1. महात्मा गाांधी अांतरराष्ट्रीय हहांदी हश्ववहश्ायय, शधाा
संगोष्ठी - पत्र
सत्र – 2015-16
प्रश्न पत्र– C/104 अनुवाद का भाषाई परिप्रेक्ष्य औि उसके व्यापक संदभभ
ववषय : संप्रेषण की चुनौवियााँ
प्रस्तुतकताा
आशुतोष कुमार हश्ववकमाा
एम. हिय. अनुशाद अध्ययन
(प्रथम छमाही)
मागादशाक
डॉ॰ अनशर अहमद हिद्दीकी
अहिस्टेंट प्रोिेिर
अनुशाद अध्ययन हशभाग
अनुशाद अध्ययन हशभाग
महात्मा गाांधी अांतरराष्ट्रीय हहांदी हश्ववहश्ायय, शधाा - 442005
2. संप्रेषण (COMMUNICATION)
िांप्रेषण शब्द अँग्रेजी के Communication शब्द का हहन्दी पयाायशाची है, हजिकी उत्पहि
यैहटन शब्द ‘Communis’ िे हुई है , हजिका शाहब्दक अथा है - कॉमन या सामान्य |
अतः कहा जा िकता है हक िांप्रेषण एक ऐिी प्रहिया है, हजििे हम परस्पर िामान्य अशरोध
के माध्यम िे आदान-प्रदान करने का प्रयाि करते हैं ।
िांप्रेषण का अथा पिस्पि सूचनाओंिथा ववचािों का आदान-प्रदान किना हैं |
िांप्रेषण एक ऐिी प्रहिया है हजिमें व्यहि अपने ज्ञान, हाश-भाश, मुख मुद्रा तथा हशचारों का
परस्पर आदान –प्रदान करते हैं तथा इि प्रकार िे प्राप्त हशचारों अथशा िांदेशों के िमान तथा
िही अथों में िमझने और प्रेषण करने में उपयोग करते हैं ।
3. संप्रेषण की परिभाषा
(1) - एंडिसन के अनुसाि – “ िांप्रेषण एक गत्यात्मक प्रहिया है, हजिमें व्यहि
चेतनतया अथशा अचेतनतया, दूिरों के िांज्ञानात्मक ढाांचे को िाांके हतक (हाश-
भाश आहद) रूप में , उपकरणों या िाधनों द्वारा प्रभाहशत करता है ।”
(2) – लीगंस के अनुसाि – “िांप्रेषण शह प्रहिया है हजिके द्वारा दो या दो िे अहधक
योग हशचारों, तथ्यों, भाशनाओां तथा प्रभाशों आहद का इि प्रकार (परस्पर)
हशहनमय करते हैं हक िभी योग िांदेशों को िमझ जाते हैं । िांप्रेषण में िांदेश देने
शाये तथा ग्रहण करने शाये के मध्य िांदेशों के माध्यम िे िमन्शय स्थाहपत हकया
जाता है ।”
4. संप्रेषण के प्रकाि ( Types of Communication)
संप्रेषण के मुख्यिः दो प्रकाि हैं –
(1) शावददक ( Verbal)
(A)-मौहखक ।
(B)-हयहखत ।
(2) अशावददक ( Non-Verbal)- इिके अांतगात दृश्य िांके त, शारीररक हाश-
भाश, िामग्री या िाधनों द्वारा िांके त करना आहद आता हैं ।
5. िांप्रेषण के तत्श हनम्नहयहखत हैं –
िांदेश ( Message) ।
प्रेषक ( Sender) ।
िांके त भाश ( Encoding) ।
माध्यम (channel) ।
प्राप्तकताा (Reciever) ।
हनहहत भाश को िमझना ( Decoding)।
हियान्शयन (Acting) ।
संप्रेषण के ित्व (ELEMENTS OF COMMUNICATION)
6. संप्रेषण में चुनौवियााँ (Challenges in Communication
संप्रेषण में वनम्नवलविि स्िि पि चुनौवियााँ आिी हैं-
प्रेषक के स्िि पि |
प्राप्तकिाभ के स्िि पि |
प्रसािण स्िि पि |
भाषा के स्िि पि |
दृविकोण के स्िि पि |
वस्थवि के स्िि पि |
व्यविगि स्िि पि |
अन्य अविोध |
7. (1)प्रेषक के स्िि पि – िांप्रेषण का प्रथम स्तर प्रेषक का स्तर है । प्रेषक के स्तर पर हनम्न
चुनौहतयाँ उत्पन्न हो िकती है ।
(A)-िांदेश की रचना एशां हशचार के गठन में ।
(B)-िांदेश के अथा को िांके त प्रदान करने में ।
(2) प्राप्तकिाभ के स्िि पि – िांचार प्रहिया में दूिरा महत्शपूणा स्तर प्राप्तकताा का स्तर है ।
प्राप्तकताा के स्तर पर हनम्न चुनौहतयाँ आती हैं ।
(A)-िांदेश की प्राहप्त ।
(B)- िांदेश िांके त को िमझने योग्य भाषा में पररशतान करने पर ।
(3) प्रसािण स्िि पि - िांदेश जहाां िांप्रेहषत हकया जा रहा है शहाँ िे िांप्रेषण कै िे हो रहा
है ।
8. (4) भाषा के स्िि पि – भाषा स्तर पर चुनौहतयाँ शब्दों का चयन, अपयााप्त शब्द ज्ञान,
अहशशेकपूणा व्याख्यान, उच्चारण ,अांधाधुांध पुनराशृहियाां , दुर्ाय शब्दों और अथाहीन
शाकयाांशों का चयन ।
(5) दृविकोण के स्िि पि – योगों का दृहिकोण कै िा हैं , ध्यान नही देना,
अपररपकश मूलयाांकन, अनाशश्यक हमश्रण , िांप्रेषण पर अहश्ववाि ।
(6) वस्थिी के स्िि पि – शोर , िमय एशां दूरी , िांगठनात्मक नीहतयाँ , हनयम एशां
हनयमाशयी , िांप्रेषक की मानहिक हस्थहत ।
9. (7) व्यविगि स्िि पि- िांप्रेषण में व्यहिगत स्तर पर र्हुत िारी चुनौहतयाँ आतीं
हैं । जो हनम्नहयहखत हैं –
(A) िमय का अभाश ।
(B) िांप्रेषण िे र्चाश ।
(C) उहचत माध्यमों का उपयोग ।
(D) िांप्रेषण में अरुहच ।
(E) प्रेरणा का अभाश ।
10. अन्य चुनौवियााँ
(A) िांप्रेषण माध्यमों का चयन ।
(B) िांप्रेषण के हयए िमय पर दर्ाश ।
(C) अन्तरराष्ट्रीय िांप्रेषण में िामाहजक एशां िाांस्कृहतक पृष्ठभूहम की
हशहभन्नताएँ ।
आहद स्तर पर िांप्रेषण में चुनौहतयाँ पायी जाती हैं ।
11. वनष्कषभ
हम देखते हैं हक िम्प्रेषण में हशहभन्न स्तरों पर हभन्न-हभन्न चुनौहतयाँ आती हैं।
अगर िम्प्रेषण िही नही होगा तो श्रोता तक र्ातों का िही अथा नहीं पहुँच
पाता है ,हजििे अहधगम श िूचनायेँ प्रभाहशत होती हैं । अनुशाद में भी िही
िांप्रेषण आशश्यक है । इि प्रकार िे हम देखते हैं हक िांप्रेषण का हर जगह
पर महत्त्श है मगर िांप्रेषण िही और स्पि होना चाहहए , तभी िांप्रेषण प्रभाशी
होगा ।