पोवार(छत्तीस कुर पंवार) समाज के विवाह गाये जाने वाले गीतों में विवाह का आनंद और रीति-रिवाज समाहित होते हैं। समाज की पुरातन मातृभाषा पोवारी है और विवाह के पारम्परिक और पुरातन गीत भी पोवारी भाषा में है। पंवारी ज्ञानदीप किताब से इन गीतों का संकलन किया गया है। ये गीत और रीति-रिवाज छत्तीस कुलीन पोवार(पंवार) समाज की संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। समय के साथ रीति-रिवाज और पोवारी भाषा खत्म हो रही हैं, जिसका संरक्षण किया जाना बहुत जरुरी है।