hindi-141005233719-conversion-gate02.pdf

By-
Shanmukha Priya
हिन्दी परियोजना कायय
अनुक्रमणिका
क्रिया
क्रिया क
े भेद
• अकर्मक क्रिया
• सकर्मक क्रिया
 पूर्मकालिक क्रिया
वर्शेषण
वर्शेष्य
वर्शेषण क
े भेद
• गुणर्ाचक वर्शेषण
• परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण
• संख्यार्ाचक वर्शेषण
• संक
े तर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क
वर्शेषण
अनुक्रमणिका
 क्रियावर्शेषण
क्रियावर्शेषण क
े भेद
• स्थानर्ाचक
• कािर्ाचक
• परिर्ाणर्ाचक
• ददशार्ाचक
• िीततर्ाचक
क्रिया
 जिस शब्द अथर्ा शब्द-सर्ूह क
े द्र्ािा क्रकसी कायम क
े होने
अथर्ा क्रकये िाने का बोध हो उसे क्रक्रया कहते हैं।
 िैसे-
• सीता 'नाच िही है'।
• बच्चा दूध 'पी िहा है'।
• सुिेश कॉिेि 'िा िहा है'।
 इनर्ें ‘नाच िही है’, ‘पी िहा है’, ‘िा िहा है’ शब्दों से कायम-
व्यापाि का बोध हो िहा हैं। इन सभी शब्दों से क्रकसी कायम क
े
किने अथर्ा होने का बोध हो िहा है। अतः ये क्रियाएँ हैं।
व्याकिण र्ें क्रिया एक वर्कािी शब्द है।
क्रिया क
े भेद
 क्रिया क
े दो भेद हैं-
1. अकर्मक क्रिया।
2. सकर्मक क्रिया।
अकर्मक क्रिया
 जिन क्रियाओं का असि कताम पि ही पड़ता है र्े
अकर्मक क्रिया कहिाती हैं।
 ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आर्श्यकता नहीं
होती।
 अकर्मक क्रियाओं क
े उदाहिण हैं-
 िाक
े श िोता है।
 साँप िेंगता है।
 बस चिती है।
सकर्मक क्रिया
 जिन क्रियाओं का असि कताम पि नहीं कर्म पि पड़ता है,
र्ह सकर्मक क्रिया कहिाती हैं।
 इन क्रियाओं र्ें कर्म का होना आर्श्यक होता हैं।
 उदाहिण-
 र्ैं िेख लिखता हूँ।
 सुिेश लर्ठाई खाता है।
 र्ीिा फि िाती है।
 भँर्िा फ
ू िों का िस पीता है।
पूर्मकालिक क्रिया
 क्रकसी क्रिया से पूर्म यदद कोई दूसिी क्रिया प्रयुक्त होती है तो
र्ह पूर्मकालिक क्रिया कहिाती है।
 िैसे- र्ैं अभी सोकि उठा हूँ। इसर्ें ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्म
‘सोकि’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ‘सोकि’ पूर्मकालिक
क्रिया है।
 विशेष- पूर्मकालिक क्रिया या तो क्रिया क
े सार्ान्य रूप र्ें
प्रयुक्त होती है अथर्ा धातु क
े अंत र्ें ‘कि’ अथर्ा ‘किक
े ’
िगा देने से पूर्मकालिक क्रिया बन िाती है। िैसे-
 िाक
े श दूध पीते ही सो गया।
 िड़क्रकयाँ पुस्तक
ें पढ़कि िाएँगी।
वर्शेषण
 संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्दों की वर्शेषता
(गुण, दोष, संख्या, परिर्ाण आदद) बताने
र्ािे शब्द ‘वर्शेषण’ कहिाते हैं।
 िैसे - बड़ा, कािा, िंबा, दयािु, भािी,
सुन्दि, कायि, टेढ़ा-र्ेढ़ा, एक, दो आदद।
 व्याकिण र्ें वर्शेषण एक वर्कािी शब्द है।
वर्शेष्य
 जिस संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्द की वर्शेषता बताई
िाए र्ह वर्शेष्य कहिाता है।
 यथा- गीता सुन्दि है। इसर्ें ‘सुन्दि’ वर्शेषण है
औि ‘गीता’ वर्शेष्य है।
 वर्शेषण शब्द वर्शेष्य से पूर्म भी आते हैं औि
उसक
े बाद भी।
 पूर्म र्ें, िैसे-
थोड़ा-सा िि िाओ।
एक र्ीटि कपड़ा िे आना।
 बाद र्ें, िैसे-
यह िास्ता िंबा है।
खीिा कड़र्ा है।
वर्शेषण क
े भेद
 वर्शेषण क
े चाि भेद हैं-
1. गुणर्ाचक।
2. परिर्ाणर्ाचक।
3. संख्यार्ाचक।
4. संक
े तर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क।
गुणर्ाचक वर्शेषण
 जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्दों क
े गुण-
दोष का बोध हो र्े गुणर्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।
 िैसे-
1. भार्:- अच्छा, बुिा, कायि, र्ीि, डिपोक आदद।
2. िंग:-िाि, हिा, पीिा, सफ
े द, चर्कीिा, फीका आदद।
3. दशा:- पतिा, सूखा, वपघिा, भािी, गीिा, अर्ीि,िोगी,आदद।
4. स्थान:- भीतिी, बाहिी, पंिाबी, पुिाना, आगार्ी आदद।
5. गुण:- भिा, बुिा, सुन्दि, र्ीठा, दानी,सच, सीधा आदद।
6. ददशा:- उत्तिी, दक्षिणी, पूर्ी, पजश्चर्ी आदद।
परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण
 जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्मनार् की र्ात्रा अथर्ा नाप-तोि का
ज्ञान हो र्े परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।
 परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण क
े दो उपभेद है-
1. तनजश्चत परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण- जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की
तनजश्चत र्ात्रा का ज्ञान हो। िैसे-
 (क) र्ेिे सूट र्ें साढ़े तीन र्ीटि कपड़ा िगेगा।
 (ख) दस क्रकिो चीनी िे आओ।
 (ग) दो लिटि दूध गिर् किो।
2. अतनजश्चत परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण- जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की
अतनजश्चत र्ात्रा का ज्ञान हो। िैसे-
 (क) थोड़ी-सी नर्कीन र्स्तु िे आओ।
 (ख) क
ु छ आर् दे दो।
 (ग) थोड़ा-सा दूध गिर् कि दो।
संख्यार्ाचक वर्शेषण
 जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्मनार् की संख्या का
बोध हो र्े संख्यार्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।
 िैसे - एक, दो, द्वर्तीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदद।
 संख्यार्ाचक वर्शेषण क
े दो उपभेद हैं-
1. तनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषण
 जिन वर्शेषण शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध हो।
िैसे- दो पुस्तक
ें र्ेिे लिए िे आना।
2. अतनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषण
 जिन वर्शेषण शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध न हो।
िैसे- क
ु छ बच्चे पाक
म र्ें खेि िहे हैं।
संक
े तर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क वर्शेषण
 िो सर्मनार् संक
े त द्र्ािा संज्ञा या सर्मनार् की
वर्शेषता बतिाते हैं र्े संक
े तर्ाचक वर्शेषण कहिाते
हैं।
 विशेष - क्योंक्रक संक
े तर्ाचक वर्शेषण सर्मनार् शब्दों
से बनते हैं, अतः ये सार्मनालर्क वर्शेषण कहिाते
हैं।
 इन्हें तनदेशक भी कहते हैं।
क्रक्रयाविशेषि
 जिन अवर्कािी शब्दों से क्रिया की वर्शेषता का
बोध होता है, र्े क्रियावर्शेषण कहिाते हैं।
 क्रियावर्शेषण साथमक शब्दों क
े आठ भेदों र्ें
एक भेद है।
 व्याकिण र्ें क्रियावर्शेषण एक अवर्कािी
शब्द है।
क्रक्रयाविशेषि क
े भेद
क्रियावर्शेषण क
े अथम क
े अनुसाि पाँच भेद होते
हैं-
1. स्थानर्ाचक
2. कािर्ाचक
3. परिर्ाणर्ाचक
4. ददशार्ाचक
5. िीततर्ाचक।
स्थानिाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया क
े व्यापाि-स्थान का बोध किाते हैं, उन्हें
स्थानर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- यहाँ, र्हाँ, कहाँ, िहाँ, तहाँ, सार्ने, नीचे, ऊपि, आगे, भीति, बाहि
आदद।
कालिाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया क
े व्यापाि का सर्य बतिाते हैं, उन्हें
कािर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- आि, कि, पिसों, पहिे, पीछे, अभी, कभी, सदा, अब तक, अभी-
अभी, िगाताि, बाि-बाि, प्रततददन आदद।
परिमाििाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया क
े परिर्ाण अथर्ा तनजश्चत संख्या का बोध
किाते हैं, उन्हें परिर्ाणर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- बहुत, अधधक, पूणमतया, सर्मथा, क
ु छ, थोड़ा, काफी, क
े र्ि, यथेष्ट,
इतना, उतना, क्रकतना, थोड़ा-थोड़ा, तति-तति, एक-एक किक
े आदद।
हदशािाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया की ददशा का बोध किाते हैं, उन्हें
ददशार्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- दायें-बायें, इधि-उधि, क्रकधि, एक ओि, चािों तिफ आदद।
िीतििाचक
िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया की िीतत का बोध किाते हैं, उन्हें िीततर्ाचक
क्रियावर्शेषण कहते हैं।
िैसे- सचर्ुच, ठीक, अर्श्य, कदाधचत्, यथासम्भर्, ऐसे, र्ैसे, सहसा, तेज़,
ठीक, सच, अत:, इसलिए, क्योंक्रक, नहीं, र्त, कदावप, तो, हो, र्ात्र, भि
आदद।
Credits
 Information
 Class X Grammar Book
 Internet
 Pictures
 Internet sites and rightful
owners
 Search engine
 Google
 Software
 Microsoft PowerPoint
 Teacher
 Sri Khanapure Sir
धन्यर्ाद
धन्यर्ाद
Presentation By-
 Shanmukha Priya
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  • 2. अनुक्रमणिका क्रिया क्रिया क े भेद • अकर्मक क्रिया • सकर्मक क्रिया  पूर्मकालिक क्रिया वर्शेषण वर्शेष्य वर्शेषण क े भेद • गुणर्ाचक वर्शेषण • परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण • संख्यार्ाचक वर्शेषण • संक े तर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क वर्शेषण
  • 3. अनुक्रमणिका  क्रियावर्शेषण क्रियावर्शेषण क े भेद • स्थानर्ाचक • कािर्ाचक • परिर्ाणर्ाचक • ददशार्ाचक • िीततर्ाचक
  • 4. क्रिया  जिस शब्द अथर्ा शब्द-सर्ूह क े द्र्ािा क्रकसी कायम क े होने अथर्ा क्रकये िाने का बोध हो उसे क्रक्रया कहते हैं।  िैसे- • सीता 'नाच िही है'। • बच्चा दूध 'पी िहा है'। • सुिेश कॉिेि 'िा िहा है'।  इनर्ें ‘नाच िही है’, ‘पी िहा है’, ‘िा िहा है’ शब्दों से कायम- व्यापाि का बोध हो िहा हैं। इन सभी शब्दों से क्रकसी कायम क े किने अथर्ा होने का बोध हो िहा है। अतः ये क्रियाएँ हैं। व्याकिण र्ें क्रिया एक वर्कािी शब्द है।
  • 5. क्रिया क े भेद  क्रिया क े दो भेद हैं- 1. अकर्मक क्रिया। 2. सकर्मक क्रिया।
  • 6. अकर्मक क्रिया  जिन क्रियाओं का असि कताम पि ही पड़ता है र्े अकर्मक क्रिया कहिाती हैं।  ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आर्श्यकता नहीं होती।  अकर्मक क्रियाओं क े उदाहिण हैं-  िाक े श िोता है।  साँप िेंगता है।  बस चिती है।
  • 7. सकर्मक क्रिया  जिन क्रियाओं का असि कताम पि नहीं कर्म पि पड़ता है, र्ह सकर्मक क्रिया कहिाती हैं।  इन क्रियाओं र्ें कर्म का होना आर्श्यक होता हैं।  उदाहिण-  र्ैं िेख लिखता हूँ।  सुिेश लर्ठाई खाता है।  र्ीिा फि िाती है।  भँर्िा फ ू िों का िस पीता है।
  • 8. पूर्मकालिक क्रिया  क्रकसी क्रिया से पूर्म यदद कोई दूसिी क्रिया प्रयुक्त होती है तो र्ह पूर्मकालिक क्रिया कहिाती है।  िैसे- र्ैं अभी सोकि उठा हूँ। इसर्ें ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्म ‘सोकि’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ‘सोकि’ पूर्मकालिक क्रिया है।  विशेष- पूर्मकालिक क्रिया या तो क्रिया क े सार्ान्य रूप र्ें प्रयुक्त होती है अथर्ा धातु क े अंत र्ें ‘कि’ अथर्ा ‘किक े ’ िगा देने से पूर्मकालिक क्रिया बन िाती है। िैसे-  िाक े श दूध पीते ही सो गया।  िड़क्रकयाँ पुस्तक ें पढ़कि िाएँगी।
  • 9. वर्शेषण  संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्दों की वर्शेषता (गुण, दोष, संख्या, परिर्ाण आदद) बताने र्ािे शब्द ‘वर्शेषण’ कहिाते हैं।  िैसे - बड़ा, कािा, िंबा, दयािु, भािी, सुन्दि, कायि, टेढ़ा-र्ेढ़ा, एक, दो आदद।  व्याकिण र्ें वर्शेषण एक वर्कािी शब्द है।
  • 10. वर्शेष्य  जिस संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्द की वर्शेषता बताई िाए र्ह वर्शेष्य कहिाता है।  यथा- गीता सुन्दि है। इसर्ें ‘सुन्दि’ वर्शेषण है औि ‘गीता’ वर्शेष्य है।  वर्शेषण शब्द वर्शेष्य से पूर्म भी आते हैं औि उसक े बाद भी।
  • 11.  पूर्म र्ें, िैसे- थोड़ा-सा िि िाओ। एक र्ीटि कपड़ा िे आना।  बाद र्ें, िैसे- यह िास्ता िंबा है। खीिा कड़र्ा है।
  • 12. वर्शेषण क े भेद  वर्शेषण क े चाि भेद हैं- 1. गुणर्ाचक। 2. परिर्ाणर्ाचक। 3. संख्यार्ाचक। 4. संक े तर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क।
  • 13. गुणर्ाचक वर्शेषण  जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्मनार् शब्दों क े गुण- दोष का बोध हो र्े गुणर्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।  िैसे- 1. भार्:- अच्छा, बुिा, कायि, र्ीि, डिपोक आदद। 2. िंग:-िाि, हिा, पीिा, सफ े द, चर्कीिा, फीका आदद। 3. दशा:- पतिा, सूखा, वपघिा, भािी, गीिा, अर्ीि,िोगी,आदद। 4. स्थान:- भीतिी, बाहिी, पंिाबी, पुिाना, आगार्ी आदद। 5. गुण:- भिा, बुिा, सुन्दि, र्ीठा, दानी,सच, सीधा आदद। 6. ददशा:- उत्तिी, दक्षिणी, पूर्ी, पजश्चर्ी आदद।
  • 14. परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण  जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्मनार् की र्ात्रा अथर्ा नाप-तोि का ज्ञान हो र्े परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।  परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण क े दो उपभेद है- 1. तनजश्चत परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण- जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की तनजश्चत र्ात्रा का ज्ञान हो। िैसे-  (क) र्ेिे सूट र्ें साढ़े तीन र्ीटि कपड़ा िगेगा।  (ख) दस क्रकिो चीनी िे आओ।  (ग) दो लिटि दूध गिर् किो। 2. अतनजश्चत परिर्ाणर्ाचक वर्शेषण- जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की अतनजश्चत र्ात्रा का ज्ञान हो। िैसे-  (क) थोड़ी-सी नर्कीन र्स्तु िे आओ।  (ख) क ु छ आर् दे दो।  (ग) थोड़ा-सा दूध गिर् कि दो।
  • 15. संख्यार्ाचक वर्शेषण  जिन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्मनार् की संख्या का बोध हो र्े संख्यार्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।  िैसे - एक, दो, द्वर्तीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदद।  संख्यार्ाचक वर्शेषण क े दो उपभेद हैं- 1. तनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषण  जिन वर्शेषण शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध हो। िैसे- दो पुस्तक ें र्ेिे लिए िे आना। 2. अतनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषण  जिन वर्शेषण शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध न हो। िैसे- क ु छ बच्चे पाक म र्ें खेि िहे हैं।
  • 16. संक े तर्ाचक अथर्ा सार्मनालर्क वर्शेषण  िो सर्मनार् संक े त द्र्ािा संज्ञा या सर्मनार् की वर्शेषता बतिाते हैं र्े संक े तर्ाचक वर्शेषण कहिाते हैं।  विशेष - क्योंक्रक संक े तर्ाचक वर्शेषण सर्मनार् शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्मनालर्क वर्शेषण कहिाते हैं।  इन्हें तनदेशक भी कहते हैं।
  • 17. क्रक्रयाविशेषि  जिन अवर्कािी शब्दों से क्रिया की वर्शेषता का बोध होता है, र्े क्रियावर्शेषण कहिाते हैं।  क्रियावर्शेषण साथमक शब्दों क े आठ भेदों र्ें एक भेद है।  व्याकिण र्ें क्रियावर्शेषण एक अवर्कािी शब्द है।
  • 18. क्रक्रयाविशेषि क े भेद क्रियावर्शेषण क े अथम क े अनुसाि पाँच भेद होते हैं- 1. स्थानर्ाचक 2. कािर्ाचक 3. परिर्ाणर्ाचक 4. ददशार्ाचक 5. िीततर्ाचक।
  • 19. स्थानिाचक िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया क े व्यापाि-स्थान का बोध किाते हैं, उन्हें स्थानर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं। िैसे- यहाँ, र्हाँ, कहाँ, िहाँ, तहाँ, सार्ने, नीचे, ऊपि, आगे, भीति, बाहि आदद। कालिाचक िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया क े व्यापाि का सर्य बतिाते हैं, उन्हें कािर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं। िैसे- आि, कि, पिसों, पहिे, पीछे, अभी, कभी, सदा, अब तक, अभी- अभी, िगाताि, बाि-बाि, प्रततददन आदद।
  • 20. परिमाििाचक िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया क े परिर्ाण अथर्ा तनजश्चत संख्या का बोध किाते हैं, उन्हें परिर्ाणर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं। िैसे- बहुत, अधधक, पूणमतया, सर्मथा, क ु छ, थोड़ा, काफी, क े र्ि, यथेष्ट, इतना, उतना, क्रकतना, थोड़ा-थोड़ा, तति-तति, एक-एक किक े आदद। हदशािाचक िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया की ददशा का बोध किाते हैं, उन्हें ददशार्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं। िैसे- दायें-बायें, इधि-उधि, क्रकधि, एक ओि, चािों तिफ आदद।
  • 21. िीतििाचक िो अवर्कािी शब्द क्रकसी क्रिया की िीतत का बोध किाते हैं, उन्हें िीततर्ाचक क्रियावर्शेषण कहते हैं। िैसे- सचर्ुच, ठीक, अर्श्य, कदाधचत्, यथासम्भर्, ऐसे, र्ैसे, सहसा, तेज़, ठीक, सच, अत:, इसलिए, क्योंक्रक, नहीं, र्त, कदावप, तो, हो, र्ात्र, भि आदद।
  • 22. Credits  Information  Class X Grammar Book  Internet  Pictures  Internet sites and rightful owners  Search engine  Google  Software  Microsoft PowerPoint  Teacher  Sri Khanapure Sir