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वाक्य
दो या दो से अधिक पदों के सार्थक
समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ
निकलता है, वाक्य कहते हैं। उदाहरण
के ललए 'सत्य की वविय होती है।'
वाक्याांश
शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो
निकलता है ककन्तु पूरा पूरा अर्थ िह ीं
निकलता, वाक्याींश कहते हैं। उदाहरण -
'दरवािे पर', 'कोिे में', 'वृक्ष के िीचे' आदद
का अर्थ तो निकलता है ककन्तु पूरा पूरा
अर्थ िह ीं निकलता इसललये ये वाक्याींश
हैं।
वाक्य के तत्व
वाक्य के दो अनिवायथ तत्त्व होते हैं-
उद्देश्य और
वविेय
जिसके बारे में बात की िाय
उसे उद्देश्य कहते हैं और िो बात की िाय
उसे ववधेय कहते हैं। उदाहरण के
ललए मोहि प्रयाग में रहता है। इसमें
उद्देश्य है - मोहि , और वविेय है - प्रयाग
में रहता है।
वाक्य के भेद
वाक्य भेद दो प्रकार से ककए िा
सकते हँ-
१- अर्थ के आिार पर वाक्य भेद
२- रचिा के आिार पर वाक्य भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के
भेद
अर्थ के आिार पर वाक्य के
निम्िललखित आठ भेद हैं।
ववधानवाचक
जिि वाक्यों में किया के
करिे या होिे की सूचिा
लमले, उन्हें वविािवाचक
वाक्य कहते हैं; िैसे- राके श
िे दूि वपया। वर्ाथ हो रह है।
ननषेधवाचक
जिि वाक्यों से कायथ ि होिे का भाव प्रकट होता
है, उन्हें निर्ेिवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-मैंिे
दूि िह ीं वपया। मैंिे िािा िह ीं िाया।
आज्ञावाचक
जिि वाक्यों में आज्ञा, प्रार्थिा, उपदेश
आदद का ज्ञाि होता है, उन्हें आज्ञावाचक
वाक्य कहते हैं; िैसे- बाजार िाकर फल ले
आओ। बडो का सम्माि करो।
प्रश्नवाचक
जिि वाक्यों से ककसी प्रकार का प्रश्ि पूछिे का
ज्ञाि होता है, उन्हें प्रश्िवाचक वाक्य कहते हैं;
िैसे- सीता तुम कहाँ से आ रह हो? तुम क्या
पढ़ रहे हो?
इच्छावाचक
जिि वाक्यों से इच्छा आशीर् एवीं शुभकामिा आदद
का ज्ञाि होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं;
िैसे- तुम्हारा कल्याण हो। भगवाि तुम्हें लींबी उमर
दे।
सांदेहवाचक
जिि वाक्यों से सींदेह या सींभाविा व्यक्त होती
है, उन्हें सींदेहवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-शायद
शाम को वर्ाथ हो िाए। वह आ रहा होगा, पर
हमें क्या मालूम। हो सकता है रािेश आ िाए।
ववस्मयवाचक- जिि वाक्यों से आश्चयथ, घृणा,
िोि शोक आदद भावों की अलभव्यजक्त होती है,
उन्हें ववस्मयवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- वाह-
ककतिा सुींदर दृश्य है। उसके माता-वपता दोिों ह
चल बसे। शाबाश तुमिे बहुत अच्छा काम ककया।
सांके तवाचक
जिि वाक्यों में एक किया का होिा दूसर किया
पर निभथर होता है। उन्हें सींके तवाचक वाक्य कहते
हैं; िैसे- यदद पररश्रम करोगे तो अवश्य सफल
होगे। वपतािी अभी आते तो अच्छा होता। अगर
वर्ाथ होगी तो फ़सल भी होगी।
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचिा के आिार पर वाक्य के निम्िललखित तीि भेद
होते हैं।
सरल वाक्य/साधारण वाक्य
जिि वाक्यों में के वल एक ह उद्देश्य और
एक ह वविेय होता है, उन्हें सरल वाक्य
या सािारण वाक्य कहते हैं, इि वाक्यों में
एक ह किया होती है; िैसे- मुके श पढ़ता
है। राके श िे भोिि ककया।
सांयुक्त वाक्य
जिि वाक्यों में दो-या दो से अधिक सरल
वाक्य समुच्चयबोिक अव्ययों से िुडे हों,
उन्हें सींयुक्त वाक्य कहते है; िैसे- वह
सुबह गया और शाम को लौट आया।
मुके श, बोलो पर असत्य िह ीं।
मिश्रित/मिि वाक्य
जिि वाक्यों में एक मुख्य या प्रिाि
वाक्य हो और अन्य आधश्रत उपवाक्य हों,
उन्हें लमधश्रत वाक्य कहते हैं। इिमें एक
मुख्य उद्देश्य और मुख्य वविेय के
अलावा एक से अधिक समावपका कियाएँ
होती हैं, िैसे- ज्यों ह उसिे दवा पी, वह
सो गया। यदद पररश्रम करोगे तो, उत्तीणथ
हो िाओगे। मैं िािता हूँ कक तुम्हारे
अक्षर अच्छे िह ीं बिते।
ववस्मयाददबोिक
धचह्ि
दहन्द भार्ा में ववस्मय, आश्चयथ, हर्थ, घृणा आदद का
बोि करािे के ललए इस धचह्ि (!) का प्रयोग ककया
िाता है।
उदाहरण-
वाह ! आप यहाँ कै से पिारे?
हाय ! बेचारा व्यर्थ में मारा गया।
अरे ! तुम कब आये ?
ववपरीतार्थक शब्द
ककसी शब्द का ववपर त या उल्टा अर्थ देिे वाले
शब्द को ववलोम शब्द कहते हैं। दूसरे शब्दो में कहा
िाए तो एक - दूसरे के ववपर त या उल्टा अर्थ देिे
वाले शब्द ववलोम कहलाते हैं। अत: ववलोम का अर्थ
है - उल्टा या ववरोधी अर्थ देने वाला ।
1.अिृत- ववर्
2.अर्- इनत
3.अन्धकार- प्रकाश
4.अल्पायु- द घाथयु
5.अनुराग- ववराग
17.इच्छा- अनिच्छा
18.इष्ट- अनिष्ट
19.इच्च्छत- अनिजच्छत
20.इहलोक- परलोक
12.आगािी- गत
13. आग्रह- दुराग्रह
14.आकषथण- ववकर्थण
15.आदान- प्रदाि
16.आलस्य- स्फू नतथ
6.उत्कषथ- अपकर्थ
7.उत्र्ान- पति
8.उद्यिी- आलसी
9.उवथर- ऊसर
10.उधार- िक़द
11.उपच्स्र्त- अिुपजस्र्त
पयाथयवाची शब्द
जिि शब्दों के अर्थ में समािता होती है, उन्हें
समािार्थक या पयाथयवाची शब्द कहते है या ककसी
शब्द-ववशेर् के ललए प्रयुक्त समािार्थक शब्दों को
पयाथयवाची शब्द कहते हैं। यद्यवप पयाथयवाची शब्दों
के अर्थ में समािता होती है, लेककि प्रत्येक शब्द की
अपिी ववशेर्ता होती है और भाव में एक-दूसरे से
ककीं धचत लभन्ि होते हैं। पयाथयवाची शब्दों का प्रयोग
करते हुए ववशेर् साविािी बरतिी चादहए। अत:
पयाथयवाची का अर्थ है - सिान अर्थ देने
वाला । दहन्द भार्ा में एक शब्द के समाि अर्थ वाले
कई शब्द हमें लमल िाते हैं।
1.अहांकार- दींभ, , दपथ, मद
2.अिृत- सुिा, अलमय, पीयूर्
3.असुर- दैत्य, दािव, राक्षस
4.अनतश्रर्- मेहमाि, अभ्यागत, आगन्तुक
5.अनुपि- अपूवथ, अतुल, अिोिा,
6.अर्थ- िि्, द्रव्य, मुद्रा
7.अश्व- हय, तुरींग, बािी
8.अांधकार- तम, नतलमर, तलमस्र
9.पवन- वायु, हवा, समीर
10.पहाड़- पवथत, धगरर, अचल
11.पक्षी- िेचर, दववि, पतींग
12.पनत- स्वामी, प्राणािार, प्राणवप्रय
13.पत्नी- भायाथ, विू, वामा
14.पुत्र- बेटा, आत्मि, सुत
15.पुत्री- बेट , आत्मिा, तिूिा
16.पुष्प- फू ल, सुमि, कु सुम
17.बादल- मेघ, घि, िलिर
18.बालू- रेत, बालुका, सैकत
19.बन्दर- वािर, कवप, कपीश
20.बबजली- घिवप्रया,
इन््वज्र, चींचला
िॊ शब्द सुििे मे सामाि
पर अर्थ में भीि हो उिेह
श्रुनतसम कहते है।
समरुप पहला शब्द पहले शब्द का अर्थ समरूप दूसरा शब्द दूसरे शब्द का अर्थ
आदद आरम्भ आद अभ्यस्त
अभय निभथय उभय दोिों
अब्ि कमल अब्द बादल
अींस कन्िा अींश दहस्सा
अम्बुि कमल अम्बुधि सागर
अँगिा आँगि अींगिा स्री
अवलम्ब सहारा अववलम्ब शीघ्र
अनिल हवा अिल आग
अलभराम सुन्दर अववराम लगातार
अवधि समय अविी अवि प्रान्त की भार्ा
उपकार भलाई अपकार बुराई
कु ल वींश कू ल ककिारा
कोर् ििािा कोश शब्द-सींग्रह
ग्रह सूयथ, मींगल आदद गृह घर
िलद बादल िलि कमल
तरखण सूयथ तरणी छोट िाव
नियत निजश्चत नियनत भाग्य
निश्छल छल रदहत निश्चल अटल
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Hindigrammar 140708063926-phpapp01

  • 2. दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं। उदाहरण के ललए 'सत्य की वविय होती है।'
  • 3. वाक्याांश शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो निकलता है ककन्तु पूरा पूरा अर्थ िह ीं निकलता, वाक्याींश कहते हैं। उदाहरण - 'दरवािे पर', 'कोिे में', 'वृक्ष के िीचे' आदद का अर्थ तो निकलता है ककन्तु पूरा पूरा अर्थ िह ीं निकलता इसललये ये वाक्याींश हैं।
  • 4. वाक्य के तत्व वाक्य के दो अनिवायथ तत्त्व होते हैं- उद्देश्य और वविेय जिसके बारे में बात की िाय उसे उद्देश्य कहते हैं और िो बात की िाय उसे ववधेय कहते हैं। उदाहरण के ललए मोहि प्रयाग में रहता है। इसमें उद्देश्य है - मोहि , और वविेय है - प्रयाग में रहता है।
  • 5. वाक्य के भेद वाक्य भेद दो प्रकार से ककए िा सकते हँ- १- अर्थ के आिार पर वाक्य भेद २- रचिा के आिार पर वाक्य भेद
  • 6. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद अर्थ के आिार पर वाक्य के निम्िललखित आठ भेद हैं। ववधानवाचक जिि वाक्यों में किया के करिे या होिे की सूचिा लमले, उन्हें वविािवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- राके श िे दूि वपया। वर्ाथ हो रह है।
  • 7. ननषेधवाचक जिि वाक्यों से कायथ ि होिे का भाव प्रकट होता है, उन्हें निर्ेिवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-मैंिे दूि िह ीं वपया। मैंिे िािा िह ीं िाया। आज्ञावाचक जिि वाक्यों में आज्ञा, प्रार्थिा, उपदेश आदद का ज्ञाि होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- बाजार िाकर फल ले आओ। बडो का सम्माि करो।
  • 8. प्रश्नवाचक जिि वाक्यों से ककसी प्रकार का प्रश्ि पूछिे का ज्ञाि होता है, उन्हें प्रश्िवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- सीता तुम कहाँ से आ रह हो? तुम क्या पढ़ रहे हो? इच्छावाचक जिि वाक्यों से इच्छा आशीर् एवीं शुभकामिा आदद का ज्ञाि होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- तुम्हारा कल्याण हो। भगवाि तुम्हें लींबी उमर दे।
  • 9. सांदेहवाचक जिि वाक्यों से सींदेह या सींभाविा व्यक्त होती है, उन्हें सींदेहवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे-शायद शाम को वर्ाथ हो िाए। वह आ रहा होगा, पर हमें क्या मालूम। हो सकता है रािेश आ िाए। ववस्मयवाचक- जिि वाक्यों से आश्चयथ, घृणा, िोि शोक आदद भावों की अलभव्यजक्त होती है, उन्हें ववस्मयवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- वाह- ककतिा सुींदर दृश्य है। उसके माता-वपता दोिों ह चल बसे। शाबाश तुमिे बहुत अच्छा काम ककया।
  • 10. सांके तवाचक जिि वाक्यों में एक किया का होिा दूसर किया पर निभथर होता है। उन्हें सींके तवाचक वाक्य कहते हैं; िैसे- यदद पररश्रम करोगे तो अवश्य सफल होगे। वपतािी अभी आते तो अच्छा होता। अगर वर्ाथ होगी तो फ़सल भी होगी।
  • 11. रचना के आधार पर वाक्य के भेद रचिा के आिार पर वाक्य के निम्िललखित तीि भेद होते हैं। सरल वाक्य/साधारण वाक्य जिि वाक्यों में के वल एक ह उद्देश्य और एक ह वविेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या सािारण वाक्य कहते हैं, इि वाक्यों में एक ह किया होती है; िैसे- मुके श पढ़ता है। राके श िे भोिि ककया।
  • 12. सांयुक्त वाक्य जिि वाक्यों में दो-या दो से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोिक अव्ययों से िुडे हों, उन्हें सींयुक्त वाक्य कहते है; िैसे- वह सुबह गया और शाम को लौट आया। मुके श, बोलो पर असत्य िह ीं।
  • 13. मिश्रित/मिि वाक्य जिि वाक्यों में एक मुख्य या प्रिाि वाक्य हो और अन्य आधश्रत उपवाक्य हों, उन्हें लमधश्रत वाक्य कहते हैं। इिमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य वविेय के अलावा एक से अधिक समावपका कियाएँ होती हैं, िैसे- ज्यों ह उसिे दवा पी, वह सो गया। यदद पररश्रम करोगे तो, उत्तीणथ हो िाओगे। मैं िािता हूँ कक तुम्हारे अक्षर अच्छे िह ीं बिते।
  • 15. दहन्द भार्ा में ववस्मय, आश्चयथ, हर्थ, घृणा आदद का बोि करािे के ललए इस धचह्ि (!) का प्रयोग ककया िाता है। उदाहरण- वाह ! आप यहाँ कै से पिारे? हाय ! बेचारा व्यर्थ में मारा गया। अरे ! तुम कब आये ?
  • 17. ककसी शब्द का ववपर त या उल्टा अर्थ देिे वाले शब्द को ववलोम शब्द कहते हैं। दूसरे शब्दो में कहा िाए तो एक - दूसरे के ववपर त या उल्टा अर्थ देिे वाले शब्द ववलोम कहलाते हैं। अत: ववलोम का अर्थ है - उल्टा या ववरोधी अर्थ देने वाला ।
  • 18. 1.अिृत- ववर् 2.अर्- इनत 3.अन्धकार- प्रकाश 4.अल्पायु- द घाथयु 5.अनुराग- ववराग 17.इच्छा- अनिच्छा 18.इष्ट- अनिष्ट 19.इच्च्छत- अनिजच्छत 20.इहलोक- परलोक 12.आगािी- गत 13. आग्रह- दुराग्रह 14.आकषथण- ववकर्थण 15.आदान- प्रदाि 16.आलस्य- स्फू नतथ 6.उत्कषथ- अपकर्थ 7.उत्र्ान- पति 8.उद्यिी- आलसी 9.उवथर- ऊसर 10.उधार- िक़द 11.उपच्स्र्त- अिुपजस्र्त
  • 20. जिि शब्दों के अर्थ में समािता होती है, उन्हें समािार्थक या पयाथयवाची शब्द कहते है या ककसी शब्द-ववशेर् के ललए प्रयुक्त समािार्थक शब्दों को पयाथयवाची शब्द कहते हैं। यद्यवप पयाथयवाची शब्दों के अर्थ में समािता होती है, लेककि प्रत्येक शब्द की अपिी ववशेर्ता होती है और भाव में एक-दूसरे से ककीं धचत लभन्ि होते हैं। पयाथयवाची शब्दों का प्रयोग करते हुए ववशेर् साविािी बरतिी चादहए। अत: पयाथयवाची का अर्थ है - सिान अर्थ देने वाला । दहन्द भार्ा में एक शब्द के समाि अर्थ वाले कई शब्द हमें लमल िाते हैं।
  • 21. 1.अहांकार- दींभ, , दपथ, मद 2.अिृत- सुिा, अलमय, पीयूर् 3.असुर- दैत्य, दािव, राक्षस 4.अनतश्रर्- मेहमाि, अभ्यागत, आगन्तुक 5.अनुपि- अपूवथ, अतुल, अिोिा, 6.अर्थ- िि्, द्रव्य, मुद्रा 7.अश्व- हय, तुरींग, बािी 8.अांधकार- तम, नतलमर, तलमस्र 9.पवन- वायु, हवा, समीर 10.पहाड़- पवथत, धगरर, अचल 11.पक्षी- िेचर, दववि, पतींग 12.पनत- स्वामी, प्राणािार, प्राणवप्रय 13.पत्नी- भायाथ, विू, वामा 14.पुत्र- बेटा, आत्मि, सुत 15.पुत्री- बेट , आत्मिा, तिूिा 16.पुष्प- फू ल, सुमि, कु सुम
  • 22. 17.बादल- मेघ, घि, िलिर 18.बालू- रेत, बालुका, सैकत 19.बन्दर- वािर, कवप, कपीश 20.बबजली- घिवप्रया, इन््वज्र, चींचला
  • 23. िॊ शब्द सुििे मे सामाि पर अर्थ में भीि हो उिेह श्रुनतसम कहते है।
  • 24. समरुप पहला शब्द पहले शब्द का अर्थ समरूप दूसरा शब्द दूसरे शब्द का अर्थ आदद आरम्भ आद अभ्यस्त अभय निभथय उभय दोिों अब्ि कमल अब्द बादल अींस कन्िा अींश दहस्सा अम्बुि कमल अम्बुधि सागर अँगिा आँगि अींगिा स्री अवलम्ब सहारा अववलम्ब शीघ्र अनिल हवा अिल आग अलभराम सुन्दर अववराम लगातार अवधि समय अविी अवि प्रान्त की भार्ा उपकार भलाई अपकार बुराई कु ल वींश कू ल ककिारा कोर् ििािा कोश शब्द-सींग्रह ग्रह सूयथ, मींगल आदद गृह घर िलद बादल िलि कमल तरखण सूयथ तरणी छोट िाव नियत निजश्चत नियनत भाग्य निश्छल छल रदहत निश्चल अटल प्रसाद भगवाि का भोग प्रासाद महल सर तालाब शर वाण