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युद्ध ह िंसा एविं आतिंकवाद की समाप्ति के हिए अजेय
(वैहदक) सुरक्षा तकनीक
युद्धधिं का इहत ास साक्षी ै हक सिंहियािं, समझौते एविं कू टनीहतक प्रयास युद्धधिं
कध समाि करने में सफि न ीिं हुए ैं। शप्तिशािी हनकायधिं जैसे-सिंयुि राष्ट्र
सिंघ में कु छ स्थायी सदस्य भी सप्तिहित हुए। आतिंकवाद ने ह िंसा के सिंप्रदाय
कध भयाव आयाम तक पहुिंचाया ैं। मुठ्ठी भर आतिंकवादी शप्तिशािी राष्ट्र
कध बिंिक बना सकते ैं। सामूह क हवनाश के स्तचहित हथयारधिं की स ज
उपिब्धता एविं उनकी हनरन्तर सामहयक आपूहति आत्मघाती दस्तधिं द्वारा हकया
जाना अत्यन्त भयानक ै। घातक हथयार एविं भारी भरकम सेनाएिं भी युद्ध,
ह िंसा एविं आतिंकवादीयधिं कध रधकने या नष्ट् करने में अस ाय ै। ऐसा िगता
ै हक इनके हवरूद्ध कु छ भी कायि न ीिं ध पा र ा ै। सिंपूर्ि हवश्व में हवध्विंसक
घटनायें बढ़ती जा र ी ैं। शप्तिशािी राष्ट्र धिं के आिुहनक हवनाशक हथयारधिं
के बावजूद असफि धने का कारर् य ै हक वे ह िंसा के वास्तहवक कारर्
पर हनशाना न ीिं सािते, जध हक वैहदक हवचारिीिता के अनुरूप समाज की
सामूह क चेतना में तनाव के सिंचय के कारर् उत्पन्न सुसिंबद्धता की कमी ै।
मारे पास ऐसा कधई हथयार न ीिं ै जध समाज में व्याि तनाव कध टा
सके । य एक मानवीय समस्या ै, जध मानवीय समािान की मााँग करती ै।
हवश्व में सैन्य हवशेषज्ञ सुरक्षा की आिुहनक हथयारधन्मुखी प्रौद्यधहगकी पर प्रश्न
उठाने िगे ैं क्धिंहक हवध्विंसक गधिा-बारूद राष्ट्र कध गिंभीर शत्रु, आक्रमर्धिं
एविं आतिंकवादी गहतहवहियधिं से सुरक्षा न ीिं प्रदान कर पा र े ैं। अब समय
आ गया ै हक म चेतना की प्राचीन वैहदक तकनीक कध व अजेय सुरक्षा
तकनीक कध िागू करें, हजसे आिुहनक भौहतकी ने भी कड़े शधि के बाद
शािंहत स्थाहपत करने का सवािहिक व्याव ाररक मागि बताया ै। इसे म हषि
म ेश येगी जी द्वारा पुनजीहवत हकया गया ै एविं हवगत पािंच दशकधिं में युद्ध
क्षेत्रधिं सह त इसका वृ त परीक्षर् हकया गया ै। पररर्ामधिं में प्रमाहर्त हुआ ै
हक आतिंकवाद एविं सामाहजक ह िंसा में अजेय सुरक्षा तकनीक के प्रयधग
काफी हगरावट कध दशािते ै। य एक हनवारधन्मुखी, मानव सिंसािन
आिाररत, अत्यन्त सरि, गैर हवध्विंसक, जीवन पधषर्ीय पद्धहत ै, जध तत्काि
पररर्ाम दशािती ै। इस तकनीक पर अनुसिंिान के पररर्ाम भौहतकी (क्ािंटम
हफहजक्स), स्नायु हवज्ञान (न्यूरध साइिंस) एविं मानव चेतना के क्षेत्र में सवािहिक
उन्नत शधिधिं द्वारा दशािये गये ै। य तकनीक एक सशि प्रहतरधिक ै जध
समाज में व्याि तनाव एविं दबाव कध दू र करने में पूर्ितः सक्षम ै, जध हक
क्षेत्रीय, राष्ट्र ीय एविं वैहश्वक सिंघषों का मूि कारर् ै। इस अजेय सूरक्षा
तकनीक के प्रयधग ेतु चेजना की हनहदिष्ट् तकनीक का अभ्यास करने वािे
एविं सुसिंबद्धता हनहमित करने वािे हवशेषज्ञ समू धिं के तत्काि गठन की
आवश्यकता ै, हजसे वैज्ञाहनक रूप् से जातीय, राजनीहतक एविं िाहमिक
तनावधिं, युद्ध, ह िंसा, आतिंकवाद एविं सामाहजक सिंघषो के कारर् कध समूि
नष्ट् करने वािा दशािया गया ै। य परस्पर हवरािाभासी प्तस्थहत में भी शत्रुता
के भाव कध समाि करता ै, आपसी सिंघषो कध समाि करने के हिए
अनुकू ि शािंहतपूर्ि स यधगात्मक वातावरर् हनहमित करके , शािंहत का मागि
प्रशस्त करता ै। अजेय सुरक्षा कायिक्रम भावातीत ध्यान (टी. एम.) के
व्यप्तिगत एविं सामूह क अभ्यास के शप्तिशािी प्रभावधिं का उपयधग करता ै
एविं इसकी अद्यतन तकनीक टी.एम. हसद्धी कायिक्रम एविं यधहगक उड़ान
कायिक्रम प्रत्येक अभ्यासकताि में सुसिंबद्धता हनहमित करती ै। व्यप्तिगत
चेतना में सुसिंबद्धता सामूह क चेतना में सुसिंबद्धता कध प्रसाररत करती ै, जध
पारस्पररकता के हसद्धािंत के कारर् से व्यप्तिगत सतधगुर्ी चेतना कध आगे
प्रसाररत और हवस्ताररत करती जाती ै। इसका तात्पयि य ै हक एक बार
प्रबुद्धता प्राि धने पर प्रहक्रया स्वतः स्फू ति बन जाती ै, हजसके प्रकाश में
सिंपूर्ि समाज से तनाव समाि ध जाता ै एविं सामन्जस्यपूर्ि व शािंहतपूर्ि
वातावरर् हनहमित ध जाता ै। भौहतक शास्त्र की ‘सुपरप्त्रिंग थ्यधरी’ की नवीन
शधि ने स्पष्ट् कर हदया ै हक चार क्षेत्रबि (गुरूत्वीय, हवद् युत चुिंबकीय, दुबिि
एविं सशिअन्तहक्रि या,) हजन्हें पूवि में सुहष्ट् की समस्त अन्तहक्रि या के हिए
उत्तरदायी माना जाता था, वास्तव में प्राकृ हतक हविान के एक एकीकृ त ैं क्षेत्र
के अिंदर मूिभूत स्तर पर एकीकृ त ैं जध हक प्रकृ हत में समस्त घटनाओिं के
हिए उत्तरदायी ैं एविं सिंपूर्ि सृहष्ट् में हनह त सुव्यवस्था का पूर्ि स्त्रधत ैं। य ी
बुप्तद्ध एविं चेतना का क्षेत्र भी ै। अजेय सुरक्षा कायिक्रम समत्व यधग के
क्षेत्रयुि एक सरि तकनीक का उपयधग करता ै, हजसे ‘भावातीत ध्यान’
क ते ें। अभ्यासकताि द्वारा भावातीत के सामूह क अभ्यास से समत्व यधग के
क्षेत्र कध जागृत हकया जाता ै। इस प्रयधग से शुद्ध चेतना का अनुभव धता ै
एविं उनकी मप्तस्तष्क कायि प्रर्ािी पूर्ितया सुसिंबद्ध धती ै। भावातीत ध्यान
की आत्मपरक पद्धहत द्वारा चेतना का एक स्पिंदन समत्व यधग के क्षैत्र कध,
चेतना के क्षैत्र कध भी उत्प्रेररत कर सकता ै, हजससे समाज की सामूह क
चेतना में सतधगुर् के उभार का मागि प्रशस्त धता ै। चूाँहक य हविान प्रकृ हत
के हविान के ग नतम, सवािहिक शप्ति पूर्ि एविं समग्रता के स्तर से कायि
करता ै। इसके प्रभाव व्यापक एविं अपरर ायि ैं। जब समाज की एक
प्रहतशत जनसिंख्या भावातीत ध्यान का सामूह क अभ्यास करती ै तध सिंपूर्ि
जनसिंख्या िाभाप्तित धती ै, अहिक सुसिंबद्ध सतधगुर्ी चेतनावान ध जाती
ै। जब एक प्रहतशत का वगिमूि भावातीत ध्यान एविं हसप्तद्ध कायिक्रम एविं,
यधहगक उड़ान का एक स्थान पर एक साथ अभ्यास करता ै तध व ी प्रभाव
प्राि धता ै, जबहक अभ्यासकतािओिं की सिंख्या काफी कम ध गयी धती ै।
यधहगक फ्लायसि का (यधहगक उड़ान भरने वािधिं का) य समू ‘सुपर रेहिएिं स
समू ’ अथवा ‘सत्व हनमािर् करने वािा समू ’ भी क ा जाता ै, जध समत्व
यधग के एकीकृ त क्षेत्र कध जीविंत करता ै, सब िधगधिं कध समानरूप् से
प्रभाहवत कर सकता ै, उन िधगधिं सह त, जध ध्यान न ीिं कर र े ैं एविं इसके
सामूह क अभ्यास व उसके िाभ से अवगत न ीिं ै। य उसी प्रकार ै जैसे
सूयि का प्रकाश चा े और अनचा े दधनधिं कध ी अपनी ऊजाि प्रदान करता ै।
यधहगक फ्लायसि का समू हजतना बड़ा धता ै, सुसिंबद्धता का क्षेत्र भी उतना
ी हवस्तृत धता ै, सतधगुर् उतना ी बढ़ता जाता ै, जध एकता की
शप्तिशािी तरिंगधिं कध उत्पन्न करता ै, जध पूरे समाज की सामूह क चेतना में
सत्व का उभार िाता ै। वैहदक सुसिंबद्धता के हिए पूरे हवश्व के हिए में
9000 यधहगक फ्लायसि की आवश्यकता ै, जध हक हवश्व की जनसिंख्या के
एक प्रहतशत का वगिमूि ै। सुपर रेहिएिं स समू की शप्ति कध एक राष्ट्र
अथवा समाज की जनसिंख्या के एक प्रहतशत के वगिमूि के आिंकड़े द्वारा
प्राि हकया जा सकता ै। सामूह क चेतना में सुसिंबद्धता-पयािि सतधगुर् एक
राष्ट्र कध अजेयता की ओर अग्रसर करता ै। य मात्र आशा न ीिं ै, य
सिंपूर्ि सिंसार में ख्याहत प्राि प्रहसद्ध सिंस्थाओिं द्वारा हकये गये सैकड़धिं अध्ययनधिं
एविं शधिधिं द्वारा समहथित एविं प्रमाहर्त ै, आिुहनक वस्तुहनष्ठ हवज्ञान द्वारा
प्रमाहर्त ै। अजेय सुरक्षा तकनीक कध सामाहजक द्वन्द, आतिंकवाद, युद्ध
आहद की हवभीहषका की रधकथाम तथा उसे हनयिंहत्रत करने के हिए म हषि जी
द्वारा प्रदान हकया गया ै। में आतिंकवाहदयधिं से वाताििाप कर उन्हें ह िंसा
रधकने के हिए मनाने की आवश्यकता न ीिं ै। न ी उन्हें मान हगराने की
आवश्यकता ै। य तकनीक शािंत रूप से प्रभाव िािती ै, वैज्ञाहनकधिं ने
इसे ‘फील्ड इफे क्ट’ (क्षैत्र प्रभाव) के हसद्धािंत पर कायि करने वािी तकनीक
बताया ै। में य सुहनहित करना ै हक आतिंक और आतिंकवादी यधहगक
फ्लायसि द्वारा उत्पन्न हकये गये सतधगुर् का प्रभाव क्षेत्र, मारी सीमाओिं से परे
हवस्ताररत ध, तब भी सिंभाहवत शत्रु शािंहत प्रस्ताव से सकारात्मक रूप से
प्रभाहवत धगा। इस प्रकार से म शत्रुता कध हमत्रता में पररवहतित कर सकते
ैं। वैहश्वक ह िंसा कध एक अत्यिंत सरि, कम व्यय, अह िंसा के मागि से हनयिंहत्रत
कर सकते ैं। भारतीय और वैहश्वक शािंहत की कुिं जी यधहगक फ्लायसि की
सिंख्या में हनह त ै। म सबकध सिंयुि प्रयास करना चाह ये हक म सब
समाज के उत्तरदायी नागररक मारी सरकार कध इस तकनीक की सूचना दे
और भारत वे हवश्व पररवार के ह त में हनत्य इस तकनीक का प्रयधग करके
एक अजेय कवच के हनमािर् में अहत आवश्यक और सामहयक भूहमका
हनभायें।

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  • 1. युद्ध ह िंसा एविं आतिंकवाद की समाप्ति के हिए अजेय (वैहदक) सुरक्षा तकनीक युद्धधिं का इहत ास साक्षी ै हक सिंहियािं, समझौते एविं कू टनीहतक प्रयास युद्धधिं कध समाि करने में सफि न ीिं हुए ैं। शप्तिशािी हनकायधिं जैसे-सिंयुि राष्ट्र सिंघ में कु छ स्थायी सदस्य भी सप्तिहित हुए। आतिंकवाद ने ह िंसा के सिंप्रदाय कध भयाव आयाम तक पहुिंचाया ैं। मुठ्ठी भर आतिंकवादी शप्तिशािी राष्ट्र कध बिंिक बना सकते ैं। सामूह क हवनाश के स्तचहित हथयारधिं की स ज उपिब्धता एविं उनकी हनरन्तर सामहयक आपूहति आत्मघाती दस्तधिं द्वारा हकया जाना अत्यन्त भयानक ै। घातक हथयार एविं भारी भरकम सेनाएिं भी युद्ध, ह िंसा एविं आतिंकवादीयधिं कध रधकने या नष्ट् करने में अस ाय ै। ऐसा िगता ै हक इनके हवरूद्ध कु छ भी कायि न ीिं ध पा र ा ै। सिंपूर्ि हवश्व में हवध्विंसक घटनायें बढ़ती जा र ी ैं। शप्तिशािी राष्ट्र धिं के आिुहनक हवनाशक हथयारधिं के बावजूद असफि धने का कारर् य ै हक वे ह िंसा के वास्तहवक कारर् पर हनशाना न ीिं सािते, जध हक वैहदक हवचारिीिता के अनुरूप समाज की सामूह क चेतना में तनाव के सिंचय के कारर् उत्पन्न सुसिंबद्धता की कमी ै। मारे पास ऐसा कधई हथयार न ीिं ै जध समाज में व्याि तनाव कध टा सके । य एक मानवीय समस्या ै, जध मानवीय समािान की मााँग करती ै। हवश्व में सैन्य हवशेषज्ञ सुरक्षा की आिुहनक हथयारधन्मुखी प्रौद्यधहगकी पर प्रश्न उठाने िगे ैं क्धिंहक हवध्विंसक गधिा-बारूद राष्ट्र कध गिंभीर शत्रु, आक्रमर्धिं एविं आतिंकवादी गहतहवहियधिं से सुरक्षा न ीिं प्रदान कर पा र े ैं। अब समय आ गया ै हक म चेतना की प्राचीन वैहदक तकनीक कध व अजेय सुरक्षा तकनीक कध िागू करें, हजसे आिुहनक भौहतकी ने भी कड़े शधि के बाद शािंहत स्थाहपत करने का सवािहिक व्याव ाररक मागि बताया ै। इसे म हषि म ेश येगी जी द्वारा पुनजीहवत हकया गया ै एविं हवगत पािंच दशकधिं में युद्ध क्षेत्रधिं सह त इसका वृ त परीक्षर् हकया गया ै। पररर्ामधिं में प्रमाहर्त हुआ ै हक आतिंकवाद एविं सामाहजक ह िंसा में अजेय सुरक्षा तकनीक के प्रयधग काफी हगरावट कध दशािते ै। य एक हनवारधन्मुखी, मानव सिंसािन
  • 2. आिाररत, अत्यन्त सरि, गैर हवध्विंसक, जीवन पधषर्ीय पद्धहत ै, जध तत्काि पररर्ाम दशािती ै। इस तकनीक पर अनुसिंिान के पररर्ाम भौहतकी (क्ािंटम हफहजक्स), स्नायु हवज्ञान (न्यूरध साइिंस) एविं मानव चेतना के क्षेत्र में सवािहिक उन्नत शधिधिं द्वारा दशािये गये ै। य तकनीक एक सशि प्रहतरधिक ै जध समाज में व्याि तनाव एविं दबाव कध दू र करने में पूर्ितः सक्षम ै, जध हक क्षेत्रीय, राष्ट्र ीय एविं वैहश्वक सिंघषों का मूि कारर् ै। इस अजेय सूरक्षा तकनीक के प्रयधग ेतु चेजना की हनहदिष्ट् तकनीक का अभ्यास करने वािे एविं सुसिंबद्धता हनहमित करने वािे हवशेषज्ञ समू धिं के तत्काि गठन की आवश्यकता ै, हजसे वैज्ञाहनक रूप् से जातीय, राजनीहतक एविं िाहमिक तनावधिं, युद्ध, ह िंसा, आतिंकवाद एविं सामाहजक सिंघषो के कारर् कध समूि नष्ट् करने वािा दशािया गया ै। य परस्पर हवरािाभासी प्तस्थहत में भी शत्रुता के भाव कध समाि करता ै, आपसी सिंघषो कध समाि करने के हिए अनुकू ि शािंहतपूर्ि स यधगात्मक वातावरर् हनहमित करके , शािंहत का मागि प्रशस्त करता ै। अजेय सुरक्षा कायिक्रम भावातीत ध्यान (टी. एम.) के व्यप्तिगत एविं सामूह क अभ्यास के शप्तिशािी प्रभावधिं का उपयधग करता ै एविं इसकी अद्यतन तकनीक टी.एम. हसद्धी कायिक्रम एविं यधहगक उड़ान कायिक्रम प्रत्येक अभ्यासकताि में सुसिंबद्धता हनहमित करती ै। व्यप्तिगत चेतना में सुसिंबद्धता सामूह क चेतना में सुसिंबद्धता कध प्रसाररत करती ै, जध पारस्पररकता के हसद्धािंत के कारर् से व्यप्तिगत सतधगुर्ी चेतना कध आगे प्रसाररत और हवस्ताररत करती जाती ै। इसका तात्पयि य ै हक एक बार प्रबुद्धता प्राि धने पर प्रहक्रया स्वतः स्फू ति बन जाती ै, हजसके प्रकाश में सिंपूर्ि समाज से तनाव समाि ध जाता ै एविं सामन्जस्यपूर्ि व शािंहतपूर्ि वातावरर् हनहमित ध जाता ै। भौहतक शास्त्र की ‘सुपरप्त्रिंग थ्यधरी’ की नवीन शधि ने स्पष्ट् कर हदया ै हक चार क्षेत्रबि (गुरूत्वीय, हवद् युत चुिंबकीय, दुबिि एविं सशिअन्तहक्रि या,) हजन्हें पूवि में सुहष्ट् की समस्त अन्तहक्रि या के हिए उत्तरदायी माना जाता था, वास्तव में प्राकृ हतक हविान के एक एकीकृ त ैं क्षेत्र के अिंदर मूिभूत स्तर पर एकीकृ त ैं जध हक प्रकृ हत में समस्त घटनाओिं के हिए उत्तरदायी ैं एविं सिंपूर्ि सृहष्ट् में हनह त सुव्यवस्था का पूर्ि स्त्रधत ैं। य ी
  • 3. बुप्तद्ध एविं चेतना का क्षेत्र भी ै। अजेय सुरक्षा कायिक्रम समत्व यधग के क्षेत्रयुि एक सरि तकनीक का उपयधग करता ै, हजसे ‘भावातीत ध्यान’ क ते ें। अभ्यासकताि द्वारा भावातीत के सामूह क अभ्यास से समत्व यधग के क्षेत्र कध जागृत हकया जाता ै। इस प्रयधग से शुद्ध चेतना का अनुभव धता ै एविं उनकी मप्तस्तष्क कायि प्रर्ािी पूर्ितया सुसिंबद्ध धती ै। भावातीत ध्यान की आत्मपरक पद्धहत द्वारा चेतना का एक स्पिंदन समत्व यधग के क्षैत्र कध, चेतना के क्षैत्र कध भी उत्प्रेररत कर सकता ै, हजससे समाज की सामूह क चेतना में सतधगुर् के उभार का मागि प्रशस्त धता ै। चूाँहक य हविान प्रकृ हत के हविान के ग नतम, सवािहिक शप्ति पूर्ि एविं समग्रता के स्तर से कायि करता ै। इसके प्रभाव व्यापक एविं अपरर ायि ैं। जब समाज की एक प्रहतशत जनसिंख्या भावातीत ध्यान का सामूह क अभ्यास करती ै तध सिंपूर्ि जनसिंख्या िाभाप्तित धती ै, अहिक सुसिंबद्ध सतधगुर्ी चेतनावान ध जाती ै। जब एक प्रहतशत का वगिमूि भावातीत ध्यान एविं हसप्तद्ध कायिक्रम एविं, यधहगक उड़ान का एक स्थान पर एक साथ अभ्यास करता ै तध व ी प्रभाव प्राि धता ै, जबहक अभ्यासकतािओिं की सिंख्या काफी कम ध गयी धती ै। यधहगक फ्लायसि का (यधहगक उड़ान भरने वािधिं का) य समू ‘सुपर रेहिएिं स समू ’ अथवा ‘सत्व हनमािर् करने वािा समू ’ भी क ा जाता ै, जध समत्व यधग के एकीकृ त क्षेत्र कध जीविंत करता ै, सब िधगधिं कध समानरूप् से प्रभाहवत कर सकता ै, उन िधगधिं सह त, जध ध्यान न ीिं कर र े ैं एविं इसके सामूह क अभ्यास व उसके िाभ से अवगत न ीिं ै। य उसी प्रकार ै जैसे सूयि का प्रकाश चा े और अनचा े दधनधिं कध ी अपनी ऊजाि प्रदान करता ै। यधहगक फ्लायसि का समू हजतना बड़ा धता ै, सुसिंबद्धता का क्षेत्र भी उतना ी हवस्तृत धता ै, सतधगुर् उतना ी बढ़ता जाता ै, जध एकता की शप्तिशािी तरिंगधिं कध उत्पन्न करता ै, जध पूरे समाज की सामूह क चेतना में सत्व का उभार िाता ै। वैहदक सुसिंबद्धता के हिए पूरे हवश्व के हिए में 9000 यधहगक फ्लायसि की आवश्यकता ै, जध हक हवश्व की जनसिंख्या के एक प्रहतशत का वगिमूि ै। सुपर रेहिएिं स समू की शप्ति कध एक राष्ट्र अथवा समाज की जनसिंख्या के एक प्रहतशत के वगिमूि के आिंकड़े द्वारा
  • 4. प्राि हकया जा सकता ै। सामूह क चेतना में सुसिंबद्धता-पयािि सतधगुर् एक राष्ट्र कध अजेयता की ओर अग्रसर करता ै। य मात्र आशा न ीिं ै, य सिंपूर्ि सिंसार में ख्याहत प्राि प्रहसद्ध सिंस्थाओिं द्वारा हकये गये सैकड़धिं अध्ययनधिं एविं शधिधिं द्वारा समहथित एविं प्रमाहर्त ै, आिुहनक वस्तुहनष्ठ हवज्ञान द्वारा प्रमाहर्त ै। अजेय सुरक्षा तकनीक कध सामाहजक द्वन्द, आतिंकवाद, युद्ध आहद की हवभीहषका की रधकथाम तथा उसे हनयिंहत्रत करने के हिए म हषि जी द्वारा प्रदान हकया गया ै। में आतिंकवाहदयधिं से वाताििाप कर उन्हें ह िंसा रधकने के हिए मनाने की आवश्यकता न ीिं ै। न ी उन्हें मान हगराने की आवश्यकता ै। य तकनीक शािंत रूप से प्रभाव िािती ै, वैज्ञाहनकधिं ने इसे ‘फील्ड इफे क्ट’ (क्षैत्र प्रभाव) के हसद्धािंत पर कायि करने वािी तकनीक बताया ै। में य सुहनहित करना ै हक आतिंक और आतिंकवादी यधहगक फ्लायसि द्वारा उत्पन्न हकये गये सतधगुर् का प्रभाव क्षेत्र, मारी सीमाओिं से परे हवस्ताररत ध, तब भी सिंभाहवत शत्रु शािंहत प्रस्ताव से सकारात्मक रूप से प्रभाहवत धगा। इस प्रकार से म शत्रुता कध हमत्रता में पररवहतित कर सकते ैं। वैहश्वक ह िंसा कध एक अत्यिंत सरि, कम व्यय, अह िंसा के मागि से हनयिंहत्रत कर सकते ैं। भारतीय और वैहश्वक शािंहत की कुिं जी यधहगक फ्लायसि की सिंख्या में हनह त ै। म सबकध सिंयुि प्रयास करना चाह ये हक म सब समाज के उत्तरदायी नागररक मारी सरकार कध इस तकनीक की सूचना दे और भारत वे हवश्व पररवार के ह त में हनत्य इस तकनीक का प्रयधग करके एक अजेय कवच के हनमािर् में अहत आवश्यक और सामहयक भूहमका हनभायें।