कारक क्या होते है?
'कारक' वह व्याकरणिक कोटि है
जो यह बताती है कक वाक्य की
किया क
े साथ उस वाक्य में प्रयुक्त
संज्ञाओं का क्या संबंध है।
वाक्य मे संज्ञाओं और किया क
े बीच क
े संबंध की प्रकृ तत को ध्यान मे
रखकर संसकृ तत क
े प्राचीन वैयाकरिों ने कारकों क
े छह भेद ककए थे, आगे
चलकर इस सूची मे दो नाम और जोड़ टदए गए , इसीललए कारक क
े आठ
भेद होते हैं, जो कक हैं—
1. कताा कारक (वह संज्ञा जो किया को पूरा करने का काम करती हो)
2. कमा कारक (वह संज्ञा जजस पर किया का फल या प्रभाव पड़ता हो)
3. करि कारक (वह संज्ञा जो किया को पूरा करने में साधन का काया करती हो)
4. संप्रदान कारक (जजस संख्या क
े ललए किया घटित होती हो)
5. अपादान कारक (जजस संज्ञा से ककसी अन्य संज्ञा क
े अलग होने का भाव प्रकि होता हो)
6. अधधकरि कारक (जो संज्ञा किया क
े घटित होने का आधार बनती हो)
7. संबंध कारक (दो संज्ञाओं क
े बीच का संबंध)
8. संबोधन का कारक (वह संज्ञा जजसे वक्ता द्वारा संबोधधत ककया जाए)
कारक: भेद-प्रभेद
कताा कारक
कताा कारक (Nominative Case)- (कारकीय धचह्न 'शून्य’ (0),'ने’,’से’, ‘क
े द्वारा’)
वाक्य में संज्ञा या सवानाम क
े जजस रुप से यह पता चले कक वह किया
को पूरा करने का काया कर रहा है तो वह संज्ञा कताा कारक पर होती
है।
ध्यान रणखए ‘कताा कारक’ को व्यक्त करने वाला क
े वल ‘ने’ ही नहीं है
बजकक शून्य ‘0’, ‘से’, ‘क
े द्वारा’ आटद भी कताा कारक क
े धचन्ह है।
उदहारण कारकीय चिह्न
१. बच्चा घर गया है। शून्य (0)
२. बच्चे ने कफकम देख ली है। ‘ने’
३. मााँ से चला नही जाता। ‘से’
४. राष्ट्रपतत क
े द्वारा उद्घािन ककया गया। क
े द्वारा
कर्ा कारक
कर्ा कारक (Accusative case) - कारकीय धचह्न- ‘शून्य’ (0), ‘को’,’से’
वाक्य की जजस संज्ञा पर किया का फल या प्रभाव
पड़ता है, वह संज्ञा कमा कारक में होती हैं।
उदहारण कारकीय चिह्न
१. लड़ककयां तबला बजा रही है। शून्य (0)
२. लोगो ने उस इमारत को धगरा टदया। ‘को’
३. मैंने मोहन से पहले ही कह टदया था। ‘से’
करि कारक
करण कारक (Instrumental Case)- करकीय धचह्न- ‘से’
करि का अथा है ‘साधन’ (Instrument)। अथाात वाक्य की किया
को पूरा करने में जो संज्ञा ‘साधन’ का काया करती है, वह करि
कारक मैं होती है।
उदहारण कारकीय चिह्न
१. बच्चे ने बोतल से दूध पपया। ‘से’
२. मैंने पेंलसल से धचत्र बनाया। ‘से’
संप्रदान कराक
वाक्य की किया जजस संज्ञा क
े ललए घटित होती है,
वह संज्ञा संप्रादान कारक मैं कही जाती है।
संप्रदान कारक (Dative Case)- कारककया धचह्न- ‘क
े ललए’, ‘को’
उदहारण कारकीय चिह्न
१. मााँ ने बच्चों क
े ललए लमठाई बनाई। 'क
े ललए'
२. उसने लभखाररयों को क
ं बल बांिे। 'को’
अपादान कारक
अपादान कारक (Ablative Case)- कारककया धचह्न- ‘से’(अलग होना)
वाक्य की किया क
े द्वारा जब ककसी एक संज्ञा से दूसरी संज्ञा
क
े अलग होने का भाव प्रकि होता है, तो वह संज्ञा अपादान
कारक में कही जाती है।
उदहारण कारकीय चिह्न
१. पेड़ से पत्ते धगर रहे हैंI ‘से’
२. वह रेन से तनचे उतर आई। ‘से’
अधधकरि कारक
अचिकरण कारक (Locative Case)- कारककय धचह्न- ‘में’, ‘पे’, ‘पर’, ‘ऊपर’,
‘क
े ऊपर’, ‘क
े नीचे’, ‘क
े पहले’, ‘क
े बाद’ आटदI
किया क
े जजस स्थान या समय पर घटित होती है उस स्थान या
समय क
े ललए जो संज्ञा आधार बनती है, वह अतघकरि कारक में
कही जाती है।
उदहारण कारकीय चिह्न
१. बच्चे छत पर खेल रहे है। ‘पर’
२. हम गलमायों में लशमला जाऍ ं
गे। ‘में’
३. वह मेज़ क
े ऊपर बैठा है। ‘क
े ऊपर’
‘समय’ क
े साथ ‘में’, ‘पर’ परसगा तो लगते ही है, कभी-
कभी ‘को’ का भी प्रयोग किया जाता है ; जैसे -
उदहारण कारकीय चिह्न
१. मेरी छ
ु ट्टियां जून में होंगी। ‘में’
२. वह दोहपर को पहुाँचेगी। ‘को’
३. मेरी रेन दस बजकर बीस लमनि पर पहुाँचेगी। ‘पर’
संबध कारक
संबि कारक (Genetive Case)- (कारककया धचह्न: ‘का’, ‘क
े ’ ,‘की’ /‘रा’, ‘रे’, ‘री’)
जहां ककसी संज्ञा/ सवानाम का ककसी दूसरे संज्ञा/ सवानाम
क
े साथ संबंध टदखाया जाता है वहां व संज्ञा/ सवानाम
संबंध कारक में होते हैं।
उदहारण कारकीय चिह्न
१. यह बच्चों की ककताबें हैं। ‘का’, ‘क
े ’, ‘की’
२. उसने लकड़ी का मकान बनवाया। ‘का’, ‘क
े ’,‘की’
३. तुम्हारे घर में कौन-कौन है? ‘रा’, ‘रे’, ‘री’
४. मेरी बेिी लंदन में रहती है। ‘रा’, ‘रे’, ‘री’
संबोधन कारक
संबोिन कारक (Vocative Case) – (कारकीय धचह्न : हे, रे, अरे, ओ, आटद)
जब वक्ता द्वारा ककसी संज्ञा का ध्यान आकपषात
ककया जाए या उसे संबोधधत ककया जाए ,तो वह
संज्ञा संबोधन कारक में होती है|
उदहारण कारकीय चिह्न
१.हे राम! यह लड़का कब सुधरेगा | हे!
२. अरे भाई! इधर मत बैठो | अरे!
३. लड़ककयों! चाक
ू से मत खेलो| लड़ककयों! ; ओ!
हर्ने सीखा
वाक्य में प्रयुक्त संज्ञाओं का उस वाक्य की किया क
े साथ जो संबंध है, उसे कारक कहते हैं।
यह संबंध इस आधार पर तय होता है कक वाक्य में कौन-सी संज्ञा क्या प्रकाया कर रही है तथा
किया को पूरा करने में क्या सहयोग प्रदान कर रही है।
संज्ञा तथा किया क
े बीच क
े संबंध को हर भाषा अलग-अलग ढंग से व्यक्त करती है। टहंदी में यह
संबंध 'परसगा' या कारकीय धचह्नों से व्यक्त ककया जाता है।
टहंदी में क
ु ल आठ कारक माने गए हैं- कताा, कमा, करि, संप्रदान, अपादान, अधधकरि,संबंध तथा
संबोधन।
प्रत्येक कारक को व्यक्त करने वाले अलग-अलग कारकीय धचह्न हैं।
क
ु छ कारकीय धचह्न एक से अधधक कारकों में भी प्रयुक्त हो सकते हैं।
अतः क
े वल धचह्न देखकर कारक का तनधाारि नहीं करना चाटहए।
आइए अभ्यास करें!
1. कारक क
े ककतने प्रकार होते हैं?
- कारक क
े आठ भेद होते हैं:
1. कताा कारक
2. कमा कारक
3. करि कारक
4. संप्रदान कारक
5. अपादान कारक
6. अधधकरि कारक
7. संबंध कारक
8. संबोधन कारक
2. बताइए रेखांककत संज्ञा पद ककस कारक में है?
(i) डॉक्िर द्वारा इलाज ककया गया।
- द्वारा: कताा कारक
(ii) लोगों ने उस इमारत को धगरा टदया।
- को: कमा कारक
(iii) उसने क
ु त्ते को डंडे से मारा।
- से: करि कारक
(iv) होिल में आपक
े ललए कमरा बुक है।
- ललए: संप्रदान कारक
(v) मैं नदी से पानी ले आया।
- से: अपादान कारक
3. इन शब्दों को चुनकर खाली स्थानों को भरो। से, में, क
े , पर,
क
े , ललए, से
(क) संसार ___ ग्लोबल वालमिंग बढ़ता जा रहा है।
(ख) चीन नेपाल ____ बड़ा है।
(ग) भगवान राम ____ भक्त तुलसीदास _____ भगवान की
सदा कृ पा रही है।
(घ) नेपाल____ बांग्लादेश ने हधथयार मंगवाया I