STD-VIII 1.Sandhi.pptx

Vikhe Patil Memorial School, Pune
ह िंदी व्याकरण – कक्षा आठवीिं
(२०२० - २०२१)
हवषय :- सिंहि
सिंहि
संधि’ संस्क
ृ त भाषा का शब्द है धिसका अर्थ है मेल | दो वर्णों क
े
मेल से होने वाले धवकार (पररवतथन) को संधि कहते हैं | दो वर्णों क
े
पास – पास आने क
े फलस्वरूप िो धवकार अर्वा बदलाव आता
है उसे ही संधि कहते हैं | िैसे –
धहम + आलय = धहमालय – स्वर संधि
वाक
् + ईश = वागीश – व्यंिन संधि
मन : + रर् = मनोरर् – धवसगथ संधि
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संधि क
े तीन प्रकार होते हैं:-
१. स्वर संधि
२. व्यंिन संधि
३. धवसगथ संधि
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1.स्वर संधि
दो स्वरों क
े पास – पास आने से उत्पन्न हुए धवकार को स्वर
संधि कहते हैं | यह धवकार पााँच प्रकार का होता है| इसी
अनुसार स्वर संधि पााँच प्रकार की होती है:-
1. दीर्थ संधि,
2. गुर्ण संधि ,
3. वृद्धि संधि ,
4. यर्ण संधि ,
5. अयाधद संधि
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अ.दीर्घ सिंहि
.दीर्थ संधि - िब एक स्वर क
े दो रूप ह्रस्व और दीर्थ एक दू सरे क
े
बाद आ िाएाँ तो दोनों धमलकर उसका दीर्थ वाला स्वर हो िाते हैं
; िैसे –
ह्रस्वस्वर + ह्रस्वस्वर = दीर्थ स्वर
अ + अ = आ सूयथ + अस्त = सूयाथस्त
िमथ + अर्थ = िमाथर्थ
इ + इ = ई कधव + इंद्र = कवीन्द्र
रधव + इंद्र = रवीन्द्र
उ + उ = ऊ गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
धवष्णु + उदय = धवष्णूदय
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ह्रस्वस्वर + दीर्थस्वर = दीर्थस्वर
अ + आ = आ देव + आलय = देवालय
िमथ + आत्मा = िमाथत्मा
इ + ई = ई धगरर + ईश = धगरीश
कधप + ईश = कपीश
उ + ऊ = ऊ लर्ु + ऊधमथ = लर्ूधमथ
दीर्थस्वर + ह्रस्वस्वर = दीर्थस्वर
आ + अ = आ >> धवद्या + अर्ी = धवद्यार्ी
ई + इ = ई >> मही + इंद्र = महींद्र
ऊ + उ = ऊ >> विू + उत्सव = विूत्सव
दीर्थस्वर + दीर्थस्वर = दीर्थस्वर
आ + आ = आ >> धवद्या + आलय = धवद्यालय
ई + ई= ई >> नदी + ईश = नदीश
ऊ + ऊ = ऊ >> सरयू + ऊधमथ = सरयूधमथ
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ब.गुर्ण संधि
2. गुर्ण संधि - यधद अ आ क
े बाद इ ई आए तो ए हो िाता है , अ आ क
े बाद उ ऊ आए
तो ओ हो िाता है तर्ा अ आ क
े बाद ऋ आए तो अर हो िाता है;
िैसे – इसी प्रकार
अ + इ = ए स्व + इच्छा = स्वेच्छा, अ + उ = ओ पर + उपकार = परोपकार आ + इ =
ए महा + इंद्र = महेंद्र, आ + उ = ओ महा + उदय = महोदय
अ + ई = ए परम + ईश्वर=परमेश्वर, अ + ऊ = ओ िल + ऊधमथ= िलोधमथ
आ + ई = ए रमा + ईश = रमेश , आ + ऊ = ओ गंगा + ऊधमथ = गंगोधमथ
अ + ऋ = अर सप्त + ऋधष = सप्तधषथ
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3. वृद्धि संधि - यधद अ आ क
े बाद ए ऐ
आए तो ऐ हो िाता है तर्ा अ आ क
े
बाद ओ औ आए तो दोनों क
े स्र्ान
पर औ हो िाता है ;
िैसे –
अ + ए = ऐ,एक + एक =एक
ै क
आ + ए = ऐ,तर्ा + एव = तर्ैव
अ + ऐ = ऐ,मत + एक्य= मतैक्य
आ + ऐ = ऐ,महा + ऐश्वयथ= महैश्वयथ
इसी प्रकार
अ + ओ = औ,
िल + ओि = िलौि
आ + ओ =औ,
महा+ ओि = महौि
अ + औ = औ,
वन+औषधि = वनौषधि
आ + औ = औ
महा + औषधि = महौषधि
क. वृद्धि संधि
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ड. यर्ण संधि
४.यर्ण संधि - इ ई उ ऊ और ऋ क
े बाद कोई धभन्न स्वर अर्ाथत
असमान स्वर आए तो इ ई को य , उ ऊ को व तर्ा ऋ को र हो
िाता है ; िैसे –
इ + अ = य अधत + अधिक = अत्यधिक
इ + आ = या इधत + आधद = इत्याधद
इ + उ = यु प्रधत + उत्तर = प्रत्युत्तर
इ + ऊ = यू धन + ऊन = न्यून
.
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इसी प्रकार
ई + अ = य नदी + अपथर्ण = नद्यपथर्ण
ई + आ = या सखी + आगमन = सख्यागमन
ई + उ = यु स्त्री + उपयोगी = स्युपयोगी
ई + ऊ = यू वार्णी + ऊधमथ = वाण्यूधमथ
उ ऊ को व
उ + अ = व अनु + अय = अन्वय
उ + आ = वा सु + आगत = स्वागत
उ + इ = धव िातु + इक = िाद्धिक
ऊ + आ = वा विू + आगम = वध्वागम
उ + ए = वे अनु + एषर्ण = अन्वेषर्ण
ऋ को र
ऋ + आ = रा
धपतृ + आज्ञा = धपत्राज्ञा
ऋ + उ = रु
धपतृ + उपदेश = धपत्रुपदेश
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इ. अयाधद संधि
५. अयाधद संधि - ए ऐ ओ औ को बाद कोई असमान स्वर आए तो
क्रमश: अय आय अव और आव हो िाता है ; िैसे –
ए + अ = अय
ने + अन = नयन
ऐ + अ = आय
नै + अक = नायक
ओ + अ = अव
भो + अन = भवन
औ + अ = आव
पौ + अक = पावक भौ + इक = भाधवक
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2.व्यंिन संधि
व्यंिन से स्वर या व्यंिन का मेल होने पर व्यंिन में उत्पन्न धवकारको
व्यंिन संधि कहते हैं|व्यंिन संधि में अक्षरों क
े पररवतथन इसप्रकार होते
हैं:-
िगत+आनंद= िगदानंद धदक
् +अंबर=धदगंबर
सत+गधत= सद्गधत अप+ि=अब्ज
वाक
् +मय=वाड्मय धचत+मय=धचन्मय
सम+गम=संगम सम+शय=संशय छत्र+छाया=छत्रच्छाया
धव+छे द=धवच्छेद उत+श्वास=उच्छश्वास
उत+लंर्न=उल्लंर्न
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3.धवसगथ संधि
धवसगथ क
े सार् स्वर या व्यंिन क
े मेल से धवसगथ में उत्पन्न
धवकार को धवसगथ संधि कहा िाता है|धवसगथ संधि में अक्षरों
क
े पररवतथन इस प्रकार होते हैं-
धन:+रस= नीरस धन:+चेष्ट =धनश्चेष्ट
धन:+ठुर =धनष्ठुर धन:+कपट =धनष्कपट
अंत:+करर्ण=अंत:करर्ण तेि:+मय =तेिोमय
दु:+आत्मा =दुरात्मा धन:+गुर्ण= धनगुथर्ण
धन:+िल =धनिथल धन:+झर =धनझथर
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स्व-अध्याय
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धनम्नधलद्धखत शब्दों क
े संधि धवच्छेद कीधिए|
1) भोिनालय-
2) देवधषथ-
3) सदैव-
4) धपत्रादेश-
5) भावुक-
6) धनष्ठुर-
7) नायक-
8) अन्वय-
9) प्रत्युत्तर-
1 sur 14

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  • 1. Vikhe Patil Memorial School, Pune ह िंदी व्याकरण – कक्षा आठवीिं (२०२० - २०२१) हवषय :- सिंहि
  • 2. सिंहि संधि’ संस्क ृ त भाषा का शब्द है धिसका अर्थ है मेल | दो वर्णों क े मेल से होने वाले धवकार (पररवतथन) को संधि कहते हैं | दो वर्णों क े पास – पास आने क े फलस्वरूप िो धवकार अर्वा बदलाव आता है उसे ही संधि कहते हैं | िैसे – धहम + आलय = धहमालय – स्वर संधि वाक ् + ईश = वागीश – व्यंिन संधि मन : + रर् = मनोरर् – धवसगथ संधि V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 3. संधि क े तीन प्रकार होते हैं:- १. स्वर संधि २. व्यंिन संधि ३. धवसगथ संधि V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 4. 1.स्वर संधि दो स्वरों क े पास – पास आने से उत्पन्न हुए धवकार को स्वर संधि कहते हैं | यह धवकार पााँच प्रकार का होता है| इसी अनुसार स्वर संधि पााँच प्रकार की होती है:- 1. दीर्थ संधि, 2. गुर्ण संधि , 3. वृद्धि संधि , 4. यर्ण संधि , 5. अयाधद संधि V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 5. अ.दीर्घ सिंहि .दीर्थ संधि - िब एक स्वर क े दो रूप ह्रस्व और दीर्थ एक दू सरे क े बाद आ िाएाँ तो दोनों धमलकर उसका दीर्थ वाला स्वर हो िाते हैं ; िैसे – ह्रस्वस्वर + ह्रस्वस्वर = दीर्थ स्वर अ + अ = आ सूयथ + अस्त = सूयाथस्त िमथ + अर्थ = िमाथर्थ इ + इ = ई कधव + इंद्र = कवीन्द्र रधव + इंद्र = रवीन्द्र उ + उ = ऊ गुरु + उपदेश = गुरूपदेश धवष्णु + उदय = धवष्णूदय V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 6. ह्रस्वस्वर + दीर्थस्वर = दीर्थस्वर अ + आ = आ देव + आलय = देवालय िमथ + आत्मा = िमाथत्मा इ + ई = ई धगरर + ईश = धगरीश कधप + ईश = कपीश उ + ऊ = ऊ लर्ु + ऊधमथ = लर्ूधमथ दीर्थस्वर + ह्रस्वस्वर = दीर्थस्वर आ + अ = आ >> धवद्या + अर्ी = धवद्यार्ी ई + इ = ई >> मही + इंद्र = महींद्र ऊ + उ = ऊ >> विू + उत्सव = विूत्सव दीर्थस्वर + दीर्थस्वर = दीर्थस्वर आ + आ = आ >> धवद्या + आलय = धवद्यालय ई + ई= ई >> नदी + ईश = नदीश ऊ + ऊ = ऊ >> सरयू + ऊधमथ = सरयूधमथ V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 7. ब.गुर्ण संधि 2. गुर्ण संधि - यधद अ आ क े बाद इ ई आए तो ए हो िाता है , अ आ क े बाद उ ऊ आए तो ओ हो िाता है तर्ा अ आ क े बाद ऋ आए तो अर हो िाता है; िैसे – इसी प्रकार अ + इ = ए स्व + इच्छा = स्वेच्छा, अ + उ = ओ पर + उपकार = परोपकार आ + इ = ए महा + इंद्र = महेंद्र, आ + उ = ओ महा + उदय = महोदय अ + ई = ए परम + ईश्वर=परमेश्वर, अ + ऊ = ओ िल + ऊधमथ= िलोधमथ आ + ई = ए रमा + ईश = रमेश , आ + ऊ = ओ गंगा + ऊधमथ = गंगोधमथ अ + ऋ = अर सप्त + ऋधष = सप्तधषथ V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 8. 3. वृद्धि संधि - यधद अ आ क े बाद ए ऐ आए तो ऐ हो िाता है तर्ा अ आ क े बाद ओ औ आए तो दोनों क े स्र्ान पर औ हो िाता है ; िैसे – अ + ए = ऐ,एक + एक =एक ै क आ + ए = ऐ,तर्ा + एव = तर्ैव अ + ऐ = ऐ,मत + एक्य= मतैक्य आ + ऐ = ऐ,महा + ऐश्वयथ= महैश्वयथ इसी प्रकार अ + ओ = औ, िल + ओि = िलौि आ + ओ =औ, महा+ ओि = महौि अ + औ = औ, वन+औषधि = वनौषधि आ + औ = औ महा + औषधि = महौषधि क. वृद्धि संधि V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 9. ड. यर्ण संधि ४.यर्ण संधि - इ ई उ ऊ और ऋ क े बाद कोई धभन्न स्वर अर्ाथत असमान स्वर आए तो इ ई को य , उ ऊ को व तर्ा ऋ को र हो िाता है ; िैसे – इ + अ = य अधत + अधिक = अत्यधिक इ + आ = या इधत + आधद = इत्याधद इ + उ = यु प्रधत + उत्तर = प्रत्युत्तर इ + ऊ = यू धन + ऊन = न्यून . V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 10. इसी प्रकार ई + अ = य नदी + अपथर्ण = नद्यपथर्ण ई + आ = या सखी + आगमन = सख्यागमन ई + उ = यु स्त्री + उपयोगी = स्युपयोगी ई + ऊ = यू वार्णी + ऊधमथ = वाण्यूधमथ उ ऊ को व उ + अ = व अनु + अय = अन्वय उ + आ = वा सु + आगत = स्वागत उ + इ = धव िातु + इक = िाद्धिक ऊ + आ = वा विू + आगम = वध्वागम उ + ए = वे अनु + एषर्ण = अन्वेषर्ण ऋ को र ऋ + आ = रा धपतृ + आज्ञा = धपत्राज्ञा ऋ + उ = रु धपतृ + उपदेश = धपत्रुपदेश V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 11. इ. अयाधद संधि ५. अयाधद संधि - ए ऐ ओ औ को बाद कोई असमान स्वर आए तो क्रमश: अय आय अव और आव हो िाता है ; िैसे – ए + अ = अय ने + अन = नयन ऐ + अ = आय नै + अक = नायक ओ + अ = अव भो + अन = भवन औ + अ = आव पौ + अक = पावक भौ + इक = भाधवक V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 12. 2.व्यंिन संधि व्यंिन से स्वर या व्यंिन का मेल होने पर व्यंिन में उत्पन्न धवकारको व्यंिन संधि कहते हैं|व्यंिन संधि में अक्षरों क े पररवतथन इसप्रकार होते हैं:- िगत+आनंद= िगदानंद धदक ् +अंबर=धदगंबर सत+गधत= सद्गधत अप+ि=अब्ज वाक ् +मय=वाड्मय धचत+मय=धचन्मय सम+गम=संगम सम+शय=संशय छत्र+छाया=छत्रच्छाया धव+छे द=धवच्छेद उत+श्वास=उच्छश्वास उत+लंर्न=उल्लंर्न V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 13. 3.धवसगथ संधि धवसगथ क े सार् स्वर या व्यंिन क े मेल से धवसगथ में उत्पन्न धवकार को धवसगथ संधि कहा िाता है|धवसगथ संधि में अक्षरों क े पररवतथन इस प्रकार होते हैं- धन:+रस= नीरस धन:+चेष्ट =धनश्चेष्ट धन:+ठुर =धनष्ठुर धन:+कपट =धनष्कपट अंत:+करर्ण=अंत:करर्ण तेि:+मय =तेिोमय दु:+आत्मा =दुरात्मा धन:+गुर्ण= धनगुथर्ण धन:+िल =धनिथल धन:+झर =धनझथर V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E
  • 14. स्व-अध्याय V I K H E P A T I L M E M O R I A L S C H O O L , P U N E धनम्नधलद्धखत शब्दों क े संधि धवच्छेद कीधिए| 1) भोिनालय- 2) देवधषथ- 3) सदैव- 4) धपत्रादेश- 5) भावुक- 6) धनष्ठुर- 7) नायक- 8) अन्वय- 9) प्रत्युत्तर-