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प्रयोजनमूलक हिन्दी के हिकास में अनुिाद की
भूहमका
डॉ. राम लखन, पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी हर्भाग, सत्यर्ती मिाहर्द्यालय,
हदल्ली हर्श्वहर्द्यालय, हदल्ली
जापान के भाषार्ैज्ञाहनक प्रोफेसर िोजुहम तनाका के अनुसार हििंदी (हिन्दुस्तानी ) दुहनया की सबसे बडी भाषा िै, अिंग्रेजी का स्थान हिन्दी के बाद आता िै । सर्ावहिक
बोली जाने र्ाली भाषाओिंमें से हििंदी िी हर्श्व में पिले निंबर पर िै,स्पेहनश तीसरे,फ़्रेन्च चौथे और अँग्रेजी पाँचर्े स्थान पर आती िैं। चीनी भाषा (मन्दाररन) को दूसरे
स्थान पर माना गया िै , शुद्ध चीनी भाषा जानने र्ालों की सिंख्या हििंदी जानने र्ालों से काफी कम िैं। अिंतरावष्ट्रीय स्तर
पर हर्देहशयों में हििंदी भाषा सीखने और जानने र्ालों की सिंख्या में गुणात्मक र्ृहद्ध िो रिी िैं। प्रयोजनमूलक हििंदी के घटकों
में मीहडया के हर्हर्ि आयाम, अनुप्रयुक्त भाषाहर्ज्ञान,अनुर्ाद,सृजनात्मक लेखन और भाषा के प्रयुहक्तपरक अनुप्रयोग
प्रमुख रूप से शाहमल िैं । प्रयोजनमूलक हििंदी की सिंकल्पना की पररहि में पत्रकाररता, जन-सिंपकव और हर्ज्ञापन भी
आ जाते िैं।
हिन्दी
चीनी
स्पेहनश
फ़्रे न्च
अँग्रेजी
प्रयोजनमूलक हिन्दी की हिशेषता
प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा की प्रमुख हर्शेषताएँ इस प्रकार िैं –
1). र्ैज्ञाहनकता: प्रयोजनमूलक शब्द पाररभाहषक िोते िैं। हकसी र्स्तु के कायव-कारण सिंबिंि के आिार पर
उनका नामकरण िोता िै,जो शब्द से िी प्रहतध्र्हनत िोता िै। ये शब्द र्ैज्ञाहनक तत्र्ों की भािंहत सार्वभौहमक िोते िैं ।
हिन्दी की पाररभाहषक शब्दार्ली इस दृहि से मित्र्पूणव िैं ।
2). अनुप्रयुक्तता: उपसगो, प्रत्ययों और सामाहसक शब्दों की बिुलता के कारण हिन्दी की प्रयोजनमूलक शब्दार्ली स्र्त:
अथव स्पि करने में समथव िै, इसहलए हिन्दी की शब्दार्ली का अनुप्रयोग सिज िै।
3). र्ाच्याथव प्रिानता: हिन्दी के पयावय शब्दों की सिंख्या अहिक िै । अत: ज्ञान-हर्ज्ञान के हर्हर्ि क्षेत्रों में उसके अथव को स्पि करने र्ाले हभन्न पयावय चुनकर नए शब्दों का
हनमावण सिंभर् िै। इससे र्ाहचक शब्द ठीक र्िी अथव प्रस्तुत कर देता िै । अत: हिन्दी का र्ाच्याथव भ्ािंहत निीं उत्पन्न करता ।
4). सरलता और स्पिता: हिन्दी की प्रयोजनमूलक शब्दार्ली सरल औैर एकाथवक िै, जो प्रयोजन-मूलक भाषा का मुख्य गुण िै ।
प्रयोजनमूलक भाषा में अनेकाथवकता दोष िै, हिन्दी शब्दार्ली इस दोष से मुक्त िै ।
इस तरि प्रयोजनमूलक भाषा के रूप में हिन्दी एक समथव भाषा िै । प्रयोजनमूलक हिन्दी आज इस देश में बिुत बडे फलक और
िरातल पर प्रयुक्त िो रिी िै । केन्र और राज्य सरकारों के बीच सिंर्ादों का पुल बनाने में आज इसकी मिती भूहमका को
नकारा निीं जा सकता । आज इसने एक ओर कम्प्यूटर,टेलेक्स,तार, इलेक्रॉहनक, टेलीहप्रिंटर,दूरदशवन,रेहडयो,अखबार,डाक,
हफल्म और हर्ज्ञापन आहद जनसिंचार के माध्यमों को अपनी हगरफ्त में ले हलया िै, तो र्िीं दूसरी ओर शेयर बाजार, रेल,
िर्ाई जिाज,बीमा उद्योग,बैंक आहद औद्योहगक उपक्रमों,रक्षा, सेना, इन्जीहनयररिंग आहद प्रौद्योहगकी सिंस्थानों, तकनीकी और
र्ैज्ञाहनक क्षेत्रों,आयुहर्वज्ञान, कृहष, हचहकत्सा, हशक्षा इत्याहद के साथ हर्हभन्न सिंस्थाओिंमें हिन्दी माध्यम से प्रहशक्षण हदलाने,
कॉलेजों,हर्श्वहर्द्यालयों,सरकारी,अद्धवसरकारी कायावलयों,हचट्ठी-पत्री,लेटर-पैड, स्टॉक-रहजस्टर, हलफाफे,मुिरें,नामपट्ट,स्टेशनरी के साथ-
साथ कायावलय ज्ञापन, पररपत्र,आदेश,राजपत्र,अहिसूचना,अनुस्मारक,प्रेस–हर्ज्ञाहि,हनहर्दा,नीलाम,अपील,के बलग्राम,मिंजूरी-पत्र तथा पार्ती
आहद में प्रयुक्त िोकर अपने मित्र् को स्र्तः हसद्ध कर हदया िै । कुल हमलाकर पयवटन,बाजार,तीथवस्थल,कल-कारखाने,कचिरी आहद अब प्रयोजनमूलक हिन्दी की जद में आ गए िैं, हिन्दी के हलए
सरलता और
स्पष्टता
वाच्यार्थ
प्रधानता
अनुप्रयुक्तता
वैज्ञाहनकतता
यि शुभ िै । बाजार की गहत और रीहत हजस तेजी से बढ़ रिी िै उसने हिन्दी के हलए हर्कास के नये द्वार खोले िैं, हकन्तु ये द्वार हिन्दी के प्रयोजन परक स्र्रूप पर हनभवर
िै । हिन्दी की प्रयोजनता अनुर्ाद के सिारे िी आगे बढ़ रिी िै, इसमें तहनक भी सिंदेि निीं िै और न िी िोना चाहिए क्योंहक भारत िी निीं सारा-का-सारा हर्श्व
हद्वभाहषकता और बिुभाहषकता के रिंग में रिंग रिा िै । प्रयोजनमूलक हिन्दी और अनुर्ाद हर्श्व स्तर पर भारत की भूहमका
को आगे लेकर जायेंगे । एसी हस्थहत में पारस्पररक बोिगम्पयता के आिार पर प्रयोजनमूलक हिन्दी की
सर्वसमार्ेशी अहभरचना तय करनी िोगी और उसे भाषागत छूट देकर आत्मसात करना िोगा ताहक
देश के हर्कास में उसकी भूहमका तय िो सके। इस प्रकार हििंदी भाषा से सिंबिंहित हनम्पनहलहखत क्षेत्रों
में हर्हभन्न प्रकार के रोजगार के अर्सर उपलब्ि िो सकते िैं :-1).सरकारी/ सार्वजहनक
क्षेत्रों में प्रशासहनक पद (हििंदी अहिकारी/प्रबिंिक-हििंदी भाषा) 2).अनुर्ाद
(मीहडया और अन्य क्षेत्रों में) 3).हर्देशी रोजगार/दूतार्ासों में व्याख्याता 4). सृजनात्मक
लेखन 5). मीहडया 6). अकादहमक क्षेत्र
भारत एक बिु भाहषक देश िै । भारतीय सिंहर्िान में राजभाषा हििंदी सहित कुल 21
भाषाओिंको स्थान प्राि िुआ िै। भाषार्ार प्रािंत रचना के फलस्र्रूप हर्हभन्न प्रातों में अलग-अलग भाषाओिंका प्रचलन
बढ़ गया िै । हर्हभन्न भारतीय भाषाओिंके बीच हििंदी भाषा एक पुल िैं पारस्पररक बोिगम्पयता एर्िं सर्वसमार्ेशी अहभरचना
के आिार पर हर्हभन्न भारतीय भाषाओिं में समन्र्य हनमावण हकया गया िै। भारत सरकार के नेशनल सेंटर फार सॉफ्टर्ेअर टेक्नॉलॉजी ( NCST) ने सभी भारतीय
भाषाओिंकी हलहप को किं ्यूटर पर स्थाहपत करने िेतु हर्शेष अहभयान चलाया िै । अमेररकन माइक्रोसॉफ्ट किं पनी ने एन.सी.एस.टी के साथ एक सिंयुक्त योजना के तित
हर्श्व प्रहसद्ध हर्िंडोज प्रणाली पर भारतीय भाषाओिंको हर्कहसत करने का कायव शुरू हकया िै ।
अनुर्ाद और भाषाहर्ज्ञान का सीिा सिंबिंि िै । अनुर्ाद भाषािंतरण की एक प्रहक्रया िै, हजसमें स्त्रोत भाषा की हर्षय र्स्तु को लक्ष्य भाषा में रूपािंतररत हकया जाता िै ।
आज सूचना प्रौद्योहगकी के बढ़ते युग में अनुर्ाद का मित्र् और बढ़ गया िै । अनुर्ाद करते समय भाषाहर्ज्ञान की दृहि से अनुर्ादक को बिुत सार्िानी रखनी िोती
िै। अनुर्ाद करते समय मूल पाठ को मित्र् देते िुए अनुर्ाद करना िोता िै । अनुर्ादक को जिाँ मूल पाठ के भार् को सुरहक्षत रखना िोता िै र्िीं र्ाक्यहर्न्यास, लक्ष्य
भाषा की सिंरचना, प्रकृहत और प्रयोग के अनुरूप प्रस्तुत करना िोता िै । सिंपूणव अनुर्ाद में अनुर्ादक को स्त्रोत भाषा की शैली को सुरहक्षत रखते िुए रचना के
समग्र प्रभार् को कायम रखना िोता िै । अनुर्ाद के हर्षय और स्र्रूप के अनुसार र्गीकरण तीन प्रकार से
हकया जा सकता िै: 1) शब्दानुर्ाद 2) भार्ानुर्ाद 3) सारानुर्ाद
अनुिाद की प्रहिया:
अनुर्ाद की एक प्रहक्रया िै हजसके द्वारा एक भाषा की पाठ-सामग्री दूसरी भाषा में व्यक्त की जाती िै। हजस
भाषा में सामग्री उपलब्ि िै, र्ि मूल भाषा िै तथा हजस भाषा में अनुर्ाद िोना िै,उसे लक्ष्य भाषा किा जाता
िै । नाइडा ने अनुर्ाद की प्रहक्रया की तीन अर्स्थाएँ मानी गयी िै- मूल सामग्री की हर्श्लेषण,अिंतरण और
पुनरवचना या पुनगवठन । हकन्तु न्यूमाकव का हचन्तन नाइडा के मुकाबले हनहित रूप से आिुहनक था, उन्िोंने प्रहक्रया के
चार सोपान माने िैं । र्ैश्वीकरण के युग में अनुर्ाद की भूहमका अत्यन्त मित्र्पूणव िो गयी िै ,जब से पहिमी देशों से
हिन्दी कते
प्रयोजनमूलकत
सन्दर्थ
कतायाथलयी
सन्दर्थ
मीहिया
सन्दर्थ
बैंककतिंग
सन्दर्थ
सामाहजकत
सन्दर्थ
सािंस्कतृहतकत
सन्दर्थ
तकतनीकती
सन्दर्थ
फ़िल्म
समीक्षा
सन्दर्थ
अन्य
सन्दर्थ
स्रोत र्ाषा
(मूल पाठ)
हवश्लेषण पुनगथठन
लक्ष्य र्ाषा
(अनुफ़दत पाठ)
अन्तरण
रचना िुई जैसे मराठी सिंत कहर् ज्ञानेश्वर द्वारा गीता का अनुर्ाद ज्ञानेश्वरी तथा मिाकाव्यों के हर्हभन्न अनुर्ाद,हर्शेषरूप से हर्हभन्न भाषाओिंके सिंत कहर्यों द्वारा रामायण
और मिाभारत के अनुर्ाद प्रकाश में आए; उदािरण स्र्रूप पम्पपा,किं बर,मौला,इजूथाचन,तुलसीदास, प्रेमचिंद, रर्ीन्रनाथ, हदनकर, जैनेन्रकुमार,बच्चन,अमृतराय,अमृता
प्रीतम,िमवर्ीर भारती,हनमवलर्माव,अज्ञेय एर्िं कमलेश्वर,प्रेमानन्द,एकनाथ,बलरामदास,मािर् किं दली और कृहिर्ास आहद कृत रामायण के रूपान्तरों को देखा जा सकता िै।
औपहनर्ेहशक काल के दौरान यूरोपीय तथा भारतीय भाषाओिं हर्शेषकर सिंस्कृत के मध्य अनुर्ाद की एक लिर सी चल पडी । जिाँ यि आदान-प्रदान जमवन, फ्रेंच,
इटैहलयन, स्पैहनश तथा भारतीय भाषाओिंके बीच था, र्िीं अिंग्रेजी को उसके आहिपहत्यक अहस्तत्र् के कारण हर्शेषाहिकारयुक्त समझा जाता था क्योंहक औपहनर्ेहशक
अहिकारी इसी भाषा का प्रयोग करते थे । अिंग्रेजी अनुर्ाद का हिहटशकाल में हर्हलयम जोन्स द्वारा काहलदास के अहभज्ञान शाकुिं तलम के अनुर्ाद के साथ चरमोत्कषव पर
पिुँचा । प्रयोजनमूलकत हिन्दी और अनुवाद -प्रहशक्षण
व्यार्िाररक आर्श्यकताओिं
का हनरूपण
तुलना- क्या हशक्षाथी –कायव को
हर्हित सीमाओिंऔर स्तर के अनुसार
कर सकता िै ?
कायव-स्तर और सीमाओिंका
हनरूपण
हशक्षाथी का र्तवमान ज्ञान और
कौशल (प्रारिंहभक आचरण)
शैक्षहणक आयोजन कक्षा में /
बािर उद्देश्यों का क्रमीकरण
हर्हि/माध्यम हनणवय
आचरण-मापक कसौटी
हनमावण
हशक्षणीय उद्देश्यों का र्णवन
परीक्षण हबन्दुओिंका हनणवय
हद्वतीय स्तर फीड बैक मूल्यािंकन –
सामग्री और हर्हि का हनरूपण
हशक्षक
प्रहशक्षण
हनरीक्षण और
व्यर्स्थापक प्रहशक्षण
कक्षागत प्रहशक्षण
कक्षा में व्यर्िायव सामग्री
का हनरूपण
पररर्ेश
कायव-हर्श्लेष्ट्ण1 2
3 4
प्रहशक्षण-व्यर्स्था-हनयोजन5 6
7 8
प्रहशक्षण -व्यर्स्था9 10
हशक्षण सामग्री
मूल्यािंकन
11 12 13
कायावन्र्यन व्यर्स्था
स्तर-1
स्तर-2
प्रहशक्षणाथी
प्रहशक्षण- मूल्यािंकन
व्यर्िार- मूल्यािंकन
“अनुर्ाद की ऐसी प्रहक्रया हजसमें किं ्यूटर प्रणाली (system) के जररए एक भाषा से दूसरी भाषा में अपने आप अनुर्ाद िो, इस प्रहक्रया में अनुर्ाद की जाने र्ाली सामग्री
(Text) को आगत शब्द (Input) के रुप में देते िै । किं ्यूटर की भीतरी प्रणाली हजसमें दोनों भाषाओिंके शब्दों, मुिार्रों और व्याकरहणक हनयमों का ज्ञान सिंहचत रिता िै,
अपने आप उस सामग्री का दूसरी भाषा में अनुर्ाद करती िै और कुछ िी क्षणों में हनगवत पाठ (output) के रुप में अनूहदत सामग्री प्राि िो जाती िै।”
मशीनी अनुर्ाद की पररभाषा कुछ इस प्रकार िै- मशीनी अनुर्ाद एक ऐसी प्रहक्रया िै जो पाठ के इकाईयों को एक भाषा(स्रोत भाषा) से दूसरी भाषा(लक्ष्य भाषा) में किं ्यूटर
के माध्यम से अनूहदत करती िै । अत: मानर् सिायता के साथ (यिंत्र) किं ्यूटर का उपयोग कर एक प्राकृहतक मानर् भाषा का दूसरी प्राकृहतक मानर् भाषा में अनुर्ाद करना
िी मशीनी अनुर्ाद या यिंत्रानुर्ाद िै । इसी के आिार पर मशीनी अनुर्ाद में मशीन की सिभाहगता के आिार पर मशीनी अनुर्ाद को तीन भागों में हर्भाहजत हकया गया िैं-
1) पूणवत: मशीनी अनुर्ाद (Fully Machine Translation) 2) मानर् साहित मशीनी अनुर्ाद (Human Aided Machine Translation) 3) मशीन साहित मानर्
अनुर्ाद (Machine Aided Human Translation)
मशीनी अनुर्ाद के हलए सबसे प्रमुख किं ्यूटर में “अहभि भाहषक
सिंरचना का व्युत्पादन किं ्यूटर में केंरीय सिंसािक इकाई के माध्यम
से िोता िै । किं ्यूटर की इस केंरीय सिंसािक इकाई में एक हनयिंत्रक
इकाई, एक मुख्य स्मृहत पटल और एक गहणतीय इकाई िोती िै ,
हजसके आदेशों के आिार पर किं ्यूटर चलता िै। मशीनी अनुर्ाद
की प्रहक्रया भी इसी के आिार पर आगे बढ़ती िै । सबसे पिले
पाठ हनर्ेशन का कायव िोता िै प्रत्येक मशीनी अनुर्ाद यिंत्र की
यि प्रहक्रया दो रुपों में िोती िै:-
1).लक्ष्य पाठ अनुर्ाद यिंत्र में हदए गए बॉक्स में टाईप
कर हदया जाता िै।
2).या लक्ष्य पाठ की फाईल को िाऊस करके ।
इस प्रहक्रया के उपरािंत िी अनुर्ाद की प्रहक्रया आरिंभ
िोती िै । सामान्यत: भारतीय मशीनी अनुर्ाद में ‘अनुसारका’
मशीनी अनुर्ाद की प्रहक्रया हनम्पनानुसार िोती िै:-
1).स्रोत भाषा पाठ (SOURCE LANGUAGE TEXT)
2).िातु (ROOT WORD) मशीन को हदए गए स्रोत पाठ
के शब्दों में िातुओिंको देखा जाता िै । हजससे उहचत
अथव हमल सके । इसके उपरािंत हदए गए पाठ में व्याकरहणक
कायव िोता िै जो सभी अनुर्ाद यिंत्रों में समान निीं हमलते। व्याकरहणक कायव अहिकतर अनुर्ाद यिंत्र हनमावण कताव िी हनहित करते िैं
हक मशीनी अनुर्ाद यिंत्र हकस व्याकरण के आिार पर कायव करेगी ।
3). र्ृक्ष सिंर्ाहदता व्याकरण (POS TAG) इसके आिार से शब्दों को हचहन्ित हकया जाता िै और आगे कायव भी चलता िै ।
4).शब्द-हचन्िक (CHANKAR MARKING) 5).पदसूत्र (PADSUTRA) इस प्रहक्रया में शब्दों को हफर से सिंघहटत हकया जाता िै । 6).शब्द सािक प्रहक्रया (WORD GRUPING)
वाक्य-हवन्यास
शब्द-हवन्यास
पदबिंध-हवन्यास
पदबिंध-हवन्यास
कतारकत-हवन्यास
स्मृहत आधाररत अजथन हिकतोडििंग
स्मृहत आधाररत अजथन
कतारकत-हवन्यास
समरूप कतॉरपस
र्ाषा सामग्री
अनुवाद
मूल्यािंकतन
स्मृहत - आधाररत
कतारकत- आधाररत
मशीनी अनुवाद -प्रफ़िया
7).कथ्य हर्सिंहदहधिकरण (SENSE DISAMBIGUATION): हर्सिंहदहधिकरण की प्रहक्रया सबसे मित्र्पूणव प्रहक्रया िोती िै, हजससे पाठ में हनमावण िोने र्ाली सिंहदधिता दूर की
जाती िै । पाठ में कई जगि पूर्वसगव एर्िं परसगव लगने से कई समस्याएँ हनहमवत िोती िै हजसका हनराकरण इस प्रहक्रया के माध्यम से हकया जाता िै ।
8).पूर्वसगव गहतहर्हियाँ (PREPOSITION MOVEMENTS) : इस प्रहक्रया में स्रोत पाठ का लक्ष्य पाठ में रूपािंतरन करने के हलए शब्दकोश से हलए गए शब्दों का प्रजनन हकया
जाता िै ।
9).लक्ष्य भाषा पाठ प्रजनन (TARGET LANGUAGE GENERATION): कई जगि लक्ष्य भाषा पाठ के प्रजनन में कई समस्याएँ हनहमवत िोती िै । शब्द कोश में शब्द का अथव या
र्ाक्य पद निीं हमल पाते िैं ऐसे समय में भाषा व्यर्िार सिंग्रि की मदद ली जाती िै।
10).भाषा व्यर्िार सिंग्रि (CORPARA ): यि एक भाहषक सािन िै हजसका कायव पाठ में आए रूपों को हर्श्लेहषत करना एर्िं रूप सिंरचना का हर्श्लेषण करना िै ।
11).रूपर्ैज्ञाहनक हर्श्लेषण (MORPHOLOGICAL ANYLISAR)
12).हर्श्लेषक (PARASAR): हदए गए पाठ का हनमावण एर्िं पाठ को प्रदहशवत करने के हलए तैयार करने का काम करता िै, हजसे िम आगत पाठ भी किते िै।
13).सजवक (GENARATER) :आगत पाठ मशीनी अनुर्ाद का सबसे अिंहतम चरण िोता िै। हजसमें सभी व्याकरहणक, कोशीय, अल्गोररथहमक एर्िं भाहषक सिंसािनों की
प्रहक्रया के अिंत में जो पाठ हनकल कर आता िै उसे िम आगत पाठ किते िै ।
14).हनगवत पाठ (Output): इस प्रकार मशीनी अनुर्ाद की सामान्य प्रहक्रया चलती रिती िै। इन सािनों के अहतररक्त अन्य कई सािन भी इस प्रहक्रया में छोटे स्तरों पर कायव
करते िैं, लेहकन यि कायव भी मित्र्पूणव िोता िै।
15). मशीनी अनुर्ाद के सभी हर्कल्प- हर्श्लेषण हकसी पाठ को स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा तक पिुँचाने में सिायता प्राि की जाती िै ।
मशीनी अनुर्ाद में हर्कल्प- हर्श्लेषण और सामग्री- हर्श्लेषण का हर्शेष मित्र् िै । पिले में,हकसी अहभव्यहक्त के हलए उपलब्ि हर्कल्पों में से सन्दभव के अनुकूल हकसी एक
हर्कल्प का चयन हकया करना िोता िै । र्िीं दूसरे में, उपलब्ि भाषाई सिंसािनो में से फारमेट के अनुसार उनका र्गीकरण हकया जाता िै,हजसके तीन प्रमुख आिार िैं;
टोकन, शब्द-र्गव और अनुर्ाद पयावय । इनको हनम्पन चाटो के माध्यम से हर्र्ेहचत हकया जा सकता िै:
1) एक शोक सभा 5 बजे बुलायी गयी िै । A condolence meeting has been called at 5 PM.
2) िम शोकग्रस्त पररर्ार के प्रहत अपनी सिंर्ेदना प्रकट करते िैं । We express our feeling to the grief-striken family.
3) यि शोक समाचार िमने प्रेस को भेज हदया िै । We have sent this sad news to the press.
4) बडे शोक के साथ किना पड रिा िै… We are to announce with deep sorrow.
5) हमत्र और ररश्तदार उनकी म्रृत्यु पर शोक प्रकट करने के हलए एकत्र िुए । Friends and relatives gathered to mourn his death.
6) मैं उनके शोकाकुल माता-हपता से हमला । I met his bereaved parents.
शोक
grief
sad
sorrow
mourn
bereavement
condolence
राम स्कूल जाता िै Ram goes to school.
सीता स्कूल जाती िै Sita goes to school.
र्े स्कूल जाते िैं They go to school.
बािर हनकलने का कोई रास्ता/ चारा/ समािान निीं
There is no way to out
भारत से बािर रि रिे भारतीय Indians abroad
इस प्रहक्रया में िोने र्ाली एक गलती सिंपूणव पाठ के अिंतगवत समस्या हनमावण करती िै । ऐसी समस्याओिं को मशीन स्र्यिं सिंशोहित निीं कर पाती िै । उपरोक्त हर्र्ेहचत
हनयमों का सार रूप इस प्रकार िैं - 1). पाठ/र्ाक्य प्रहर्िीकरण 2). कोशािाररत रूहपहमक हर्श्लेषण 3). समर्तवनी परक रूपों की पिचान 4). सिंयुक्त सिंज्ञाओिंकी पिचान
5). मुिार्रों का हर्श्लेषण 6). सिंज्ञा-पद-बिंि र् हक्रया-पद की पिचान 7). पूर्वसगव, परसगव की पिचान 8). कताव र् हर्िेय की पिचान 9). र्ाक्यीय अनेकाथवकता की
पिचान 10). स्रोत भाषा के रूहपमों की लक्ष्य भाषा के रूप में पिचान र् हर्श्लेषण 11). लक्ष्य भाषा में शब्दों र् पदबिंिों का र्ाक्यों के रूप में सिंयोजन ।
स्र्चाहलत मशीनी अनुर्ाद के हलए कुछ कहठनाईयाँ िै, हजन्िें यिाँ बताने का प्रयास हकया जा रिा िै-
1). किं ्यूटर में सृजनशीलता का अभार् :- मानर् अपनी बुहद्ध से अनेक समस्याओिंका िल खुद ढूँढ़ लेता िै लेहकन किं ्यूटर एक मशीन मात्र िै र्ि मानर् की तरि सोच
निीं सकती हजसके कारण हकसी भी भाषा की प्रकृहत को समझने की क्षमता का उसमें अभी तक अभार् िै, हकन्तु र्ैज्ञाहनकों द्वारा इसके प्रयास जारी िै ।
2). हर्जातीय भाषाएँ :- मशीनी अनुर्ाद की एक समस्या िै भाषाओिंका हर्जातीय िोना । िर भाषा की अपनी प्रकृहत िोती िै और उसके अनुसार उसकी सिंरचना िोती
िै । हिन्दी (SOV) और अिंग्रेजी (SVO) दोनों हर्जातीय भाषाएँ िै हजसके कारण इनकी सिंरचना एर् सिंस्कृहत हभन्न िै और इसके चलते मशीनी अनुर्ाद के हलए यि
कहठनाईयाँ पैदा करती िै ।
3) सार्वभौहमक व्याकरण का अभार् :- चॉमस्की द्वारा अनेक सार्वभौहमक व्याकरणों का हनमावण हकया गया परिंतु आज भी मशीनी अनुर्ाद के हलए आर्श्यक
सार्वभौहमक अथावत् सारी भाषाओिंपर आिाररत हनयमों से सिंबद्ध एक व्याकरण उपलब्ि निीं िो पाया िै । इसके चलते मशीनी अनुर्ाद के हलए आर्श्यक अनुप्रयोगों के
हर्कास में हशहथलता िै ।
4) एक शब्द के अनेक पयावयी शब्दों का िोना :- एक शब्द के अनेक पयावयी शब्द िोने के कारण डाटाबेस में स्थाहपत हकसी एक भाषा के शब्द का लक्ष्य भाषा में
अनेक शब्दों का िोना मशीन के हलए सिी शब्द का चुनार् करना चुनौती िै। और इसी र्जि से गूगल र्ेब पर िोने र्ाला मशीनी अनुर्ाद उपयुक्त निीं किा जा सकता।
जाता है
जाती हैं
से
सामग्री-
हर्श्लेशण
टोकन का
हनिावरण
(शब्द,पदबन्ि,
सिप्रयोग,रूढ़
अहभव्यहक्तयाँ )
शब्द- र्गों का
हनिावरण
(सिंज्ञा,हक्रया,हर्शे
षक,हक्रयाहर्शेष
क,परसगव,
समुच्चयबोिक
आहद)
अनुर्ाद पयावय
का हनिावरण
(शब्दों के
हलए, पदबिंिों
के हलए रूढ़
प्रयोग)
5) भाहषक अनुप्रयोगों का अभार् :- मशीनी अनुर्ाद के हलए अनेक हनयमों से सिंबद्ध भाहषक
अनुप्रयोगों की जरूरत िोती िै; जैसे- सिंगणकीय कोश, सिंगणकीय व्याकरण, र्तवनी जािंचक,
जनरेटर, अहभज्ञानक और अिंतरण सॉफ्टर्ेअर आहद । इन अनुप्रयोगों का प्रयावि मात्रा में तथा
पूणव रूप में हर्कास न िोना भी मशीनी अनुर्ाद के हलए एक समस्या िै ।
6) कृहत्रम बुहध्द के हर्कास में देरी :- कृहत्रम बुहध्द हर्कास के द्वारा मशीन को मानर् बुहध्द
की तरि िी कृहत्रम बुहद्ध प्रदान करने का कायव चल रिा िै हजसमें अनेक किं ्यूटर तथा भाषा-
र्ैज्ञाहनक कायव कर रिें िै । इसके हर्कास से किं ्यूटर को मानर् की तरि िी
सृजनशीलता प्राि िो जाएगी,लेहकन इसमें देरी भी मशीनी अनुर्ाद की एक समस्या िै ।
7) सिंग्रिण क्षमता की कमी :- किं ्यूटर के हर्कास के साथ साथ िी उसकी सिंग्रिण क्षमता
में भी र्ृहध्द िुई िै, परिंतु सिंपूणव भाषा की प्रकृहत को इसमें कैद कर पाना आज भी सिंभर् निीं िो
पाया िै इसकी सिंग्रिण क्षमता आज भी कम िै । सारे भाहषक अनुप्रयोंगों को एक िी स्मृहत
में रखना कहठन िोता िै, हजससे किं ्यूटर की तेजी में भी कमी आ जाती िै ।
8) भाषा र्ैज्ञाहनकों का अभार् :- भाषा के हनयमों को सृहजत करने के हलए मुख्यत: भाषा-
र्ैज्ञाहनकों की जरूरत िोती िै । लेहकन मशीनी अनुर्ाद के क्षेत्र में काम करने र्ालों में ज्यादातर
किं ्यूटर र्ैज्ञाहनक िी िै न हक भाषा र्ैज्ञाहनक हजससे इस कायव को समस्याओिंसे जूझना पड रिा िै ।
इनके हनराकरण के हलए मशीनी अनुर्ाद के हर्शेषज्ञों ने व्यहतरेकी हर्श्लेषण तकनीक को मित्र्पूणव माना िै हजसे उक्त डायग्राम के माध्यम से दशावया गया िै ।
हनष्ट्कषवत: यि किा जा सकता िै हक उपयुवक्त समस्याओिं को दूर हकए जाने से मशीनी अनुर्ाद के हलए किं ्यूटर और भाषा र्ैज्ञाहनकों द्वारा प्रयत्न हकए जाने पर स्र्चहलत
मशीनी अनुर्ाद जल्द िी सफल िो जाएगा । कृहत्रम बुहध्द का हर्कास इसी को पूणव करने का एक चरण िै । अनुर्ाद 'सेतु बन कर दो अनजान सिंस्कृहतयों और भाषा समुदाय
के बी सिंर्ाद स्थाहपत करना' और इसमें अनुर्ाद सदा िी सफल रिा िै। आज अनुर्ाद की प्रासिंहगकता हदनों-हदन बढ़ रिी िै, अनुर्ादक पुन:सजवक िो गया िै । दोिरे जोहखम
के इस कायव की पूहतव िेतु उसने तलर्ार की िार पर दौडने की कला सीखनी प्रारिंभ कर दी िै । र्ि दो सिंस्कृहतयों,हर्चारिाराओिं,हचिंतन परिंपराओिं,भाहषक सिंस्कारों,रीहत-
ररर्ाजों एर्िं अर्िारणाओिं के बीच सेतु हनमावण का कायव करने लगा िै । स्र्त: सुखाय या जीर्कोपाजवन िेतु अनुर्ाद कायव के प्रहत समहपवत िोने र्ाला अनुर्ादक अब
परकाया-प्रर्ेश की प्रहक्रया से गुजरने लगा िै । इस प्रहक्रया से गुजरने का िैयव और क्षमता हकसी सािक के पास िी िो सकती िै । अनुर्ाद करने की मूलभूत शतव ईमानदारी
और हनष्ठा िै । यहद अनुर्ादक को िम एक सेतु हनमावण करने र्ाले के रूप में देखें तो उससे यि अपेक्षा की जाती िै हक र्ि पूरी ईमानदारी से पुख्ता और हचरस्थायी सेतु का
हनमावण करे । प्रयोजनमूलक हिन्दी की सिंचारात्मकता शैली,र्ैज्ञाहनक अध्ययन,जन सिंप्रेषणीयता,पटकथात्मकता के हनमावण,सिंर्ाद लेखन,दृश्यात्मकता,कोड-हनमावण,सिंहक्षि
कथन,हर्म्पबिहमवता, प्रतीकात्मकता, भाषा की आनुपाहतकता आहद मानकों को हिन्दी हफल्मों ने गढ़ा िै । 'इिंहडयन डायसपोरा‘ हर्श्वस्तर पर एक नयी अर्िारणा और
सच्चाई िै । हिन्दी भाषा,साहित्य और सिंस्कृहत का लोकदूत बनकर इन तक पिुँचने की हदशा में अग्रसर िैं । भारत की राष्ट्रीय सिंस्कृहत,सामाहजक पररर्तवन,राजनीहतक
घटनाचक्र का बैरोमीटर बनकर हििंदी भारतीय राष्ट्र की मुख्य हचिंतनिारा का उद्घाटन करती िैं ।
अहतभेदकता और
अल्पभेदकता
(Over-
differentiation
and Under
differentiation)
समान, अिवसमान,
और असमान
कोहटयाँ
(Similar, Semi-
similar and
Dissimilar)
समान व्याकरहणक
माडल
(Common
Model of
Grammar)
व्यहतरेकी हर्श्लेषण
तकनीक (Techniques
of Contrastive
Analysis)
तुलना के आिार:
रूप, अथव और सन्दभव
(Basis of
Comparison:
form, meaning,
context)
बिुस्तरीय
हर्श्लेषण
(Multi-layer
Analysis)
Good Morning
Good Day
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Good Evening नमस्कार
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बन्द और मुक्त
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  • 1. प्रयोजनमूलक हिन्दी के हिकास में अनुिाद की भूहमका डॉ. राम लखन, पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी हर्भाग, सत्यर्ती मिाहर्द्यालय, हदल्ली हर्श्वहर्द्यालय, हदल्ली
  • 2. जापान के भाषार्ैज्ञाहनक प्रोफेसर िोजुहम तनाका के अनुसार हििंदी (हिन्दुस्तानी ) दुहनया की सबसे बडी भाषा िै, अिंग्रेजी का स्थान हिन्दी के बाद आता िै । सर्ावहिक बोली जाने र्ाली भाषाओिंमें से हििंदी िी हर्श्व में पिले निंबर पर िै,स्पेहनश तीसरे,फ़्रेन्च चौथे और अँग्रेजी पाँचर्े स्थान पर आती िैं। चीनी भाषा (मन्दाररन) को दूसरे स्थान पर माना गया िै , शुद्ध चीनी भाषा जानने र्ालों की सिंख्या हििंदी जानने र्ालों से काफी कम िैं। अिंतरावष्ट्रीय स्तर पर हर्देहशयों में हििंदी भाषा सीखने और जानने र्ालों की सिंख्या में गुणात्मक र्ृहद्ध िो रिी िैं। प्रयोजनमूलक हििंदी के घटकों में मीहडया के हर्हर्ि आयाम, अनुप्रयुक्त भाषाहर्ज्ञान,अनुर्ाद,सृजनात्मक लेखन और भाषा के प्रयुहक्तपरक अनुप्रयोग प्रमुख रूप से शाहमल िैं । प्रयोजनमूलक हििंदी की सिंकल्पना की पररहि में पत्रकाररता, जन-सिंपकव और हर्ज्ञापन भी आ जाते िैं। हिन्दी चीनी स्पेहनश फ़्रे न्च अँग्रेजी प्रयोजनमूलक हिन्दी की हिशेषता प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा की प्रमुख हर्शेषताएँ इस प्रकार िैं – 1). र्ैज्ञाहनकता: प्रयोजनमूलक शब्द पाररभाहषक िोते िैं। हकसी र्स्तु के कायव-कारण सिंबिंि के आिार पर उनका नामकरण िोता िै,जो शब्द से िी प्रहतध्र्हनत िोता िै। ये शब्द र्ैज्ञाहनक तत्र्ों की भािंहत सार्वभौहमक िोते िैं । हिन्दी की पाररभाहषक शब्दार्ली इस दृहि से मित्र्पूणव िैं । 2). अनुप्रयुक्तता: उपसगो, प्रत्ययों और सामाहसक शब्दों की बिुलता के कारण हिन्दी की प्रयोजनमूलक शब्दार्ली स्र्त: अथव स्पि करने में समथव िै, इसहलए हिन्दी की शब्दार्ली का अनुप्रयोग सिज िै। 3). र्ाच्याथव प्रिानता: हिन्दी के पयावय शब्दों की सिंख्या अहिक िै । अत: ज्ञान-हर्ज्ञान के हर्हर्ि क्षेत्रों में उसके अथव को स्पि करने र्ाले हभन्न पयावय चुनकर नए शब्दों का हनमावण सिंभर् िै। इससे र्ाहचक शब्द ठीक र्िी अथव प्रस्तुत कर देता िै । अत: हिन्दी का र्ाच्याथव भ्ािंहत निीं उत्पन्न करता । 4). सरलता और स्पिता: हिन्दी की प्रयोजनमूलक शब्दार्ली सरल औैर एकाथवक िै, जो प्रयोजन-मूलक भाषा का मुख्य गुण िै । प्रयोजनमूलक भाषा में अनेकाथवकता दोष िै, हिन्दी शब्दार्ली इस दोष से मुक्त िै । इस तरि प्रयोजनमूलक भाषा के रूप में हिन्दी एक समथव भाषा िै । प्रयोजनमूलक हिन्दी आज इस देश में बिुत बडे फलक और िरातल पर प्रयुक्त िो रिी िै । केन्र और राज्य सरकारों के बीच सिंर्ादों का पुल बनाने में आज इसकी मिती भूहमका को नकारा निीं जा सकता । आज इसने एक ओर कम्प्यूटर,टेलेक्स,तार, इलेक्रॉहनक, टेलीहप्रिंटर,दूरदशवन,रेहडयो,अखबार,डाक, हफल्म और हर्ज्ञापन आहद जनसिंचार के माध्यमों को अपनी हगरफ्त में ले हलया िै, तो र्िीं दूसरी ओर शेयर बाजार, रेल, िर्ाई जिाज,बीमा उद्योग,बैंक आहद औद्योहगक उपक्रमों,रक्षा, सेना, इन्जीहनयररिंग आहद प्रौद्योहगकी सिंस्थानों, तकनीकी और र्ैज्ञाहनक क्षेत्रों,आयुहर्वज्ञान, कृहष, हचहकत्सा, हशक्षा इत्याहद के साथ हर्हभन्न सिंस्थाओिंमें हिन्दी माध्यम से प्रहशक्षण हदलाने, कॉलेजों,हर्श्वहर्द्यालयों,सरकारी,अद्धवसरकारी कायावलयों,हचट्ठी-पत्री,लेटर-पैड, स्टॉक-रहजस्टर, हलफाफे,मुिरें,नामपट्ट,स्टेशनरी के साथ- साथ कायावलय ज्ञापन, पररपत्र,आदेश,राजपत्र,अहिसूचना,अनुस्मारक,प्रेस–हर्ज्ञाहि,हनहर्दा,नीलाम,अपील,के बलग्राम,मिंजूरी-पत्र तथा पार्ती आहद में प्रयुक्त िोकर अपने मित्र् को स्र्तः हसद्ध कर हदया िै । कुल हमलाकर पयवटन,बाजार,तीथवस्थल,कल-कारखाने,कचिरी आहद अब प्रयोजनमूलक हिन्दी की जद में आ गए िैं, हिन्दी के हलए सरलता और स्पष्टता वाच्यार्थ प्रधानता अनुप्रयुक्तता वैज्ञाहनकतता
  • 3. यि शुभ िै । बाजार की गहत और रीहत हजस तेजी से बढ़ रिी िै उसने हिन्दी के हलए हर्कास के नये द्वार खोले िैं, हकन्तु ये द्वार हिन्दी के प्रयोजन परक स्र्रूप पर हनभवर िै । हिन्दी की प्रयोजनता अनुर्ाद के सिारे िी आगे बढ़ रिी िै, इसमें तहनक भी सिंदेि निीं िै और न िी िोना चाहिए क्योंहक भारत िी निीं सारा-का-सारा हर्श्व हद्वभाहषकता और बिुभाहषकता के रिंग में रिंग रिा िै । प्रयोजनमूलक हिन्दी और अनुर्ाद हर्श्व स्तर पर भारत की भूहमका को आगे लेकर जायेंगे । एसी हस्थहत में पारस्पररक बोिगम्पयता के आिार पर प्रयोजनमूलक हिन्दी की सर्वसमार्ेशी अहभरचना तय करनी िोगी और उसे भाषागत छूट देकर आत्मसात करना िोगा ताहक देश के हर्कास में उसकी भूहमका तय िो सके। इस प्रकार हििंदी भाषा से सिंबिंहित हनम्पनहलहखत क्षेत्रों में हर्हभन्न प्रकार के रोजगार के अर्सर उपलब्ि िो सकते िैं :-1).सरकारी/ सार्वजहनक क्षेत्रों में प्रशासहनक पद (हििंदी अहिकारी/प्रबिंिक-हििंदी भाषा) 2).अनुर्ाद (मीहडया और अन्य क्षेत्रों में) 3).हर्देशी रोजगार/दूतार्ासों में व्याख्याता 4). सृजनात्मक लेखन 5). मीहडया 6). अकादहमक क्षेत्र भारत एक बिु भाहषक देश िै । भारतीय सिंहर्िान में राजभाषा हििंदी सहित कुल 21 भाषाओिंको स्थान प्राि िुआ िै। भाषार्ार प्रािंत रचना के फलस्र्रूप हर्हभन्न प्रातों में अलग-अलग भाषाओिंका प्रचलन बढ़ गया िै । हर्हभन्न भारतीय भाषाओिंके बीच हििंदी भाषा एक पुल िैं पारस्पररक बोिगम्पयता एर्िं सर्वसमार्ेशी अहभरचना के आिार पर हर्हभन्न भारतीय भाषाओिं में समन्र्य हनमावण हकया गया िै। भारत सरकार के नेशनल सेंटर फार सॉफ्टर्ेअर टेक्नॉलॉजी ( NCST) ने सभी भारतीय भाषाओिंकी हलहप को किं ्यूटर पर स्थाहपत करने िेतु हर्शेष अहभयान चलाया िै । अमेररकन माइक्रोसॉफ्ट किं पनी ने एन.सी.एस.टी के साथ एक सिंयुक्त योजना के तित हर्श्व प्रहसद्ध हर्िंडोज प्रणाली पर भारतीय भाषाओिंको हर्कहसत करने का कायव शुरू हकया िै । अनुर्ाद और भाषाहर्ज्ञान का सीिा सिंबिंि िै । अनुर्ाद भाषािंतरण की एक प्रहक्रया िै, हजसमें स्त्रोत भाषा की हर्षय र्स्तु को लक्ष्य भाषा में रूपािंतररत हकया जाता िै । आज सूचना प्रौद्योहगकी के बढ़ते युग में अनुर्ाद का मित्र् और बढ़ गया िै । अनुर्ाद करते समय भाषाहर्ज्ञान की दृहि से अनुर्ादक को बिुत सार्िानी रखनी िोती िै। अनुर्ाद करते समय मूल पाठ को मित्र् देते िुए अनुर्ाद करना िोता िै । अनुर्ादक को जिाँ मूल पाठ के भार् को सुरहक्षत रखना िोता िै र्िीं र्ाक्यहर्न्यास, लक्ष्य भाषा की सिंरचना, प्रकृहत और प्रयोग के अनुरूप प्रस्तुत करना िोता िै । सिंपूणव अनुर्ाद में अनुर्ादक को स्त्रोत भाषा की शैली को सुरहक्षत रखते िुए रचना के समग्र प्रभार् को कायम रखना िोता िै । अनुर्ाद के हर्षय और स्र्रूप के अनुसार र्गीकरण तीन प्रकार से हकया जा सकता िै: 1) शब्दानुर्ाद 2) भार्ानुर्ाद 3) सारानुर्ाद अनुिाद की प्रहिया: अनुर्ाद की एक प्रहक्रया िै हजसके द्वारा एक भाषा की पाठ-सामग्री दूसरी भाषा में व्यक्त की जाती िै। हजस भाषा में सामग्री उपलब्ि िै, र्ि मूल भाषा िै तथा हजस भाषा में अनुर्ाद िोना िै,उसे लक्ष्य भाषा किा जाता िै । नाइडा ने अनुर्ाद की प्रहक्रया की तीन अर्स्थाएँ मानी गयी िै- मूल सामग्री की हर्श्लेषण,अिंतरण और पुनरवचना या पुनगवठन । हकन्तु न्यूमाकव का हचन्तन नाइडा के मुकाबले हनहित रूप से आिुहनक था, उन्िोंने प्रहक्रया के चार सोपान माने िैं । र्ैश्वीकरण के युग में अनुर्ाद की भूहमका अत्यन्त मित्र्पूणव िो गयी िै ,जब से पहिमी देशों से हिन्दी कते प्रयोजनमूलकत सन्दर्थ कतायाथलयी सन्दर्थ मीहिया सन्दर्थ बैंककतिंग सन्दर्थ सामाहजकत सन्दर्थ सािंस्कतृहतकत सन्दर्थ तकतनीकती सन्दर्थ फ़िल्म समीक्षा सन्दर्थ अन्य सन्दर्थ स्रोत र्ाषा (मूल पाठ) हवश्लेषण पुनगथठन लक्ष्य र्ाषा (अनुफ़दत पाठ) अन्तरण
  • 4. रचना िुई जैसे मराठी सिंत कहर् ज्ञानेश्वर द्वारा गीता का अनुर्ाद ज्ञानेश्वरी तथा मिाकाव्यों के हर्हभन्न अनुर्ाद,हर्शेषरूप से हर्हभन्न भाषाओिंके सिंत कहर्यों द्वारा रामायण और मिाभारत के अनुर्ाद प्रकाश में आए; उदािरण स्र्रूप पम्पपा,किं बर,मौला,इजूथाचन,तुलसीदास, प्रेमचिंद, रर्ीन्रनाथ, हदनकर, जैनेन्रकुमार,बच्चन,अमृतराय,अमृता प्रीतम,िमवर्ीर भारती,हनमवलर्माव,अज्ञेय एर्िं कमलेश्वर,प्रेमानन्द,एकनाथ,बलरामदास,मािर् किं दली और कृहिर्ास आहद कृत रामायण के रूपान्तरों को देखा जा सकता िै। औपहनर्ेहशक काल के दौरान यूरोपीय तथा भारतीय भाषाओिं हर्शेषकर सिंस्कृत के मध्य अनुर्ाद की एक लिर सी चल पडी । जिाँ यि आदान-प्रदान जमवन, फ्रेंच, इटैहलयन, स्पैहनश तथा भारतीय भाषाओिंके बीच था, र्िीं अिंग्रेजी को उसके आहिपहत्यक अहस्तत्र् के कारण हर्शेषाहिकारयुक्त समझा जाता था क्योंहक औपहनर्ेहशक अहिकारी इसी भाषा का प्रयोग करते थे । अिंग्रेजी अनुर्ाद का हिहटशकाल में हर्हलयम जोन्स द्वारा काहलदास के अहभज्ञान शाकुिं तलम के अनुर्ाद के साथ चरमोत्कषव पर पिुँचा । प्रयोजनमूलकत हिन्दी और अनुवाद -प्रहशक्षण व्यार्िाररक आर्श्यकताओिं का हनरूपण तुलना- क्या हशक्षाथी –कायव को हर्हित सीमाओिंऔर स्तर के अनुसार कर सकता िै ? कायव-स्तर और सीमाओिंका हनरूपण हशक्षाथी का र्तवमान ज्ञान और कौशल (प्रारिंहभक आचरण) शैक्षहणक आयोजन कक्षा में / बािर उद्देश्यों का क्रमीकरण हर्हि/माध्यम हनणवय आचरण-मापक कसौटी हनमावण हशक्षणीय उद्देश्यों का र्णवन परीक्षण हबन्दुओिंका हनणवय हद्वतीय स्तर फीड बैक मूल्यािंकन – सामग्री और हर्हि का हनरूपण हशक्षक प्रहशक्षण हनरीक्षण और व्यर्स्थापक प्रहशक्षण कक्षागत प्रहशक्षण कक्षा में व्यर्िायव सामग्री का हनरूपण पररर्ेश कायव-हर्श्लेष्ट्ण1 2 3 4 प्रहशक्षण-व्यर्स्था-हनयोजन5 6 7 8 प्रहशक्षण -व्यर्स्था9 10 हशक्षण सामग्री मूल्यािंकन 11 12 13 कायावन्र्यन व्यर्स्था स्तर-1 स्तर-2 प्रहशक्षणाथी प्रहशक्षण- मूल्यािंकन व्यर्िार- मूल्यािंकन “अनुर्ाद की ऐसी प्रहक्रया हजसमें किं ्यूटर प्रणाली (system) के जररए एक भाषा से दूसरी भाषा में अपने आप अनुर्ाद िो, इस प्रहक्रया में अनुर्ाद की जाने र्ाली सामग्री (Text) को आगत शब्द (Input) के रुप में देते िै । किं ्यूटर की भीतरी प्रणाली हजसमें दोनों भाषाओिंके शब्दों, मुिार्रों और व्याकरहणक हनयमों का ज्ञान सिंहचत रिता िै, अपने आप उस सामग्री का दूसरी भाषा में अनुर्ाद करती िै और कुछ िी क्षणों में हनगवत पाठ (output) के रुप में अनूहदत सामग्री प्राि िो जाती िै।”
  • 5. मशीनी अनुर्ाद की पररभाषा कुछ इस प्रकार िै- मशीनी अनुर्ाद एक ऐसी प्रहक्रया िै जो पाठ के इकाईयों को एक भाषा(स्रोत भाषा) से दूसरी भाषा(लक्ष्य भाषा) में किं ्यूटर के माध्यम से अनूहदत करती िै । अत: मानर् सिायता के साथ (यिंत्र) किं ्यूटर का उपयोग कर एक प्राकृहतक मानर् भाषा का दूसरी प्राकृहतक मानर् भाषा में अनुर्ाद करना िी मशीनी अनुर्ाद या यिंत्रानुर्ाद िै । इसी के आिार पर मशीनी अनुर्ाद में मशीन की सिभाहगता के आिार पर मशीनी अनुर्ाद को तीन भागों में हर्भाहजत हकया गया िैं- 1) पूणवत: मशीनी अनुर्ाद (Fully Machine Translation) 2) मानर् साहित मशीनी अनुर्ाद (Human Aided Machine Translation) 3) मशीन साहित मानर् अनुर्ाद (Machine Aided Human Translation) मशीनी अनुर्ाद के हलए सबसे प्रमुख किं ्यूटर में “अहभि भाहषक सिंरचना का व्युत्पादन किं ्यूटर में केंरीय सिंसािक इकाई के माध्यम से िोता िै । किं ्यूटर की इस केंरीय सिंसािक इकाई में एक हनयिंत्रक इकाई, एक मुख्य स्मृहत पटल और एक गहणतीय इकाई िोती िै , हजसके आदेशों के आिार पर किं ्यूटर चलता िै। मशीनी अनुर्ाद की प्रहक्रया भी इसी के आिार पर आगे बढ़ती िै । सबसे पिले पाठ हनर्ेशन का कायव िोता िै प्रत्येक मशीनी अनुर्ाद यिंत्र की यि प्रहक्रया दो रुपों में िोती िै:- 1).लक्ष्य पाठ अनुर्ाद यिंत्र में हदए गए बॉक्स में टाईप कर हदया जाता िै। 2).या लक्ष्य पाठ की फाईल को िाऊस करके । इस प्रहक्रया के उपरािंत िी अनुर्ाद की प्रहक्रया आरिंभ िोती िै । सामान्यत: भारतीय मशीनी अनुर्ाद में ‘अनुसारका’ मशीनी अनुर्ाद की प्रहक्रया हनम्पनानुसार िोती िै:- 1).स्रोत भाषा पाठ (SOURCE LANGUAGE TEXT) 2).िातु (ROOT WORD) मशीन को हदए गए स्रोत पाठ के शब्दों में िातुओिंको देखा जाता िै । हजससे उहचत अथव हमल सके । इसके उपरािंत हदए गए पाठ में व्याकरहणक कायव िोता िै जो सभी अनुर्ाद यिंत्रों में समान निीं हमलते। व्याकरहणक कायव अहिकतर अनुर्ाद यिंत्र हनमावण कताव िी हनहित करते िैं हक मशीनी अनुर्ाद यिंत्र हकस व्याकरण के आिार पर कायव करेगी । 3). र्ृक्ष सिंर्ाहदता व्याकरण (POS TAG) इसके आिार से शब्दों को हचहन्ित हकया जाता िै और आगे कायव भी चलता िै । 4).शब्द-हचन्िक (CHANKAR MARKING) 5).पदसूत्र (PADSUTRA) इस प्रहक्रया में शब्दों को हफर से सिंघहटत हकया जाता िै । 6).शब्द सािक प्रहक्रया (WORD GRUPING) वाक्य-हवन्यास शब्द-हवन्यास पदबिंध-हवन्यास पदबिंध-हवन्यास कतारकत-हवन्यास स्मृहत आधाररत अजथन हिकतोडििंग स्मृहत आधाररत अजथन कतारकत-हवन्यास समरूप कतॉरपस र्ाषा सामग्री अनुवाद मूल्यािंकतन स्मृहत - आधाररत कतारकत- आधाररत मशीनी अनुवाद -प्रफ़िया
  • 6. 7).कथ्य हर्सिंहदहधिकरण (SENSE DISAMBIGUATION): हर्सिंहदहधिकरण की प्रहक्रया सबसे मित्र्पूणव प्रहक्रया िोती िै, हजससे पाठ में हनमावण िोने र्ाली सिंहदधिता दूर की जाती िै । पाठ में कई जगि पूर्वसगव एर्िं परसगव लगने से कई समस्याएँ हनहमवत िोती िै हजसका हनराकरण इस प्रहक्रया के माध्यम से हकया जाता िै । 8).पूर्वसगव गहतहर्हियाँ (PREPOSITION MOVEMENTS) : इस प्रहक्रया में स्रोत पाठ का लक्ष्य पाठ में रूपािंतरन करने के हलए शब्दकोश से हलए गए शब्दों का प्रजनन हकया जाता िै । 9).लक्ष्य भाषा पाठ प्रजनन (TARGET LANGUAGE GENERATION): कई जगि लक्ष्य भाषा पाठ के प्रजनन में कई समस्याएँ हनहमवत िोती िै । शब्द कोश में शब्द का अथव या र्ाक्य पद निीं हमल पाते िैं ऐसे समय में भाषा व्यर्िार सिंग्रि की मदद ली जाती िै। 10).भाषा व्यर्िार सिंग्रि (CORPARA ): यि एक भाहषक सािन िै हजसका कायव पाठ में आए रूपों को हर्श्लेहषत करना एर्िं रूप सिंरचना का हर्श्लेषण करना िै । 11).रूपर्ैज्ञाहनक हर्श्लेषण (MORPHOLOGICAL ANYLISAR) 12).हर्श्लेषक (PARASAR): हदए गए पाठ का हनमावण एर्िं पाठ को प्रदहशवत करने के हलए तैयार करने का काम करता िै, हजसे िम आगत पाठ भी किते िै। 13).सजवक (GENARATER) :आगत पाठ मशीनी अनुर्ाद का सबसे अिंहतम चरण िोता िै। हजसमें सभी व्याकरहणक, कोशीय, अल्गोररथहमक एर्िं भाहषक सिंसािनों की प्रहक्रया के अिंत में जो पाठ हनकल कर आता िै उसे िम आगत पाठ किते िै । 14).हनगवत पाठ (Output): इस प्रकार मशीनी अनुर्ाद की सामान्य प्रहक्रया चलती रिती िै। इन सािनों के अहतररक्त अन्य कई सािन भी इस प्रहक्रया में छोटे स्तरों पर कायव करते िैं, लेहकन यि कायव भी मित्र्पूणव िोता िै। 15). मशीनी अनुर्ाद के सभी हर्कल्प- हर्श्लेषण हकसी पाठ को स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा तक पिुँचाने में सिायता प्राि की जाती िै । मशीनी अनुर्ाद में हर्कल्प- हर्श्लेषण और सामग्री- हर्श्लेषण का हर्शेष मित्र् िै । पिले में,हकसी अहभव्यहक्त के हलए उपलब्ि हर्कल्पों में से सन्दभव के अनुकूल हकसी एक हर्कल्प का चयन हकया करना िोता िै । र्िीं दूसरे में, उपलब्ि भाषाई सिंसािनो में से फारमेट के अनुसार उनका र्गीकरण हकया जाता िै,हजसके तीन प्रमुख आिार िैं; टोकन, शब्द-र्गव और अनुर्ाद पयावय । इनको हनम्पन चाटो के माध्यम से हर्र्ेहचत हकया जा सकता िै: 1) एक शोक सभा 5 बजे बुलायी गयी िै । A condolence meeting has been called at 5 PM. 2) िम शोकग्रस्त पररर्ार के प्रहत अपनी सिंर्ेदना प्रकट करते िैं । We express our feeling to the grief-striken family. 3) यि शोक समाचार िमने प्रेस को भेज हदया िै । We have sent this sad news to the press. 4) बडे शोक के साथ किना पड रिा िै… We are to announce with deep sorrow. 5) हमत्र और ररश्तदार उनकी म्रृत्यु पर शोक प्रकट करने के हलए एकत्र िुए । Friends and relatives gathered to mourn his death. 6) मैं उनके शोकाकुल माता-हपता से हमला । I met his bereaved parents. शोक grief sad sorrow mourn bereavement condolence
  • 7. राम स्कूल जाता िै Ram goes to school. सीता स्कूल जाती िै Sita goes to school. र्े स्कूल जाते िैं They go to school. बािर हनकलने का कोई रास्ता/ चारा/ समािान निीं There is no way to out भारत से बािर रि रिे भारतीय Indians abroad इस प्रहक्रया में िोने र्ाली एक गलती सिंपूणव पाठ के अिंतगवत समस्या हनमावण करती िै । ऐसी समस्याओिं को मशीन स्र्यिं सिंशोहित निीं कर पाती िै । उपरोक्त हर्र्ेहचत हनयमों का सार रूप इस प्रकार िैं - 1). पाठ/र्ाक्य प्रहर्िीकरण 2). कोशािाररत रूहपहमक हर्श्लेषण 3). समर्तवनी परक रूपों की पिचान 4). सिंयुक्त सिंज्ञाओिंकी पिचान 5). मुिार्रों का हर्श्लेषण 6). सिंज्ञा-पद-बिंि र् हक्रया-पद की पिचान 7). पूर्वसगव, परसगव की पिचान 8). कताव र् हर्िेय की पिचान 9). र्ाक्यीय अनेकाथवकता की पिचान 10). स्रोत भाषा के रूहपमों की लक्ष्य भाषा के रूप में पिचान र् हर्श्लेषण 11). लक्ष्य भाषा में शब्दों र् पदबिंिों का र्ाक्यों के रूप में सिंयोजन । स्र्चाहलत मशीनी अनुर्ाद के हलए कुछ कहठनाईयाँ िै, हजन्िें यिाँ बताने का प्रयास हकया जा रिा िै- 1). किं ्यूटर में सृजनशीलता का अभार् :- मानर् अपनी बुहद्ध से अनेक समस्याओिंका िल खुद ढूँढ़ लेता िै लेहकन किं ्यूटर एक मशीन मात्र िै र्ि मानर् की तरि सोच निीं सकती हजसके कारण हकसी भी भाषा की प्रकृहत को समझने की क्षमता का उसमें अभी तक अभार् िै, हकन्तु र्ैज्ञाहनकों द्वारा इसके प्रयास जारी िै । 2). हर्जातीय भाषाएँ :- मशीनी अनुर्ाद की एक समस्या िै भाषाओिंका हर्जातीय िोना । िर भाषा की अपनी प्रकृहत िोती िै और उसके अनुसार उसकी सिंरचना िोती िै । हिन्दी (SOV) और अिंग्रेजी (SVO) दोनों हर्जातीय भाषाएँ िै हजसके कारण इनकी सिंरचना एर् सिंस्कृहत हभन्न िै और इसके चलते मशीनी अनुर्ाद के हलए यि कहठनाईयाँ पैदा करती िै । 3) सार्वभौहमक व्याकरण का अभार् :- चॉमस्की द्वारा अनेक सार्वभौहमक व्याकरणों का हनमावण हकया गया परिंतु आज भी मशीनी अनुर्ाद के हलए आर्श्यक सार्वभौहमक अथावत् सारी भाषाओिंपर आिाररत हनयमों से सिंबद्ध एक व्याकरण उपलब्ि निीं िो पाया िै । इसके चलते मशीनी अनुर्ाद के हलए आर्श्यक अनुप्रयोगों के हर्कास में हशहथलता िै । 4) एक शब्द के अनेक पयावयी शब्दों का िोना :- एक शब्द के अनेक पयावयी शब्द िोने के कारण डाटाबेस में स्थाहपत हकसी एक भाषा के शब्द का लक्ष्य भाषा में अनेक शब्दों का िोना मशीन के हलए सिी शब्द का चुनार् करना चुनौती िै। और इसी र्जि से गूगल र्ेब पर िोने र्ाला मशीनी अनुर्ाद उपयुक्त निीं किा जा सकता। जाता है जाती हैं से सामग्री- हर्श्लेशण टोकन का हनिावरण (शब्द,पदबन्ि, सिप्रयोग,रूढ़ अहभव्यहक्तयाँ ) शब्द- र्गों का हनिावरण (सिंज्ञा,हक्रया,हर्शे षक,हक्रयाहर्शेष क,परसगव, समुच्चयबोिक आहद) अनुर्ाद पयावय का हनिावरण (शब्दों के हलए, पदबिंिों के हलए रूढ़ प्रयोग)
  • 8. 5) भाहषक अनुप्रयोगों का अभार् :- मशीनी अनुर्ाद के हलए अनेक हनयमों से सिंबद्ध भाहषक अनुप्रयोगों की जरूरत िोती िै; जैसे- सिंगणकीय कोश, सिंगणकीय व्याकरण, र्तवनी जािंचक, जनरेटर, अहभज्ञानक और अिंतरण सॉफ्टर्ेअर आहद । इन अनुप्रयोगों का प्रयावि मात्रा में तथा पूणव रूप में हर्कास न िोना भी मशीनी अनुर्ाद के हलए एक समस्या िै । 6) कृहत्रम बुहध्द के हर्कास में देरी :- कृहत्रम बुहध्द हर्कास के द्वारा मशीन को मानर् बुहध्द की तरि िी कृहत्रम बुहद्ध प्रदान करने का कायव चल रिा िै हजसमें अनेक किं ्यूटर तथा भाषा- र्ैज्ञाहनक कायव कर रिें िै । इसके हर्कास से किं ्यूटर को मानर् की तरि िी सृजनशीलता प्राि िो जाएगी,लेहकन इसमें देरी भी मशीनी अनुर्ाद की एक समस्या िै । 7) सिंग्रिण क्षमता की कमी :- किं ्यूटर के हर्कास के साथ साथ िी उसकी सिंग्रिण क्षमता में भी र्ृहध्द िुई िै, परिंतु सिंपूणव भाषा की प्रकृहत को इसमें कैद कर पाना आज भी सिंभर् निीं िो पाया िै इसकी सिंग्रिण क्षमता आज भी कम िै । सारे भाहषक अनुप्रयोंगों को एक िी स्मृहत में रखना कहठन िोता िै, हजससे किं ्यूटर की तेजी में भी कमी आ जाती िै । 8) भाषा र्ैज्ञाहनकों का अभार् :- भाषा के हनयमों को सृहजत करने के हलए मुख्यत: भाषा- र्ैज्ञाहनकों की जरूरत िोती िै । लेहकन मशीनी अनुर्ाद के क्षेत्र में काम करने र्ालों में ज्यादातर किं ्यूटर र्ैज्ञाहनक िी िै न हक भाषा र्ैज्ञाहनक हजससे इस कायव को समस्याओिंसे जूझना पड रिा िै । इनके हनराकरण के हलए मशीनी अनुर्ाद के हर्शेषज्ञों ने व्यहतरेकी हर्श्लेषण तकनीक को मित्र्पूणव माना िै हजसे उक्त डायग्राम के माध्यम से दशावया गया िै । हनष्ट्कषवत: यि किा जा सकता िै हक उपयुवक्त समस्याओिं को दूर हकए जाने से मशीनी अनुर्ाद के हलए किं ्यूटर और भाषा र्ैज्ञाहनकों द्वारा प्रयत्न हकए जाने पर स्र्चहलत मशीनी अनुर्ाद जल्द िी सफल िो जाएगा । कृहत्रम बुहध्द का हर्कास इसी को पूणव करने का एक चरण िै । अनुर्ाद 'सेतु बन कर दो अनजान सिंस्कृहतयों और भाषा समुदाय के बी सिंर्ाद स्थाहपत करना' और इसमें अनुर्ाद सदा िी सफल रिा िै। आज अनुर्ाद की प्रासिंहगकता हदनों-हदन बढ़ रिी िै, अनुर्ादक पुन:सजवक िो गया िै । दोिरे जोहखम के इस कायव की पूहतव िेतु उसने तलर्ार की िार पर दौडने की कला सीखनी प्रारिंभ कर दी िै । र्ि दो सिंस्कृहतयों,हर्चारिाराओिं,हचिंतन परिंपराओिं,भाहषक सिंस्कारों,रीहत- ररर्ाजों एर्िं अर्िारणाओिं के बीच सेतु हनमावण का कायव करने लगा िै । स्र्त: सुखाय या जीर्कोपाजवन िेतु अनुर्ाद कायव के प्रहत समहपवत िोने र्ाला अनुर्ादक अब परकाया-प्रर्ेश की प्रहक्रया से गुजरने लगा िै । इस प्रहक्रया से गुजरने का िैयव और क्षमता हकसी सािक के पास िी िो सकती िै । अनुर्ाद करने की मूलभूत शतव ईमानदारी और हनष्ठा िै । यहद अनुर्ादक को िम एक सेतु हनमावण करने र्ाले के रूप में देखें तो उससे यि अपेक्षा की जाती िै हक र्ि पूरी ईमानदारी से पुख्ता और हचरस्थायी सेतु का हनमावण करे । प्रयोजनमूलक हिन्दी की सिंचारात्मकता शैली,र्ैज्ञाहनक अध्ययन,जन सिंप्रेषणीयता,पटकथात्मकता के हनमावण,सिंर्ाद लेखन,दृश्यात्मकता,कोड-हनमावण,सिंहक्षि कथन,हर्म्पबिहमवता, प्रतीकात्मकता, भाषा की आनुपाहतकता आहद मानकों को हिन्दी हफल्मों ने गढ़ा िै । 'इिंहडयन डायसपोरा‘ हर्श्वस्तर पर एक नयी अर्िारणा और सच्चाई िै । हिन्दी भाषा,साहित्य और सिंस्कृहत का लोकदूत बनकर इन तक पिुँचने की हदशा में अग्रसर िैं । भारत की राष्ट्रीय सिंस्कृहत,सामाहजक पररर्तवन,राजनीहतक घटनाचक्र का बैरोमीटर बनकर हििंदी भारतीय राष्ट्र की मुख्य हचिंतनिारा का उद्घाटन करती िैं । अहतभेदकता और अल्पभेदकता (Over- differentiation and Under differentiation) समान, अिवसमान, और असमान कोहटयाँ (Similar, Semi- similar and Dissimilar) समान व्याकरहणक माडल (Common Model of Grammar) व्यहतरेकी हर्श्लेषण तकनीक (Techniques of Contrastive Analysis) तुलना के आिार: रूप, अथव और सन्दभव (Basis of Comparison: form, meaning, context) बिुस्तरीय हर्श्लेषण (Multi-layer Analysis) Good Morning Good Day Good Afternoon नमस्ते या Good Evening नमस्कार Good Night बन्द और मुक्त व्यर्स्था (Bound and Open System)

Notes de l'éditeur

  1. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना
  2. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना
  3. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना
  4. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना
  5. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना
  6. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना
  7. © सर्वाधिकार सुरक्षित:डॉ. राम लखन मीना