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प्रस्तुतत – दिव्यांश  रे
्ह लयल बक्सय है| पड़ों पे पील
ेसील आम हैं|
इन िोनों वयक््ों में बक्स औे आमों की ववश षतय कय वर्णन कक्य ग्य
है, जिसमें लयल एवां पील ेसील श ब्िों स बक्स औे आम कक ववश षतय
बतयई ग्ी है| ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बताते हैं,
उन्हें वर्शेषण कहते हैं|
ध्रुवी् भयलू सफ़ि
होतय है|
चेी लयल ेांग की
होती है|
इन िोनों ही वयक््ों में सफ़ि औे लयल ककसी गुर् की ववश षतय बतलयत
हैं| अतः ् गुर्वयचक ववश षर् हैं| जजन शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्वनाम
शब्दों के गुण-दोष का बोध होता है, उन्हें गुणर्ाचक वर्शेषण कहते हैं|
िो कु त्त आपस में
रल ेह हैं|
तीन पक्षी एक पड़
की डयली पे बैठें हैं|
ऊपे क िोनों वक््ों में िो कु त्त औे तीन पक्षी श ब्ि कु त्तों औे पक्षक्ष्ों
परेमयर् बतय ेहें हैं| ऐस श ब्ि परेमयर्वयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन
शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्वनाम शब्दों की मात्रा अथर्ा नाप-तोल का ज्ञान हो
र्े परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलते हैं| परेमयर्वयचक ववश षर् क िो उपभि
हैं-तनजचचत परेमयर्वयचक औे अतनजचचत परेमयर्वयचक ववश षर्|
्ह एक 90 हॉसण
पयवे कय ट्रैकटे है|
्हयां िूध की तीन
बोतलें ेरी हैं|
ऊपे दि् ग् वयक््ों में 90 हॉसण पयवे औे तीन बोतलें ककसस वस्तु
की तनजचचत मयत्रय कय ज्ञयन केयती हैं| अतः ् तनजचचत परेमयर्वयचयक
ववश षर् हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की ननजचचत मात्रा का ज्ञान हो
र्े ननजचचत परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलते हैं|
्हयां बहुत सये गुलयब
क फू ल हैं|
झुांड में कु छ बतरें
हैं|
इन िोनों वयक््ों में बहुत से औे कु छ ककसी ववश ष्् की मयत्रय कय बोध
केय ेहें हैं, पेांतु वह मयत्रय तनजचचत नहीां है, अतः ् श ब्ि अतनजचचत
परेमयर्वयचक ववश षर् हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से ककसी र्स्तु की अननजचचत
मात्रा का ज्ञान हो र्े अननजचचत परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं|
िो घोड़ घयस चे ेह
हैं|
तीन कु त्त िौड़ ेह हैं|
उपे क िोनों वक््ों में िो औे तीन श ब्ि घोड़ों औे कु त्तों की सांख््य बतय
ेह हैं| ऐस श ब्ि सांख््यवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से
संज्ञा या सर्वनाम की संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| सांख््यवयचक
ववश षर् क िो उपभि हैं-तनजचचत सांख््यवयचक औे अतनजचचत सांख््यवयचक
ववश षर्|
्हयां एक हयथी
है|
किकट की एक टीम में
ग््येह खरलयड़ी होत हैं|
उपे दि् गए िोनों वयक््ों में एक औे ग््येह ककसी ववश ष्् की एक
तनजचचत सांख््य बतय ेह हैं| अतः ् तनजचचत सांख््यवयचक ववश षर्
कहलयत हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से ककसस र्स्तु की ननजचचत संख्या का
बोध हो र्े ननजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| तनजचचत
सांख््यवयचक ववश षर् क चये भि हैं|
्हयां बहुत सये
फल हैं|
्हयां ववसभन्न अनयिों
क कई ियन हैं|
तनम्नसलखरत िोनों वक््ों में कई औे बहुत सये श ब्ि ककसी वस्तु की
अतनजचचत सांख््य कय बोध केय ेह हैं| अतः ् अतनजचचत सांख््यवयचक
ववश षर् श ब्िों की कोटी में आत हैं| जजन शब्दों से ननजचचत संख्या का बोध
न हो उन्हें अननजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं|
व ऊँ ट िय ेह हैं| ् बयलक अपन-
अपन घे िय ेह हैं|
इन िोनों वक््ों में व औे ् श ब्ि ककसी ववश ष्् की ओे सांकत के
ेह हैं| इसी कयेर् ऐस श ब्ि सांकतवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जो
सर्वनाम संके त द्र्ािा संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बतलाते हैं र्े
संके तर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| क््ोंकक सांकतवयचक ववश षर् सवणनयम
श ब्िों स बनत हैं इससल् ् सयवणनयसमक ववश षर् भी कहलयत हैं|
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  • 2. ्ह लयल बक्सय है| पड़ों पे पील ेसील आम हैं| इन िोनों वयक््ों में बक्स औे आमों की ववश षतय कय वर्णन कक्य ग्य है, जिसमें लयल एवां पील ेसील श ब्िों स बक्स औे आम कक ववश षतय बतयई ग्ी है| ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बताते हैं, उन्हें वर्शेषण कहते हैं|
  • 3.
  • 4. ध्रुवी् भयलू सफ़ि होतय है| चेी लयल ेांग की होती है| इन िोनों ही वयक््ों में सफ़ि औे लयल ककसी गुर् की ववश षतय बतलयत हैं| अतः ् गुर्वयचक ववश षर् हैं| जजन शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध होता है, उन्हें गुणर्ाचक वर्शेषण कहते हैं|
  • 5. िो कु त्त आपस में रल ेह हैं| तीन पक्षी एक पड़ की डयली पे बैठें हैं| ऊपे क िोनों वक््ों में िो कु त्त औे तीन पक्षी श ब्ि कु त्तों औे पक्षक्ष्ों परेमयर् बतय ेहें हैं| ऐस श ब्ि परेमयर्वयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्वनाम शब्दों की मात्रा अथर्ा नाप-तोल का ज्ञान हो र्े परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलते हैं| परेमयर्वयचक ववश षर् क िो उपभि हैं-तनजचचत परेमयर्वयचक औे अतनजचचत परेमयर्वयचक ववश षर्|
  • 6. ्ह एक 90 हॉसण पयवे कय ट्रैकटे है| ्हयां िूध की तीन बोतलें ेरी हैं| ऊपे दि् ग् वयक््ों में 90 हॉसण पयवे औे तीन बोतलें ककसस वस्तु की तनजचचत मयत्रय कय ज्ञयन केयती हैं| अतः ् तनजचचत परेमयर्वयचयक ववश षर् हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की ननजचचत मात्रा का ज्ञान हो र्े ननजचचत परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलते हैं|
  • 7. ्हयां बहुत सये गुलयब क फू ल हैं| झुांड में कु छ बतरें हैं| इन िोनों वयक््ों में बहुत से औे कु छ ककसी ववश ष्् की मयत्रय कय बोध केय ेहें हैं, पेांतु वह मयत्रय तनजचचत नहीां है, अतः ् श ब्ि अतनजचचत परेमयर्वयचक ववश षर् हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से ककसी र्स्तु की अननजचचत मात्रा का ज्ञान हो र्े अननजचचत परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं|
  • 8. िो घोड़ घयस चे ेह हैं| तीन कु त्त िौड़ ेह हैं| उपे क िोनों वक््ों में िो औे तीन श ब्ि घोड़ों औे कु त्तों की सांख््य बतय ेह हैं| ऐस श ब्ि सांख््यवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| सांख््यवयचक ववश षर् क िो उपभि हैं-तनजचचत सांख््यवयचक औे अतनजचचत सांख््यवयचक ववश षर्|
  • 9. ्हयां एक हयथी है| किकट की एक टीम में ग््येह खरलयड़ी होत हैं| उपे दि् गए िोनों वयक््ों में एक औे ग््येह ककसी ववश ष्् की एक तनजचचत सांख््य बतय ेह हैं| अतः ् तनजचचत सांख््यवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से ककसस र्स्तु की ननजचचत संख्या का बोध हो र्े ननजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| तनजचचत सांख््यवयचक ववश षर् क चये भि हैं|
  • 10.
  • 11.
  • 12. ्हयां बहुत सये फल हैं| ्हयां ववसभन्न अनयिों क कई ियन हैं| तनम्नसलखरत िोनों वक््ों में कई औे बहुत सये श ब्ि ककसी वस्तु की अतनजचचत सांख््य कय बोध केय ेह हैं| अतः ् अतनजचचत सांख््यवयचक ववश षर् श ब्िों की कोटी में आत हैं| जजन शब्दों से ननजचचत संख्या का बोध न हो उन्हें अननजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं|
  • 13. व ऊँ ट िय ेह हैं| ् बयलक अपन- अपन घे िय ेह हैं| इन िोनों वक््ों में व औे ् श ब्ि ककसी ववश ष्् की ओे सांकत के ेह हैं| इसी कयेर् ऐस श ब्ि सांकतवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जो सर्वनाम संके त द्र्ािा संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बतलाते हैं र्े संके तर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| क््ोंकक सांकतवयचक ववश षर् सवणनयम श ब्िों स बनत हैं इससल् ् सयवणनयसमक ववश षर् भी कहलयत हैं|