3. भारत की संस्कृतत के लोगों के जीवन के रास्ते को संदतभित करता है
भारत की भाषाओं , धर्मों , नृत्य , संगीत , भोजन , और वास्तुकला देश के भीतर जगह
जगह से तभन्न होतेहैं.
इस तरहके रूप र्में भारत की तवतवध संस्कृततयों के कई तत्वों, भारतीय धर्मि , योग , और भारतीय
व्यंजनों , दुतनया भर र्में एक गहरा प्रभावपडा है.
4. भारतीय कला तवतशष्ट अवतध के प्रत्येक दशािती तवशेष धातर्मिक, राजनीततक और सांस्कृततक
गतततवतधयों र्में वगीकृत तकया जा सकताहै.
प्राचीन काल (3900 BCE -1200 सीई )
इस्लार्मी प्रभुत्व (1192-1757)
औपतनवेतशक काल (1757-1940)
स्वतंत्रता और उत्तर औपतनवेतशक काल (1947 के बाद)
5. र्मुगल तचत्रकला एक तवशेष आर्म तौर परपुस्तक परतचत्र तक ही सीतर्मत हैऔर लघुतचत्रों र्में तकया
भारतीय तचत्रकला की शैली, और जो, उभरा और तवकतसत की अवतध के दौरानआकार ले तलया
हैर्मुगल साम्राज्य 16 वीं -19 वीं सतदयों |
र्मुगल तचत्रों, भारतीयफारसी और इस्लार्मी शैतलयों का एक अनूठा तर्मश्रण थे. र्मुगल राजाओं
तशकारी और तवजेता के रूप र्में उनके कर्मों कादृश्य ररकॉर्ि करना चाहता था, क्योंतक उनके
कलाकारों सैन्य अतभयानों या राज्यके तर्मशन पर उनके साथ, यापशुSlayers रूप र्में अपने
कौशल दजि की गई, या तववाह के र्महान वंशवादी सर्मारोहर्में उन्हेंदशािया.
6. राजपूत तचत्रकला, भारतीय तचत्रकलाकीएक शैली,
तवकतसतऔर‘के शाही’ अदालतों र्में, 18 वीं सदी के
दौरान, फलाराजपूताना भारत के प्रत्येक राजपूत तकंगर्र्म
लेतकन कुछआर्मसुतवधाओंके साथ, एकअलगशैली
तवकतसतहुआ.
कुछखतनजों, संयंत्र स्रोतों, शंख, औरभी कीर्मतीपत्थर
प्रसंस्करण द्वारा प्राप्त तकएगए थे लेतकनरंगो के तलए सोने
औरचांदी काप्रयोग तकयागया |
7. र्मधुबनी पेंत ंगतबहार राज्य के तर्मतथलाक्षेत्र र्मेंअभ्यास तकया,
तचत्रकलाकीएक शैली है|
थीर्मरॉयल को ि और शादी कीतरह सार्मातजक घ नाओंसे
दृश्यों के साथसाथ तहंदूदेवताओंऔरपौरातणक कथाओंके
आसपासघूर्मता है. आर्म तौर परकोई जगह खालीछोड तदया
जाता है, अंतराल इस पेंत ंगकलाकारों के तचत्रों आकतषितकरने
के तलएप्रयोगतकया जाता हैजो रंगबनाने के तलए, फूलपत्ती,
जडीबू ी काउपयोग करता हैफूलों, पशुओं, पतक्षयों, और
भी ज्यातर्मतीय designs.In के तचत्रों सेभर रहेहैं.
11. अमृता शेरगगल (30 जेनुअरी 1913 – 5
फे ब्रुअरी 1941), िारत कक जानी मानी
कलाकार है।
इन्द्हे िारत कक फ्रीडा काहलो के नाम से
िी जाना जाता है।
अमृता शेरगगल को आज िी 20 वीं सदी
कक महान गचत्रकार माना जाता है।
12. दक्षिण िारत के लोग माककत ट
में जाते हुए, सन 1937
सन 1937 में कालत खंडेलवाल ने उनकी
बहुत प्रशंसा कक और उन्द्हें प्रेररत ककआ। वह
उनकी अजंता में के व पेंटटंग और मुग़ल कला
ववधयालयों कक कलाओं से बहुत खुश थी।
सन 1938 में उनका वववाह हंगेररयन कजजन
डॉ. ववक्टर एगन के साथ हुआ।
वह अपने पररवार के साथ गोरखपुर
उर्त्रप्रदेश में रहने के भलए आ गईं।
सन 2006, में उनकी कला 'ववलेज सीन' को
टदल्ली ऑक्शन में 6.9 करोड़ में ख़रीदा
गया।
14. अबनीन्द्रनाथ टैगोर (7अगस्त1871 - 5 टदसंबर
1951) "इंडडयन सोसाइटी ऑफ़ ओररएण्टल
आटत" के वप्रंभसपल कलाकार और ननमातता थे।
वे "बंगाल स्कू ल ऑफ़ आटत" के संस्थापक थे
जजसकी वजह से मॉडनत इंडडयन पेंटटंग का
ववकास हुआ।
अबनीन्द्रनाथ टैगोर एक जाने माने लेखक िी
थे। उनके द्वारा भलखी गई ककताबें राजकाटहनी
,बुदो आंग्ल, नलक और खखरेर पुतुल हैं।
18. सटिरजु लक्ष्मी नारायण म्यूजजक
आटटतस्ट, पेंटर , इलस्रेटर, काटूतननस्ट
और डडज़ाइनर है।
सन 2013 में उन्द्हें पदमश्री अवाडत से
सम्माननत ककआ गया।
उन्द्हें दो नेशनल कफ़ल्म अवार्डतस, पांच
आंध्र प्रदेश नंदी अवार्डतस और
कफल्मफे यर बेस्ट डायरेक्टर का अवाडत
से मनोनीत ककया गया।
19.
20.
21.
22. बबकाश िटाचाजी (21जून 1940-18
टदसंबर,2006) कोलकाता (बंगाली) के
कलाकार थे।
वे अपनी कलाओं द्वारा आम बंगाली
आदमी कक इच्छाएं और अन्द्धववश्वास
ढोंग और भ्रस्टाचार को दशातते थे।
सन 2003 में उन्द्हें लभलत कला
अकादमी द्वारा सबसे सवोच्च अवाडत
द्वारा पुरस्काररत ककया गया।
23. बबकाश िटाचाजी की पहली एकल प्रदशतनी
1965 में कोलकाता में हुई थी।
1985 में और न्द्यूयॉकत में, 1982 में लंदन में,
यूगोस्लाववया में 1970 और 72 के बीच
चेकोस्लोवाककया, रोमाननया और हंगरी, वह
पेररस में 1969 में उनकी कलाओं का प्रदशतन
हुआ।
उन्द्होंने टैगोर ,सत्यजीत राय और समरेश बासु
के रूपगचत्र िी बनाए थे।
बबकाश बहुत से अन्द्य कलाकारों जेसे संजय
िट्टाचायात (बंगाली कलाकार ) के मागतदशतक
िी है।
24. स्वतंत्रता से लेकर 1990 तक िारतीय कला को
आगथतक एवं उदारीकरण द्वारा बढ़ावा भमला।
हर के कलाकार अपनी कलाकृ त्यों को अपने खुदके
नज़ररयों से पेश करते हैं।
स्वतंत्रता के बाद जो िी कलाकृ नतयों और तस्वीरों के
जो मेले लगते थे , उनके माध्यम से ववद्याथी और
ववद्यागथतयों के जीवन के बारे में बतलाया गया।
25. हंगेरी सूचना और सांस्कृ नतक कें र, 1978 में स्थावपत
ककया गया था और 'जनपथ' पर राजधानी के पॉश
इलाकों में से एक में जस्थत है।
हम Attila Josef की जन्द्म शताब्दी, बेला Bartok के
125 वें जन्द्म टदवस, आथतर Koestler की जन्द्म
शताब्दी के अवसर पर स्मारक कायतक्रमों की एक
श्रृंखला थी
26. इंटदरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आट्तस के िेत्र में अनुसंधान और
अकादभमक खोज प्रदान करता है|
यह ववभिन्द्न कला, सभ्यताओं और संस्कृ नतयों का कें र है|
इंटदरा गांधी नेशनल, गचत्रों और प्रदशतननयों के अलावा यहााँ पर
मौभलक ववषयों के साथ संबंगधत मल्टीमीडडया प्रस्तुनतयों िी
प्रस्तुत कक जाती हैं|
27. बत्रवेणी गैलरी महान गथएटर प्रथाओं कक कला के प्रेभमयों और
ववशेष रूप से दृश्य कला के भलए एक बटढ़या ववकल्प है।
एक अच्छी तरह के स्टॉक पुस्तकालय के भलए सब कु छ है जो
शहर में सबसे लोकवप्रय सांस्कृ नतक गंतव्य, बत्रवेणी कला संगम
का टहस्सा है।
बत्रवेणी आटत गैलरी शहर में सबसे अच्छा कला प्रदशतननयों मे से
एक है।
28. राष्ट्रीय आधुननक कला दीघात के उद्देश्य व लक्ष्य इस
प्रकार है :
1850 व आगे कक सिी कला की चीजों को
अगधग्रहण और संरक्षित करना
कला दीघो को स्थाई प्रदशतन के भलए व्यवजस्थत
करना।
ववशेष प्रद्शररयों का आयोजन न के वल अपने स्वयं
के पररसर बजल्क देश व ववदेश के अन्द्य िागों में
करना।
29. कई उतार चढ़ाव के बाद िारतीय कला बाजार जस्थत
होने लगा है।
हाल ही में ख़तम हुए सिी कला प्रदशतननयों में वपछले
सालों के मुकाबले कला से हुई कमाई में 40 % का
इजाफा हुआ।