2. भाषा का महत्व
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. समाि के जिकास में भाषा का जिकास असंभि है. व्यजि का
सामाजिक िीिन का आधार भाषा है. भाषा के अभाि में सामाजिक िीिन की कल्पना भी
नहीं की िा सकती है. इन्हीं कारणों से भाषा का उद्गम हुआ है.
मनुष्य अन्य प्राजणयों से अजधक संिेदनशील और बुजिमान प्राणी है. अपने आपको अजभव्यि
करना उसकी प्रिृजि है. सामाजिक प्राणी होने के कारण िह जनरंतर समाि के अन्य सदस्यों के
साथ जिचारों और भािों का आदान प्रदान करता है. प्रारम्भ में िह संकेतों या अस्पष्ट ध्िजनयों
का प्रयोग करता था. ध्िजन समूह के संयोिन से िस्तु जिशेष के प्रतीक बन गए जिनसे धीरे-
धीरे भाषा का जिकास हुआ. “भाषा” जिचारों के आदान प्रदान का सबसे सुगम साधन है.
3. भाषा की परिभाषा
भाषा वह साधन है, जिसक
े द्वारा मनुष्य
बोलकर, सुनकर, ललखकर व पढ़कर अपने
मन क
े भावों या ववचारों का आदान-प्रदान
करता है।
7. मौखिक भाषा खक परिभाषा
भाषा का िह रूप जिसमें एक व्यजि बोलकर जिचार प्रकट करता है
और दूसरा व्यजि सुनकर उसे समझता है, मौजिक भाषा कहलाती है।
उदाहिण: टेलीफोन, दूरदशशन, भाषण, िाताशलाप, नाटक, रेजियो
आजद।
9. खिखित भाषा खक परिभाषा
भाषा का िह रूप जिसमें एक व्यजि अपने जिचार या मन के भाि
जलिकर प्रकट करता है और दूसरा व्यजि पढ़कर उसकी बात
समझता है, जलजित भाषा कहलाती है।
उदाहिण: पत्र, लेि, पजत्रका, समाचार-पत्र, कहानी, िीिनी,
संस्मरण, तार आजद।
11. साांके खतक भाषा खक परिभाषा
िब संके तों (इशारों) द्वारा बात समझाई और समझी िाती है, तब िह
सांके जतक भाषा कहलाती है।
उदाहिण: चौराहे पर िडा यातायात जनयंजत्रत करता जसपाही, मूक-
बजधर व्यजियों का िाताशलाप आजद।
इसका अध्ययन व्याकरण में नहीं जकया िाता।
13. खहांदी भाषा
जिश्व की प्राचीन, समृि और सरल भाषा होने के साथ-साथ खहन्दी हमारी
'राष्रभाषा' भी है। िह दुजनया भर में हमें सम्मान भी जदलाती है। यह भाषा है
हमारे सम्मान, स्िाजभमान और गिश की। हम आपको बता दें जक खहन्दी भाषा
जिश्व में सबसे ज्यादा बोली िाने िाली तीसरी भाषा है।