1. 20 BADE SHAYARO KE MASHUR SHER
Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
ह िं दी और उर्दू साह त्य में बड़े स़े बड़े कहियों और शायरों ऩे इश्क, दुहनया, दोस्ती, असबाब, गम, ब़ेिफाई,
रुसिाई सह त कई प लुओिं पर अपनी कहिताए
िं और शायरी ललखी ैं। काव्य चचा स़ेक्शन क
़े त त य ां
म 20 बड़े शायरों क
़े 20 बड़े श़ेर प़ेश कर र ़े ैं।
हदल़े-नादां तुझ़े हुआ क्या ै
आलखर इस ददू की दिा क्या ै
-गाललब
ददू को हदल में जग दो अकबर
इल्म स़े शायरी न ीं ोती
-अकबर इला ाबादी
फलक द़ेता ै जजनको ऐश उनको गम भी ोत़े ैं
ज ां बजत़े ैं नक्काऱे ि ां मातम भी ोत़े ैं
-दाग
2. नाजुकी उन लबों की क्या कह ए
प
िं खुडी एक गुलाब की सी ै
मीर उन नीमबाज आ
िं खों में
सारी मस्ती शराब की सी ै
-मीर
तुम म़ेऱे पास ोत़े ो गोया
जब कोई र्दसरा न ीं ोता
-मोहमन
मन ै इश्क, मस्ताना, मन को ोजशयारी क्या
र ें आजाद यों जग स़े, मन दुहनया स़े यारी क्या
-कबीर
लाई यात आय़े, कजा ल़े चली चल़े
3. अपनी खुशी न आए, न अपनी खुशी चल़े
-जौक
हकतना ै बदनसीब जफर दफ्न क
़े ललए
दो गज जमीन भी न हमली क
ू -ए-यार में
-जफर
दोप र की धूप में म़ेऱे बुलाऩे क
़े ललए
िो त़ेरा कोठ़े प़े न
िं ग़े पांि आना याद ै
- सरत जयपुरी
मता-ए-लौ ो-कलम जिन गयी तो क्या गम ै
हक खूऩे-हदल में डुबो लीं ैं उ
िं गललयां मैंऩे
-फ
ै ज अ मद फ
ै ज
4. क ां तो तै था चचरागां ऱेक घर क
़े ललए
क ां चचराग मयस्सर न ीं श र क
़े ललए
-दुष्य
िं त क
ु मार
य़े नगमासराई ै हक दौलत की ै तकसीम
इ
िं सान को इ
िं सान का गम बांट र ा ह
िं
-हफराक
घर लौट क
़े मां-बाप रोए
िं ग़े अक
़े ल़े में
हमट्टी क
़े लखलौऩे भी सस्त़े न थ़े म़ेल़े में
-क
ै सर उल जाफरी
ब़ेनाम सा य़े ददू ठ र क्यों न ीं जाता
जो बीत गया ै िो गुजर क्यों न ीं जाता
-हनदा फाजली
5. लह न ो तो कलम तजुूमां न ीं ोता
माऱे दौर में आ
िं सू जिां न ीं ोता
िसीम सहदयों की आ
िं खों स़े द़ेलखए मुझको
िो लफ्ज ह
िं जो कभी दास्तां न ीं ोता
-िसीम बऱेलिी20 BADE SHAYARO KE MASHUR SHER
Shayar ki Kalam se dil ke Arman...
ह िं दी और उर्दू साह त्य में बड़े स़े बड़े कहियों और शायरों ऩे इश्क, दुहनया, दोस्ती, असबाब, गम, ब़ेिफाई,
रुसिाई सह त कई प लुओिं पर अपनी कहिताए
िं और शायरी ललखी ैं। काव्य चचा स़ेक्शन क
़े त त य ां
म 20 बड़े शायरों क
़े 20 बड़े श़ेर प़ेश कर र ़े ैं।
हदल़े-नादां तुझ़े हुआ क्या ै
आलखर इस ददू की दिा क्या ै
-गाललब
6. ददू को हदल में जग दो अकबर
इल्म स़े शायरी न ीं ोती
-अकबर इला ाबादी
फलक द़ेता ै जजनको ऐश उनको गम भी ोत़े ैं
ज ां बजत़े ैं नक्काऱे ि ां मातम भी ोत़े ैं
-दाग
नाजुकी उन लबों की क्या कह ए
प
िं खुडी एक गुलाब की सी ै
मीर उन नीमबाज आ
िं खों में
सारी मस्ती शराब की सी ै
-मीर
तुम म़ेऱे पास ोत़े ो गोया
जब कोई र्दसरा न ीं ोता
7. -मोहमन
मन ै इश्क, मस्ताना, मन को ोजशयारी क्या
र ें आजाद यों जग स़े, मन दुहनया स़े यारी क्या
-कबीर
लाई यात आय़े, कजा ल़े चली चल़े
अपनी खुशी न आए, न अपनी खुशी चल़े
-जौक
हकतना ै बदनसीब जफर दफ्न क
़े ललए
दो गज जमीन भी न हमली क
ू -ए-यार में
-जफर
8. दोप र की धूप में म़ेऱे बुलाऩे क
़े ललए
िो त़ेरा कोठ़े प़े न
िं ग़े पांि आना याद ै
- सरत जयपुरी
मता-ए-लौ ो-कलम जिन गयी तो क्या गम ै
हक खूऩे-हदल में डुबो लीं ैं उ
िं गललयां मैंऩे
-फ
ै ज अ मद फ
ै ज
क ां तो तै था चचरागां ऱेक घर क
़े ललए
क ां चचराग मयस्सर न ीं श र क
़े ललए
-दुष्य
िं त क
ु मार
य़े नगमासराई ै हक दौलत की ै तकसीम
इ
िं सान को इ
िं सान का गम बांट र ा ह
िं
-हफराक
9. घर लौट क
़े मां-बाप रोए
िं ग़े अक
़े ल़े में
हमट्टी क
़े लखलौऩे भी सस्त़े न थ़े म़ेल़े में
-क
ै सर उल जाफरी
ब़ेनाम सा य़े ददू ठ र क्यों न ीं जाता
जो बीत गया ै िो गुजर क्यों न ीं जाता
-हनदा फाजली
लह न ो तो कलम तजुूमां न ीं ोता
माऱे दौर में आ
िं सू जिां न ीं ोता
िसीम सहदयों की आ
िं खों स़े द़ेलखए मुझको
िो लफ्ज ह
िं जो कभी दास्तां न ीं ोता
-िसीम बऱेलिी