http://spiritualworld.co.in श्री गुरु हरि कृष्ण जी गुरु गद्दी मिलना:
कीरत पुर में गुरु हरि राय जी के दो समय दीवान लगते थे| हजारों श्रद्धालु वहाँ उनके दर्शन के लिए आते और अपनी मनोकामनाएँ पूरी करते| एक दिन गुरु हरि राय जी ने अपना अन्तिम समय नजदीक पाया और देश परदेश के सारे मसंदो को हुक्मनामे भेज दिये कि अपने संगत के मुखियों को साथ लेकर शीघ्र ही किरत पुर पहुँच जाओ| इस तरह जब सब सिख सेवक और सोढ़ी, बेदी, भल्ले, त्रिहण, गुरु, अंश और सन्त-महन्त सभी वहाँ पहुँचे| आपजी ने दीवान लगाया और सब को बताया कि हमारा अन्तिम समय नजदीक आ रहा है और हमने गुरु गद्दी का तिलक अपने छोटे सपुत्र श्री हरि कृष्ण जी को देने का निर्णय किया है|
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Shri Guru Harkrishan Sahib Ji Guru Gaddi Milna - 081a
1.
2. कीरत पुर मे गुर हरिर राय जी के दो समय
दीवान लगते थे| हरजारो श्रद्धालु वहराँ उनके
दशनर्शन के िलए आते और अपनी मनोकामनाएँ
पूरी करते| एक िदन गुर हरिर राय जी ने अपना
अिन्तम समय नजदीक पाया और देशन परदेशन
के सारे मसंदो को हुक्मनामे भेज िदये िक
अपने संगत के मुिखियो को साथ लेकर शनीघ हरी
िकरत पुर पहुँच जाओ| इस तरहर जब सब
िसखि सेवक और सोढ़ी, बेदी, भल्ले, ित्रिहरण,
गुर, अंशन और सन्त-महरन्त सभी वहराँ पहुँचे|
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3. आपजी ने दीवान लगाया और सब को बताया
िक हमारा अन्तिम न्तम समय नजदीक आ रहा है
और हमने गुर गद्दी का िम तलक अन्तपने छोटे
सपुत श्री हिर कृष्ण जी को देने का िम नणर्णय
िकया है|
इसके उपरांत गुर जी ने श्री हिर कृष्ण जी को
सामने िम बठाकर उनकी तीन पिरकमार्ण की और
पांच पैसे और नािरयल आगे रखकर उनको
नमस्कार की| उन्होंने साथ-साथ यह वचन भी
िकया िक आज से हमने इनको गुर गद्दी दे दी
है| 2 of 4 Contd…
4. आपने इनको हमारा ही रूप समझना है और इनकी
आज्ञा मे रहना है| गुर जी का यह हुक्म सुनकर सारी
संगत ने यह वचन सहष र्ण स्वीकार िकया और भेट अन्तपर्णण
की| इस प्रकार संगत ने श्री हिर कृष्ण जी को गुर
स्वीकार कर िम लया|
यह सब गुर हिर कृष्ण जी के बड़े भाई श्री राम राय जी
बदार्णश्त ना कर सके| उन्होंने क्रोध मे आकर बाहर मसंदो
को पत िम लखे िक गुर की कार भेट इक्कठी करके सब मुझे
भेजो निम हतो पछताना पड़ेगा| उसने इसके साथ-साथ
िदल्ली जाकर औरंगजेब को कहा िक मेरे साथ बहुत
अन्तन्याय हुआ है| गुर गद्दी पर बैठने का हक तो मेरा था
परन्तु मुझे छोडकर मेरे छोटे भाई को गुर गद्दी पर
िम बठाया गया|
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4 of 4 End
िजिसकी उम केवल पांच वष र की है| आप उसको िदिल्ली
मे बुलाओ और कहो िक गुर बनकर िसखो से कार भेटा
ना ले और अपने आप को गुर ना कहलाए| श्री राम राय
के बहुत कुछ कहने के कारण बादिशाह ने मजिबूर होकर
राजिा जियिसह को कहा िक अपना िवशेष आदिमी भेजिकर
गुर जिी को िदिल्ली बुलाओ| जियिसह ने ऐसा ही िकया|
राजिा जियिसह िक िचट्टी पड़कर और मंत्री की जिुबानी
सुनकर गुर हिर कृष्ण जिी ने माता और बुिद्धिमान िसक्खो
से िवचार िकया और िदिल्ली जिाने की तैयारी कर ली|
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िजिसकी उम केवल पांच वष र की है| आप उसको िदिल्ली
मे बुलाओ और कहो िक गुर बनकर िसखो से कार भेटा
ना ले और अपने आप को गुर ना कहलाए| श्री राम राय
के बहुत कुछ कहने के कारण बादिशाह ने मजिबूर होकर
राजिा जियिसह को कहा िक अपना िवशेष आदिमी भेजिकर
गुर जिी को िदिल्ली बुलाओ| जियिसह ने ऐसा ही िकया|
राजिा जियिसह िक िचट्टी पड़कर और मंत्री की जिुबानी
सुनकर गुर हिर कृष्ण जिी ने माता और बुिद्धिमान िसक्खो
से िवचार िकया और िदिल्ली जिाने की तैयारी कर ली|