4. कनिष्क कालीि बोनिसत्व प्रनिमा लख - वर्ष 3
प्रानि स्थल सारिाथ, वाराणसी
विषमाि नस्थनि सारिाथ संग्रहालय,वाराणसी
भार्ा संस्कृि प्रभानवि प्राकृि
नलनि कुर्ाणकालीि ब्राह्मी
ोजकिाष एफ0 ओ0 ओरखटखल
वर्ष 1904-05
आिार-उिादाि बोनिसत्व प्रनिमा एवं छत्र-यनि
5. अनभलख ों की संख्या िीि
िंनि प्रथम अनभलख -10
नििीय अनभलख -2
िृिीय अनभलख -3
निनथ कनिष्क कख िृिीय शासि वर्ष, हखमन्ि (ऋिु) , 22 नदवस
6. राजिीनिक महत्वः
. कनिष्क कख शासि काल कख िृिीय वर्ष का उल्लख है।
. िूवी उत्तर प्रदखश िर कनिष्क का अनिित्य था।
. लख में महाक्षत्रि रिल्लाि एवं क्षत्रि विस्िर का उल्लख है।
. रिल्लाि एवं विस्िर कुर्ाण साम्राज्य कख अन्िषगि वाराणसी क्षखत्र में महाक्षत्रि िथा क्षत्रि
नियुि थख।
7. बौद्ध संघ: नभक्षु बल िथा नभक्षुणी बुद्धनमत्रा
. अनभलख में बौद्ध िमष कख चार िररर्दों का उल्लख नमलिा है-
नभक्षु
नभक्षुणी
उिासक
उिानसका
. कुर्ाण काल में श्रावस्िी, कोसम, मथुरा एवं सारिाथ कख नभक्षु-नभक्षुणी संघों में िरस्िर घनिष्ठ
सम्बन्ि द्रिव्य है।
8. नभक्षु बल का उल्लख सारिाथ बोनिसत्व प्रनिमा लख कख अनिररि कनिष्क कख सहखि-महखि िार्ण
छत्र-यनि लख एवं हुनवष्क कख मथुरा बौद्ध मूनिष लख वर्ष 33 में नमलिा है।
.नभक्षु बल को त्रैनिटक (नत्रनिटक का ज्ञािा) कहा गया है।
. नत्रनिनटकाचायाष बुद्धनमत्रा का िाम कनिष्क कख कोसम बौद्ध मूनिष लख िथा हुनवष्क कख मथुरा बौद्ध
मूनिष लख वर्ष 33 में नमलिा है
9. कलात्मक महत्वः
. कुर्ाण कालीि मूनिष कला कखन्द्र- मथुरा एवं गान्िार
. बोनिसत्व की प्रनिमा एवं छत्र-यनि मथुरा कख लाल बलुए ित्थर सख निनमषि है।
. स्िम्भ अष्ठिहल है।