मुक्त और दूरस्थ शिक्षा Deb, ignou और nios के सन्दर्भ में 1.

Sunil  Dubey
Sunil DubeyDoctoral Research Scholar, School of Education à Mahatma Gandhi Central University East Champaran Bihar
मुक्त और दूरस्थ शिक्षा DEB,
IGNOU और NIOS के
सन्दर्भ में
शोध निर्देनशका शोध छात्र
डॉ. रनमि श्रीवास्तव सुिील कु िार र्दूबे
सहायक आचायाा MGCU2019EDUC6008
DEPARATMENT OF EDUCATIONAL STUDIES
SCHOOL OF EDUCATION
दूरस्थ शिक्षा:
प्राचीन काल से ही हमारे देि में दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था रही है। समय के साथ-
साथ इसका र्ी स्वरूप बदलता रहा है । वतभमान में यह पद्धशत अत्यशिक शवकशसत
हो चुकी है। प्राचीन काल में जहा ऋशि मुशन ज्ञान देने के शलए गाांव गाांव जाते थे या
अपनी कुशिया में रहकर ज्ञान देते थे । आिुशनक समय में शवद्याथी पत्राचार के
माध्यम से ज्ञान प्राप्त करते हैं ।
दूरस्थ शिक्षा अथभ पररर्ािा
 दूरस्थ शिक्षा से तात्पयभ ऐसी शिक्षा से है शजनके माध्यम से उन दूरदराज के लोगों
को शिशक्षत शकया जाना है। जो शकन्ही कारणों से औपचाररक शिक्षा प्राप्त करने से
वांशचत रह गए थे । शिक्षा के अांतगभत शिक्षाथी को शकसी शवद्यालय, महाशवद्यालय
शवश्वशवद्यालय में दाशिला लेना नहीं पड़ता, अशपतु वे अपने शनवास स्थान पर रहते
हुए ही पत्राचार, िेप ररकॉर्भर, आकािवाणी, दूरदिभन और वीशर्यो कैसेि की
सहायता से शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस शिक्षण शवशि में अध्यापक तथा शवद्याशथभयों
को आमने सामने आने की जरूरत नहीं पड़ती है। शवद्याथी अपनी सर्ी समस्याओां
का हल ऊपर शववेक शचत स्थानों से स्वत: ही कर लेता है ।
आज र्ारत में शजस दूरस्थ शिक्षा का प्रसार
हो रहा है, वास्तव में उसकी िुरुआत बशलभन
जमभनी में 1856 में हुई थी। चार्लसभ र्ाशवभन
स्नेह पत्राचार द्वारा र्ािा शिक्षण िुरू शकया।
19वीं िताब्दी के अांशतम दिक में शवश्व
कासीन शवश्वशवद्यालय द्वारा पत्राचार के
माध्यम से एक उच्च शिक्षा की योजना को
कायाभशन्वत शकया गया। परांतु रूस सांसार का
पहला देि है, जहाां सरकार द्वारा पत्राचार
व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर मांजूरी दी। रूस
में जबशक शिक्षा को सफलता शमली तो
दुशनया के दूसरे देिों ने र्ी इसे अपना शलया।
दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता:
 1. जनसांख्या शवस्फोि
 2. ज्ञान का शवस्फोि
 3. आिुशनक जीवन की समस्याएां तथा जशिलताएां
 4. अत्यशिक महत्वकाांक्षी दृशिकोण
 5. शिक्षा ग्रहण करने का अशिकार
 6. सावभजशनक साक्षरता
 7. कमाते हुए सीिना
 8. िैशक्षक योग्यता बढाने की इच्छा
 9. स्वतांत्र शिक्षा की इच्छा
 10. लचीलापन
जनसांख्या शवस्फोि:
1947 में जब र्ारत आजाद हुआ उस समय र्ारत की जनसांख्या लगर्ग 42 करोड़ थी।
परांतु वतभमान में यह लगर्ग 110 करोड़ पार कर चुकी है। यह कहा जा सकता है शक
र्ारत में जनसांख्या शवस्फोि हो चुका है। इस जनसांख्या शवस्फोि की यह शस्थशत है शक
सन 2050 तक हम जनसांख्या की दृशि से चीन से आगे शनकल चुके होंगे। शजस तेजी
से जनसांख्या बढ रही है उसी अनुपात में पढने वाले बच्चों की सांख्या में र्ी शनरांतर
बढोतरी हो रही है। यही कारण है शक देि में हर साल अनेकों नए शवद्यालय एवां
महाशवद्यालय िोले जा रहे हैं, परांतु पढने वाले बच्चे के अनुपात में इन शवद्यालयों तथा
महाशवद्यालयों की सांख्या पयाभप्त नहीं है।
ज्ञान का शवस्फोि:
आिुशनक युग शवज्ञान तथा तकनीकी का युग है। प्रशतशदन यहाां ज्ञान का शवस्फोि
होता है अथाभत शकसी ना शकसी शदिा या क्षेत्र में नए नए अशवष्ट्कार होते हैं। ऐसे में
प्रत्येक व्यशक्त तक आिुशनक ज्ञान केवल शिक्षण सांस्थाओांके माध्यम से पहुांचाना
असांर्व है। इसशलए नई बातों तथा नए ज्ञान को जन जन तक पहुांचाने हेतु दूरस्थ
शिक्षा की अशनवायभता हो गई।
अत्यशिक महत्वकाांक्षी दृशिकोण:
इस र्ौशतक युग में जहाां हर चीज तेजी से बढ रही है, वहीं मनुष्ट्यों का दृशिकोण र्ी
अत्यशिक महत्व पांछी होता जा रहा है। अब शिक्षा पर िचभ होने वाले पैसे को पूांजी
शनवेि के रूप में शलया जाता है। उसका पररणाम यह शनकला शक शिक्षा ग्रहण करने
वाले शवद्याशथभयों की सांख्या शदन प्रशतशदन बढती जा रही है। इन इच्छाओांकी पूशतभ मात्र
शनयशमत शवद्यालय या महाशवद्यालय नहीं कर सकते हैं, इसशलए दूरस्थ शिक्षा की
उपयोशगता और आवश्यकता और बढ जाती है।
शिक्षा ग्रहण करने का अशिकार:
प्राचीन समय में र्ारत को शिक्षा के क्षेत्र में दुशनया का शसरमौर माना जाता था। परांतु इसके
बावजूद र्ी शिक्षा प्रत्येक व्यशक्त के शलए नहीं थी। परांतु अब आिुशनक र्ारत में शिक्षा कुछ
शविेि व्यशक्तयों के अशिकार से शनकालकर जनसािारण तक पहुांच चुकी है। अब शिक्षा प्राप्त
करना लोकताांशत्रक अशिकार में आता है। परांतु इतना होने के बावजूद र्ी बहुत से शवकासिील
देिों में आवश्यक सािनों की कमी के कारण सर्ी व्यशक्तयों के शलए शिक्षा उपलब्ि कराना एक
बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है।इस समस्या के शविय में र्ारत की लोकसर्ा के र्ूतपूवभ
अध्यक्ष र्ॉक्िर गुरदयाल शसांह शिर्ललों का कहना है “यशद हम हर कक्षा में शवद्याशथभयों की सांख्या
इसशलए नहीं बढा सकते क्योंशक उसके चारों और दीवारें हैं, यशद हम उच्च शिक्षा की सांस्थाओां
की सांख्या इसशलए नहीं बना सकते क्योंशक उसमें ज्यादा में होगा और उसका एक ही रास्ता है
शक कक्षाओां की चार दीवारों को तोड़ शदया जाए और प्रत्येक गाांव तथा छोिे कस्बों में
महाशवद्यालय िोलने की आवश्यकता को समाप्त कर शदया जाए। पत्राचार अध्ययन का
कायभक्रम, शवश्वशवद्यालय की िारणा में शनशहत सावभजशनक शिक्षण को शवस्तृत एवां सिक्त
बनाएगा।
सावभजशनक साक्षरता:
आिुशनक समाज में सावभजशनक साक्षरता र्ारत ही नहीं अशपतु सर्ी शवकासिील
देिों का प्रथम लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के शलए यह देि के उन कम
िचीली सािनों की िोज में लगे हुए हैं, शजनका पररणाम उत्साहजनक रहे इस
दृशिकोण से देिा जाए। तो हम पाएांगे शक दूरस्थ शिक्षा शनयशमत शिक्षा की अपेक्षा
कम िचीली है।
र्दूरस्थ नशक्षा के लाभ क्या है:
 दूरस्थ शिक्षा के द्वारा कहीं र्ी और शकसी र्ी समय अपनी शिक्षा को जारी रि सकते हैं क्योंशक इस शिक्षा
प्रणाली में इस बात से कोई फकभ नहीं पड़ता शक आप देि में कहाां रह रहे हैं। बहुत से ऐसे अांतरराष्ट्रीय
कोसभ र्ी हैं जो शर्स्िेंस एजुकेिन के माध्यम से करवाए जाते हैं शजनमें दूसरे देिों के छात्र प्रवेि लेकर
पढाई करते हैं।
 अगर शकसी के पास समय की कमी है तो वह अपनी पढाई शदन के समय ना करके रात के समय र्ी कर
सकता है। आपको कहीं पर र्ी व्यशक्तगत रूप से जाने की आवश्यकता नहीं होती।
 आपको अपनी पढाई के शलए घर से शनकलने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंशक आप अपने घर में रहकर
अपने कांप्यूिर पर अपनी पढाई कर सकते हैं इस तरह आप र्ीड़-र्ाड़ वाले इलाकों एवां बसों, रेनों आशद
में सफ़र करने से बच सकते हैं। इस तरह आप के समय और पैसे एवां ऊजाभ की बचत होती है।
 दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में एक फ़ायदा यह र्ी है शक आपकी कॉलेज में िाशमल होने के शलए जो लागत
लगती है वह रेगुलर कॉलेज की तुलना में बहुत कम होती है।
 शर्स्िेंस एजुकेिन में पढाई करते समय आप अपने दूसरे अन्य काम र्ी ठीक प्रकार से कर सकते हैं जैसे
यशद आप कहीं पर नौकरी कर रहे हैं तो इसके शलए आपको अपनी नौकरी छोड़ने की आवश्यकता नहीं
पड़ेगी। या शफर यशद आप शकसी वजह से घर से बाहर नहीं जा सकते तो तब र्ी यह आपके शलए काफी
लार्दायक तरीका है अपनी पढाई को जारी रिने का ।
दूरस्थ शिक्षा की समस्या क्या है:
 दूरस्थ शिक्षा में सबसे बुरी बात यह होती है शक यहाां पर कॉलेज के शिक्षकों से शकसी र्ी प्रकार
की बातचीत नहीं हो सकती। इसशलए यशद कर्ी आपको शकसी प्रोफेसर की मदद की
आवश्यकता पड़ती है तो आप उनकी मदद नहीं ले सकते।
 शर्स्िेंस एजुकेिन के द्वारा कोई र्ी छात्र अशिक गांर्ीरता से अपनी पढाई को नहीं लेता है
क्योंशक उसके पास पढाई में कांपिीिन करने के शलए उसके सहर्ागी और शमत्र नहीं होते जबशक
एक कॉलेज में प्रशतस्पिाभ और सीिने का माहौल बहुत अशिक होता है। इस तरह आप को
अकेले ही अपनी पढाई को करना होता है शजससे आप बहुत अशिक मोशिवेि नहीं हो पाते।
 दूरस्थ शिक्षा माध्यम से पढाई करते समय आप बोर र्ी हो सकते हैं क्योंशक आपके साथ वहाां
पर पड़ने वाला कोई अन्य आपका दोस्त नहीं होता। इसशलए पढाई में रुशच ित्म हो जाती है।
 बहुत सी प्राइवेि और सरकारी कांपशनयाां ऑनलाइन शर्ग्री लेने वालों को नौकरी नहीं देते हैं
क्योंशक उनके शहसाब से शनयशमत कॉलेज शर्ग्री लेना अशिक उत्तम होता है जहाां पर गांर्ीर रूप
से पढाई करवाई जाती है।
र्दूरस्थ नशक्षा के बार्द कररयर क्या है:
 दूरस्थ शिक्षा के बाद कोई र्ी छात्र शवशर्न्न प्रकार की सरकारी और शनजी कांपशनयों
में अपनी योग्यता अनुसार आवेदन कर सकता है। इसशलए अभ्यथी को चाशहए शक
शजस शविय में र्ी उसने पढाई की है उससे सांबांशित नौकरी के शलए अप्लाई करें।
इसके अलावा कैंशर्र्ेि यूपीएससी , एसएससी जैसी बड़ी परीक्षाओांमें बैठ सकता
है।
र्ारत में नीशतगत पररप्रेक्ष्य:
र्ारतीय शिक्षा आयोग (1964 – 66):
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्भ ने शनश्चय शकया शक र्ॉ र्ी. एस. कोठारी की अध्यक्षता में
एक शविेिज्ञ सशमशत गशठत की जाए जो पत्राचार पाठ्यक्रम की प्रकृशत, सीमा और सािनों
के सांबांि में अपनी शसफाररिें दे । सन 1966 में कोठारी आयोग ने शनम्नशलशित शसफाररिें
सरकार को प्रस्तुत शकया- पत्राचार पाठ्यक्रम और शर्ग्री स्तर अथवा समतुर्लय स्तर की
योग्यता प्रदान करते हैं का सांचालन शवश्वशवद्यालयों के द्वारा ही शकया जाए वतभमान में
पत्राचार पाठ्यक्रम शवश्वशवद्यालय की प्रथम शर्ग्री तक ही सीशमत रहें । िैशक्षक स्तर को
बनाए रिने के शलए यह आवश्यक है शक पाठ्यक्रम शनमाभण और पाठ्य पुस्तकों के चयन
के कायों में शसफभ शवद्वानों और शिक्षकों को िाशमल शकया जाए । करोड़ों लोगों के शलए
कोई न कोई शिक्षा का माध्यम अवश्य हो जो अपने प्रयास से और अपनी सुशविा के समय
में रहकर शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं हमारे शवचार में इसका उपयोग तरीका दूरस्थ शिक्षा ही
हो सकता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीशत (1968):
शवश्वशवद्यालय स्तर पर अांिकालीन शिक्षा और पत्राचार पाठ्यक्रम बड़े पैमाने पर
शवकशसत शकए जाएां और ऐसी सुशविाएां माध्यशमक शवद्यालयों के शवद्याशथभयों एवां
अध्यापकों तथा कृशि एवां औद्योशगक और अन्य श्रशमकों के शलए र्ी उपलब्ि की
जाए । अांिकालीन और पत्राचार पाठ्यक्रम को वही दजाभ शदया जाए जो
पूणभकाशलक शिक्षा को शदया जाता है ।
शवश्वशवद्यालय अनुदान आयोग (1974) की शनदेशिका:
शवश्वशवद्यालय अनुदान आयोग ने दूरस्थ शिक्षा सांबांिी मागभदिभक शसद्धाांत जारी की है ।
आयोग ने कहा शक पत्राचार पाठ्यक्रम वाली शिक्षा का उद्देश्य शिक्षा के प्रशत अशर्रुशच
रिने वाले ऐसे बहुत से लोगों को वैकशर्लपक शिक्षा सािन उपलब्ि कराना है जो अपने
ज्ञान को और व्यवसाय की योग्यता को बढाना चाहते हैं । पत्राचार पाठ्यक्रम शजनकी
आवश्यकताओांकी पूशतभ करेंगे वह हैं
1.शवद्याशथभयों की शजन्होंने आशथभक व अन्य कारणों से औपचाररक शिक्षा छोड़ दी है ।
2.शवद्याशथभयों की जो र्ौगोशलक दृशि से दूरदराज के क्षेत्रों में बसे हुए हैं ।
3.शवद्याशथभयों की शजन्होंने अशर्रुशच अशर्प्रेरणा के अर्ाव में पहले अपनी शिक्षा छोड़ दी परांतु
बाद में शफर अशर्प्रेररत हो गए ।
4.शवद्याशथभयों की शजन्हें पयाभप्त योग्यता होने के बावजूद या तो शनयशमत कॉलेजों में प्रवेि नहीं
शमल पाया या वह जो शनयशमत कॉलेज या शवश्वशवद्यालय में प्रवेि लेना नहीं चाहते ।
5.शवद्याशथभयों की जो शिक्षा को जीवन पयंत चलने वाली कायभकलाप मानते हैं और आगे
अद्यतन ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीशत (1986):
र्ारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीशत की घोिणा की शजसमें दूरस्थ शिक्षा और मुक्त
अशिगम प्रणाली पर शविेि बल शदया गया । शिक्षा नीशत के कुछ सुझाव शनम्न है:
1.प्रौढ और सतत शिक्षा का एक वृहद कायभक्रम शवशर्न्न र्ागों और सािनों के
द्वारा कायाभशन्वत करना होगा शजसमें दूरस्थ अशिगम कायभक्रम िाशमल करना होगा ।
2.शिक्षा प्रशक्रया का महत्वपूणभ उद्देश्य जीवन पयंत शिक्षा है । देि की साक्षरता
बढाने के शलए कृशि में लगे लोगों, औद्योशगक श्रशमकों और व्यवसाय करने वालों
को उनकी पसांद की शिक्षा के अवसर उनके शलए अनुकूल गशत से उपलब्ि कराना
है ।
दूरस्थ शिक्षा पररिद की स्थापना (मई 1991):
इग्नू के प्रबांिन बोर्भ ने दूरस्थ शिक्षा पररिद की स्थापना के शलए एक समूह शवशि
पाररत शक इसका उद्देश्य मुक्त शवश्वशवद्यालय और दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था की प्रचार
और प्रसार में वृशद्ध करने के साथ समन्वय के स्तर को बनाए रिना था, मुक्त
शवश्वशवद्यालय और दूर शिक्षा सांस्थाओांका एक नेिवकभ स्थाशपत करना और दूरस्थ
शिक्षा कशमभयों के शलए प्रशिक्षण की व्यवस्था करना ।
दूरस्थ शिक्षा पर शिक्षा के केंद्रीय सलाहकार बोर्भ की
सशमशत (1995):
केंद्रीय सलाहकार बोर्भ की सशमशत ने दूरस्थ शिक्षा के अांतगभत प्रत्येक राज्य में एक
मुक्त शवश्वशवद्यालय स्थाशपत करने की शसफाररि की इसने यह र्ी प्रस्ताव रिा शक
मुक्त शवश्वशवद्यालय का एक नेिवकभ शबछाया जाए शजसका मुख्य उद्देश्य - सांसािनों
की साझेदारी, कायों की प्रवृशत्त को कम से कम करना, एक समान स्तर शनशश्चत
करना, शवद्याशथभयों की गशतिीलता को प्रोत्साहन करना और प्रर्ावी शवद्याथी
सहायता सेवा की व्यवस्था करना ।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (2006 – 2009):
मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा तथा मुक्त शिक्षा सांसािनों का शवकास उच्च शिक्षा में
शवस्तार, उत्कृिता तथा समावेिन के उद्देश्यों की प्राशप्त हेतु आवश्यक है । उच्च
शिक्षा में नामाांशकत शवद्याशथभयों के 5वें शहस्सा से अशिक मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा
िािा में है । दूरस्थ शिक्षा पर राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का सुझाव : एक राष्ट्रीय सूचना
एवां सांप्रेिण प्रयोग की आिारर्ूत सांरचना, शनयामक सांरचना का सुिार हो जो
क्रशमक हो गुणवत्तापूणभ शविय वस्तु का उत्पादन तथा वैशश्वक मुक्त शिक्षा सांसािन
के उत्थान में एक व्यापक िांग से ध्यान आकृि करने की आवश्यकता है । सर्ी
सामग्री के मुक्त पहुांच को प्रोत्साशहत करने की आवश्यकता है जैसे- िोि पत्र,
पुस्तके , पशत्रकाएां इत्याशद ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीशत (2020):
मुक्त ऑनलाइन कायभक्रमों की माांग र्शवष्ट्य में बढने वाली है । ऑनलाइन के माध्यम से शवद्याशथभयों की तरफ से
तकनीकी के समथभन की आवश्यकता होगी जो शक अर्ी र्ी सावभजशनक शमलते हैं यह अनुसांशचत है शक इस क्षेत्र में
शवकास को ध्यानपूवभक देिा जाना चाशहए । राष्ट्रीय शिक्षा नीशत मुक्त शिक्षा को शवश्व में प्रासांशगक करने हेतु
शवद्याशथभयों को वैशश्वक शर्शजिल से सुसशज्जत एवां सक्षम बनाने का काम करना है । शवद्याशथभयों को सक्षम बनाने के
शलए शनम्नशलशित प्रयास जरूरी है जो इस प्रकार है:
 मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा अशिगम (ओर्ीएल) जो परांपरागत कक्षा - कक्ष के एक वैकशर्लपक पद्धशत का शवचार
प्रस्तुत करता है शवश्व के बहुत से र्ागों में स्वीकायभ हो रहा है । यह दूरस्थ स्थान से अशिगम को शनयशमत रिने
के साथ कायभ या नौकरी की शनयशमतता हेतु लचीलापन प्रदान करता है ।
 र्ारत में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में िाशमल इग्नू तथा कुछ राज्य मुक्त शवश्वशवद्यालयों द्वारा शिक्षा प्रदान शकए
जा रहे है । हाल के विों में कई सांस्थान तथा शवश्वशवद्यालयों के साथ सांस्थाएां शवशर्न्न पाठ्यक्रमों की
आवश्यकताओांकी पूशतभ हेतु शनशमभत हुए हैं ।
 सूचना प्रौद्योशगकी की क्षमता, सूचना प्रौद्योशगकी का जुड़ाव तथा मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा को प्रोत्साशहत करने में
अग्रणी शवश्वशवद्यालयों तथा सांस्थाओांद्वारा व्यशक्त के रूप में र्ारत की वतभमान तथा सांर्ाशवत िशक्त के कारण
शवश्वशवद्यालयों तथा वृहद ऑनलाइन मुक्त पाठ्यक्रमों द्वारा मुक्त एवां दूरस्थ अशिगम समुशचत उत्कृिता के
अनुरूप होना चाशहए ।
दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो(DEB):
मानव सांसािन शवकास मांत्रालय, उच्च शिक्षा शवर्ाग, र्ारत सरकार द्वारा शदनाांक
29.12.2012 को जारी शनदेिों के अनुसरण में, उच्च शिक्षा में दूरस्थ शिक्षा कायभक्रमों
के सांबांि में शनयामक कायभ अब शवश्वशवद्यालय अनुदान आयोग के पास शनशहत हैं।
दूरस्थ शिक्षा पररिद, जो दूरस्थ शिक्षा कायभक्रमों का पूवभ शनयामक था, को र्ांग कर शदया
गया है और सर्ी शनयामक कायभ यूजीसी द्वारा शकए जा रहे हैं। यूजीसी दूरस्थ शिक्षा के
शलए नए शनयम बनाने की प्रशक्रया में है। तथाशप, यह शनणभय शलया गया है शक जब तक
यूजीसी के नए शवशनयमों को अशिसूशचत नहीं शकया जाता है, तब तक दूरस्थ शिक्षा
कायभक्रमों के शलए सांस्थानों को अनुमशत प्रदान करने के उद्देश्य से ओर्ीएल सांस्थानों
की मान्यता के सांबांि में पूवभ र्ीईसी के शदिाशनदेिों को लागू शकया जाएगा ।
महत्वपूणभ कायों शजन पर दूरस्थ शिक्षा शनर्भर है, को सामूशहक प्रयास द्वारा गशत देना ।
जैसे सहायता सेवाएँ, पाठ्यक्रम शनमाभण, सामग्री का प्रेिण एवां शवतरण, शिक्षकों की
र्ती एवां प्रशिक्षण, िेलीकान्रेस की शनशश्चत समय शनिाभरण तथा शर्शजिल नेिवकभ का
उच्च स्तरीय कायभ
दूरस्थ शिक्षा ब्यूरों से मान्यता प्राप्त शवश्वशवद्यालय:
 State Open Universities
 DR. B.R. AMBEDKAR OPEN UNIVERSITY (BRAOU), HYDERABAD, A.P.
 VARDHMAN MAHAVEER OPEN UNIVERSITY (VMOU), KOTA, RAJASTHAN
 NALANDA OPEN UNIVERSITY (NOU). PATNA, BIHAR
 YASHWANTRAO CHAVAN MAHARAHSTRA OPEN UNIVERSITY (YCMOU),
NASHIK, MAHARASHTRA
 MADHYA PRADESH BHOJ OPEN UNIVERSITY (MPBOU), BHOPAL, M.P.
 DR. BABASAHEB AMBEDKAR OPEN UNIVERSITY (BAOU), AHMEDABAD,
GUJARAT
 KARNATAKA STATE OPEN UNIVERSITY (KSOU), MYSORE, KARNATAKA
 NETAJI SUBHAS OPEN UNIVERSITY (NSOU), KOLKATA, W.B.
 U.P. RAJARSHI TANDON OPEN UNIVERSITY (UPRTOU), ALLAHABAD, U.P.
 TAMIL NADU OPEN UNIVERSITY (TNOU), CHENNAI, TAMIL NADU
 PT. SUNDERLAL SHARMA OPEN UNIVERSITY (PSSOU), BILASPUR,
CHHATTISGARH
 UTTARANCHAL OPEN UNIVERSITY, HALDWANI, (NAINITAlL),
UTTARANCHAL
 K. K. Handique State University,Guwahati, Assam
NIOS-राष्ट्रीय िुक्त नवद्यालयी नशक्षा संस्थाि (एिआईओएस):
राष्ट्रीय मुक्त शवद्यालय (रा.मु.शव.) की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीशत 1986 का अनुपालन
करते हुए, शिक्षा मांत्रालय , र्ारत सरकार द्वारा नवांबर, 1989 में की गई । एनआईओएस
माध्यशमक और उच्चतर माध्यशमक स्तर पर सामान्य और िैशक्षक पाठ्यक्रमों के साथ साथ
बहुत से व्यावसाशयक, जीवन समृशद्ध और सामुदाशयक उन्मुि पाठ्यक्रम प्रदान करता है ।
एनआईओएस अपने मुक्त बेशसक शिक्षा कायभक्रमों (ओबीई) दवारा प्राथशमक स्तर के
पाठ्यक्रम र्ी चलाता है । र्ारत सरकार ने एक राजपत्र अशिसूचना द्वारा एनआईओएस
को पूवभ-स्नातक स्तर तक िैशक्षक, तकनीकी, व्यावसाशयक के पाठ्यक्रमों के शलए पांजीकृत
शिक्षाशथभयों की परीक्षा लेने और उत्तीणभ शिक्षाशथभयों को प्रमाणपत्र प्रदान करने का अशिकार
प्रदान शकया है । र्ारतीय शवश्वशवद्यालय सांघ ने पत्र सां. ईवी/11(354)/91/25 जुलाई,
1991 एनआईओएस के उच्च. माध्याशमक प्रमाणपत्र परीक्षा के समान जारी शकया ।
िैशक्षक शवर्ाग:
 िैशक्षक शवर्ाग और व्यावसाशयक शिक्षा शवर्ाग एनआईओएस के अत्यांत शवर्ाग कहे
जा सकते हैं। ये दोनों शवर्ाग शिक्षा कायभक्रम और पाठ्यक्रम तैयार कर शिक्षाशथभयों को
उनकी पसांद के पाठ्यक्रमों में शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करते हैं । दोनों शवर्ाग
शिक्षाशथभयों के लार् के शलए एक दूसरे का सहयोग करते हैं।
 िैशक्षक शवर्ाग, िैशक्षक पाठ्यक्रमों से सांबशन्ित कायभ करता है शजसमें प्राथशमक से
लेकर पूवभ स्नातक स्तर तक की सांपूणभ सतत् शिक्षा िाशमल है। िैशक्षक शवर्ाग
पाठ्यचयाभ और स्व-अध्ययन सामग्री के शवकास, अध्ययन सामग्री के पुनरीक्षण तथा
अनुसांिान और शवकास गशतशवशियों के साथ शिक्षाशथभयों के मूर्लयाांकन के क्षेत्र में र्ी
सहायता प्रदान करता है।
एिआईओएस के शैनक्षक नवभाग की निम्िनलनित इकाईयााँ हैं:
 मुक्त बेशसक शिक्षा (ओबीई)
 माध्यशमक और उच्चतर माध्यशमक पाठ्यक्रम
 अनुसांिान और शवकास प्रकोष्ठ
 सक्षमता शनमाभण प्रकोष्ठ
 एनकॉस सशचवालय
 कोमोसा सशचवालय
 ग्राशफक इकाई
 पुस्तकालय और प्रलेिन सेवाएँ
िैशक्षक -शवर्ागीय सलाहकार बोर्भ
िैशक्षक-पररिद
मुक्त बेशसक शिक्षा (ओबीई)
माध्यशमक पाठ्यक्रम दसवीं
कक्षा के समकक्ष
उच्चतर माध्यशमक पाठ्यक्रम
बारहवीं कक्षा के समकक्ष
व्यावसाशयक शिक्षा
ओर्ीएल कायभकताभओांके शलए प्रशिक्षण पैकेज
इनदर्दरा गांधी राष्ट्रीय िुक्त नवश्वनवद्यालय(IGNOU):
इनदर्दरा गांधी राष्ट्रीय िुक्त नवश्वनवद्यालय (सांक्षेप में इग्नू -IGNOU) र्ारतीय सांसदीय
अशिशनयम के द्वारा शसतम्बर, 1985 में स्थाशपत एक केन्द्रीय शवश्वशवद्यालय है। इसका
मुख्य कायाभलय नयी शदर्लली (मैदान गढी) में स्थाशपत है। यह दुशनया का सबसे बड़ा
शवश्वशवद्यालय है। र्ारत और अन्य 33 देिों के लगर्ग 40 लाि शवद्याथी इसमें अध्ययन
करते हैं। यह शवश्वशवद्यालय र्ारत में मुक्त और दूरवती अध्ययन का राष्ट्रीय सांसािन केंद्र
र्ी है तथा दूरवती शिक्षा में दुशनया का नायक है।
शिक्षण और अनुसांिान के अलावा, शवस्तार और प्रशिक्षण इस शवश्वशवद्यालय की िैक्षशणक
गशतशवशियों का मुख्य आिार है।
दूर शिक्षा के क्षेत्र में यह शवश्वशवद्यालय अग्रणी है और कॉमनवेर्लथ ऑफ लशनंग द्वारा दूर
शिक्षा में सवोत्तम केंद्र का सम्मान प्राप्त कर चुका है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने देि के
अशतररक्त राष्ट्रीय सीमाओां को लाँघते हुए शवकासिील देिों (िार्ी देिो, अशरका तथा
दशक्षण पूवी एशिया आशद) में र्ी इस क्षेत्र में सहायता प्रदान कर रहा है। अत्यािुशनक दूर
शिक्षा प्रणाली ने समाज के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले वगों तक पहुँचने में इसकी
सहायता की है।
पाठ्यक्रम:
शवश्वशवद्यालय का िुर्ारांर् विभ 1987 में दो िैशक्षक कायभक्रमों - प्रबांिन में
शर्प्लोमा और दूर शिक्षा में शर्प्लोमा से हुआ और कुल 4,528 शवद्याशथभयों से
हुआ। इस समय शवश्वशवद्यालय में 338 अध्ययन-कायभक्रम है जो 3,500 पाठ्यक्रम
के माध्यम से उपलब्ि हैं। शवद्याशथभयों की कुल सांख्या 30 लाि से अशिक है।
अध्ययन-कायभक्रम शवश्वशवद्यालय में इन स्तरों पर शवशर्न्न कायभक्रम उपलब्ि
हैं:- र्ॉक्िरेि, स्नातकोत्तर, और स्नातक शर्ग्री कायभक्रम, स्नातकोत्तर और
पूवभस्नातक शर्प्लोमा, सशिभशफकेि पाठ्यक्रम, शिक्षा पारांपररक रूप के साथ-साथ
उपर्ोक्ता सांरक्षण, आपदा प्रबांिन, पयाभवरण, मानवाशिकार, पयभिन, मशहला
अशिकाररता एवां बाल शवकास, सहर्ागी वन प्रबांिन, सहर्ागी योजना, पुनवाभस
एवां बहाली, अध्यापन शिक्षा, िाद्य एवां पोिण, शचशकत्सकीय एवां स्वास््य शिक्षा,
एचआईवी/एर््स, प्रयोगिाला तकनीक और ऑनलाइन शिक्षण जैसे उर्रते हुए
अांतर-शवियक क्षेत्रों में र्ी प्रदान की जाती है।
उद्देश्य:
 दूरस्थ शिक्षा पद्वशत के माध्यम से उच्चतर शिक्षा की सुलर्ता एांव समानता में वृशद्व करना
 मुक्त अशिगम (ओपेन लशनंग) त्तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाशलयों में मानकों का प्रोन्नयन, समन्वयन तथा शनिाभरण
करना।
 देि की अथभव्यवस्था बनाने के शलए यथा-अपेशक्षत रोजगार की जरूरतों से सांबांशित शर्ग्री, शर्प्लोमा तथा
प्रमाणपत्र कायभक्रम सांचाशलत करेगा
 बड़ी सांख्या में लोगों को (शविेित: समाज के लार्वांशचत वगों के लोगों) उच्चतर शिक्षा प्रदान करने हेतु
अवसर प्रदान करेगा,
 ज्ञान प्राशप्त तथा ज्ञान के स्तर के उन्नयन को बढावा देगा और नवाचार तथा िोि प्रशिक्षण, पुनप्रभशिक्षण हेतु
अवसर प्रदान करेगा,
 शवश्वशवद्यालय स्तरीय शिक्षा की एक नवाचारी प्रणाली को बढावा देगा जो पद्धशतयों एवां अध्ययन गशत,
पाठयक्रमों का सम्मशलत, नामाकांन हेतु पात्रता, प्रवेि आयु, परीक्षा सांचालन और उत्कृष्ट्िता को प्रोत्साशहत
करने हेतु कायभक्रमों के सांचालन के मामले में उदार एवां मुक्त हो,
 सांस्थाओांऔर मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली द्वारा प्रदत कायभक्रमों का समन्वयन, मूर्लयाांकन तथा प्रत्याशयत
करना और साथ ही सांस्थाओां को ऐसे उपायों के जररए, जो उशचत समझा जाए, घशिया पाठयक्रम तथा
कायभक्रम सांचाशलत करने से रोकना।
IGNOU के शवशर्न्न शवद्यापीठ:
 सामाशजक शवज्ञान शवद्यापीठ
 शिक्षा शवद्यापीठ
 कृशि शवद्यापीठ
 शवशि शवद्यापीठ
 शवज्ञान शवद्यापीठ
 प्रबन्िन शवज्ञान शवद्यापीठ
 कांप्यूिर एवां सूचना शवज्ञान शवद्यापीठ
 सतत शिक्षा शवद्यापीठ
िोि इकाई:
 िोि इकाई की स्थापना इांशदरा गाांिी राष्ट्रीय मुक्त शवश्वशवद्यालय में 6 अक्िूबर 2008 की
अशिसूचना के अनुसार की गई थी। इससे पहले, अनुसांिान से सांबांशित गशतशवशियों को
अकादशमक समन्वय प्रर्ाग द्वारा देिा गया था। शनम्नशलशित उद्देश्यों के साथ इकाई स्थाशपत की
गई है
 अनुसांिान गशतशवशियों के सांचालन के शलए नीशतयों और िाांचे के शवकास के शलए अनुसांिान
पररिद और अनुसांिान पररिद की स्थायी सशमशत की बैठकों का सांचालन करना।
 सर्ी पूणभकाशलक और अांिकाशलक एमशफल और पीएचर्ी उम्मीदवारों को पांजीकृत और
शनगरानी करने के शलए।
 अनुसांिान और शिक्षण के सांचालन के शलए इग्नू-र्ीईसी आरिीए योजना के तहत अनुसांिान
शिक्षण सहायकों को िाशमल करना।
 पूणभकाशलक और अांिकाशलक िोि उम्मीदवारों के शलए िोि पद्धशत पर कायभिालाओां/
सेशमनार आयोशजत करने के शलए।
 शवश्वशवद्यालय में व्यवशस्थत / अनुिासन आिाररत अनुसांिान की सुशविा के शलए।
मूर्लयाांकन पद्घशत:
इांशदरा गाांिी राष्ट्रीय मुक्त शवश्वशवद्यालय मूर्लयाांकन की शद्व-स्तरीय प्रणाली का प्रयोग
करता हैैः
 अध्यापक जाँच/कांप्यूिर जाँच सत्रीय कायों, प्रयोगात्मक सत्रीय कायों, पररयोजना
कायभ द्वारा सतत मूर्लयाांकन |
 सत्राांत परीक्षा (आमतौर पर साल में दो बार (जून और शदसम्बर))
 सत्रीय कायभ और सत्राांत परीक्षाएँ अशनवायभ हैं। मूर्लयाांकन के उद्देश्य से दोनों प्रकार
के आकलनों के शलए आनुपाशतक अांक शनिाभररत शकए गए हैं। प्रथम प्रयास में
अशिकतम अांक प्राप्त करने वाले शवद्याशथभयों को शवश्वशवद्यालय के वाशिभक दीक्षाांत
समारोह में स्वणभ पदक प्रदान शकए जाते हैं।
िन्यवाद !!
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मुक्त और दूरस्थ शिक्षा Deb, ignou और nios के सन्दर्भ में 1.

  • 1. मुक्त और दूरस्थ शिक्षा DEB, IGNOU और NIOS के सन्दर्भ में शोध निर्देनशका शोध छात्र डॉ. रनमि श्रीवास्तव सुिील कु िार र्दूबे सहायक आचायाा MGCU2019EDUC6008 DEPARATMENT OF EDUCATIONAL STUDIES SCHOOL OF EDUCATION
  • 2. दूरस्थ शिक्षा: प्राचीन काल से ही हमारे देि में दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था रही है। समय के साथ- साथ इसका र्ी स्वरूप बदलता रहा है । वतभमान में यह पद्धशत अत्यशिक शवकशसत हो चुकी है। प्राचीन काल में जहा ऋशि मुशन ज्ञान देने के शलए गाांव गाांव जाते थे या अपनी कुशिया में रहकर ज्ञान देते थे । आिुशनक समय में शवद्याथी पत्राचार के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करते हैं ।
  • 3. दूरस्थ शिक्षा अथभ पररर्ािा  दूरस्थ शिक्षा से तात्पयभ ऐसी शिक्षा से है शजनके माध्यम से उन दूरदराज के लोगों को शिशक्षत शकया जाना है। जो शकन्ही कारणों से औपचाररक शिक्षा प्राप्त करने से वांशचत रह गए थे । शिक्षा के अांतगभत शिक्षाथी को शकसी शवद्यालय, महाशवद्यालय शवश्वशवद्यालय में दाशिला लेना नहीं पड़ता, अशपतु वे अपने शनवास स्थान पर रहते हुए ही पत्राचार, िेप ररकॉर्भर, आकािवाणी, दूरदिभन और वीशर्यो कैसेि की सहायता से शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस शिक्षण शवशि में अध्यापक तथा शवद्याशथभयों को आमने सामने आने की जरूरत नहीं पड़ती है। शवद्याथी अपनी सर्ी समस्याओां का हल ऊपर शववेक शचत स्थानों से स्वत: ही कर लेता है ।
  • 4. आज र्ारत में शजस दूरस्थ शिक्षा का प्रसार हो रहा है, वास्तव में उसकी िुरुआत बशलभन जमभनी में 1856 में हुई थी। चार्लसभ र्ाशवभन स्नेह पत्राचार द्वारा र्ािा शिक्षण िुरू शकया। 19वीं िताब्दी के अांशतम दिक में शवश्व कासीन शवश्वशवद्यालय द्वारा पत्राचार के माध्यम से एक उच्च शिक्षा की योजना को कायाभशन्वत शकया गया। परांतु रूस सांसार का पहला देि है, जहाां सरकार द्वारा पत्राचार व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर मांजूरी दी। रूस में जबशक शिक्षा को सफलता शमली तो दुशनया के दूसरे देिों ने र्ी इसे अपना शलया।
  • 5. दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता:  1. जनसांख्या शवस्फोि  2. ज्ञान का शवस्फोि  3. आिुशनक जीवन की समस्याएां तथा जशिलताएां  4. अत्यशिक महत्वकाांक्षी दृशिकोण  5. शिक्षा ग्रहण करने का अशिकार  6. सावभजशनक साक्षरता  7. कमाते हुए सीिना  8. िैशक्षक योग्यता बढाने की इच्छा  9. स्वतांत्र शिक्षा की इच्छा  10. लचीलापन
  • 6. जनसांख्या शवस्फोि: 1947 में जब र्ारत आजाद हुआ उस समय र्ारत की जनसांख्या लगर्ग 42 करोड़ थी। परांतु वतभमान में यह लगर्ग 110 करोड़ पार कर चुकी है। यह कहा जा सकता है शक र्ारत में जनसांख्या शवस्फोि हो चुका है। इस जनसांख्या शवस्फोि की यह शस्थशत है शक सन 2050 तक हम जनसांख्या की दृशि से चीन से आगे शनकल चुके होंगे। शजस तेजी से जनसांख्या बढ रही है उसी अनुपात में पढने वाले बच्चों की सांख्या में र्ी शनरांतर बढोतरी हो रही है। यही कारण है शक देि में हर साल अनेकों नए शवद्यालय एवां महाशवद्यालय िोले जा रहे हैं, परांतु पढने वाले बच्चे के अनुपात में इन शवद्यालयों तथा महाशवद्यालयों की सांख्या पयाभप्त नहीं है।
  • 7. ज्ञान का शवस्फोि: आिुशनक युग शवज्ञान तथा तकनीकी का युग है। प्रशतशदन यहाां ज्ञान का शवस्फोि होता है अथाभत शकसी ना शकसी शदिा या क्षेत्र में नए नए अशवष्ट्कार होते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यशक्त तक आिुशनक ज्ञान केवल शिक्षण सांस्थाओांके माध्यम से पहुांचाना असांर्व है। इसशलए नई बातों तथा नए ज्ञान को जन जन तक पहुांचाने हेतु दूरस्थ शिक्षा की अशनवायभता हो गई।
  • 8. अत्यशिक महत्वकाांक्षी दृशिकोण: इस र्ौशतक युग में जहाां हर चीज तेजी से बढ रही है, वहीं मनुष्ट्यों का दृशिकोण र्ी अत्यशिक महत्व पांछी होता जा रहा है। अब शिक्षा पर िचभ होने वाले पैसे को पूांजी शनवेि के रूप में शलया जाता है। उसका पररणाम यह शनकला शक शिक्षा ग्रहण करने वाले शवद्याशथभयों की सांख्या शदन प्रशतशदन बढती जा रही है। इन इच्छाओांकी पूशतभ मात्र शनयशमत शवद्यालय या महाशवद्यालय नहीं कर सकते हैं, इसशलए दूरस्थ शिक्षा की उपयोशगता और आवश्यकता और बढ जाती है।
  • 9. शिक्षा ग्रहण करने का अशिकार: प्राचीन समय में र्ारत को शिक्षा के क्षेत्र में दुशनया का शसरमौर माना जाता था। परांतु इसके बावजूद र्ी शिक्षा प्रत्येक व्यशक्त के शलए नहीं थी। परांतु अब आिुशनक र्ारत में शिक्षा कुछ शविेि व्यशक्तयों के अशिकार से शनकालकर जनसािारण तक पहुांच चुकी है। अब शिक्षा प्राप्त करना लोकताांशत्रक अशिकार में आता है। परांतु इतना होने के बावजूद र्ी बहुत से शवकासिील देिों में आवश्यक सािनों की कमी के कारण सर्ी व्यशक्तयों के शलए शिक्षा उपलब्ि कराना एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है।इस समस्या के शविय में र्ारत की लोकसर्ा के र्ूतपूवभ अध्यक्ष र्ॉक्िर गुरदयाल शसांह शिर्ललों का कहना है “यशद हम हर कक्षा में शवद्याशथभयों की सांख्या इसशलए नहीं बढा सकते क्योंशक उसके चारों और दीवारें हैं, यशद हम उच्च शिक्षा की सांस्थाओां की सांख्या इसशलए नहीं बना सकते क्योंशक उसमें ज्यादा में होगा और उसका एक ही रास्ता है शक कक्षाओां की चार दीवारों को तोड़ शदया जाए और प्रत्येक गाांव तथा छोिे कस्बों में महाशवद्यालय िोलने की आवश्यकता को समाप्त कर शदया जाए। पत्राचार अध्ययन का कायभक्रम, शवश्वशवद्यालय की िारणा में शनशहत सावभजशनक शिक्षण को शवस्तृत एवां सिक्त बनाएगा।
  • 10. सावभजशनक साक्षरता: आिुशनक समाज में सावभजशनक साक्षरता र्ारत ही नहीं अशपतु सर्ी शवकासिील देिों का प्रथम लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के शलए यह देि के उन कम िचीली सािनों की िोज में लगे हुए हैं, शजनका पररणाम उत्साहजनक रहे इस दृशिकोण से देिा जाए। तो हम पाएांगे शक दूरस्थ शिक्षा शनयशमत शिक्षा की अपेक्षा कम िचीली है।
  • 11. र्दूरस्थ नशक्षा के लाभ क्या है:  दूरस्थ शिक्षा के द्वारा कहीं र्ी और शकसी र्ी समय अपनी शिक्षा को जारी रि सकते हैं क्योंशक इस शिक्षा प्रणाली में इस बात से कोई फकभ नहीं पड़ता शक आप देि में कहाां रह रहे हैं। बहुत से ऐसे अांतरराष्ट्रीय कोसभ र्ी हैं जो शर्स्िेंस एजुकेिन के माध्यम से करवाए जाते हैं शजनमें दूसरे देिों के छात्र प्रवेि लेकर पढाई करते हैं।  अगर शकसी के पास समय की कमी है तो वह अपनी पढाई शदन के समय ना करके रात के समय र्ी कर सकता है। आपको कहीं पर र्ी व्यशक्तगत रूप से जाने की आवश्यकता नहीं होती।  आपको अपनी पढाई के शलए घर से शनकलने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंशक आप अपने घर में रहकर अपने कांप्यूिर पर अपनी पढाई कर सकते हैं इस तरह आप र्ीड़-र्ाड़ वाले इलाकों एवां बसों, रेनों आशद में सफ़र करने से बच सकते हैं। इस तरह आप के समय और पैसे एवां ऊजाभ की बचत होती है।  दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में एक फ़ायदा यह र्ी है शक आपकी कॉलेज में िाशमल होने के शलए जो लागत लगती है वह रेगुलर कॉलेज की तुलना में बहुत कम होती है।  शर्स्िेंस एजुकेिन में पढाई करते समय आप अपने दूसरे अन्य काम र्ी ठीक प्रकार से कर सकते हैं जैसे यशद आप कहीं पर नौकरी कर रहे हैं तो इसके शलए आपको अपनी नौकरी छोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। या शफर यशद आप शकसी वजह से घर से बाहर नहीं जा सकते तो तब र्ी यह आपके शलए काफी लार्दायक तरीका है अपनी पढाई को जारी रिने का ।
  • 12. दूरस्थ शिक्षा की समस्या क्या है:  दूरस्थ शिक्षा में सबसे बुरी बात यह होती है शक यहाां पर कॉलेज के शिक्षकों से शकसी र्ी प्रकार की बातचीत नहीं हो सकती। इसशलए यशद कर्ी आपको शकसी प्रोफेसर की मदद की आवश्यकता पड़ती है तो आप उनकी मदद नहीं ले सकते।  शर्स्िेंस एजुकेिन के द्वारा कोई र्ी छात्र अशिक गांर्ीरता से अपनी पढाई को नहीं लेता है क्योंशक उसके पास पढाई में कांपिीिन करने के शलए उसके सहर्ागी और शमत्र नहीं होते जबशक एक कॉलेज में प्रशतस्पिाभ और सीिने का माहौल बहुत अशिक होता है। इस तरह आप को अकेले ही अपनी पढाई को करना होता है शजससे आप बहुत अशिक मोशिवेि नहीं हो पाते।  दूरस्थ शिक्षा माध्यम से पढाई करते समय आप बोर र्ी हो सकते हैं क्योंशक आपके साथ वहाां पर पड़ने वाला कोई अन्य आपका दोस्त नहीं होता। इसशलए पढाई में रुशच ित्म हो जाती है।  बहुत सी प्राइवेि और सरकारी कांपशनयाां ऑनलाइन शर्ग्री लेने वालों को नौकरी नहीं देते हैं क्योंशक उनके शहसाब से शनयशमत कॉलेज शर्ग्री लेना अशिक उत्तम होता है जहाां पर गांर्ीर रूप से पढाई करवाई जाती है।
  • 13. र्दूरस्थ नशक्षा के बार्द कररयर क्या है:  दूरस्थ शिक्षा के बाद कोई र्ी छात्र शवशर्न्न प्रकार की सरकारी और शनजी कांपशनयों में अपनी योग्यता अनुसार आवेदन कर सकता है। इसशलए अभ्यथी को चाशहए शक शजस शविय में र्ी उसने पढाई की है उससे सांबांशित नौकरी के शलए अप्लाई करें। इसके अलावा कैंशर्र्ेि यूपीएससी , एसएससी जैसी बड़ी परीक्षाओांमें बैठ सकता है।
  • 14. र्ारत में नीशतगत पररप्रेक्ष्य: र्ारतीय शिक्षा आयोग (1964 – 66): केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्भ ने शनश्चय शकया शक र्ॉ र्ी. एस. कोठारी की अध्यक्षता में एक शविेिज्ञ सशमशत गशठत की जाए जो पत्राचार पाठ्यक्रम की प्रकृशत, सीमा और सािनों के सांबांि में अपनी शसफाररिें दे । सन 1966 में कोठारी आयोग ने शनम्नशलशित शसफाररिें सरकार को प्रस्तुत शकया- पत्राचार पाठ्यक्रम और शर्ग्री स्तर अथवा समतुर्लय स्तर की योग्यता प्रदान करते हैं का सांचालन शवश्वशवद्यालयों के द्वारा ही शकया जाए वतभमान में पत्राचार पाठ्यक्रम शवश्वशवद्यालय की प्रथम शर्ग्री तक ही सीशमत रहें । िैशक्षक स्तर को बनाए रिने के शलए यह आवश्यक है शक पाठ्यक्रम शनमाभण और पाठ्य पुस्तकों के चयन के कायों में शसफभ शवद्वानों और शिक्षकों को िाशमल शकया जाए । करोड़ों लोगों के शलए कोई न कोई शिक्षा का माध्यम अवश्य हो जो अपने प्रयास से और अपनी सुशविा के समय में रहकर शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं हमारे शवचार में इसका उपयोग तरीका दूरस्थ शिक्षा ही हो सकता है।
  • 15. राष्ट्रीय शिक्षा नीशत (1968): शवश्वशवद्यालय स्तर पर अांिकालीन शिक्षा और पत्राचार पाठ्यक्रम बड़े पैमाने पर शवकशसत शकए जाएां और ऐसी सुशविाएां माध्यशमक शवद्यालयों के शवद्याशथभयों एवां अध्यापकों तथा कृशि एवां औद्योशगक और अन्य श्रशमकों के शलए र्ी उपलब्ि की जाए । अांिकालीन और पत्राचार पाठ्यक्रम को वही दजाभ शदया जाए जो पूणभकाशलक शिक्षा को शदया जाता है ।
  • 16. शवश्वशवद्यालय अनुदान आयोग (1974) की शनदेशिका: शवश्वशवद्यालय अनुदान आयोग ने दूरस्थ शिक्षा सांबांिी मागभदिभक शसद्धाांत जारी की है । आयोग ने कहा शक पत्राचार पाठ्यक्रम वाली शिक्षा का उद्देश्य शिक्षा के प्रशत अशर्रुशच रिने वाले ऐसे बहुत से लोगों को वैकशर्लपक शिक्षा सािन उपलब्ि कराना है जो अपने ज्ञान को और व्यवसाय की योग्यता को बढाना चाहते हैं । पत्राचार पाठ्यक्रम शजनकी आवश्यकताओांकी पूशतभ करेंगे वह हैं 1.शवद्याशथभयों की शजन्होंने आशथभक व अन्य कारणों से औपचाररक शिक्षा छोड़ दी है । 2.शवद्याशथभयों की जो र्ौगोशलक दृशि से दूरदराज के क्षेत्रों में बसे हुए हैं । 3.शवद्याशथभयों की शजन्होंने अशर्रुशच अशर्प्रेरणा के अर्ाव में पहले अपनी शिक्षा छोड़ दी परांतु बाद में शफर अशर्प्रेररत हो गए । 4.शवद्याशथभयों की शजन्हें पयाभप्त योग्यता होने के बावजूद या तो शनयशमत कॉलेजों में प्रवेि नहीं शमल पाया या वह जो शनयशमत कॉलेज या शवश्वशवद्यालय में प्रवेि लेना नहीं चाहते । 5.शवद्याशथभयों की जो शिक्षा को जीवन पयंत चलने वाली कायभकलाप मानते हैं और आगे अद्यतन ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं ।
  • 17. राष्ट्रीय शिक्षा नीशत (1986): र्ारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीशत की घोिणा की शजसमें दूरस्थ शिक्षा और मुक्त अशिगम प्रणाली पर शविेि बल शदया गया । शिक्षा नीशत के कुछ सुझाव शनम्न है: 1.प्रौढ और सतत शिक्षा का एक वृहद कायभक्रम शवशर्न्न र्ागों और सािनों के द्वारा कायाभशन्वत करना होगा शजसमें दूरस्थ अशिगम कायभक्रम िाशमल करना होगा । 2.शिक्षा प्रशक्रया का महत्वपूणभ उद्देश्य जीवन पयंत शिक्षा है । देि की साक्षरता बढाने के शलए कृशि में लगे लोगों, औद्योशगक श्रशमकों और व्यवसाय करने वालों को उनकी पसांद की शिक्षा के अवसर उनके शलए अनुकूल गशत से उपलब्ि कराना है ।
  • 18. दूरस्थ शिक्षा पररिद की स्थापना (मई 1991): इग्नू के प्रबांिन बोर्भ ने दूरस्थ शिक्षा पररिद की स्थापना के शलए एक समूह शवशि पाररत शक इसका उद्देश्य मुक्त शवश्वशवद्यालय और दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था की प्रचार और प्रसार में वृशद्ध करने के साथ समन्वय के स्तर को बनाए रिना था, मुक्त शवश्वशवद्यालय और दूर शिक्षा सांस्थाओांका एक नेिवकभ स्थाशपत करना और दूरस्थ शिक्षा कशमभयों के शलए प्रशिक्षण की व्यवस्था करना ।
  • 19. दूरस्थ शिक्षा पर शिक्षा के केंद्रीय सलाहकार बोर्भ की सशमशत (1995): केंद्रीय सलाहकार बोर्भ की सशमशत ने दूरस्थ शिक्षा के अांतगभत प्रत्येक राज्य में एक मुक्त शवश्वशवद्यालय स्थाशपत करने की शसफाररि की इसने यह र्ी प्रस्ताव रिा शक मुक्त शवश्वशवद्यालय का एक नेिवकभ शबछाया जाए शजसका मुख्य उद्देश्य - सांसािनों की साझेदारी, कायों की प्रवृशत्त को कम से कम करना, एक समान स्तर शनशश्चत करना, शवद्याशथभयों की गशतिीलता को प्रोत्साहन करना और प्रर्ावी शवद्याथी सहायता सेवा की व्यवस्था करना ।
  • 20. राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (2006 – 2009): मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा तथा मुक्त शिक्षा सांसािनों का शवकास उच्च शिक्षा में शवस्तार, उत्कृिता तथा समावेिन के उद्देश्यों की प्राशप्त हेतु आवश्यक है । उच्च शिक्षा में नामाांशकत शवद्याशथभयों के 5वें शहस्सा से अशिक मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा िािा में है । दूरस्थ शिक्षा पर राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का सुझाव : एक राष्ट्रीय सूचना एवां सांप्रेिण प्रयोग की आिारर्ूत सांरचना, शनयामक सांरचना का सुिार हो जो क्रशमक हो गुणवत्तापूणभ शविय वस्तु का उत्पादन तथा वैशश्वक मुक्त शिक्षा सांसािन के उत्थान में एक व्यापक िांग से ध्यान आकृि करने की आवश्यकता है । सर्ी सामग्री के मुक्त पहुांच को प्रोत्साशहत करने की आवश्यकता है जैसे- िोि पत्र, पुस्तके , पशत्रकाएां इत्याशद ।
  • 21. राष्ट्रीय शिक्षा नीशत (2020): मुक्त ऑनलाइन कायभक्रमों की माांग र्शवष्ट्य में बढने वाली है । ऑनलाइन के माध्यम से शवद्याशथभयों की तरफ से तकनीकी के समथभन की आवश्यकता होगी जो शक अर्ी र्ी सावभजशनक शमलते हैं यह अनुसांशचत है शक इस क्षेत्र में शवकास को ध्यानपूवभक देिा जाना चाशहए । राष्ट्रीय शिक्षा नीशत मुक्त शिक्षा को शवश्व में प्रासांशगक करने हेतु शवद्याशथभयों को वैशश्वक शर्शजिल से सुसशज्जत एवां सक्षम बनाने का काम करना है । शवद्याशथभयों को सक्षम बनाने के शलए शनम्नशलशित प्रयास जरूरी है जो इस प्रकार है:  मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा अशिगम (ओर्ीएल) जो परांपरागत कक्षा - कक्ष के एक वैकशर्लपक पद्धशत का शवचार प्रस्तुत करता है शवश्व के बहुत से र्ागों में स्वीकायभ हो रहा है । यह दूरस्थ स्थान से अशिगम को शनयशमत रिने के साथ कायभ या नौकरी की शनयशमतता हेतु लचीलापन प्रदान करता है ।  र्ारत में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में िाशमल इग्नू तथा कुछ राज्य मुक्त शवश्वशवद्यालयों द्वारा शिक्षा प्रदान शकए जा रहे है । हाल के विों में कई सांस्थान तथा शवश्वशवद्यालयों के साथ सांस्थाएां शवशर्न्न पाठ्यक्रमों की आवश्यकताओांकी पूशतभ हेतु शनशमभत हुए हैं ।  सूचना प्रौद्योशगकी की क्षमता, सूचना प्रौद्योशगकी का जुड़ाव तथा मुक्त एवां दूरस्थ शिक्षा को प्रोत्साशहत करने में अग्रणी शवश्वशवद्यालयों तथा सांस्थाओांद्वारा व्यशक्त के रूप में र्ारत की वतभमान तथा सांर्ाशवत िशक्त के कारण शवश्वशवद्यालयों तथा वृहद ऑनलाइन मुक्त पाठ्यक्रमों द्वारा मुक्त एवां दूरस्थ अशिगम समुशचत उत्कृिता के अनुरूप होना चाशहए ।
  • 22. दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो(DEB): मानव सांसािन शवकास मांत्रालय, उच्च शिक्षा शवर्ाग, र्ारत सरकार द्वारा शदनाांक 29.12.2012 को जारी शनदेिों के अनुसरण में, उच्च शिक्षा में दूरस्थ शिक्षा कायभक्रमों के सांबांि में शनयामक कायभ अब शवश्वशवद्यालय अनुदान आयोग के पास शनशहत हैं। दूरस्थ शिक्षा पररिद, जो दूरस्थ शिक्षा कायभक्रमों का पूवभ शनयामक था, को र्ांग कर शदया गया है और सर्ी शनयामक कायभ यूजीसी द्वारा शकए जा रहे हैं। यूजीसी दूरस्थ शिक्षा के शलए नए शनयम बनाने की प्रशक्रया में है। तथाशप, यह शनणभय शलया गया है शक जब तक यूजीसी के नए शवशनयमों को अशिसूशचत नहीं शकया जाता है, तब तक दूरस्थ शिक्षा कायभक्रमों के शलए सांस्थानों को अनुमशत प्रदान करने के उद्देश्य से ओर्ीएल सांस्थानों की मान्यता के सांबांि में पूवभ र्ीईसी के शदिाशनदेिों को लागू शकया जाएगा । महत्वपूणभ कायों शजन पर दूरस्थ शिक्षा शनर्भर है, को सामूशहक प्रयास द्वारा गशत देना । जैसे सहायता सेवाएँ, पाठ्यक्रम शनमाभण, सामग्री का प्रेिण एवां शवतरण, शिक्षकों की र्ती एवां प्रशिक्षण, िेलीकान्रेस की शनशश्चत समय शनिाभरण तथा शर्शजिल नेिवकभ का उच्च स्तरीय कायभ
  • 23. दूरस्थ शिक्षा ब्यूरों से मान्यता प्राप्त शवश्वशवद्यालय:  State Open Universities  DR. B.R. AMBEDKAR OPEN UNIVERSITY (BRAOU), HYDERABAD, A.P.  VARDHMAN MAHAVEER OPEN UNIVERSITY (VMOU), KOTA, RAJASTHAN  NALANDA OPEN UNIVERSITY (NOU). PATNA, BIHAR  YASHWANTRAO CHAVAN MAHARAHSTRA OPEN UNIVERSITY (YCMOU), NASHIK, MAHARASHTRA  MADHYA PRADESH BHOJ OPEN UNIVERSITY (MPBOU), BHOPAL, M.P.  DR. BABASAHEB AMBEDKAR OPEN UNIVERSITY (BAOU), AHMEDABAD, GUJARAT  KARNATAKA STATE OPEN UNIVERSITY (KSOU), MYSORE, KARNATAKA  NETAJI SUBHAS OPEN UNIVERSITY (NSOU), KOLKATA, W.B.  U.P. RAJARSHI TANDON OPEN UNIVERSITY (UPRTOU), ALLAHABAD, U.P.  TAMIL NADU OPEN UNIVERSITY (TNOU), CHENNAI, TAMIL NADU  PT. SUNDERLAL SHARMA OPEN UNIVERSITY (PSSOU), BILASPUR, CHHATTISGARH  UTTARANCHAL OPEN UNIVERSITY, HALDWANI, (NAINITAlL), UTTARANCHAL  K. K. Handique State University,Guwahati, Assam
  • 24. NIOS-राष्ट्रीय िुक्त नवद्यालयी नशक्षा संस्थाि (एिआईओएस): राष्ट्रीय मुक्त शवद्यालय (रा.मु.शव.) की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीशत 1986 का अनुपालन करते हुए, शिक्षा मांत्रालय , र्ारत सरकार द्वारा नवांबर, 1989 में की गई । एनआईओएस माध्यशमक और उच्चतर माध्यशमक स्तर पर सामान्य और िैशक्षक पाठ्यक्रमों के साथ साथ बहुत से व्यावसाशयक, जीवन समृशद्ध और सामुदाशयक उन्मुि पाठ्यक्रम प्रदान करता है । एनआईओएस अपने मुक्त बेशसक शिक्षा कायभक्रमों (ओबीई) दवारा प्राथशमक स्तर के पाठ्यक्रम र्ी चलाता है । र्ारत सरकार ने एक राजपत्र अशिसूचना द्वारा एनआईओएस को पूवभ-स्नातक स्तर तक िैशक्षक, तकनीकी, व्यावसाशयक के पाठ्यक्रमों के शलए पांजीकृत शिक्षाशथभयों की परीक्षा लेने और उत्तीणभ शिक्षाशथभयों को प्रमाणपत्र प्रदान करने का अशिकार प्रदान शकया है । र्ारतीय शवश्वशवद्यालय सांघ ने पत्र सां. ईवी/11(354)/91/25 जुलाई, 1991 एनआईओएस के उच्च. माध्याशमक प्रमाणपत्र परीक्षा के समान जारी शकया ।
  • 25. िैशक्षक शवर्ाग:  िैशक्षक शवर्ाग और व्यावसाशयक शिक्षा शवर्ाग एनआईओएस के अत्यांत शवर्ाग कहे जा सकते हैं। ये दोनों शवर्ाग शिक्षा कायभक्रम और पाठ्यक्रम तैयार कर शिक्षाशथभयों को उनकी पसांद के पाठ्यक्रमों में शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करते हैं । दोनों शवर्ाग शिक्षाशथभयों के लार् के शलए एक दूसरे का सहयोग करते हैं।  िैशक्षक शवर्ाग, िैशक्षक पाठ्यक्रमों से सांबशन्ित कायभ करता है शजसमें प्राथशमक से लेकर पूवभ स्नातक स्तर तक की सांपूणभ सतत् शिक्षा िाशमल है। िैशक्षक शवर्ाग पाठ्यचयाभ और स्व-अध्ययन सामग्री के शवकास, अध्ययन सामग्री के पुनरीक्षण तथा अनुसांिान और शवकास गशतशवशियों के साथ शिक्षाशथभयों के मूर्लयाांकन के क्षेत्र में र्ी सहायता प्रदान करता है।
  • 26. एिआईओएस के शैनक्षक नवभाग की निम्िनलनित इकाईयााँ हैं:  मुक्त बेशसक शिक्षा (ओबीई)  माध्यशमक और उच्चतर माध्यशमक पाठ्यक्रम  अनुसांिान और शवकास प्रकोष्ठ  सक्षमता शनमाभण प्रकोष्ठ  एनकॉस सशचवालय  कोमोसा सशचवालय  ग्राशफक इकाई  पुस्तकालय और प्रलेिन सेवाएँ िैशक्षक -शवर्ागीय सलाहकार बोर्भ िैशक्षक-पररिद मुक्त बेशसक शिक्षा (ओबीई) माध्यशमक पाठ्यक्रम दसवीं कक्षा के समकक्ष उच्चतर माध्यशमक पाठ्यक्रम बारहवीं कक्षा के समकक्ष व्यावसाशयक शिक्षा ओर्ीएल कायभकताभओांके शलए प्रशिक्षण पैकेज
  • 27. इनदर्दरा गांधी राष्ट्रीय िुक्त नवश्वनवद्यालय(IGNOU): इनदर्दरा गांधी राष्ट्रीय िुक्त नवश्वनवद्यालय (सांक्षेप में इग्नू -IGNOU) र्ारतीय सांसदीय अशिशनयम के द्वारा शसतम्बर, 1985 में स्थाशपत एक केन्द्रीय शवश्वशवद्यालय है। इसका मुख्य कायाभलय नयी शदर्लली (मैदान गढी) में स्थाशपत है। यह दुशनया का सबसे बड़ा शवश्वशवद्यालय है। र्ारत और अन्य 33 देिों के लगर्ग 40 लाि शवद्याथी इसमें अध्ययन करते हैं। यह शवश्वशवद्यालय र्ारत में मुक्त और दूरवती अध्ययन का राष्ट्रीय सांसािन केंद्र र्ी है तथा दूरवती शिक्षा में दुशनया का नायक है। शिक्षण और अनुसांिान के अलावा, शवस्तार और प्रशिक्षण इस शवश्वशवद्यालय की िैक्षशणक गशतशवशियों का मुख्य आिार है। दूर शिक्षा के क्षेत्र में यह शवश्वशवद्यालय अग्रणी है और कॉमनवेर्लथ ऑफ लशनंग द्वारा दूर शिक्षा में सवोत्तम केंद्र का सम्मान प्राप्त कर चुका है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने देि के अशतररक्त राष्ट्रीय सीमाओां को लाँघते हुए शवकासिील देिों (िार्ी देिो, अशरका तथा दशक्षण पूवी एशिया आशद) में र्ी इस क्षेत्र में सहायता प्रदान कर रहा है। अत्यािुशनक दूर शिक्षा प्रणाली ने समाज के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले वगों तक पहुँचने में इसकी सहायता की है।
  • 28. पाठ्यक्रम: शवश्वशवद्यालय का िुर्ारांर् विभ 1987 में दो िैशक्षक कायभक्रमों - प्रबांिन में शर्प्लोमा और दूर शिक्षा में शर्प्लोमा से हुआ और कुल 4,528 शवद्याशथभयों से हुआ। इस समय शवश्वशवद्यालय में 338 अध्ययन-कायभक्रम है जो 3,500 पाठ्यक्रम के माध्यम से उपलब्ि हैं। शवद्याशथभयों की कुल सांख्या 30 लाि से अशिक है। अध्ययन-कायभक्रम शवश्वशवद्यालय में इन स्तरों पर शवशर्न्न कायभक्रम उपलब्ि हैं:- र्ॉक्िरेि, स्नातकोत्तर, और स्नातक शर्ग्री कायभक्रम, स्नातकोत्तर और पूवभस्नातक शर्प्लोमा, सशिभशफकेि पाठ्यक्रम, शिक्षा पारांपररक रूप के साथ-साथ उपर्ोक्ता सांरक्षण, आपदा प्रबांिन, पयाभवरण, मानवाशिकार, पयभिन, मशहला अशिकाररता एवां बाल शवकास, सहर्ागी वन प्रबांिन, सहर्ागी योजना, पुनवाभस एवां बहाली, अध्यापन शिक्षा, िाद्य एवां पोिण, शचशकत्सकीय एवां स्वास््य शिक्षा, एचआईवी/एर््स, प्रयोगिाला तकनीक और ऑनलाइन शिक्षण जैसे उर्रते हुए अांतर-शवियक क्षेत्रों में र्ी प्रदान की जाती है।
  • 29. उद्देश्य:  दूरस्थ शिक्षा पद्वशत के माध्यम से उच्चतर शिक्षा की सुलर्ता एांव समानता में वृशद्व करना  मुक्त अशिगम (ओपेन लशनंग) त्तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाशलयों में मानकों का प्रोन्नयन, समन्वयन तथा शनिाभरण करना।  देि की अथभव्यवस्था बनाने के शलए यथा-अपेशक्षत रोजगार की जरूरतों से सांबांशित शर्ग्री, शर्प्लोमा तथा प्रमाणपत्र कायभक्रम सांचाशलत करेगा  बड़ी सांख्या में लोगों को (शविेित: समाज के लार्वांशचत वगों के लोगों) उच्चतर शिक्षा प्रदान करने हेतु अवसर प्रदान करेगा,  ज्ञान प्राशप्त तथा ज्ञान के स्तर के उन्नयन को बढावा देगा और नवाचार तथा िोि प्रशिक्षण, पुनप्रभशिक्षण हेतु अवसर प्रदान करेगा,  शवश्वशवद्यालय स्तरीय शिक्षा की एक नवाचारी प्रणाली को बढावा देगा जो पद्धशतयों एवां अध्ययन गशत, पाठयक्रमों का सम्मशलत, नामाकांन हेतु पात्रता, प्रवेि आयु, परीक्षा सांचालन और उत्कृष्ट्िता को प्रोत्साशहत करने हेतु कायभक्रमों के सांचालन के मामले में उदार एवां मुक्त हो,  सांस्थाओांऔर मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली द्वारा प्रदत कायभक्रमों का समन्वयन, मूर्लयाांकन तथा प्रत्याशयत करना और साथ ही सांस्थाओां को ऐसे उपायों के जररए, जो उशचत समझा जाए, घशिया पाठयक्रम तथा कायभक्रम सांचाशलत करने से रोकना।
  • 30. IGNOU के शवशर्न्न शवद्यापीठ:  सामाशजक शवज्ञान शवद्यापीठ  शिक्षा शवद्यापीठ  कृशि शवद्यापीठ  शवशि शवद्यापीठ  शवज्ञान शवद्यापीठ  प्रबन्िन शवज्ञान शवद्यापीठ  कांप्यूिर एवां सूचना शवज्ञान शवद्यापीठ  सतत शिक्षा शवद्यापीठ
  • 31. िोि इकाई:  िोि इकाई की स्थापना इांशदरा गाांिी राष्ट्रीय मुक्त शवश्वशवद्यालय में 6 अक्िूबर 2008 की अशिसूचना के अनुसार की गई थी। इससे पहले, अनुसांिान से सांबांशित गशतशवशियों को अकादशमक समन्वय प्रर्ाग द्वारा देिा गया था। शनम्नशलशित उद्देश्यों के साथ इकाई स्थाशपत की गई है  अनुसांिान गशतशवशियों के सांचालन के शलए नीशतयों और िाांचे के शवकास के शलए अनुसांिान पररिद और अनुसांिान पररिद की स्थायी सशमशत की बैठकों का सांचालन करना।  सर्ी पूणभकाशलक और अांिकाशलक एमशफल और पीएचर्ी उम्मीदवारों को पांजीकृत और शनगरानी करने के शलए।  अनुसांिान और शिक्षण के सांचालन के शलए इग्नू-र्ीईसी आरिीए योजना के तहत अनुसांिान शिक्षण सहायकों को िाशमल करना।  पूणभकाशलक और अांिकाशलक िोि उम्मीदवारों के शलए िोि पद्धशत पर कायभिालाओां/ सेशमनार आयोशजत करने के शलए।  शवश्वशवद्यालय में व्यवशस्थत / अनुिासन आिाररत अनुसांिान की सुशविा के शलए।
  • 32. मूर्लयाांकन पद्घशत: इांशदरा गाांिी राष्ट्रीय मुक्त शवश्वशवद्यालय मूर्लयाांकन की शद्व-स्तरीय प्रणाली का प्रयोग करता हैैः  अध्यापक जाँच/कांप्यूिर जाँच सत्रीय कायों, प्रयोगात्मक सत्रीय कायों, पररयोजना कायभ द्वारा सतत मूर्लयाांकन |  सत्राांत परीक्षा (आमतौर पर साल में दो बार (जून और शदसम्बर))  सत्रीय कायभ और सत्राांत परीक्षाएँ अशनवायभ हैं। मूर्लयाांकन के उद्देश्य से दोनों प्रकार के आकलनों के शलए आनुपाशतक अांक शनिाभररत शकए गए हैं। प्रथम प्रयास में अशिकतम अांक प्राप्त करने वाले शवद्याशथभयों को शवश्वशवद्यालय के वाशिभक दीक्षाांत समारोह में स्वणभ पदक प्रदान शकए जाते हैं।