2. पररभाषा
क्रिया क
े साथ क्रिसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध हो, उसे कारक
कहते है।
िैसे - अध्यापक ने क्रिद्याक्रथियोों को पढाया I
3. कारक क्रिभक्ति
सोंञा अथिा सििनाम शब्ोों क
े बाद `को,से,क
े क्रिए’,आक्रद
िो क्रिह्न कारक क्रिभक्ति कहिाते हैं I
4. सोंस्क
ृ त में आठ कारक होते हैं I
उन्हें क्रिभक्ति क्रिह्नोों सक्रहत देखा िा सकता है I
5. कारक क्रिभक्ति क्रिह्न (परसर्ि)
१.कताि - ने
२.कमि - को
३.करण - से
४.सोंप्रदान -को,क
े क्रिए
५.अपादान - से (पॄथक)
६.सोंबोंध - का,क
े ,की
७.अक्रधकरण - में,पर
८.सोंबोधन - हे ! अरे ! अहो !
6. क्रिशेष
•कताि से अक्रधकरण तक क्रिक्रभि क्रिह्न (परसर्ि) शब्ोों
क
े अोंत में िर्ाए िाते हैं ,क्रकन्तु सोंबोधन कारक क
े क्रिह्न
–
हे,रे,आक्रद प्रायः शब् से पूिि िर्ाए िाते हैं I
8. १.कतािकारक
•सोंञा या सििनाम क
े क्रिस रूप से कायि करनेिािे का
बोध होता है,उसे कतािकारक कहते हैं I कतािकारक
की क्रिभक्ति `ने’ है क्रकन्तु क्रबना क्रिभक्ति क
े भी इसका
प्रयोर् होता है I
•उदा : - राम ने रािण को मारा I
राधा नािती है I
9. २. कमिकारक
•क्रिया क
े व्यापार का फि क्रिस िस्तु अथिा व्यक्ति पर
पडता है,उसका बोध करानेिािे कारक को
कमिकारक कहते हैं I
•उदा: - मााँ ने बच्चे को बुिाया I
•कमिकारक की क्रिभक्ति ’को’ है िेक्रकन क
ु छ सन्दभों में
यह क्रिभक्ति िुप्त रहती है I
•उदा: - मोहन ने राम को बुिाया I
मोहन ने दू ध क्रपया I
10. ३. करण कारक
•सोंञा या सििनाम क
े क्रिस रूप से क्रिया क
े करने क
े
साधन का बोध होता है,उसे करण कारक कहते हैं I
इसकी क्रिभक्ति `से’ है I
•उदा: - िडका किम से क्रिखता है I
11. ४. सोंप्रदान कारक
•सोंप्रदान का अथि है – देना Iअथाित् ,कताि क्रिसको क
ु छ
क्रदया िाए अथिा क्रिसक
े क्रिए क
ु छ क्रकया िाए उसका
बोध करानेिािे कारक को सोंप्रदान कारक कहते हैं
I`को’,`क
े क्रिए’,`क
े िास्ते’ इसकी क्रिभक्तियााँ हैं I
•उदा: - रामू को एक फि दो I
मााँ ने बच्चे क
े क्रिए क्तखिौना खरीदा I
12. ५. अपादान कारक
•सोंञा क
े क्रिस रूप से एक िस्तु का दू सरी से अिर्
होना पाया िाए िह अपादान कारक कहिाता है I
इसकी क्रिभक्ति `से’ है I करण कारक की क्रिभक्ति भी
`से’ है क्रकन्तु दोनोों कारकोों क
े प्रयोर्ोों में अथि-भेद है I
•उदा: - हाथ से क्रकताब क्रर्र र्यी I
िडक
े स्क
ू ि से िौट रहे हैं I
……….
13. …….. क्रिशेष –
•अपादान कारक का प्रयोर् क
ु छ अन्य अथों में भी होता
है I िैसे-
क ) क्रकसी क्रिया क
े प्रारोंभ होने की सूिना में
उदा: - आि से मेिा शुरू हुआ I
ख ) दो िस्तुओों की तुिना क
े क्रिए भी इस कारक का
प्रयोर् होता है I
उदा: - राम श्याम से बडा है I
14. ६. सोंबोंध कारक
•सोंञा या सििनाम क
े क्रिस रूप से दू सरी िस्तु क
े साथ
उसका सोंबोंध मािूम होता है,उसे सोंबोंध कारक कहते हैं
I`का,क
े ,की’ इसकी क्रिभक्तियााँ हैं I
•उदा: - यह राम का घर है I
ये राम क
े बच्चे हैं I
यह राम की पुस्तक है I
ये राम की बेक्रटयााँ हैं I
15. ७. अक्रधकरण कारक
•शब् क
े क्रिस रूप से क्रिया क
े आधार का बोध होता है
उसे अक्रधकरण कारक कहते हैं I इसकी क्रिभक्तियााँ हैं -
`में और पर ’ I
•उदा: - इस घर में कौन रहता है ?
मेज़ पर क्रकताब रखी है I
16. ८. सोंबोधन कारक
•सोंञा क
े क्रिस रूप से क्रकसी को पुकारने और िेताने
का बोध होता हो,उसे सोंबोधन कारक कहते हैं I इसक
े
क्रिह्न `हे,अरे,अहो’ आक्रद हैं,िो सोंञा क
े आक्रद में िर्ते हैं
I
•उदा: - हे राम ! अरे दुष्ट !