4. जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सिवनाम की मात्रा अथिा नाप-तोल
का ज्ञान हो िे पररमाणिाचक विशेषण कहलाते हैं।
पररमाणिाचक विशेषण के दो उपभेद है-
(1) ननजचचत पररमाणिाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से िस्तु
की ननजचचत मात्रा का ज्ञान हो। िैसे-
(क) मेरे सूट में साढे तीन मीटर कपडा लगेगा।
(ख) दस ककलो चीनी ले आओ।
(ग) दो मलटर दूध गरम करो।
(2) अननजचचत पररमाणिाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से िस्तु
की अननजचचत मात्रा का ज्ञान हो। िैसे-
(क) थोडी-सी नमकीन िस्तु ले आओ।
(ख) कु छ आम दे दो।
(ग) थोडा-सा दूध गरम कर दो।
5. जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सिवनाम की संख्या का बोध हो िे संख्यािाचक विशेषण कहलाते
हैं। िैसे-एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पााँचों आदद।
संख्यािाचक विशेषण के दो उपभेद हैं-
(1) ननजचचत संख्यािाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से ननजचचत संख्या का बोध हो। िैसे-दो
पुस्तकें मेरे मलए ले आना।
ननजचचत संख्यािाचक के ननम्नमलखखत चार भेद हैं-
(क) गणिाचक- जिन शब्दों के द्िारा गगनती का बोध हो। िैसे-
(1) एक लडका स्कू ल िा रहा है।
(2) पच्चीस रुपये दीजिए।
(3) कल मेरे यहााँ दो ममत्र आएाँगे।
(4) चार आम लाओ।
(ख) क्रमिाचक- जिन शब्दों के द्िारा संख्या के क्रम का बोध हो। िैसे-
(1) पहला लडका यहााँ आए।
(2) दूसरा लडका िहााँ बैठे।
(3) राम किा में प्रथम रहा।
(4) चयाम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है।
(ग) आिृवत्तिाचक- जिन शब्दों के द्िारा के िल आिृवत्त का बोध हो। िैसे-
(1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।
(2) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।
(घ) समुदायिाचक- जिन शब्दों के द्िारा के िल सामूदहक संख्या का बोध हो। िैसे-
(1) तुम तीनों को िाना पडेगा।
(2) यहााँ से चारों चले िाओ।
(2) अननजचचत संख्यािाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से ननजचचत संख्या का बोध न हो। िैसे-
कु छ बच्चे पाकव में खेल रहे हैं।
6. िो सिवनाम संके त द्िारा संज्ञा या सिवनाम की विशेषता बतलाते हैं िे संके तिाचक
विशेषण कहलाते हैं।
विशेष-क्योंकक संके तिाचक विशेषण सिवनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सािवनाममक
विशेषण कहलाते हैं। इन्हें ननदेशक भी कहते हैं।
(1) पररमाणिाचक विशेषण और संख्यािाचक विशेषण में अंतर- जिन िस्तुओं की
नाप-तोल की िा सके उनके िाचक शब्द पररमाणिाचक विशेषण कहलाते हैं। िैसे-
‘कु छ दूध लाओ’। इसमें ‘कु छ’ शब्द तोल के मलए आया है। इसमलए यह
पररमाणिाचक विशेषण है। 2.जिन िस्तुओं की गगनती की िा सके उनके िाचक
शब्द संख्यािाचक विशेषण कहलाते हैं। िैसे-कु छ बच्चे इधर आओ। यहााँ पर ‘कु छ’
बच्चों की गगनती के मलए आया है। इसमलए यह संख्यािाचक विशेषण है।
पररमाणिाचक विशेषणों के बाद द्रव्य अथिा पदाथविाचक संज्ञाएाँ आएाँगी िबकक
संख्यािाचक विशेषणों के बाद िानतिाचक संज्ञाएाँ आती हैं।
(2) सिवनाम और सािवनाममक विशेषण में अंतर- जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द
के स्थान पर हो उसे सिवनाम कहते हैं। िैसे-िह मुंबई गया। इस िाक्य में िह
सिवनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूिव अथिा बाद में विशेषण के रूप में
ककया गया हो उसे सािवनाममक विशेषण कहते हैं। िैसे-िह रथ आ रहा है। इसमें
िह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सािवनाममक विशेषण है।
7. विशेषण शब्द ककसी संज्ञा या सिवनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई िाने िाली
िस्तुओं के गुण-दोष कम-ज्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से
ही िाना िा सकता है। तुलना की दृजटट से विशेषणों की ननम्नमलखखत तीन अिस्थाएाँ होती हैं-
(1) मूलािस्था
(2) उत्तरािस्था
(3) उत्तमािस्था
(1) मूलािस्था
मूलािस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। िह के िल सामान्य विशेषता ही प्रकट
करता है। िैसे- 1.सावित्री सुंदर लडकी है। 2.सुरेश अच्छा लडका है। 3.सूयव तेिस्िी है।
(2) उत्तरािस्था
िब दो व्यजक्तयों या िस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की िाती है तब विशेषण उत्तरािस्था में
प्रयुक्त होता है। िैसे- 1.रिीन्द्र चेतन से अगधक बुद्गधमान है। 2.सविता रमा की अपेिा अगधक
सुन्दर है।
(3) उत्तमािस्था
उत्तमािस्था में दो से अगधक व्यजक्तयों एिं िस्तुओं की तुलना करके ककसी एक को सबसे अगधक
अथिा सबसे कम बताया गया है। िैसे- 1.पंिाब में अगधकतम अन्न होता है। 2.संदीप
ननकृ टटतम बालक है।
विशेष-के िल गुणिाचक एिं अननजचचत संख्यािाचक तथा ननजचचत पररमाणिाचक विशेषणों की ही
ये तुलनात्मक अिस्थाएाँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं।
8. (1) अगधक और सबसे अगधक शब्दों का प्रयोग करके
उत्तरािस्था और उत्तमािस्था के रूप बनाए िा सकते
हैं। िैसे-
मूलािस्था उत्तरािस्था उत्तमािस्था
अच्छी अगधक अच्छी सबसे अच्छी
चतुर अगधक चतुर सबसे अगधक चतुर
बुद्गधमान अगधक बुद्गधमान सबसे अगधक बुद्गधमान
बलिान अगधक बलिान सबसे अगधक बलिान
इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए िा
सकते हैं।
(2) तत्सम शब्दों में मूलािस्था में विशेषण का मूल
रूप, उत्तरािस्था में ‘तर’ और उत्तमािस्था में ‘तम’ का
प्रयोग होता है।
9. कु छ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, ककन्तु कु छ विशेषण
शब्दों की रचना संज्ञा, सिवनाम एिं कक्रया शब्दों से की िाती
है-
1) संज्ञा से विशेषण बनाना
2) सिवनाम से विशेषण बनान
3) कक्रया से विशेषण बनाना