2. ्ह लयल बक्सय है| पड़ों पे पील
ेसील आम हैं|
इन िोनों वयक््ों में बक्स औे आमों की ववश षतय कय वर्णन कक्य ग्य
है, जिसमें लयल एवां पील ेसील श ब्िों स बक्स औे आम कक ववश षतय
बतयई ग्ी है| ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बताते हैं,
उन्हें वर्शेषण कहते हैं|
3.
4. ध्रुवी् भयलू सफ़ि
होतय है|
चेी लयल ेांग की
होती है|
इन िोनों ही वयक््ों में सफ़ि औे लयल ककसी गुर् की ववश षतय बतलयत
हैं| अतः ् गुर्वयचक ववश षर् हैं| जजन शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्वनाम
शब्दों के गुण-दोष का बोध होता है, उन्हें गुणर्ाचक वर्शेषण कहते हैं|
5. िो कु त्त आपस में
रल ेह हैं|
तीन पक्षी एक पड़
की डयली पे बैठें हैं|
ऊपे क िोनों वक््ों में िो कु त्त औे तीन पक्षी श ब्ि कु त्तों औे पक्षक्ष्ों
परेमयर् बतय ेहें हैं| ऐस श ब्ि परेमयर्वयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन
शब्दों से संज्ञा अथर्ा सर्वनाम शब्दों की मात्रा अथर्ा नाप-तोल का ज्ञान हो
र्े परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलते हैं| परेमयर्वयचक ववश षर् क िो उपभि
हैं-तनजचचत परेमयर्वयचक औे अतनजचचत परेमयर्वयचक ववश षर्|
6. ्ह एक 90 हॉसण
पयवे कय ट्रैकटे है|
्हयां िूध की तीन
बोतलें ेरी हैं|
ऊपे दि् ग् वयक््ों में 90 हॉसण पयवे औे तीन बोतलें ककसस वस्तु
की तनजचचत मयत्रय कय ज्ञयन केयती हैं| अतः ् तनजचचत परेमयर्वयचयक
ववश षर् हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की ननजचचत मात्रा का ज्ञान हो
र्े ननजचचत परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलते हैं|
7. ्हयां बहुत सये गुलयब
क फू ल हैं|
झुांड में कु छ बतरें
हैं|
इन िोनों वयक््ों में बहुत से औे कु छ ककसी ववश ष्् की मयत्रय कय बोध
केय ेहें हैं, पेांतु वह मयत्रय तनजचचत नहीां है, अतः ् श ब्ि अतनजचचत
परेमयर्वयचक ववश षर् हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से ककसी र्स्तु की अननजचचत
मात्रा का ज्ञान हो र्े अननजचचत परिमाणर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं|
8. िो घोड़ घयस चे ेह
हैं|
तीन कु त्त िौड़ ेह हैं|
उपे क िोनों वक््ों में िो औे तीन श ब्ि घोड़ों औे कु त्तों की सांख््य बतय
ेह हैं| ऐस श ब्ि सांख््यवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से
संज्ञा या सर्वनाम की संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| सांख््यवयचक
ववश षर् क िो उपभि हैं-तनजचचत सांख््यवयचक औे अतनजचचत सांख््यवयचक
ववश षर्|
9. ्हयां एक हयथी
है|
किकट की एक टीम में
ग््येह खरलयड़ी होत हैं|
उपे दि् गए िोनों वयक््ों में एक औे ग््येह ककसी ववश ष्् की एक
तनजचचत सांख््य बतय ेह हैं| अतः ् तनजचचत सांख््यवयचक ववश षर्
कहलयत हैं| जजन वर्शेषण शब्दों से ककसस र्स्तु की ननजचचत संख्या का
बोध हो र्े ननजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| तनजचचत
सांख््यवयचक ववश षर् क चये भि हैं|
10.
11.
12. ्हयां बहुत सये
फल हैं|
्हयां ववसभन्न अनयिों
क कई ियन हैं|
तनम्नसलखरत िोनों वक््ों में कई औे बहुत सये श ब्ि ककसी वस्तु की
अतनजचचत सांख््य कय बोध केय ेह हैं| अतः ् अतनजचचत सांख््यवयचक
ववश षर् श ब्िों की कोटी में आत हैं| जजन शब्दों से ननजचचत संख्या का बोध
न हो उन्हें अननजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं|
13. व ऊँ ट िय ेह हैं| ् बयलक अपन-
अपन घे िय ेह हैं|
इन िोनों वक््ों में व औे ् श ब्ि ककसी ववश ष्् की ओे सांकत के
ेह हैं| इसी कयेर् ऐस श ब्ि सांकतवयचक ववश षर् कहलयत हैं| जो
सर्वनाम संके त द्र्ािा संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता बतलाते हैं र्े
संके तर्ाचक वर्शेषण कहलाते हैं| क््ोंकक सांकतवयचक ववश षर् सवणनयम
श ब्िों स बनत हैं इससल् ् सयवणनयसमक ववश षर् भी कहलयत हैं|