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Animal welfare
1. Dr. BHUSHAN KUMAR SINGH
Deptt. Of Vety. and A. H. Extension
Ranchi Veterinary College
B.A.U. Kanke, Ranchi
2. भारत में ग्रामीण विकास में पशुपालन का
महत्त्वः
• यह ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का प्रमुख आधार है। विशेषकर भूवमहीन और
सीमाोंत वकसान पशुपालन क
े माध्यम से अपनी पररिाररक आय बढ़ा सकते
हैं।
• पशुपालन और क
ृ वष आपस में जुड़ी हुई प्रवियाएँ हैं। पशुओों क
े वलये भरजन
क
ृ वष से प्राप्त हरता है तर पशु भी क
ृ वष कर विवभन्न प्रकार की आगतें, जैसे-
खाद्य, ढुलाई आवि प्रिान करते हैं।
3. • पशुपालन से ग्रामीण क्षेत्रों में बेररजगारी तथा विपी हुई बेराजगारी की समस्या
का वनिारण वकया जा सकता है।
• पशुपालन में अवधकतर मवहलाएँ सोंलग्न हरती है। अतः यह श्रम क्षेत् में मवहला
भागीिारी कर बढ़ािा िेकर मवहला सशक्तीकरण में यरगिान िेता है।
• पशु उत्पाि ग्रामीण वनधधनरों क
े वलये प्ररटीन एिों परषक तत्त्रों क
े प्रमुख स्ररत हैं।
4. भारत में पशुपालन क्षेत् में वनम्न िृद्धि िर एिों कम
उत्पािकता िेखते हुए इस क्षेत् कर बढ़ािा िेने क
े वलये
वनम्नवलद्धखत उपाय वकये जाने की आिश्यकता है-
• पशुओों क
े नस्ल सुधार क
े वलये क
ृ वत्म गभाधधान से जुड़ी अिसोंरचनाओों कर
मजबूत करना चावहये। क
ृ वत्म गभाधधान से जुड़ी निीन तकनीकरों का प्रयरग
करना चावहये तथा इससे सोंबोंवधत मानि सोंसाधनरों कर प्रवशवक्षत करना
चावहये।
5. • पशुओें क
े स्वास्थ्य सुधार क
े वलये उत्तम गुणित्ता एिों पयाधप्त परषक तत्त्रों से
युक्त चारा, उनक
े टीकाकरण एिों सोंिमण क
े समय नैिावनक सुविधाओों की
व्यिस्था करनी चावहये।
• पशुपालन क्षेत् क
े विकास क
े वलये इस क्षेत् कर पयाधप्त ऋण सुविधाएँ उपलब्ध
करानी चावहये।
6. • पशु उत्पािरों क
े प्रसोंस्करण, भोंडारण, डेयरी तक पहुँच आवि कर बढ़ािा िेना
चावहये।
• बूचड़खानरों का आधुवनकीकरण तथा इनकी कायधप्रणाली का वनयमन करना
चावहये।
• भारत में पशुपालन क
े क्षेत् में विकास की भरपूर सोंभािनाएँ हैं वजनका
उपयुक्त तरीक
े से िरहन करने की आिश्यकता है। इसक
े वलये सहायक
सेिाओों एिों प्रसोंस्करण क्षेत् क
े विकास क
े वलये सािधजवनक-वनजी भागीिारी
(PPP) मॉडल क
े अोंतगधत वनजी क्षेत् की सहभावगता कर बढ़ािा िेना चावहये।
7. पशु कल्याण:
जीि-जोंतुओों क
े प्रवत ि
ू रता वनिारण अवधवनयम, 1960 (1960 का 59) क
े प्रािधान:
इस अवधवनमय क
े अधीन साोंविवधक बाध्यताओों क
े वियान्ियन का कायध जारी है।
िर साोंविवधक सोंगठन अथाधत भारतीय जीि-जोंतु कल्याण बरडध (एडब्ल्यूबीआई) एिों
जीि-जोंतुओ पर वकये जाने िाले प्रयरगरों क
े पयधिेक्षण एिों वनयोंत्ण क
े प्रयरजनाथध गवठत
वकया गया है। जीि-जोंतुओों पर वकये जाने िाले प्रयरगरों क
े पयधिेक्षण एिों वनयोंत्ण क
े
प्रयरजनाथध गवठत वकया गया है। जीि-जोंतु कल्याण प्रभाग का उद्देश्य जीि-जोंतुओों
कर विए जाने िाली अनािश्यक पीड़ा का वनिारण करना है।
8. पशुओों क
े साथ वनिधयता:
• पशुओं क
े साथ वनर्दयता (Cruelty to animals) का अथध है मानि क
े
अवतररक्त अन्य पशुओों कर नुकसान पहुँचाना या कष्ट िेना। क
ु ि लरग इस
पररभाषा कर और अवधक व्यापक कर िेते हैं और उनका मत है वक वकसी
विवशष्त लाभ क
े वलये पशुओों का नुकसान (जैसे बधकरना) पशुओों क
े साथ
वनिधयता क
े अन्तगधत आता है। विश्वभर में इस पर मतान्तर पाया जाता है।
9. १९१६ में मैरी नाम की एक हाथी कर हजाररों लरगरों
क
े सामने इस तरह लटकाकर मार विया गया
क्रोंवक उसने एक प्रवशक्षक कर मार विया था।
मैरी का िध सक
ध स में पशुओों क
े साथ हरने िाली
ि
ू रता का एक प्रतीक है।
10. पशुओं क
े प्रवत क्र
ू रता क
े विरुद्ध कानून:
• हर िषध 4 अक्टू बर कर विश्व पशु वििस क
े रूप में मनाया जाता है। इस अिसर पर हम
भारत में पशुओों क
े प्रवत ि
ू रता ररकने क
े वलए बने वनयमरों की जानकारी िे रहे हैं।
•
• 1. अगर कोई व्यक्ति
वकसी पशु कर पीटता है, पैर से मारता है, इस पर अत्यवधक िजन लािता है, अत्यवधक
तेज गवत से या अत्यवधक िू री तक चलने क
े वलए बाध्य करता है, उसे यातना िेता है या
उस पर वकसी अन्य प्रकार का अत्याचार करता है, वजससे उसे अनािश्यक ििध या
तकलीफ हरती है, या करई व्यद्धक्त पशु क
े स्वामी की अनुमवत से पशु क
े साथ ऐसा करता
है; या
11. • करई व्यद्धक्त चलने-वफरने में अक्षम, घाि, फरड़ा या अन्य बीमारी, उम्र आवि की
िजह से काम में लगाने क
े अयरग्य पशुओों से काम करिाता है, या पशु का स्वामी
उससे ऐसे काम करिाने की अनुमवत िेता है;
वकसी पशु कर जानबूझकर और अनािश्यक रूप से करई घातक ििा या अन्य
पिाथध िेना या िेने का प्रयास करता है, या
वकसी िाहन में या उसक
े ऊपर पशुओों कर इस प्रकार ले जाता है. वजससे उसे
अनािश्यक तकलीफ और ििध हर,
12. • वकसी पशु कर ऐसे वपोंजरे में रखता है, जर उसकी ऊ
ँ चाई, लोंबाई और चौड़ाई कर िेखते हुए उसे चलने-
वफरने क
े वलए पयाधप्त बड़ा नहीों है,
बहुत लोंबे समय तक अनािश्यक रूप से जोंजीर अथिा रस्सी में बाँधकर रखता है या जोंजीर बहुत िरटा
अथिा बहुत भारी है,
अपने पालतु पशु क
े शारीररक व्यायाम की आिश्यकता कर नजरअोंिाज करता है या उसे जोंजीर में बँधा रहने
की आित हरने पर अत्यवधक व्यायाम करिाता है या िरटे वपोंजरे में रखता है, या
अपने पालतु पशु क
े वलए पयाधप्त भरजन, पानी या सही आिास की व्यिस्था नहीों करता, या
•
13. • वबना वकसी उल्लेखनीय कारण क
े अपने पशु कर ऐसी पररद्धस्थवत में िरड़ िेता है वक उसे भूख-प्यास या अन्य वकसी
कारण से तकलीफ हर, या
जानबूझकर अपने ऐसे पालतु पशु कर घर से बाहर िू र तक जाने िेता है, वजसे करई सोंिामक ररग हर, या वबना वकसी
सही कारण क
े वकसी बीमार या विकलाोंग पशु कर वकसी सड़क पर मरने क
े वलए िरड़ िेता है, या
वकसी ऐसे पशु कर बेचने का प्रस्ताि िेता है या जबरन अपने स्वावमत्व में रखता है, जर अोंग-भोंग, भूख, प्यास, कम जगह
में अवधक पशुओों की भीड़ या अन्य वकसी िुव्यधिहार से पीवड़त हर, या
जर व्यद्धक्त वकसी पशु का अोंग-भोंग करता है या विल में जहर क
े इोंजेक्शन लगाकर उसे मार िेता है (गली क
े क
ु त्ते आवि
कर) या वकसी अन्य प्रकार से अनािश्यक ि
ू र व्यिहार करता है, या
14. • क
े िल मनररोंजन क
े उद्देश्य से,
• वपोंजरे में बोंि कर या क
ै ि कर रखता है (वजसमें वकसी पशु कर बाघ या अन्य जानिर का
वशकार बनने क
े वलए उसक
े वपोंजरे में बाोंध कर रखता है), या
• पशुओों का आपसी युि आयरवजत करता है या वकसी पशु कर वशकार क
े रूप में प्रस्तुत
कर या ऐसे स्थान का प्रस्ताि कर पैसे इकट्ठा करता है, या
• वकसी शूवटोंग मैच या प्रवतयरवगता का आयरजन या प्रचार करता है, वजसमें पशुओों कर वपोंजरे
से वनकालकर शूट वकया जाता है,
15. • िह पहले अपराध में 10 रूपये से 50 रूपये तक क
े आवथधक िोंड का भागी हरगा और
पहले अपराध क
े तीन िषध क
े भीतर ऐसा करई िू सरा अपराध करने पर 25 रूपये से सौ
रुपये तक क
े आवथधक िोंड या तीन महीने की क
ै ि अथिा िरनरों का भागी हरगा।
• अगर पशु का स्वामी उसे सही व्यायाम कराने और िेखभाल करने में विफल रहता है तर
इन अपराधरों क
े दृवष्टकरण से िरषी पाया जाएगा।
• अगर स्वामी क
े िल व्यायाम न करा पाने और सही िेखभाल में विफल रहने का िरषी पाया
जाता है तर उसे आवथधक िोंड क
े विकल्प क
े वबना क
ै ि नहीों हरगी।
16. • उपयुदि कोई भी खंड वनम्नवलक्तखत क्तथथवतयों में लागू नहीं होता –
• मिेवशयरों का सीोंग काटना, उनका बवधयाकरण या ब्ाोंवडोंग अथिा नक
े ल डालना
(नाक में रस्सी डालना) आवि द्धस्थवतयरों में,
• लीथल चैम्बर में वकसी अन्य अनुशोंवसत तरीक
े से आिारा क
ु त्ते कर मारना,
• वकसी कानून क
े अधीन वकसी पशु कर मारना
• मनुष्य द्वारा खाए जाने िाले वकसी पशु का िध, जब तक वक िध क
े िौरान पशु कर
अनािश्यक ििध या तकलीफ से न गुजरना पड़े।
17. • 2. फ
ू का या िुम िेि की सजा: अगर करई व्यद्धक्त गाय या वकसी अन्य िुधारू
मिेशी का िू ध बढ़ाने क
े वलए उसे फ
ू का करिाता है (वजसमें वकसी भी प्रकार
का ऐसा इोंजेक्शन िेना शावमल है, वजससे उस पशु क
े स्वास्थ्य कर नुकसान
पहुँचता है) या अपने पशु क
े साथ ऐसी गवतविवध की अनुमवत िेता है, तर उसे
एक हजार रुपये तक का आवथधक िोंड या िर िषध तक की क
ै ि या िरनरों हर
सकती है और पशु कर सरकार कर सौोंपना पड़ सकता है।
18. • 3. कष्ट में पड़े जोंतु कर सुलाना (मारना) – अगर न्यायालय पाता है वक खोंड 1
क
े अोंतगधत हुए वकसी अन्यायपूणध िुव्यधिहार की िजह से करई पशु इतने कष्ट
में है वक उसे जीवित रखना और अवधक ि
ू रता हरगी तर न्यायालय उसे मारने
का आिेश िे सकता है और उसे इस कायध क
े वलए वकसी उपयुक्त व्यद्धक्त कर
सौोंप सकता है, जर उसे जल्द से जल्द मृत्यु की नीोंि सुला सक
े । इस कायध में
आने िाला खचध पशु क
े अपराधी स्वामी से आवथधक िोंड क
े रूप में िसूल
वकया जाएगा,
19. • बशते वक स्वामी की स्वीक
ृ वत क
े वबना, ऐसा करई आिेश तब तक नहीों विया
जाएगा, जब तक वक उस क्षेत् क
े प्रभारी िेटनरी ऑवफसर इस बात क
े वलए साक्ष्य
न िें।
• अगर वकसी मवजस्ट्रेट, पुवलस आयुक्त या पुवलस महावनरीक्षक कर लगता है वक
वकसी पशु क
े साथ ऐसा अपराध हुआ है वक उस पशु कर जीवित रखना और
अवधक ि
ू रता हरगी तर िह उस पशु कर तुरोंत मारने का आिेश िे सकता है।
20. • कॉन्स्टेबल से ऊ
ँ चे पि का करई भी पुवलस अवधकारी या राज्य सरकार द्वारा प्रावधक
ृ त करई
भी व्यद्धक्त यवि पाता है वक करई पशु इतना बीमार है या उसे इतनी चरट पहुँची है अथिा
उसकी शारीररक द्धस्थवत ऐसी है वक उसे जीवित रखना और अवधक ि
ू रता हरगी तर पशु क
े
स्वामी क
े अनुपद्धस्थत रहने अथिा उसक
े द्वारा अनुमवत नहीों विए जाने पर उस क्षेत् क
े
िेटनरी अवधकारी कर बुलाया जा सकता है और अगर िेटनरी अवधकारी इस बात की पुवष्ट
कर िे वक पशु जानलेिा रूप से घायल हुआ है या इतना घायल अथिा बीमार है वक उसे
जीवित रखना उस पर ि
ू रता हरगी तर पुवलस अवधकारी या प्रावधक
ृ त व्यद्धक्त, जैसा भी
मामला हर, मवजस्ट्रेट से अनुमवत लेकर उस पशु कर अनुशोंवसत तरीक
े से मरिा सकता है।
• वकसी मवजस्ट्रेट क
े आिेश से पशु कर मारने क
े द्धखलाफ करई अपील िायर नहीों हरगी।
21. रिखेल:
• रिखेल (bloodsport) खेल और मनररोंजन की एक श्रेणी है वजसमें िशधकरों क
े
आनोंि क
े वलए पशुओों कर चरट पहुँचाई जाती है या उनकी हत्या की जाती है। क
ु ि
पररभाषाओों में इस में ऐसे खेल या मनररोंजन भी शावमल हैं वजनमें मानिरों कर भी
चरट पहुँचाई जाए। रक्तखेलरों में आनोंि क
े वलए करा गया वशकार, क
ु त्तरों की लड़ाई,
मुगों की लड़ाई, इत्यावि शावमल हैं। प्राचीन ररम क
े ग्लैवडयेटर खेल (वजनमें मानिरों
कर आपस में वकसी एक क
े मरने तक लड़िाया जाता था) और ऐसे मनररोंजन वजनमें
मानिरों कर वसोंहरों या अन्य पशुओों द्वारा मरिाया जाता था भी रक्तखेलरों में वगने जाते
हैं। कई आधुवनक मान्यताओों में रक्तखेलरों कर अमानिीय ि बबधर माना जाता है।
22. पेटा:
• पेटा (PETA) या पशुओं क
े साथ नैवतक व्यिहार क
े पक्षधर लोग (People
for the Ethical Treatment of Animals) एक पशु-अवधकार सोंगठन है।
इसका मुख्यालय यूएसए क
े िवजधवनया क
े नॉफोल्क (Norfolk) में द्धस्थत है।
विश्व भर में इसक
े लगभग २० लाख सिस्य हैं और यह अपने कर विश्व का
सबसे बड़ा पशु-अवधकार सोंगठन हरने का िािा करता है। इद्धरग्रड
न्यूवकक
ध (Ingrid Newkirk) इसक
े अन्तरराष्टर ीय अध्यक्ष हैं।
23. मनु-पशु विज्ञान:
• मनु-पशु विज्ञान (Anthrozoology) लरक जीिविज्ञान की एक शाखा है
वजसमें मानिरों और पशुओों क
े बीच क
े सम्बन्ध का अध्ययन करा जाता है। यह
एक अोंतविधषयक विद्या है वजसमें मानिशास्त्र, प्राणी
व्यिहार, आयुविधज्ञान, मनरविज्ञान, पशु वचवकत्सा विज्ञान और प्राणी विज्ञान क
े
वमवश्रत तत्व शावमल हैं। मनु-पशु विज्ञान में विशेष रूप से मानिरों और पशुओों
में पारस्पररक वियाओों क
े प्रभािरों का मापन करा जाता है।
24. लोक जीिविज्ञान:
• लोक जीिविज्ञान (Ethnobiology) िैज्ञावनक रूप से विवभन्न मानि सोंस्क
ृ वतयरों
का अमानिीय जीिरों क
े साथ क
े सम्बन्ध का अध्ययन करता है। इसमें अन्य
जीिरों क
े साथ करे गये मानि-व्यिहार, प्रयरगरों, इत्यावि कर िेखा जाता है।
मानिरों का बायरटा और पयाधिरण क
े साथ ऐवतहावसक और ितधमान सम्बन्ध
परखा जाता है, जर वक हर सोंस्क
ृ वत में बिलता रहता है।
25. लोकिानस्पवतकी :
• लोकिानस्पवतकी (Ethnobotany) िनस्पवत विज्ञान की एक शाखा है वजसमें
िनस्पवतयरों एिों लरगरों क
े पारस्पररक सम्बन्धरों का िैज्ञावनक अध्ययन वकया
जाता है। इसमें सोंस्क
ृ वतयरों एिों पेड़-पौधरों क
े आपसी जवटल सम्बन्धरों कर
समझने एिों उनकी व्याख्या करने की करवशश की जाती है। इसमें अध्ययन
करते हैं वक विवभन्न सोंस्क
ृ वतयाँ पौधरों का क
ै से उपयरग करतीों हैं (जैसे भरजन,
ििा, सौन्दयध-प्रसाधन, रोंजक, िस्त्र, भिन-वनमाधण, हवथयार, सावहत्य,
कमधकाण्ड एिों सामावजक जीिन में);