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Development of geographical thought in ancient periods
1. History of
Geographical Thought
Part III
Presented by
Dr Durgesh Kurmi
Assistant Professor of Geography
Institute for Excellence in Higher
Education, Bhopal, MP
3. Inquisitiveness (जिज्ञासा)
Percept – Concept (प्रजिबोध-धारणा या संकल्पना )
Theory (जसद्ांि)
Paradigm (पेराडाइम)
Approaches to study
• Historical Approach (एजिहाजसक उपागम)
• Geographical Approach (भौगोजलक उपागम)
• Paradigmatic Approach (पेराडइग्मेजिक उपागम)
4. Steps
1. Pre – Existing
2. Ancient
3. Medieval
4. Age of Discovery
5. Pre–Modern
6. Classical
7. Modern
8. Post-Modern
5. Development of geographical thought in ancient periods
Historical Development of Geography –
Time Development
Before 600 B.C. Ancient Civilization – Mesopotamia, Indus valley,
Egyptian and Jews empire
600 BC to 300 AD Indian , Greeks & Romans
(Classical period of Geography)
300 AD to 800 AD Dark age of Geography
World/Earth is the creation of god
800 AD to 1300 AD Age of Arabian Geographers
1300 AD to 1700
AD
Age of Renaissance
Age of exploration
18th Century Second classical period of Geography
6. School of Geographical Thought
S.
No.
Greek Roman Arab Indian Chinese
1. Homar Strabo Ibn Hakuls Varahmihira Confucius
2. Thales Ptolmy Al Masudi Brahmagupta Laozi
3. Anaximander Pomponius Al Barkhi Aryabhatta Ching
4. Hecataeus Pliney Al Maqdisi Baskaracharya Zheng he
5. Herodotus Al Biruni
6. Plato Ibnsina
7. Aristotle Al Idrisi
8. Theophrastus Ibn Battuta
9. Erotosthenes Ibn Khaldun
10. Hipparchus
11. Posidonius
12. Pithagorus
7. प्राचीन संसार में भौगोलिक ज्ञान क
े मुख्य प्रदेश
भूगोल क
े ज्ञान का इजिहास जििना लम्बा और प्राचीन है उिना लम्बा इजिहास जकसी
भी दू सरे जिज्ञान का नहीं है । प्राचीन समय में भौगोजलक ज्ञान क
े जिकास क
े 6 मुख्य
प्रदेश थे, िो आरम्भिक मानिीय संस्कजियों क
े उदगम प्रदेश माने िािे हैं –
1) लसन्धु घाटी सभ्यता – भारि में जसंधु गंगा प्रदेश (जिशेषकर सप्ि सैन्धि प्रदेश),
जिसमें जसंधु, झेलम, जचनाि, रािी, ि्यास, सिलि और सरस्ििी नदीं शाजमल हैं । यह
प्रदेश प्राचीन समय में आयाािि कहलािा था । भारि में भौगोजलक ज्ञान का दू सरा
अपेक्षाकि छोिा क्ष्ेे ेात्र जिन्नेिेली प्रदेश (द. भारि ) था ।
2) बेलबिोलनया – दिला फराि का दोआब या मैसोपोिाजमया ।
3) लमश्र – नील नदी प्रदेश
4) यूनान – ईजियन प्रदेश
5) सोलियत संघ – उक्राइन प्रदेश , िोल्गा बेजसन
6) चीन का उत्तरी पूिी भाग – हिांगहो घािी
8. Contribution of the Greeks
Homar (900 BC) – होमर ने अपने ग्रंथ Iliad में एजिहाजसक िणान जकया िथा Odyssey
में भौगोजलक िणान जकया है । Odyssey में िर ाय क
े पिन क
े पश्चाि Odysseus की
इथाका िापसी का िणान जकया है । इस यात्रा क
े दौरान Odysseus की नौका िूफान में
फ
ं स िाने क
े कारण जदशा भिक गयी थी । इस कारण Odysseus को अपने घर िापसी
में 20 िषा लग गये । इस यात्रा में Odysseus की नौका ऐसे क्षेत्र से गुिरी िहां जनरंिर
अंधकार रहिा था और ऐसे क्षेत्रों से गुिरी िहां पर प्रकाशमान रहिा था । इससे लगिा
है जक जकसी प्रकार यूरोप क
े उि्िर में आक
ा जिक िृि्ि क
े और उि्िर म्भथथि प्रदेशों क
े
िषा क
े आधे समय में जदन िथा शेष समय में राि का अंधेरा ि्याप्ि होने की सूचना
यूरोपिाजसयों को पहंच गयी थी ।
होमर ने चार जिजभन्न जदशाओं से आने िाली हिाओं का िणान जकया –
Bores – North wind
Eurus – East wind
Notos – South wind
Zephyrus – West wind
पृथ्वी चपटी ि िृत्ताकार है तथा यह चारों ओर महान सररता से लघरी हुई है । बाद में
इस सररता को महासागर का नाम लदया ।
उसने लमस्र की प्रगलत, उत्तरी यूरोप की असभ्य जालतयां, फोनेलशयन नालिकों, अलत
िम्बे लदन ि रात रखने िािे प्रदेश ि पूिी भूमध्य सागर क
े बारे में भी बताया ।
9. Thales (640-546 BC) – जमलेिस क
े जनिासी थेल्स एक ि्यापारी थे। यह व्यापाररक
नगर एजियन सागर क
े पूिी िि पर मैनडमा (Manderas) नदी क
े मुहाने पर म्भथथि था
। िह महान यात्री ि व्यापारी था । उसने जमस्र, यूनान ि भूमध्यसागरीय ििीय प्रदेशों
की यात्रा करक
े अनेक अनुभि प्राप्त जकए ।
इन्होने ज्यालमलत क
े कई लसद्ांत प्रस्िुि जकए और पृथ्िी को मापने का प्रयास जकया
। उन्होने ि्याजमजि िथा जत्रकोणजमिी की कई समस्याएँ सुलझाई । जिश्ि की
उि्पजि िथा नक्षत्रों क
े बारे में जलखा । गलितीय भूगोि क
े जिकास की नीि रखी ।
उसने पृथ्वी की गोल आक
ृ जि, गजि, पूिा पर िल-थल का जििरण, नील नदी उसकी
बाढ़ ि प्रभाि, सूया ि चन्द्रमा, ग्रहण आजद महत्वपूणा प्रकरणों पर अपने जिचार प्रस्तुि
जकए ।
ग्रहि की भजिष्यिाणी भी सिाप्रथम थेल्स ने ही की थी ।
Anaximander (610-546 BC) – यह थेल्स का जशष्य िथा आयोजनया प्रदेश का प्रमुख
जिद्वान ि दाशाजनक था उसने ब्रह्माण्ड जिज्ञान (Cosmology) क
े जिकास की नींि डाली
। उसने भूगोल, नक्षत्र-शास्त्र (Astronomy) िथा ब्रह्माण्डोपजि पर लेख जलखे थे,
जिनमें ब्रह्माण्डोत्पलत्त लसद्ान्त (Cosmogony) ि नक्षत्रों का िणान है ।
अनेक
् सीमेंडर को Father of Mathametical Geography कहा िािा है ।
10. िह लिश्व क
े मानलचत्र का सिाप्रथम जनमाािा माना िािा है । उसने
इस मानजचत्र में सम्पूणा पृथ्वी, उसक
े जिभाग, ज्ञाि सागर और
सभी ज्ञाि नजदयों को दशााया । उसने भूमध्यसागर क
े ििीय
देशों का मानजचत्र भी बनाया ।
उसने एक धूप घड़ी या नोमोन (Gnomon) बनाने ि उसकी काया
प्रणाली जसखायी । इसक
े द्वारा थथानों की म्भथथजि एिं प्रकाश ज्ञाि
करने में सहायिा जमली । उसने सूया, चन्द्र, नक्षत्रों की गणनाओं
से गजणिीय भूगोल का जिकास जकया । उसने पृथ्वी की ऊ
ं चाई
को इसकी पररजध का एक जिहाई बिाया । पृथ्वी की पररजध से
27 गुनी दू री पर सूया िथा 18 गुनी दू री पर चन्द्रमा की म्भथथजि
बिाई । यह दू ररयां आि गलि साजबि हो चुकी हैं ।
यह पहले जिद्वान थे जिन्होने मापनी क
े अनुसार मानलचत्र की
रचना की । इस मानजचत्र में ग्रीक को क
ें द्र में जदखाया गया ।
इन्होने जीि उत्पलत्त का भी उल्लेख जकया था । उसक
े मिानुसार
िल में ही िीिधाररयों की उत्पजि हई, बाद में उनकी जिजभन्न
नस्ों का जिकास हआ । मानि की उत्पजि भी िल में उत्पन्न
हए िीि क
े जिकास क
े िाद थल पर हई है ।
11. Hecataeus (475 BC) – िह दू रदशी, क
ू िनीजिज्ञ एिं इजिहासिेिा माना िािा है । उसने
फारस साम्राज्य, जमस्र ि भूमध्यसागरीय देशों की यात्रा की िथा अपने अनुभिों का
जििरण एक पुस्तक पीररओड्स (Periodus Gas) में जदया । इसक
े दो खण्ड
(Volumes) प्रकाजशि कराये । इसमें संसार का िणान जकया गया, प्रथम खण्ड में
यूरोप और दू सरे खण्ड में एलशया (जिसमें जमस्र ि लीजबया शाजमल है) का िणान है ।
उसने इन भूभागों क
े िोगों क
े रीलत-ररिाज, रहन-सहन, सामालजक और धालमिक
तत्व, जालतयों आलद का िििन प्रस्तुत लकया । इसक
े आलतररक्त उसने यूनान का
इलतहास, देिी-देिताओं की गाथायें और उनकी यात्राओं क
े िििन भी लिखे थे ।
उसने दो मानजचत्र भी बनाये । एक िो, अपने नगर जमलेिस (Miletus) का, िथा दू सरे जिश्व
(World) का । जिश्व क
े मानजचत्र में पृथ्वी को तश्तरी की भांलत (Disk Shaped)
िृत्ताकार मानिे हए महाद्वीपों का जििरण जदखाया । महाद्वीपों क
े चारों ओर
महासागरों को जदखाया।
लहक
े लटयस ने ग्रीक िेखन में ििाित्मक िेखन का शुभारम्भ लकया । यह पृथ्िी को
चपटी तथा तश्तरी क
े समान िृत्ताकार मानते थे । इसने ग्रीस को पृथ्िी क
े
क
े न्द्र में माना । उसने पहिी बार उस समय क
े ज्ञात संसार क
े बसे हुए भाग का
सामान्य भौगोलिक िििन प्रादेलशक आधार पर लकया था । यह भी जमलेिस का
जनिासी था ।
उसने पहली बार उस समय क
े ज्ञाि संसार क
े बसे हए भाग का सामान्य भौगोजलक िणान
प्रादेजशक आधार पर जकया था । इन्होंने भी उस समय िक ज्ञाि जिश्ि का एक
12. Herodotus (485 – 425 B.C.) – िािािरणिाद क
े प्रणेिा हेरोडोिस थे । हेरोडोटस को
Father of History भी कहा िािा है । हेरोडोिस ने पयाािरण से संबंजधि िणान पर
बल जदया । नीि नदी क
े जि प्रिाह में आने िािे पररितिन, लमआंडर डेि्टा क
े
लनमािि की प्रलिया की ि्याख्या की तथा लमश्र को नीि नदी का तोहफा बताया
।
इन्होने होमर द्वारा प्रजिपाजदि पृथ्िी क
े समिल िृि्िाकार स्िरूप को स्िीकार
जकया । इनका मानना था जक सूया पृथ्िी क
े ऊपर एक चापनुमा मागा पर पूिा से पजिम
की ओर यात्रा करिा है ।
Plato (428 – 348 B.C.) – इन्होने पृथ्िी को गोिाकार बिाया ।
इनक
े अनुसार ईश्िरी संसार की रचना मानि क
े उपयोग क
े उददेश्य से की गई थी
िथा इन्होने बिाया की पृथ्िी क
े न्द्र में है िथा सभी गृह इसक
े चारों ओर चक
् कर
लगा रहे हैं ।
Aristotle (384 – 322 B.C.) – अरस्िु एक प्रजसद् यूनानी दाशाजनक होने क
े साथ – साथ
एक िक
ा शास्त्री, रािनीजिशास्त्री िथा िैि – िैज्ञाजनक भी था । अरस्िु ने बिाया जक
लिषुित रेखा क
े आस पास क
े क्षेत्रों में सूयि की तेज गमी क
े कारि मानि जीिन
सम्भि नहीं है । अरस्िु ने मीलटओरोिोलजका ग्रंथ में ब्रहाण्ड िथा प्राक
ृ जिक दशान
का िणान जकया िथा पृथ्िी की गोलीय आक
ृ जि िथा पृथ्िी क
े कजिबंधों का िणान
जकया ।
इन्होने चंद्रग्रहण क
े समय चन्द्रमा पर पृथ्िी की गोलाकार परछाई क
े आधार पर
13. Thophrastus – अरस्िु क
े जशष्य जथयोफ्र
े स्िस ने िनस्पजि िथा िलिायु क
े संबंध में
िणान जकया । उसने िनस्पजि और िलिायु क
े सम्बंधों को परखा जफर मेसीडोजनकया
क
े मैदान की िनस्पजि, समीपििी पिािों की िनस्पजि और क्रीि द्वीप की िनस्पजि
का िुलनाि्मक िणान जकया । इस प्रकार जथयोफ्र
े स्िस ने िनस्पलत लिज्ञान की नीि
रखी ।
Erotosthenes (276 – 194 B.C.) – इरेिास्थेनीि एक प्रजसद् यूनानी गजणिज्ञ और
खगोलशास्त्री था िो जमश्र क
े अलेगिेंजड
र या नगर में िि्कालीन संसार की सबसे ऊची
जिद्या संस्था क
े पुस्िकालय का अध्यक्ष था । इनको ि्यिस्थथत भूगोि का जपिा
कहा िािा है ।
इन्होने उस समय प्रचजलि ज्ञान क
े अनुसार ज्ञाि संसार का एक मानजचत्र भी बनाया था ।
इस मानजचत्र में इन्होने साि अक्षांशों िथा साि देशांिर रेखाओं को जदखलाया था,
परन्िु िे दोषपूणा थें ।
इन्होने ही सििप्रथम भूगोि शब्द का प्रयोग लकया इसीलिए इरेटोस्थनीज को
Father of Geography कहा जाता है ।
इरेिोस्थनीि ने ज्योग्रालफया (Geographiea) ग्रंथ जलखा ।
भू – भौलतकी क
े लपता – इरेटोस्थनीज को कहा िािा है, इन्होने सिाप्रथम पृथ्िी की
पररजध की ल. िानने का प्रयास जकया । इन्होने पृथ्िी की पररलध 2,50,000 स्टेलडया
(िगभग 28,000 मीि) बिलायी िो जक बहि क
ु छ शुद् थी ।
इन्हाने सूया की उि्िरायण और दजक्षणायण म्भथथजि का भी बणान जकया ।
14. Hipparchus (190 – 125 B.C.) – यह पहले जिचारक थे, जिसने पथ्िी पर प्रि्येक जबन्दु
की ठीक म्भथथजि जनधााररि की और िृत्त को 360° में बांटा उसने अक्षांश तथा
देशांतर रेखाओं का िाल िैयार जकया । इनक
े अनुसार भूमध्य रेखा ग्रेि सजक
ा ल है
िो ग्लोब को दो बराबर भागों में बांििा है ।
पृथ्िी क
े िक्राकार िल को सपाि िल पर दशााया । मानजचत्र प्रक्षेप का अजिष्कार जकया
पृथ्िी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक
् कर पूरा करती है । ग्लोब पर 360 अक्षांश
हैं, इस आधार पर जिश्ि को 5 िलिायु कजिबंधों में बांिा ।सिाप्रथम अक्षांश एिं
देशांिर क
े आधार पर जिश्ि को क
् लाइमेिा में जिभाजिि जकया था ।
नक्षत्रों क
े िेध क
े जलये उसने चक्र यंत्र एस्िरोलेब बनिाया था ।
Crates (150 B.C.) – पृथ्िी क
े ग्लोब की रचना की जिसमें िासयोग्य संसार को
प्रदजशाि जकया । इस ग्लोब में 3 महाद्वीप को जदखाया गया था ।
Posidonius (135 – 50 B.C.) – इन्होने पृथ्िी की पररजध 1800 मील बिाई, िो गलि थी
। इन्होने भूमध्य रेखा को मानि क
े रहने योग्य बिाया िथा अरस्िु क
े जिचार को
गलि जसद् जकया । The Oceans – Posidonius Book
Pithagorus – इन्होने ग्लोब की पररकल्पना प्रस्िुि की िथा अंिररक्ष में 5 ग्रहों को
बिाया था ।
15. Contribution of Roman Geographers
Strabo (64 BC – 24 AD) – इन्होने Geographia Book जलखी जिसमें ग्रीक
भूगोलिेि्िा द्वारा अब िक िो खोिे की थी उसका उल्लेख जकया ।
यह पहले जिद्वान थे, जिसने गजणिीय भूगोल, भौजिक भूगोल, रािनीजिक भूगोल,
एजिहाजसक भूगोल सजहि संपूणा पथ्िी का अध्ययन जकया । क्षेत्र की अिधारणा
सिाप्रथम स्िरेबो ने प्रजिपाजदि की ।
इन्होने संसार क
े ज्ञाि भाग का िणान 17 खण्डों में, Geographical Encyclopedia –
(Book) क
े रूप में संकजलि जकया था ।
Ptolemy (90AD – 168 AD) – इन्होंने Guide to Geography (8 volume) में जलखी
जिसमें अक्षांस और देशांिर रेखाओं की सूचनाएं संग्रहीि हैं । इसमें मानजचत्र प्रक्षेप
िथा जिश्ि क
े सभी चजचाि स्थानों को मानजचत्र पर प्रदजशाि जकया ।
इनकी दू सरी पुस्िक Almagest थी जिसमें ग्रहीय गजि क
े बारे में बिाया गया है ।
इन्होने जहप्पोरकस द्वारा बिलाई गयी पथ्िी की पररजध का अनुसरण जकया िो जक
अशुद् थी । साथ ही पोजसडोजनयस की मापों क
े आधार पर पथ्िी क
े आकार का
अनुमान लगाया िो इनकी सबसे बड़ी भूल थी ।
इन्होने जिश्ि मानजचत्र की रचना की िथा मानजचत्र रचना की जदशा में जिजभन्न काया
जकये इस कारण इन्हें Father of Cartography कहा िािा है ।
िालेमी ने जहन्द महासागर मे दजक्षण में एक महाद्वीप की कल्पना की थी । िास्िि में
यह अण्िाक
ा जिका महाद्वीप था जिसे 18िी शिाब्दी में क
ै प्िन क
ु क ने खोिा था ।
16. उनक
े द्वारा बनाया गया
Imago-Mundi (संसार मानलचत्र)
उस समय िक की क
ृ जियों में सबसे
ि्यादा महि्िपूणा थी, िो कई
शिाम्भियों िक प्रचजलि रहा ।
Pliny (स्िनी 27 AD – 79 AD) – इनकी प्रजसद् पुस्तक Historia Naturalis
(प्राकलतक इलतहास) थी, लजसमें 37 खि्ड थे । प्रथम दो खण्डों में आकाशीय जपंडों
का िणान है और पथ्िी का आकार, आकजि, धरािल, ऋिुओं आजद का िणान जदया
गया है । िीसरे से छठे खण्ड िक में प्रादेजशक भूगोल है । साििें से गयारिें खण्ड
िक िीि – जिज्ञान है, जिसमें आरम्भ में मानि – जिज्ञान है शेष खण्डों में िनस्पजि
शास्त्र इि्याजद का िणान है ।
17. Dark Age अंध युग
िॉलमी क
े समय भूगोल का जिकास िथा भौगोजलक ज्ञान अपनी चरम सीमा पर था । परंिु
रोमन साम्राि्य क
े पिन क
े बाद लगभग 3 से 12 शिाब्दी िक क
े समय में साजहि्य,
जिज्ञान, भूगोल क
े जिकास में अिरोध पैदा हआ और ईसाई धमा का अजधपि्य छा गया
। पुरानी धारणाओं एिं संकल्पनाओं पर अज्ञानिा छा गयी । इस समय ईसाई धमा क
े
जिचार छा गये । Criation of God का जिचार आया जिसमें कहा गया की सभी क
ु छ
ईश्िर का लदया हुआ है । इस कारण इस युग को अंध युग कहिे हैं । इस युग में
ईसाई धमा क
े प्रभाि में िृम्भद् होने क
े कारण बाइजिल क
े जिचार भूगोल की िैज्ञाजनक
जिचारधारा पर छा गए । यहां िक जक पृथ्िी को गोलाकार क
े स्थान पर िश्िरीनुमा
माना गया ।
ईसाईयों क
े मुख्य धाजमाक स्थल येरूसलेम को
पृथ्िी क
े क
ें द्र रखा गया और उस समय क
े मानजचत्रों
में येरूसलेम को स्िगा क
े रूप में जदखाया गया ।
इस युग क
े मानजचत्र O – T map कहलािे थे ।
इस मानजचत्र में चारों ओर सागरीय भाग को
िथा मध्य में ज्ञाि जिश्ि को प्रदजशाि जकया गया ।
18. 11 िी शिाब्दी में िकी िथा सीररया पर मुसलमानों का अजधकार स्थाजपि हो गया जिस
कारण ईसाईयों का िेरूसलम आना बंद हो गया । और इस कारण ईसाईयों िथा
मुसलमानों में युद् हए िो 1096 से 1270 िक जनरंिर चले । इस युद् मे भाग लेने िालों
क
े मन में नयी िगहों क
े बारे में भाग लेने िालों क
े मन में नयी िगहों क
े बारे में िानने
की इच्छा उि्पन्न हई । इन युद् ने जफर से भौगोजलक िाग्रजि उि्पन्न कर दी । इस
दौरान अनेक यात्राओं का आयोिन जकया गया ।
इस समय में माको पोलो द्वारा चीन िथा सुदू र पूिा की जहन्द महासागर की यात्रा 1271 –
1295 िक सबसे प्रजसद् है ।
अरब देशों से होकर िाने िाले ईसाई धमािाजसयों का ि्यापार पूिा म्भथथि द्वीपों िथा भारि
से ि्यापार मागा अिरूद् हो गया । फलस्िरूप यूरोपीय शासक िथा ि्यापारी िगा
क्षेत्रों क
े जलए नये मागा की खोि में लग गए ।