3. वणण-ववचार
- भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते है। वर्ण
क
े टुकड़े नहीीं ककए जा सकते। जैसे:- अ, क्, प्, च्
- वर्ो क
े समूह को वर्णमाला कहते है।
- हहींदी में वर्ो की क
ु ल सींख्या ५२ है।
- अ, आ, इ,......क, ख, ग आहद।
5. स्वर
- जो वर्ण बबना ककसी अन्य वर्ण की सहायता क
े स्वतींत्र रूप से
बोले जाते है, उसे स्वर कहते है। स्वर की सींख्या – 11 है।
• अ, आ, इ, ई उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
स्वर क
े प्रकार
1. ह्रस्व स्वर:- जजन स्वरों क
े उच्चारर् में सबसे कम समय लगता
है, वह ह्रस्व स्वर होते है। जो चार है।– अ, इ, उ, ऋ
2. दीर्ण स्वर:- जजन स्वरों क
े उच्चारर् में ह्रस्व स्वर से दुगना
समय लगता है, वह दीर्ण स्वर होते है। जो सात है।– आ, ई, ऊ, ए,
ऐ, ओ,औ
3. प्लुत स्वर:- जजन स्वरों क
े उच्चारर् में ह्रस्व स्वर से ततगना
समय लगता है, वह दीर्ण स्वर होते है। जैसे: ओ...ड्म, हे...ड् राम।
6. मात्राएँ_: स्वरों को व्यंजनों क
े साथ ललखने क
े ललए जजन
चचन्हों का प्रयोग होता है उसे मात्रा कहते है।
7. व्यंजन क
े प्रकार
- जजन वणो का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है, उसे
व्यंजन कहते है।- जो -४१ है।
१) स्पर्ण व्यींजन- क से म तक। -२५ + ड़, ढ़ =२७
२) अींतस्थ व्यींजन- य, र, ल, व -०४
३) ऊष्म व्यींजन- र्, ष, स, ह -०४
* सींयुक्त व्यींजन- क्ष=क्+ष, त्र=त्+र, ज्ञ=ज+ञ, श्र=र् ्+र -०४
* द्ववत्व व्यींजन- कच्चा, ससक्का, पत्ता, चद्दर, भुट्टा, अन्न
8. वणण-ववच्छेद
ककसी शब्द को तोड़कर वणो को अलग-अलग करने की प्रकिया को
वणण-ववच्छेद कहते है।
उदाहरर्:- महल= म्+अ + ह्+अ + ल्+अ
१) क
े ला= क्+ए+ल्+आ
२) साहसी= स्+आ+ह्+अ+स्+ई
३) उल्लू= उ+ल ्+ल्+ऊ
४) पुस्तक= प्+उ+स्+त ्+अ+क्+अ
५) चचट्ठी= च ्+इ+ट्+ठ्+ई
9. ‘र’ क
े ववलिन्न प्रयोग
१) ‘र’ स्वर रहहत हो = (रेफ) = धमण, कमण, पवण
२) ‘र’ से पहले का व्यंजन स्वर रहहत हो = (पदेन) ग्रह, भ्रम, िम
३) ‘र’ जब ट् तथा ड् क
े साथ हो = (पदेन) ट्रक, ट्राम, ड्रम, ड्रामा
10. आयोगवाह
जो न स्वर में आते हो, न व्यंजन में उन्हें आयोगवाह कहते है।
१) अनुस्वार:- अं- म ् या न् क
े स्थान पर क
ं स, वंश, हंस
२) ववसगण-अः- ह्- अतः, प्रायः, प्रात:
३) अनुनालसक:- आँ- आँगन, आँचल, चाँद, माँ, आँख
12. आगत ध्वननयाँ
• हहन्दी में अींग्रेज़ी तथा उदूण भाषा क
े र्ब्द तनरन्तर प्रवेर् कर रहे हैं,
ककन्तु उनका र्ुद्ध उच्चारर् करने क
े सलए हहन्दी में सलवप चचह्न
नहीीं हैं।इससलए उनको र्ुद्ध रूप में सलखने क
े सलए हहन्दी क
े
व्यींजनों क
े नीचे एक बबींदु लगाया जाता है। यह जो नीचे बबींदु
लगाया जाता है यही नुक्ता कहलाता है।
• रोज़ , ज़ीरो , कज़ण , ताज़ा , फ़ररयाद , काकफ़ला
• हॉट (गमण) - हाट (बाज़ार)
बॉल (गेंद) - बाल (ससर क
े बाल)
कॉफी (पेय) पदाथण - काफी (पयाणप्त )
13. अल्पप्राण और महाप्राण
जजन वर्ों क
े उच्चारर् में मुख से कम श्वास तनकले उन्हें 'अल्पप्राण '
कहते हैं ! और जजनक
े उच्चारर् में अचधक श्वास तनकले उन्हें
' महाप्राण 'कहते हैं!
अल्पप्राण महाप्राण
क , ग , ङ ख , र्
च , ज , ञ छ , झ
ट , ड , र् ठ , ढ
त , द , न थ , ध
प , ब , म फ , भ
य , र , ल , व र् , ष , स , ह