दिनांक 4 और 5 जनवरी, 2018 को वैज्ञानिक तथा
तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली (http://www.cstt.nic.in) और हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड, वायुयान प्रभाग, नासिक (http://www.hal-india.com) के संयुक्त तत्वावधान में 'इंजीनियरी एवं प्रशासनिक शब्दावली का प्रयोग' विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें विभिन्न विद्वान व्याख्याताओं ने विभिन्न विषयों पर सभी के लिए अत्यंत उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यानों से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया। श्री साकेत चतुर्वेदी, नासिक, श्री राहुल खटे, भारतीय स्टेट बैंक, नासिक, डॉ. शंकर प्रसाद, बेंगलुरु, श्री संजय पांडेय, बेंगलुरु, डॉ. महेश, बेंगलुरु तथा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के श्री शिवकुमार चौधरी जी, नई दिल्ली ने प्रतिभागियों को विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नराकास नासिक एवं एच.ए.एल. नासिक के 105 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। डॉ.अनिकेत बोरकर, प्रबंधक (राजभाषा) ने कार्यक्रम का एच.ए.एल. वायुयान प्रभाग, नासिक में आयोजन एवं संचालन किया।
Milit powepoint presentation (hindi) by rahul khate (pdf)
वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दों की व्युत्पत्ति और विकास Pdf
1. इंजीनियरी एवं प्रशासनिक शब्दावली
का प्रयोग
नवषय पर दो नदवसीय प्रनशक्षण काययक्रम
*********
नदिांक:
4 और 5 जिवरी, 2018
******
स्थाि:
न ंदुस्थाि एरोिोनिक्स नलनमिेड, ओझर, िानशक
2. वैज्ञानिक एवं तकिीकी शब्दों की
व्युत्पनि और नवकास
प्रस्तुतत:
राहुल खटे,
उप प्रबंधक (राजभाषा),
भारतीय स्टेट बैंक, प्रशासतिक कायाालय, िातसक
3. वैज्ञानिक तथा तकिीकी शब्दावली आयोग
भारत की स्वतंत्रता के बाद वैज्ञानिक-तकिीकी शब्दावली के नलए नशक्षा
मंत्रालय िे सि् 1950 में बोर्ड की स्थापिा की। सि् 1952 में बोर्ड के
तत्त्वावधाि में शब्दावली निमाडण का कायड प्रारंभ हुआ। अन्तत: 1960
में के न्रीय नहन्दी निदेशालय और 1961 ई. में वैज्ञानिक तथा तकिीकी
शब्दावली आयोग की स्थापिा हुई। इस प्रकार नवनभन्ि अवसरों पर तैयार
शब्दावली को 'पाररभानिक शब्द संग्रह' शीिडक से प्रकानशत नकया गया,
निसका उद्देश्य एक ओर वैज्ञानिक तथा तकिीकी शब्दावली आयोग के
समन्वय कायड के नलए आधार प्रदाि करिा था और दूसरी ओर अन्तररम
अवनध में लेखकों को िई संकल्पिाओं के नलए सवडसम्मत पाररभानिक शब्द
प्रदाि करिा था।
4. 1. वैज्ञानिक शब्दावली के निमाडण के नसद्ांतों का निधाडरण करिा तथा
तकिीकी शब्दावली के क्षेत्र में अब तक नकए गए कायड का पुिरीक्षण,
समन्वय तथा समेकि।
2. नवनभन्ि नवियों की मािक वैज्ञानिक शब्दावली का निमाडण, प्रकाशि, प्रचार-
प्रसार एवं प्रनशक्षण।
3. आयोग द्वारा निनमडत शब्दावली के प्रयोग को पररलनक्षत करते हुए नवनभन्ि
पाररभानिक शब्दकोशों का निमाडण एवं प्रकाशि।
4. पाठमालाओं, मोिोग्राफ, चयनिकाओं (र्ाइिेस्ट) एवं पाठ-संग्रहों (रीनर्ंग्स)
का निमाडण एवं प्रकाशि।
5. नवज्ञाि तथा मािनवकी आनद में उच्च स्तरीय नवश्वनवद्यालय स्तर के पाठ्य
ग्रंथों के निमाडण एवंप्रकाशि के नलए सभी नहंदी-भािी राज्यों में नहंदी ग्रंथ
अकादनमयों/नवश्वनवद्यालय एककों की स्थापिा करिा, उन्हें अिुदाि देिा एवं
मागडदशडि प्रदाि करिा।
5. 6. अनखल भारतीय शब्दावली का संकलि, प्रकाशि, प्रचार एवं अिुप्रयोग।
7. नवज्ञाि तथा मािनवकी में उच्च स्तरीय लेखि को प्रोत्सानहत करिे के नलए
क्रमशः त्रैमानसक पनत्रकाओं‘नवज्ञाि गररमा नसंधु’ तथा ज्ञाि गररमा नसन्धु’ का
प्रकाशि।
8. नवश्वनवद्यालयों एवं उच्च तकिीकी संस्थािों के प्राध्यापकों/वैज्ञानिकों आनद
को आयोग द्वारा निनमडतशब्दावली का प्रनशक्षण देिे तथा नहंदी में नवज्ञाि
लेखि को प्रोत्सानहत करिे के नलए शब्दावली कायडशालाओं का आयोिि
करिा।
9. आयोग द्वारा निनमडत समस्त शब्दावली का कं प्यूटरीकरण करते हुए कं प्यूटर-
आधाररत राष्ट्रीयशब्दावली बैंक की स्थापिा करिा तानक देश भर में सभी
नवियों की अद्यति मािक शब्दावली सवडसुलभ हो िाए।
10. कृ नि, आयुनवडज्ञाि एवं इंिीनियरी के सभी नवियों में नवश्वनवद्यालय-स्तरीय
पाठ्यपुस्तकों, संदभड-ग्रथों एवं सहायक सामग्री का निमाडण एवं प्रकाशि।
15. शब्द की व्युत्पति
शेक्सनपयर कहते हैं: “िाम में क्या रखा है? िाम
तो कु छ भी हो सकता है।”
लेनकि भारतीय वेदों के अिुसार शब्द “ब्रह्म” है।
16. शब्द-वगीकरण और शब्द तिर्ााण
भािा की संरचिा में शब्दों को कापफी महत्त्वपूणड मािा िाता है। भािा की अनभव्यनकत क्षमता
उसके शब्द भंर्ार पर निभडर करती है। शब्द उदगम की दृनिट से चार प्रकार के मािे िाते हैं-
तत्सम, तदभव, देशी और नवदेशी।
1. तत्सर् शब्द - ये शब्द नहंदी की संस्कृ तनिष्ठ शैली में नमलते हैं। इिके भी दो प्रकार हैं-
परम्परागत और निनमडत। परंपरागत वे शब्द होते हैं िो संत वागमय से नलए गए हैं- िैसे शास्त्र
= शौयड, ज्ञाि, दशडि आनद। निनमडत शब्द वे हैं िो आधुनिक युग की आवश्यकताओंके अिुरूप
बिाए गए हैं। वास्तव में मािक नहन्दी की संरचिात्मक प्रवृनि रचिात्मक और उदार है।
उपसगड, प्रत्यय, समास आनद के आधर पर िए शब्दों का निमाडण नहंदी की एक बडी नवशेिता
है। नहंदी में तत्सम शब्दों में संनध और समास की प्रनक्रया संस्Ñत के अिुसार ही है, लेनकि
उसिे अपिी रूपस्वनिनमक व्यवस्था भी अपिाइड है। िैसे संनध में अल्पप्राण के बाद 'ह ध्वनि
आिे पर अल्पप्राण महाप्राण में बदल िाता है। िैसे अब + ही = अभी, तब + ही = तभी। इसी
प्रकार समास में भी अस्वीकरण की अपिी प्रवृनि नमलती है। िैसे- घोडों की दौड = घुडदौड।
आठ आिे = अठन्िी आनद।
17. 2. तदभव शब्द : ये वे शब्द हैं िो संस्कृ त नहंदी तक आते-आते
पररवनतडत हो गए हैं-तथा अब नहंदी के अपिे मािक शब्द बि चुके हैं।
िैसे-सप्त से सात, हस्त से हाथ, मस्तक से माथा, स्वणड से सोिा,
मुख से मुाँह आनद।
3. तवदेशी शब्द : िो अंग्रेिी, अरबी-पफारसी आनद दूसरी भािाओंसे
आगत शब्द हैं िैसे-नसक्का, नसपाही, हलवाइड, तबला, रुमाल,
शीशा, तािा, रेनर्यो, साइनकल, मीटर आनद।
4. देसी शब्द : ये वे शब्द हैं िो नकसी भारतीय आयड या आयेतर भािा
से मािक नहंदी में आए हैं। िैसे-बंगला से गल्प, गुिराती से हडताल,
मराठी से चालू आनद। व्युत्पनत के आधर पर नहंदी के शब्द तीि
प्रकार के हैं-
18. र्ूल शब्द
र्ूल शब्द
मूल शब्द वे हैं िो एक ही इकाइड से बिे हैं। ये
परंपरा या रूनच से एक नवशेि अथड को व्यक्त
करते हैं। अत: इन्हें रूर शब्द भी कहते हैं। िैसे-
देश, घर, गाडी, छोटा, आदमी, मुंह, पािी, नदि,
रात, आि, कल, िब, सेब, रथ आनद।
19. यौतगक शब्द
2. यौतगक शब्द
मूल + मूल शब्दों के अलावा मूल + उपसगडप्रत्यय आनद साथडक खंर्ों से बिे शब्द यौनगक कहलाते हैं। िैसे-
मूल + मूल
सूयड + उदय = सूयोदय
पवडत + राि = पवतडराि
उपसगड + मूल
अ + िेय = अिेय अ + सुनवधा = असुनवधा
प्र + बल = प्रबल निट + रोि = निदोि
मूल + प्रत्यय
आत्म + इडय = आत्मीय निंदा + त = निंनदत
समाि + इक = सामानिक हररत + इमा = हररनतमा
उपसगड + मूल + प्रत्यय
अनध + अक्ष + हय = अध्यक्षीय
अनत + आचार ़ इड ़ अत्याचारी
दुस + साहस + इड = दुस्साहसी
20. 3. योगरूढ शब्द
योगरूनि़ और बहुब्रीनह समास के शब्द लगभग एक समाि होते हैं।
िैसे-दशािि समास में दो मूल शब्द हैं- दश + आिि। इस बहुब्रीनह
समास का शब्दों के अथड है - दस हैं आिि निसके , नकं तु यह शब्द
'रावण के अथड में रूढ़ हो चुका है। योगरूनि़ शब्दों के कु छ अन्य
उदाहरण इस प्रकार हैं-
योग सार्ान्य अर्ा तवतशष्ट (रूढ़)
अर्ा
एक + दंत एक दााँत वाला श्री गणेश
िील + कं ठ निसका कं ठ िीला है नशव
चक्र + पानण निसके हाथ में चक्र है नवष्ट्णु
21. इंजीतियरी
इंजीतियरी
(अं.) र्ूल.अर्ा. तकसी इंजि/ र्शीिरी की तिर्ााण-प्रतिया या संचालि-प्रतिया
का शास्त्र। तवस्तृत अर्ा-र्शीिरी (र्शीि इंजीतियरी), तवद्युत (इलैत्िकल
इंजी.) इलै्िातिकी (इलै्िातिक इंजी.) या भवि तिर्ााण (तसतवल इंजी.)
इत्यातद से संबंतधत तिर्ााण एवं संचालि का शास्त्र। पयाा. इंजीतियररंग,
यांतिकी।
इंजीतियरी
(अं.< इंजीतियररंग का अिुकू तलत रूप) भविों, र्शीिों, तवद् युत उपकरणों
आतद के अतभकल्पि (तिजाइि बिािे), तिर्ााण, उपयोग आतद र्ें तवज्ञाि के
तसद्ांतों का अिुप्रयोग।
Link: http://english.bharatavani.in/view-pdf/?pdf=fundamental-
glossary-of-mechanical-engineering-english-hindi
25. वणों के तलखावट और उच्चारण र्ें
एकरूपता
अंग्रेिी भािा में आवश्यक िहीं नक िो नलखा िाए वही
पढ़ा और सुिा िाए। लेनकि भारतीय भािा संस्कृ त
और नहन्दी में संभवत: वही नलखा और पढ़ा िाता, िो
नलखा होता है।
शब्द: Psychology > P-sycho-logy(पश्चोलोिी)
उच्चारण : साइकोलोिी
28. अंग्रेिी भािा में स्वर और व्यंििों नक संख्या 26 है।
िबनक
नहंदी में 13 (11+2 अिुिानसक) स्वर और 33
व्यंिि हैं, िो नकसी भी शब्द का
उच्चारण/अनभव्यनक्त के नलए पयाडप्त पयाडय
उपलब्ध कराता है।
29. भािा नवज्ञाि के अिुसार शब्द यादृनछक
प्रनतमािों नक व्यवस्था है िबनक भारतीय
भािाओंके व्याकरण में प्रत्येक शब्द के
उच्चारण और अथड में कारण/प्रयोिि होता
है।
उदा. ब्रह्म से तात्पयड बृ - बढ़ािा, नवतररत होिे
से है।
30. तवज्ञाि का संदभा
वेद, उपनििद, रामायण, श्रुनत-स्मृनतयों में भी
‘नवज्ञाि’ शब्द
का उल्लेख नमलता है।
31. तकिीकी (TECHONOLOGY)
भारतीय िििीवि के सिही अंगों में
‘तकिीकी’ का समावेश रहा है। िैसे बैल
गाडी के चाक के निमाडण में भी तकिीक का
प्रयोग में लोहे नक फ्रे म िोडिे के पहले उसे
आग में गरम नकया िाता है इससे उसका
आकार बढ़ता है। निससे वह प्रसरण होती है।
32. शब्द की व्युत्पति कै से होती है?
स्वर यंत्र (मािव के मुख) से उच्चररत शब्द का
स्वरूप बदलता रहता है प्रयोग करते रहिे से
वस्तु में पररवतडि होता रहता है, उसी प्रकार
शब्दों में भी पररवतडि होता है।
33. भािा नवज्ञाि और नवज्ञाि
अथड संकोच और अथड नवस्तार
‘गोधुलीवेला’ से तात्पयड के वल श्याम का समय िहीं होता है। िबनक
गोधुलीवेला सुबह को भी कहा िाता था, क्योंनक िब गाय आनद
िंगल में सुबह के समय िाती है, तब भी रास्ते की धुली उडती है
और श्याम को लौटते समय भी रास्ते की धुली उडती है।
लेनकि अथड संकोच हुआ और हम के वल श्याम के अथड में लेते है।
34. अथड नवस्तार
‘बहस’ शब्द का मूल अथड-नववाद है।
लेनकि हम न्यूि चैिल पर अक्सर
बहस होते हुए देखते है वह चचाड ही
होती है।
35. दीक्षांतरी
दीक्षांतरी से Dictonary शब्द बिा है।
अथड: गुरुकु ल में नशक्षा समाप्त होिे बे बाद महत्वपूणड
शब्दों/नवियों का संग्रह/नटप्पण होता था उसे एक
स्थाि पर एकनत्रत नकया िाता था िो (दीक्षा+अंतरी)
अथाडत दीक्षा समाप्त होिे के बाद बिती थी।
आि हम शब्दकोश के रूप में अथड ग्रहण कराते है।
37. COTTON
शब्द कू ट्टि शब्द से बिा हैं, कू टिा, कॉतिा, अलग करिे के नलए
प्रयोग होता था। किीि-बूिकर शब्द में से किीि अथाडत कॉतिे
की नक्रया निसमें कपास के नबिौले्(बीि) से रूई अलग की
िाती है।
कू ट्टीि > किीि > कॉटि [COTTON]
38. NEED
मराठी में एक शब्द हैं, "िड", निसका मतलब
है- िरुरत या आवश्यकता । अंग्रेिी का शब्द“
NEED" से बिा है।
39. अंग्रेिी का NEWS शब्द 'िवस्य' इस संस्कृ त शब्द से बिा है। िैसा
बताया िाता है, नक NORTH, EAST, WEST और SOUTH इि शब्दों
को नमलाकर यह शब्द िहीाँबिा है, यह पूणडतः भ्रामक है, क्योंनक
NEWS में ऊपर (आसमाि, अंतररक्ष) और िीचे की (नदशा, िमीि के
अंदर की) भी तो खबरें होती है। प्रायः NEWS में उि समाचारों को
प्राधान्य नदया िाता हैं िो 'िवस्य' अथाडत िई होती हैं। ऐसे कई शब्द है
नििकी उत्पनि पता ि होिे के कारि उसे िबदतस्ती अंग्रेिी के शब्दों
को नमलाकर बिा है, ऐसा नदखाया िाता हैं।
40. INDIA
शब्द 'इन्देय' इस शब्द से बिा है, निसका अथड है
यह स्थाि िहााँ के लोग सूयड की पूिा करते हैं।
41. VEGETARIAN
अंग्रेिी का 'VEGETARIAN' शब्द बीि+तरीयि से बिा
है। निसका अथड है-बीि से बिा हुआ रव (तररयि-तरी
अथाडत पािी+तेल आनद से बिा हुआ) पदाथड। बीि का
रूपांतरण वीि>बीि BIJ>VIJ>VEJ>VEG में हुआ।
िैसे पंिाबी में वीर को वीर को बीर, बीरिी कहते हैं।
(नविय>नबिय)
44. गुरुत्वाकिडण
गरू+त्व+आकिडण =
दुनिया की प्रत्येक छोटी वस्तु बडी वस्तु की ओर आकनिडत होती है,
उसे अपिी ओर नखंच लेती है, या अपिे प्रभाव में लाती यही
गुरुत्वाकिडण है.
यहीं नियम ग्रहों, उपग्रहों पर भी लागु होता है.
ि के वल ग्रहों-उपग्रहों पर बनलकी दुनिया की अन्य वस्तुओंपर भी यही
नियम लागु होता है.
46. ऑनक्सिि
ऑक्सी (अम्ल)+िि(उत्पादक) = यह िाम फ़्ांनससी रसायज्ञ
लावानिए िे नदया.
आम्ल उत्पादि में सहायक होिे के कारण इस शब्द की
व्युत्पनि हुई िो बाद में गलत नसध्द हुआ लेनकि शब्द चल
पडा तो चल पडा.
47. मैंनगफ़े रा इनन्र्का नलि=आम
आम के ‘मैंनगफ़े रा’ िाम है.
इंनर्का िानत का िाम है.
नलि=िाम देिे वाले वैज्ञानिक के िाम नलनियस का संनक्षप्त रूप
है.
49. अमरकोश
संस्कृ त के कोशों में अनत लोकनप्रय और प्रनसद् है।
इसे नवश्व का पहला समान्तर कोश (थेसॉरस्) कहा
िा सकता है। इसके रचिाकार अमरनसंह बताये
िाते हैं िो चन्रगुप्त नद्वतीय (चौथी शब्ताब्दी) के
िवरत्िों में से एक थे।
97. संदभा ग्रंर्/वेबसाइट/ब्लॉग:
DNA of Words शब्दों का िीएिए, राजेंद्र गुप्ता :
http://dnaofwords.blogspot.in/
इततहास की र्ृत्यु: http://www.deathofhistory.net/
‘’हास्यास्पद अंग्रेजी भाषा तहंदी पुस्तक/Hasyaspad Angreji Bhasha’’
Hindi Book, P. N. Oak
तवजािातत-तवजािातत-तवज्ञाि ...िा एस.बी. गुप्ता का ब्लॉग:
http://vijaanaati-vijaanaati-science.blogspot.in/
शब्दों का सफ़र: http://shabdavali.blogspot.in