SlideShare une entreprise Scribd logo
महर्षि दयानन्द
सरस्वती
की
१९४वी जयंती
सत्यार्ि प्रकाश की संरचना
 सत्यार्ि प्रकाश में चौदह अध्याय हैं।
 इसमें इन र्वषयों पर र्वचार ककया गया है - बाल-
शशक्षा, अध्ययन-अध्यापन, र्ववाह एवं गृहस्र्,
वानप्रस्र्, संन्यास-राजधमि, ईश्वर, सृष्टि-उत्पर्ि,
बंध-मोक्ष, आचार-अनाचार, आयािवतिदेशीय
मतमतान्तर।
सत्यार्ि प्रकाश की र्वषय वस्तु:
 सामाष्जक एकता की स्र्ापना
जातत से हम सब की के वल एक जातत हैं और वह हैं मनुटय, कोई भी
ऊँ चा नीचा अर्वा अछू त नह ं है| वर्ि मनुटय के जन्म के आधार पर
नह ं अर्पतु गुर्ों के आधार पर हैं |
 नार जातत का उद्धार
नार जातत को शशक्षक्षत करने का, पुनर्विवाह करने का, वेदादद धमि शास्र
पढ़ कर र्वदुषी बनने का और समाज में सबसे श्रेटठ पद माँ कहलाने का
अधधकार है और दहेज प्रर्ा ताड़ना बाल र्ववाह सती प्रर्ा आदद कु र ततयां
हैं.
 गौ माता आदद कल्यार्कार पशुओं को जल्लादों के हार्ों से बचा कर
उनके शलए गौशाला आदद की स्र्ापना करवाना
 यह हमारा देश अपने वैददक संस्कारों के कारर् समृद्ध र्ा और इसी
कारर् से इसे स्वर्ि भूशम कहा जाता र्ा और आयि लोग कह ं बाहर देश
से आकर यहाँ नह ं बसे अर्पतु यह ं के नागररक र्े ऐसा शसद्ध कर देश
को बाँिने के कु चक्र का र्वरोध करना
 चारों वेद में कह ं भी यज्ञ में पशु बशल आदद न होना एवं यज्ञ का अर्ि
के वल कमिकाण्ड न होकर श्रेटठ कमि होना
 मांस भक्षर् का र्वरोध करना और शाकाहार से ब्रह्मचयि का पालन कर
शार ररक शष्तत को बढ़ाने का सन्देश
 र्वदेशी शासकों से देश को स्वतन्र करवाने के शलए स्वदेशी राज्य और
स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान करना
 श्राद्ध शब्द का अर्ि मृत्यु पश्चात ् भोजन न होकर जीर्वत माता र्पता की
मान सम्मान के सार् सेवा करना
 ईश्वर के नाम की उधचत व्याख्या कर अनेक ईश्वरवाद के स्र्ान पर वेदों
में वर्र्ित एके श्वरवाद का सन्देश
 फशलत ज्योततष, जन्म परी, मार्ा, हस्त रेखा, ग्रहदशा आदद अन्धर्वश्वासों
से मुष्तत ददलवाना
 नाष्स्तकता एवं नाष्स्तक मतों पर गंभीर र्ववेचना कर जीवन को भोगवाद
होने से बचाना
सत्यार्ि प्रकाश का प्रभाव
 दहन्द के सर लाला लाजपत राय के अनुसार उनके र्पता रोजे का व्रत रखने
लगे र्े एवं उनकी इस्लाम में आस्र्ा भी बन गई र्ी सत्यार्ि प्रकाश पढ़ने
एवं आयिसमाज की सदस्यता ग्रहर् करने से उनके र्पता की वैददक धमि में
आस्र्ा बनी
 स्वामी श्रद्धानन्द का र्वश्वास इस्लाम की ओर तो कभी ईसाइयत की ओर
तो कभी भोगवाद नाष्स्तकता की ओर र्ा. परन्तु स्वामी दयानन्द के दशिन
से आष्स्तकता का बीजारोपर् हुआ जो सत्यार्ि प्रकाश के पढ़ने से ज्ञान वृक्ष
में पररवतिन जो गया |
 अपनी मृत्यु से पहले पंडडत मदन मोहन मालवीय ने काशी के दहन्दू पंडडतों
को बुलाकर सत्यार्ि प्रकाश देते हुए कहा र्ा की इस पुस्तक में जो कु छ भी
शलखा है उसे पालन करने से दहन्दू जातत का कल्यार् हो सकता है
 पंडडत राम प्रसाद बबष्स्मल के जीवन में ब्रह्मचयि का तप और देश प्रेम
की भावना का र्वचार सत्यार्ि प्रकाश पढने के बाद हुआ र्ा
 स्वाधीनता संग्राम के क्रांततकाररयों की र्प्रय पुस्तक सत्यार्िप्रकाश और
ऋर्ष दयानन्द की जीवनी बनी , एक अंग्रेज र्वद्वान शेरोल ने यहाँ
तक कहा कक सत्यार्ि प्रकाश बब्रदिश सरकार की जड़े उखाड़ने वाला ग्रंर्
है , वस्तुतः सत्यार्िप्रकाश उस समय कक कालजयी कृ तत र्ी और
इस कालजयी कृ तत में अंग्रेजों का र्वरोध भी र्ा ष्जससे अंग्रेज सरकार
को काफी नुकसान हुआ |

Contenu connexe

Tendances

तीर्थ (काशी एवं गया)
तीर्थ (काशी एवं गया)तीर्थ (काशी एवं गया)
तीर्थ (काशी एवं गया)
Virag Sontakke
 
Presentation on sant kabir and meera bai
Presentation on sant kabir and meera baiPresentation on sant kabir and meera bai
Presentation on sant kabir and meera baicharu mittal
 
भावना ही सर्वोपरि है।
भावना ही सर्वोपरि है।भावना ही सर्वोपरि है।
भावना ही सर्वोपरि है।
Santsamaagam
 
वैष्णव धर्म
वैष्णव धर्म वैष्णव धर्म
वैष्णव धर्म
Virag Sontakke
 
अवतारवाद
अवतारवाद  अवतारवाद
अवतारवाद
Virag Sontakke
 
गाणपत्य सम्प्रदाय
गाणपत्य सम्प्रदाय गाणपत्य सम्प्रदाय
गाणपत्य सम्प्रदाय
Virag Sontakke
 
शाक्त धर्म
शाक्त धर्म शाक्त धर्म
शाक्त धर्म
Virag Sontakke
 
सूरदास Ke pad
सूरदास Ke padसूरदास Ke pad
सूरदास Ke pad
kishlaykumar34
 
Sawaiya by raskhan
Sawaiya by raskhanSawaiya by raskhan
Sawaiya by raskhanRoyB
 
raskhan kvbanar
raskhan kvbanarraskhan kvbanar
raskhan kvbanar
Suresh Chouhan
 
प्रयाग तीर्थ
प्रयाग तीर्थ प्रयाग तीर्थ
प्रयाग तीर्थ
Virag Sontakke
 
Avatarvad
AvatarvadAvatarvad
Avatarvad
Virag Sontakke
 
Early and later vaidik religion
Early and later vaidik religionEarly and later vaidik religion
Early and later vaidik religion
Virag Sontakke
 
Meera bhai
Meera bhaiMeera bhai
Meera bhai
Maheshwari Das
 
Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077a
Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077aShri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077a
Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077a
sinfome.com
 
Concept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramhaConcept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramha
Virag Sontakke
 

Tendances (16)

तीर्थ (काशी एवं गया)
तीर्थ (काशी एवं गया)तीर्थ (काशी एवं गया)
तीर्थ (काशी एवं गया)
 
Presentation on sant kabir and meera bai
Presentation on sant kabir and meera baiPresentation on sant kabir and meera bai
Presentation on sant kabir and meera bai
 
भावना ही सर्वोपरि है।
भावना ही सर्वोपरि है।भावना ही सर्वोपरि है।
भावना ही सर्वोपरि है।
 
वैष्णव धर्म
वैष्णव धर्म वैष्णव धर्म
वैष्णव धर्म
 
अवतारवाद
अवतारवाद  अवतारवाद
अवतारवाद
 
गाणपत्य सम्प्रदाय
गाणपत्य सम्प्रदाय गाणपत्य सम्प्रदाय
गाणपत्य सम्प्रदाय
 
शाक्त धर्म
शाक्त धर्म शाक्त धर्म
शाक्त धर्म
 
सूरदास Ke pad
सूरदास Ke padसूरदास Ke pad
सूरदास Ke pad
 
Sawaiya by raskhan
Sawaiya by raskhanSawaiya by raskhan
Sawaiya by raskhan
 
raskhan kvbanar
raskhan kvbanarraskhan kvbanar
raskhan kvbanar
 
प्रयाग तीर्थ
प्रयाग तीर्थ प्रयाग तीर्थ
प्रयाग तीर्थ
 
Avatarvad
AvatarvadAvatarvad
Avatarvad
 
Early and later vaidik religion
Early and later vaidik religionEarly and later vaidik religion
Early and later vaidik religion
 
Meera bhai
Meera bhaiMeera bhai
Meera bhai
 
Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077a
Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077aShri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077a
Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 077a
 
Concept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramhaConcept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramha
 

Similaire à Satyarth Prakash

theshanidev.pdf
theshanidev.pdftheshanidev.pdf
theshanidev.pdf
pankajrajveer
 
Preeti dwivedi mphil sociology
Preeti dwivedi mphil sociologyPreeti dwivedi mphil sociology
Preeti dwivedi mphil sociology
itrewa
 
Mary - doctrine & dogmas (Hindi).pptx
Mary - doctrine & dogmas (Hindi).pptxMary - doctrine & dogmas (Hindi).pptx
Mary - doctrine & dogmas (Hindi).pptx
Martin M Flynn
 
शाक्त धर्म .pptx
शाक्त धर्म .pptxशाक्त धर्म .pptx
शाक्त धर्म .pptx
Virag Sontakke
 
Shri narayanstuti
Shri narayanstutiShri narayanstuti
Shri narayanstutigurusewa
 
Nirogata kasadhan
Nirogata kasadhanNirogata kasadhan
Nirogata kasadhangurusewa
 
Mimansa philosophy
Mimansa philosophyMimansa philosophy
Sri narayan stuti
Sri narayan stutiSri narayan stuti
Sri narayan stuti
Alliswell Fine
 
Kashyap ( kul ) from google.com
Kashyap (  kul ) from  google.comKashyap (  kul ) from  google.com
Kashyap ( kul ) from google.com
Deepak Somaji Sawant
 
Swami dayanand.pptx
Swami dayanand.pptxSwami dayanand.pptx
Swami dayanand.pptx
Hello183504
 
CIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDI
CIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDICIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDI
CIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDI
Surya Pratap Singh Rajawat
 
यजुर्वेद
यजुर्वेदयजुर्वेद
यजुर्वेद
SangiSathi
 
Purusharth paramdev
Purusharth paramdevPurusharth paramdev
Purusharth paramdevgurusewa
 
radha-sudha-nidhi-full-book.pdf
radha-sudha-nidhi-full-book.pdfradha-sudha-nidhi-full-book.pdf
radha-sudha-nidhi-full-book.pdf
NeerajOjha17
 
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरणमहिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण
DrSunita Pamnani
 
Jivan jhaanki
Jivan jhaankiJivan jhaanki
Jivan jhaankigurusewa
 

Similaire à Satyarth Prakash (20)

theshanidev.pdf
theshanidev.pdftheshanidev.pdf
theshanidev.pdf
 
Preeti dwivedi mphil sociology
Preeti dwivedi mphil sociologyPreeti dwivedi mphil sociology
Preeti dwivedi mphil sociology
 
Mary - doctrine & dogmas (Hindi).pptx
Mary - doctrine & dogmas (Hindi).pptxMary - doctrine & dogmas (Hindi).pptx
Mary - doctrine & dogmas (Hindi).pptx
 
शाक्त धर्म .pptx
शाक्त धर्म .pptxशाक्त धर्म .pptx
शाक्त धर्म .pptx
 
Shri narayanstuti
Shri narayanstutiShri narayanstuti
Shri narayanstuti
 
ShriNarayanStuti
ShriNarayanStutiShriNarayanStuti
ShriNarayanStuti
 
Nirogata kasadhan
Nirogata kasadhanNirogata kasadhan
Nirogata kasadhan
 
NirogataKaSadhan
NirogataKaSadhanNirogataKaSadhan
NirogataKaSadhan
 
Mimansa philosophy
Mimansa philosophyMimansa philosophy
Mimansa philosophy
 
Sri narayan stuti
Sri narayan stutiSri narayan stuti
Sri narayan stuti
 
Kashyap ( kul ) from google.com
Kashyap (  kul ) from  google.comKashyap (  kul ) from  google.com
Kashyap ( kul ) from google.com
 
Swami dayanand.pptx
Swami dayanand.pptxSwami dayanand.pptx
Swami dayanand.pptx
 
CIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDI
CIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDICIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDI
CIVILIZATION OF INDIA - IN LIGHT OF SRI AUROBINDO HINDI
 
यजुर्वेद
यजुर्वेदयजुर्वेद
यजुर्वेद
 
PurusharthParamDev
PurusharthParamDevPurusharthParamDev
PurusharthParamDev
 
Purusharth paramdev
Purusharth paramdevPurusharth paramdev
Purusharth paramdev
 
Nirogta ka sadhan
Nirogta ka sadhanNirogta ka sadhan
Nirogta ka sadhan
 
radha-sudha-nidhi-full-book.pdf
radha-sudha-nidhi-full-book.pdfradha-sudha-nidhi-full-book.pdf
radha-sudha-nidhi-full-book.pdf
 
महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरणमहिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण
 
Jivan jhaanki
Jivan jhaankiJivan jhaanki
Jivan jhaanki
 

Satyarth Prakash

  • 2. सत्यार्ि प्रकाश की संरचना  सत्यार्ि प्रकाश में चौदह अध्याय हैं।  इसमें इन र्वषयों पर र्वचार ककया गया है - बाल- शशक्षा, अध्ययन-अध्यापन, र्ववाह एवं गृहस्र्, वानप्रस्र्, संन्यास-राजधमि, ईश्वर, सृष्टि-उत्पर्ि, बंध-मोक्ष, आचार-अनाचार, आयािवतिदेशीय मतमतान्तर।
  • 3. सत्यार्ि प्रकाश की र्वषय वस्तु:  सामाष्जक एकता की स्र्ापना जातत से हम सब की के वल एक जातत हैं और वह हैं मनुटय, कोई भी ऊँ चा नीचा अर्वा अछू त नह ं है| वर्ि मनुटय के जन्म के आधार पर नह ं अर्पतु गुर्ों के आधार पर हैं |  नार जातत का उद्धार नार जातत को शशक्षक्षत करने का, पुनर्विवाह करने का, वेदादद धमि शास्र पढ़ कर र्वदुषी बनने का और समाज में सबसे श्रेटठ पद माँ कहलाने का अधधकार है और दहेज प्रर्ा ताड़ना बाल र्ववाह सती प्रर्ा आदद कु र ततयां हैं.  गौ माता आदद कल्यार्कार पशुओं को जल्लादों के हार्ों से बचा कर उनके शलए गौशाला आदद की स्र्ापना करवाना  यह हमारा देश अपने वैददक संस्कारों के कारर् समृद्ध र्ा और इसी कारर् से इसे स्वर्ि भूशम कहा जाता र्ा और आयि लोग कह ं बाहर देश से आकर यहाँ नह ं बसे अर्पतु यह ं के नागररक र्े ऐसा शसद्ध कर देश को बाँिने के कु चक्र का र्वरोध करना
  • 4.  चारों वेद में कह ं भी यज्ञ में पशु बशल आदद न होना एवं यज्ञ का अर्ि के वल कमिकाण्ड न होकर श्रेटठ कमि होना  मांस भक्षर् का र्वरोध करना और शाकाहार से ब्रह्मचयि का पालन कर शार ररक शष्तत को बढ़ाने का सन्देश  र्वदेशी शासकों से देश को स्वतन्र करवाने के शलए स्वदेशी राज्य और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान करना  श्राद्ध शब्द का अर्ि मृत्यु पश्चात ् भोजन न होकर जीर्वत माता र्पता की मान सम्मान के सार् सेवा करना  ईश्वर के नाम की उधचत व्याख्या कर अनेक ईश्वरवाद के स्र्ान पर वेदों में वर्र्ित एके श्वरवाद का सन्देश  फशलत ज्योततष, जन्म परी, मार्ा, हस्त रेखा, ग्रहदशा आदद अन्धर्वश्वासों से मुष्तत ददलवाना  नाष्स्तकता एवं नाष्स्तक मतों पर गंभीर र्ववेचना कर जीवन को भोगवाद होने से बचाना
  • 5. सत्यार्ि प्रकाश का प्रभाव  दहन्द के सर लाला लाजपत राय के अनुसार उनके र्पता रोजे का व्रत रखने लगे र्े एवं उनकी इस्लाम में आस्र्ा भी बन गई र्ी सत्यार्ि प्रकाश पढ़ने एवं आयिसमाज की सदस्यता ग्रहर् करने से उनके र्पता की वैददक धमि में आस्र्ा बनी  स्वामी श्रद्धानन्द का र्वश्वास इस्लाम की ओर तो कभी ईसाइयत की ओर तो कभी भोगवाद नाष्स्तकता की ओर र्ा. परन्तु स्वामी दयानन्द के दशिन से आष्स्तकता का बीजारोपर् हुआ जो सत्यार्ि प्रकाश के पढ़ने से ज्ञान वृक्ष में पररवतिन जो गया |  अपनी मृत्यु से पहले पंडडत मदन मोहन मालवीय ने काशी के दहन्दू पंडडतों को बुलाकर सत्यार्ि प्रकाश देते हुए कहा र्ा की इस पुस्तक में जो कु छ भी शलखा है उसे पालन करने से दहन्दू जातत का कल्यार् हो सकता है
  • 6.  पंडडत राम प्रसाद बबष्स्मल के जीवन में ब्रह्मचयि का तप और देश प्रेम की भावना का र्वचार सत्यार्ि प्रकाश पढने के बाद हुआ र्ा  स्वाधीनता संग्राम के क्रांततकाररयों की र्प्रय पुस्तक सत्यार्िप्रकाश और ऋर्ष दयानन्द की जीवनी बनी , एक अंग्रेज र्वद्वान शेरोल ने यहाँ तक कहा कक सत्यार्ि प्रकाश बब्रदिश सरकार की जड़े उखाड़ने वाला ग्रंर् है , वस्तुतः सत्यार्िप्रकाश उस समय कक कालजयी कृ तत र्ी और इस कालजयी कृ तत में अंग्रेजों का र्वरोध भी र्ा ष्जससे अंग्रेज सरकार को काफी नुकसान हुआ |