1. संगोष्ठी-पत्र
प्रश्न-पत्र १०२ : भाषा और भाषाविज्ञान
विषय : भाषा और भाषा पररिार
ननर्देशक
पंकज द्वििेर्दी
अससस्टेंट प्रोफे सर
प्रौद्योगगकी अध्ययन के न्द्र
भाषा विद्यापीठ
प्रस्तुतकताा,
असित कु िार झा
एि॰आई॰एल॰ई॰
भाषा विद्यापीठ
िहात्िा गांधी अंतरराष्रीय हहन्द्र्दी विश्िविद्यालय, िधाा
िहाराष्र- 442205
2. भाषा शब्र्द संस्कृ त के ‘भाष ्’ धातु से बना है जजसका अर्ा
है बोलना या कहना अर्ाात ् भाषा िह है जजसे बोला जाए।
प्लेटो ने सोफफस्ट िें विचार और भाषा के संबंध िें सलखते
हुए कहा है फक विचार और भाषाओ िें र्ोडा ही अंतर है।
विचार आत्िा की िूक या अध्िन्द्यात्िक बातचीत है
परन्द्तु िही जब ध्िन्द्यात्िक होकर होठों पर प्रकट होती है
तो उसे भाषा की संज्ञा र्देते हैं।
हेनरी स्िीट के अनुसार ध्िन्द्यात्िक शब्र्दों द्िारा विचारों
को प्रकट करना ही भाषा है।
जॉजज एल॰ रेगर- भाषा यादृजछिक भाष ् प्रनतकों का
तंत्र है जजसके द्िारा एक सािाजजक सिूह सहयोग
करता है।
Wikipedia
3. आपस िें सम्बजन्द्धत भाषाओं को भाषा-
परिवाि कहते हैं। कौन भाषाएँ फकस पररिार िें
आती हैं, इसके सलये िैज्ञाननक आधार हैं।
भाषाओं के िगीकरण का आधार :-
(1)भौगोसलक सिीपता
(2)शब्र्दननरूपता
(3)ध्िननसाम्य
(4)व्याकरणगत सिानता
4. पूरे विश्ि िे कु ल 136 भाषा पररिार हैं :-
http://www.ethnologue.com/statistics/family
5.
6. भारत िे िुख्यतः पाँच भाषा पररिार की भाषा
बोली जाती है:-
(1)आया भाषा पररिार
(2)रविड भाषा पररिार
(3)अंडिानी भाषा
(4)नतब्बती-बिान भाषा पररिार-बिाा,चीन,नतब्बत,
नागालेंड,िणणपुर,असि,अरुणाचल प्रर्देश ,
(5) औस्रो एसशयाहटक भाषा पररिार –भारत
,बांग्लार्देश ,चीन के र्दक्षिण बाडार
8. जो िहत्ि विश्ि भाषा पररिार िे भारोपीय
भाषा पररिार का है िही िहत्ि आया भाषा
पररिार का भारोपीय भाषा पररिार िे है।
इसके िहत्ि का कारण ननम्न हैं:-
(१) प्राचीनति साहहत्य
(२) अिेस्ता
(३)भाषाविज्ञान का जन्द्िर्दाता
(४)प्राचीन संस्कृ नत एिं सभ्यता
(५)भाषाशास्त्रीय र्देन
भाषाविज्ञान एिं भाषाशास्त्र कवपलर्देि द्वििेर्दी
9. (१)प्राचीनति साहहत्य
विश्ि की सबसे शुद्ध एिं प्राचीनति साहहत्य
ऋग्िेर्द है ।
यह सबसे पुराना िेर्द है ।
शेष तीनों िेर्द ऋग्िेर्द के प्राप्य है।
भारतीय विद्िान िैहर्दक काल का प्रारम्भ
४००० ई.पू. िानते है।
यह िैहर्दक संस्कृ त िे सलखा गया है जो आया
भाषा पररिार की भाषा है।
भाषाविज्ञान एिं भाषाशास्त्र कवपलर्देि द्वििेर्दी
10. (२)जेंड अवेस्ता
अिेस्ता परससयों का धिा ग्रंर् है।
अिेस्ता प्राप्य िैहर्दक के सिकि है ।
यह भी आया भाषा पररिार के एक भाषा िे सलखी
गयी है।
(३)भाषाववज्ञान का जन्मदाता :-
यूरोप िे संस्कृ त ओर अिेस्ता का तुलनात्िक
अध्ययन शुरू हुआ जो तुलनात्िक भाषाविज्ञान का
जन्द्िर्दाता है।संस्कृ त को भाषाशास्त्र की जननी है।
11. (४)प्राचीन संस्कृ तत एवं सभ्यता :- प्राचीन
संस्कृ नत एिं सभ्यता की जानकारी हिे िेर्दों से
प्राप्त होती है जो आया भाषा पररिार के
संस्कृ त भाषा िे सलखी गई है।
(५)भाषा शास्रीय देन :- भारतीय विद्िानो ने
भाषा की जननी संस्कृ त भाषा को िाना है जो
आया भाषा पररिार की एक भाषा है।
12.
13. देश भाषा
भारत हहन्द्र्दी, आसािी, बंगाली, बोडो, र्दोगीरी, गोंर्दी, गुजराती, कोंकणी,
िैगर्ली, िराठी, िेतै, नेपाली, ओड़डया, पूिी पंजाबी ,संस्कृ त, ससंधी,
उर्दूा
पाफकस्तान उर्दूा,ससंधी,कश्िीरी,
बांग्लार्देश बंगाली,उर्दूा ,बबहारी,
नेपाल नेपाली,िैगर्ली,भोजपुरी,उर्दूा,र्ारु,तिंग,नेपाल भाषा,
िगार,बजजजका,र्दोटेली,अिगध ,बाइटर्देली
http://en.wikipedia.org/wiki
14. एक ललवप-कई भाषा :- र्देिनागरी सलवप का प्रयोग कई
इंडो-आयान भाषापररिार के भाषाओ को सलखने िे
फकया जाता है। जैसे-संस्कृ त, हहन्द्र्दी,िराठी,नेपाली आहर्द।
उर्दूा और कई अन्द्य भाषाएँ को पसो-अरबी सलवप िे
सलखा जाता है।
कई भाषाएँ-एक ललवप :- कु ि ऐसे भाषा होते है जजन्द्हे
एक से जयार्दा सलवप द्िारा सलखा जा सकता हैं। जैसे-
कश्िीरी को र्देिनागरी,पसो-अरबी और रोिन सलवप िे
सलखी जाती हैं। पंजाबी को र्देिनागरी, पसो-अरबी और
गुरुिुखी सलवप िे सलखा जाता हैं।
इस पररिार के भाषा िे शब्र्दों का क्रि कताा-किा-फक्रया
होता हैं
15. हहन्द्र्दू धिा के प्रभाि के कारण इसिे बहुत से
शब्र्द संस्कृ त से बना है और िुजस्लि धिा के
कारण कई शब्र्दों को अरबी,पारसी से उधार
सलया गया हैं।
िराठी के कई शब्र्द रविड़डयन भाषापररिार के
भाषा से सलया गया हैं।
16. इंडो-आयान भाषापररिार के भाषा की ध्िननयों
िे कई ऐसे गुण होते है जो उन्द्हे अन्द्य इंडो-
यूरोवपयन भाषा से अलग करते है। ये सभी
गुण सारे इंडो-आयान भाषा िे नहीं होते हैं।
इंडो-आयान भाषा पररिार के सभी भाषा िे
स्िरों के संख्या अलग-अलग होती हैं।
जैसे-रोिानी िे पाँच स्िर होता हैं, उड़डया िे िः
स्िर होते हैं और ससंहली िे तेरह । सबसे
जयार्दा स्िर कोंकणी िे है जजसकी संख्या 14
है।
17. इंडो-आयान भाषा पररिार का विस्तार इस
िहाद्िीप िे सबसे जयार्दा हैं।
यह पजश्चि िे पाफकस्तान से लेकर पूिा िे
बांग्लार्देश तक उत्तर िे नेपाल से लेकर र्दक्षिण
िे श्रीलंका तक फै ला हैं।