2. समास
अर्थ की दृष्टि से परस्पर स्वतन्त्र
रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों
को मिलाकर नया शब्द बनाने की
प्रक्रिया को सिास कहा जातना है ।
3. समास ि
े मुख्यतः छह (6) भेि होते हैं
—
अव्ययीभाव सिास
तनत्पुरूष सिास
किथिारय सिास
द्ववगु सिास
द्वंद्व सिास
बहुव्रीहह सिास
4. समास - ववग्रह
सिस्तन पदों को तनोड़ने , अतनाथर् अलग - अलग
करने को सिास ववग्रह कहा जातना है।
सिास ववग्रह = पूवथ पद + उत्तर पद
5. अव्ययीभाव सिास
• ष्जस सिास का पूवथ पद अव्यय हो , उसे " अव्ययीभाव सिास " कहतने हैं।
अव्ययीभाव सिास िें पहला पद ( पूवथ पद )प्रिान होतना है , तनर्ा सिस्तन पद अव्यय की भााँतनी
काि करतना है।
जैसे :- यर्ा + शष्ततन =यर्ाशष्ततन।
यहााँ 'यर्ा' अव्यय है तनर्ा 'यर्ाशष्ततन' सिस्तन पद भी एक अव्यय की भााँतनी काि कर रहा है।
6. उिहारण :-
समस्त पि ववग्रह
आज्ि ज्ि से
आजीवन जीवनपयंतन/जीवनभर
यर्ािततन िततन क
े अनुसार
तनिः संदेह सहंदेह रहहतन
प्रततनहदन हर हदन
7. अव्ययीभाव समास (िोहरािर )
• अव्ययीभाव सिास िें कभी - कभी पूवथ को दोहराकर भी मलख हदया जातना है। ऐसे
पद भी अव्ययीभाव सिास का रूप ले लेतने हैं।
समस्त पि ववग्रह
रातनोंरातन रातन ही रातन िें
साफ़-साफ़ बबल्क
ु ल साफ़
एकाएक अचानक
गााँव-गााँव हर गााँव
हातनोंहातन हातन ही हातन िें
8. तत्पुरुष समास
ष्जस सिास का उत्तर पद प्रिान तनर्ा पूवथपद (पहला पद ) गौण होतना
है, उसे तनत्पुरुष सिास कहतने हैं।
जैसे :–
िोक्षप्राप्तन – िोक्ष को प्राप्तन
रणभूमि – रण की भूमि
9. िममधारय समास
• ष्जस सिास िें एक पद उपिेय अर्वा ववशेषण तनर्ा ववशेष्य हो, उसे
किथिारय सिास कहतने हैं।
िममधारय समास ि
े भे
ि -
ववशेषण-
ववशेटय
उपिेय-
उपिान
11. उपमेय-उपमान
समस्त पि ववग्रह
कनकलतना कनक क
े सािान लतना
ववद्यािन ववद्यारूपी िन
उपिेय का अर्थ है :- ष्जसका का वणथन हो
उपन का अर्थ अर्थ है :- ष्जससे उपिा की तनुलना की जाये
12. द्ववगु समास
• ष्जस सिस्तन पद का पहला पद संख्यावाचि होतना है उसे द्ववगु समास कहतने
हैं
समस्त पि ववग्रह
ततनरंगा तनीन रंगो का सिाहार
चव्नी चार आनो का सिाहार
13. बहुव्रीदह समास
• ष्जस सिास िें न पूवथपद प्रिान होतना है न उत्तरपद, बष्ल्क अ्य पद की ओर संक
े तन
करतने हैं, उसे बहुव्रीहह सिास कहतने हैं।
जैसे:-
• पंकज , सिस्तन पद का ववग्रह हुआ – पंक + ज। अर्ाथतन ्– पंक (कीचड़) िें ज्ि
लेतना है जो।
• पंक िें िछली, घोंघा, सीप, कीड़े-िकोड़े घास आहद-आहद पैदा होतने हैं परंतनु यहााँ
पंकज ‘िमल’ क
े अर्थ का बोि करातना है।
• यह ‘िमल’ प्रिान होने क
े कारण यहााँ बहुव्रीहह सिास है।
14. समस्त पि ववग्रह
चििर चि को िारण करतना हो जो (ववटणु)
पीतनाम्बर वपले वस्र वाला है जो (कृ टण)