1. योग – उत्पत्ति, उद्देश्य, अर्थ और पररभाषा
Yog – Origin, Aim, Meaning n Definition
Ghantali
Mitra
Mandal
Ghatkopar
Diploma
in Yoga -27
8th July 2021
2.
3. योग शब्द का अर्थ
योग की उत्पत्ति संस्कृ त शब्द ‘युज’ से
हुई है ।
उसका अर्थ जोड़ना, संयोग, इकट्ठा
करना होता है ।
योग शब्द का दूसरा अर्थ है एकीकरण
यात्तन त्तिलन ।
4. योग शब्द का अर्थ
आत्िा से परिात्िा
जीवात्िा से त्तशवात्िा (individual soul
to supreme souls)
व्यत्ति चैतन्य से त्तदव्य चैतन्य (individual
consciousness to cosmic
consciousness)
5. योग शब्द का अर्थ
परिात्िा का पररचय कै से करेंगे
6. योग की उत्पत्ति
• श्री कृ ष्ण
• त्तहरण्यगर्थ
• र्गवान शंकर
• पतंजत्तल िुत्तन
14. योग का उद्देश्य
• योग का एकिात्र उद्देश्य आत्िा-परिात्िा के त्तिलन
द्वारा सिात्ति की अवस्र्ा को प्राि करना है।
• योग का उद्धेश्य हिारे जीवन का सिग्र त्तवकास
करना है।
• सिग्र का ितलब सवाांगी
• सवाांगी त्तवकास से तात्पयथ यहााँ शारीररक,
िानत्तसक, र्ावत्तनक, आध्यात्तत्िक व सािात्तजक
त्तवकास से है। योग जीवन जीने की कला है।
15. योग का उद्देश्य
• पदार्थज्ञान
• आत्िज्ञान
शारीररक क्षिता िानत्तसक त्तस्र्रता
र्ावत्तनक शांतता
आध्यात्तत्िक
(आत्िोन्नत्तत)
16. योग का उद्देश्य
• योग के िूल उद्देश्य को त्तबना त्तवसरे योग
सािना करे
17. जीवात्ि परिात्ि संयोगो योग ।
आत्िा का परिात्िा से जो संयोग होता है उसे
योग कहते है |
योग की पररभाषा
बृहदायोगयाज्ञवल््यस्िृत्तत
18. योगेनात्िदशथनि् ।
आत्िा का सतत दशथन करने को ही योग
कहते है |
Self if realized by the means of Yoga
बृहदायोगयाज्ञवल््यस्िृत्तत
योग की पररभाषा
19. सित्वं योग उच्यते । (2-48)
सि र्ाव िें जब बुत्तद्ध ठहरती है उसे योग
कहते है |
The equanimity is Yoga
गीता में योग की पररभाषा
20. योग किथसु कौशलि् ।(2-50)
किथ करने की कु शलता को योग कहते है |
Excellence in Action is Yoga
गीता में योग की पररभाषा
21. योगो र्वत्तत दु:खहा । (6-17)
दु ख के नाश को योग कहते है |
Destroyer of sorrow is Yoga
गीता में योग की पररभाषा
22. ‘योगत्तििवृत्ति त्तनरोि:’ । (1-2)
त्तचि िें जब वृत्तिओंका त्तनिाथण होना बंद
होता है उसे योग कहते है |
YOGA IS THE CESSATION OF MIND
पातंजल योग सूत्र
23. िन: प्रशिन उपाय: इत्तत योग: ।
िन को शांत करने का उपाय यत्तद हिें आ
जाये तो उसे योग कहते है |
Technique to calming down
the mind is Yoga
योग वात्तसष्ठ
24. संसारोिरणे युत्त्तयोगशब्देन कययते ।
संसार सागर से पार होने की युत्तकत का नाि ही
योग है |
To overcome the difficulties of the
worldly life is called Yoga
योग वात्तसष्ठ
25. तां योगत्तित्तत िन्यन्ते त्तस्र्रात्तित्तन्रय िारणाि् ।
ईत्तन्रयााँ, िन और बुत्तद्ध की त्तस्र्र अवस्र्ा को ही
योग कहते है |
The Steady holding of organs, mind and
intellect together is called Yoga
कठोपत्तिषद
26. ‘यदा पंचावत्ततष्ठन्ते ज्ञानात्तन िनसासह ।
बुत्तद्धि न त्तवचेित्तत तािाहु: परिांगत्तति् ।।
जब िन के सत्तहत पांचों ज्ञानेत्तरयां र्लीर्ांत्तत
त्तस्र्र हो जाती हैं और बुत्तद्ध र्ी त्तकसी प्रकार की
चेिा नहीं करती उस त्तस्र्त्तत को ( योगी)
परिगत्तत कहते हैं।
कठोपत्तिषद
27. ‘यदा पंचावत्ततष्ठन्ते ज्ञानात्तन िनसासह ।
बुत्तद्धि न त्तवचेित्तत तािाहु: परिां गत्तति् ।।
When five sensory organs along with
mind become steady and intellect also
recoils from various objects of senses
and rests in the highest bliss, that state
is called the ultimate state of Yoga,
namely, Samadhi
कठोपत्तिषद
28. योग: सिात्ति ।
सिात्ति अवस्र्ा प्राि करने को योग कहते है |
Yoga means absorption
(व्यास भाष्य )
29. योगेन योग: ज्ञातव्य: ।
योग को योग से ही जाना जा सकता है |
सािन र्ी योग है साध्य र्ी योग है |
Yoga should be known through Yoga
(व्यास भाष्य )
30. स्वामी सत्यािंद
Yoga is usually defined as union,
union between the limited self (Jiva)
and cosmic self (Atman) actually
speaking, we are not separated from
cosmic consciousness. We actually
are cosmic consciousness. So we can
say that yoga is not really union it is
in fact realization of the union
already existing.
31. स्वामी त्तशवािंद
Yoga is integration and harmony
between thoughts, words and
deeds or integration between
head, heart and hands.