Patients with dementia (Alzheimer's or other types of dementia) find it difficult to understand things and face problems doing "activities of daily living." Family members can help them by changing the way they talk to the patients, and the way they help them. This Hindi presentation shows how family members change their way of helping a dementia patient after understanding the problems the patient is facing. डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से ग्रस्त व्यक्ति और दैनिक कार्यों में सहायता: एक उदाहरण
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Dementia Care Notes, India, a website for dementia and caregiving, can be seen here: http://dementiacarenotes.in
डिमेंशिया और देखभाल पर विस्तृत हिंदी वेबसाईट देखें: http://dementiahindi.com , इस विषय पर चर्चा देखें: http://dementiahindi.com/caregivers/toolkit/adl/
2. डिमेंशिया के मरीज़ अतसर हमारी बात को समझ िहीिं पाते, और जब हम
उिकी मदद करिे की कोशिि करते हैं, तब वे घबरा जाते हैं या उत्तेक्जत हो
जाते हैं.
िुभा(बेटी) अम्मा
रमेि (दामाद)
प्रस्तुत उदाहरण में अम्मा को डिमेंशिया है, और पररवार के
सदस्य इस सच्चाई को जाििे के बाद, अम्मा की सहायता के
शिए उचचत तरीकों को अपिाते हैं.
3. सुबह के आठ बज चुके हैं, पर अभी तक अम्मा िाश्ते के शिए िहीिं
आयी हैं. िुभा जब उिके कमरे में जाती है, तो देखती है कक अम्मा
बबस्तर पर बैठी खखड़की से बाहर ताक रही हैं.
अरे अम्मा, आप अभी तक िहािे भी िहीिं गयीिं! चशिए, उहठए, जल्दी से
िहा िीक्जए. िाश्ता ठिंिा हो जाएगा. रुक्तमणी को उसके बाद बतति भी साफ
करिे हैं. मुझे और रमेि को 8:30 तक ऑकफस के शिए निकि जािा है.
आठ बज चुके हैं. जल्दी कररये!
निदाि (िॉयग्िोशसस) से पहिे
4. परन्तु पन्रह शमिट बाद भी, अम्मा बबस्तर पर ही
बैठी हैं. िुभा घबरािे िगती है.
अम्मा, तया बात है, आप उठती तयों िहीिं? मुझे आज देर िहीिं होिी चाहहए. आज
मेरी एक बहुत जरूरी मीहटिंग है. जापाि से कु छ खास िोग आ रहे हैं. अब चशिए भी,
उठ जाइए. तया तबीयत ठीक िहीिं है? िहा कर िाश्ता कर िीक्जए. प्िीज़? प्िीज़?
तया मैं िाश्ते की प्िेट यहीिं िे आऊिं ?
5. जब अम्मा िहीिं उठती हैं, तो िुभा उिका ध्याि पािे के
शिए उिका किं धा पकड़ती है.
अम्मा गुस्से से पिटती हैं, और िुभा
को घूर कर देखिे िगती हैं.
6. िुभा आखिरकार अम्मा को जबरदस्ती िहािे के शिए िे
जाती है. अम्मा िाश्ता को मिा कर देती हैं. िुभा और
रमेि को घर से निकिते 9:00 बज जाते हैं, जबकक वे
8:30 बजे निकििा चाहते थे.
िुक्र है रुक्तमणी अम्मा को िाश्ता देिे के
शिए घर पर ही रहेगी. पर अगर अम्मा
मेरी बात िहीिं सुितीिं, तो काम करिे वािी
की बात तयों सुिेंगी?
कि अम्मा मुझे ऐसे घूर रही थीिं
जैसे कक मैं कोई अजिबी हूूँ. कफर
उन्होंिे पूछा, तुम कौि हो?
7. अम्मा को तया हो गया है?
अम्मा हम से िाराज़ तयों हैं?
8. िुभा और रमेि चचिंनतत हैं. वे अम्मा को िॉतटर के
पास िे जाते हैं. िॉतटर अम्मा से कु छ सवाि पूछते
हैं, और अिेक टेस्ट करते हैं. कफर िॉतटर िुभा
और रमेि को बुिाते हैं.
आपकी माूँ को डिमेंशिया है, क्जसका कारण िायद अल्ज़ाइमर डिज़ीज़ है. यह
बीमारी िाइिाज है, और उिकी हाित साि दर साि बबगड़ती जायेगी. परन्तु
िायद इस दवाई से डिमेंशिया के िक्षणों में कु छ आराम हो.
ओह! हम उिके शिए तया कर सकते हैं?
आपको उिकी समस्याएूँ समझिी होंगी. उिसे बोििे
का, और उिकी मदद करिे का तरीका बदििा होगा.
इि पुस्तकों को पढ़ें...
रोग निदाि (िायग्िोशसस)
9. िॉतटर से शमििे के बाद, िुभा और रमेि डिमेंशिया का अम्मा
पर तया असर होता होगा, इसके बारे में सोचते हैं.
मैं हमेिा हर बात इतिी ििंबी करके उि को
समझाती थी. मैं हमेिा उिसे जल्दी करिे को
बोिती थी. इि सबसे तो उिकी परेिािी और बढ़ती
होगी.
जब वे मुझ से पूछती थीिं,
तुम कौि हो, तो मुझे
बहुत बुरा िगता था. मुझे
मािूम िहीिं था कक उन्हें
डिमेंशिया है.
हमें उिसे बात करिे का तरीका
बदििा होगा. और मदद करते
समय भी, उिकी हदतकतों का
खयाि रखिा होगा.
10. अब िुभा जािती है कक अम्मा को िहािे का काम कहठि िगता
है, और अम्मा उसकी तैयारी खुद िहीिं कर पाएिंगी.
अम्मा अब हर काम धीरे-धीरे करती हैं, और उिको हर काम के
शिए ज्यादा समय चाहहए.
बाल्टी, और उस मे सही
तापमाि का गरम पािी
तौशिये, वस्र
इसशिए, िुभा पहिे स्िाि करिे का सब सामाि
इकठ्ठा करती है...
रोग निदाि (िॉयग्िोशसस) के बाद
11. िुभा अम्मा से सरि व स्िेहपूणत तरीके
से बात करती है.
िुभा हमेिा अम्मा के सामिे आकर ही बात करती है. वह िािंत रहती है, और सरि व छोटे
वातयों का इस्तेमाि करती है. वह शसफत जरूरी सवाि ही पूछती है, बेकार के प्रश्ि िहीिं
पूछती. एक बार में एक ही काम करिे को कहती है.
अब िुभा ििंबी चौड़ी तरह से कोई बात िहीिं समझाती. वह जािती है कक अम्मा ज्यादा
बातें सुिती हैं तो और हड़बड़ा जाती हैं.
गुि मॉनििंग,
अम्मा..
चशिए, िहािे के शिए चिें.
12. िुभा अम्मा को बाथरूम िे जाती है. जब जब अम्मा को जरूरत होती है,
तब-तब िुभा अम्मा की मदद करती है.
जैसे, कु छ हदि, अम्मा अपिे दािंत खुद ब्रुि
कर पाती हैं.
परन्तु कु छ हदि, अम्मा ब्रि को ऐसे देखती हैं
जैसे कक उन्होंिे ब्रि पहिे कभी देखा ही िहीिं
है. तब िुभा उन्हें टूथपेस्ट की ट्यूब पकड़ाती
है. अगर अम्मा तब भी ब्रि पर पेस्ट िहीिं
िगा पातीिं, तो िुभा अम्मा के शिए ब्रि पर
पेस्ट िगा देती है.
मदद करते समय, िुभा छोटे व सरि वातयों का इस्तेमाि करती है.
13. िुभा अम्मा को िहािे में मदद
करती है.
अभी अम्मा खुद िहा पाती हैं, पर
बाि िैम्पू करिे में उन्हें मदद
चाहहए.
अम्मा कभी कभी साड़ी पहििा चाहती हैं,
पर वह साड़ी खुद िहीिं पहि सकतीिं.
इसशिए िुभा साड़ी की चुन्िट बिा कर
उिके पेटीकोट में िाि देती है.
अम्मा, आूँखें
बिंद कररये
अम्मा कोई भी काम क्जतिा कर सकती
हैं, िुभा उन्हें करिे देती है. जब अम्मा
परेिाि होिे िगती हैं, या थकी हुई
महसूस होती हैं, तब िुभा उिकी मदद
करती है.
14. अम्मा के िहािे के बाद, िुभा उन्हें िाश्ते के शिए
िे जाती है
कु छ हदि, अम्मा खुद पराठा
और दही परोस पाती हैं.
कु छ हदि, िुभा उिकी प्िेट
में खािा परोसती है.
अम्मा
मुस्कु राती हैं.
अम्मा, चशिए, िाश्ता करें. आज मैंिे आिू के
परािंठे बिाए हैं.
अम्मा को ककतिी मदद चाहहए, यह हदि-ब-हदि बदिता है. पर औसति, मदद
की मारा बढ़ रही है.
15. िुभा और रमेि अब ज्यादातर समय पर ऑकफस के शिए
निकि पाते हैं. अम्मा भी ज्यादा िािंत रहती हैं.
िुक्र है अब हम अम्मा की समस्या समझते हैं. बोििे के तरीके को थोड़ा सा
ही बदििे से ककतिा फ़कत पड़ गया है! वो अब अचधक खुि रहती हैं.
कि अम्मा एक पुरािा कफल्मी गािा गा रही थीिं.
बहुत अच्छा गाती हैं.
16. िुभा और रमेि जािते हैं कक अम्मा की बीमारी ठीक िहीिं हो
सकती. अम्मा की हाित बबगड़ती जायेगी, और उिको अचधक
देखभाि की जरूरत पड़ेगी.
मैं आज अपिे मैिेजर से बात करूिं गी, पूछूिंगी,
तया मैं घर से काम कर सकती हूूँ?
मैं सोच रहा हूूँ, िौकरी छोड़ कर अपिा बबज़िस
िुरू करूूँ . कफर मैं अम्मा के साथ ज्यादा समय
बबता पाऊिं गा.
17. कई िोग सोचते हैं कक, तयोंकक डिमेंशिया का कोई इिाज िहीिं है, इसशिए
हम मरीजों के शिए कु छ िहीिं कर सकते.
पर अगर हम सीख पायें कक मरीजों से कै से बात करें, और उिकी मदद
कै से करें, तब मरीज भी ज्यादा िािंत और खुि रहेंगे, और पररवार के
सदस्य भी खुि रहेंगे.
डिमेंशिया के मरीज़ अक्सर हमारी बात को समझ नहीं पाते , और जब हम उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं , तब वे घबरा जाते हैं या उत्तेजित हो जाते हैं . प्रस्तुत उदाहरण में अम्मा को डिमेंशिया है , और परिवार के सदस्य इस सच्चाई को जानने के बाद , अम्मा की सहायता के लिए उचित तरीकों को अपनाते हैं . रमेश ( दामाद ) शुभा ( बेटी ) अम्मा
निदान ( डॉयाग्नोसिस ) से पहले सुबह के आठ बज चुके हैं , पर अभी तक अम्मा नाश्ते के लिए नहीं आयी हैं . शुभा जब उनके कमरे में जाती है , तो देखती है कि अम्मा बिस्तर पर बैठी खिड़की से बाहर ताक रही हैं . शुभा : अरे अम्मा , आप अभी तक नहाने भी नहीं गयीं ! चलिए , उठिए , जल्दी से नहा लीजिए . नाश्ता ठंडा हो जाएगा . रुक्मिणी को उसके बाद बर्तन भी साफ़ करने हैं . मुझे और रमेश को 8:30 तक आफिस के लिए निकल जाना है . आठ बज चुके हैं . जल्दी करिये !
निदान से पहले परन्तु पन्द्रह मिनट बाद भी , अम्मा बिस्तर पर ही बैठी हैं . शुभा घबराने लगती है . शुभा : अम्मा , क्या बात है , आप उठती क्यों नहीं ? मुझे आज देर नहीं होनी चाहिए . आज मेरी एक बहुत ज़रूरी मीटिंग है . जापान से कुछ खास लोग आ रहे हैं . अब चलिए भी , उठ जाईए . क्या तबीयत ठीक नहीं है ? नहा कर नाश्ता कर लीजिए . प्लीज ? प्लीज ? क्या मैं नाश्ते की प्लेट यहीं ले आऊं ?
निदान से पहले जब अम्मा नहीं उठती हैं , तो शुभा उनका ध्यान पाने के लिए उनका कंधा पकड़ती है . अम्मा गुस्से से पलटती हैं , और शुभा को घूर कर देखने लगती हैं . .
निदान से पहले शुभा आख़िरकर अम्मा को जबरदस्ती नहाने के लिए ले जाती है . अम्मा नाश्ता को मना कर देती हैं . शुभा और रमेश को घर से निकलते 9:00 बज जाते हैं , जबकि वे 8:30 बजे निकलना चाहते थे . शुभा : शुक्र है रुक्मिणी अम्मा को नाश्ता देने के लिए घर पर ही रहेगी . पर अगर अम्मा मेरी बात नहीं सुनतीं , तो काम करने वाली की बात क्यों सुनेंगी ? रमेश : कल अम्मा मुझे ऐसे घूर रही थीं जैसे कि मैं कोई अजनबी हूँ . फिर उन्होंनें पूछा , तुम कौन हो ?
निदान से पहले शुभा : अम्मा को क्या हो गया है ? रमेश : अम्मा हमसे नाराज़ क्यों हैं ?
निदान ( डायग्नोसिस ) शुभा और रमेश चिंतित हैं . वे अम्मा को डॉक्टर के पास ले जाते हैं . डॉक्टर अम्मा से कुछ सवाल पूछते हैं , और अनेक टेस्ट करते हैं . फिर डॉक्टर शुभा और रमेश को बुलाते हैं . डॉक्टर : आपकी माँ को डिमेंशिया है , जिसका कारण शायद एल्ज़ाइमर्ज़ डिसीज़ है . यह बीमारी लाइलाज है , और उनकी हालत साल दर साल बिगड़ती जायेगी . परन्तु शायद इस दवाई से डिमेंशिया के लक्षणों में कुछ आराम हो . रमेश : ओह ! हम उनके लिए क्या कर सकते हैं ? डॉक्टर : आपको उनकी समस्याएँ समझनी होंगी . उनसे बोलने का , और उनकी मदद करने का तरीका बदलना होगा . इन पुस्तकों को पढ़ें ...
निदान ( डायग्नोसिस ) डॉक्टर से मिलने के बाद , शुभा और रमेश डिमेंशिया का अम्मा पर क्या असर होता होगा , इसके बारे में सोचते हैं . शुभा : मैं हमेशा हर बात इतनी लंबी करके उनको समझाती थी . मैं हमेशा उनसे जल्दी करने को बोलती थी . इन सबसे तो उनकी परेशानी और बढती होगी . रमेश : जब वे मुझसे पूछती थीं , तुम कौन हो , तो मुझे बहुत बुरा लगता था . मुझे मालूम नहीं था कि उन्हें डिमेंशिया है . शुभा : हमें उनसे बात करने का तरीका बदलना होगा . और मदद करते समय भी , उनकी दिक्कतों का ख़याल रखना होगा .
निदान ( डॉयाग्नोसिस ) के बाद अब शुभा जानती है कि अम्मा को नहाने का काम कठिन लगता है , और अम्मा उसकी तैयारी खुद नहीं कर पाएंगी . अम्मा अब हर काम धीरे - धीरे करती हैं , और उनको हर काम के लिए ज्यादा समय चाहिए . इसलिए , शुभा पहले स्नान करने का सब सामान इकठ्ठा करती है ... बाल्टी , और उसमे सही तापमान का गरम पानी .... तौलिए , वस्त्र ...
निदान के बाद शुभा : गुड मार्निंग , अम्मा . . शुभा : चलिए , नहाने के लिए चलें शुभा हमेशा अम्मा के सामने आकर ही बात करती है . वह शांत रहती है , और सरल व छोटे वाक्यों का इस्तेमाल करती है . वह सिर्फ ज़रूरी सवाल ही पूछती है , बेकार के प्रश्न नहीं पूछती . एक बार में एक ही काम करने को कहती है . अब शुभा लंबी चौड़ी तरह से कोई बात नहीं समझाती . वह जानती है कि अम्मा ज्यादा बातें सुनती हैं तो और हड़बड़ा जाती हैं .
निदान के बाद शुभा अम्मा को बाथरूम ले जाती है . जब जब अम्मा को ज़रूरत होती है , तब तब शुभा अम्मा की मदद करती है . जैसे , कुछ दिन , अम्मा अपने दांत खुद ब्रुश कर पाती हैं . परन्तु कुछ दिन , अम्मा ब्रुश को ऐसे देखती हैं जैसे कि उन्होंनें ब्रुश पहले कभी देखा ही नहीं है . तब शुभा उन्हें टूथपेस्ट की ट्यूब पकड़ाती है . अगर अम्मा तब भी ब्रुश पर पेस्ट नहीं लगा पातीं , तो शुभा अम्मा के लिए ब्रुश पर पेस्ट लगा देती है . मदद करते समय , शुभा छोटे व सरल वाक्यों का इस्तेमाल करती है .
निदान के बाद शुभा अम्मा को नहाने में मदद करती है . अभी अम्मा खुद नहा पाती हैं , पर बाल शैम्पू करने में उन्हें मदद चाहिए . शुभा : अम्मा , आँखें बंद करिये अम्मा कभी कभी साड़ी पहनना चाहती हैं , पर वह साड़ी खुद नहीं पहन सकतीं . इसलिए शुभा साड़ी की चुन्नटें बना कर उनके पेटीकोट में डाल देती है . अम्मा कोई भी काम जितना कर सकती हैं , शुभा उन्हें करने देती है . जब अम्मा परेशान होने लगती हैं , या थकी हुई महसूस होती हैं , तब शुभा उनकी मदद करती है .
निदान के बाद अम्मा के नहाने के बाद , शुभा उन्हें नाश्ते के लिए ले जाती है शुभा : अम्मा , चलिए , नाश्ता करें . आज मैंने आलू के परांठे बनाए हैं . अम्मा मुस्कुराती हैं . कुछ दिन , अम्मा खुद परांठा और दही परोस पाती हैं . कुछ दिन , शुभा उनकी प्लेट में खाना परोसती है . अम्मा को कितनी मदद चाहिए , यह दिनबदिन बदलता है . पर औसतन , मदद की मात्रा बढ़ रही है
निदान के बाद शुभा और रमेश अब ज़्यादातर समय पर आफिस के लिए निकल पाते हैं . अम्मा भी ज्यादा शांत रहती हैं . शुभा : शुक्र है अब हम अम्मा की समस्या समझते हैं . बोलने के तरीके को थोडा सा ही बदलने से कितना फ़र्क पड़ गया है ! वो अब अधिक खुश रहती हैं . रमेश : कल अम्मा एक पुराना फ़िल्मी गाना गा रही थीं . बहुत अच्छा गाती हैं
निदान के बाद शुभा और रमेश जानते हैं कि अम्मा की बीमारी ठीक नहीं हो सकती . अम्मा की हालत बिगड़ती जायेगी , और उनको अधिक देखभाल की ज़रूरत पड़ेगी . शुभा : मैं आज अपने मैनेजर से बात करूंगी , पूछूंगी , क्या मैं घर से काम कर सकती हूँ ? रमेश : मैं सोच रहा हूँ , नौकरी छोड़ कर अपना बिज़नेस शुरू करूँ . फिर मैं अम्मा के साथ ज्यादा समय बिता पाऊंगा .
कई लोग सोचते हैं कि , क्योंकि डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है , इसलिए हम मरीज़ों के लिए कुछ नहीं कर सकते . पर अगर हम सीख पायें कि मरीज़ों से कैसे बात करें , और उनकी मदद कैसे करें , तब मरीज़ भी ज्यादा शांत और खुश रहेंगे , और परिवार के सदस्य भी खुश रहेंगे .