किस्सा ऊधम ससिंह
वाराताः शहीद ऊधम ससिंह िा जन्म 26 ददसम्बर 1899 में हुआ था। देश पर अिंग्रेजों िा
िब्जा था। पूरे ही देश में अिंग्रेज भारर वाससयों पर जुल्म ढा रहे थे। आजादी िी पहली जिंग जो
1857 में लड़ी गई थी। इसिे बाद अिंग्रेजों ने जनरा पर और भी ज्यादा िहर ढाया था। शहीद
ऊधम ससिंह िी मािं सारे माहौल िो देखिर दुखी हो जारी है और क्या सोचरी हैं भलााः
रागनी-1
यो घर खावण नै आवै, रहवै ददल मेरा उदास
नहीिं ददखै िोए राही।।
देही रिंज कििर ने खाली
या उड़गी चेहरे िी लाली
ििं गाली या बढ़री जावै, नहीिं बची जजन्दगी मैं आस
गोरयािं नै लूट मचाई।।
यो अिंग्रेज गगरिाणा सै
हर बार मैं गधिंगराणा सै
पपछराणा सै धमिावै ना लेवण दे सुख िी सािंस
ईज्जर रारणी चाही।।
मैं ससर पािड़ िै रोरी
सहन ये बार नहीिं होरी
मोरी ये चोरया चाहवै गेर दी म्हारे बीच मैं िािंस
बहोर घणा अन्याई।।
रणबीर नै अिंग्रेज दबारा
गाम थो चुप रैह जारा
सरारा अर यो गुरातवै नहीिं बार आवै या रास
ददल िी बार बराई।।
शहीद ऊधम ससिंह एि बहुर ही गरीब पररवार िा बच्चा था, जब पूरे देश में अिंग्रेजो िा जोर
जुल्म चल रहा था रो पिंजाब में भी जसलयािं वाला बाग जैसा हत्या िाण्ड 1919 में वैशाखी िे
ददन होरा है। इसिा ऊधम ससिंह िे ददलो ददमाग पर गहरा असर पड़रा है। एि ददन वह बैठा-
बैठा सोचने लगरा है। क्या बराया भलााःरागनी-2
भारर देश पै जजसनै भी अत्याचार भूल िै था ढाया।।
जुल्म ढावणणया िा वीरों नै था नामों ननशान समटाया।।
दहणात िु श दुयोधन ििं स नै जुल्म घणा ढाया था
म्हारे वीरािं नै बढ़ आगै इनिो सबि ससखाया था
जासलम खत्म िरने खारर अपना खून बहाया था
ठारा सौ सरावण िी जिंग मैं होसला खूब ददखाया था
ससख दहिंदू मुजस्लम सबनै हिंस-हिंस वैि शीश िटाया।।
ईस्ट इिंडडया आई देश मैं अपणे पैर पसार सलये
राज पै िरिै िब्जा बहोर घणे अत्याचार किये
गूिंठे िटाये िारीगरािं िे मौर िे घाट उरार ददये
मल-मल ढािा आली थी उसपै िसूरे वार किये
बबगाड़ िै सशक्षा म्हारी यो राह गुलामी िा ददखाया।।
यो वीर लाडला देश िारै ना अपणे प्रण रै भटिै
िोए िरै प्राण न्यौछावर हिंस-हिंस िािंसी पै लटिै
िई खेलगे खून िी होली छारी खोल दी बेखटिै
पपठू अिंग्रेजा िी झोली मैं बहोर घणा यो मटिै
अिंग्रेजािं िी पीिंड़ी िापी थी जजब जनरा नै नारा लाया।।
भारर देश यो ननराला बबरले घणे इसिे माली
किस्म-किस्म िे िू ल णखले िई ढिंग िे पत्ते डाली
खड़ी िसल जब लूटी म्हारी रो खड़या रोया हाली
जसलयािं वाले बाग िे अन्दर ये बही खून िी नाली
रणबीर ससिंह बरोने आले नै सुण िै छन्द बनाया।।
वाराताः 21 जुलाई 1940 िो भारर िे इस महाल शहीद िो अिंग्रेजों ने िािंसी िी सजा दी थी।
सन 1974 में जािर इस शहीद िी अजस्थयािं भारर आ पाई। ऊधम ससिंह पिंजाब में सुनाम गािंव
िा रहने वाला था। उसिे पपरा टहल ससिंह िम्बोज थे। रीन साल िी उमर में मारा िा साया
ससर से उठ जारा है। क्या बराया भलााःरागनी-3
ऊधम ससिंह हुआ शूरवीर भारर िा अजब ससपाही।।
सुनाम शहर पिंजाब मैं श्यान जजनिी गजब बराई।।
टहल ससिंह िम्बोज बाबू था िरिै मेहनर पाल्या था
गरीबी क्यूिर रोड़ै माणस नै उसिा देख्या भाल्या था
भारर िा जनमाणस गोरयािं नै अपणै सिंग ढाल्या था
चपड़ासी िी िरै नौिरी अपणा सब िु छ गाल्या था
देश प्रेम िी टहल ससिंह नै पिड़ी नबज बराई।।
चारों िान्ही देश प्रेम िी पिंजाब मैं थी लहर चली
गाम-गाम मैं चचात होगी हर गली और शहर चली
ईन्िलाब जजन्दाबाद िी घणे गजब िी बहर चली
सन ठारा सौ सरावण मैं हािंसी मैं खूनी नहर चली
इस आजादी िी गचन्गारी रै गोरयािं िै दी िब्ज ददखाई।।
रीन साल िा बालि था जजब मारा हो बबमार गई रै
इलाज िा िोए प्रबन्ध ना था बीमारी िर मार गई रै
याणे से िी बबन आई मैं मारा स्वगत ससधार गई रै
िे र खमोशी सारे घर मैं बबना बुलाएिं पधार गई रै
बबन मारा याणा बालि इसरै भूिंडी ना मरज सुणाई।।
छह साल िी उम्र हुई जजब पपराजी नै मुिंह मोड़ सलया
रावले से नै सलया सम्भाला देशप्रेम रै नारा जोड़ सलया
रणबीर बरोने आले नै आज बणा सही यो रोड़ सलया
गरीबी म रैहिै बी ओ िदे भल्या नहीिं था िरज भाई।।
वाराताः ऊधम ससिंह जसलयािं वाले बाग िे घायलों िी सेवा िे सलए अस्पराल में जारा है। वहािं
उसिी एि नसत से मुलािार होरी है। घायलों िे मुुुुुुिंह से सुन-सुन िर उस नसत िे पास बहुर
सी बारे थी। एि ददन वह नसत ऊधम ससिंह िो जसलयािं वाले बाग िे बारे में क्या बरारी है भलााः
रागनी-4
ननशान िाला जुलम िु ढाला यो जसलयािं आला बाग हुया।।
अिंग्रेज हिु मर िे चेहरे पै घणा बड्डा िाला दाग हुया।।
देश िी आजादी िी खारर बाग मैं रोड़ होग्या
इनरहास िे अन्दर बाग एि खास मोड़ होग्या
देश खड़या एि औड़ होग्या जजब यो खूनी िाग हुया।।
इसरै पहलम बी देश भजक्र िा था पूरा जोर हुया
मुठ्ठी भर थे क्राजन्रिारी सुधार वाददयों िा शोर हुया
दिंग किरिंगी चोर हुया बुलन्द आजादी िा राग हुया।।
शहरी बिंगले गाम िे ििं गले सबिो ही झिझोर ददया
िािंप उठी मानवरा सारी जुलम घणा महाघोर किया
एिरा िो िमजोर किया इसा किरिंगी जहरी नाग हुया।।
िु बातनी दी उड़ै वीरों नै वा जावै िदे बी खाली ना
जजब जनरा ले मार मिंडासा िे र पार किसे िी चाली ना
जीरों बैठैगी ठाली ना रणबीर ससिंह चाहे ननभातग हुया।।
वाराताः ऊधम ससिंह और नसत िी बार बढ़री है। ऊधम ससिंह िहरा है कि ज्यादारर लोगों िी राय
में नसे ज्यादा िाम नहीिं िररी। सामाजजि स्रर पर इस िाम िो हेय समझा जारा है। िोई
नसत से शादी िरने िो रैयार नहीिं। यह सुनिर नसत ऊधम ससिंह िो क्या बरारी है नससिंग
प्रोिै शन िे बारे में--रागनी-5
माणस िी ज्यान बचावैं अपणी ज्यान िी बाजी लािै ।।
किर बी सम्मान ना समलरा देख म्हारे राम जी आिै ।।
मररे माणस िी सेवा मैं हम ददन और रार एि िरैं
भुलािै दुख और दरद हिंसरी हिंसरी िाम अनेि िरैं
लोग क्यों चररत्रहीन िा रगमा म्हारे ससर पर टेि धरैं
घरआली नै छोड़ भाजज्यािं देखै बािंट वा एड्डी ठािै ।।
िलोरैंस नाइदटगेल नै नसों िी इज्जर आसमान चढ़ाई
लालटेन ले िै िरी सेवा महायुद्ध मैं थी नछड़ी लड़ाई
िौण िे िहवैगा उस रादहिं वा बबल्िु ल भी नहीिं घबराई
िे र दुननया मैं नसों नै थी मानवरा िी अलग जगाई
बाट देखरे नाइदटिंगेुेल िी िौजी सारे मुिंह नै बािंिै ।।
िररी पूरा ख्यालबबमारािं िा िे र घर िा सारा िाम होज्या
डाक्टर बबना बार डाट मारदे जल भुन िाला चाम होज्या
िहवैं नसें िाम नहीिं िररी चाहवैं उसिी गुलाम होज्या
मरीज बी खोटी नजर गेर दे खरम खुशी रमाम होज्या
दुख अपणा ऊधम ससिंह रोवािं किसिे धोरै जािै ।।
िाम घणा रनखा थोड़ी म्हारा सबिा शोषण होवै क्यों
सब भारर वासी समल रोवैं जीरों अिे ली रोवै क्यों
बबना एिरा नहीिं गुजारा न्यारा-न्यारा बोझा ढोवैं क्यों
गोरयािं िी चाल समझल्यािं ईब झूठा झगड़ा झोवै क्यों
रणबीर ससिंह साथ देवैगा आज न्यारे छन्द बणािै ।।
वाराताः नसत से बारचीर में ऊधम ससिंह िहरा है कि आजादी िी लड़ाई रो हम नौजवान लड़ रहे
है। मदहलाओिं िो घर िा मोचात सम्भालना चादहये। मदहलाओिं िी आजादी िी जिंग में दहस्सेदारी
िो लेिर िािी बहस होरी है। जीरो ऊधम ससिंह िो इस बारे मिंुे क्या िहरी है िपव िे शब्दों
में---रागनी-6
बबन म्हारी दहस्सेदारी िे क्यूिर देश आजाद िरावैगा।।,
िरिै घरािं मैं िै द हमनै किसा भारर नया बणावैगा।।
जनरा नै सुथरा सा सपना देख्या भारर नया बणावै
आजाद होिै अपणी बगगया मैं लाल गुलाब णखलावै
गोल मटोल से बालि होंगे हािंगा लािै खूब पढ़ावै
इन्सानी जज्बा मरण लागरया सोचै िै से उल्टा ल्यावै
औरर िी जिंजीर रोड़िै देश सही आजादी पावैगा।।
माणस दहिंदू मुजस्लम होंगे ना इन्सान िी जार समलै
पवश्वास िनर खत्म हो सलया माणस िररा घार समलै
जीर िौर बरगी मदहला िा मुजश्िल रनै साथ समलै
मदहला साथ लड़ी जड़ै उड़ै न्यारी ढाल िी बार समलै
जीर िौर िा ना साथ सलया रै पीछे िे र रछरावैगा।।
शहीद होणा हम भी जाणैं रनै साची बार बराउिं मैं
ददल म्हारे मैं जो रुिान उठ्या यो किसनै ददखाउिं मैं
मुठ्ठी भर चाहो आजादी ल्याणा थारी िमी जताउिं मैं
मदहला आधी भारर सै इनिी पूरी सशरिर चाहूिं मैं
मेरी बार गािंठ मार सलये बख्र मनै ठीि ठहरावैगा।।
म्हारी आजादी बबना इस आजादी िा अधूरा सार रहै
मार िाट मची रहवैगी यो नहीिं सुखी घर बार रहै
मेरी बार गौर िररये िदे चढ़या योहे बुखार रहै
बेरा ना मेरी बार नै रणबीर ससिंह क्यूिंिर समझावैगा।।
वाराताः ऊधम ससिंह एि ददन जीर िौर िे पास आरा है। बहुर परेशान था। जीर िौर परेशानी िा
िारण पूछरी है। ऊधम ससिंह िहरा है कि मुझे लोग समझारे है कि अिंग्रेजों िे राज में रो सूरज
नहीिं नछपरा। ये भारर देश िो छोड़ िर नहीिं जाने वालें मुझे बड़ी परेशानी होरी है यह सुनिर।
क्या बराया भलााः
रागनी-7
हाल देख िै जनरा िा िोए बािी रही िसर िोन्या।।
अिंग्रेजािं िा जुलम बढ़या ईब बबल्िु ल बच्या सबर िोन्या।।
सोने िी गचडड़या भारर जमा लूट िै गेर ददया
किसान और मजदूर बबचारा जमा चूट िै गेर ददया
क्यों खसूट िै गेर ददया आवै जमा सबर िोन्या।।
ससर बी म्हारा जूरी म्हारी म्हारे ससर पै मारैं सै
बोलैं जो उनिे साहमी यो उसिे ससर नै रारैं सै
ििं स िा रूप धारैं सै छोडया िोए नगर िोन्या।।
म्हारी िमाई मौज उनिी म्हारी समझ ना आई
देश िी ररक्िी िे ना पै आड़ै जमिै लूट मचाई
या बन्दर बािंट मचाई आसान रही बसर िोन्या।।
उनिे पपठ्ठु िहरे सुने राज मैं ना सूरज नछपरा
क्यूिर िाढ़ो देश रै रणबीर ससिंह िु छ ना ददखरा
हुक्म बबना ना पत्ता दहलरा िहरे रनै खबर िोन्या।।
वाराताः ऊधम ससिंह या उसिे साथी बारचीर िे बाद ऊधम ससिंह िो लन्दन भेजने िी रैयारी
िररे हैं। वह नाम बदल िर लन्दन जाने िी रैयारी िररा है उसिी आिंखों िे सामने डायर
घूमरा रहरा था। क्या बराया भलााः
रागनी-8
ऊधम ससिंह नै सोच समझ िै िरी लन्दन िी जाने िी रैयारी।।
राम मुहम्मद नाम धरया और पास पोटत सलया सरिारी।।
किस रररयािं जासलम डायर थ्यावै गचन्रा थी ददन रार यही
बबना बदला सलये ना उल्टा आऊिं हरदम सोची बार यही
उनै मौिे िी थी बाट सही समलिै उिंच नीच सब बबचारी।।
चैबीस घण्टे उसिै लाग्या पाछै यो मौिा असली थ्याया ना
जजरने ददन भी रहया टोह मैं उनै दाणा रि भी भाया ना
लन्दन मैं भी भय खाया ना था ऊधम क्राजन्रिारी।।,
ददन रार और सबेरी डायर उनै खड़ा ददखाई दे था
हाथ गौज में पपस्रोल उपर हमेशा पड़या ददखाई दे था
भगर ससिंह सभड़या ददखाई दे भर आिंख्यािं िे मािं गचन्गारी।।
होई िदे समाई िोन्या उसिै लगी बदन मैं आग भाई
न्यों सोचें जाया िररा हमनै हो खेलना खूनी िाग भाई
रणबीर िा सिल राग भाई जजब या जनरा उठै सारी।।
वाराताःऊधम ससिंह और डायर आमने-सामने होरे हैं रो डायर िािंप उठरा है। वह अपने जीवन िी
भीख मािंगरा है रो ऊधम ससिंह क्या जवाब देरा है और क्या िहरा हैाः
रागनी-9
आहमी साहमी खड़े दोनों डायर िा चेहरा पीला पड़ग्या।।
आसिंग रही ना बोलण िी जणो जहरी नाग आण िै लड़ग्या।।
थर-थर पीिंडी िािंप उठी भय चेहरे िै उपर छाया था
मारै मरना मनै ऊधम ससिंह डायर न्यों सममयाया था
उसनै भाजना चाहया था ऊधम ससिंह झट आग्गै अड़ग्या।
ऊधम ससिंह िी आिंख्यािं आग्गै वो बाग नाजारा घूम गया
डायर नै मरवाये हजाराा्रिं भाररवासी बबचारा घूम गया
यो पिंजाब सारा घूम गया उसिै
ै़
नाग बम्बी मैं बड़ग्या।।
पापी डायर किर भाजै सै िरना मनै रुिं माि नहीिं
भीख मािंगरा जीवन िी उस ददन िरया इिंसाि नहीिं
िाला ददल सै जमा साि नहीिं रेरा ईबक्यों चेहरा झड़ग्या।।
बणिै मौर खड़या साहमी उनै बबल्िु ल भी भय खाया ना
ईन्िलाब िहया जजन्दाबाद िनर भाजण िा डा ठाया ना
ऊाम ससिंह पपछराया ना रणबीर ससिंह सही छन्द घड़ग्या।।ुा्र
वाराताः हाल िे अन्दर सभा हो रही थी। आमना सामना हुआ। आिंखों में आिंखें समली। आिंखों ही
आिंखों मिंुे िु छ िहा एि दूसरे िो ।मौिा पारे ही ऊधम ससिंह ने ननशाना साध ददया। िपव ने
क्या बराया भलााः
रागनी-10
धािंय धािंय धािंय होई उड़ै दनादन गोली चाली थी।।
िािंपग्या क्रै क्सटन हाल सब दरवाजे णखड़िी हाली थी।।
पहली दो गोली दागी उस डायर िी छारी िे म्हािं
मिंच रै नीचिंुै पड़ग्या ज्यान ना रही खुरापारी िे म्हािं
िाढ़ी गोली दहम्मारी िे म्हािं खररे िी बाजी टाली थी।।
लाडत जैट िै लागी जािै दूजी गोली दागी थी
लुई डेन हेन हुया घायल मेम ज्यान बचािै भागी थी
चीख पुिार होण लागी थी सब िु सी होगी खाली थी।।
बीस बरस ग्यारा म्हीने मै जुलम िा बदला रार सलया
रेरह माचत चैबीस मैं माइिल ओ डायर मार ददया
अचजम्भर िर सिंसार ददया उनै िोन्या मानी िाली थी।।
जसलयािं आले बाग िा बदला सलया लन्दन मैं जािै
अिंग्रेजािं नै हुई सभड़ी धररी भाग सलये वे घबरािै
रणबीर नेुेुेुेुै िलम उठािै नै झट चार िली ये घाली थी।।
वाराताः 31 जुलाई 1940 िो ऊधम ससिंह िो िािंसी दे दी जारी है खबर उसिे शहर सुनाम पहुिंचरी
है। एि बुजुगत ऊधम ससिंह िो बहुर चाहरा था। अनाथ घर में भी उसिी सम्भाल किया िररा
था। वह बहुर दुखी होरा है और क्या िहरा है भलााःरागनी-11
बेटा उधम ससिंह चला गया रो िे सै मेरे लाल भरेरे।।
उस वीर बहादुर बरगे देश मैं न्यूिंए ठोिैं गे राल िमेरे।।
उसिा िसूर था इरना देश प्रेम िी लौ लगाई थी
देश नै आजाद िरावािं समलिै नै अलाख जगाई थी
बढ़रा गया आगै बेटा आजादी िी लड़ी लड़ाई थी
अिंग्रेजािं नै िदे बी ना िोए उसिी बार सुहाई थी
पूर पालनै मैं पपछणै सै यो िरगे ख्याल बडेरे।।
मैं न्यों बोल्या उसरै अपणा बख्र बरबाद िरै सै
उम्रा्र सै खेलण खावण िी राजनीनर िी बार िरै सै
न्यों बोल्या ज्यािंए िरिै अिंग्रेज हमपै राज िरै सै
बबना शान िे जीणा चाचा मनमैं ददन रार किरै सै
सारी उम्र हम िरािं िमाई क्यों लूटैं माल लुटेरे।।
गैर िैं डै नहीिं चलूिंगा बोल्या मेरा पवश्वास िररये
आशीवाद देदे अपणा ना मनै आज ननराश िररये
भारर मािं िी आजादी िी ददल रै ख्यास िररये
पलहम पररक्षा लेले पाछै िे ल और पास िररये
देश आजाद िराणा लाजमी ये ठारे ढाल पथेरे।।
मैं सूिं भारर देश िा सच्चा राबेदार ससपाही
गोरयािं नै वैशाखी आले ददन ढाई घणी रबाही
म्हारी बहू बेटी नै रिरे होरी ना जमा समाई
रणबीर मार गोली छारी मैं उसनै िसम पुगाई
िसल असली थे भारर िी वे ना थे घास पटेरे।।
वाराताः ऊधम ससिंह ने देश िे मान सम्मान और आजादी िे सलए अपनी ज्यान न्यौछावर िर दी।
लन्दन में जािर माइिल ओ डायर िो गोसलयों से भून ददया और-और हिंसरे हिंसरे िािंसी िा
पििं दा चूम गया। उसनै भारर िे सपूरों िो ललिार दी। क्या बराया िपव नेाः
रागनी-12
ऊधम ससिंह नै ललिार दी थी, भारर मैं पुिार गई थी,
जिंजीर गुलामी िी रोड़ ददयो।।
न्यूिं बोसलयो सब िठ्ठे होिै भारर मारा जजन्दाबाद
शहर सुनाम देश हमारा, गोरयािं नै िर ददया बरबाद
किरिंगी सैं घणे सत्यानाशी, िरिै अपनी दूर उदासी
मुिंह रोपा िा मोड़ ददयो।।
म्हारा होंसला िरदे खुन्डा उनिे दमन िे इगथयार
लक्ष्मी सहगल साथ मैं म्हारै ठािै खड़ी हुई रलवार
दहन्दुस्रान नै दी किलिारी, देश प्रेम िी ला गचन्गारी
िु बातनी िी लगा होड़ ददयो।।
हर भाररवासी नै देश प्रेम िा यो झिंण्डा ठाया था
पत्थर मरना पूजो भाई न्यूिं यो आसमान गूजाया था
लाया था सारे िै नारा, जुणसा लाग्गै हमनै प्यारा
इन पत्थरािं नै िोड़ ददयो।।
देश मैं छाग्या सबिै ऊधम ससिंह िी बारािं िा रिंग
इन्िलाब जजन्दाबाद िा नारा अिंग्रेज सुण होग्या दिंग
रणबीर ने जिंग रसबीर बनाई, गुलाब ससिंह नै गािै सुनाई
दखे सुर मैं सुर जोड़ ददयो।।
वाराताः देश में आन्दोलन पहले चल रहा था। किसान मजदूर डाक्टर विील सब देश िे मुजक्र
आन्दोलन में सकक्रय हो रहे थे। ऊधम ससिंह िी शहादर ने भारर वषत में रहलिा मचा ददया।
उसिी िु बातनी िे चरचे लोगों िी जुबान पर थे। िपव ने क्या बराया भलााःरागनी-13
ऊधम ससिंह मेरे ग्यान मैं, भारर देश िी श्यान मैं
इस सारे पवश्व महान मैं, यो रेरा नाम अमर हो गया।।
असूलािं िी जो चली लड़ाई, उसमैं खूब लड़या था रूिं
स्याहमी अिंग्रेजािं िे भाई, डटिै हुया खड़या था रूिं
बबर शेर िी मािंद िे म्हािं, अिे ला जा बड़या था रूिं
अव्वल था रु ध्यान मैं, रस था रेरी जुबान मैं
सारे ही दहिंदुस्रान मैं, यो रेरा पैगाम अमर हो गया।।
देख इरादा पक्िा रुम्हारा, हो गया मैं ननहाल जमा
भारर मािं िी सेवा में दे ददया सब धन माल जमा
एि बै मरिै देश िी खारर जीवै हजारौ साल जमा
डायर नै सबि चखान मैं, इस लड़ाई िे दौरान मैं
ननशाना सही बबठान मैं, यो रेरा िाम अमर होग्या।।
पक्िे इरादे िे साहमी अिंग्रेजािं िी पार बसाई ना
जसलयािं आला बाग देखिै िे र रेरै हुई समाई ना
धार लई अपने मन मैं किसे और रै बराई ना
रू अपने इस इजम्रहान मैं, अपनी ही ज्यान खपान मैं
देश िी आन बचान मैं, रू डेरा थाम अमर होग्या।।
जो लड़ी-लड़ाई रनै साथी वा लड़ाई थी असूला पै
वुबातनी रेरी रिंग ल्यावैगी जग थूिै ऊल जलूलािं पै
जजस बाग िा िू ल हुया नाज िरिंुै उसिे िू लािं पै
ईब आग्या सही पहचान मैं, भूले थे हम अनजान मैं
रूिं सिल हुया मैदान मैं, यो रेरा सलाम अमर होग्या।।
वाराताः जीर िौर िो सुनाम िे शहर में सूचना समलरी है ऊधम ससिंह िी शहादर िी। वह मन ही
मन रो पड़री है पुरानी मुलािारों िो याद िरिे । समझ नहीिं आरा उसे कि वह ऊधम ससिंह िे
साथ अपने ररश्रे िो िै से समझे। ऊधम ससिंह िा आजादी िा सपना ही उसे सही ररश्रा लगरा
है उसिे साथ। क्या सोचरी है भला। रागनी-14
िौण किसे िी गेल्यािं आया िौण किसे िी गैल्यािं जावै।।
ऊधम ससिंह िे सपन्यािं िा यो भारर ईब िौण रचावै।।
किसनै सै सिंसार बनाया किसनै रच्या समाज यो
म्हारा भाग रै भूख बराया बाधैं िामचोर िै राज यो
मानवरा िा रूखाला आज पाई-पाई िा मोहराज यो
अिंग्रेज क्यों लूट रहया सै मेहनर िश िी लाज यो
क्यों ना समझािं बार मोटी अिंग्रेज म्हारा भूर बणावै।।
िौण पहाड़ रोड़ िै िररा धररी समरल मैदाल ये
हल चला खेंरी उपजावै उसे िा नाम किसान ये
िौन धरा नै चीर िै खोदै चािंदी सोने िी खान ये
ओहे क्यों ििं गला घूम रहया गोरा बण्या धनवान ये
म्हारे िरम सैं माड़े िहिै अिंग्रेज हमनै यो बहिावै।।
हम आजादी चाहवािं अि अनपढ़रा िा समटै अन्धिार
हम आजादी चाहवािं अि जोर जुल्म िा समटै सिंसार
हम आजादी चाहवािं अि ऊिं च नीच िा समटै व्यवहार
हम आजादी चाहवािं अि लूट पाट िा समटै िारोबार
जार पार और भाग भरोसै या िोन्या पार बसावै।।
झूठ्यािं पै ना यिीन िरािं म्हारी रािर सै भरपूर
म्हारी छारी रै टिरािै गोली होज्या चिना-चूर
जागरे रदहयो सोइयो मरना ना म्हारी मिंजजल दूर
ससिंरजन हारे हाथ म्हारे सै घणे अजब रणसूर
देश िी आजादी खारर ऊधम ससिंह राह ददखावै।।