2. पकृ ित और िवदा के पित
अपने समपरण को दशारन े का
यह सबसे बेह तरीन मौका है .
ठं डी के बाद मौसम अपने
सबसे रं गीन रप मे करवट
लेत ा है और पेड़ ो पर िनकली
नई कोपले इस शुभ -संके त दे त ी
है
3. वसंत आते-आते शीत ऋतु लगभग समाप्त होने लगती
है। चारो ओर नई कोपलो और रं ग-िबरं गे फू लो से
सज-धज कर पकृ ित दुलहन-सी नज़र आती है।
4. वसंत पंच मी मुख यत : मां सरसवती के पकट होने
के उप लकय मे मनाया जाता है .
वसंत पंच मी के िदन िपतृ तपरण और कामदेव की पूजा
का भी िवधान है. वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा
ज्ञान पंचमी भी कहते है.
7. सृति मष्टि दके दप्रारं ि मभिक दकाल दमें दभिगवान दि मवष्णु दकी दआज्ञा दसे द
ब्रह्माजी दने दमनुष्य दयोि मन दकी दरचना दकी. पर दअभपने द
प्रारं ि मभिक दअभवस्था दमें दमनुष्य दमूक दथा दऔर दधर्रती द
ि मबिलकु ल दशांत दथी.
8. ब्रह्माजी दने दजबि दधर्रती दको दमूक दऔर दनीरस ददिेखा दतो दअभपने द
कमंडल दसे दजल दलेकर दि मछटका दिदिया., ि मजससे दएक दअभदभिुत दशि मक्ति द
के दरूप दमें दचतुभिुर्मजी दसुंदिर दस्त्री दप्रकट दहुई. ि मजनके दएक दहिंाथ दमें द
वीणा दएवं ददिूसरा दहिंाथ दवर दमुद्रा दमें दथा. इस दजल दसे दहिंाथ दमें द
वीणा दधर्ारण दिकए दजो दशि मक्ति दप्रगट दहुई, वहिं दसरस्वती दकहिंलाई.
उनके दवीणा दका दतार दछेड़ते दहिंी दतीनों दलोकों दमें दकं पन दहिंो दगया द
(यानी दऊर्जार्म दका दसंचार दआरं भि दहुआ) और दसबिको दशब्दि दऔर द
वाणी दि ममल दगई.
9. वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती
की पूजा और हल्दी का ही ितलक लगाने का िवधान
है. यह सब भी प्रकृत ित का ही श्रृतंगार है. पीला रं ग इस
बात का भी द्योतक है िक फसलें पकने वाली है. पीला
रं ग समृतिद्धि का सूचक कहा गया है.
10. वसंत पंचमी
आज के िदन से बच्चों को िवद्यारं भ कराना शुभ माना
जाता है। वसंत पंचमी के िदन से ही होली की तैयारी
शुरू हो जाती है। इस िदन से फाग खेलना शुरू हो
जाता है।
11. वसंत पंचमी
िवश्व के लगभग सभी प्रदेशों में कला, िवद्या और ज्ञान
का संरक्षक तथा अधिधष्ठाता देिवयों को ही माना गया
है। इसके िलए उनके िविभन्न रूपों की कल्पना की गई
है
12. िवश्व में वसंत पंचमी
यूनान के किव होमर ने सात प्रकार की सरस्वती का
उल्लेख िकया है। एथंज़ में संगीत की देवी म्यूज की
आराधना होती है, इस िदन मंिदर में मिहलाएँ गीत
और नृतत्य का आयोजन करती है। यूनान में सैफो
सरस्वती का रूप मानी जाती है।
प्राचीन चीन में बहुरं गी कला की देवी नील सरस्वती
की उपासना होती थी। यूरोप में सरस्वती पूजन जैतून
के वृतक्ष की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
13. िवश मे वसंत पंचमी
िमस्र मे ज्ञान और प्रज्ञा की देवी के रूप मे सरस्वती की
पूजा की जाती थी। रोम की अग्निग्नि की देवी वेस्ता पाक
िवद्या की देवी हैं।
इटली मे सौंदय र्य और स्वास्थ्य िवज्ञान की अग्निधिष्ठात्री
की पूजा इसी ऋतु मे बागों मे की जाती थी, िजन्हे
फे िमना कहा जाता है।
14. वसंत पंचमी
जीवन मे िवद्या के िबना कु छ भी पाना बेहद जिटल
है. िवद्या की देवी के पूजन के साथ आज हमे प्रकृत ित के
प्रित अग्नपना आभार प्रकट करना चािहए.
वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती की
पूजा और हल्दी का ही ितलक लगाने का िवधिान है. य ह सब
भी प्रकृत ित का ही श्रृतंगार है. पीला रं ग इस बात का भी द्योतक
है िक फसले पकने वाली हैं. पीला रं ग समृतिद्धि का सूचक कहा
गय ा है.