4. विश्िास बनाम अविश्िास Trust vs. Mistrust
• यह ऐरिक्सन का पहला मनोसामाजिक चिण है जिसका िीवन के पहले
वर्ष में अनुभव ककया िाता है।
• ववश्वास के अनुभव के ललए शािीरिक आिाम, कम से कम डि, भववष्य के
प्रतत कम से कम चचन्ता िैसी जथिततयों की आवश्यकता होती है।
• बचपन में ववश्वास के अनुभव से संसाि के बािे में अच्छे औि सकािात्मक
ववचाि ववकलसत हो िाते हैं।
5. स्िायत्ता बनाम शमम Autonomy vs. Shame
• ऐरिक्सन के द्ववतीय ववकासात्मक चिण में यह जथितत शैशवावथिा के उत्तिार्ष
औि बाल्यावथिा के बीच होती है।
• अपने पालक के प्रतत ववश्वास होने के बाद बालक यह आववष्काि किता है कक
बालक का व्यवहाि उसका थवयं का है।
• वह अपने आप में थवतंत्र औि थवायत्त है। उसे अपनी इच्छा का अनुभव होता
है।
• बालक पि अचर्क बंर्न लगाया िाए या कठोि दंड ददया िाए तो उनके अंदि
शमष औि संदेह की भावना ववकलसत होने की संभावना बढ़ िाती है।
6. पहल बनाम अपिाध बोध Initiative vs. Guilt
• एक प्रािंलभक शैशव अवथिा की तुलना में औि अचर्क चुनौततयां झेलनी
पड़ती हैं। इन चुनौततयों का सामना किने के ललए एक सकिय औि प्रयोिन
पूणष व्यवहाि की आवश्यकता होती है।
• इस उम्र में बच्चों को उनके शिीि, उनके व्यवहाि, उनके खिलौने औि पालतू
पशुओं के बािे में ध्यान देने को कहा िाता है।
• बालक गैि जिम्मेदाि है औि उसे बाि-बाि व्यग्र ककया िाए तो उनके अंदि
असहि अपिार् बोर् की भावना उत्पन्न हो सकती है।
7. परिश्रम/उद्यम बनाम हीन भािना
• यह ऐरिक्सन का चौिा ववकासात्मक चिण है िो कक बाल्यावथिा के
मध्य में (प्रािंलभक वर्ाां में) परिलक्षित होता है।
• बालक द्वािा की गई पहल से वह नए अनुभवों के संपकष में आता है।
औि िैसे-िैसे वह बचपन के मध्य औि अंत तक पहुंचता है, तब तक वह
अपनी ऊिाष को बौद्चर्क कौशल औि ज्ञान से हालसल किने की ददशा में
मोड़ देता है।
• बाल्यावथिा का अंततम चिण कल्पनाशीलता से भिा होता है, यह समय
बालक के सीिने के प्रतत जिज्ञासा का सबसे अच्छा समय होता है। इस
आयु में बालक के अन्दि हीनभावना (अपने आपको अयोग्य औि असमिष
समझने की भावना) ववकलसत होने की संभावना िहती है।
8. पहचान बनाम पहचान भ्राजन्त
• यह ऐरिक्सन का पांचवा ववकासात्मक चिण है, जिसका अनुभव ककशोिावथिा
के वर्ाां में होता है। इस समय व्यजक्त को इन प्रश्नों का सामना किना पड़ता
है कक वो कौन है? ककसके संबंचर्त है? औि उनका िीवन कहां िा िहा है?
• ककशोिों को बहुत सािी नई भूलमकाएं औि वयथक जथिततयों का सामना किना
पड़ता है िैसे व्यावसातयक औि िोमेंदिक। उदाहिण के ललए अलभभावकों को
ककशोिों की उन ववलभन्न भूलमकाओं औि एक ही भूलमका के ववलभन्न भागों
का पता लग सकता है, जिनका वह िीवन में पालन कि सकता है।
• इसके सकािात्मक िाथते पता लगाने का मौका न लमले तब, पहचान भ्राजन्त
की जथितत हो िाती है।
9. आत्मीयता बनाम अलगाि
• जिसका अनुभव युवावथिा के प्रािंलभक वर्ो में होता है। यह व्यजक्त के
पास दूसिों से आत्मीय संबंर् थिावपत किने का ववकासात्मक मानक है।
• आत्मीयता का अिष है, थवयं को िोिना, जिसमें थवयं को ककसी औि
(व्यजक्त में) िोिना पड़ता है।
• व्यजक्त की ककसी के साि थवथि लमत्रता ववकलसत हो िाती है औि एक
आत्मीय संबंर् बन िाता है, तब उसके अंदि आत्मीयता की भावना आ
िाती है। यदद ऐसा नहीं होता है तो अलगाव की भावना उत्पन्न हो िाती
है।
10. उत्पादकता बनाम जस्ििता
• यह ऐरिक्सन का सातवां चिण है िो
• मध्य वयथक अवथिा में अनुभव होता है।
• उस चिण का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को ववकास में
सहायता से संबंचर्त होता है।
• ऐरिक्सन का उत्पादकता से यही अिष है कक नई पीढ़ी के
ललए कु छ नहीं कि पाने की भावना से जथििता की भावना
उत्पन्न होती है।
11. संपूर्मता बनाम ननिाशा -
• यह ऐरिक्सन का आठवां औि अंततम चिण है।
• िो कक वृद्र्ावथिा में अनुभव होता है।
• इस चिण में व्यजक्त अपने अतीत को िुकड़ों में एक साि याद किता है
औि एक सकािात्मक तनष्कर्ष तनकालता है या किि बीते हुए िीवन के बािे
में असंतुजष्ि भिी सोच बना लेता है।
• अलग-अलग प्रकाि के वृद्र् लोगों की अपने बीते हुए िीवन के ववलभन्न
चिणों के बािे में एक सकािात्मक सोच ववकलसत होती है।
• संपूणषता की भावना का अनुभव होता है। अगि बीते हुए िीवन के बािे में
सकािात्मक ववचाि नहीं बन पाते हैं तो उदासी की भावना घि कि िाती है।
इसे ऐरिक्सन ने तनिाशा का नाम ददया है।