1. Submitted By – AVNISH KUMAR
VERMA
GREATER NOIDA INSTITUTE OF
BUSINESS MANAGEMENT
Subject - SST
Chaudhary charan singh university
Roll no. - 2203680012
3. सिद्धार्थ गौतम, सिन्हें बुद्ध क
े नाम िे िाना िाता है, दसिण एसिया क
े एक
श्रमण और धासमथक सििक र्े िो ईिा पूर्थ छठी या पाांचर्ीां िताब्दी क
े दौरान
रहते र्े। र्ह बौद्ध धमथ क
े िांस्र्ापक र्े और बौद्धोां द्वारा पूरी तरह िे प्रबुद्ध
व्यक्ति क
े रूप में पूिनीय हैं, सिन्होांने सनर्ाथण का मागथ सिखाया, अज्ञानता,
लालिा, पुनिथन्म और पीडा िे मुक्ति।
बौद्ध परांपरा क
े अनुिार, बुद्ध का िन्म लुांसबनी में हुआ र्ा, िो अब नेपाल है,
िाक्य र्ांि क
े उच्च माता-सपता क
े सलए, लेसकन अपने पररर्ार को एक भटकते
तपस्वी क
े रूप में रहने क
े सलए छोड सदया। भीख माांगना, तपस्या और ध्यान
का िीर्न व्यतीत करते हुए, उन्होांने बोधगया में ज्ञान प्राप्त सकया।
क्या है गौतम बुद्ध की कहानी ?
4. गौतम बुद्ध का जन्म
बुद्ध की मााँ एक छोटे िे राज्य में एक प्रमुख व्यक्ति की पत्नी र्ीां, सििे उिक
े आसदर्ािी नाम,
िाक्य क
े नाम िे िाना िाता र्ा। यह एक प्रकार का क
ु लीन गणराज्य र्ा िो आधुसनक भारत
और नेपाल की िीमा पर क्तस्र्त र्ा। बौद्ध परांपरा क
े अनुिार, उिने िपना देखा सक एक िुभ
िफ
े द हार्ी उिक
े गभथ में प्रर्ेि कर गया।
बुद्ध अपनी माता की ओर िे प्रकट हुए, क्योांसक र्ह एक ददथ रसहत और िुद्ध िन्म में एक
पेड क
े क्तखलाफ झुकी हुई र्ीां। उिने िात कदम उठाए और उिक
े कदमोां में कमल क
े फ
ू ल
उग आए। एक बुक्तद्धमान व्यक्ति ने भसर्ष्यर्ाणी की र्ी सक यह बच्चा या तो एक महान
धमथसनरपेि िािक होगा या एक महान धासमथक नेता होगा।
5. गौतम बुद्ध का जीवन
इनका िन्म लुांसबनी में 563 ईिा पूर्थ इक्ष्वाक
ु र्ांिीय िसिय िाक्य क
ु ल क
े
रािा िुद्धोधन क
े घर में हुआ र्ा। उनकी मााँ का नाम महामाया र्ा िो कोलीय
र्ांि िे र्ीां, सिनका इनक
े िन्म क
े िात सदन बाद सनधन हुआ, उनका पालन
महारानी की छोटी िगी बहन महाप्रिापती गौतमी ने सकया।
गौतम बुद्ध एक श्रमण र्े सिनकी सििाओां पर बौद्ध धमथ का प्रचलन हुआ।
इनका िन्म लुांसबनी में 563 ईिा पूर्थ इक्ष्वाक
ु र्ांिीय िसिय िाक्य क
ु ल क
े
रािा िुद्धोधन क
े घर में हुआ र्ा।
29 र्र्थ की आयुुु में सिद्धार्थ सर्र्ाहोपराांत एक माि प्रर्म नर्िात
सििु राहुल और धमथपत्नी यिोधरा को त्यागकर िांिार को िरा, मरण, दुखोां िे
मुक्ति सदलाने क
े मागथ एर्ां ित्य सदव्य ज्ञान की खोि में रासि में रािपाठ का
मोह त्यागकर र्न की ओर चले गए। र्र्ों की कठोर िाधना क
े पश्चात बोध
गया (सबहार) में बोसध र्ृि क
े नीचे उन्हें ज्ञान की प्राक्तप्त हुई और र्े सिद्धार्थ
गौतम िे भगर्ान बुद्ध बन गए।
6. बुद्ध क
े प्रर्म गुरु आलार कलाम र्े,सिनिे उन्होांने िांन्याि काल में सििा प्राप्त की। ३५ र्र्थ
की आयु में र्ैिाखी पूसणथमा क
े सदन सिद्धार्थ पीपल र्ृि क
े नीचे ध्यानस्र् र्े।
बुद्ध ने बोधगया में सनरांिना नदी क
े तट पर कठोर तपस्या की तर्ा िुिाता नामक लडकी क
े
हार्ोां खीर खाकर उपर्ाि तोडा। िमीपर्ती गााँर् की एक स्त्री िुिाता को पुि हुआ।र्ह बेटे
क
े सलए एक पीपल र्ृि िे मन्नत पूरी करने क
े सलए िोने क
े र्ाल में गाय क
े दू ध की खीर
भरकर पहुाँची।
सिद्धार्थ र्हााँ बैठा ध्यान कर रहा र्ा। उिे लगा सक र्ृिदेर्ता ही मानो पूिा लेने क
े सलए िरीर
धरकर बैठे हैं। िुिाता ने बडे आदर िे सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा- ‘िैिे मेरी
मनोकामना पूरी हुई, उिी तरह आपकी भी हो।
’ उिी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की िाधना िफल हुई। उिे िच्चा बोध हुआ। तभी िे
सिद्धार्थ 'बुद्ध' कहलाए। सिि पीपल र्ृि क
े नीचे सिद्धार्थ को बोध समला
र्ह बोसधर्ृि कहलाया और गया का िमीपर्ती र्ह स्र्ान बोधगया।
ज्ञान की प्राप्ति
7. बुद्ध की शिक्षाएं
बौद्ध धमथ में, चार महान ित्य (पाली: कट्टारी अररयािक्कानी) को
बुद्ध द्वारा दी गई पहली सििा क
े रूप में मान्यता प्राप्त है और उन्हें
उनकी िबिे महत्वपूणथ सििाओां में िे एक माना िाता है।
उन्हें "महान ित्य" कहा िाता है, क्योांसक िैिा सक बुद्ध कहते हैं, र्े
र्ास्तसर्क (तर्ानी), अचूक (असर्र्ानी) हैं, और बदलते नहीां हैं
(अननार्ानी)।
यह इन चार महान ित्योां की पूरी िमझ क
े कारण है, िैिा सक र्े
र्ास्तर् में हैं, बुद्ध को "योग्य" (अरहांत), और "स्वयां िे पूणथ रूप िे
प्रबुद्ध" (िम्मा िांबुद्धो) कहा िाता है। (एिएन िम्मा िांबुद्ध िुत्त)।
8. महापरिशनवााण
पासल सिद्धाांत क
े महापररसनर्ाथण िुत्त क
े अनुिार ८० र्र्थ की आयु में बुद्ध ने घोर्णा की सक र्े
िल्द ही पररसनर्ाथण क
े सलए रर्ाना होांगे। बुद्ध ने अपना आक्तखरी भोिन, सििे उन्होांने क
ु न्डा
नामक एक लोहार िे एक भेंट क
े रूप में प्राप्त सकया र्ा, ग्रहण सलया सििक
े कारण र्े गांभीर
रूप िे बीमार पड गये। बुद्ध ने अपने सिष्य आनांद को सनदेि सदया सक र्ह क
ु न्डा को िमझाए
सक उिने कोई गलती नहीां की है। उन्होने कहा सक यह भोिन अतुल्य है।
9. उपदेि
भगर्ान बुद्ध ने लोगोां को मध्यम मागथ का उपदेि सदया । उन्होांने दुुःख, उिक
े कारण और
सनर्ारण क
े सलए अष्ाांसगक मागथ िुझाया। उन्होांने असहांिा पर बहुत िोर सदया है। उन्होांने यज्ञ
और पिु-बसल की सनांदा की। बुद्ध क
े उपदेिोां का िार इि प्रकार है –
महात्मा बुद्ध ने िनातन धरम क
े क
ु छ िांकल्पनाओां का प्रचार सकया, िैिे असिहोि तर्ा गायिी
मन्त्र
ध्यान तर्ा अन्तर्दथसष्
मध्यमागथ का अनुिरण
चार आयथ ित्य
अष्ाांग मागथ
10. बौद्ध धमा एवं संघ
बुद्ध क
े धमथ प्रचार िे सभिुओां की िांख्या बढ़ने लगी। बडे-बडे रािा-महारािा भी उनक
े सिष्य
बनने लगे। सभिुओां की िांख्या बहुत बढ़ने पर बौद्ध िांघ की स्र्ापना की गई।
बाद में लोगोां क
े आग्रह पर बुद्ध ने क्तस्त्रयोां को भी िांघ में ले लेने क
े सलए अनुमसत दे दी, यद्यसप
इिे उन्होांने उतना अच्छा नहीां माना। भगर्ान बुद्ध ने ‘बहुिन सहताय’ लोककल्याण क
े सलए
अपने धमथ का देि-सर्देि में प्रचार करने क
े सलए सभिुओां को इधर-उधर भेिा। अिोक आसद
िम्राटोां ने भी सर्देिोां में बौद्ध धमथ क
े प्रचार में अपनी अहम् भूसमका सनभाई। मौयथकाल तक
आते-आते भारत िे सनकलकर बौद्ध धमथ चीन, िापान, कोररया, मांगोसलया, बमाथ, र्ाईलैंड, सहांद
चीन, श्रीलांका आसद में फ
ै ल चुका र्ा। इन देिोां में बौद्ध धमथ बहुिांख्यक धमथ है।