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कारक
• पररभाषा – क्रिया क
े कर्त्ाा को कारक कहते हैं। जिन शब्दों का
क्रिया क
े साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध होता है उन्हें कारक
कहा िाता है अथाात क्रिया को करने वाला कारक कहलाता है। ये
शब्द संज्ञा एवं सवानाम शब्दों का वाक्य की क्रिया क
े साथ संबंध
प्रकट करते हैं।
कारक की पररभाषा
• Hindi Grammar
• Karak (Case)(कारक)
•
• कारक (Case) की पररभाषा
• संज्ञा या सवानाम क
े जिस रूप से वाक्य क
े अन्य शब्दों क
े साथ उनका (संज्ञा या सवानाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को)
'कारक' कहते हैं।
• अथवा- संज्ञा या सवानाम क
े जिस रूप से उनका (संज्ञा या सवानाम का) क्रिया से सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।
• इन दो 'पररभाषाओं' का अथा यह हुआ क्रक संज्ञा या सवानाम क
े आगे िब 'ने', 'को', 'से' आदद ववभजक्तयााँ लगती हैं, तब उनका रूप ही
'कारक' कहलाता हैं।
• तभी वे वाक्य क
े अन्य शब्दों से सम्बन्ध रखने योग्य 'पद' होते है और 'पद' की अवस्था में ही वे वाक्य क
े दूसरे शब्दों से या क्रिया से कोई
लगाव रख पाते हैं। 'ने', 'को', 'से' आदद ववभभत्र ववभजक्तयााँ ववभभत्र कारकों की है। इनक
े लगने पर ही कोई शब्द 'कारकपद' बन पाता है
और वाक्य में आने योग्य होता है। 'कारकपद' या 'क्रियापद' बने बबना कोई शब्द वाक्य में बैठने योग्य नहीं होता।
• दूसरे शब्दों में- संज्ञा अथवा सवानाम को क्रिया से िोड़ने वाले चिह्न अथवा परसगा ही कारक कहलाते हैं।
• िैसे- ''रामिन्रिी ने खारे िल क
े समुर पर बन्दरों से पुल बाँधवा ददया।''
• इस वाक्य में 'रामिन्रिी ने', 'समुर पर', 'बन्दरों से' और 'पुल' संज्ञाओं क
े रूपान्तर है, जिनक
े द्वारा इन संज्ञाओं का सम्बन्ध 'बाँधवा
ददया' क्रिया क
े साथ सूचित होता है।
• दूसरा उदाहरण-
• श्रीराम ने रावण को बाण से मारा
• इस वाक्य में प्रत्येक शब्द एक-दूसरे से बाँधा है और प्रत्येक शब्द का सम्बन्ध क्रकसी न क्रकसी रूप में क्रिया क
े साथ है।
• यहााँ 'ने' 'को' 'से' शब्दों ने वाक्य में आये अनेक शब्दों का सम्बन्ध क्रिया से िोड़ ददया है। यदद ये शब्द न हो तो शब्दों का क्रिया क
े साथ
तथा आपस में कोई सम्बन्ध नहीं होगा। संज्ञा या सवानाम का क्रिया क
े साथ सम्बन्ध स्थावपत करने वाला रूप कारक होता है।
कारक क
े भेद-
• दहन्दी में कारको की संख्या आठ है-
• (1)कताा कारक
• (2)कमा कारक
• (3)करण कारक
• (4)सम्प्रदान कारक
• (5)अपादान कारक
• (6)सम्बन्ध कारक
• (7)अचधकरण कारक
• (8)संबोधन कारक
कारक क
े ववभजक्त चिन्ह
कताा कारक
• )कताा कारक (Nominative case):-वाक्य में िो शब्द काम करने वाले क
े अथा में
आता है, उसे कताा कहते है। दूसरे शब्द में- क्रिया का करने वाला 'कताा' कहलाता है।
• इसकी ववभजक्त 'ने' लुप्त है।
• िैसे- ''मोहन खाता है।'' इस वाक्य में खाने का काम मोहन करता है अतः कताा
मोहन है ।
• ''मनोि ने पत्र भलखा।'' इस वाक्य क्रिया का करने वाला 'मनोि' कताा है।
• ववशेष- कभी-कभी कताा कारक में 'ने' चिह्न नहीं भी लगता है। िैसे- 'घोड़ा' दौड़ता
है।
• इसकी दो ववभजक्तयााँ है- ने और ०। संस्कृ त का कताा ही दहन्दी का कतााकारक है।
वाक्य में कताा का प्रयोग दो रूपों में होता है- पहला वह, जिसमें 'ने' ववभजक्त नहीं
लगती, अथाात जिसमें क्रिया क
े भलंग, विन और पुरुष कताा क
े अनुसार होते हैं। इसे
'अप्रत्यय कतााकारक' कहते है। इसे 'प्रधान कतााकारक' भी कहा िाता है।
• उदाहरणाथा, 'मोहन खाता है। यहााँ 'खाता हैं' क्रिया है, िो कताा 'मोहन' क
े भलंग और
विन क
े अनुसार है। इसक
े ववपरीत िहााँ क्रिया क
े भलंग, विन और पुरुष कताा क
े
अनुसार न होकर कमा क
े अनुसार होते है, वहााँ 'ने' ववभजक्त लगती है। इसे व्याकरण
में 'सप्रत्यय कतााकारक' कहते हैं। इसे 'अप्रधान कतााकारक' भी कहा िाता है।
उदाहरणाथा, 'श्याम ने भमठाई खाई'। इस वाक्य में क्रिया 'खाई' कमा 'भमठाई' क
े
अनुसार आयी है।
कमाकारक
• संज्ञा या सवानाम क
े जिस रूप पर क्रिया का प्रभाव या फल पङे,
उसे कमा कारक(Karm Karak) कहते हैं। कमा क
े साथ ’को’
ववभजक्त आती है। इसकी यही सबसे बड़ी पहिान होती है। कभी-
कभी वाक्यों में ’को’ ववभजक्त का लोप भी हो िाया करता है।
• कमा कारक क
े उदाहरण – Karm Karak ke Udaharan
• उसने सुनील को पढ़ाया।
• मोहन ने िोर को पकङा।
• लङकी ने लङक
े को देखा।
• कववता पुस्तक पढ़ रही है।
करण कारक
• जिस साधन से अथवा जिसक
े द्वारा क्रिया पूरी की िाती है, उस
संज्ञा को करण कारक(Karan Karak) कहते हैं।
• इसकी मुख्य पहिान ’से’ अथवा ’द्वारा’ है
• करण कारक क
े उदाहरण –
• रहीम गेंद से खेलता है।
• आदमी िोर को लाठी द्वारा मारता है।
• यहााँ ’गेंद से’ और ’लाठी द्वारा’ करणकारक है।
सम्प्रदान कारक
• जिसक
े भलए क्रिया की िाती है, उसे सम्प्रदान कारक(Samprdaan
Karak) कहते हैं। इसमें कमा कारक ’को’ भी प्रयुक्त होता है, क्रकन्तु
उसका अथा ’क
े भलये’ होता है।
• करण कारक क
े उदाहरण –
• सुनील रवव क
े भलए गेंद लाता है।
• हम पढ़ने क
े भलए स्क
ू ल िाते हैं।
• मााँ बच्िे को खखलौना देती है।
• उपरोक्त वाक्यों में ’मोहन क
े भलये’ ’पढ़ने क
े भलए’ और बच्िे को
सम्प्रदान है।
अपादान कारक
• अपादान का अथा है- अलग होना। जिस संज्ञा अथवा सवानाम से
क्रकसी वस्तु का अलग होना ज्ञात हो, उसे अपादान कारक(Apadaan
Karak) कहते हैं।
• करण कारक की भााँतत अपादान कारक का चिन्ह भी ’से’ है, परन्तु
करण कारक में इसका अथा सहायता होता है और अपादान में अलग
होना होता है।
• अपादान कारक क
े उदाहरण-
• दहमालय से गंगा तनकलती है।
• वृक्ष से पर्त्ा चगरता है।
• राहुल छत से चगरता है।
• इन वाक्यों में ’दहमालय से’, ’वृक्ष से’, ’छत से ’ अपादान कारक है।
सम्बन्ध कारक
• संज्ञा अथवा सवानाम क
े जिस रूप से एक वस्तु का सम्बन्ध दूसरी
वस्तु से िाना िाये, उसे सम्बन्ध कारक(Sambandh Karak) कहते
हैं।इसकी मुख्य पहिान है – ’का’, ’की’, क
े ।
• सम्बन्ध कारक क
े उदाहरण -
• राहुल की क्रकताब मेि पर है।
• सुनीता का घर दूर है।
• सम्बन्ध कारक क्रिया से भभन्न शब्द क
े साथ ही सम्बन्ध सूचित
करता है।
अचधकरण कारक
• संज्ञा क
े जिस रूप से क्रिया क
े आधार का बोध होता है, उसे
अचधकरण कारक(Adhikaran Karak) कहते हैं। इसकी मुख्य
पहिान है ’में’, ’पर’ होती है ।
• अचधकरण कारक क
े उदाहरण –
• घर पर मााँ है।
• घोंसले में चिङङया है।
• सङक पर गाङी खङी है।
• यहााँ ’घर पर’, ’घोंसले में’, और ’सङक पर’, अचधकरण है।
सम्बोधन कारक
• संज्ञा या जिस रूप से क्रकसी को पुकारने तथा सावधान करने का
बोध हो, उसे सम्बोधन कारक(Sambodhan kaarak) कहते हैं।
• इसका सम्बन्ध न क्रिया से और न क्रकसी दूसरे शब्द से होता है।
यह वाक्य से अलग रहता है। इसका कोई कारक चिन्ह भी नहीं है।
• सम्बोधन कारक क
े उदाहरण –
• खबरदार !
• रीना को मत मारो।
• रमा ! देखो क
ै सा सुन्दर दृश्य है।
• लङक
े ! िरा इधर आ।
करण कारक और अपादान कारक में अंतर को
समझें :
• करण कारक और अपादान कारक में अंतर को समझें :
• ववद्याचथायों में कारकों में करण और अपादान कारकों में सदा ही संशय
रहता है। इसका मुख्य कारण है क्रक दोनों कारकों में ‘से’ चिन्ह का प्रयोग
होता है। लेक्रकन अथा क
े आधार पर दोनों कारकों में अंतर होता है। पहले हम
बात करेंगे करण कारक की, तो करण कारक में िहााँ पर ‘से’ का प्रयोग
साधन क
े भलए होता है। अगर हम अपादान कारक की बात करें तो इसमें
अलग होने का भाव होता है। वाक्य में कताा काया करने क
े भलए जिस साधन
का प्रयोग करता है, उसे हम करण कारक कहते हैं। और वहीं दूसरी तरफ
अपादान कारक में अलगाव या दूर िाने का भाव होता है।
• अब हम इनक
े उदाहरण पढ़ेंगे गंगा दहमालय से तनकलती है (अपादान
कारक)
• बालक खखलोने से खेल रहे हैं (करण कारक)
• राम छत से चगर गया (अपादान कारक)
• वह अपने गााँव से भाग गया (अपादान कारक)
• सीता िाक
ू से फल छील रही है (करण कारक)
कारक क
े प्रश्न
• 1.गीता हाथ से मारती है’ में कौन-सा कारक है-
• (अ) कताा (ब) अपादान
• (स) अचधकरण (द) करण
• 2. कारक चिह्नों को यह भी कहा िाता है-
• (अ) अव्यय (ब) संज्ञा चिह्न
• (स) परसगा (द) संयोिक
• 3. ’तोता डाली पर बैठा है।’ वाक्य में कारक है-
• (अ) सम्प्रदान (ब) करण
• (स) अचधकरण (द) कताा
• 4. ’वृक्ष से पर्त्ा चगरता है’ वाक्य में कौन-सा कारक है?
• (अ) अचधकरण (ब) कमा
• (स) अपादान (द) कारण
• 5. ’मैं बालक
ॅ नी में बैठा था’ वाक्य में कौन-सा कारक है?
• (अ) कताा (ब) करण
• (स) अचधकरण (द) सम्प्रदान
• 6.’मुरली गााँव से िला गया’ वाक्य में कौन-सा कारक है?
• (अ) कमा (ब) सम्बन्ध
• (स) सम्बोधन (द) अपादान
• 7.'हरर मोहन को रुपये देता है’ कारक है-
• (अ) कमा कारक (ब) करण कारक
• (स) सम्प्रदान कारक (द) उपयुाक्त में से कोई नही.
• 8.’पेङ से फल चगरते हैं’ यह वाक्य है-
• (अ) करण कारक का (ब) सम्प्रदान कारक का
• (स) अपादान कारक का (द) सम्बन्ध कारक का
उर्त्र
• 1.द
• 2.स
• 3.स
• 4.स
• 5.स
• 6.द
• 7.स
• 8.स
•पूनम खोला प्रभशक्षक्षत
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(दहंदी)

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  • 2. कारक • पररभाषा – क्रिया क े कर्त्ाा को कारक कहते हैं। जिन शब्दों का क्रिया क े साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध होता है उन्हें कारक कहा िाता है अथाात क्रिया को करने वाला कारक कहलाता है। ये शब्द संज्ञा एवं सवानाम शब्दों का वाक्य की क्रिया क े साथ संबंध प्रकट करते हैं।
  • 3. कारक की पररभाषा • Hindi Grammar • Karak (Case)(कारक) • • कारक (Case) की पररभाषा • संज्ञा या सवानाम क े जिस रूप से वाक्य क े अन्य शब्दों क े साथ उनका (संज्ञा या सवानाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं। • अथवा- संज्ञा या सवानाम क े जिस रूप से उनका (संज्ञा या सवानाम का) क्रिया से सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं। • इन दो 'पररभाषाओं' का अथा यह हुआ क्रक संज्ञा या सवानाम क े आगे िब 'ने', 'को', 'से' आदद ववभजक्तयााँ लगती हैं, तब उनका रूप ही 'कारक' कहलाता हैं। • तभी वे वाक्य क े अन्य शब्दों से सम्बन्ध रखने योग्य 'पद' होते है और 'पद' की अवस्था में ही वे वाक्य क े दूसरे शब्दों से या क्रिया से कोई लगाव रख पाते हैं। 'ने', 'को', 'से' आदद ववभभत्र ववभजक्तयााँ ववभभत्र कारकों की है। इनक े लगने पर ही कोई शब्द 'कारकपद' बन पाता है और वाक्य में आने योग्य होता है। 'कारकपद' या 'क्रियापद' बने बबना कोई शब्द वाक्य में बैठने योग्य नहीं होता। • दूसरे शब्दों में- संज्ञा अथवा सवानाम को क्रिया से िोड़ने वाले चिह्न अथवा परसगा ही कारक कहलाते हैं। • िैसे- ''रामिन्रिी ने खारे िल क े समुर पर बन्दरों से पुल बाँधवा ददया।'' • इस वाक्य में 'रामिन्रिी ने', 'समुर पर', 'बन्दरों से' और 'पुल' संज्ञाओं क े रूपान्तर है, जिनक े द्वारा इन संज्ञाओं का सम्बन्ध 'बाँधवा ददया' क्रिया क े साथ सूचित होता है। • दूसरा उदाहरण- • श्रीराम ने रावण को बाण से मारा • इस वाक्य में प्रत्येक शब्द एक-दूसरे से बाँधा है और प्रत्येक शब्द का सम्बन्ध क्रकसी न क्रकसी रूप में क्रिया क े साथ है। • यहााँ 'ने' 'को' 'से' शब्दों ने वाक्य में आये अनेक शब्दों का सम्बन्ध क्रिया से िोड़ ददया है। यदद ये शब्द न हो तो शब्दों का क्रिया क े साथ तथा आपस में कोई सम्बन्ध नहीं होगा। संज्ञा या सवानाम का क्रिया क े साथ सम्बन्ध स्थावपत करने वाला रूप कारक होता है।
  • 4. कारक क े भेद- • दहन्दी में कारको की संख्या आठ है- • (1)कताा कारक • (2)कमा कारक • (3)करण कारक • (4)सम्प्रदान कारक • (5)अपादान कारक • (6)सम्बन्ध कारक • (7)अचधकरण कारक • (8)संबोधन कारक
  • 6.
  • 7. कताा कारक • )कताा कारक (Nominative case):-वाक्य में िो शब्द काम करने वाले क े अथा में आता है, उसे कताा कहते है। दूसरे शब्द में- क्रिया का करने वाला 'कताा' कहलाता है। • इसकी ववभजक्त 'ने' लुप्त है। • िैसे- ''मोहन खाता है।'' इस वाक्य में खाने का काम मोहन करता है अतः कताा मोहन है । • ''मनोि ने पत्र भलखा।'' इस वाक्य क्रिया का करने वाला 'मनोि' कताा है। • ववशेष- कभी-कभी कताा कारक में 'ने' चिह्न नहीं भी लगता है। िैसे- 'घोड़ा' दौड़ता है। • इसकी दो ववभजक्तयााँ है- ने और ०। संस्कृ त का कताा ही दहन्दी का कतााकारक है। वाक्य में कताा का प्रयोग दो रूपों में होता है- पहला वह, जिसमें 'ने' ववभजक्त नहीं लगती, अथाात जिसमें क्रिया क े भलंग, विन और पुरुष कताा क े अनुसार होते हैं। इसे 'अप्रत्यय कतााकारक' कहते है। इसे 'प्रधान कतााकारक' भी कहा िाता है। • उदाहरणाथा, 'मोहन खाता है। यहााँ 'खाता हैं' क्रिया है, िो कताा 'मोहन' क े भलंग और विन क े अनुसार है। इसक े ववपरीत िहााँ क्रिया क े भलंग, विन और पुरुष कताा क े अनुसार न होकर कमा क े अनुसार होते है, वहााँ 'ने' ववभजक्त लगती है। इसे व्याकरण में 'सप्रत्यय कतााकारक' कहते हैं। इसे 'अप्रधान कतााकारक' भी कहा िाता है। उदाहरणाथा, 'श्याम ने भमठाई खाई'। इस वाक्य में क्रिया 'खाई' कमा 'भमठाई' क े अनुसार आयी है।
  • 8. कमाकारक • संज्ञा या सवानाम क े जिस रूप पर क्रिया का प्रभाव या फल पङे, उसे कमा कारक(Karm Karak) कहते हैं। कमा क े साथ ’को’ ववभजक्त आती है। इसकी यही सबसे बड़ी पहिान होती है। कभी- कभी वाक्यों में ’को’ ववभजक्त का लोप भी हो िाया करता है। • कमा कारक क े उदाहरण – Karm Karak ke Udaharan • उसने सुनील को पढ़ाया। • मोहन ने िोर को पकङा। • लङकी ने लङक े को देखा। • कववता पुस्तक पढ़ रही है।
  • 9. करण कारक • जिस साधन से अथवा जिसक े द्वारा क्रिया पूरी की िाती है, उस संज्ञा को करण कारक(Karan Karak) कहते हैं। • इसकी मुख्य पहिान ’से’ अथवा ’द्वारा’ है • करण कारक क े उदाहरण – • रहीम गेंद से खेलता है। • आदमी िोर को लाठी द्वारा मारता है। • यहााँ ’गेंद से’ और ’लाठी द्वारा’ करणकारक है।
  • 10. सम्प्रदान कारक • जिसक े भलए क्रिया की िाती है, उसे सम्प्रदान कारक(Samprdaan Karak) कहते हैं। इसमें कमा कारक ’को’ भी प्रयुक्त होता है, क्रकन्तु उसका अथा ’क े भलये’ होता है। • करण कारक क े उदाहरण – • सुनील रवव क े भलए गेंद लाता है। • हम पढ़ने क े भलए स्क ू ल िाते हैं। • मााँ बच्िे को खखलौना देती है। • उपरोक्त वाक्यों में ’मोहन क े भलये’ ’पढ़ने क े भलए’ और बच्िे को सम्प्रदान है।
  • 11. अपादान कारक • अपादान का अथा है- अलग होना। जिस संज्ञा अथवा सवानाम से क्रकसी वस्तु का अलग होना ज्ञात हो, उसे अपादान कारक(Apadaan Karak) कहते हैं। • करण कारक की भााँतत अपादान कारक का चिन्ह भी ’से’ है, परन्तु करण कारक में इसका अथा सहायता होता है और अपादान में अलग होना होता है। • अपादान कारक क े उदाहरण- • दहमालय से गंगा तनकलती है। • वृक्ष से पर्त्ा चगरता है। • राहुल छत से चगरता है। • इन वाक्यों में ’दहमालय से’, ’वृक्ष से’, ’छत से ’ अपादान कारक है।
  • 12. सम्बन्ध कारक • संज्ञा अथवा सवानाम क े जिस रूप से एक वस्तु का सम्बन्ध दूसरी वस्तु से िाना िाये, उसे सम्बन्ध कारक(Sambandh Karak) कहते हैं।इसकी मुख्य पहिान है – ’का’, ’की’, क े । • सम्बन्ध कारक क े उदाहरण - • राहुल की क्रकताब मेि पर है। • सुनीता का घर दूर है। • सम्बन्ध कारक क्रिया से भभन्न शब्द क े साथ ही सम्बन्ध सूचित करता है।
  • 13. अचधकरण कारक • संज्ञा क े जिस रूप से क्रिया क े आधार का बोध होता है, उसे अचधकरण कारक(Adhikaran Karak) कहते हैं। इसकी मुख्य पहिान है ’में’, ’पर’ होती है । • अचधकरण कारक क े उदाहरण – • घर पर मााँ है। • घोंसले में चिङङया है। • सङक पर गाङी खङी है। • यहााँ ’घर पर’, ’घोंसले में’, और ’सङक पर’, अचधकरण है।
  • 14. सम्बोधन कारक • संज्ञा या जिस रूप से क्रकसी को पुकारने तथा सावधान करने का बोध हो, उसे सम्बोधन कारक(Sambodhan kaarak) कहते हैं। • इसका सम्बन्ध न क्रिया से और न क्रकसी दूसरे शब्द से होता है। यह वाक्य से अलग रहता है। इसका कोई कारक चिन्ह भी नहीं है। • सम्बोधन कारक क े उदाहरण – • खबरदार ! • रीना को मत मारो। • रमा ! देखो क ै सा सुन्दर दृश्य है। • लङक े ! िरा इधर आ।
  • 15. करण कारक और अपादान कारक में अंतर को समझें : • करण कारक और अपादान कारक में अंतर को समझें : • ववद्याचथायों में कारकों में करण और अपादान कारकों में सदा ही संशय रहता है। इसका मुख्य कारण है क्रक दोनों कारकों में ‘से’ चिन्ह का प्रयोग होता है। लेक्रकन अथा क े आधार पर दोनों कारकों में अंतर होता है। पहले हम बात करेंगे करण कारक की, तो करण कारक में िहााँ पर ‘से’ का प्रयोग साधन क े भलए होता है। अगर हम अपादान कारक की बात करें तो इसमें अलग होने का भाव होता है। वाक्य में कताा काया करने क े भलए जिस साधन का प्रयोग करता है, उसे हम करण कारक कहते हैं। और वहीं दूसरी तरफ अपादान कारक में अलगाव या दूर िाने का भाव होता है। • अब हम इनक े उदाहरण पढ़ेंगे गंगा दहमालय से तनकलती है (अपादान कारक) • बालक खखलोने से खेल रहे हैं (करण कारक) • राम छत से चगर गया (अपादान कारक) • वह अपने गााँव से भाग गया (अपादान कारक) • सीता िाक ू से फल छील रही है (करण कारक)
  • 16. कारक क े प्रश्न • 1.गीता हाथ से मारती है’ में कौन-सा कारक है- • (अ) कताा (ब) अपादान • (स) अचधकरण (द) करण • 2. कारक चिह्नों को यह भी कहा िाता है- • (अ) अव्यय (ब) संज्ञा चिह्न • (स) परसगा (द) संयोिक • 3. ’तोता डाली पर बैठा है।’ वाक्य में कारक है- • (अ) सम्प्रदान (ब) करण • (स) अचधकरण (द) कताा • 4. ’वृक्ष से पर्त्ा चगरता है’ वाक्य में कौन-सा कारक है? • (अ) अचधकरण (ब) कमा • (स) अपादान (द) कारण
  • 17. • 5. ’मैं बालक ॅ नी में बैठा था’ वाक्य में कौन-सा कारक है? • (अ) कताा (ब) करण • (स) अचधकरण (द) सम्प्रदान • 6.’मुरली गााँव से िला गया’ वाक्य में कौन-सा कारक है? • (अ) कमा (ब) सम्बन्ध • (स) सम्बोधन (द) अपादान • 7.'हरर मोहन को रुपये देता है’ कारक है- • (अ) कमा कारक (ब) करण कारक • (स) सम्प्रदान कारक (द) उपयुाक्त में से कोई नही. • 8.’पेङ से फल चगरते हैं’ यह वाक्य है- • (अ) करण कारक का (ब) सम्प्रदान कारक का • (स) अपादान कारक का (द) सम्बन्ध कारक का
  • 18. उर्त्र • 1.द • 2.स • 3.स • 4.स • 5.स • 6.द • 7.स • 8.स