नयलसम्हा, वाभन, ऩयशयाभ, याभ, कृष्ण, फरयाभ क भानवीम रूऩ भें अवतरयत हो कय शप्तत द्वाया
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अत्माचाय को नष्ट ककमा एवॊ भनष्मोंको प्रबाववत-प्रेरयत-लशक्षऺत कय उन्होनें सभ्म सभाज की यचना
ु
की | आज क सभम भे कल्की अवताय होने का एवॊ मुग ऩरयवतषन होने का उल्रेख बी लभरता है |
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अन्म धभो क ऩौयाणणक ग्रॊथो भे बी भान्मता अनुसाय इस प्रकाय क अनेक उल्रेख लभरते हैं |
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20. यगपररवतथन क उद्धघोषक : युगऋषष श्रीराम शमाथ आचायथ
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प्रत्मेक मुग क कहठन सभम भें ऩीडडत जन को हदशा दे ने
े
एवॊ सॊगहठत कय अनीतत से रोहा रेने एक हदव्म आत्भा
अवश्म आती है ।
आधुतनक सभम भें मुगऩरयवतषन का उद्घोष मुगऋवष
ऩॊडडत श्रीयाभ शभाष आचामष जी ने ककमा । 1940 भें
उन्होंने मुग ऩरयवतषन कक घोषणा कयने हे तु अधमाप्त्भक
ऩत्रत्रका अखॊड-ज्मोतत का प्रकाशन आयम्ब ककमा जो अबी
तक तनफाषध रूऩ से चर यहा है । उसी अखण्ड-ज्मोतत
अधमाप्त्भक ऩत्रत्रका क आधाय ऩय मह रेख फनामा गमा
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है । मगऋवष क फाये भें कछ भहत्वऩणष तथ्म :
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ु
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ु
❖ 15 वषष कक अल्ऩ आमु से गामत्री ऩयश्चयण का शबायॊ ब
ु
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। हहभारम वासी सद्गुरुदे व श्री सवेश्वयानॊद जी क
े
तनदे शन भें 24-24 राख क 24 गामत्री भहाऩयश्चयण
े
ु
सॊऩन्न ककमे, एवॊ गामत्री लसद्ध हो कय स्वमॊ गामत्री भम
हो गए ।
❖ हहभारम वासी दादागरुदे व श्री सवेश्वयानॊद जी क तनदे श
े
ु
से हहभारम क हदव्म-गुप्त ऺेत्र भें जा कय हदव्म
े
साधनाएॊ सॊऩन्न की एवॊ प्राचीन भहान ऋवषमों से बें ट
कय बायतीम सॊस्कृतत का हदव्म ऻान प्राप्त ककमा ।
21. युगपररवतथन क उद्धघोषक : युगऋषष श्रीराम शमाथ आचायथ
े
❖ गामत्री क भूर स्वरुऩ को आत्भसात कय, सम्ऩूणष ववश्व भें गामत्री साधना एवॊ बायतीम
े
सॊस्कृतत का प्रचाय ककमा । गामत्री साधना सम्फॊधधत सबी भ्राॊततमों को सभाप्त कय
सभाज क सबी वगों को गामत्री जऩने का एवॊ मऻ कयने का अधधकाय हदमा ।
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❖ बायत कक अधमाप्त्भक सॊस्कृतत क ऩनरुत्थान हे त, 4 वेदो, 108 उऩतनषदों, ब्राहभण
े ु ु
ु
आहद ग्रॊथो का बाष्म ककमा एवॊ सपर जीवन एवॊ सभ्म सभाज की यचना हे तु ववलबन्न
ववषमों ऩय 3200 ऩुस्तकों की यचना की ।
❖ गामत्री ऩरयवाय क रूऩ भें राखों व्मप्ततमों का अॊतयाष्रीम सॊगठन फनामा जो कक 80 दे शों
े
भें राखों सकक्म स्वमॊसेवको द्वाया व्मप्तत तनभाषण, ऩरयवाय तनभाषण एवॊ सभाज तनभाषण
क ववलबन्न कामष कय यहा है ।
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❖ बायतीम सभाज भें व्माप्त कयीततमों, अत्माचायों क णख़राफ़ व्माऩक अलबमान चरामा
े
ु
एवॊ भहहराओॊ की दशा सुधायने एवॊ उनको साभान अधधकाय हदराने हे तु ऩूये बायत भें
अलबमान चरामा ।
❖ बायत क स्वतॊत्रता सॊग्राभ भें बागीदायी की, कई फाय जेर गए, एवॊ बायतीम सयकाय
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द्वाया स्वतॊत्रतासेनानी सम्भान से प्रततप्ष्ठत ककमे गए ।
❖ ववचाय क्ाॊतत क जनक, ववश्व को वैऻातनक-अधमात्भवाद का सत्र दे ने एवॊ सभझाने वारे
े
ू
मुगऋवष ।
22. सॊसार को षवनाश से बचाने हे तु यगऋषष का तप
ु
1979 भे जफ अभेरयका द्वाया बेजा गमा स्काइ-रैफ धयती ऩय धगयने
वारा था, तो उस का बायतीम उऩभहाद्वीऩ भे धगयने की एवॊ अऩाय
जन-हातन की प्रफर सॊबावना थी | ऐसे सभम भे मग ऋवष आचामष जी
ु
ने साभूहहक गामत्री साधना द्वाया प्रचॊड अधमाप्त्भक ऊजाष से धयती
को फचा लरमा | स्काइ रैफ हहॊद भहासागय भे धगया एवॊ आश्चमषजनक
रूऩ से एक बी व्मप्तत नहीॊ भया |
स्काई ऱैब तो मर गया पर प्रेत अभी भी शेष है
I was concerned to learn that fragments of Skylab
may have landed in Australia. I am relieved to hear
your Government's preliminary assessment that no
injuries have resulted.
President Carter issued an apology to Australia:
मगऋवष श्रीयाभ शभाष आचामष , अखॊड
ु
ज्मोतत, लसतॊफय ७९, ऩष्ठ ४१
ृ
Ref:http://phys.org/news167327145.html
Ref: http://www.theatlantic.com/technology/archive/2011/09/the-strange-tale-of-theskylabs-fall-from-orbit/245332/
Ref: http://www.history.com/news/the-day-skylab-crashed-to-earth-facts-about-the-firstu-s-space-stations-re-entry
23. सॊसार को षवनाश से बचाने हे तु युगऋषष का तप
The Falling of ICARUS
In early 1967, MIT professor Paul Sandorff gave his class of graduate students a task: suppose that instead of
passing harmlessly by, Icarus was instead going to hit the Earth. The nearly mile wide chunk of rock would hit
the planet with the force of 500,000 megatons—far larger than any major earthquake or volcanic eruption, and
over thirty-three thousand times the size of the bomb that destroyed Hiroshima. At a minimum, it would kill
millions, flattening buildings and trees for a radius of hundreds of miles, and/or causing huge tidal waves that
would wipe out cities along thousands of miles coastline. The dust it kicked into the atmosphere could even lead
to a global winter that lasting years. Sandorff posed a simple challenge: You have fifteen months. How do you
stop Icarus?
http://www.thespacereview.com/article/175/1
मगऋवष श्रीयाभ शभाष आचामष, अखॊड ज्मोतत, फ़यवयी ६८, ऩष्ठ ३६
ु
ृ
24. सॊसार को षवनाश से बचाने हे तु युगऋषष का तप
Chance of nuclear war is greater than you think: Stanford engineer makes risk analysis
Professor Emeritus Martin Hellman began his work on the threat of nuclear destruction in the 1980s.
There was a high threat of possible nuclear war, that would result in to the destruction of at minimum one third of
entire earth.
http://phys.org/news167327145.html
मगऋवष श्रीयाभ शभाष आचामष, अखॊड ज्मोतत, जून ८४, ऩष्ठ १९
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25. युग पररवतथन क्यों और कसे ?
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मगऋवष आचामष जी ने 1958 भें मग ऩरयवतषन का स्ऩष्ट उदघोष ककमा एवॊ उसक ववस्तत
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रूऩ को सॊसाय क साभने यखा । अगरे ऩष्ठों ऩय हभ उसकी ववस्तत जानकायी दे खेंगे
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ऩहरा कायण है सूक्ष्म जगत की पररत्स्र्ततयाॉ : हभायी ऩथ्वी सूमष क चायों ओय चतकय
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रगा यही है औय हभाये सभेत अनेक सौयभॊडर ध्रव ताये क चायों ओय चतकय रगा यहे हैं
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। ध्रुव ताया बी ऐसे असॊख्म सौय भॊडरों को फाॊधे भहाध्रुव क चायों ओय चतकय रगा यहा
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है । इस प्रकक्मा भें हभायी ऩथ्वी अनेक अच्छी-फयी ब्रहभाॊडीम ऊजाष प्रवाहों क सॊऩक भें
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आती है । सूक्ष्भदशी फताते हैं कक, अगरे हदनों ऩथ्वी ऐसे फहुत ही उच्च ऊजाष क ऺेत्र
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भें प्रवेश कयने वारी है , प्जसका प्रबाव तनप्श्चत रूऩ से ऩथ्वी क वातावयण एवॊ भनुष्मों
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की चेतना ऩय ऩडेगा । रोग स्वाबाववक रूऩ से दप्श्चॊतन छोडेगें, सच्चरयत्रता अऩनामेंगे
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एवॊ प्रेभ-सौहादष से यहें गें ।
Russian Scientist : Earth is moving in to zone of higher energies
दसया भुख्म कायण है ईश्वरीय इच्छा : ईश्वय ने भनुष्मों को प्रकृतत का सवषश्रेष्ठ प्राणी
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फनामा एवॊ उसे अऩनी सप्ष्ट को प्रेभऩूवक चराने की शप्तत दी । ऩयन्तु हभ दे ख सकते
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हैं कक ककस प्रकाय आज भनष्म ही भनष्म का दश्भन फना फैठा है एवॊ स्वमॊ अऩने हाथों
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ऩथ्वी का ववनाश कयने ऩय तुरा है । चाहे नरोफर वालभषग हो मा अणु मुद्ध, सॊसाय भें
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व्माप्त अन्माम-अत्माचाय-भ्रष्टाचाय-शोषण का भख्म कायण भनष्म ही है । ऩयन्तु ईश्वय
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अऩने सॊसाय को इस प्रकाय नष्ट नहीॊ होने दे गा । चाहे दसावताय रे मा याभ-कृष्ण-फुद्ध
अवताय, जफ-जफ अनीतत फढ़ी है , तफ-तफ ईश्वयीम शप्तत “महाकाऱ” अवताय-प्रेयणा क
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रूऩ भें आती है औय असॊख्म भनष्मों को प्रेरयत, सॊगहठत कयक अनीतत को सभर उखाड
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पकती है । वत्तषभान सभम की बी मही भाॊग है , नहीॊ तो सॊसाय ज्मादा सभम हटक नहीॊ
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ऩामेगा औय ऩथ्वी ववस्पोट कय दे गी ।
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अखॊड ज्मोतत, भई ७२, ऩष्ठ २९
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कफ है मह मगऩरयवतषन ? भहाऩयषो क कथन
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26. यग पररवतथन का महान समय एवॊ उसकी रूपरे खा
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मुग
100 वषीम कलरमुग
सॊधधकार आयॊ ब
का
सॊसाय ऩय तीसये ववश्व
मद्ध का ख़तया
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प्राकृततक आऩदाएॉ
मुग सॊधध का भधमाॊतय
वतषभान सभम
बायत क उत्कषष का सभम
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याजनैततक क्ाॊतत, आधथषक
क्ाॊतत का सभम
फौवद्धक क्ाॊतत, नैततक क्ाॊतत,
साभाप्जक क्ाॊतत का सभम
प्रवाह
अखण्ड-दीऩ का शताब्दी वषष
वॊदनीम भाताजी बगवती दे वी शभाष
जी की जन्भ शताब्दी
इस्रालभक धभष भोहम्भद साहहफ जन्भ
क 1500 वषष ऩूणष
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ऋवष अयववॊद जी क अततभानस क
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अवतयण की शताब्दी
सप्त-ऋवष लसद्धाॊत अनुसाय, कलरमुग
सभाप्प्त एवॊ फडे ऩरयवतषनो का सभम
Defined Values Org. अनुसाय, कलरमुग
सभाप्प्त एवॊ फडे ऩरयवतषनो का सभम
भानवीम चेतना
की उन्नतत
कलरमग सॊधध
ु
कार सभाप्त
सतमग सॊधध कार
ु
शुबायॊ ब
प्रस्तत ये खा धचत्र से सभम क ऩैभाने ऩय आज की प्स्थतत स्ऩष्ट हो यही है | 1943 + 15 वषष का सभम
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ववश्व मुद्ध, भहाभायी, ववबीवषका का था | उसक फाद से आज तक रगाताय प्राकृततक आऩदाओॊ का
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बमावाह लसरलसरा चर यहा है , एवॊ गडना अनसाय मह 2043 तक अऩने चयभ ऩय यहे गा | सजन एवॊ
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धवॊस की यस्साकसी का अद्भत सभम है मह | महाॉ हभे धमान यखना चाहहएॊ कक मुग ऩरयवतषन जैसे
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भहान कामो की सभम गढ़ना भें 15-20 वषो की उरटपय होना साभान्म तनमभ है | तमोंकक हजायो
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वषो की गॊदगी साफ़ होनी है तो उस सभम भे 15-20 वषो की उरटपय होना ऩणत् सॊबव है , मह
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भानवीम ऩुरुषाथष एवॊ ऩरयप्स्थततमों ऩय तनबषय कयता है |
27. महाकाऱ और उसकी युग प्रवयावतथन प्रक्रिया
भहाबायत (3139 B.C.) क फाद से धगयती हुई भानवीमा चेतना
े
रगबग 500 B.C. भे अत्मॊत तनम्न स्तय ऩय ऩहुॉच गमी थी| 500
B.C.क उस सभम भे जफ सॊऩणष मयोवऩमन बबाग डाक एज भे था,
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मुद्ध-षड्मॊत्र, भहाभायी झेर यहा था | बायतवषष बी अनेक याजाओॊ
ओय साभाप्जक अव्मवस्थता से व्मधथत था, साभाप्जक सॊयचना
गण-ऻान ऩयक ना हो कय अॊधववश्वास ऩयक थी ओय ऩतन की ओय
ु
थी, ऐसे सभम भे बुद्ध एक भहाभानव क रूऩ भे अवतरयत हुए एवॊ
े
उन्होनें अऩने जीवन को तऩा कय धयती ऩय ऻान का समष उताय
ू
हदमा | उन्होनें करुणा, ऺभा, भैत्री जैसे हदव्म गुणों से भानवता को
ऩूणता प्रदान की| ओय लसफ़ फुद्ध ही तमों, ग्रीस भे हतमुलरस,
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भहावीय, कोनपलशमस जैसे अन्म अनेक भहाभानवों ने भनष्मता
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को सॊबार कय उसे हदव्म सॊस्कृतत का नमा ऻान हदमा, एक नमा
जीवन हदमा एवॊ धगयती हुई साभहहक भानवीम चेतना को सॊबार
ू
लरमा | मह एक प्रकाय का कलरमुग भे सतमुगी ऩरयवतषन था
प्जसभे ववनाश की ववबीवषका को हटा कय सजन को स्थावऩत ककमा
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गमा | मग ऩरयवतषन का मह प्रथभ चयण था प्जसभें अनेक उच्च
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कोहट क भहाभानवों ने ऻान- आधमात्भ-धभष-ववचाय की क्ाॊतत कय
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क फझते हुए भनष्मता क दीऩक को ऩन् यौशन कय हदमा |
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फुद्ध अवताय क 2500 वषो क फाद, ऩुन् त्रफगड यही ऩरयप्स्थततमों को सॊबारने हे तु,
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मगऩरयवतषन अऩने ऩणष अवताय क रूऩ भे प्रकट हो यहा है |
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28. महाकाऱ और उसकी युग प्रवयावतथन प्रक्रिया
प्रथभ चयण भे भहाकार एवॊ भहाकारी ने श्री रामकृष्ि
परमहॊ स(1836-1886) एवॊ माॉ शारदा दे वी (1853-1920) क रूऩ
े
भे अवताय लरमा एवॊ मग ऩरयवतषन की भख्म आधाय बलभ यखी
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| स्वामी षववेकानॊद जो कक श्री याभकृष्ण ऩयभहॊ स क अद्भत
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लशष्म थे, आऩने गुराभी क ववषभ सभम भे सभूचे ववश्व भे
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बायत क अधमाप्त्भक ववयासत एवॊ ऻान का रोहा भनवामा |
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आऩने स्वमॊ बायतवालसमों को उनकी भहान अधमाप्त्भक-साॊस्कृततक-ऻान की ववयासत से लभरवामा
| ऻान-ववचाय क्ाॊतत का श्रीगणेश ककमा | ठाकय ने अऩने भहान तऩ ऊजाष से सूक्ष्भ जगत को
ु
ऩरयष्कृत कय असुयता से रोहा लरमा एवॊ मुग ऩरयवतषन को भहान फर प्रदान ककमा |
दसये चयण भे ऋषष अरषवॊद(1872-1950) एवॊ श्रीमाॉ(1878ू
1973) का जीवन चरयत्र आता है | ऋवष अयववॊद एवॊ भहवषष
यभण ने अऩने भहान अधमाप्त्भक तऩ द्वाया बायत को
स्वतॊत्रता हदराई | सूक्ष्भ जगत का ऩरयशोधन कय ऐसे 30
भहान आत्भाओॊ को उन्होने बायत की धयती ऩय ऩैदा ककमा
प्जन्होनें अऩने जीवन-प्राण-रहू से बायत की भाटी को सीॊचा
औय बायत को आजादी हदराई | ऋवष अयववॊद ने अऩने तऩ
द्वाया 'अततभानस शप्तत' का तनभाषण ककमा जो कक स्वणष मग
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की आधाय शप्तत होगी |
मगऋवष श्रीयाभ शभाष आचामष, अखॊड ज्मोतत, जून 67, ऩष्ठ 17
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29. महाकाऱ और उसकी युग प्रवयावतथन प्रक्रिया
तीसये चयण भे भहाकार एवॊ भहाकारी ने 'पॊडित श्रीराम
शमाथ आचायथ जी (1911-1990)' एवॊ 'वॊदनीय माताजी
भगवती दे वी शमाथ जी(1926-1994)' क रूऩ भे अवताय
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लरमा | आचामष जी प्जनक अखण्ड ज्मोतत रेखों क आधाय
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ऩय मह ऩस्तक लरखी जा यही है , आऩने व्मवप्स्थत रूऩ से
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मुग ऩरयवतषन की इस ईश्वयीम मोजना 'युग तनमाथि
योजना' का उद्धघोष ककमा एवॊ अऩनी रेखनी द्वाया इसे
साभान्म-जन क लरए उऩरब्ध फना हदमा |
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अफ एक साभान्म व्मप्तत बी ईश्वय की इस भहान मोजना भे बागीदाय फन सकता है | आचामष जी
ने मुग ऩरयवतषन की प्रभुख शप्तत ववचाय शप्तत को फतामा एवॊ भनुष्म भे छाई हुई दफुवद्ध को ठीक
ु ष
कयने हे तु 3200 ऩस्तकों की यचना की, 4 वेद, ऩयाण, उऩतनषद् आहद ग्रॊथो का बाष्म कय साभान्म
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जनो क लरए उऩरब्ध कय हदमा | भानव भे छाई अनास्था-अवववेक को ठीक कयने हे तु गामत्री
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भहाशप्तत क 24-24 राख क 24 ऩुयशचयण सॊऩन्न ककए, गामत्री एवॊ मऻ से सॊफॊधधत सभस्त
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भ्राॊततमो को हटा कय साभान्म व्मप्तत-भहहराओ को गामत्री साधना कयने का अधधकाय हदमा |
बायतीम सॊस्कृतत क वैऻातनक ऩऺ को दतनमा क साभने यखा एवॊ अधमात्भ को नमी ऩरयबाषा दे ते
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हुए एवॊ उसे तक-सॊगत उऩमोगी फनाते हुए वैऻातनक-अधमात्भवाद की यचना की | सभाज भे परी
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ववषभताओ से जझने हे तु कयोडो रोगो का ऩारयवारयक सॊगठन गामत्री-ऩरयवाय स्थावऩत ककमा |
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अऩनी तऩ शप्तत द्वाया सूक्ष्भ जगत का ऩरयशोधन ककमा, तीसये ववश्व मुद्ध जैसी ववऩदाओॊ से ववश्व
को उफाया एवॊ '21वीॊ सदी उज्ज्वर बववष्म' का ऩणष आश्वासन हदमा |
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मगऋवष श्रीयाभ शभाष आचामष, अखॊड ज्मोतत, जन 67, ऩष्ठ 17
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30. महाकाऱ और उसकी युग प्रवयावतथन प्रक्रिया
चतथष चयण भे मह मोजना अऩने भहाकार-भहाकारी क ऩणष अवताय क साथ आयही है | मह शप्तत
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प्रज्ञा-अवतार क रूऩ भें ववश्व भें सम्भुख प्रकट हो यही है |
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❖ इस फाय मह अवताय एक भनष्मों भे ना हो कय, साभहहक रूऩ से अनेकों प्राणवान-प्रततबावान
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व्मप्ततमों भे होगा | प्जन-प्जन भनुष्मों भे मह प्रऻा आती जाएगी वह चरयत्र-ऻान-धचॊतनसॊवेदना की दृप्ष्ट से भहान होते चरे जाएॉगे |
❖ भहाकार की प्रऻा शप्तत एवॊ भहाकारी की भानवीम ऩरुषाथष शप्तत लभर कय सभचे ववश्व क
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अऻान-असत्म को जड सहहत उखाड पकगी |
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❖ मह आचामष जी की प्रऻा शप्तत, ऋवष अयववॊद जी की अततभानस शप्तत है प्जसक प्रकट होने का
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ठीक मही सभम है |
❖ बायतीम ऩौयाणणक ग्रॊथो क अनुसाय, श्री हयी ववष्णु क 10वें अवताय 'कल्की अवताय' क होने का
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बी ठीक मही सभम है | 'कल्की अवताय' अऩने ऻान की शप्तत द्वाया अऻातनमों से रोहा रें गे,
धूत-ऩाखॊडी रोगों को ऩयाप्जत कयें गे एवॊ नमे मुग की शरुआत कयें गे |
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❖ लसफ़ कछ रोगो क लरए नहीॊ अवऩतु सभस्त भानव जाती को इस मोजना भे बागीदाय फनने का
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ईश्वय का खुरा तनभॊत्रण है |
जो जडगा वो ईश्वरीय आशीवाथद, ऱोक-यश एवॊ बॊिन मुत्क्त का अधिकारी होगा |
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जो योजना मे बािा बनेगा उसका इऱाज महाकाऱ करें गे|
31. कसे होगा पररवतथन ?
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फडे काभ फडे व्मप्ततत्व ही कय सकते हैं । मुग ऩरयवतषन जैसे फडे काभ क लरमें बी फडी प्रततबा वारी
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उच्चस्तयीम व्मप्ततमों कक फडी सॊख्मा भें आवश्मकता है ।
ऩूवष कार कक सबी उच्चस्तयीम भहान आत्भाएॊ, प्जन्होंने अऩने ऩूवष जन्भों भें अऩने शौमष, फलरदान से
भनष्मता की सेवा कयी थी, अफ ऩन् एक साथ जन्भ रेंगी । मह भहान व्मप्तत होंगे :
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इससे बी अधधक अनेक उच्चस्तयीम आत्भाएॊ अऩने लरमें उऩमुतत घय ढूॊढ यही है व अवसय
लभरते ही प्रकट होंगी एवॊ नवसजन भें बाधगदाय होंगी ।
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जो बी बावनाशीर व्मप्तत, त्रफना ककसी जातत-वणष बेद-बाव क, मुग ऩरयवतनष भें बाधगदाय
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होना चाहे , वह "यग तनमाथि योजना" क अनसाय, ऋवषमों का अनशासन अऩनाकय, इस
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भहान ऩरयवतषन भें जड सकता है । अऩना जीवन धन्म कय क रोक-ऩयरोक साथषक कय
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सकता है ।
आऩ की ऩववत्रता-प्रततबा अनुसाय, भहाकार अऩनी हदव्म चेतना का अॊश आऩ को प्रदान
कयें गे, प्जससे आऩ अऩने आत्भ-स्वरुऩ भें जागत हो कय मुग ऩरयवतषन का भहान दातमत्व
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सॊबार सकोगे ।
32. आरॊ भ हो चुक्रक है , युग पररवतथन की िाॊतत
पररवतथन क ऱक्ष्य से क्रकया गया कोई भी तनस्वार्थ प्रयास 'यग पररवतथन' का ही कायथ है , एवॊ इसमें
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ईश्वरीय शत्क्त एवॊ ऋषष चेतना पिथ सहयोग करती हैं ।
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o बायत प्जसे भ्रष्टाचाय का प्रभुख कद्र भाना जाता हैं, जहाॉ क नागरयक भ्रष्ट नेताओॊ को
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चनते हैं एवॊ कपय उन्ही क द्वाया सताए जाते हैं, आज प्रभख याजनैततक ऩरयवतषन का
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शाऺी हो यहा है । अनेक प्रततबाशारी मुवा, जो कक तनस्वाथष बाव से याष्र सेवा कयना
चाहते हैं, आज याजनीतत भें प्रवेश कय चुक हैं एवॊ आश्चमषजनक रूऩ से सपर बी हो यहे
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हैं । ववशेषकय बायत की याजधानी हदल्री भें हो यहे साप्त्वक याजनैततक ऩरयवतषनों से हय
कोई है यान है ।
o हदल्री भें ही हुए 16 हदसॊफय ये ऩ काण्ड क णखराप जो जन आॊदोरन खडा हुआ, आधतनक
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बायत भें प्रथभ फाय दे खा गमा । राखों मुवाओॊ ने त्रफना ककसी स्वाथष क सडकों ऩय उतय
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कय मह जता हदमा कक उन्हें ऩरयवतषन चाहहमे ।
o अन्ना हजाये जी का जनरोकऩार त्रफर क लरमे ककमा गमा सत्माग्रह एवॊ उन्हें लभरा
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अऩाय जनसभथषन अववश्वसनीम था । सबी याजनैततक-सभाप्जक ऩाहटष माॉ है यान थी ।
ऩरयवतषन का उदघोष कयता मह आॊदोरन सपर यहा ।
o फदयीनाथ भें आमा प्राकृततक जरजरा एवॊ ऩूयी दतनमा भें आते बमानक तूफ़ान-प्राकृततक
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आऩदामें चीख-चीख कय मही फता यहे हैं कक अफ प्रकृतत का दोहन फॊद कयो । नहीॊ तो
बववष्म का नजाया अतत बमानक हो सकता है ।
o ववलबन्न दे शो भें हो यहे स्वतॊत्रता क सॊघषष , आतॊकवाद-भ्रष्टाचाय क णख़राफ़ फढ़ता जा
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यहा आभ आदभी का सॊघषष, आ यहे फडे ऩरयवतषन की तयप इशाया कयता है ।
33. कसा होगा आने वाऱा प्रज्ञा युग ?
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प्रदषण को भनष्म न सम्बार सकगा तो अन्तरयऺीम प्रवाह उसका ऩरयशोधन कय दें गे ।
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जनसॉख्मा प्जस तेजी से फढ़ यही है , उसकी दौड आधी यह जामेगी ।
ये धगस्तानों औय ऊसयों को उऩजाऊ फनामा जामेगा ।
नहदमों को इस प्रकाय फाॉध लरमा जामेगा कक सभुद्र तक ऩहुॉचने से ऩूवष ऩानी को लसॊचाई आहद
प्रमोजनों भें उऩमोग कय सक ।
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प्रजातॊत्र क नाभ ऩय चरने वारी धाॊधलरमाॊ कभ होंगी ।
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वोट उऩमुतत व्मप्तत ही दे सकगे । अपसयों क स्थान ऩय ऩॊचामतें शासन सॊबर रें गी औय
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जनसहमोग से ऐसे प्रमास चर ऩडेंगे प्जनक लरए अबी तक सयकाय ऩय तनबषय यहना ऩडता था ।
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नमा नेतत्व उबये गा ।
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भनीवषमों कक नमी त्रफयादयी का उदम होगा जो कक दे श, जाती, वगष आहद ऩय ववबाप्जत भनुष्म
सभुदाम को ववश्व नागरयक स्तय की भान्मता अऩनाने , ववश्व ऩरयवाय फनकय यहने क लरमें सहभत
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कयें गे । तफ ववग्रह नहीॊ, सबी ऩय सजन औय सहकाय सवाय होगा ।
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एक ववश्व, एक बाषा, एक शाषन फनेगा ।
इसक लरमें नव सजन उबये गा । नमे रोग नमे ऩरयवेश भें आगे आएॊगे, ऐसे रोग प्जनकी वऩछरे
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हदनों तक कोई चचाष ना थी, ऐसे तत्ऩयता से आ कय फागडोय सॊबर रें गें जैसे इसी क लरमें कही
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आसभान से आमे हो मा धयती पोड कय तनकरे हो ।
अगरे हदनों सॊसाय भें एक बी व्मप्तत अभीय न यह सकगा। ऩैसा फॉट जामेगा, ऩॉूजी ऩय सभाज का
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तनमॊत्रण होगा औय हभ सबी कवर तनवाषह भात्र क अथष साधन उऩरब्ध कय सकगे।
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अखॊड ज्मोतत, जन ८४, ऩष्ठ ८
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34. महाकाऱ की चेतावनी
➢ रोग तमा कहते औय तमा कयते हैं, इसकी धचन्ता ना कये ? अऩनी आत्भा का भागषदशषन रें ।
रोग अॉधेये भें बटकते हैं-बटकते यहें , हभ अऩने वववेक क प्रकाश का अवरम्फन कय स्वत् ही
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आगे फढ़ें गे।
➢ कौन ववयोध कयता है , कौन सभथषन, इसकी गणना कौन कये ? अऩनी अन्तयात्भा, अऩना साहस
अऩने साथ है । सत्म क लरए, धभष क लरए, न्माम क लरए हभ एकाकी आगे फढ़ें गे औय वही
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कयें गे, जो कयना अऩने जैसे सजग व्मप्तत क लरए उधचत औय उऩमुतत है ।
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➢ मग को फदरना है इसलरए अऩने दृप्ष्टकोण औय कक्माकराऩ का ऩरयवतषन साहस मा दस्साहस
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ऩूवक कयना ही होगा। इसक अततरयतत कोई भागष नहीॊ है ।
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➢ मह चेतावनी है कक अगरे ही हदनों भहाकार प्रततबाओॊ को व्मप्ततगत स्वाथष साधना भें जुते यहने
से भतत कया रेगा। कोई धन का भनभाना अऩव्मम न कय सकगा। ककसी की फवद्ध व्मप्ततगत
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तष्णा की ऩततष भें न रगी यहने ऩामेगी, ककसी का फर वासना की ऩॢत भें सॊरग्र न यहने हदमा
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जामेगा।
➢ नोट कयने वारे नोट कय रें , प्जसे हभ स्वेच्छा एवॊ सज्जनता से अनुदान क रूऩ भें भाॉग यहे हैं,
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महद वह रोगों से दे ते न फना, तो वह हदन दय नहीॊ जफकक हय कृऩण से इन दै वी ववबततमों को
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भहाकार रात भायकय उगरवा रेगा औय तफ फहुत दे य तक कसक-कयाह बया ददष सहना ऩडेगा।
आज वह त्माग, उदायता, आत्भसॊतोष औय ऐततहालसक मश क साथ ककमा जा सकने का अवसय
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है ।
➢ इन हदनों ऩन् भहाकार प्रततबाओॊ को मग-नेतत्व क लरए ऩकाय यहा है । समोग एवॊ सौबानम का
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अनुऩभ अवसय साभने है । वासना, तष्णा एवॊ अहॊ ता क कचक् को तोडकय जो मोद्धा-सजन सैतनक
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आगे फढ़ें गे, वे हदव्म अनुदानों क बागीदाय फनेंगे। जो उनसे धचऩक यहने का प्रमास कयें गे, वे दहयी
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हातन उठामेंगे। भहाकार उन कचक्ों को अऩने बीषण प्रहाय से तोडेगा, तफ उससे धचऩक यहने वारों
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ऩय तमा फीतेगी, सम्बवत् इसका अनुभान बी कोई रगा न ऩामे।
➢ अच्छा हो रोग वववेक की फात स्वीकाय कयें , बीषण ऩश्चाताऩ औय ऩीडा से फचें , अनुऩभ सौबानम,
सुमश क बागीदाय फनें।
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35. अवसर पहचानें, यग तनमाथि योजना मे भागीदार बनें
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भहाक्ाप्न्त क वतषभान दौय भें तमा हो यहा है ? तमा होने जा यहा है ? तमा फन यहा है ? तमा त्रफगड यहा है ? इसका
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ठीक तयह सही स्वरूऩ दे ख ऩाना सवषसाधायण क लरए सॊबव नहीॊ।
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दो ऩहरवान जफ अखाडे भें रडते हैं, तो दशषकों को ठीक तयह ऩता नहीॊ चर ऩाता कौन हाय यहा है औय कौन जीतने
जा यहा है , ऩय मह असभॊजस अधधक सभम नहीॊ यहता। वास्तववकता साभने आकय ही यहती है ।
वतषभान भें त्रफगाड होता अधधक दीखता है औय सधाय की गतत धीभी प्रतीत होती है , कपय बी प्रवाह की गतत को
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दे खते हुए मह कहा जा सकता है कक हभ ऩीछे नहीॊ हट यहे , आगे ही फढ़ यहे हैं। अनौधचत्म का सभाऩन औय
औधचत्म का अलबवधषन ही तनष्कषष का साय सॊऺेऩ है ।
बववष्म का एकदभ सतनप्श्चत तनधाषयण तो नहीॊ हो सकता तमोंकक भनुष्म अऩने बानम का तनभाषता आऩ है । वह
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उसे फना बी सकता है त्रफगाड बी। इतने ऩय बी अनुभान औय आॉकरन मही है कक मुग ऩरयवतषन सतनप्श्चत है ।
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मह भहाक्ाप्न्त की फेरा है , मग ऩरयवतषन की बी। अशब की हदशा से शब की ओय प्रमाण चर यहा है , प्रवाह फह
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यहा है ।
भहाक्ाप्न्त सदा सजन औय सॊतुरन क तनलभत्त उबयती हैं। ऩतन औय ऩयाबव की ववडॊफनाएॉ तो कसॊस्कायी
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वातावयण आए हदन यचता यहता है । ऩेड ऩय रगा हुआ पर नीचे की ओय धगयता है । ऩानी बी ढरान की ओय
फहकय तनचाई की ओय चरता जाता है ।
ककॊतु असॊतरन को सॊतरन भें फदरने क लरए जफ भहाक्ाप्न्तमाॉ उबयती हैं तो उसका प्रबाव ऩरयणाभ
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ऊधवषगभन उत्कषष, अभ्मुदम क रूऩ भें ही होता है ।
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स्वणष मग की स्थाऩना ईश्वय का सॊकल्ऩ है , धयती का बववष्म उन क हाथो भे है | आऩका
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बववष्म आऩक हाथो भे हैं | ईश्वय की मह मोजना भनुष्मता क उज्ज्वर बववष्म क लरए है |
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"यग तनमाथि योजना" भे बागीदाय फनना आत्भ कल्माण एवॊ रोक कल्माण की दृप्ष्ट से नप का
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सौदा है - चुनाव आऩ का है ?
36. ॐ सवे भवन्तु सणखन् सवे सन्तु तनरामया् । सवे भद्राणि पश्यन्तु मा कत्श्चद्ु्खभाग्भवेत ा् ।
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ॐ शात्न्त् शात्न्त् शात्न्त् ॥
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