SlideShare une entreprise Scribd logo
1  sur  152
Nonprofit Publications .
गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका अप्रैर-2020 | अॊक 1
Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com
Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi
याभ नलभी त्रलळेऴ
FREE
E CIRCULAR
गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक
ई-ऩत्रिका भें रेखन शेतु
फ्रीराॊव (स्लतॊि) रेखकों का
स्लागत शैं...
गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई ऩत्रिका
भें आऩके द्राया सरखे गमे भॊि,
मॊि, तॊि, ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ,
लास्तु, पें गळुई, टैयों, येकी एलॊ
अन्म आध्मात्त्भक सान लधाक
रेख को प्रकासळत कयने शेतु बेज
वकते शैं।
असधक जानकायी शेतु वॊऩका कयें।
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
Call Us: 91 + 9338213418,
91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in,
gurutva.karyalay@gmail.com
गुरुत्ल ज्मोसतऴ
भासवक ई-ऩत्रिका
अप्रैर 2020
वॊऩादक
सचॊतन जोळी
वॊऩका
गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग
गुरुत्ल कामाारम
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018,
(ODISHA) INDIA
पोन
91+9338213418,
91+9238328785,
ईभेर
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,
लेफ
www.gurutvakaryalay.com
www.gurutvakaryalay.in
http://gk.yolasite.com/
www.shrigems.com
www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
ऩत्रिका प्रस्तुसत
सचॊतन जोळी,
गुरुत्ल कामाारम
पोटो ग्राफपक्व
सचॊतन जोळी,
गुरुत्ल कामाारम
अनुक्रभ
याभ नाभ की भफशभा 7 जफ शनुभान जी ने सभटाई ळसनदेल की ऩीड़ा! 62
क्मा श्राऩ के कायण सभरा याभ अलताय? 10 वला सवत्रिदामक शनुभान भन्ि 63
धन्म तो मश रक्ष्भण शै? 11 शनुभान आयाधना के प्रभुख सनमभ 64
जफ कफीयजी को सभरी याभ भॊि दीषा? 12 || श्री शनुभान चारीवा || 66
जफ बक्त के सरमे स्लमॊ बगलान भयने को तैमाय शोते शैं? 13 ॥ फजयॊग फाण ॥ 67
श्री याभ ळराका प्रद्लालरी 14 श्री एक भुखी शनुभत्कलच 68
जफ श्रीयाभ ने फकम त्रलजमा एकादळी व्रत? 16 श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ् 72
स्लमॊप्रबा ने की याभदूतो की वशामता? 18 श्री वद्ऱभुखी शनुभत् कलचभ् 74
अॊगद ने यालण के घभॊडको चूय फकमा 20 एकादळभुखी शनुभान कलच 76
श्री याभ के सविभॊि 27 राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत् स्तोि 77
याभ एलॊ शनुभान भॊि 30 ॥ श्री आज्ज्नेम अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥ 79
वीता जी को श्राऩ के पर वे लनलाव शुला? 31 भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ् 80
याभयषा स्तोि 33 || श्री शनुभत् स्तलन || 80
अथ श्री याभस्तोि 35 || वॊकट भोचन शनुभानाद्शक || 81
याभाद्शोत्तय ळतनाभ स्तोिभ् 35 शनुभत्ऩञ्रत्न स्तोिभ् 81
याभ वशस्रनाभ स्तोिभ ् 35 ॥ भारुसतस्तोिभ् ॥ 82
वीतायाभ स्तोिभ् 40 ॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥ 82
याभाद्शकभ् 40 श्री शनुभान वशस्त्रनभालसर् 83
याभ बुजन्ग स्तोि 41 ॥ रान्गूरोऩसनऴत्॥ 91
याभचन्र स्तुसत 42 ॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ् ॥ 93
याभस्तुसत 42 ॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ्॥ 94
जटामुकृ त याभ स्तोिभ ् 43 ॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ्॥ 95
भशादेल कृ त याभस्तुसत 43 ॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ्॥ 100
शनुभान चारीवा औय फजयॊग फाण का चभत्काय 44 ॥आऩदुिायक श्रीशनूभत्स्तोिभ्॥ 100
घय की ऩूजा स्थान भें भूसता का चमन 45 ॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ्॥ 101
वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा 46 ॥श्रीशनुभद्धध्मानभ्भाका ण्डेमऩुयाणत्॥ 104
ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शैं 48 ॥श्रीशनुभत्स्तोिभ्व्मावतीथात्रलयसचतभ्॥ 104
शनुभान जी को सवॊदूय क्मों अत्मासधक त्रप्रम शैं? 49 ॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृ तभ्॥ 105
शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि 50 वॊकट भोचन श्रीशनुभान् स्तोिभ् 106
शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दूय कयता शैं 53 श्रीशनुभान वाफठका 107
वयर उऩामों वे काभना ऩूसता 57 श्री शनुभद् फीवा 108
जफ शनुभानजी ने वूमा को पर वभझा! 58 श्रीशनुभान जी के द्रादळ नाभ भॊि एलॊ स्तुसत 109
नटखट फारशनुभान 59 काभदा एकादळी 4 अप्रैर 2020 110
भॊिजाऩ वे ळास्त्रसान 60 लरुसथनी एकादळी 18 अप्रैर 2020 112
शनुभान भॊि वे बम सनलायण 61 गुरु ऩुष्माभृत मोग 113
|| शनुभान आयती || 61
स्थामी औय अन्म रेख
वॊऩादकीम 4 दैसनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 138
अप्रैर 2020 भासवक ऩॊचाॊग 129 फदन के चौघफडमे 139
अप्रैर 2020 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 131 फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 140
अप्रैर 2020 -त्रलळेऴ मोग 138
त्रप्रम आत्त्भम,
फॊधु/ फफशन
जम गुरुदेल
याभ ब्रह्म ऩयभायथ रूऩा।
अथाात ्: ब्रह्म ने शी ऩयभाथा के सरए याभ रूऩ धायण फकमा था।
याभनाभ की औऴसध खयी सनमत वे खाम।
अॊगयोग व्माऩे नशीॊ भशायोग सभट जाम।।
(तुरवीदाव जी)
त्रलसबन्न धभा ळास्त्र-ग्रॊथों एलॊ त्रलद्रानों के भतानुवाय श्री याभबक्त शनुभानजी के जन्भ वे वॊफॊसधत अनेक कथाएॉ
लत्णात शैं। इवसरए शनुभानजी के जन्भ की सतसथमाॊ बी ळास्त्रों भें अरग-अरग लत्णात शैं। प्रभुख ग्रॊथों भें शनुभानजी के
जन्भ की आठ सबन्न सतसथमाॉ सभरती शैं जो इव प्रकाय शैं।
जन्भ सतसथमाॉ फशन्दू चन्र ऩॊचाॊग के अनुवाय 1. चैि भाश की ऩूत्णाभा। 2. चैि भाश के ळुक्र ऩष की एकादळी सतसथ।
3. कासताक भाश की ऩूत्णाभा। 4. कासताक भाश के कृ ष्ण ऩष की चतुदाळी। 5. श्रालण भाश के ळुक्र ऩष की एकादळी।
6. श्रालण भाश की ऩूत्णाभा। 7. भागाळीऴा भाश के ळुक्र ऩष की िमोदळी। 8. आत्द्वन भाश की अभालस्मा।
त्जवभें दो सतसथमाॉ भुख्म रुऩ वे अत्मासधक प्रचसरत भानी जाती शै।
1. शनुभानजी का जन्भ, याभजी के जन्भ के ऩाॉच फदन फाद भाना गमा शैं अथाात चैि भाश की ऩूत्णाभा शै।
2. अन्म भत वे शनुभानजी का जन्भ कासताक भाश के कृ ष्ण ऩष की चतुदाळी को भनामा जाता शै।
इवी सरए, प्राम् इन दोनों प्रभुख सतसथमों के कायण लऴा के दोनों फदन शनुभानजी की कृ ऩा प्रासद्ऱ शेतु उनकी त्रलळेऴ
ऩूजा अचाना की जाती शै। त्रलद्रानों के भतानुवाय शनुभानजी का जन्भ भॊगरलाय मा ळसनलाय को भनामा जाता शै। इव
सरए दोनों फदन उनकी त्रलळेळ ऩूजा-अचाना का त्रलधान शै। आज शय व्मत्रक्त अऩने जीलन भे वबी बौसतक वुख वाधनो की
प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै। एलॊ व्मत्रक्त उव वभस्मा वे ग्रस्त
शोकय जीलन भें शताळा औय सनयाळा भें फॊध जाता शै।
व्मत्रक्त उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता वे भुत्रक्त तो चाशता शै ऩय मश वफ के वे शोगा? उव की उसचत
जानकायी के अबाल भें भुक्त शो नशीॊ ऩाते। औय उवे अऩने जीलन भें आगे गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शोता।
एवे भे वबी प्रकाय के दुख एलॊ कद्शों को दूय कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान चारीवा औय फजयॊग
फाण का ऩाठ…
क्मोफक लताभान मुग भें श्रीयाभबक्त श्रीशनुभानजी सळलजी के एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो
अऩने बक्तो के वभस्त दुखो को शयने भे वभथा शै। श्री शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बक्तो के वाये वॊकट
दूय शो जाते शैं। क्मोफक इनकी ऩूजा-अचाना असत वयर शै, इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे अत्मॊत रोकत्रप्रम
शै। इनके भॊफदय देळ-त्रलदेळ वलि त्स्थत शैं। अत् बक्तों को ऩशुॊचने भें अत्मासधक कफठनाई बी नशीॊ आती शै। शनुभानजी
को प्रवन्न कयना असत वयर शै
शनुभान चारीवा औय फजयॊग फाण के ऩाठ के भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रक्त बी त्रफना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा अचाना वे
अऩनी दैसनक फदनचमाा वे थोडा वा वभम सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩयेळानी वे भुत्रक्त सभर जाती शै।
इव लऴा 2020 भें शनुभान जमॊती 8 अप्रैर, ळसनलाय को शैं।
लैवे तो शनुभानजी की ऩूजा शेतु अनेको त्रलसध-त्रलधान प्रचरन भें शैं ऩय मशा वाधायण व्मत्रक्त जो वॊऩूणा त्रलसध-
त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश व्मत्रक्त वयर त्रलसध-त्रलधान वे कय वके इव उदेश्म वे इव अॊक भें
शभने वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजन त्रलसध दळााने का प्रमाव फकमा शैं।
धभा ळास्त्रो त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन औय वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शैं। शनुभानजी का
एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय एकादळ भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बक्त शनुभान, लीय शनुभान, दाव शनुभान,
मोगी शनुभान आफद प्रसवि शै। फकॊ तु ळास्त्रों भें श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक स्लरूऩ औय चरयि की बत्रक्त का भशत्ल
फतामा गमा शै,
भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय बक्तों का कल्माण कयने के सरए शुला शैं। शनुभान के ऩाॊच भुख
क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भें प्रसतत्रद्षत शैं।
ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृ ष्णाद्शभी को भाना जाता शैं। रुर के अलताय शनुभान ऊजाा के प्रतीक
भाने जाते शैं। इवकी आयाधना वे फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै।
याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भें शैं। शय रूऩ एक भुख लारा,
त्रिनेिधायी मासन तीन आॊखों औय दो बुजाओॊ लारा शै। मश ऩाॊच भुख नयसवॊश, गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ शै।
शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भें प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शैं।
ऩॊचभुख शनुभान के ऩूला की ओय का भुख लानय का शैं। त्जवकी प्रबा कयोडों वूमो के तेज वभान शैं। ऩूला भुख
लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै।
ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शैं। जो बत्रक्तप्रद, वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शैं। गरुड की तयश
शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शैं।
शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै। इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ, फदधाामु
प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास््म देने भें वभथा शैं। शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का शै। जो बक्तों
के बम, सचॊता, ऩयेळानी को दूय कयता शैं।
श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शैं। शनुभानजी का मश स्लरुऩ ब्रह्मा जी की प्राथाना ऩय प्रकट शुआ था।
भान्मता शै फक शमग्रीलदैत्म का वॊशाय कयने के सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भें ऩडे बक्तों को ले ळयण देते शैं। ऐवे ऩाॊच
भुॊश लारे रुर कशराने लारे शनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु शैं।
शनुभानजी के अनेको फदव्म चरयि फर, फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रक्त, सनद्षा, कताव्म ळीर जैवे आदळा गुणो वे मुक्त शैं।
अत् श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रक्त भें बत्रक्त, धभा, गुण, ळुि त्रलचाय, भमाादा, फर , फुत्रि, वाशव इत्मादी गुणो का बी
त्रलकाव शो जाता शैं।
त्रलद्रानो के भतानुळाय शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय अटूट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रक्त एलॊ वभऩाण की
बालना वे शनुभानजी के त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रक्त अऩनी वभस्माओॊ वे
भुक्त शोकय जीलन भें वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शैं।
इव भासवक ई-ऩत्रिका भें वॊफॊसधत जानकायीमों के त्रलऴम भें वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे अनुयोध शैं, मफद दळाामे
गए भॊि, द्ऴोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भें,
फडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, त्रप्रॊफटॊग भें, प्रकाळन भें कोई िुफट यश गई शो, तो उवे स्लमॊ वुधाय रें मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी,
गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि,
द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालों का लणान कयने भें बेद शोने ऩय काभना सवत्रि शेतु फक जाने लारी लारी ऩूजन त्रलसध
एलॊ उवके प्रबालों भें सबन्नता वॊबल शैं।
आऩको एलॊ आऩके ऩरयलाय के वबी वदस्मों को गुरुत्ल कामाारम ऩरयलाय
की औय वे श्रीयाभ नलभी एलॊ श्रीशनुभान जमॊसत की ळुबकाभनाएॊ ..
आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॊ बगलती की कृ ऩा आऩके ऩरयलाय ऩय
फनी यशे। श्रीयाभ जी अलॊ श्रीशनुभान जी वे मशी प्राथना शैं…सचॊतन जोळी
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 6 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
***** भासवक ई-ऩत्रिका वे वॊफॊसधत वूचना *****
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत वबी रेख गुरुत्ल कामाारम के असधकायों के वाथ शी आयत्षत शैं।
 ई-ऩत्रिका भें लत्णात रेखों को नात्स्तक/अत्रलद्वावु व्मत्रक्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख आध्मात्भ वे वॊफॊसधत शोने के कायण बायसतम धभा ळास्त्रों वे प्रेरयत शोकय प्रस्तुत
फकमा गमा शैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत फकवी बी त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी
प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत जानकायीकी प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शैं
औय ना शीॊ प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी देने शेतु कामाारम मा वॊऩादक फकवी
बी प्रकाय वे फाध्म शैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत रेखो भें ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शैं। फकवी बी
व्मत्रक्त त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भें त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय फदए गमे शैं। शभ फकवी बी
व्मत्रक्त त्रलळेऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे धासभाक, एलॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी
नफशॊ रेते शैं। मश त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने लारे व्मत्रक्त फक स्लमॊ फक शोगी।
 क्मोफक इन त्रलऴमो भें नैसतक भानदॊडों, वाभात्जक, कानूनी सनमभों के त्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्लाथा
ऩूसता शेतु प्रमोग कताा शैं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकू र ऩरयणाभ वॊबल शैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत जानकायी को भाननने वे प्राद्ऱ शोने लारे राब, राब की शानी मा
शानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शैं।
 शभाये द्राया प्रकासळत फकमे गमे वबी रेख, जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ
अन्म शभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे शैं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कलच, भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनत्द्ळत
वपरता प्राद्ऱ शुई शैं।
 ई-ऩत्रिका भें गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रकासळत वबी उत्ऩादों को के लर ऩाठको की जानकायी शेतु फदमा गमा शैं,
कामाारम फकवी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने शेतु फकवी बी प्रकाय वे फाध्म नशीॊ कयता शैं। ऩाठक
इन उत्ऩादों को कशीॊ वे बी क्रम कयने शेतु ऩूणात् स्लतॊि शैं।
असधक जानकायी शेतु आऩ कामाारम भें वॊऩका कय वकते शैं।
(वबी त्रललादो के सरमे के लर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 7 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
याभ नाभ की भफशभा
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
एक कथा के अनुळाय:
एक वॊत भशात्भा श्माभदावजी यात्रि के वभम भें
'श्रीयाभ' नाभ का अजऩाजाऩ कयते शुए अऩनी भस्ती भें
चरे जा यशे थे। जाऩ कयते शुए ले एक गशन जॊगर वे
गुजय यशे थे। त्रलयक्त शोने के कायण ले भशात्भा फाय-फाय
देळाटन कयते यशते थे। ले फकवी एक स्थान भें असधक
वभम नशीॊ यशते थे। ले इद्वय नाभ प्रेभी थे। इव सरमे
फदन-यात उनके भुख वे याभ नाभ जऩ चरता यशता
था। स्लमॊ याभ नाभ का अजऩाजाऩ कयते तथा औयों को
बी उवी भागा ऩय चराते।
श्माभदावजी गशन जॊगर भें भागा बूर गमे थे
ऩय अऩनी भस्ती भें चरे जा यशे थे फक जशाॉ याभ रे
चरे लशाॉ....। दूय अॉधेये के त्रफच भें फशुत वी दीऩभाराएॉ
प्रकासळत थीॊ। भशात्भा जी उवी फदळा की ओय चरने
रगे। सनकट ऩशुॉचते शी देखा फक लटलृष के ऩाव अनेक
प्रकाय के लाद्यमॊि फज यशे शैं, नाच -गान औय ळयाफ की
भशफपर जभी शै। कई स्त्री ऩुरुऴ वाथ भें नाचते-कू दते-
शॉवते तथा औयों को शॉवा यशे शैं। उन्शें भशवूव शुआ फक
ले भनुष्म नशीॊ प्रेतात्भा शैं। श्माभदावजी को देखकय
एक प्रेत ने उनका शाथ ऩकड़कय कशा् ओ भनुष्म !
शभाये याजा तुझे फुराते शैं, चर। ले भस्तबाल वे याजा
के ऩाव गमे जो सवॊशावन ऩय फैठा था। लशाॉ याजा के
इदा-सगदा कु छ प्रेत खड़े थे। प्रेतयाज ने कशा् तुभ इव
ओय क्मों आमे? शभायी भॊडरी आज भदभस्त शुई शै, इव
फात का तुभने त्रलचाय नशीॊ फकमा? तुम्शें भौत का डय
नशीॊ शै?
अट्टशाव कयते शुए भशात्भा श्माभदावजी फोरे्
भौत का डय? औय भुझे? याजन ् ! त्जवे जीने का भोश शो
उवे भौत का डय शोता शैं। शभ वाधु रोग तो भौत को
आनॊद का त्रलऴम भानते शैं। मश तो देशऩरयलतान शैं जो
प्रायब्धकभा के त्रफना फकवी वे शो नशीॊ वकता।
प्रेतयाज् तुभ जानते शो शभ कौन शैं?
भशात्भाजी् भैं अनुभान कयता शूॉ फक आऩ प्रेतात्भा शो।
प्रेतयाज् तुभ जानते शो, रोग वभाज शभाये नाभ वे
काॉऩता शैं।
भशात्भाजी् प्रेतयाज ! भुझे भनुष्म भें सगनने की गरती
भत कयना। शभ त्जॊदा फदखते शुए बी जीने की इच्छा वे
यफशत, भृततुल्म शैं। मफद त्जॊदा भानों तो बी आऩ शभें
भाय नशीॊ वकते। जीलन-भयण कभााधीन शैं। भैं एक प्रद्ल
ऩूछ वकता शूॉ?
भशात्भा की सनबामता देखकय प्रेतों के याजा को
आद्ळमा शुआ फक प्रेत का नाभ वुनते शी भय जाने लारे
भनुष्मों भें एक इतनी सनबामता वे फात कय यशा शैं।
वचभुच, ऐवे भनुष्म वे फात कयने भें कोई शयकत नशीॊ।
प्रेतयाज फोरा् ऩूछो, क्मा प्रद्ल शै?
भशात्भाजी् प्रेतयाज ! आज मशाॉ आनॊदोत्वल
क्मों भनामा जा यशा शै?
प्रेतयाज् भेयी इकरौती कन्मा, मोग्म ऩसत न
सभरने के कायण अफ तक कु आॉयी शैं। रेफकन अफ मोग्म
जभाई सभरने की वॊबालना शैं। कर उवकी ळादी शैं
इवसरए मश उत्वल भनामा जा यशा शैं।
भशात्भा ने शॉवते शुए कशा् तुम्शाया जभाई कशाॉ
शैं? भैं उवे देखना चाशता शूॉ।"
प्रेतयाज् जीने की इच्छा के भोश के त्माग कयने
लारे भशात्भा ! अबी तो लश शभाये ऩद (प्रेतमोनी) को
प्राद्ऱ नशीॊ शुआ शैं।
लश इव जॊगर के फकनाये एक गाॉल के श्रीभॊत (धनलान)
का ऩुि शैं। भशादुयाचायी शोने के कायण लश इवलक्त
बमानक योग वे ऩीफड़त शैं।
कर वॊध्मा के ऩशरे उवकी भौत शोगी। फपय
उवकी ळादी भेयी कन्मा वे शोगी। इव सरमे यात बय
गीत-नृत्म औय भद्यऩान कयके शभ आनॊदोत्वल
भनामेंगे।
श्माभदावजी लशाॉ वे त्रलदा शोकय श्रीयाभ नाभ का
अजऩाजाऩ कयते शुए जॊगर के फकनाये के गाॉल भें ऩशुॉचे।
उव वभम वुफश शो चुकी थी।
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 8 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
एक ग्राभीण वे भशात्भा नें ऩूछा् इव गाॉल भें
कोई श्रीभान ् का फेटा फीभाय शैं?
ग्राभीण् शाॉ, भशायाज ! नलरळा वेठ का फेटा
वाॊकरचॊद एक लऴा वे योगग्रस्त शैं। फशुत उऩचाय फकमे
ऩय उवका योग ठीक नशीॊ शोता।
भशात्भा् क्मा ले जैन धभा ऩारते शैं?
ग्राभीण् उनके ऩूलाज जैन थे फकॊ तु बाफटमा के वाथ
व्माऩाय कयते शुए अफ ले लैष्णल शुए शैं।
भशात्भा नलरळा वेठ के घय ऩशुॊचे वाॊकरचॊद की
शारत गॊबीय थी। अत्न्तभ घफड़माॉ थीॊ फपय बी भशात्भा
को देखकय भाता-त्रऩता को आळा की फकयण फदखी।
उन्शोंने भशात्भा का स्लागत फकमा। वेठऩुि के ऩरॊग के
सनकट आकय भशात्भा याभनाभ की भारा जऩने रगे।
दोऩशय शोते-शोते रोगों का आना-जाना फढ़ने रगा।
भशात्भा ने ऩूछा् क्मों, वाॊकरचॊद ! अफ तो ठीक शो?
वाॊकरचॊद ने आॉखें खोरते शी अऩने वाभने एक
प्रताऩी वॊत को देखा तो यो ऩड़ा। फोरा् फाऩजी ! आऩ
भेया अॊत वुधायने के सरए ऩधाये शो। भैंने फशुत ऩाऩ
फकमे शैं। बगलान के दयफाय भें क्मा भुॉश फदखाऊॉ गा?
फपय बी आऩ जैवे वॊत के दळान शुए शैं, मश भेये सरए
ळुब वॊके त शैं। इतना फोरते शी उवकी वाॉव पू रने
रगी, लश खाॉवने रगा।
फेटा ! सनयाळ न शो बगलान याभ ऩसतत ऩालन
शै। तेयी मश अत्न्तभ घड़ी शैं। अफ कार वे डयने का
कोई कायण नशीॊ। खूफ ळाॊसत वे सचत्तलृत्रत्त के तभाभ लेग
को योककय श्रीयाभ नाभ के जऩ भें भन को रगा दे।
अजऩाजाऩ भें रग जा।
ळास्त्र कशते शैं-
चरयतभ् यघुनाथस्म ळतकोफटभ् प्रत्रलस्तयभ्।
एकै कभ् अषयभ् ऩूण्मा भशाऩातक नाळनभ्।।
अथाात् वौ कयोड़ ळब्दों भें बगलान याभ के गुण गामे
गमे शैं। उवका एक-एक अषय ब्रह्मशत्मा आफद भशाऩाऩों
का नाळ कयने भें वभथा शैं।
फदन ढरते शी वाॊकरचॊद की फीभायी फढ़ने रगी।
लैद्य-शकीभ फुरामे गमे। शीया बस्भ आफद कीभती
औऴसधमाॉ दी गमीॊ। फकॊ तु अॊसतभ वभम आ गमा मश
जानकय भशात्भाजी ने थोड़ा नीचे झुककय उवके कान
भें याभनाभ रेने की माद फदरामी। याभ फोरते शी उवके
प्राण ऩखेरू उड़ गमे। रोगों ने योना ळुरु कय फदमा।
श्भळान मािा की तैमारयमाॉ शोने रगीॊ। भौका ऩाकय
भशात्भाजी लशाॉ वे चर फदमे।
नदी तट ऩय आकय स्नान कयके नाभस्भयण
कयते शुए लशाॉ वे यलाना शुए। ळाभ ढर चुकी थी। फपय
ले भध्मयात्रि के वभम जॊगर भें उवी लटलृष के ऩाव
ऩशुॉचे। प्रेत वभाज उऩत्स्थत था। प्रेतयाज सवॊशावन ऩय
शताळ शोकय फैठे थे। आज गीत, नृत्म, शास्म कु छ न
था। चायों ओय करुण आक्रॊ द शो यशा था, वफ प्रेत यो यशे
थे। शास्म कु छ न था। चायों ओय करुण आक्रॊ द शो यशा
था, वफ प्रेत यो यशे थे।
भशात्भा ने ऩूछा् प्रेतयाज ! कर तो मशाॉ
आनॊदोत्वल था, आज ळोक-वभुर रशया यशा शैं। क्मा
कु छ अफशत शुआ शैं?
प्रेतयाज् शाॉ बाई ! इवीसरए यो यशे शैं। शभाया
वत्मानाळ शो गमा। भेयी फेटी की आज ळादी शोने लारी
थी। अफ लश कुॉ आयी यश जामेगी
भशात्भा ने ऩूछा् प्रेतयाज ! तुम्शाया जभाई तो
आज भय गमा शैं। फपय तुम्शायी फेटी कुॉ आयी क्मों यशी?
प्रेतयाज ने सचढ़कय कशा् तेये ऩाऩ वे। भैं शी
भूखा शूॉ फक भैंने कर तुझे वफ फता फदमा। तूने शभाया
वत्मानाळ कय फदमा।
भशात्भा ने नम्रबाल वे कशा् भैंने आऩका अफशत
फकमा मश भुझे वभझ भें नशीॊ आता। षभा कयना, भुझे
भेयी बूर फताओगे तो भैं दुफाया नशीॊ करूॉ गा।
प्रेतयाज ने जरते रृदम वे कशा् मशाॉ वे जाकय
तूने भयने लारे को नाभ स्भयण का भागा फतामा औय
अॊत वभम बी याभ नाभ कशरलामा। इववे उवका उिाय
शो गमा औय भेयी फेटी कुॉ आयी यश गमी।
भशात्भाजी् क्मा? सवपा एक फाय नाभ जऩ रेने
वे लश प्रेतमोसन वे छू ट गमा? आऩ वच कशते शो?
प्रेतयाज् शाॉ बाई ! जो भनुष्म याभ नाभजऩ
कयता शैं लश याभ नाभजऩ के प्रताऩ वे कबी शभायी
मोसन को प्राद्ऱ नशीॊ शोता। बगलन्नाभ जऩ भें
नयकोिारयणी ळत्रक्त शैं। प्रेत के द्राया याभनाभ का मश
प्रताऩ वुनकय भशात्भाजी प्रेभाश्रु फशाते शुए बाल वभासध
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 9 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
भें रीन शो गमे। उनकी आॉखे खुरीॊ तफ लशाॉ प्रेत-वभाज
नशीॊ था, फार वूमा की वुनशयी फकयणें लटलृष को
ळोबामभान कय यशी थीॊ।
कफीय ऩुि कभार की एक कथा शैं।
एक फाय याभ नाभ के प्रबाल वे कभार द्राया
एक कोढ़ी का कोढ़ दूय शो गमा। कभार वभझते शैं फक
याभनाभ की भफशभा भैं जान गमा शूॉ। कभार के इव
कामा वे फकॊ तु कफीय जी प्रवन्न नशीॊ शुए। कफीयजी ने
कभार को तुरवीदाव जी के ऩाव बेजा।
तुरवीदावजी ने तुरवी के ऩि ऩय याभनाभ
सरखकय लश तुरवी ऩि जर भें डारा औय उव जर वे
500 कोफढ़मों को ठीक कय फदमा।
कभान वभझ ने रगा फक तुरवीऩि ऩय एक
फाय याभनाभ सरखकय उवके जर वे 500 कोफढ़मों को
ठीक फकमा जा वकता शै, याभनाभ की इतनी भफशभा शैं।
फकॊ तु कफीय जी इववे बी वॊतुद्श नशीॊ शुए औय उन्शोंने
कभार को बेजा वॊत वूयदाव जी के ऩाव।
वॊत वूयदाव जी ने गॊगा भें फशते शुए एक ळल
के कान भें याभ ळब्द का के लर य काय कशा औय ळल
जीत्रलत शो गमा। तफ कभार ने वोचा फक याभ ळब्द के
य काय वे भुदाा जीत्रलत शो वकता शैं। मश याभ ळब्द की
भफशभा शैं।
तफ कफीय जी ने कशा् मश बी नशीॊ। इतनी वी
भफशभा नशीॊ शै याभ ळब्द की।
बृकु फट त्रलराव वृत्रद्श रम शोई।
त्जवके बृकु फट त्रलराव भाि वे प्ररम शो वकता शै, उवके
नाभ की भफशभा का लणान तुभ क्मा कय वकोगे?
याभ नाभ भफशभा भें एक अन्म कथा:
वभुरतट ऩय एक व्मत्रक्त सचॊतातुय फैठा था, इतने
भें उधय वे त्रलबीऴण सनकरे। उन्शोंने उव सचॊतातुय
व्मत्रक्त वे ऩूछा् क्मों बाई ! तुभ फकव फात की सचॊता भें
ऩड़े शो?
भुझे वभुर के उव ऩाय जाना शैं ऩयॊतु भेयें ऩाव
वभुर ऩाय कयने का कोई वाधन नशीॊ शैं। अफ क्मा करूॉ
भुझे इव फात की सचॊता शैं। अये बाई, इवभें इतने
असधक उदाव क्मों शोते शो?
ऐवा कशकय त्रलबीऴण ने एक ऩत्ते ऩय एक नाभ
सरखा तथा उवकी धोती के ऩल्रू वे फाॉधते शुए कशा्
इवभें भेनें तायक भॊि फाॉधा शैं। तू इद्वय ऩय श्रिा यखकय
तसनक बी घफयामे त्रफना ऩानी ऩय चरते आना। अलश्म
ऩाय रग जामेगा।
त्रलबीऴण के लचनों ऩय त्रलद्वाव यखकय लश
व्मत्रक्त वभुर की ओय आगे फढ़ने रगा। लशॊ व्मत्रक्त
वागय के वीने ऩय नाचता-नाचता ऩानी ऩय चरने रगा।
लश व्मत्रक्त जफ वभुर के फीचभें आमा तफ उवके भन भें
वॊदेश शुआ फक त्रलबीऴण ने ऐवा कौन वा तायक भॊि
सरखकय भेये ऩल्रू वे फाॉधा शैं फक भैं वभुर ऩय वयरता
वे चर वकता शूॉ। इव भुझे जया देखना चाफशए।
उव व्मत्रक्त ने अऩने ऩल्रू भें फॉधा शुआ ऩत्ता
खोरा औय ऩढ़ा तो उव ऩय दो अषय भें के लर याभ
नाभ सरखा शुआ था। याभ नाभ ऩढ़ते शी उवकी श्रिा
तुयॊत शी अश्रिा भें फदर गमी् अये ! मश कोई तायक
भॊि शैं ! मश तो वफवे वीधा वादा याभ नाभ शैं ! भन भें
इव प्रकाय की अश्रिा उऩजते शी लश व्मत्रक्त डूफ कय
भयगमा।
कथा वाय: इव सरमे त्रलद्रानो ने कशाॊ शैं श्रिा औय
त्रलद्वाव के भागा भें वॊदेश नशीॊ कयना चाफशए क्मोफक
अत्रलद्वाव एलॊ अश्रिा ऐवी त्रलकट ऩरयत्स्थसतमाॉ सनसभात
शो जाती शैं फक भॊि जऩ वे कापी ऊॉ चाई तक ऩशुॉचा
शुआ वाधक बी त्रललेक के अबाल भें वॊदेशरूऩी ऴड्मॊि
का सळकाय शोकय अऩना असत वयरता वे ऩतन कय
फैठता शैं। इव सरमे वाधायण भनुष्म को तो वॊदेश की
आॉच शी सगयाने के सरए ऩमााद्ऱ शैं। शजायों-राखों-कयोडों
भॊिो की वाधना जन्भों-जन्भ की वाधना अऩने वदगुरु
ऩय वॊदेश कयने भाि वे नद्श शो जाती शै।
तुरवीदाव जी कशते शैं-
याभ ब्रह्म ऩयभायथ रूऩा।
अथाात ्: ब्रह्म ने शी ऩयभाथा के सरए याभ रूऩ धायण
फकमा था।
याभनाभ की औऴसध खयी सनमत वे खाम।
अॊगयोग व्माऩे नशीॊ भशायोग सभट जाम।।
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 10 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
क्मा श्राऩ के कायण सभरा याभ अलताय?
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
एक फाय सळल जी कै राव ऩलात ऩय एक त्रलळार फयगद के लृष के नीचे फाघ चभा त्रफछाकय आनन्द ऩूलाक फैठे थे।
उसचत अलवय जानकय भाता ऩालाती बी लशाॉ आकय उनके ऩाव फैठ गईं। ऩालाती जी ने सळल जी वे कशा, शे नाथ! ऩूला जन्भ भें
भुझे एवा भोश शो गमा था औय भैंने श्री याभ की ऩयीषा री थी। भेया लश भोश अफ वभाद्ऱ शो चुका शै फकन्तु भैं अबी बी भ्रसभत
शूॉ फक मफद श्री याभ याजऩुि शैं तो ब्रह्म कै वे शो वकते शैं? आऩ कृ ऩा कयके भुझे श्री याभ की कथा वुनाएॉ औय भेये भ्रभ को दूय कयें।
ऩालाती जी के प्रद्ल वे प्रवन्न शोकय सळल जी फोरे, शे ऩालाती! श्री याभचन्र जी की कथा काभधेनु के वभान वबी वुखों
को प्रदान कयने लारी शैं। अत् भैं उव कथा को, त्जवे काकबुळुत्ण्ड जी ने गरुड़ को वुनामा था, उव कथा को भैं तुम्शें वुनाता
शूॉ। शे वुभुत्ख! जफ-जफ धभा का ह्राव शोता शै औय देलताओॊ, ब्राह्मणों ऩय अत्माचाय कयने लारे दुद्श ल नीच असबभानी याषवों
की लृत्रि शो जाती शै तफ-तफ कृ ऩा के वागय बगलान श्री त्रलष्णु बाॉसत-बाॉसत के अलताय धायण कय वज्जनों की ऩीड़ा को शयते
शैं। ले अवुयों को भाय कय देलताओॊ की वत्ता को स्थात्रऩत कयते शैं।
बगलान श्री त्रलष्णु का श्री याभचन्र जी के रुऩ भें अलताय रेने का बी मशी कायण शैं। उनकी कथा अत्मन्त त्रलसचि शै। भैं
उनके जन्भों की कशानी तुम्शें वुनाता शूॉ। श्री शरय के जम औय त्रलजम नाभक दो त्रप्रम द्रायऩार शैं। एक फाय वनकाफद ऋत्रऴमों ने
उन्शें भृत्मुरोक भें चरे जाने के सरमे ळाऩ दे फदमा। ळाऩलळ उन्शें भृत्मुरोक भें तीन फाय याषव के रूऩ भें जन्भ रेना ऩड़ा।
ऩशरी फाय उनका जन्भ फशयण्मकश्मऩु औय फशयण्माष के रूऩ भें शुआ। उन दोनों के अत्माचाय फशुत असधक फढ़ जाने के कायण
श्री शरय ने लयाश का ळयीय धायण कयके फशयण्माष का लध फकमा औय नयसवॊश रूऩ धायण कय के फशयण्मकश्मऩु को भाया।
उन्शीॊ दोनों ने यालण औय कु म्बकणा के रूऩ भें फपय वे जन्भ सरमा औय अत्मन्त ऩयाक्रभी याषव फने। तफ कश्मऩ भुसन
औय अफदसत, जो के दळयथ औय कौळल्मा के रूऩ भें अलतरयत शुए थे, का ऩुि फनकय श्री शरय ने उनका लध फकमा।
एक कल्ऩ भें जरन्धय नाभक दैत्म ने वभस्त देलतागण को ऩयास्त कय फदमा तफ सळल जी ने जरन्धय वे मुि फकमा।
उव दैत्म की स्त्री ऩयभ ऩसतव्रता थी अत् सळल जी बी उव दैत्म वे नशीॊ जीत वके ।
तफ श्री त्रलष्णु ने छरऩूलाक उव स्त्री का व्रत बॊग कय देलताओॊ का कामा फकमा। तफ उव स्त्री ने श्री त्रलष्णु को भनुष्म देश
धायण कयने का ळाऩ फदमा था।
श्री त्रलष्णु के श्री याभ के रूऩ भें अलतरयत शोने का एक कायण मश बी था। लशी जरन्धय दैत्म अगरे जन्भ भें यालण के
रुऩ भें अलतरयत शुआ त्जवे श्री याभ ने मुि भें भाय कय ऩयभऩद प्रदान फकमा।
“अन्म एक कथा के अनुवाय एक फाय नायद ने श्री त्रलष्णु को भनुष्मदेश धायण कयने का ळाऩ फदमा
था त्जवके कायण श्री याभ का अलताय शुआ।”
भॊि सवि धन लृत्रि वाभग्री
ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे तेजस्ली भॊिों द्वाया असबभॊत्रित धनलृत्रि ऩाउडय को प्रसत फुधलाय के
फदन अऩने कै ळ फोक्व, भनीऩवा आफद भें थोडा डारने वे सनयॊतय धन वॊचम शोता शैं।
भूल्म 1 Box Rs- 280
GURUTVA KARYALAY
Call Us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
or Shop Online @ www.gurutvakaryalay.com
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 11 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
धन्म तो मश रक्ष्भण शै?
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
याभजी, वीताजी औय रक्ष्भणजी जॊगर भें एक लृष के नीचे फैठे थे। उव लृष औय डारी ऩय एक रता छाई शुई थी।
रता के नमी कोभर-कोभर कोंऩरें सनकर यशी थी औय कशीॊ-कशीॊ ऩय ताम्रलणा के ऩत्ते सनकर यशे थे। ऩुष्ऩ औय
ऩत्तों वे रता छाई शुई थी त्जस्वे लृष की वुन्दय ळोबा फढा यशे थे। लृष फशुत शी वुशालना रग यशा था। उव लृष की
ळोबा को देखकय बगलान श्रीयाभजी ने रक्ष्भण जी वे कशा, देखो रक्ष्भण ! मश रता अऩने वुन्दय-वुन्दय पर,
वुगत्न्धत पू र औय शयी-शयी ऩत्रत्तमों वे इव लृष की कै वी ळोबा फढा यशी शै ! जॊगर के अन्म वफ लृषों वे मश लृष
फकतना वुन्दय फदख यशा शै ! इतना शी नशीॊ, इव लृष के कायण शी वाये जॊगर की ळोबा शो यशी शै। इव रता के
कायण शी ऩळु-ऩषी इव लृष का आश्रम रेते शैं। धन्म शै मश रता ! बगलान श्रीयाभ के भुख वे रता की प्रळॊवा
वुनकय वीताजी रक्ष्भण वे फोरी्देखो रक्ष्भण बैमा ! तुभने ख्मार फकमा फक नशीॊ ? देखो, इव रता का ऊऩय चढ़
जाना, पू र ऩत्तों वे छा जाना, तन्तुओॊ का पै र जाना, मे वफ लृष के आसश्रत शैं, लृष के कायण शी शैं। इव रता की
ळोबा बी लृष के शी कायण शै। अत् भूर भें भफशभा तो लृष की शी शै। आधाय तो लृष शी शै। लृष के वशाये त्रफना
रता स्लमॊ क्मा कय वकती शै ? कै वे छा वकती शै ? अफ फोरो रक्ष्भण बैमा ! तुम्शीॊ फताओ, भफशभा लृष की शी शुई
न ? लृष का वशाया ऩाकय शी रता धन्म शुई न ?
याभ जी ने कशा् क्मों रक्ष्भण ! मश भफशभा तो रता की शी शुई न ? रता को ऩाकय लृष शी धन्म शुआ न ?
रक्ष्भण जी फोरे् शभें तो एक तीवयी शी फात वूझती शै।
वीता जी ने ऩूछा् लश क्मा शै देलय जी ?
रक्ष्भणजी फोरे् न लृष धन्म शै न रता धन्म शै। धन्म तो मश रक्ष्भण शै जो आऩ दोनों की छामा भें यशता शै।
बैयल जी को बगलान सळल के द्रादळ स्लरूऩ के
रुऩ भें ऩूजा जाता शैं। बैयलजी को तीन स्लरुऩ
फटुक बैयल, भशाकार बैयल औय स्लणााकऴाण
बैयल के रुऩ भें जाना जाता शैं। त्रलद्रानों ने
स्लणााकऴाण-बैयल को धन-धान्म औय वम्ऩत्रत्त के देलता भाना शै। धभाग्रॊथों भें उल्रेख सभरता शैं की आसथाक त्स्थती फदन-
प्रसतफदन खयाफ शोती जायशी शो, कजा का फोझ फढ़ता जा यशा शो, वभस्मा के वभाधान शेतु कोई यास्ता न फदखाई दे यशा
शो, वबी प्रकाय के ऩूजा ऩाठ, भॊि, मॊि, तॊि, मस, शलन, वाधना आफद वे कोई त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ न शो यशी शो, तफ
स्लणााकऴाण बैयल जी का भॊि, मॊि, वाधना इत्माफद का आश्रम रेना चाफशए। जो व्मत्रक्त स्लणााकऴाण बैयल की वाधना, भॊि
जऩ आफद को कयने भें अवभथा शो लश रोग स्लणााकऴाण बैयल कलच को धायण कय त्रलळेऴा राब प्राद्ऱ कय वकते शैं।
स्लणााकऴाण बैयल कलच को धन प्रासद्ऱ के सरए अचूक औय अत्मॊत प्रबालळारी भाना जाता शैं। स्लणााकऴाण बैयल कलच
धायण कताा की वबी प्रकाय की आसथाक वभस्माओॊ को वभाद्ऱ कयने भें वभथा शैं। इवभें जया बी वॊदेश नशीॊ शैं। इव
करमुग भें त्जव प्रकाय भृत्मु बम के सनलायण शेतु भशाभृत्मुॊजम कलच अभोघ शै उवी प्रकाय आसथाक वभस्माओॊ के
वभाधान शेतु स्लणााकऴाण बैयल कलच अभोघ भाना गमा शैं। धासभाक भान्मताओॊ के अनुळाय ऐवा भाना जाता शैं की
बैयलजी की ऩूजा-उऩावना श्रीगणेळ, त्रलष्णु, चॊरभा, कु फेय आफद देलताओॊ ने बी फक थी, बैयल उऩावना के प्रबाल वे बगलान
त्रलष्णु रक्ष्भीऩसत फने थे, त्रलसबन्न अप्वयाओॊ को वौबाग्म सभरने का उल्रेख धभाग्रॊथो भें सभरता शैं। मफश कायण शैं की
स्लणााकऴाण बैयल कलच आसथाक वभस्माओॊ के वभाधान शेतु अत्मॊत राबप्रद शैं। इव कलच को धायण कयने वे वबी
प्रकाय वे आसथाक राब की प्रासद्ऱ शोती शैं। भूल्म Rs.4600
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 12 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
जफ कफीयजी को सभरी याभ भॊि दीषा?
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
वॊत कफीय फकवी ऩशुचे शुए गुरु वे भॊिदीषा प्राद्ऱ
कयना चाशते थे। उव वभम काळी भें याभानॊद स्लाभी
फड़े उच्च कोफट के भशाऩुरुऴ भाने जाते थे। कफीय जी ने
उनके आश्रभ के भुख्म द्राय ऩय आकय द्रायऩार वे
त्रलनती की् भुझे गुरुजी के दळान कया दो। उव वभम
जात-ऩाॉत का फड़ा फोरफारा था। औय फपय काळी जैवी
ऩालन नगयी भें ऩॊफडतों औय ऩॊडे रोगों का असधक प्रबाल
था। कफीयजी फकवके घय ऩैदा शुए थे – फशॊदू के मा
भुवसरभ के ? कु छ ऩता नशीॊ था। कफीय जी एक जुराशे
को ताराफ के फकनाये सभरे थे। उवने कफीय जी का
ऩारन-ऩोऴण कयके उन्शें फड़ा फकमा था। जुराशे के घय
फड़े शुए तो जुराशे का धॊधा कयने रगे। रोग भानते थे
फक कफीय जी भुवरभान की वॊतान शैं।
द्रायऩारों ने कफीयजी को आश्रभ भें नशीॊ जाने
फदमा। कफीय जी ने वोचा फक अगय ऩशुॉचे शुए भशात्भा
वे गुरुभॊि नशीॊ सभरा तो भनभानी वाधना वे शरय के
दाव फन वकते शैं ऩय शरयभम नशीॊ फन वकते। कै वे बी
कयके भुझे याभानॊद जी भशायाज वे शी भॊिदीषा रेनी शै।
कफीयजी ने देखा फक स्लाभी याभानॊदजी शययोज
वुफश 3-4 फजे खड़ाऊॉ ऩशन कय टऩ...टऩ आलाज कयते
शुए गॊगा भें स्नान कयने जाते शैं। कफीय जी ने गॊगा के
घाट ऩय उनके जाने के यास्ते भें वफ जगश फाड़ कय दी
औय आने-जाने का एक शी भागा यखा। उव भागा भें
वुफश के अॉधेये भें कफीय जी वो गमे। गुरु भशायाज आमे
तो अॉधेये के कायण स्लाभी याभानॊदजी का कफीयजी ऩय
ऩैय ऩड़ गमा। उनके भुख वे स्लत् उदगाय सनकर ऩड़े्
याभ..... याभ...!
कफीयजी का तो काभ फन गमा। गुरुजी के दळान
बी शो गमे, उनकी ऩादुकाओॊ का स्ऩळा तथा गुरुभुख वे
याभ भॊि बी सभर गमा। गुरुदीषा के फाद अफ दीषा भें
फाकी शी क्मा यशा? कफीय जी नाचते, गुनगुनाते घय
लाऩव आमे। याभ नाभ की औय गुरुदेल के नाभ की यट
रगा दी। अत्मॊत स्नेशऩूणा रृदम वे गुरुभॊि का जऩ
कयते, गुरुनाभ का कीतान कयते शुए वाधना कयने रगे।
फदनोंफदन कफीय जी भस्ती फढ़ने रगी। काळी के ऩॊफडतों
ने देखा फक मलन का ऩुि कफीय याभ नाभ जऩता शैं,
स्लाभी याभानॊद के नाभ का कीतान कयता शैं। उव मलन
को याभ नाभ की दीषा फकवने दी? क्मों दी? उवने भॊि
को भ्रद्श कय फदमा !
ऩॊफडतों ने कफीय जी वे ऩूछा् तुभको याभनाभ
की दीषा फकवने दी? कफीयजी फोरे, स्लाभी याभानॊदजी
भशायाज के श्रीभुख वे सभरी। ऩॊफडतों ने फपय ऩूछा् कशाॉ
दी दीषा?, कफीयजी फोरे, गॊगा के घाट ऩय।
ऩॊफडत ऩशुॉचे याभानॊदजी के ऩाव् आऩने मलन
को याभभॊि की दीषा देकय भॊि को भ्रद्श कय फदमा,
वम्प्रदाम को भ्रद्श कय फदमा। गुरु भशायाज ! मश आऩने
क्मा फकमा? गुरु भशायाज ने कशा् भैंने तो फकवी को
दीषा नशीॊ दी।
लश मलन जुराशा तो याभानॊद..... याभानॊद..... भेये
गुरुदेल याभानॊद...की यट रगाकय नाचता शैं, आऩका नाभ
फदनाभ कयता शैं। याभानॊदजी फोरे बाई ! भैंने तो उवको
कु छ नशीॊ कशा। उवको फुरा कय ऩूछा जाम। ऩता चर
जामगा।
काळी के ऩॊफडत इकट्ठे शो गमे। जुराशा वच्चा
फक याभानॊदजी वच्चे मश देखने के सरए बीड़ इक्कठी
शो गमी। कफीय जी को फुरामा गमा। गुरु भशायाज भॊच
ऩय त्रलयाजभान शैं। वाभने त्रलद्रान ऩॊफडतों की वबा शैं।
याभानॊदजी ने कफीय वे ऩूछा् भैंने तुम्शें कफ
दीषा दी? भैं कफ तेया गुरु फना? कफीयजी फोरे् भशायाज
! उव फदन प्रबात को आऩने भुझे ऩादुका-स्ऩळा कयामा
औय याभभॊि बी फदमा, लशाॉ गॊगा के घाट ऩय।
याभानॊद स्लाभी ने कफीयजी के सवय ऩय धीये वे
खड़ाऊॉ भायते शुए कशा् याभ... याभ.. याभ.... भुझे झूठा
फनाता शै? गॊगा के घाट ऩय भैंने तुझे कफ दीषा दी थी ?
कफीयजी फोर उठे् गुरु भशायाज ! तफ की दीषा झूठी
तो अफ की तो वच्ची....! भुख वे याभ नाभ का भॊि बी
सभर गमा औय सवय ऩय आऩकी ऩालन ऩादुका का स्ऩळा
बी शो गमा। स्लाभी याभानॊदजी उच्च कोफट के वॊत
भशात्भा थे। उन्शोंने ऩॊफडतों वे कशा् चरो, मलन शो मा
कु छ बी शो, भेया ऩशरे नॊफय का सळष्म मशी शै।
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 13 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
जफ बक्त के सरमे स्लमॊ बगलान भयने को तैमाय शोते शैं?
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
एक प्रवॊग के अनुळाय
जफ त्रलबीऴण बगलान श्रीयाभ के चयणों की ळयण भें शो जाता शै, तफ बगलान श्रीयाभ त्रलबीऴण के दोऴों को अऩने
शी दोऴ भानते शैं। एक वभम त्रलबीऴण वभुर राॊघ कय वभुर के दूवये छोय ऩय आमे। लशाॉ त्रलप्रघोऴ नाभक गाॉल भें उनवे
असात शी एक ब्रह्मशत्मा शो गई। जफ फाकी के गाॉल लारो को इव फात का ऩता रगा तो लशाॉ के वबी ब्राह्मणों ने
इकट्ठे शोकय त्रलबीऴण को खूफ भाया-ऩीटा, ऩय त्रलबीऴण भये नशीॊ। फपय ब्राह्मणों ने त्रलबीऴण को जॊजीयों वे फाॉधकय जभीन के
बीतय एक गुपा भें रे जाकय फॊध कय फदमा।
जफ बगलान श्रीयाभ को ऩता रगा की तो श्रीयाभ जी ऩुष्ऩक त्रलभान के द्राया तत्कार, गाॉल भें ऩशुॉचे। ब्राह्मणों ने याभ
जी का फशुत आदय-वत्काय फकमा औय कशा फक, भशायाज ! इवने ब्रह्मशत्मा कय दी शै। इवको शभने फशुत भाया, ऩय
मश भया नशीॊ।
बगलान याभ ने कशा् शे ब्राह्मणों ! त्रलबीऴण को भैंने कल्ऩ तक की आमु औय याज्म दे यखा शैं, लश कै वे भाया जा वकता शै ! औय
उवको भायने की जरूयत शी क्मा शैं? लश तो भेया बक्त शैं।
भेयें बक्त के सरए भैं स्लमॊ भयने को तैमाय शूॉ। शभाये मशाॉ त्रलधान शै फक दाव के अऩयाध की त्जम्भेलायी उवके स्लाभी ऩय शोती
शैं। स्लाभी शी उवके दण्ड का ऩाि शोता शैं। इवसरए त्रलबीऴण के फदरे आऩ रोग भेयें को शी दण्ड दें। बगलान की मश ळयणागत
लत्वरता देखकय वफ ब्राह्मण आद्ळमा कयने रगे औय उन वफ ने उवी षण बगलान श्रीयाभ की ळयण रे री।
भाॊगसरक मोग सनलायण कलच
जन्भ रग्न वे प्रथभ, फद्रतीम, चतुथा, वद्ऱभ, अद्शभ मा द्रादळ स्थान भे भॊगर त्स्थत शोने ऩय भॊगर दोऴ मा
कु ज दोऴ अथाात भाॊगसरक मोग का सनभााण शोता शैं। कु छ आचामों के अनुवाय रग्न के असतरयक्त भॊगरी दोऴ चन्र
रग्न, ळुक्र मा वद्ऱभेळ वे इन्शीॊ स्थानो भें भॊगर त्स्थत शोने ऩय बी शोता शैं।
ळास्त्रोक्त भान्मता के अनुळाय भॊगरी मोग लैलाफशक जीलन को त्रलसबन्न प्रकाय वे प्रबात्रलत कयता शै, त्रललाश भे
त्रलघ्न, त्रलरम्फ, व्मलधान मा धोखा, त्रललाशोऩयान्त दम्ऩसत भे वे फकवी एक अथला दोनाको ळायीरयक, भानसवक
अथला आसथाक कद्श, ऩायस्ऩरयक भन-भुटाल, लाद-त्रललाद तथा त्रललाश-त्रलच्छेद। अगय दोऴ अत्मसधक प्रफर शुआ तो
दोना अथला फकवी एक की भृत्मु का बम यशता शै।
कुॊ डरी भें मफद भॊगरी मोग शो तो उस्वे बमबीत मा आतॊफकत नशीॊ शोना चाफशमे। प्रमाव मश कयना चाफशमे फक
भॊगरी जातक का त्रललाश भॊगरी जातक वे शी शो मफद भाॊगसरक मोग के कायण त्रललाश भें त्रलरॊफ शो यशा शो तो
भाॊगसरक मोग सनलायण कलच को धायण कयने वे त्रललाश वॊफॊसधत वभस्माओॊ का सनलायण शोता शैं।
भूल्म Rs.1450
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785,
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 14 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
श्री याभ ळराका प्रद्लालरी
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
वु प्र उ त्रफ शो भु ग फ वु नु त्रफ घ सध इ द
य रु प सव सव यें फव शै भॊ र न र म न अॊ
वुज वो ग वु कु भ व ग त न ई र धा फे नो
त्म य न कु जो भ रय य य अ की शो वॊ या म
ऩु वु थ वी जै इ ग भ वॊ क ये शो व व सन
त य त य व शुॉ श फ फ ऩ सच व म व तु
भ का ाा य य भा सभ भी म्शा ाा जा शू शीॊ ाा जू
ता या ये यी ह्र का प खा त्ज ई य या ऩू द र
सन को सभ गो न भ त्ज म ने भसन क ज ऩ व र
फश या सभ वभ रय ग द न ख भ त्ख त्ज सन त जॊ
सवॊ भु न न कौ सभ ज य ग धु ख वु का व य
गु क भ अ ध सन भ र ाा न फ ती न रय ब
ना ऩु ल अ ढ़ा य र का ए तू य न नु ल थ
सव श वु म्श य य व फशॊ य त न ख ाा ाा ाा
य वा ाा रा धी ाा यी जा शू शीॊ ऴा जू ई या ये
त्रलसध-
श्रीयाभचन्रजी का ध्मान कय अऩने प्रद्ल को भन भें दोशयामें। फपय ऊऩय दी गई वायणी भें वे फकवी
एक अषय अॊगुरी यखें। अफ उववे अगरे अषय वे क्रभळ् नौलाॊ अषय सरखते जामें जफ तक ऩुन् उवी जगश नशीॊ
ऩशुॉच जामें। इव प्रकाय एक चौऩाई फनेगी, जो अबीद्श प्रद्ल का उत्तय शोगी।
मशाॊ शभने आऩकी अनुकू रता शेतु नौले अषय के कोद्शक को एक वभान यॊग भें यॊगने का प्रमाव फकमा शैं
त्जववे आऩको शय नौले अषयको सगनती कयने की आलश्मक्ता न यशें आऩ वीधे एक वभान यॊगो के कोद्शक भें रीखे
अषयोको सभरारे/सरख रे औय जो चौऩाई फने उव चौऩाई को बी देखने भें आऩको आवानी शो इव उदेश्म वे उवी
यॊग भें यॊगने का प्रमाव फकमा शैं।
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 15 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
1 वुनु सवम वत्म अवीव शभायी। ऩूत्जफश भन काभना तुम्शायी।
पर् -प्रद्लकत्ताा का प्रद्ल उत्तभ शै, कामा सवि शोगा।
मश चौऩाई फारकाण्ड भें श्रीवीताजी के गौयीऩूजन के प्रवॊग भें शै। गौयीजी ने श्रीवीताजी को आळीलााद फदमा शै।
2 प्रत्रफसव नगय कीजै वफ काजा। रृदम यात्ख कोवरऩुय याजा।
पर्-बगलान ् का स्भयण कयके कामाायम्ब कयो, वपरता सभरेगी।
मश चौऩाई वुन्दयकाण्ड भें शनुभानजी के रॊका भें प्रलेळ कयने के वभम की शै।
3 उघयें अॊत न शोइ सनफाशू। कारनेसभ त्जसभ यालन याशू।।
पर्-इव कामा भें बराई नशीॊ शै। कामा की वपरता भें वन्देश शै।
मश चौऩाई फारकाण्ड के आयम्ब भें वत्वॊग-लणान के प्रवॊग भें शै।
4 त्रफसध फव वुजन कु वॊगत ऩयशीॊ। पसन भसन वभ सनज गुन अनुवयशीॊ।।
पर्-खोटे भनुष्मों का वॊग छोड़ दो। कामा की वपरता भें वन्देश शै।
मश चौऩाई फारकाण्ड के आयम्ब भें वत्वॊग-लणान के प्रवॊग भें शै।
5 शोइ शै वोई जो याभ यसच याखा। को करय तयक फढ़ालफशॊ वाऴा।।
पर्-कामा शोने भें वन्देश शै, अत् उवे बगलान ् ऩय छोड़ देना श्रेमष्कय शै।
मश चौऩाई फारकाण्डान्तगात सळल औय ऩालाती के वॊलाद भें शै।
6 भुद भॊगरभम वॊत वभाजू। त्जसभ जग जॊगभ तीयथ याजू।।
पर्-प्रद्ल उत्तभ शै। कामा सवि शोगा।
मश चौऩाई फारकाण्ड भें वॊत-वभाजरुऩी तीथा के लणान भें शै।
7 गयर वुधा रयऩु कयम सभताई। गोऩद सवॊधु अनर सवतराई।।
पर्-प्रद्ल फशुत श्रेद्ष शै। कामा वपर शोगा।
मश चौऩाई श्रीशनुभान ् जी के रॊका प्रलेळ कयने के वभम की शै।
8 फरुन कु फेय वुयेव वभीया। यन वनभुख धरय काश न धीया।।
पर्-कामा ऩूणा शोने भें वन्देश शै।
मश चौऩाई रॊकाकाण्ड भें यालन की भृत्मु के ऩद्ळात ् भन्दोदयी के त्रलराऩ के प्रवॊग भें शै।
9 वुपर भनोयथ शोशुॉ तुम्शाये। याभ रखनु वुसन बए वुखाये।।
पर्-प्रद्ल फशुत उत्तभ शै। कामा सवि शोगा।
मश चौऩाई फारकाण्ड ऩुष्ऩलाफटका वे ऩुष्ऩ राने ऩय त्रलद्वासभिजी का आळीलााद शै।
eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 16 अप्रैर 2020
© GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY
जफ श्रीयाभ ने फकम त्रलजमा एकादळी व्रत?
 वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
एक फाय मुसधत्रद्षय ने श्री कृ ष्ण वे ऩूछा शे प्रबु
पाल्गुन (गुजयात-भशायाद्स भें भाघ) के कृ ष्णऩष को फकव
नाभ की एकादळी शोती शैं औय उवका व्रत कयने की त्रलसध
क्मा शैं? कृ ऩा कयके फताइमे ।
पाल्गुन के कृ ष्णऩष की एकादळी को „त्रलजमा एकादळी‟
के नाभ वे जाना जाता शैं।
बगलान श्रीकृ ष्ण ऩुन् फोरे: मुसधत्रद्षय ! एक फाय
नायदजी ने ब्रह्माजी वे पाल्गुन के कृ ष्णऩष की „त्रलजमा
एकादळी‟ के व्रत वे शोनेलारे
ऩुण्म के फाये भें ऩूछा था तथा
ब्रह्माजी ने इव व्रत के फाये भें
नायदजी को जो कथा औय
त्रलसध फतामी थी, उवे वुनो :
ब्रह्माजी ने कशा :
नायद ! मश व्रत फशुत शी
प्राचीन, ऩत्रलि औय ऩाऩ
नाळक शैं । मश एकादळी
याजाओॊ को त्रलजम प्रदान
कयती शैं, इवभें तसनक बी
वॊदेश नशीॊ शैं ।
िेतामुग भें भमाादा
ऩुरुऴोत्तभ श्रीयाभचन्रजी जफ
रॊका ऩय चढ़ाई कयने के सरए
वभुर के फकनाये ऩशुॉचे, तफ
उन्शें वभुर को ऩाय कयने का
कोईउऩाम नशीॊ वूझ यशा था ।
उन्शोंने रक्ष्भणजी वे ऩूछा : „वुसभिानन्दन ! फकव
उऩाम वे इव वभुर को ऩाय फकमा जा वकता शै ? मश
अत्मन्त अगाध औय बमॊकय जर जन्तुओॊ वे बया शुआ शै ।
भुझे ऐवा कोई उऩाम नशीॊ फदखामी देता, त्जववे इवको
वुगभता वे ऩाय फकमा जा वके ।
रक्ष्भणजी फोरे : शे प्रबु ! आऩ शी आफददेल औय
ऩुयाण ऩुरुऴ ऩुरुऴोत्तभ शैं । आऩवे क्मा सछऩा शैं? मशाॉ वे आधे
मोजन की दूयी ऩय कु भायी द्रीऩ भें फकदाल््म नाभक भुसन
यशते शैं । आऩ उन त्रलद्रान भुनीद्वय के ऩाव जाकय उन्शीॊवे
इवका उऩाम ऩूसछमे ।
श्रीयाभचन्रजी भशाभुसन फकदाल््म के आश्रभ
ऩशुॉचे औय उन्शोंने भुसन को प्रणाभ फकमा ।
भशत्रऴा ने प्रवन्न शोकय श्रीयाभजी के आगभन का कायण
ऩूछा ।
श्रीयाभचन्रजी फोरे : ब्रह्मन ् ! भैं रॊका ऩय चढ़ाई
कयने के उिेश्म वे अऩनी वेनावफशत मशाॉ
आमा शूॉ ।
भुने ! अफ त्जव प्रकाय वभुर ऩाय
फकमा जा वके , कृ ऩा कयके लश
उऩाम फताइमे ।
फकदाल्बम भुसन ने
कशा : शे श्रीयाभजी !
पाल्गुन के कृ ष्णऩष भें जो
„त्रलजमा‟ नाभ की एकादळी
शोती शै, उवका व्रत कयने
वे आऩकी त्रलजम शोगी।
सनद्ळम शी आऩ अऩनी
लानय वेना के वाथ वभुर
को ऩाय कय रेंगे । याजन ् !
अफ इव व्रत की परदामक त्रलसध
वुसनमे :
एकादळी के एक फदन ऩूला दळभी
के फदन वोने, चाॉदी, ताॉफे अथला सभट्टी का एक
करळ स्थात्रऩत कय उव करळ को जर वे बयकय उवभें
ऩल्रल डार दें । उव करळ के ऊऩय बगलान नायामण
के वुलणाभम त्रलग्रश की स्थाऩना कयें । फपय एकादळी के
फदन प्रात: कार स्नान कयें । करळ को ऩुन: स्थात्रऩत
कयें । भारा, चन्दन, वुऩायी तथा नारयमर आफद के द्राया
त्रलळेऴ रुऩ वे उवका ऩूजन कयें ।
करळ के ऊऩय वद्ऱधान्म औय जौ यखें । गन्ध,
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1

Contenu connexe

Tendances

Antar jyot
Antar jyotAntar jyot
Antar jyot
gurusewa
 
Vyas poornima
Vyas poornimaVyas poornima
Vyas poornima
gurusewa
 
Shri brahmramayan
Shri brahmramayanShri brahmramayan
Shri brahmramayan
gurusewa
 
Alakh kiaur
Alakh kiaurAlakh kiaur
Alakh kiaur
gurusewa
 

Tendances (13)

Antar jyot
Antar jyotAntar jyot
Antar jyot
 
Vyas poornima
Vyas poornimaVyas poornima
Vyas poornima
 
Shri brahmramayan
Shri brahmramayanShri brahmramayan
Shri brahmramayan
 
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
 
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
 
Alakh kiaur
Alakh kiaurAlakh kiaur
Alakh kiaur
 
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
 
ऊर्ध्व : विसंवाद - ५ स्मारिका
ऊर्ध्व : विसंवाद - ५ स्मारिकाऊर्ध्व : विसंवाद - ५ स्मारिका
ऊर्ध्व : विसंवाद - ५ स्मारिका
 
Dissertation new
Dissertation newDissertation new
Dissertation new
 
RishiPrasad
RishiPrasadRishiPrasad
RishiPrasad
 
Atam yog
Atam yogAtam yog
Atam yog
 
Arogyanidhi
ArogyanidhiArogyanidhi
Arogyanidhi
 
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
 

Similaire à GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1

Ananya yog
Ananya yogAnanya yog
Ananya yog
gurusewa
 

Similaire à GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1 (20)

SadhanaMeinSafalata
SadhanaMeinSafalataSadhanaMeinSafalata
SadhanaMeinSafalata
 
VyasPoornima
VyasPoornimaVyasPoornima
VyasPoornima
 
Vyas purnima
Vyas purnimaVyas purnima
Vyas purnima
 
Ananya yog
Ananya yogAnanya yog
Ananya yog
 
SantAvtaran
SantAvtaranSantAvtaran
SantAvtaran
 
Pawari Boli bhasha - Speech in Hindi.pdf
Pawari Boli bhasha - Speech in Hindi.pdfPawari Boli bhasha - Speech in Hindi.pdf
Pawari Boli bhasha - Speech in Hindi.pdf
 
ShriBrahmRamayan
ShriBrahmRamayanShriBrahmRamayan
ShriBrahmRamayan
 
Sadhana mein safalata
Sadhana mein safalataSadhana mein safalata
Sadhana mein safalata
 
BalSanskarKendraPathhykram
BalSanskarKendraPathhykramBalSanskarKendraPathhykram
BalSanskarKendraPathhykram
 
Parihaya Dr D B Tembhare. .
Parihaya Dr D B Tembhare.                 .Parihaya Dr D B Tembhare.                 .
Parihaya Dr D B Tembhare. .
 
Alakh ki aor
Alakh ki aorAlakh ki aor
Alakh ki aor
 
Alakh ki aur
Alakh ki aurAlakh ki aur
Alakh ki aur
 
SatsangSuman
SatsangSumanSatsangSuman
SatsangSuman
 
AtamYog
AtamYogAtamYog
AtamYog
 
Antar jyot
Antar jyotAntar jyot
Antar jyot
 
Aantar jyot
Aantar jyotAantar jyot
Aantar jyot
 
Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019
 
Mukti ka sahaj marg
Mukti ka sahaj margMukti ka sahaj marg
Mukti ka sahaj marg
 
Sant avataran
Sant avataranSant avataran
Sant avataran
 
Satsang suman
Satsang sumanSatsang suman
Satsang suman
 

Plus de GURUTVAKARYALAY

Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012
GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish may 2011
Gurutva jyotish may 2011Gurutva jyotish may 2011
Gurutva jyotish may 2011
GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVAKARYALAY
 

Plus de GURUTVAKARYALAY (19)

Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013
 
Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012
 
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
 
Gurutva jyotish oct 2012
Gurutva jyotish oct 2012Gurutva jyotish oct 2012
Gurutva jyotish oct 2012
 
Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012
 
Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012Gurutva jyotish aug 2012
Gurutva jyotish aug 2012
 
Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012
 
Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012
 
Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012
 
Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012
 
Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012
 
Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011Gurutva jyotish dec 2011
Gurutva jyotish dec 2011
 
Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011
 
Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011
 
Gurutva jyotish aug 2011
Gurutva jyotish aug 2011Gurutva jyotish aug 2011
Gurutva jyotish aug 2011
 
Gurutva jyotish july 2011
Gurutva jyotish july 2011Gurutva jyotish july 2011
Gurutva jyotish july 2011
 
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
 
Gurutva jyotish may 2011
Gurutva jyotish may 2011Gurutva jyotish may 2011
Gurutva jyotish may 2011
 
GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011
 

GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1

  • 1. Nonprofit Publications . गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका अप्रैर-2020 | अॊक 1 Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi याभ नलभी त्रलळेऴ
  • 2. FREE E CIRCULAR गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका भें रेखन शेतु फ्रीराॊव (स्लतॊि) रेखकों का स्लागत शैं... गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई ऩत्रिका भें आऩके द्राया सरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, पें गळुई, टैयों, येकी एलॊ अन्म आध्मात्त्भक सान लधाक रेख को प्रकासळत कयने शेतु बेज वकते शैं। असधक जानकायी शेतु वॊऩका कयें। GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com गुरुत्ल ज्मोसतऴ भासवक ई-ऩत्रिका अप्रैर 2020 वॊऩादक सचॊतन जोळी वॊऩका गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग गुरुत्ल कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA पोन 91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, लेफ www.gurutvakaryalay.com www.gurutvakaryalay.in http://gk.yolasite.com/ www.shrigems.com www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ ऩत्रिका प्रस्तुसत सचॊतन जोळी, गुरुत्ल कामाारम पोटो ग्राफपक्व सचॊतन जोळी, गुरुत्ल कामाारम
  • 3. अनुक्रभ याभ नाभ की भफशभा 7 जफ शनुभान जी ने सभटाई ळसनदेल की ऩीड़ा! 62 क्मा श्राऩ के कायण सभरा याभ अलताय? 10 वला सवत्रिदामक शनुभान भन्ि 63 धन्म तो मश रक्ष्भण शै? 11 शनुभान आयाधना के प्रभुख सनमभ 64 जफ कफीयजी को सभरी याभ भॊि दीषा? 12 || श्री शनुभान चारीवा || 66 जफ बक्त के सरमे स्लमॊ बगलान भयने को तैमाय शोते शैं? 13 ॥ फजयॊग फाण ॥ 67 श्री याभ ळराका प्रद्लालरी 14 श्री एक भुखी शनुभत्कलच 68 जफ श्रीयाभ ने फकम त्रलजमा एकादळी व्रत? 16 श्री ऩच्चभुखी शनुभत्कलचभ् 72 स्लमॊप्रबा ने की याभदूतो की वशामता? 18 श्री वद्ऱभुखी शनुभत् कलचभ् 74 अॊगद ने यालण के घभॊडको चूय फकमा 20 एकादळभुखी शनुभान कलच 76 श्री याभ के सविभॊि 27 राङ्गूरास्त्र ळिुज्जम शनुभत् स्तोि 77 याभ एलॊ शनुभान भॊि 30 ॥ श्री आज्ज्नेम अद्शोत्तयळत नाभालसर् ॥ 79 वीता जी को श्राऩ के पर वे लनलाव शुला? 31 भन्दात्भकॊ भारुसतस्तोिभ् 80 याभयषा स्तोि 33 || श्री शनुभत् स्तलन || 80 अथ श्री याभस्तोि 35 || वॊकट भोचन शनुभानाद्शक || 81 याभाद्शोत्तय ळतनाभ स्तोिभ् 35 शनुभत्ऩञ्रत्न स्तोिभ् 81 याभ वशस्रनाभ स्तोिभ ् 35 ॥ भारुसतस्तोिभ् ॥ 82 वीतायाभ स्तोिभ् 40 ॥श्रीशनुभन्नभस्काय् ॥ 82 याभाद्शकभ् 40 श्री शनुभान वशस्त्रनभालसर् 83 याभ बुजन्ग स्तोि 41 ॥ रान्गूरोऩसनऴत्॥ 91 याभचन्र स्तुसत 42 ॥ श्रीशनुभत्प्रळॊवनभ् ॥ 93 याभस्तुसत 42 ॥ शनुभद्राडलानरस्तोिभ्॥ 94 जटामुकृ त याभ स्तोिभ ् 43 ॥ श्री शनुभान वशस्त्रनाभस्तोिभ्॥ 95 भशादेल कृ त याभस्तुसत 43 ॥ श्रीशनूभत्स्भयणभ्॥ 100 शनुभान चारीवा औय फजयॊग फाण का चभत्काय 44 ॥आऩदुिायक श्रीशनूभत्स्तोिभ्॥ 100 घय की ऩूजा स्थान भें भूसता का चमन 45 ॥ श्रीशनुभद्रन्दनभ्॥ 101 वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजा 46 ॥श्रीशनुभद्धध्मानभ्भाका ण्डेमऩुयाणत्॥ 104 ऩॊचभुखी शनुभान का ऩूजन उत्तभ परदामी शैं 48 ॥श्रीशनुभत्स्तोिभ्व्मावतीथात्रलयसचतभ्॥ 104 शनुभान जी को सवॊदूय क्मों अत्मासधक त्रप्रम शैं? 49 ॥श्रीशनुभत्स्तोिॊ त्रलबीऴणकृ तभ्॥ 105 शनुभानजी के ऩूजन वे कामासवत्रि 50 वॊकट भोचन श्रीशनुभान् स्तोिभ् 106 शनुभान फाशुक क ऩाठ योग ल कद्श दूय कयता शैं 53 श्रीशनुभान वाफठका 107 वयर उऩामों वे काभना ऩूसता 57 श्री शनुभद् फीवा 108 जफ शनुभानजी ने वूमा को पर वभझा! 58 श्रीशनुभान जी के द्रादळ नाभ भॊि एलॊ स्तुसत 109 नटखट फारशनुभान 59 काभदा एकादळी 4 अप्रैर 2020 110 भॊिजाऩ वे ळास्त्रसान 60 लरुसथनी एकादळी 18 अप्रैर 2020 112 शनुभान भॊि वे बम सनलायण 61 गुरु ऩुष्माभृत मोग 113 || शनुभान आयती || 61 स्थामी औय अन्म रेख वॊऩादकीम 4 दैसनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 138 अप्रैर 2020 भासवक ऩॊचाॊग 129 फदन के चौघफडमे 139 अप्रैर 2020 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 131 फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 140 अप्रैर 2020 -त्रलळेऴ मोग 138
  • 4. त्रप्रम आत्त्भम, फॊधु/ फफशन जम गुरुदेल याभ ब्रह्म ऩयभायथ रूऩा। अथाात ्: ब्रह्म ने शी ऩयभाथा के सरए याभ रूऩ धायण फकमा था। याभनाभ की औऴसध खयी सनमत वे खाम। अॊगयोग व्माऩे नशीॊ भशायोग सभट जाम।। (तुरवीदाव जी) त्रलसबन्न धभा ळास्त्र-ग्रॊथों एलॊ त्रलद्रानों के भतानुवाय श्री याभबक्त शनुभानजी के जन्भ वे वॊफॊसधत अनेक कथाएॉ लत्णात शैं। इवसरए शनुभानजी के जन्भ की सतसथमाॊ बी ळास्त्रों भें अरग-अरग लत्णात शैं। प्रभुख ग्रॊथों भें शनुभानजी के जन्भ की आठ सबन्न सतसथमाॉ सभरती शैं जो इव प्रकाय शैं। जन्भ सतसथमाॉ फशन्दू चन्र ऩॊचाॊग के अनुवाय 1. चैि भाश की ऩूत्णाभा। 2. चैि भाश के ळुक्र ऩष की एकादळी सतसथ। 3. कासताक भाश की ऩूत्णाभा। 4. कासताक भाश के कृ ष्ण ऩष की चतुदाळी। 5. श्रालण भाश के ळुक्र ऩष की एकादळी। 6. श्रालण भाश की ऩूत्णाभा। 7. भागाळीऴा भाश के ळुक्र ऩष की िमोदळी। 8. आत्द्वन भाश की अभालस्मा। त्जवभें दो सतसथमाॉ भुख्म रुऩ वे अत्मासधक प्रचसरत भानी जाती शै। 1. शनुभानजी का जन्भ, याभजी के जन्भ के ऩाॉच फदन फाद भाना गमा शैं अथाात चैि भाश की ऩूत्णाभा शै। 2. अन्म भत वे शनुभानजी का जन्भ कासताक भाश के कृ ष्ण ऩष की चतुदाळी को भनामा जाता शै। इवी सरए, प्राम् इन दोनों प्रभुख सतसथमों के कायण लऴा के दोनों फदन शनुभानजी की कृ ऩा प्रासद्ऱ शेतु उनकी त्रलळेऴ ऩूजा अचाना की जाती शै। त्रलद्रानों के भतानुवाय शनुभानजी का जन्भ भॊगरलाय मा ळसनलाय को भनामा जाता शै। इव सरए दोनों फदन उनकी त्रलळेळ ऩूजा-अचाना का त्रलधान शै। आज शय व्मत्रक्त अऩने जीलन भे वबी बौसतक वुख वाधनो की प्रासद्ऱ के सरमे बौसतकता की दौड भे बागते शुए फकवी न फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शै। एलॊ व्मत्रक्त उव वभस्मा वे ग्रस्त शोकय जीलन भें शताळा औय सनयाळा भें फॊध जाता शै। व्मत्रक्त उव वभस्मा वे असत वयरता एलॊ वशजता वे भुत्रक्त तो चाशता शै ऩय मश वफ के वे शोगा? उव की उसचत जानकायी के अबाल भें भुक्त शो नशीॊ ऩाते। औय उवे अऩने जीलन भें आगे गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शोता। एवे भे वबी प्रकाय के दुख एलॊ कद्शों को दूय कयने के सरमे अचुक औय उत्तभ उऩाम शै शनुभान चारीवा औय फजयॊग फाण का ऩाठ… क्मोफक लताभान मुग भें श्रीयाभबक्त श्रीशनुभानजी सळलजी के एक एवे अलताय शै जो असत ळीघ्र प्रवन्न शोते शै जो अऩने बक्तो के वभस्त दुखो को शयने भे वभथा शै। श्री शनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि वे शी बक्तो के वाये वॊकट दूय शो जाते शैं। क्मोफक इनकी ऩूजा-अचाना असत वयर शै, इवी कायण श्री शनुभानजी जन वाधायण भे अत्मॊत रोकत्रप्रम शै। इनके भॊफदय देळ-त्रलदेळ वलि त्स्थत शैं। अत् बक्तों को ऩशुॊचने भें अत्मासधक कफठनाई बी नशीॊ आती शै। शनुभानजी को प्रवन्न कयना असत वयर शै शनुभान चारीवा औय फजयॊग फाण के ऩाठ के भाध्मभ वे वाधायण व्मत्रक्त बी त्रफना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा अचाना वे अऩनी दैसनक फदनचमाा वे थोडा वा वभम सनकार रे तो उवकी वभस्त ऩयेळानी वे भुत्रक्त सभर जाती शै। इव लऴा 2020 भें शनुभान जमॊती 8 अप्रैर, ळसनलाय को शैं। लैवे तो शनुभानजी की ऩूजा शेतु अनेको त्रलसध-त्रलधान प्रचरन भें शैं ऩय मशा वाधायण व्मत्रक्त जो वॊऩूणा त्रलसध- त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन नशीॊ कय वकते लश व्मत्रक्त वयर त्रलसध-त्रलधान वे कय वके इव उदेश्म वे इव अॊक भें शभने वयर त्रलसध-त्रलधान वे शनुभानजी की ऩूजन त्रलसध दळााने का प्रमाव फकमा शैं।
  • 5. धभा ळास्त्रो त्रलधान वे शनुभानजी का ऩूजन औय वाधना त्रलसबन्न रुऩ वे फकमे जा वकते शैं। शनुभानजी का एकभुखी, ऩॊचभुखीऔय एकादळ भुखीस्लरूऩ के वाथ शनुभानजी का फार शनुभान, बक्त शनुभान, लीय शनुभान, दाव शनुभान, मोगी शनुभान आफद प्रसवि शै। फकॊ तु ळास्त्रों भें श्री शनुभान के ऐवे चभत्कारयक स्लरूऩ औय चरयि की बत्रक्त का भशत्ल फतामा गमा शै, भान्मता के अनुळाय ऩॊचभुखीशनुभान का अलताय बक्तों का कल्माण कयने के सरए शुला शैं। शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भें प्रसतत्रद्षत शैं। ऩॊचभुखीशनुभानजी का अलताय भागाळीऴा कृ ष्णाद्शभी को भाना जाता शैं। रुर के अलताय शनुभान ऊजाा के प्रतीक भाने जाते शैं। इवकी आयाधना वे फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती शै। याभामण के अनुवाय श्री शनुभान का त्रलयाट स्लरूऩ ऩाॊच भुख ऩाॊच फदळाओॊ भें शैं। शय रूऩ एक भुख लारा, त्रिनेिधायी मासन तीन आॊखों औय दो बुजाओॊ लारा शै। मश ऩाॊच भुख नयसवॊश, गरुड, अद्व, लानय औय लयाश रूऩ शै। शनुभान के ऩाॊच भुख क्रभळ:ऩूला, ऩत्द्ळभ, उत्तय, दत्षण औय ऊधध्ल फदळा भें प्रसतत्रद्षत भाने गएॊ शैं। ऩॊचभुख शनुभान के ऩूला की ओय का भुख लानय का शैं। त्जवकी प्रबा कयोडों वूमो के तेज वभान शैं। ऩूला भुख लारे शनुभान का ऩूजन कयने वे वभस्त ळिुओॊ का नाळ शो जाता शै। ऩत्द्ळभ फदळा लारा भुख गरुड का शैं। जो बत्रक्तप्रद, वॊकट, त्रलघ्न-फाधा सनलायक भाने जाते शैं। गरुड की तयश शनुभानजी बी अजय-अभय भाने जाते शैं। शनुभानजी का उत्तय की ओय भुख ळूकय का शै। इनकी आयाधना कयने वे अऩाय धन-वम्ऩत्रत्त,ऐद्वमा, मळ, फदधाामु प्रदान कयने लार ल उत्तभ स्लास््म देने भें वभथा शैं। शनुभानजी का दत्षणभुखी स्लरूऩ बगलान नृसवॊश का शै। जो बक्तों के बम, सचॊता, ऩयेळानी को दूय कयता शैं। श्री शनुभान का ऊधध्लभुख घोडे के वभान शैं। शनुभानजी का मश स्लरुऩ ब्रह्मा जी की प्राथाना ऩय प्रकट शुआ था। भान्मता शै फक शमग्रीलदैत्म का वॊशाय कयने के सरए ले अलतरयत शुए। कद्श भें ऩडे बक्तों को ले ळयण देते शैं। ऐवे ऩाॊच भुॊश लारे रुर कशराने लारे शनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु शैं। शनुभानजी के अनेको फदव्म चरयि फर, फुत्रि कभा, वभऩाण, बत्रक्त, सनद्षा, कताव्म ळीर जैवे आदळा गुणो वे मुक्त शैं। अत् श्री शनुभानजी के ऩूजन वे व्मत्रक्त भें बत्रक्त, धभा, गुण, ळुि त्रलचाय, भमाादा, फर , फुत्रि, वाशव इत्मादी गुणो का बी त्रलकाव शो जाता शैं। त्रलद्रानो के भतानुळाय शनुभानजी के प्रसत दढ आस्था औय अटूट त्रलद्वाव के वाथ ऩूणा बत्रक्त एलॊ वभऩाण की बालना वे शनुभानजी के त्रलसबन्न स्लरूऩका अऩनी आलश्मकता के अनुळाय ऩूजन-अचान कय व्मत्रक्त अऩनी वभस्माओॊ वे भुक्त शोकय जीलन भें वबी प्रकाय के वुख प्राद्ऱ कय वकता शैं। इव भासवक ई-ऩत्रिका भें वॊफॊसधत जानकायीमों के त्रलऴम भें वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे अनुयोध शैं, मफद दळाामे गए भॊि, द्ऴोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भें, फडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, त्रप्रॊफटॊग भें, प्रकाळन भें कोई िुफट यश गई शो, तो उवे स्लमॊ वुधाय रें मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी, गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि, द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालों का लणान कयने भें बेद शोने ऩय काभना सवत्रि शेतु फक जाने लारी लारी ऩूजन त्रलसध एलॊ उवके प्रबालों भें सबन्नता वॊबल शैं। आऩको एलॊ आऩके ऩरयलाय के वबी वदस्मों को गुरुत्ल कामाारम ऩरयलाय की औय वे श्रीयाभ नलभी एलॊ श्रीशनुभान जमॊसत की ळुबकाभनाएॊ .. आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॊ बगलती की कृ ऩा आऩके ऩरयलाय ऩय फनी यशे। श्रीयाभ जी अलॊ श्रीशनुभान जी वे मशी प्राथना शैं…सचॊतन जोळी
  • 6. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 6 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY ***** भासवक ई-ऩत्रिका वे वॊफॊसधत वूचना *****  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत वबी रेख गुरुत्ल कामाारम के असधकायों के वाथ शी आयत्षत शैं।  ई-ऩत्रिका भें लत्णात रेखों को नात्स्तक/अत्रलद्वावु व्मत्रक्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख आध्मात्भ वे वॊफॊसधत शोने के कायण बायसतम धभा ळास्त्रों वे प्रेरयत शोकय प्रस्तुत फकमा गमा शैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत फकवी बी त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभात्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत जानकायीकी प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शैं औय ना शीॊ प्राभात्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी देने शेतु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत रेखो भें ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शैं। फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भें त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय फदए गमे शैं। शभ फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे धासभाक, एलॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नफशॊ रेते शैं। मश त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने लारे व्मत्रक्त फक स्लमॊ फक शोगी।  क्मोफक इन त्रलऴमो भें नैसतक भानदॊडों, वाभात्जक, कानूनी सनमभों के त्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शेतु प्रमोग कताा शैं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकू र ऩरयणाभ वॊबल शैं।  ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊसधत जानकायी को भाननने वे प्राद्ऱ शोने लारे राब, राब की शानी मा शानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शैं।  शभाये द्राया प्रकासळत फकमे गमे वबी रेख, जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे शैं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कलच, भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनत्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शैं।  ई-ऩत्रिका भें गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रकासळत वबी उत्ऩादों को के लर ऩाठको की जानकायी शेतु फदमा गमा शैं, कामाारम फकवी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने शेतु फकवी बी प्रकाय वे फाध्म नशीॊ कयता शैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कशीॊ वे बी क्रम कयने शेतु ऩूणात् स्लतॊि शैं। असधक जानकायी शेतु आऩ कामाारम भें वॊऩका कय वकते शैं। (वबी त्रललादो के सरमे के लर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)
  • 7. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 7 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY याभ नाभ की भफशभा  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम एक कथा के अनुळाय: एक वॊत भशात्भा श्माभदावजी यात्रि के वभम भें 'श्रीयाभ' नाभ का अजऩाजाऩ कयते शुए अऩनी भस्ती भें चरे जा यशे थे। जाऩ कयते शुए ले एक गशन जॊगर वे गुजय यशे थे। त्रलयक्त शोने के कायण ले भशात्भा फाय-फाय देळाटन कयते यशते थे। ले फकवी एक स्थान भें असधक वभम नशीॊ यशते थे। ले इद्वय नाभ प्रेभी थे। इव सरमे फदन-यात उनके भुख वे याभ नाभ जऩ चरता यशता था। स्लमॊ याभ नाभ का अजऩाजाऩ कयते तथा औयों को बी उवी भागा ऩय चराते। श्माभदावजी गशन जॊगर भें भागा बूर गमे थे ऩय अऩनी भस्ती भें चरे जा यशे थे फक जशाॉ याभ रे चरे लशाॉ....। दूय अॉधेये के त्रफच भें फशुत वी दीऩभाराएॉ प्रकासळत थीॊ। भशात्भा जी उवी फदळा की ओय चरने रगे। सनकट ऩशुॉचते शी देखा फक लटलृष के ऩाव अनेक प्रकाय के लाद्यमॊि फज यशे शैं, नाच -गान औय ळयाफ की भशफपर जभी शै। कई स्त्री ऩुरुऴ वाथ भें नाचते-कू दते- शॉवते तथा औयों को शॉवा यशे शैं। उन्शें भशवूव शुआ फक ले भनुष्म नशीॊ प्रेतात्भा शैं। श्माभदावजी को देखकय एक प्रेत ने उनका शाथ ऩकड़कय कशा् ओ भनुष्म ! शभाये याजा तुझे फुराते शैं, चर। ले भस्तबाल वे याजा के ऩाव गमे जो सवॊशावन ऩय फैठा था। लशाॉ याजा के इदा-सगदा कु छ प्रेत खड़े थे। प्रेतयाज ने कशा् तुभ इव ओय क्मों आमे? शभायी भॊडरी आज भदभस्त शुई शै, इव फात का तुभने त्रलचाय नशीॊ फकमा? तुम्शें भौत का डय नशीॊ शै? अट्टशाव कयते शुए भशात्भा श्माभदावजी फोरे् भौत का डय? औय भुझे? याजन ् ! त्जवे जीने का भोश शो उवे भौत का डय शोता शैं। शभ वाधु रोग तो भौत को आनॊद का त्रलऴम भानते शैं। मश तो देशऩरयलतान शैं जो प्रायब्धकभा के त्रफना फकवी वे शो नशीॊ वकता। प्रेतयाज् तुभ जानते शो शभ कौन शैं? भशात्भाजी् भैं अनुभान कयता शूॉ फक आऩ प्रेतात्भा शो। प्रेतयाज् तुभ जानते शो, रोग वभाज शभाये नाभ वे काॉऩता शैं। भशात्भाजी् प्रेतयाज ! भुझे भनुष्म भें सगनने की गरती भत कयना। शभ त्जॊदा फदखते शुए बी जीने की इच्छा वे यफशत, भृततुल्म शैं। मफद त्जॊदा भानों तो बी आऩ शभें भाय नशीॊ वकते। जीलन-भयण कभााधीन शैं। भैं एक प्रद्ल ऩूछ वकता शूॉ? भशात्भा की सनबामता देखकय प्रेतों के याजा को आद्ळमा शुआ फक प्रेत का नाभ वुनते शी भय जाने लारे भनुष्मों भें एक इतनी सनबामता वे फात कय यशा शैं। वचभुच, ऐवे भनुष्म वे फात कयने भें कोई शयकत नशीॊ। प्रेतयाज फोरा् ऩूछो, क्मा प्रद्ल शै? भशात्भाजी् प्रेतयाज ! आज मशाॉ आनॊदोत्वल क्मों भनामा जा यशा शै? प्रेतयाज् भेयी इकरौती कन्मा, मोग्म ऩसत न सभरने के कायण अफ तक कु आॉयी शैं। रेफकन अफ मोग्म जभाई सभरने की वॊबालना शैं। कर उवकी ळादी शैं इवसरए मश उत्वल भनामा जा यशा शैं। भशात्भा ने शॉवते शुए कशा् तुम्शाया जभाई कशाॉ शैं? भैं उवे देखना चाशता शूॉ।" प्रेतयाज् जीने की इच्छा के भोश के त्माग कयने लारे भशात्भा ! अबी तो लश शभाये ऩद (प्रेतमोनी) को प्राद्ऱ नशीॊ शुआ शैं। लश इव जॊगर के फकनाये एक गाॉल के श्रीभॊत (धनलान) का ऩुि शैं। भशादुयाचायी शोने के कायण लश इवलक्त बमानक योग वे ऩीफड़त शैं। कर वॊध्मा के ऩशरे उवकी भौत शोगी। फपय उवकी ळादी भेयी कन्मा वे शोगी। इव सरमे यात बय गीत-नृत्म औय भद्यऩान कयके शभ आनॊदोत्वल भनामेंगे। श्माभदावजी लशाॉ वे त्रलदा शोकय श्रीयाभ नाभ का अजऩाजाऩ कयते शुए जॊगर के फकनाये के गाॉल भें ऩशुॉचे। उव वभम वुफश शो चुकी थी।
  • 8. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 8 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY एक ग्राभीण वे भशात्भा नें ऩूछा् इव गाॉल भें कोई श्रीभान ् का फेटा फीभाय शैं? ग्राभीण् शाॉ, भशायाज ! नलरळा वेठ का फेटा वाॊकरचॊद एक लऴा वे योगग्रस्त शैं। फशुत उऩचाय फकमे ऩय उवका योग ठीक नशीॊ शोता। भशात्भा् क्मा ले जैन धभा ऩारते शैं? ग्राभीण् उनके ऩूलाज जैन थे फकॊ तु बाफटमा के वाथ व्माऩाय कयते शुए अफ ले लैष्णल शुए शैं। भशात्भा नलरळा वेठ के घय ऩशुॊचे वाॊकरचॊद की शारत गॊबीय थी। अत्न्तभ घफड़माॉ थीॊ फपय बी भशात्भा को देखकय भाता-त्रऩता को आळा की फकयण फदखी। उन्शोंने भशात्भा का स्लागत फकमा। वेठऩुि के ऩरॊग के सनकट आकय भशात्भा याभनाभ की भारा जऩने रगे। दोऩशय शोते-शोते रोगों का आना-जाना फढ़ने रगा। भशात्भा ने ऩूछा् क्मों, वाॊकरचॊद ! अफ तो ठीक शो? वाॊकरचॊद ने आॉखें खोरते शी अऩने वाभने एक प्रताऩी वॊत को देखा तो यो ऩड़ा। फोरा् फाऩजी ! आऩ भेया अॊत वुधायने के सरए ऩधाये शो। भैंने फशुत ऩाऩ फकमे शैं। बगलान के दयफाय भें क्मा भुॉश फदखाऊॉ गा? फपय बी आऩ जैवे वॊत के दळान शुए शैं, मश भेये सरए ळुब वॊके त शैं। इतना फोरते शी उवकी वाॉव पू रने रगी, लश खाॉवने रगा। फेटा ! सनयाळ न शो बगलान याभ ऩसतत ऩालन शै। तेयी मश अत्न्तभ घड़ी शैं। अफ कार वे डयने का कोई कायण नशीॊ। खूफ ळाॊसत वे सचत्तलृत्रत्त के तभाभ लेग को योककय श्रीयाभ नाभ के जऩ भें भन को रगा दे। अजऩाजाऩ भें रग जा। ळास्त्र कशते शैं- चरयतभ् यघुनाथस्म ळतकोफटभ् प्रत्रलस्तयभ्। एकै कभ् अषयभ् ऩूण्मा भशाऩातक नाळनभ्।। अथाात् वौ कयोड़ ळब्दों भें बगलान याभ के गुण गामे गमे शैं। उवका एक-एक अषय ब्रह्मशत्मा आफद भशाऩाऩों का नाळ कयने भें वभथा शैं। फदन ढरते शी वाॊकरचॊद की फीभायी फढ़ने रगी। लैद्य-शकीभ फुरामे गमे। शीया बस्भ आफद कीभती औऴसधमाॉ दी गमीॊ। फकॊ तु अॊसतभ वभम आ गमा मश जानकय भशात्भाजी ने थोड़ा नीचे झुककय उवके कान भें याभनाभ रेने की माद फदरामी। याभ फोरते शी उवके प्राण ऩखेरू उड़ गमे। रोगों ने योना ळुरु कय फदमा। श्भळान मािा की तैमारयमाॉ शोने रगीॊ। भौका ऩाकय भशात्भाजी लशाॉ वे चर फदमे। नदी तट ऩय आकय स्नान कयके नाभस्भयण कयते शुए लशाॉ वे यलाना शुए। ळाभ ढर चुकी थी। फपय ले भध्मयात्रि के वभम जॊगर भें उवी लटलृष के ऩाव ऩशुॉचे। प्रेत वभाज उऩत्स्थत था। प्रेतयाज सवॊशावन ऩय शताळ शोकय फैठे थे। आज गीत, नृत्म, शास्म कु छ न था। चायों ओय करुण आक्रॊ द शो यशा था, वफ प्रेत यो यशे थे। शास्म कु छ न था। चायों ओय करुण आक्रॊ द शो यशा था, वफ प्रेत यो यशे थे। भशात्भा ने ऩूछा् प्रेतयाज ! कर तो मशाॉ आनॊदोत्वल था, आज ळोक-वभुर रशया यशा शैं। क्मा कु छ अफशत शुआ शैं? प्रेतयाज् शाॉ बाई ! इवीसरए यो यशे शैं। शभाया वत्मानाळ शो गमा। भेयी फेटी की आज ळादी शोने लारी थी। अफ लश कुॉ आयी यश जामेगी भशात्भा ने ऩूछा् प्रेतयाज ! तुम्शाया जभाई तो आज भय गमा शैं। फपय तुम्शायी फेटी कुॉ आयी क्मों यशी? प्रेतयाज ने सचढ़कय कशा् तेये ऩाऩ वे। भैं शी भूखा शूॉ फक भैंने कर तुझे वफ फता फदमा। तूने शभाया वत्मानाळ कय फदमा। भशात्भा ने नम्रबाल वे कशा् भैंने आऩका अफशत फकमा मश भुझे वभझ भें नशीॊ आता। षभा कयना, भुझे भेयी बूर फताओगे तो भैं दुफाया नशीॊ करूॉ गा। प्रेतयाज ने जरते रृदम वे कशा् मशाॉ वे जाकय तूने भयने लारे को नाभ स्भयण का भागा फतामा औय अॊत वभम बी याभ नाभ कशरलामा। इववे उवका उिाय शो गमा औय भेयी फेटी कुॉ आयी यश गमी। भशात्भाजी् क्मा? सवपा एक फाय नाभ जऩ रेने वे लश प्रेतमोसन वे छू ट गमा? आऩ वच कशते शो? प्रेतयाज् शाॉ बाई ! जो भनुष्म याभ नाभजऩ कयता शैं लश याभ नाभजऩ के प्रताऩ वे कबी शभायी मोसन को प्राद्ऱ नशीॊ शोता। बगलन्नाभ जऩ भें नयकोिारयणी ळत्रक्त शैं। प्रेत के द्राया याभनाभ का मश प्रताऩ वुनकय भशात्भाजी प्रेभाश्रु फशाते शुए बाल वभासध
  • 9. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 9 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY भें रीन शो गमे। उनकी आॉखे खुरीॊ तफ लशाॉ प्रेत-वभाज नशीॊ था, फार वूमा की वुनशयी फकयणें लटलृष को ळोबामभान कय यशी थीॊ। कफीय ऩुि कभार की एक कथा शैं। एक फाय याभ नाभ के प्रबाल वे कभार द्राया एक कोढ़ी का कोढ़ दूय शो गमा। कभार वभझते शैं फक याभनाभ की भफशभा भैं जान गमा शूॉ। कभार के इव कामा वे फकॊ तु कफीय जी प्रवन्न नशीॊ शुए। कफीयजी ने कभार को तुरवीदाव जी के ऩाव बेजा। तुरवीदावजी ने तुरवी के ऩि ऩय याभनाभ सरखकय लश तुरवी ऩि जर भें डारा औय उव जर वे 500 कोफढ़मों को ठीक कय फदमा। कभान वभझ ने रगा फक तुरवीऩि ऩय एक फाय याभनाभ सरखकय उवके जर वे 500 कोफढ़मों को ठीक फकमा जा वकता शै, याभनाभ की इतनी भफशभा शैं। फकॊ तु कफीय जी इववे बी वॊतुद्श नशीॊ शुए औय उन्शोंने कभार को बेजा वॊत वूयदाव जी के ऩाव। वॊत वूयदाव जी ने गॊगा भें फशते शुए एक ळल के कान भें याभ ळब्द का के लर य काय कशा औय ळल जीत्रलत शो गमा। तफ कभार ने वोचा फक याभ ळब्द के य काय वे भुदाा जीत्रलत शो वकता शैं। मश याभ ळब्द की भफशभा शैं। तफ कफीय जी ने कशा् मश बी नशीॊ। इतनी वी भफशभा नशीॊ शै याभ ळब्द की। बृकु फट त्रलराव वृत्रद्श रम शोई। त्जवके बृकु फट त्रलराव भाि वे प्ररम शो वकता शै, उवके नाभ की भफशभा का लणान तुभ क्मा कय वकोगे? याभ नाभ भफशभा भें एक अन्म कथा: वभुरतट ऩय एक व्मत्रक्त सचॊतातुय फैठा था, इतने भें उधय वे त्रलबीऴण सनकरे। उन्शोंने उव सचॊतातुय व्मत्रक्त वे ऩूछा् क्मों बाई ! तुभ फकव फात की सचॊता भें ऩड़े शो? भुझे वभुर के उव ऩाय जाना शैं ऩयॊतु भेयें ऩाव वभुर ऩाय कयने का कोई वाधन नशीॊ शैं। अफ क्मा करूॉ भुझे इव फात की सचॊता शैं। अये बाई, इवभें इतने असधक उदाव क्मों शोते शो? ऐवा कशकय त्रलबीऴण ने एक ऩत्ते ऩय एक नाभ सरखा तथा उवकी धोती के ऩल्रू वे फाॉधते शुए कशा् इवभें भेनें तायक भॊि फाॉधा शैं। तू इद्वय ऩय श्रिा यखकय तसनक बी घफयामे त्रफना ऩानी ऩय चरते आना। अलश्म ऩाय रग जामेगा। त्रलबीऴण के लचनों ऩय त्रलद्वाव यखकय लश व्मत्रक्त वभुर की ओय आगे फढ़ने रगा। लशॊ व्मत्रक्त वागय के वीने ऩय नाचता-नाचता ऩानी ऩय चरने रगा। लश व्मत्रक्त जफ वभुर के फीचभें आमा तफ उवके भन भें वॊदेश शुआ फक त्रलबीऴण ने ऐवा कौन वा तायक भॊि सरखकय भेये ऩल्रू वे फाॉधा शैं फक भैं वभुर ऩय वयरता वे चर वकता शूॉ। इव भुझे जया देखना चाफशए। उव व्मत्रक्त ने अऩने ऩल्रू भें फॉधा शुआ ऩत्ता खोरा औय ऩढ़ा तो उव ऩय दो अषय भें के लर याभ नाभ सरखा शुआ था। याभ नाभ ऩढ़ते शी उवकी श्रिा तुयॊत शी अश्रिा भें फदर गमी् अये ! मश कोई तायक भॊि शैं ! मश तो वफवे वीधा वादा याभ नाभ शैं ! भन भें इव प्रकाय की अश्रिा उऩजते शी लश व्मत्रक्त डूफ कय भयगमा। कथा वाय: इव सरमे त्रलद्रानो ने कशाॊ शैं श्रिा औय त्रलद्वाव के भागा भें वॊदेश नशीॊ कयना चाफशए क्मोफक अत्रलद्वाव एलॊ अश्रिा ऐवी त्रलकट ऩरयत्स्थसतमाॉ सनसभात शो जाती शैं फक भॊि जऩ वे कापी ऊॉ चाई तक ऩशुॉचा शुआ वाधक बी त्रललेक के अबाल भें वॊदेशरूऩी ऴड्मॊि का सळकाय शोकय अऩना असत वयरता वे ऩतन कय फैठता शैं। इव सरमे वाधायण भनुष्म को तो वॊदेश की आॉच शी सगयाने के सरए ऩमााद्ऱ शैं। शजायों-राखों-कयोडों भॊिो की वाधना जन्भों-जन्भ की वाधना अऩने वदगुरु ऩय वॊदेश कयने भाि वे नद्श शो जाती शै। तुरवीदाव जी कशते शैं- याभ ब्रह्म ऩयभायथ रूऩा। अथाात ्: ब्रह्म ने शी ऩयभाथा के सरए याभ रूऩ धायण फकमा था। याभनाभ की औऴसध खयी सनमत वे खाम। अॊगयोग व्माऩे नशीॊ भशायोग सभट जाम।।
  • 10. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 10 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY क्मा श्राऩ के कायण सभरा याभ अलताय?  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम एक फाय सळल जी कै राव ऩलात ऩय एक त्रलळार फयगद के लृष के नीचे फाघ चभा त्रफछाकय आनन्द ऩूलाक फैठे थे। उसचत अलवय जानकय भाता ऩालाती बी लशाॉ आकय उनके ऩाव फैठ गईं। ऩालाती जी ने सळल जी वे कशा, शे नाथ! ऩूला जन्भ भें भुझे एवा भोश शो गमा था औय भैंने श्री याभ की ऩयीषा री थी। भेया लश भोश अफ वभाद्ऱ शो चुका शै फकन्तु भैं अबी बी भ्रसभत शूॉ फक मफद श्री याभ याजऩुि शैं तो ब्रह्म कै वे शो वकते शैं? आऩ कृ ऩा कयके भुझे श्री याभ की कथा वुनाएॉ औय भेये भ्रभ को दूय कयें। ऩालाती जी के प्रद्ल वे प्रवन्न शोकय सळल जी फोरे, शे ऩालाती! श्री याभचन्र जी की कथा काभधेनु के वभान वबी वुखों को प्रदान कयने लारी शैं। अत् भैं उव कथा को, त्जवे काकबुळुत्ण्ड जी ने गरुड़ को वुनामा था, उव कथा को भैं तुम्शें वुनाता शूॉ। शे वुभुत्ख! जफ-जफ धभा का ह्राव शोता शै औय देलताओॊ, ब्राह्मणों ऩय अत्माचाय कयने लारे दुद्श ल नीच असबभानी याषवों की लृत्रि शो जाती शै तफ-तफ कृ ऩा के वागय बगलान श्री त्रलष्णु बाॉसत-बाॉसत के अलताय धायण कय वज्जनों की ऩीड़ा को शयते शैं। ले अवुयों को भाय कय देलताओॊ की वत्ता को स्थात्रऩत कयते शैं। बगलान श्री त्रलष्णु का श्री याभचन्र जी के रुऩ भें अलताय रेने का बी मशी कायण शैं। उनकी कथा अत्मन्त त्रलसचि शै। भैं उनके जन्भों की कशानी तुम्शें वुनाता शूॉ। श्री शरय के जम औय त्रलजम नाभक दो त्रप्रम द्रायऩार शैं। एक फाय वनकाफद ऋत्रऴमों ने उन्शें भृत्मुरोक भें चरे जाने के सरमे ळाऩ दे फदमा। ळाऩलळ उन्शें भृत्मुरोक भें तीन फाय याषव के रूऩ भें जन्भ रेना ऩड़ा। ऩशरी फाय उनका जन्भ फशयण्मकश्मऩु औय फशयण्माष के रूऩ भें शुआ। उन दोनों के अत्माचाय फशुत असधक फढ़ जाने के कायण श्री शरय ने लयाश का ळयीय धायण कयके फशयण्माष का लध फकमा औय नयसवॊश रूऩ धायण कय के फशयण्मकश्मऩु को भाया। उन्शीॊ दोनों ने यालण औय कु म्बकणा के रूऩ भें फपय वे जन्भ सरमा औय अत्मन्त ऩयाक्रभी याषव फने। तफ कश्मऩ भुसन औय अफदसत, जो के दळयथ औय कौळल्मा के रूऩ भें अलतरयत शुए थे, का ऩुि फनकय श्री शरय ने उनका लध फकमा। एक कल्ऩ भें जरन्धय नाभक दैत्म ने वभस्त देलतागण को ऩयास्त कय फदमा तफ सळल जी ने जरन्धय वे मुि फकमा। उव दैत्म की स्त्री ऩयभ ऩसतव्रता थी अत् सळल जी बी उव दैत्म वे नशीॊ जीत वके । तफ श्री त्रलष्णु ने छरऩूलाक उव स्त्री का व्रत बॊग कय देलताओॊ का कामा फकमा। तफ उव स्त्री ने श्री त्रलष्णु को भनुष्म देश धायण कयने का ळाऩ फदमा था। श्री त्रलष्णु के श्री याभ के रूऩ भें अलतरयत शोने का एक कायण मश बी था। लशी जरन्धय दैत्म अगरे जन्भ भें यालण के रुऩ भें अलतरयत शुआ त्जवे श्री याभ ने मुि भें भाय कय ऩयभऩद प्रदान फकमा। “अन्म एक कथा के अनुवाय एक फाय नायद ने श्री त्रलष्णु को भनुष्मदेश धायण कयने का ळाऩ फदमा था त्जवके कायण श्री याभ का अलताय शुआ।” भॊि सवि धन लृत्रि वाभग्री ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे तेजस्ली भॊिों द्वाया असबभॊत्रित धनलृत्रि ऩाउडय को प्रसत फुधलाय के फदन अऩने कै ळ फोक्व, भनीऩवा आफद भें थोडा डारने वे सनयॊतय धन वॊचम शोता शैं। भूल्म 1 Box Rs- 280 GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 or Shop Online @ www.gurutvakaryalay.com
  • 11. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 11 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY धन्म तो मश रक्ष्भण शै?  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम याभजी, वीताजी औय रक्ष्भणजी जॊगर भें एक लृष के नीचे फैठे थे। उव लृष औय डारी ऩय एक रता छाई शुई थी। रता के नमी कोभर-कोभर कोंऩरें सनकर यशी थी औय कशीॊ-कशीॊ ऩय ताम्रलणा के ऩत्ते सनकर यशे थे। ऩुष्ऩ औय ऩत्तों वे रता छाई शुई थी त्जस्वे लृष की वुन्दय ळोबा फढा यशे थे। लृष फशुत शी वुशालना रग यशा था। उव लृष की ळोबा को देखकय बगलान श्रीयाभजी ने रक्ष्भण जी वे कशा, देखो रक्ष्भण ! मश रता अऩने वुन्दय-वुन्दय पर, वुगत्न्धत पू र औय शयी-शयी ऩत्रत्तमों वे इव लृष की कै वी ळोबा फढा यशी शै ! जॊगर के अन्म वफ लृषों वे मश लृष फकतना वुन्दय फदख यशा शै ! इतना शी नशीॊ, इव लृष के कायण शी वाये जॊगर की ळोबा शो यशी शै। इव रता के कायण शी ऩळु-ऩषी इव लृष का आश्रम रेते शैं। धन्म शै मश रता ! बगलान श्रीयाभ के भुख वे रता की प्रळॊवा वुनकय वीताजी रक्ष्भण वे फोरी्देखो रक्ष्भण बैमा ! तुभने ख्मार फकमा फक नशीॊ ? देखो, इव रता का ऊऩय चढ़ जाना, पू र ऩत्तों वे छा जाना, तन्तुओॊ का पै र जाना, मे वफ लृष के आसश्रत शैं, लृष के कायण शी शैं। इव रता की ळोबा बी लृष के शी कायण शै। अत् भूर भें भफशभा तो लृष की शी शै। आधाय तो लृष शी शै। लृष के वशाये त्रफना रता स्लमॊ क्मा कय वकती शै ? कै वे छा वकती शै ? अफ फोरो रक्ष्भण बैमा ! तुम्शीॊ फताओ, भफशभा लृष की शी शुई न ? लृष का वशाया ऩाकय शी रता धन्म शुई न ? याभ जी ने कशा् क्मों रक्ष्भण ! मश भफशभा तो रता की शी शुई न ? रता को ऩाकय लृष शी धन्म शुआ न ? रक्ष्भण जी फोरे् शभें तो एक तीवयी शी फात वूझती शै। वीता जी ने ऩूछा् लश क्मा शै देलय जी ? रक्ष्भणजी फोरे् न लृष धन्म शै न रता धन्म शै। धन्म तो मश रक्ष्भण शै जो आऩ दोनों की छामा भें यशता शै। बैयल जी को बगलान सळल के द्रादळ स्लरूऩ के रुऩ भें ऩूजा जाता शैं। बैयलजी को तीन स्लरुऩ फटुक बैयल, भशाकार बैयल औय स्लणााकऴाण बैयल के रुऩ भें जाना जाता शैं। त्रलद्रानों ने स्लणााकऴाण-बैयल को धन-धान्म औय वम्ऩत्रत्त के देलता भाना शै। धभाग्रॊथों भें उल्रेख सभरता शैं की आसथाक त्स्थती फदन- प्रसतफदन खयाफ शोती जायशी शो, कजा का फोझ फढ़ता जा यशा शो, वभस्मा के वभाधान शेतु कोई यास्ता न फदखाई दे यशा शो, वबी प्रकाय के ऩूजा ऩाठ, भॊि, मॊि, तॊि, मस, शलन, वाधना आफद वे कोई त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ न शो यशी शो, तफ स्लणााकऴाण बैयल जी का भॊि, मॊि, वाधना इत्माफद का आश्रम रेना चाफशए। जो व्मत्रक्त स्लणााकऴाण बैयल की वाधना, भॊि जऩ आफद को कयने भें अवभथा शो लश रोग स्लणााकऴाण बैयल कलच को धायण कय त्रलळेऴा राब प्राद्ऱ कय वकते शैं। स्लणााकऴाण बैयल कलच को धन प्रासद्ऱ के सरए अचूक औय अत्मॊत प्रबालळारी भाना जाता शैं। स्लणााकऴाण बैयल कलच धायण कताा की वबी प्रकाय की आसथाक वभस्माओॊ को वभाद्ऱ कयने भें वभथा शैं। इवभें जया बी वॊदेश नशीॊ शैं। इव करमुग भें त्जव प्रकाय भृत्मु बम के सनलायण शेतु भशाभृत्मुॊजम कलच अभोघ शै उवी प्रकाय आसथाक वभस्माओॊ के वभाधान शेतु स्लणााकऴाण बैयल कलच अभोघ भाना गमा शैं। धासभाक भान्मताओॊ के अनुळाय ऐवा भाना जाता शैं की बैयलजी की ऩूजा-उऩावना श्रीगणेळ, त्रलष्णु, चॊरभा, कु फेय आफद देलताओॊ ने बी फक थी, बैयल उऩावना के प्रबाल वे बगलान त्रलष्णु रक्ष्भीऩसत फने थे, त्रलसबन्न अप्वयाओॊ को वौबाग्म सभरने का उल्रेख धभाग्रॊथो भें सभरता शैं। मफश कायण शैं की स्लणााकऴाण बैयल कलच आसथाक वभस्माओॊ के वभाधान शेतु अत्मॊत राबप्रद शैं। इव कलच को धायण कयने वे वबी प्रकाय वे आसथाक राब की प्रासद्ऱ शोती शैं। भूल्म Rs.4600
  • 12. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 12 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY जफ कफीयजी को सभरी याभ भॊि दीषा?  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम वॊत कफीय फकवी ऩशुचे शुए गुरु वे भॊिदीषा प्राद्ऱ कयना चाशते थे। उव वभम काळी भें याभानॊद स्लाभी फड़े उच्च कोफट के भशाऩुरुऴ भाने जाते थे। कफीय जी ने उनके आश्रभ के भुख्म द्राय ऩय आकय द्रायऩार वे त्रलनती की् भुझे गुरुजी के दळान कया दो। उव वभम जात-ऩाॉत का फड़ा फोरफारा था। औय फपय काळी जैवी ऩालन नगयी भें ऩॊफडतों औय ऩॊडे रोगों का असधक प्रबाल था। कफीयजी फकवके घय ऩैदा शुए थे – फशॊदू के मा भुवसरभ के ? कु छ ऩता नशीॊ था। कफीय जी एक जुराशे को ताराफ के फकनाये सभरे थे। उवने कफीय जी का ऩारन-ऩोऴण कयके उन्शें फड़ा फकमा था। जुराशे के घय फड़े शुए तो जुराशे का धॊधा कयने रगे। रोग भानते थे फक कफीय जी भुवरभान की वॊतान शैं। द्रायऩारों ने कफीयजी को आश्रभ भें नशीॊ जाने फदमा। कफीय जी ने वोचा फक अगय ऩशुॉचे शुए भशात्भा वे गुरुभॊि नशीॊ सभरा तो भनभानी वाधना वे शरय के दाव फन वकते शैं ऩय शरयभम नशीॊ फन वकते। कै वे बी कयके भुझे याभानॊद जी भशायाज वे शी भॊिदीषा रेनी शै। कफीयजी ने देखा फक स्लाभी याभानॊदजी शययोज वुफश 3-4 फजे खड़ाऊॉ ऩशन कय टऩ...टऩ आलाज कयते शुए गॊगा भें स्नान कयने जाते शैं। कफीय जी ने गॊगा के घाट ऩय उनके जाने के यास्ते भें वफ जगश फाड़ कय दी औय आने-जाने का एक शी भागा यखा। उव भागा भें वुफश के अॉधेये भें कफीय जी वो गमे। गुरु भशायाज आमे तो अॉधेये के कायण स्लाभी याभानॊदजी का कफीयजी ऩय ऩैय ऩड़ गमा। उनके भुख वे स्लत् उदगाय सनकर ऩड़े् याभ..... याभ...! कफीयजी का तो काभ फन गमा। गुरुजी के दळान बी शो गमे, उनकी ऩादुकाओॊ का स्ऩळा तथा गुरुभुख वे याभ भॊि बी सभर गमा। गुरुदीषा के फाद अफ दीषा भें फाकी शी क्मा यशा? कफीय जी नाचते, गुनगुनाते घय लाऩव आमे। याभ नाभ की औय गुरुदेल के नाभ की यट रगा दी। अत्मॊत स्नेशऩूणा रृदम वे गुरुभॊि का जऩ कयते, गुरुनाभ का कीतान कयते शुए वाधना कयने रगे। फदनोंफदन कफीय जी भस्ती फढ़ने रगी। काळी के ऩॊफडतों ने देखा फक मलन का ऩुि कफीय याभ नाभ जऩता शैं, स्लाभी याभानॊद के नाभ का कीतान कयता शैं। उव मलन को याभ नाभ की दीषा फकवने दी? क्मों दी? उवने भॊि को भ्रद्श कय फदमा ! ऩॊफडतों ने कफीय जी वे ऩूछा् तुभको याभनाभ की दीषा फकवने दी? कफीयजी फोरे, स्लाभी याभानॊदजी भशायाज के श्रीभुख वे सभरी। ऩॊफडतों ने फपय ऩूछा् कशाॉ दी दीषा?, कफीयजी फोरे, गॊगा के घाट ऩय। ऩॊफडत ऩशुॉचे याभानॊदजी के ऩाव् आऩने मलन को याभभॊि की दीषा देकय भॊि को भ्रद्श कय फदमा, वम्प्रदाम को भ्रद्श कय फदमा। गुरु भशायाज ! मश आऩने क्मा फकमा? गुरु भशायाज ने कशा् भैंने तो फकवी को दीषा नशीॊ दी। लश मलन जुराशा तो याभानॊद..... याभानॊद..... भेये गुरुदेल याभानॊद...की यट रगाकय नाचता शैं, आऩका नाभ फदनाभ कयता शैं। याभानॊदजी फोरे बाई ! भैंने तो उवको कु छ नशीॊ कशा। उवको फुरा कय ऩूछा जाम। ऩता चर जामगा। काळी के ऩॊफडत इकट्ठे शो गमे। जुराशा वच्चा फक याभानॊदजी वच्चे मश देखने के सरए बीड़ इक्कठी शो गमी। कफीय जी को फुरामा गमा। गुरु भशायाज भॊच ऩय त्रलयाजभान शैं। वाभने त्रलद्रान ऩॊफडतों की वबा शैं। याभानॊदजी ने कफीय वे ऩूछा् भैंने तुम्शें कफ दीषा दी? भैं कफ तेया गुरु फना? कफीयजी फोरे् भशायाज ! उव फदन प्रबात को आऩने भुझे ऩादुका-स्ऩळा कयामा औय याभभॊि बी फदमा, लशाॉ गॊगा के घाट ऩय। याभानॊद स्लाभी ने कफीयजी के सवय ऩय धीये वे खड़ाऊॉ भायते शुए कशा् याभ... याभ.. याभ.... भुझे झूठा फनाता शै? गॊगा के घाट ऩय भैंने तुझे कफ दीषा दी थी ? कफीयजी फोर उठे् गुरु भशायाज ! तफ की दीषा झूठी तो अफ की तो वच्ची....! भुख वे याभ नाभ का भॊि बी सभर गमा औय सवय ऩय आऩकी ऩालन ऩादुका का स्ऩळा बी शो गमा। स्लाभी याभानॊदजी उच्च कोफट के वॊत भशात्भा थे। उन्शोंने ऩॊफडतों वे कशा् चरो, मलन शो मा कु छ बी शो, भेया ऩशरे नॊफय का सळष्म मशी शै।
  • 13. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 13 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY जफ बक्त के सरमे स्लमॊ बगलान भयने को तैमाय शोते शैं?  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम एक प्रवॊग के अनुळाय जफ त्रलबीऴण बगलान श्रीयाभ के चयणों की ळयण भें शो जाता शै, तफ बगलान श्रीयाभ त्रलबीऴण के दोऴों को अऩने शी दोऴ भानते शैं। एक वभम त्रलबीऴण वभुर राॊघ कय वभुर के दूवये छोय ऩय आमे। लशाॉ त्रलप्रघोऴ नाभक गाॉल भें उनवे असात शी एक ब्रह्मशत्मा शो गई। जफ फाकी के गाॉल लारो को इव फात का ऩता रगा तो लशाॉ के वबी ब्राह्मणों ने इकट्ठे शोकय त्रलबीऴण को खूफ भाया-ऩीटा, ऩय त्रलबीऴण भये नशीॊ। फपय ब्राह्मणों ने त्रलबीऴण को जॊजीयों वे फाॉधकय जभीन के बीतय एक गुपा भें रे जाकय फॊध कय फदमा। जफ बगलान श्रीयाभ को ऩता रगा की तो श्रीयाभ जी ऩुष्ऩक त्रलभान के द्राया तत्कार, गाॉल भें ऩशुॉचे। ब्राह्मणों ने याभ जी का फशुत आदय-वत्काय फकमा औय कशा फक, भशायाज ! इवने ब्रह्मशत्मा कय दी शै। इवको शभने फशुत भाया, ऩय मश भया नशीॊ। बगलान याभ ने कशा् शे ब्राह्मणों ! त्रलबीऴण को भैंने कल्ऩ तक की आमु औय याज्म दे यखा शैं, लश कै वे भाया जा वकता शै ! औय उवको भायने की जरूयत शी क्मा शैं? लश तो भेया बक्त शैं। भेयें बक्त के सरए भैं स्लमॊ भयने को तैमाय शूॉ। शभाये मशाॉ त्रलधान शै फक दाव के अऩयाध की त्जम्भेलायी उवके स्लाभी ऩय शोती शैं। स्लाभी शी उवके दण्ड का ऩाि शोता शैं। इवसरए त्रलबीऴण के फदरे आऩ रोग भेयें को शी दण्ड दें। बगलान की मश ळयणागत लत्वरता देखकय वफ ब्राह्मण आद्ळमा कयने रगे औय उन वफ ने उवी षण बगलान श्रीयाभ की ळयण रे री। भाॊगसरक मोग सनलायण कलच जन्भ रग्न वे प्रथभ, फद्रतीम, चतुथा, वद्ऱभ, अद्शभ मा द्रादळ स्थान भे भॊगर त्स्थत शोने ऩय भॊगर दोऴ मा कु ज दोऴ अथाात भाॊगसरक मोग का सनभााण शोता शैं। कु छ आचामों के अनुवाय रग्न के असतरयक्त भॊगरी दोऴ चन्र रग्न, ळुक्र मा वद्ऱभेळ वे इन्शीॊ स्थानो भें भॊगर त्स्थत शोने ऩय बी शोता शैं। ळास्त्रोक्त भान्मता के अनुळाय भॊगरी मोग लैलाफशक जीलन को त्रलसबन्न प्रकाय वे प्रबात्रलत कयता शै, त्रललाश भे त्रलघ्न, त्रलरम्फ, व्मलधान मा धोखा, त्रललाशोऩयान्त दम्ऩसत भे वे फकवी एक अथला दोनाको ळायीरयक, भानसवक अथला आसथाक कद्श, ऩायस्ऩरयक भन-भुटाल, लाद-त्रललाद तथा त्रललाश-त्रलच्छेद। अगय दोऴ अत्मसधक प्रफर शुआ तो दोना अथला फकवी एक की भृत्मु का बम यशता शै। कुॊ डरी भें मफद भॊगरी मोग शो तो उस्वे बमबीत मा आतॊफकत नशीॊ शोना चाफशमे। प्रमाव मश कयना चाफशमे फक भॊगरी जातक का त्रललाश भॊगरी जातक वे शी शो मफद भाॊगसरक मोग के कायण त्रललाश भें त्रलरॊफ शो यशा शो तो भाॊगसरक मोग सनलायण कलच को धायण कयने वे त्रललाश वॊफॊसधत वभस्माओॊ का सनलायण शोता शैं। भूल्म Rs.1450 GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com
  • 14. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 14 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY श्री याभ ळराका प्रद्लालरी  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम वु प्र उ त्रफ शो भु ग फ वु नु त्रफ घ सध इ द य रु प सव सव यें फव शै भॊ र न र म न अॊ वुज वो ग वु कु भ व ग त न ई र धा फे नो त्म य न कु जो भ रय य य अ की शो वॊ या म ऩु वु थ वी जै इ ग भ वॊ क ये शो व व सन त य त य व शुॉ श फ फ ऩ सच व म व तु भ का ाा य य भा सभ भी म्शा ाा जा शू शीॊ ाा जू ता या ये यी ह्र का प खा त्ज ई य या ऩू द र सन को सभ गो न भ त्ज म ने भसन क ज ऩ व र फश या सभ वभ रय ग द न ख भ त्ख त्ज सन त जॊ सवॊ भु न न कौ सभ ज य ग धु ख वु का व य गु क भ अ ध सन भ र ाा न फ ती न रय ब ना ऩु ल अ ढ़ा य र का ए तू य न नु ल थ सव श वु म्श य य व फशॊ य त न ख ाा ाा ाा य वा ाा रा धी ाा यी जा शू शीॊ ऴा जू ई या ये त्रलसध- श्रीयाभचन्रजी का ध्मान कय अऩने प्रद्ल को भन भें दोशयामें। फपय ऊऩय दी गई वायणी भें वे फकवी एक अषय अॊगुरी यखें। अफ उववे अगरे अषय वे क्रभळ् नौलाॊ अषय सरखते जामें जफ तक ऩुन् उवी जगश नशीॊ ऩशुॉच जामें। इव प्रकाय एक चौऩाई फनेगी, जो अबीद्श प्रद्ल का उत्तय शोगी। मशाॊ शभने आऩकी अनुकू रता शेतु नौले अषय के कोद्शक को एक वभान यॊग भें यॊगने का प्रमाव फकमा शैं त्जववे आऩको शय नौले अषयको सगनती कयने की आलश्मक्ता न यशें आऩ वीधे एक वभान यॊगो के कोद्शक भें रीखे अषयोको सभरारे/सरख रे औय जो चौऩाई फने उव चौऩाई को बी देखने भें आऩको आवानी शो इव उदेश्म वे उवी यॊग भें यॊगने का प्रमाव फकमा शैं।
  • 15. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 15 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY 1 वुनु सवम वत्म अवीव शभायी। ऩूत्जफश भन काभना तुम्शायी। पर् -प्रद्लकत्ताा का प्रद्ल उत्तभ शै, कामा सवि शोगा। मश चौऩाई फारकाण्ड भें श्रीवीताजी के गौयीऩूजन के प्रवॊग भें शै। गौयीजी ने श्रीवीताजी को आळीलााद फदमा शै। 2 प्रत्रफसव नगय कीजै वफ काजा। रृदम यात्ख कोवरऩुय याजा। पर्-बगलान ् का स्भयण कयके कामाायम्ब कयो, वपरता सभरेगी। मश चौऩाई वुन्दयकाण्ड भें शनुभानजी के रॊका भें प्रलेळ कयने के वभम की शै। 3 उघयें अॊत न शोइ सनफाशू। कारनेसभ त्जसभ यालन याशू।। पर्-इव कामा भें बराई नशीॊ शै। कामा की वपरता भें वन्देश शै। मश चौऩाई फारकाण्ड के आयम्ब भें वत्वॊग-लणान के प्रवॊग भें शै। 4 त्रफसध फव वुजन कु वॊगत ऩयशीॊ। पसन भसन वभ सनज गुन अनुवयशीॊ।। पर्-खोटे भनुष्मों का वॊग छोड़ दो। कामा की वपरता भें वन्देश शै। मश चौऩाई फारकाण्ड के आयम्ब भें वत्वॊग-लणान के प्रवॊग भें शै। 5 शोइ शै वोई जो याभ यसच याखा। को करय तयक फढ़ालफशॊ वाऴा।। पर्-कामा शोने भें वन्देश शै, अत् उवे बगलान ् ऩय छोड़ देना श्रेमष्कय शै। मश चौऩाई फारकाण्डान्तगात सळल औय ऩालाती के वॊलाद भें शै। 6 भुद भॊगरभम वॊत वभाजू। त्जसभ जग जॊगभ तीयथ याजू।। पर्-प्रद्ल उत्तभ शै। कामा सवि शोगा। मश चौऩाई फारकाण्ड भें वॊत-वभाजरुऩी तीथा के लणान भें शै। 7 गयर वुधा रयऩु कयम सभताई। गोऩद सवॊधु अनर सवतराई।। पर्-प्रद्ल फशुत श्रेद्ष शै। कामा वपर शोगा। मश चौऩाई श्रीशनुभान ् जी के रॊका प्रलेळ कयने के वभम की शै। 8 फरुन कु फेय वुयेव वभीया। यन वनभुख धरय काश न धीया।। पर्-कामा ऩूणा शोने भें वन्देश शै। मश चौऩाई रॊकाकाण्ड भें यालन की भृत्मु के ऩद्ळात ् भन्दोदयी के त्रलराऩ के प्रवॊग भें शै। 9 वुपर भनोयथ शोशुॉ तुम्शाये। याभ रखनु वुसन बए वुखाये।। पर्-प्रद्ल फशुत उत्तभ शै। कामा सवि शोगा। मश चौऩाई फारकाण्ड ऩुष्ऩलाफटका वे ऩुष्ऩ राने ऩय त्रलद्वासभिजी का आळीलााद शै।
  • 16. eगुरुत्ल ज्मोसतऴ 16 अप्रैर 2020 © GURUTVA JYOTISH | © Articles Copyright Rights Reserved By GURUTVA KARYALAY जफ श्रीयाभ ने फकम त्रलजमा एकादळी व्रत?  वॊकरन गुरुत्ल कामाारम एक फाय मुसधत्रद्षय ने श्री कृ ष्ण वे ऩूछा शे प्रबु पाल्गुन (गुजयात-भशायाद्स भें भाघ) के कृ ष्णऩष को फकव नाभ की एकादळी शोती शैं औय उवका व्रत कयने की त्रलसध क्मा शैं? कृ ऩा कयके फताइमे । पाल्गुन के कृ ष्णऩष की एकादळी को „त्रलजमा एकादळी‟ के नाभ वे जाना जाता शैं। बगलान श्रीकृ ष्ण ऩुन् फोरे: मुसधत्रद्षय ! एक फाय नायदजी ने ब्रह्माजी वे पाल्गुन के कृ ष्णऩष की „त्रलजमा एकादळी‟ के व्रत वे शोनेलारे ऩुण्म के फाये भें ऩूछा था तथा ब्रह्माजी ने इव व्रत के फाये भें नायदजी को जो कथा औय त्रलसध फतामी थी, उवे वुनो : ब्रह्माजी ने कशा : नायद ! मश व्रत फशुत शी प्राचीन, ऩत्रलि औय ऩाऩ नाळक शैं । मश एकादळी याजाओॊ को त्रलजम प्रदान कयती शैं, इवभें तसनक बी वॊदेश नशीॊ शैं । िेतामुग भें भमाादा ऩुरुऴोत्तभ श्रीयाभचन्रजी जफ रॊका ऩय चढ़ाई कयने के सरए वभुर के फकनाये ऩशुॉचे, तफ उन्शें वभुर को ऩाय कयने का कोईउऩाम नशीॊ वूझ यशा था । उन्शोंने रक्ष्भणजी वे ऩूछा : „वुसभिानन्दन ! फकव उऩाम वे इव वभुर को ऩाय फकमा जा वकता शै ? मश अत्मन्त अगाध औय बमॊकय जर जन्तुओॊ वे बया शुआ शै । भुझे ऐवा कोई उऩाम नशीॊ फदखामी देता, त्जववे इवको वुगभता वे ऩाय फकमा जा वके । रक्ष्भणजी फोरे : शे प्रबु ! आऩ शी आफददेल औय ऩुयाण ऩुरुऴ ऩुरुऴोत्तभ शैं । आऩवे क्मा सछऩा शैं? मशाॉ वे आधे मोजन की दूयी ऩय कु भायी द्रीऩ भें फकदाल््म नाभक भुसन यशते शैं । आऩ उन त्रलद्रान भुनीद्वय के ऩाव जाकय उन्शीॊवे इवका उऩाम ऩूसछमे । श्रीयाभचन्रजी भशाभुसन फकदाल््म के आश्रभ ऩशुॉचे औय उन्शोंने भुसन को प्रणाभ फकमा । भशत्रऴा ने प्रवन्न शोकय श्रीयाभजी के आगभन का कायण ऩूछा । श्रीयाभचन्रजी फोरे : ब्रह्मन ् ! भैं रॊका ऩय चढ़ाई कयने के उिेश्म वे अऩनी वेनावफशत मशाॉ आमा शूॉ । भुने ! अफ त्जव प्रकाय वभुर ऩाय फकमा जा वके , कृ ऩा कयके लश उऩाम फताइमे । फकदाल्बम भुसन ने कशा : शे श्रीयाभजी ! पाल्गुन के कृ ष्णऩष भें जो „त्रलजमा‟ नाभ की एकादळी शोती शै, उवका व्रत कयने वे आऩकी त्रलजम शोगी। सनद्ळम शी आऩ अऩनी लानय वेना के वाथ वभुर को ऩाय कय रेंगे । याजन ् ! अफ इव व्रत की परदामक त्रलसध वुसनमे : एकादळी के एक फदन ऩूला दळभी के फदन वोने, चाॉदी, ताॉफे अथला सभट्टी का एक करळ स्थात्रऩत कय उव करळ को जर वे बयकय उवभें ऩल्रल डार दें । उव करळ के ऊऩय बगलान नायामण के वुलणाभम त्रलग्रश की स्थाऩना कयें । फपय एकादळी के फदन प्रात: कार स्नान कयें । करळ को ऩुन: स्थात्रऩत कयें । भारा, चन्दन, वुऩायी तथा नारयमर आफद के द्राया त्रलळेऴ रुऩ वे उवका ऩूजन कयें । करळ के ऊऩय वद्ऱधान्म औय जौ यखें । गन्ध,