3. 1.सुमित बाजार गया |
2.भरत फल लाया।
इन दोनों वाक्यो को बोल कर पढ़िए हि बोलने क
े मलए ध्वनन का प्रयोग
करते हैं। हि मलखने क
े मलए मलपप का प्रयोग करते हैं। यह दोनों वाक्य
तीन-तीन शब्दों क
े योग से बनी है |
जैसे- 1. सुमित,बाजार,गया
2.भरत ,फल, लाया
इन दोनों वाक्यों क
े प्रत्येक शब्द िें कई ध्वननयााँ है।
1.सुमित = स+उ+ि+इ+त+अ
2.बाजार= ब+आ+ज+आ+र+अ
3.गया = ग+अ+य+आ
4.भरत= भ+अ+र+अ+त
5.फल = फ़+अ+ल+ अ
6.लाया= ल+आ+य+आ
4. इन उपयुुक्त ध्वनन क
े और ऐसे
छोटे-छोटे खंड नह ं हो सकते, जजन
पर पवचार ककया जा सक
े , इसमलए
ढहंद व्याकरण िें यह वणु कहलाते
हैं।
5. वर्ण की परिभाषा
भाषा की सबसे छोट इकाई
जजसक
े ओर टुकडे नह ं ककए जा
सकते, उसे वणु कहते हैं।
8. स्वि
स्वर वे वणु होते है जो ककसी भी अन्य वणु की सहायता
क
े बबना बोले जाते है| ये संख्या िे 11(ग्यारह) होता है|
इनक
े उच्चारण िे िुाँह से हवा बबना ककसी रुकावट क
े
बाहर आती है|
9. स्वि क
े भेद
स्वर क
े तीन भेद होता है:
1.ह्रस्व स्वर
2.द र्ु स्वर
2.प्लुत स्वर
10. ह्रस्व स्वि
ये िूल स्वर भी कहलाते है|इनक
े उच्चारण िें बहुत कि
सिय लगता है|
जैसे- अ, इ,उ,ऋ
11. दीर्ण स्वि
जजन स्वर क
े उच्चारण िें ह्रस्व स्वर से भी
दोगुना सिय लगता है,वे द र्ु स्वर कहलाते
है|
जैसे- आ,ई,ऐ, ए, ओ,औ
द र्ु स्वर संख्या िें 7(सात) होते है।
12. प्लुत स्वि
जजन स्वरों क
े उच्चारण िें ह्रस्व स्वर से नतगुना
सिय लगता है, वह प्लुत स्वर कहलाते हैं। प्राय:
ये देर से बुलाने क
े मलए प्रयुक्त ककए जाते हैं।
मलखते सिय उसे स्वर क
े आगे(३) यह चचन्ह
लगा ढदया जाता है जजसका अमभप्राय नतगुना
सिय होता है।
जैसे - ओ३ि!,हे राि३!
13. व्यंजन
व्यंजन वे वणु है जो स्वरों की सहायता से ह बोले
जाते हैं।
जैसे- क+अ=क, ख+अ=ख
इनकी संख्या 33 है। इनक
े उच्चारण िें हवा िुंह
िें कह ं ना कह ं टकरा कर बाहर ननकलती है।
18. संयुक्त व्यंजन
जब दो व्यंजनों का उच्चारण एक साथ हो जजसिें पहला व्यंजन
स्वर रढहत और दूसरा व्यंजन स्वर सढहत होता है तो उसे संयुक्त
व्यंजन कहते हैं।
19. संयुक्ताक्षि व्यंजन
जब दो अलग-अलग व्यंजनों को मिलाकर नया शब्द का ननिाुण होता
है तो वह संयुक्ताक्षर व्यंजन कहलाता है।इसका पहला व्यंजन स्वर रढहत
व दूसरा व्यंजन स्वर सढहत होता है।
20. द्ववत्व व्यंजन
जब एक जैसे दो व्यंजन एक साथ
आते हैं तो वे द्पवत्व व्यंजन कहलाते
हैं।
21. हहंदी वर्णमाला में तीन अन्य वर्ण है। यह स्वि क
े बाद ललखे तो
जाते हैं लेककन स्वि नहीं कहलाते है औि ना ही व्यंजन कहलाते
हैं। इन्हें 'अयोगवाह' कहा जाता है ।जो ननम्न प्रकाि:
1.अनुस्वाि-प्रत्येक व्यंजन वगण का अंनतम पांचवा वर्ण 'अनुस्वाि'
होता है। इसका (.)प्रयोग क
े रूप में ककया जाता है ।
जैसे -चंचल, क
ं गन ,तंत्र
2. अनुनालसक-जजस स्वि क
े उच्चािर् में हवा नाक व मुंह से ननकले
उसे 'अनुनालसक 'कहते हैं। जैसे - आँख, हँस, चाँद, फाँसी
3.ववसगण- इसका उच्चािर्' ह' क
े समान होता है। इसका प्रयोग (:) क
े
रूप में ककया जाता है। जैसे - अतः, प्रातः ,पुनः