आक के स्वास्थ्य लाभ: (http://spiritualworld.co.in)
आक को मदार और अकौआ भी कहते हैं| इसका पेड़ छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके पत्ते बरगद के पत्तों की तरह होते हैं| इसका फूल सफेद, छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके फलों में कपास होती है|
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आक को मदार और अकौआ भी कहते है| इसका पेड़
छोटा और छ्त्तेदार होता है| इसके पत्ते बरगद के पत्तो
की तरह होते है| इसका फू ल सफे द, छोटा और छ्त्तेदार
होता है| इसके फलो मे कपास होती है| आक की
शाखाओ से दूध िनिकलता है| यदिद आक के पीले पत्तो पर
घी लगाकर सेककर इसका अकर कानि मे डाला जाए तो
आधा सीसी का ददर जाता रहता है| आक दांतो की पीड़ा,
आधा सीसी के ददर, बहरेपनि तथा कानि के ददर आिद की
बेजोड़ दवा है|
आक के कोमल पत्ते मीठे तेल मे जलाकर अंडकोश पर
बांधनिे से उसकी सूजनि दूर होती है| कड़वे तेल मे इसके
पत्तो को पकाकर लगानिे से घाव ठीक हो जाता है| दमा
रोग के िलए आक का पत्ता बहुत लाभकारी है|
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इसके िलिए आक के पत्ते पर कत्था-चूना लिगाकर पान की
तरह खाना चािहए| सूजन दूर करने के िलिए आक का
हरा पत्ता पीसकर लिेप िकया जाता है| आक का दूध
िनकालिकर उसका फाहा मुंह पर लिगाने से लिकवा दूर
होता है| इसके अन्य िचिकत्सीय उपयोग िनम्नलिलििखत है
-
खांसी - आक की जड़ का चूण र 2 ग्राम, पुराना गुड़ 5
ग्राम तथा कालिीिमचर 3 दाने - सबको पीसकर चने के
बराबर गोिलियां बना लिे| प्रतितिदन दो गोलिी गरम पानी
के साथ लिेने से कफ की खांसी ठीक हो जाती है|
फोड़ा-फुं सी - आक की जड़ को पीसकर पानी मे
िमलिाकर फोड़े-फुं सी पर लिेप लिगाने से वे ठीक हो जाते
है|
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प्रतदर रोग - िजन िस्त्रियो को प्रतदर रोग हो, उन्हे आक
की जड़ का चूण र दो माशे की मात्रा मे दही के साथ खाना
चािहए|
नासूर - आक की जड़ की राख तथा पीपलि की छालि का
भस्म नासूर पर लिगाने से वह बहुत जल्दी ठीक हो जाता
है|
शास रोग - आक की जड़ का चूण र दो रत्ती की मात्रा मे
गुड़ के साथ सेवन करने से शास रोग ठीक हो जाता है|
सूजन - आक की जड़ का चूण र दो माशा तक खाने से
शरीर पर होने वालिी सूजन जाती रहती है|
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पमेह - आक की जड़ 5 ग्राम, असगंध 5 ग्राम तथा बीज
बंद 6 ग्राम - सबका चूर्ण र बनाकर गुलाबजल मे खरल
कर ले| इसमे से एक माशा चूर्ण र शहद के साथ सेवन
करने से पमेह रोग जल्दी ठीक हो जाता है|
दमा व पलीहा रोग - आक के थोड़े से पत्तो और 10
ग्राम सेधा नमक को कूर्टकर एक छोटी हांडी मे रख मुंह
बंद कर दे| िफिर इस हांडी को उपलो की आग मे दबा दे|
कुछ देर बाद हांडी िनकालकर ठंडी करे| अब इसका चूर्ण र
एक शीशी मे भरकर रख ले| पितिदन सुबह-शाम एक
माशा चूर्ण र शहद या पानी के साथ सेवन करने से खांसी,
दमा और पलीहा रोग ठीक हो जाता है|
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बवासीर - आक के पत्ते और डंठल को आधा लीटर
पानी मे िभगो दे| िफिर इस पानी से गुदा को अच्छी तरह
धोएं| बवासीर का रोग चला जाएगा|
िसर ददर - आक का सूर्खा डंठल एक तरफि से जलाएं
और दूर्सरी तरफि से उसका धुआं नाक द्वारा खींचे| हर
पकार का िसर ददर भाग जाएगा|
कु त्ते का काटा - आक के थोड़े-से दूर्ध मे तीन-चार
कालीिमचर का चूर्ण र िमलाएं| नौ िदनो तक एक माशा
दवा लेने से कुत्ते काटे का िवष शान्त होता है|
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दु:खती आंख - आक का दूध दाएं तथा बाएं पैर के
अंगूठो पर लगाने से दुःखती हुई आंखे ठीक हो जाती है|
बरै का डंक मारना - बरै के काटने पर आक का दूध
लगाने से उसका िविष शान्त हो जाता है|
बाल उड़ना - यदिद िसर, हाथ और पैरो आिद के बाल
उड़ गए हो यदा बाल खोरा हो गयदा हो तो विहां पर आक
का दूध मलने से बाल उग आते है|
िमरगी रोग - आक का दूध िमरगी के रोगी के दोनो
तलविो पर लगभग एक माह तक मलने से यदह रोग
हमेशा के िलए चला जाता है|
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नहरआ रोग - नहरआ रोग गांविो मे होता है| इसमे
पैर के तलविो पर एक कीड़ा िचपक जाता है िजस कारण
असहनीयद पीड़ा होती है| तलविो को नीचे रखना किठन
हो जाता है| इसके उपचार के िलए घी मे आक का दूध
िमलाकर तलविो पर लगाना चािहए|
उं गली का सड़ना- यदिद उंगिलयदो मे खुजली, खाज यदा
चोट लग जाने के कारण सड़न पैदा हो जाए तो ितली के
तेल मे आक का दूध िमलाकर लगाएं| सड़न दूर हो
जाएगी| साथ ही खुजली, खाज और चोट भी ठीक हो
जाएगी|