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02/02/14

संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
02/02/14

धा- तु क्या-  है ?
ियाक्रिया-  क्या-  है ?
ियाक्रिया-  की पिरिभा- षा- 
ियाक्रिया-  के प्रका- रि

संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
02/02/14

आओ पहले
कु छ तस्वीरिें
देखें
संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
02/02/14

बा- लक खेल रिहा-  है |

संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
02/02/14

मा- या-  गृह का- यर करि रिही है |

संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
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ट्रे क् टरि खेत में है |

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02/02/14

िशिक्षक पढ़ा रहा है |

संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

मजदू र खोद रहा है |

संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

फू ल िखल रहे हैं |

संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

ज़रा उभरे हुए शिब्दो को ध्यान से देखेबालक खेल रहा है |
माया गृह कायर कर रही

िशिक्षक पढ़ा रहा

है |
मजदू र खोद रहा
है |
इन वाकयो मेहै |
ट्रे क टर खेत मे है |

‘खेल रहा है ’, ‘पढ़ा रहा है ’, ‘गृह कायर कर रही है ’, ‘खोद रहा है ’ आिद
फू ल िखल रहे हैं |
कायर
पयतपूव रक िकए जा रहे हैं |



जबिक ‘िखल रहे हैं ’ िकया अनायास हो रही है |
‘है ’ मे िकया की िसथित का बोध है |

संकलनकतार- पंक ज गुप्त ा , भाषाध्यापक

अत : ये िकया के उदाहरण हैं |
02/02/14

अत: िकया की पिरभाषा
िजन शिब्दो से िकसी कायर के

होने, करने अथवा िकसी िसथित
का बोध हो, उनहे िकया कहते हैं |
संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

धातु
िकया के मूल अंशि ो को धातु कहते हैं |जैस े-

पढ़, िलख, हँ स , चल, गा, सो,
खेल , दे ख , सुन , जा, आ, बैठ , रो
आिद |
संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

धातु
ये िविभन िकयाओ के मूल रप है |

इनसे अनय अनेक िकयाएँ बनती है |
जैस े- ‘िलख ’ से –
िलखा, िलखता, िलखते, िलखती, िलखूं,
िलखूंग ा, िलखेग े, िलखी थी आिद |
संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

मूल धातु की पहचान
मूल धातु आजाथरक रप मे ‘तू’ के साथ पयुक

होती है |
उदाहरणतया —
तू खा, तू पढ़, तू िलख, तू जा,
तू हँस, तू काट, तू उड़ आिद |

इस पकार मूल धातुओ की पहचान- पंहोगुप्तसकती
संकलनकतार कज ा, भाषाध्यापक
02/02/14

संक लनकतार- पंक ज गुप्त ा , भाषाध्यापक

िकया के सामानय रप
मूल धातु मे ‘ना ’ पतयय जोड़कर िकया के

सामानय रप बनाये जाते है |
उ दाहरणतया —
पढ़+ना – पढ़ना
खेल+ना – खेलना
हँस+ना – हँसना ........
जाना, रोना, पीना, काटना, उड़ना आिद |
02/02/14

िकया के भेद /पकार

संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

अकमरक िकया

िजस िकया का फल कमर पर नही , कतार पर पड़ता है , उसे
अकमरक िकया कहते है |

जैस े




मोर नाचता है |
अिवनाश हँ स ता है |

इनमे कमश: नाचना और हँ स ना िकया मे िकसी कमर की आवशयकता नही है |ये
सीधे-सीधे अपने कतार पदो से समबिनधत है |नाचने और हँ स ने का आधार
कमश: मोर और अिवनाश है |
दू स रे शबदो मे अकमरक िकया मे िकसी कमर की आवशयकता नही होती |
संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

सकमरक िकया

िजस िकया का फल कमर पर पड़ता है , तथा िजसके पयोग मे कमर
की अिनवायरत ा बनी रहती है , उसे अकमरक िकया कहते है |

जैस े

अनुर ाग ने फल खरीदे |

यहाँ खरीदे िकया का पभाव फल पर पड़ रहा है | फल कमर के िबना
खरीदे िकया पूण र
सपष अथर नही दे त ी |अत: खरीदे सकमरक िकया है |

एक अनय उदाहरण दे ख े 
अिवनाश कु ते को दू ध िपलाता है |

यहाँ िपलाता िकया के दो कमर है – कु ता (सजीव) और दू ध (िनजीव) |
ऐसे मे सकमरक िकया िदकमरक िकया कहलाती है |
संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
02/02/14

संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक

पेर णाथरक िकया

िजन िकयाओ का कतार सवयं कायर न करके
िकसी दु स रे को पेि रत कर के काम करवाए ,
उनहे पेर णाथरक िकया कहते है |इनमे दो
कतार होते है |
जैस े

िपता ने पुत से सनदे श िभजवाया |
इनमे पहला कतार पेर क (िपता) तथा दू स रा कतार (पुत ) पेि रत है
02/02/14

पेर णाथरक िकया के दो रप
पथम पेर णाथरक

िदतीय

जब कतार सवयं भी कायर मे
पेर णाथरक
सिम्मिलत होता हुआ पेरणा
जब कतार सवयं भी कायर न
देता है |
करके दुसरे को कायर करने
जैसेपेरणा देता है |
वह सबको गीत सुनाता है |
जैसेमॉनिनटर अध्यापक से छातों को
संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
िपटवाता है |
अभयास करे ,
अभयसत रहे |
संक लनकतारपंक ज गुप्त ा,
भाषाध्यापक

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  • 1. 02/02/14 संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
  • 2. 02/02/14 धा- तु क्या- है ? ियाक्रिया- क्या- है ? ियाक्रिया- की पिरिभा- षा- ियाक्रिया- के प्रका- रि संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
  • 3. 02/02/14 आओ पहले कु छ तस्वीरिें देखें संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
  • 4. 02/02/14 बा- लक खेल रिहा- है | संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
  • 5. 02/02/14 मा- या- गृह का- यर करि रिही है | संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
  • 6. 02/02/14 ट्रे क् टरि खेत में है | संकलनकता- र- पंकज गुप्ता- , भा- षा- ध्या- पक
  • 7. 02/02/14 िशिक्षक पढ़ा रहा है | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 8. 02/02/14 मजदू र खोद रहा है | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 9. 02/02/14 फू ल िखल रहे हैं | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 10. 02/02/14 ज़रा उभरे हुए शिब्दो को ध्यान से देखेबालक खेल रहा है | माया गृह कायर कर रही िशिक्षक पढ़ा रहा है | मजदू र खोद रहा है | इन वाकयो मेहै | ट्रे क टर खेत मे है |  ‘खेल रहा है ’, ‘पढ़ा रहा है ’, ‘गृह कायर कर रही है ’, ‘खोद रहा है ’ आिद फू ल िखल रहे हैं | कायर पयतपूव रक िकए जा रहे हैं |   जबिक ‘िखल रहे हैं ’ िकया अनायास हो रही है | ‘है ’ मे िकया की िसथित का बोध है | संकलनकतार- पंक ज गुप्त ा , भाषाध्यापक अत : ये िकया के उदाहरण हैं |
  • 11. 02/02/14 अत: िकया की पिरभाषा िजन शिब्दो से िकसी कायर के होने, करने अथवा िकसी िसथित का बोध हो, उनहे िकया कहते हैं | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 12. 02/02/14 धातु िकया के मूल अंशि ो को धातु कहते हैं |जैस े- पढ़, िलख, हँ स , चल, गा, सो, खेल , दे ख , सुन , जा, आ, बैठ , रो आिद | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 13. 02/02/14 धातु ये िविभन िकयाओ के मूल रप है | इनसे अनय अनेक िकयाएँ बनती है | जैस े- ‘िलख ’ से – िलखा, िलखता, िलखते, िलखती, िलखूं, िलखूंग ा, िलखेग े, िलखी थी आिद | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 14. 02/02/14 मूल धातु की पहचान मूल धातु आजाथरक रप मे ‘तू’ के साथ पयुक होती है | उदाहरणतया — तू खा, तू पढ़, तू िलख, तू जा, तू हँस, तू काट, तू उड़ आिद | इस पकार मूल धातुओ की पहचान- पंहोगुप्तसकती संकलनकतार कज ा, भाषाध्यापक
  • 15. 02/02/14 संक लनकतार- पंक ज गुप्त ा , भाषाध्यापक िकया के सामानय रप मूल धातु मे ‘ना ’ पतयय जोड़कर िकया के सामानय रप बनाये जाते है | उ दाहरणतया — पढ़+ना – पढ़ना खेल+ना – खेलना हँस+ना – हँसना ........ जाना, रोना, पीना, काटना, उड़ना आिद |
  • 16. 02/02/14 िकया के भेद /पकार संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 17. 02/02/14 अकमरक िकया िजस िकया का फल कमर पर नही , कतार पर पड़ता है , उसे अकमरक िकया कहते है | जैस े   मोर नाचता है | अिवनाश हँ स ता है | इनमे कमश: नाचना और हँ स ना िकया मे िकसी कमर की आवशयकता नही है |ये सीधे-सीधे अपने कतार पदो से समबिनधत है |नाचने और हँ स ने का आधार कमश: मोर और अिवनाश है | दू स रे शबदो मे अकमरक िकया मे िकसी कमर की आवशयकता नही होती | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 18. 02/02/14 सकमरक िकया िजस िकया का फल कमर पर पड़ता है , तथा िजसके पयोग मे कमर की अिनवायरत ा बनी रहती है , उसे अकमरक िकया कहते है | जैस े अनुर ाग ने फल खरीदे | यहाँ खरीदे िकया का पभाव फल पर पड़ रहा है | फल कमर के िबना खरीदे िकया पूण र सपष अथर नही दे त ी |अत: खरीदे सकमरक िकया है | एक अनय उदाहरण दे ख े  अिवनाश कु ते को दू ध िपलाता है | यहाँ िपलाता िकया के दो कमर है – कु ता (सजीव) और दू ध (िनजीव) | ऐसे मे सकमरक िकया िदकमरक िकया कहलाती है | संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक
  • 19. 02/02/14 संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक पेर णाथरक िकया िजन िकयाओ का कतार सवयं कायर न करके िकसी दु स रे को पेि रत कर के काम करवाए , उनहे पेर णाथरक िकया कहते है |इनमे दो कतार होते है | जैस े िपता ने पुत से सनदे श िभजवाया | इनमे पहला कतार पेर क (िपता) तथा दू स रा कतार (पुत ) पेि रत है
  • 20. 02/02/14 पेर णाथरक िकया के दो रप पथम पेर णाथरक िदतीय जब कतार सवयं भी कायर मे पेर णाथरक सिम्मिलत होता हुआ पेरणा जब कतार सवयं भी कायर न देता है | करके दुसरे को कायर करने जैसेपेरणा देता है | वह सबको गीत सुनाता है | जैसेमॉनिनटर अध्यापक से छातों को संकलनकतार- पंकज गुप्ता, भाषाध्यापक िपटवाता है |
  • 21. अभयास करे , अभयसत रहे | संक लनकतारपंक ज गुप्त ा, भाषाध्यापक 02/02/14