1. P a g e | 1
Asanas bring perfection in body, beauty in form, grace, strength,
compactness, and the hardness and brilliance of a diamond.
DEV SANSKRITI
VISHWAVIDYALAYA
DEPARTMENT OF YOGA
TOPIC: AASAN
Submitted to: Submitted by:
Dr. Gayatri Guruwendra Ashish Yadav
Associate Professor B.A. Eng. 3rd Sem
Dept. of Yoga (180061)
2. P a g e | 2
अनु मिणका
मांक िवषय पृ सं ा
01 तावना 03
02
आसन का अथ एवं प रभाषा 04
03
आसनो का उ दे य 05
04
वि तकासन 06
05
गोमुखासन 07
06
वीरासन 08
07
कू मासन 09
08
कु कु टासन, 10
09
उ ानकू मासन 11
10
धनुरासन 12
11
म य ासन 13
12
पि चमो ानासन 14
13
मयूरासन 15
14
शवासन 16
15
स धासन 17
16
प मासन 18
17
संहासन 19
18
भ ासन 20
19
संदभ 21
3. P a g e | 3
तावना
वै दक काल से ह सदैव मनु य अपने शर र को व थ रखने का यास करता
था और उसी यास के अंतगत ाचीन ऋ ष मु नयो, मु न षय ने अपनी साधना
के दौरान अपने शर र को व थ बनाने के लए और मन को ि थर करने के
लए कु छ वशेष ि थ तय का आ व कार कया, िजसे हम आसन के र प म
जानते है। आसन मूलत: ऋ ष मु नयो के यान का आकृ ट करने का मुख
कारण इसी लए बने यो क उ होने अपनी साधना के दौरान यह महसूस कया
क कोई भी पशु- प ी कसी भी कार से अ व थ होने पर कसी भी कार
के अ ाकृ तक साधनो का योग नह ं करते, वह कसी कार क श य च क सा
पर व वास नह ं करते और ना ह व थ रहने के लए कसी बी कार क
औष ध का उपयोग करते है । इसी लए हठयोग म आसनो का सर र का संवधन
करने वाले और शि तशाल बनाने वाले अ यास के प म जाना जाता है ।
आसन का मु य उ दे य शर र के मल का नाश करना है। शर र से मल या
दू षत वकार के न ट हो जाने से शर र व मन म ि थरता का अ वभाव होता
है। शर र ह मन और बु ध क सहायता से आ मा को संसार के बंधन
से योगा यास वारा मु त कर सकता है। शर र बृह र मांड का सू म प
है। अत: शर र के व थ रहने पर मन और आ मा म संतोष मलता है।
4. P a g e | 4
आसन का अथ एवं प रभाषा
आसन का शाि दक अथ है-
1.बैठना
2.बैठने का आधार
3.बैठने क वशेष या
4.बैठ जाना इ या द।
पातंजल योगदशन म ववृ अ टांगयोग [यम, नयम,आसन, ाणायाम, याहार,धारणा
यान समा ध]म इस या का थान तृतीय है जब क गोर नाथा द वारा व तत
षडंगयोग (छः अंग वाला योग) म आसन का थान थम है। च क ि थरता, शर र
एवं उसके अंग क ढ़ता और का यक सुख के लए इस या का वधान मलता है।
व भ न थ म आसन के ल ण ये दए गए ह- उ च वा य क ाि त, शर र के
अंग क ढ़ता, ाणायामा द उ रवत साधन म म सहायता, च ि थरता, शार रक एवं
मान सक सुख दायी आ द। पंतज ल ने मनक ि थरता और सुख को ल ण के प म
माना है। य नशै थ य और परमा मा म मन लगाने से इसक स ध बतलाई गई है।
इसके स ध होने पर वं व का भाव शर र पर नह ं पड़ता। क तु पतंज ल ने आसन
के भेद का उ लेख नह ं कया। उनके या याताओं ने अनेक भेद का उ लेख (जैसे-
प मासन, भ ासन आ द) कया है। इन आसन का वणन लगभग सभी भारतीय
साधना मक सा ह य म मलता है। पत ज ल के योगसू के अनुसार,
“ि थरसुखमासनम्”
(अथ: सुखपूवक ि थरता से बैठने का नाम आसन है। या, जो ि थर भी हो और सुखदायक
अथात आरामदायक भी हो, वह आसन है।)
इस कार हम न कष प म कह सकते ह क आसन वह जो आसानी से कए जा सक
तथा हमारे जीवन शैल म वशेष लाभदायक भाव डाले।
5. P a g e | 5
आसनो का उ दे य
आसन का मु य उ दे य शर र के मल का नाश करना है। शर र से मल या दू षत
वकार के न ट हो जाने से शर र व मन म ि थरता का अ वभाव होता है। शां त और
वा य लाभ मलता है।
शर र ह मन और बु ध क सहायता से आ मा को संसार के बंधन से योगा यास वारा
मु त कर सकता है। शर र बृह र मांड का सू म प है। अत: शर र के व थ रहने
पर मन और आ मा म संतोष मलता है।
आसन के लाभ
(1) योगासन का सबसे बड़ा गुण यह ह क वे सहज सा य और सवसुलभ ह। योगासन
ऐसी यायाम प ध त है िजसम न तो कु छ वशेष यय होता है और न इतनी साधन-
साम ी क आव यकता होती है।
(2) योगासन अमीर-गर ब, बूढ़े-जवान, सबल- नबल सभी ी-पु ष कर सकते ह।
(3) आसन म जहां मांसपे शय को तानने, सकोड़ने और ऐंठने वाल याय करनी पड़ती
ह, वह ं दूसर ओर साथ-साथ तनाव- खंचाव दूर करनेवाल याय भी होती रहती ह,
िजससे शर र क थकान मट जाती है और आसन से यय शि त वा पस मल जाती
है। शर र और मन को तरोताजा करने, उनक खोई हुई शि त क पू त कर देने और
आ याि मक लाभ क ि ट से भी योगासन का अपना अलग मह व है।
(4) योगासन से भीतर ं थयां अपना काम अ छ तरह कर सकती ह और युवाव था
बनाए रखने एवं वीय र ा म सहायक होती है।
(5) योगासन वारा पेट क भल -भां त सुचा प से सफाई होती है और पाचन अंग
पु ट होते ह। पाचन-सं थान म गड़ब ड़यां उ प न नह ं होतीं।
6. P a g e | 6
1. वि तकासन
वि तकासन को हमारे योग शा म एक मह वपूण थान दया गया है। यो क यह एक आसान
आसन है और यादा फायदा देता है. वि तकासन को आसन का राजा भी कहा जाता है।
यो क यह आसन एक और फायदे अनेक वाल कहावत पर सह बैठता है। इसको मह ष घेर ड ने
मुख 4 आसन म एक माना है। वि त का अथ होता है शुभ और यह हर थ त म अ छा महसूस
कराता है। इस लए इसको वि त या शुभ आसन कहते ह
वि तकासन क व ध ---
वि तकासन क व ध का अ यास करने के लए पैर को सामने फे लाय।
बाएं पैर को मोड़कर दाएं पैर के घुटने के भीतर भाग से बाएं पैर के तलवे से पश कर।
अब बाएं पैर तलवे को दाएं पैर के जांघ और पंड लय बीच से ऊपर नकाल।
इसी कार दाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर क जांघ और पंड लय के बीच से ऊपर नकाल।
दोन पैर के पंजे जांघ और पंड लय के बीच दबे रहने चा हए।
एड़ी ो ण देश को पश नह ं करनी चा हए।
घुटन जमीन के संपक म रख।
कमर को सीधा रख।
हाथ को ान मु ा म या गोद म रख।
ऑ ंख बंद कर और शर र को श थल बनाय।
वि तकासन के लाभ ---
यह आसन शर र को शु ध बनाता है
शर र और जोड़ को वि थत करता है।
घुटन के दद म लाभकार है।
िजनके पैर ठ डे रहते ह,उनके लए अ धक लाभकार है।
कमर को सीधा करता है। घुटन के बीच के अंतर् को बढ़ाता है।
मान सक शां त दान करता है.
वि तकासन क सावधा नयां ---
साई टका के दद से पी ड़त मर ज को यह नह ं करना चा हए।
र ड क ह डी के दद से पी ड़त को यह आसन नह ं करना चा हए।
घुटनो या पैर के ओ शन करने के तुरंत बाद इस आसन को नह ं
करना चा हए।
7. P a g e | 7
2. गोमुखासन
सं कृ त म ‘गोमुख’ का अथ होता है ‘गाय का चेहरा’ या गाय का मुख़ । इस आसन म पांव क ि थ त बहुत हद
तक गोमुख क आकृ त जैसे होती है। इसी लए इसे गोमुखासन कहा जाता है। इसे अं ेजी म Cow Face Pose
कहा जाता है। यह म हलाओं के लए अ यंत लाभदायक आसन है। यह ग ठया,साइ टका,अपचन,क ज,धातु रोग,
मधुमेह, कमर म दद होने पर यह आसन बहुत अ धक लाभ द ह|
गोमुखासन क व ध
उसी तरह से दाएं पांव को घुटने से मोड़, बाएं पांव के ऊपर से लाएं तथा दा एड़ी को बाएं नतंब
(Buttocks) के पास रख।
अब आप बा हाथ को उठाएं और इसको कोहनी (Elbow) से मोड़ और पीछे क ओर कं ध से नीचे ले जाएं।
दाइ बांह उठाएं, कोहनी (Elbow) से मोड़ और ऊपर क ओर ले जाकर पीछे पीठ पर ले जाएं।
दोन हाथ क अंगु लय को पीठ के पीछे इस तरह से रख क एक दूसरे को आपस म गूंथ ल।
अब सर को कोहनी पर टकाकर यथासंभव पीछे क ओर धके लने का यास कर।
जहाँ तक हो सके आगे देखने क को शश कर और अपने हसाब से आसन को धारण कर।
अब एक च पूरा हुआ इस तरह से आप तीन से पांच बार कर।
गोमुखासन के लाभ
1. यह फे फड़ के लए एक बहुत ह मुफ द योगा यास है और वसन से स बं धत रोग म सहायता करता है।
2. यह र ढ़ को सीधा रखने के साथ साथ इसको मजबूत भी बनाता है।
3. यह बवासीर के लए बहुत ह उपयोगी योगा यास माना जाता है।
4. इस आसन के अ यास से आप बहुत सार परेशा नय से छु टकारा पा सकते ह जैसे कं धा जकड़न, गदन म दद, तथा
सवाइकल पॉ◌ेि डलाइ टस।
5. ल गक परेशा नय को दूर करने म यह आसन बहुत ह कारगर है। यह ी
रोग के लए भी बहुत लाभदायक है।
6. इसके नय मत अ यास से आप कमर दद के परेशा नय से राहत पा
सकते ह।
7. यह आपके यकृ त एवं गुद को व थ रखने म अहम भू मका नभाता है।
8. यह आसन करने से शर र सुड़ोल एवं लचकदार बनता ह।
9. यह आपके प यास को उ ेिजत करता है और मधुमेह के क ोल म
सहायक है।
गोमुखासन के सावधानी
हाथ और पैर म यदा दद होने पर इस आसन का अ यास न कर।
र ढ़ क ह डी म कोई गंभीर सम या हो तो इस योग को ब कु ल न
कर।
अगर पीठ के पीछे हाथ बंधने म परेशानी हो रह हो तो जोर
जबरद ती न कर।
8. P a g e | 8
3. वीरासन
वीर का अथ होता है बहादुर अथवा साहसी। यह आसन यो धा क वीरता को द शत करता है, इस लए वीरासन
कहलाता है। यह शर र को शि त, वीरता, साहस, सहन एवं ढ़ता दान करता है। इन फायदे के कारण ह इसको
Hero’s Pose भी कहा जाता है। हठयोग म इस आसन का बहुत मह व है। इसके अ यास से आप आ याि मक
क ओर बढ़ते ह। योग शा और यो गय ने इस आसन क कु छ जायदा ह शंसा क है | यह आसन आल य
थकान और अ त न ा को दूर करके फू त, शि त व स नता दान करता है इस लए व या थय के लए बहुत
ह लाभकार आसन है य क इस आसन का अ यास से व याथ बहुत कम सो कर भी अपने शार रक या
मान सक काय पूर द ता से कर सकता है |
वीरासन क व ध
घुटने मोड़कर जमीन पर बैठ जाएं। बायां घुटना झुकाएं एवं बाएं पांव को पीछे क ओर फै लाएं। अंगूठे भीतर क ओर
मोड़कर मु ठयां बांध।
दा बांह को छाती के सामने तान तथा बा बांह को पीछे क ओर मोड़।
धड़ को पूर ताकत के साथ पीछे क ओर झुकाएं तथा बाएं पांव
को सीधा रख।
दोन आंख खुल रख तथा पलक नह ं झपकाएं।
इसी तरह से दूसर तरफ से कर
यह एक च हुआ।
इस तरह से तीन से पांच च तक कर।
वीरासन के लाभ
वीरासन शर र को शि त दान करने म मदद करता है।
यह आसान वीरता के लए जाना जाता है।
यह आपको साहसी बंनाने म मदद करता है।
सहन शि त एवं ढ़ता को बढ़ाने म काम आता है।
अगर आपको अपनी आल यत को दूर भागना है तो इस आसान
का अ यास ज र कर।
इससे कमर पतल और छाती चौड़ी होती है।
बहुत अ धक नींद क सम या से त यि त को यह आसन करना चा हए।
इस आसान को खाना खाने के बाद करने से पाचन या तेज हो जाता है और खाना आसानी से पच जाता है।
यह ना भ पर भी अ छा खासा भाव डालता है।
यह पेट म दबाब डालता है और आपको पेट दद एवं गैस क समसयाओं से नजात दलाता है।
युवाव था म इस आसन के अ यास से बाल का सफे द होना क जाता है।
यह आसन पाइ स को ठ क करने म मदद करता है।
ि य के मा सकधम स ब धी दोष दूर करने म सहायक है।
वीरासन क सावधानी
अगर आपके पैर म कोइ चोट आई तो इस आसन का अ यास न कर।
घुटने म दद होने पर इसका अ यास ब कु ल न कर।
9. P a g e | 9
4. कू मासन
कू मासन सं कृ त श द ‘कू म’ से नकला है िजसका अथ होता है कछु आ। इस लए इस आसन को कछु आ योग भी
कहते है। इस आसन के अ या्स से मनु य वयं को मान सक एवं इं य आसि तय से उसी तरह दूर कर लेता
है, िजस कार कछु आ वयं को अपने कवच म बंद कर लेता है।
कु मासन क व ध
सबसे पहले आप बैठ जाएं।
अब आप अपने पैर को दोन ओर अपने हसाब से फै लाएं।
सांस छोड़ते हुए आगे झुक।
हाथ को पैर के नीचे ले जाते हुए हाथ को पैर के 90 ड ी पर रख
या हाथ से पैर को पकड़ ल।
आगे झुक, कमर से र ढ़ क ह डी को खीचने क को शश कर और
जमीन पर माथा लगाने का यास कर।
इस अव था म धीरे धीरे सांस ल और फर धीरे धीरे सांस छोड़े।
फर सांस लेते हुए आरं भक अव था म आएं।
यह एक च हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 च कर।
कु मासन के लाभ
कु मासन द घायु के लए : शा म कहा गया है क िजस तरह से कछु आ क जीवन बहुत दन तक का होता है उसी
तरह से इस आसन के अ यास से आदमी द घायु जीवन ा त कर सकता है।
कु मासन घुटने के लए: यह घुटन के दद के लए एक उपयु त योगा यास है। घुटने के साथ साथ यह कू ह , पीठ एवं
टाँग क मांसपे शय को फै लाता है और इसको व थ रखता है।
कु मासन एका ता के लए: यह आसन आपको शांत करते हुए आपके मि त क को एका ता क ओर लेकर जाता है।
कु मासन कुं ड लनी जागरण म: कुं ड लनी शि त के जागरण के लए इस योग का अहम योगदान है।
पेट के लए उ म योग: पेट से स बं धत खास तौर पर पेट के नचले भाग क सम याओं के हल के लए कु मासन
अि धयक लाभदायक योगा यास है।
कु मासन क ज कम करने के लए: यह पेट क क ज को कम करने म सहायता करता है।
डाय बट ज योग: कु मासन प यास को उ ेिजत करता है और सह मा ा म इंसु लन के ाव म मदद करता है। इस
तरह से डाय बट ज के क ोल म लाभकार है।
कु मासन ह नया के लए: इस आसन का नय मत अ यास से ह नया हमेशा हमेशा के लए ख़ म हो जाता है।
पेट क चब कम करने के लए: यह पेट क चब को कम करने म भी बहुत लाभदायक है।
कु मासन ना भ के लए: यह आसन ना भ को क म रखने के लए अहम भू मका नभाता है।
कु मासन सावधानी
कु मासन एक एडवां ड एवं पावरफु ल योगा यास है। यह उनको ह करनी चा हए िजनको आगे झुकने वाले आसन
आसानी से कर लेता हो।
यह उनको नह ं करनी चा हए िज ह कमर दद क शकायत हो।
10. P a g e | 10
5. कु कु टासन
कु कु ट का अथ मुगा होता है। इस आसन म शर र मुग क आकृ त के समान लगता है, इसी लए इसे कु कु टासन
का नाम दया गया है। यह आसन शर र के संतुलन लए बहुत अ छा है। यह क धा, बांह, कोहनी इ या द लए
बहुत मह वपूण योगा यास है।
कु कु टासन क व ध
सबसे पहले आप प मासन म बैठ जाएं।
दायां हाथ दा जांघ (thigh) तथा दा पंडल (calf ) के बीच ले जाएं तथा बायां हाथ बा जांघ एवं बा पंडल
(calf) के बीच ले जाएं।
हाथ को नीचे कोह नय तक ले जाएं।
हथे लय को मजबूती से जमीन पर जमाएं।
हथे लय बीच 3-4 इंच क दूर रख।
सांस लेते हुए शर र को जमीन से यथासंभव हवा म उठाएं।
शर र के भार को हथे लय पर टकाएं।
सर सीधा रख तथा आंख को सामने क ओर ि थर रख।
धीरे धीरे सांस ल और धीरे सांस छोड़े।
जहां तक भी संभव हो सके इसी ि थ त को बनाय रख।
ल बा सांस छोड़ते हुए धीरे धीरे अपनी पहल ि थ त म आएं।
यह एक च हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 च कर।
कु कु टासन के लाभ
बांह मजबूत बनाने म : इस आसन के अ यास से आप अपने बाह को सुडौल एवं मजबूत बना सकते ह।
क ध के लए योग: अगर आपको क ध को मजबूत एवं दद रखना हो तो इस आसन का अ यास ज र
कर।
कोहनी के मजबूती म : कोहनी के मजबूती के लए यह बहुत अ छा योग है।
शर र संतुलन म : यह संतुलन तथा ि थरता को बढ़ाता है।
छाती के लए: छाती को व थ रखने म मदद करता है।
फे फड़ : फे फड़ के लए लाभकार है।
शर र को ांग बनाने म : कु कु टासन शर र को सु ढ़ एवं ांग बनाने म मदद करता है।
पाचन म लाभकार : इसके अ यास से आपका पाचन तं स य हो जाता है।
मूलाधार च : इस आसन के नय मत अ यास से मूलाधार च स य हो जाता है।
कु कु टासन सावधानी
इस आसन को उ च र तचाप म ैि टस करनी चा हए।
दय रोग से त यि तय को यह आसन नह ं करना चा हए।
बांह म यदा दद होने पर इस आसन को न कर।
क ध म दद होने बच।
11. P a g e | 11
6. उ ानकू मासन
यह एक योगासन है िजसम कु म का अथ होता है कछु आ। इस आसन को करते व त यि त
क आकृ त कछु ए के समान बन जाती है इसी लए इसे कु मासन कहते ह।
उ ान कू मासन क व ध :-
सबसे पहले सपाट या समतल जमीन पर दर बछा ल |
फर आप व ासन म बैठ जाएं।
फर दोन पैर को घुटन से मोड़कर नत ब के नीचे रख ल |
अब पंजो को मलाकर ए डय को थोडा अलग रख|
अब अपने पूरे सर र का भार मतलब waight एडी व् पंज पर
डालकर बैठ जाएँ |
अब अपने दोन हाथ को कमर के नीचे जमीन पर रख |
अब अपने शर र का संतुलन बनाते हुए धीरे-धीरे पीछे क और
झुकते हुए शार र को जमीन पर टका द |
अब आपको अपने दोन हाथ अपनी जाघ पर रखना है |
इस दौरान ि ट सामने रख और कु छ देर इसी ि थ त म रहने
के बाद वास लेते हुए वापस आएं।
उ ान कू मासन के लाभ :-
1. सभी ना ड़याँ सु ध होती ह:- इस आसन को करने से शर र क सभी ना ड़य क शु ध होती
है । यह आसन शर र क सभी 72 हज़ार ना ड़य म ाण का संचार कराने म सहायक है, जो
नवस स टम को ताकत देकर उसक कमजोर से होने वाले रोग म लाभ पहुंचाता है।
2. शुगर म फायदेमंद: - शुगर के रो गय के लए यह आसन बहुत ह लाभदायक है। डाय बट ज
या मधुमेह उस चयापचय बीमार को कहा जाता है, जहाँ यि त िजसमे यि त के खून म
शुगर (र त शकरा) क मा ा ज रत से यादा हो जाती है।
3. उदर रोग म फायदेमंद: - यह आसन उदर के रोग म फायदेमंद होता है। शर र का वह भाग
जो दय और पेडू के बीच म ि थत है तथा िजसम खाई हुई व तुएँ पहुँचती है।
4.पीठ दद म लाभ: - इस आसन के अ यास पीठ दद म बहुत ज द लाभ मलता है| पीठ दद
(“डोसलािजया” के नाम से भी जाना जाता है) पीठ म होनेवाला वह दद है, जो आम तौर पर
मांसपे शय , तं का, ह डय , जोड़ या र ढ़ क अ य संरचनाओं म महसूस कया जाता है।
5. ना भ के ठ क रहता है:– इस आसन के अ यास से ना भ के ठ क रहता है। ना भ पेट पर
एक गहरा नशान होती है, जो नवजात शशु से गभनाल को अलग करने के कारण बनती है।
उ ान कू मासन करते समय सावधा नयां :-
1. अ सर के रोगी इस योगासन को न कर |
2. िजनको हाई लड ेशर है वो इसको न कर |
12. P a g e | 12
7. धनुरासन
धनुरासन योग पेट के बल लेट कर कये जाने वाले आसन म एक मह वपूण आसान जो अनेक वा य फायदे
के लए जाना जाता है। चूँ क इसका आकर धनुष के सामान लगता है इस लए इसको धनुरासन के नाम से पुकार
जाता है। इसको Bow पोज़ के नाम से भी जाना जाता है ।
धनुरासन क व ध
सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाए।
सांस छोड़ते हुए घुटन को मोड़े और अपने हाथ से टखन को पकड़े।
सांस लेते हुए आप अपने सर, चे ट एवं जांघ को ऊपर क ओर उठाएं।
अपने शर र के लचीलापन के हसाब से आप अपने शर र को और ऊपर
उठा सकते ह।
शर र के भार को पेट नचले ह से पर लेने क को शश कर।
जब आप पूर तरह से अपने शर र को उठा ल तो पैर के बीच क जगह
को कम करने क को शश कर।
धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े। अपने हसाब से आसन को धारण कर।
जब आप मूल ि थ त म आना हो तो ल बी गहर सांस छोड़ते हुए नीचे आएं।
इस तरह से आप 3-5 च करने क को शश कर।
धनुरासन के लाभ
1. धनुरासन मोटापा घटाने के लए: यह आसन वज़न कम करने के लए एक उ म योगा यास है। इसके नय मत
अ यास से पेट क चब कम होती है और आपके पेट को चु त-दु त बनाता है।
2. धनुरासन डाय बट ज के लए : यह आसन मधुमेह के रो गय के लए अ त लाभदायक है। इसके अ यास से प यास
उ ेिजत होता है और इ सु लन के ाव म मदद मलती है जो शुगर के संतुलन सहायक है। इसके अ यास से
डाय बट ज टाइप1 और डाय बट ज टाइप 2 दोन म फायदा पहुँचता है।
3. धनुरासन कमर दद के लए: यह आसन पीठ दद के लए रामबाण योग है । अगर इसका आप रोजाना अ यास करते
ह तो हमेशा हमेशा के लए कमर दद क परेशानी से नजात मल सकती है। यह पीठ के लगाम स, मांसपे शय एवं
तं काओं म खंचाव ले कर आता है और पुरे पाइनल कॉलम म एक नई जान फूं कता है।
4. धनुरासन अ थमा के लए: यह आसन अ थमा रो गय के लए बहुत लाभदायी है। इसके अ यास से सीने म अ छा
खासा खंचाव आता है और फे फड़ क मता को बढ़ाता है जो अ थमा रो गय के लए बहुत ज र है ।
5. धनुरासन क ज के लए: इसके अ यास से क ज एवं अपच को दूर कया जा सकता है। यह आसान सह तर के से
एंजाइम के ाव म मदद करता है और पाचन तं को मजबूत बनाता है।
6. धनुरासन व था पत ना भ के लए: यह योगा यास व था पत ना भ अपनी जगह पर लाने के लए लाभदायक है।
7. धनुरासन थाइरोइड के लए: यह योगासन थाइरोइड एवं अ धवृ क ं थय को उ ेिजत करता है तथा इसके हॉम न के
ाव म मदद करता है।
धनुरासन क सावधा नयाँ
धनुरासन उ ह नह ं करनी चा हए िज ह ती कमर दद हो।
ह नया के रोगीओं को इस आसन के करने से बचना चा हए।
अगर आप ulcer या पेि टक ulcer से भा वत ह तो इस आसन के अ यास से बच।
13. P a g e | 13
8.म य ासन
म ये ासन को फश पोज भी कहते ह। सं कृ त म म या को मछल और इं ा को राजा
कहते ह।
म ये ासन करने क व ध:
इसे करने के लए सबसे पहले पैर सीधे करके बैठ जाए। अब दाएं पैर को मोड़ते हुए
बाएं पैर क तरफ ले जाएं।
अब बाएं पैर को मोड़ते हुए कू ह क तरफ ले जाएं। इसे करते समय ब कु ल सीधे
बैठ।
इसे करते समय जो पैर मोड़ा है उसके वपर त हाथ का इ तेमाल कर। जैसे आपने बाएं
पैर को मोड़ा था तो दाएं हाथ को उठाएं और बाएं हाथ के घुटने पर मोड़कर रख।
अगर आपक लै सी ब लट अ छ है तो आप अपने पैर को भी पकड़ सकते ह।
ऐसा करने के बाद अपने शर र को पीछे क तरफ घुमाएं। उसके बाद सांस ल और छोड़।
इस आसन को करते समय 30 सेकड तक इसी मु ा म बैठ।
म ये ासन करने के फायदे:
म ये ासन लड ेशर को नय मत करने म मदद करता है।
कडनी और लवर को मसाज करने म फायदेमंद होता है।
लवर से वषा त पदाथ बाहर नकालने म मदद करता है।
डाय बट ज का इलाज करने म मददगार होता है।
कमर दद से राहत दलाने और र ढ़ क ह डी को व थ रखने म मदद करता है।
म ये ासन करते समय सावधा नयां:
म ये ासन क मु ा से बाहर आने के लए
सांस ल और सीधे होते हुए अपनी पुरानी मु ा
म आएं।
े नसी और मा सक धम के दौरान इस
योगासन को नह ं करना चा हए।
दय, दमाग म अगर सजर हुई है तो
म ये ासन करने से बचना चा हए।
गदन म दद होने से इसको सावधानीपूवक
कर।
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9.पि चमोतानासन
पि चमो ानासन दो श द मल कर बना है -‘पि चम’ का अथ होता है पीछे और ‘उ ांन’ का अथ होता है तानना।
इस आसन के दौरान र ढ़ क ह डी के साथ शर र का पछला भाग तन जाता है िजसके कारण इसका नाम
पि चमो ानासन दया गया है।
पि चमो ानासन क व ध
सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।
अब आप दोन पैर को सामने फै लाएं।
पीठ क पे शय को ढ ला छोड़ द।
सांस लेते हुए अपने हाथ को ऊपर लेकर जाएं।
फर सांस छोड़ते हुए आगे क ओर झुके ।
आप को शश करते ह अपने हाथ से उँग लय को
पकड़ने का और नाक को घुटने से सटाने का।
धीरे धीरे सांस ल, फर धीरे धीरे सांस छोड़े
और अपने हसाब से इस अ यास को धारण कर।
धीरे धीरे इस क अव ध को बढ़ाते रहे।
यह एक च हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 च कर।
पि चमो ानासन के लाभ
1. पि चमो ानासन योग र ढ़ क ह डी के लए: यह आसन मे दंड को लचीला बनाता है और हम बहुत रोग से दूर करता
ह।
2. पि चमो ानासन योग मोटापा कम के लए: अगर आपको अपनी पेट क चब कम करनी हो तो इस आसन का
नय मत अ यास कर। यह पेट को कम करने के साथ साथ कमर को पतला करने म भी मदद करता है।
3. वीय स बं धत परेशा नय म: यह आसन वीय (Semen) स बं धत परेशा नय को दूर करता है।
4. पेट क मांसपे शय के लए: इसका नय मत अ यास करने से पेट क पे शयां मजबूत होती है जो पाचन से स बं धत
परेशा नयां जैसे क ज, अपच को दूर करने म सहायक है।
5. पि चमो ानासन वचा रोग क लए: इस आसन के अ यास से वचा रोग को दूर करने म सहायता मलती है।
6. साइ टका योग: यह आसन साइ टका से स बं धत रोग को दूर करता है।
7. तनाव कम करने के आसन: इस आसन को करने से गु सा नयं त होता ह|
8. पथर के लए योग: पि चमो ानासन के अ यास से आप गुद क पथर को रोक सकते ह।
9. एिजंग को धीमा करने वाला योग: इसके अ यास से आप उ क ग त को धीमा कर सकते ह।
10. पि चमो ानासन बवासीर के लए: यह बवासीर म लाभकार है।
11. अ न ा रोग म सहायक : यह आसन अ न ा रोग म लाभदायक है।
12. चेहरे पर तेज लाता है : इस आसन के अ यास से पुरे शर र म र त का वाह बेहतर हो जाता है जो चेहरे पर तेज लाता
है, कमजोर को दूर करता है। आपको तरोताजा रखते हुए मन को खुश रखता है।
पि चमो ानासन सावधानी
पि चमो ानासन उनको नह ं करनी चा हए िजनके पेट म अ सर क शकायत हो।
यान रहे, इस योग को हमेशा खाल पेट ह करनी चा हए।
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10.मयूरासन
यह एक ऐसा योग आसन है, िजसको करने पर हमारे शर र क आकृ त एक मोर क तरह हो जाती है
इस लए हम इसे मयूरासन के नाम से जानते ह। जब हम इस आसन को करते ह तब हम बहुत ह
सावधानी क आव कता होती है, य क इसको करते समय हमारा पूरे शर र का भार हमारे हाथ पर
टका हुआ होता है और हमारा शर र हवा म लहराता है ।
मयूरासन क व ध :
1. इस आसन को शु करने से पहले साफ़ वातावरण म समतल थान पर दर या चटाई को बछा ल।
2. फर उस पर पेट के बल लेट जाएं।
3. अपने दोन पैर के पंजो को आपस म अ छे से मला ल।
4. हाथ के अंगूठे और अंगु लयां अंदर क ओर रखते हुए हथेल जमीन पर रख।
5. अब दोन हाथ क कोह नय को ना भ के के दाएं-बाएं अ छे से जमा ल।
6. हाथ के पंजे और कोह नय के बल पर धीरे-धीरे सामने क ओर झुकते हुए शर र को आगे झुकाने के बाद पैर को धीरे-
धीरे सीधा कर द।
7. ऐसा करने के बाद अपने पुरे शर र का वजन कोह नय के ऊपर कर द और अपने घुटने और पैर को जमीन से उठा ल।
8. अपने सर को सीधा रख।
मयूरासन के लाभ :
1. इस आसन को करने से चेहरे पर लाल आती है और यह आप को सुंदर बनता है।
2. मयूरासन से आंत के साथ साथ शर र के अ य अंग को मजबूती मलती है।
3. इस आसन से आमाशय और मू ाशय के दोष से मुि त मलती है।
4. यह हमारे फे फड़ो के लए बहुत लाभकार होता है।
5. इस आसन वारा भुजाएँ और हाथ बलबान बनते ह।
6. यह र त संचार को नय मत करता है ।
7. इस आसन को करने वाल को मधुमेह रोग का सामना नह ं करना पड़ता।
8. पाचन या को सुचा प से चलाने के लए यह बहुत ह फायदेमंद होता है।
9. इस आसन को करने से हम पेट क सम याओं का सामना नह ं करना पड़ता ।
10. यह आसन पेट के रोग जैसे – अफारा, पेट दद, क ज क सम या, वायु वकार और अपच को दूर
करने के लए फायदेमंद होता है।
मयूरासन क सावधा नयां :
1. इस आसन को करने पर पेट खाल होना चा हए।
2. य द लड ेशर, ट बी, दय रोग, अ सर और ह नया
रोग क शकायत हो, तो इस आसन को वशेष और
च क सक के परामश लेकर ह करना चा हए।
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11.शवासन
शवासन सं कृ त श द का बना हुआ है। शव का अथ होता है मृत शर र। इस आसन को शवासन इस लए
भी कहते ह य क इसम शर र मृत शर र या मुद के समान लगता है। शवासन एक अ यंत मह वपूण
योगा यास है। इसका शार रक, मान सक एवं आ याि मक मह व बहुत ह यदा है। ाय: योगा यास के
बीच म या अ त म शवासन कया जाता है ता क शर र शांत एवं ि थर रहे। यान के लए शवासन एक
उ म योग व ध है।
शवासन क व ध
पीठ के बल लेट जाएं और हाथ को आराम से शर र से एक फु ट क दुर पर रख।
पैर के बीच एक या दो फु ट क दूर रख।
दोन हाथ जमीन पर शर र से 10 इंच दूर रख।
अंगु लयां तथा हथेल ऊपर क दशा म रख।
सर को अपने हसाब से रख।
आंख धीरे से बंद कर।
धीरे धीरे सांस ल और धीरे धीरे सांस छोड़े।
शवासन म को शश कया जाता है क आपके शर र का
येक अंग से तनाव मु त रहे और शर र के अंग को
यदा से यदा आराम मल सके ।
शवासन के लाभ
1. यान के लए उ दा आसन: यान के लए यह सबसे अ छा योगा यास है। शवासन आपको यान क
गहराई म लेकर जाता है ता क आप यान से होने वाले लाभ को महसूस कर सके और इसका फायदा उठा
सके ।
2. तनाव घटाने म : यह आसन तनाव घटाने म बड़ी भू मका नभाता है।
3. थकावट दूर करने म: यह शार रक तथा मान सक थकावट दूर करने म लाभकार है।
4. मांसपे शय के आराम म : यह शर र क सभी पे शय एवं तं काओं को व ाम देता हैा और आपको तनाव
मु त करने म अहम भू मका नभाता है।
5. मनोवै ा नक वकार दूर करने म: यह मनोवै ा नक वकार दूर करने म अ यंत लाभकार आसन है।
6. उ च र तचाप कम करने म : उ च र तचाप को कम करने म लाभकार है।
7. दय रोग म लाभदायक: दय रोगी के लए बहुत ह फायदेमंद योगा यास है।
8. बेचैनी दूर करने म : बेचैनी दूर करने म अहम भू मका नभाता है।
9. चंता कम करने म: यह चंता को कम करते हुए आपको शांत एवं शर र को व ाम दलाता है।
शवासन क सावधानी
वैसे शवासन क कोई सावधानी नह ं है। फर भी यदा देर तक इसको मे टेन करना भी ठ क नह ं है।
अपने योग ट चर के सहायता से इसके समय को आप कम व यदा कर सकते है
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12.िस ासन
योगासन क दु नया म स धासन का बहुत बड़ा मह व है। 84 लाख आसन म स धासन को सबसे
सव े ट आसन म रखा गया है। यह आसान आपको मो ाि त क ओर ले जाता है। इसको स चे
दल एवम सह तर के से करने पर यह आपको अलौ कक स दयाँ ा त क ओर लेकर जाता है।
स धासन कै से कर ?
सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।
बाएं पैर क एड़ी को गुदा से सटाकर रख तथा दाएं पैर क एड़ी को अंडकोष के नीचे रख।
दोन पैर के पंजे जांघ एवं पंड लय के बीच होने चा हए।
हाथ को घुटन के ऊपर रख।
यान रहे इस योगा यास के दौरान आपका पूरा शर र एकदम सीधा
होना चा हए।
अपनी ि ट को नाक क नोक पर क त कर।
शु वाती दौड़ म इसको आप कु छ समय के लए ैि टस कर
ले कन धीरे धीरे इसक अव ध को बढ़ाएं और 10 मनट तक लेकर
जाएं।
स धासन के लाभ
1. मचय ाि त म सहायक: इस आसन के अ यास से कामवासना समा त होने म मदद मलती है और मचय
ा त करने म सहायता मलती है।
2. कुं ड लनी जागरण योग: यह आसन मान सक ठहराव देते हुए सू नाड़ी से ाण का वाह सु नि चत करता है तथा
कुं ड लनी जागरण म सहायता करता है।
3. ना ड़य का शु धकरण म: इस आसन का नय मत अ यास से शर र क सम त ना ड़य का शु धकरण होता
है और पुरे शर र म तरोताजगी आ जाती है। इस आसन के अ यास से 72 हजार ना ड़य क अशु धय को दूर
कया जा सकता है।
4. स धासन यान के लए: इस आसन यान के लए अ त उ म आसन है और साथ ह साथ आपके मन को एका
करने म बड़ी भू मका नभाता है।
5. दमाग को तेज करने के लए: इस आसन का नय मत अ यास करने से दमाग तेज होता है। इस लए छा एवं
छा ाओं के लए यह एक उ दा योगा यास है।
6. पाचन के लए लाभदायक: यह आपके जठराि न को तेज करता है, पाचन या को नय मत करने म सहायक है।
7. वीय क लए लाभदायक: इस आसन से वीय क र ा होती है। िजनको व नदोष क शकायत है उनको इस आसन
का अ यास ज र करनी चा हए। और यौन से स बं धत रोग को दूर करता है।
8. स धासन बवासीर म: स धासन का नय मत अ यास से बवासीर म बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है।
9. कु भक आसन: इस आसन के नय मत अ यास से कु भक आसानी से लगने लगता है।
स धासन क सावधानी
स धासन को बलपूवक नह ं करनी चा हए।
यह आसन शांत एवं आराम भाव से करना चा हए।
अगर घुटने म दद हो तो कु छ समय के लए इस आसन को करने से बच
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13.प मासन
प मासन सं कृ त श द प म से नकला है िजसका का अथ होता है कमल। इस आसन म शर र बहुत
हद तक कमल जैसा तीत होता है। इस लए इसको lotus pose भी कहते ह।
प मासन क व ध
जमीन पर बैठ जाएं।
दायां पांव मोड़ तथा दाएं पैर को बा जांघ के ऊपर तथा कू ह ए के पास रख।
यान रहे दा एड़ी से पेट के नचले बाएं ह से पर दबाव पड़ना चा हए।
बायां पांव मोड़ तथा बाएं पैर को दा जांघ के ऊपर रख।
यहां भी बाइ एड़ी से पेट के नचले दाएं ह से पर दबाव पड़ना
चा हए।
हाथ को ानमु ा म घुटन के ऊपर रख।
र ढ़ क ह डी को सीधी रख।
धीरे धीरे सांस ल और धीरे धीरे सांस छोड़े।
अपने हसाब से इस अव था को बनाएं रख।
आप इसक अव ध को 1 मनट से लेकर 1 घंटे तक बड़ा सकते
ह।
फर धीरे धीरे आप अपनी आरं भक अव था म आ जाएं।
प मासन के लाभ
1. प मासन यान के लए: प मासन यान के लए एक अ त उ म योग अ यास है जो आपको शार रक,
मान सक एवम आ याि मक क ओर लेकर जाता है और यान क ओर अ सर कराते हुए आपको शां त
तथा धैय दान करता है।
2. प मासन चेहरे के लए: इस आसन के अ यास से आपके चेहरे म एक नई कार क रौनक आ जाती है और
आपका चेहरा खला खला लगता है।
3. र ढ़ क ह डी को मजबूत बनाता है: यह आपके र ढ़ क ह डी को व थ रखते हुए इसको मजबूत बनाने म
सहायक है।
4. र ढ़ के तं काओं को बल देता है: यह र ढ़ के नचले अं तम छोर तथा अंस मेखला के े म अ त रि त
र त वाह कर वहां क तं काओं को बल देता है।
5. प मासन क ज के लए: यह पाचन या को बेहतर करते हुए क ज को दूर करने म सहायक है।
6. प मासन एका ता बढ़ाने के लए: इस आसन के अ यास से एका ता को बढ़ाने म मदद मलती है।
7. प मासन मेमेर के लए: इसके नय मत अ यास से मृ त बढ़ने म मदद मलती है।
8. सांस फू लने म: इस योग अ यास से सांस के फू लने को कम कया जा सकता है।
9. प मासन पैर म पसीना रोकने के लए: यह पैर म अ धक पसीना आने, दुगध आने या ठंडा/गम लगने क
सम याओं को दूर करने म यह लाभकार होता है।
प मासन क सावधानी
िजनको घुटने क दद हो उ ह प मासन नह ं करनी चा हए।
टखने क दद म इस आसन को करने से बचना चा हए।
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14. संहासन
इस आसन का मतलब होता है शेर आसन या Lion Pose। इस आसन को संहासन इस लए कहते ह य क बाहर
नकल हुई जीभ के साथ चेहरा दहाड़ते हुए शेर क भयंकर छ व को दशाता है। सं कृं त म ‘ संह’ का अथ होता है
‘शेर’। संहासन आपके आंखो, चेहरे व गदन को व थ रखने के लए अहम भू मका नभाता है।
संहासन क व ध
संहासन करने के लए सबसे पहले आप अपने पैर के पंज को आपस म मलाकर उस पर बैठ जाएं।
दोन ए ़डय को अंडकोष के नीचे इस कार रख क दा एड़ी बा ओर तथा बा एड़ी दा ओर हो और
ऊपर क ओर मोड़ ल।
पंडल क ह डी का आगे के भाग जमीन पर टकाएं।
हाथ को भी जमीन पर रख।
मुंह खुला रखे औरऔर िजतना स भव हो सके जीभ को बाहर
नका लये।
आंख को पूर तरह खोलकर आसमान म दे खये।
नाक से वास ल िजये।
सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से प ट और ि थर आवाज
नका लये।
इस तरह से इसको आप 10 बार कर सकते ह। अगर कोई परेशानी हो
तो इसको यदा बार कर सकते ह।
संहासन के लाभ
1. आवाज को मधुर बनाने के लए : अगर आपको अपनी आवाज को मधुर बनानी हो तो इस आसन का
अ यास ज र कर। वाणी से संबं धत वकार म यह उपयोगी होता है। अपनी आवाज को मधुर बनाने के
लए गायक एवं संगीतकार ायः इस आसन का अ यास करते ह। अगर कोई हकलाकर बोलता है तो उसे
संहासन करनी चा हए।
2. एंट एिजंग योग: यह एक तरह का एंट एिजंग आसन है, जो चेहरे क ए सरसाइज करने के साथ ह चमक
बढ़ाता है और वचा म नयापन बनाएं रखता है।
3. थायरॉयड योग: यह थायरॉयड के लए एक बेहतर न योग है। इसका रोजाना अ यास करने से आप थायरॉयड
से संबं धत परेशा नय से बच सकते ह।
4. आंख क बीमार के लए: इसके अ यास से आप अपने आंख को व थ रख सकते ह। इससे आंख क
नस क कमजोर दूर होती है।
5. गले क बीमार के लए: संहासन करके आप बहुत सार गले क परेशानी से बच सकते ह। इसका नय मत
अ यास से गले म होने वाले सं मण को दूर कया जा सकता है।
6. अ थमा के लए: संहासन से आपको अ थमा म आराम मलता है।
7. गले, नाक, कान के लए: गले, नाक, कान और मुंह क बीमा रय को दूर करने के लये यह एक े ठ आसन
है।
संहासन क सावधानी
घुटन क दद होने पर इस आसन को नह ं करनी चा हए।
गले क दद म इसको न करे
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15.भ ासन
भ ासन सं कृ त श द भ से नकला है िजसका मतलब होता है स जनता या शाल नता। यह आसन बहुत सारे
रोग को न ट करने म सहायक है।
भ ासन योग व ध
दोन पांव को एक साथ सामने फै लाकर जमीन पर बैठ।
अंगु लय को आगे क दशा म होना चा हए।
पांव को धीरे-धीरे घुटन से मोड़ और दोन ए ़डय को एक दूसरे से
जोड़।
अपने हाथ बगल म रख ल और हथे लय को जमीन पर टका द।
टखन को हाथ से पकड़ ल।
धीरे-धीरे पांव को मूलाधार क ओर लाएं, जब तक वे मूलाधार के नीचे
न पहुंच जाएं।
घुटन का जमीन से पश होना चा हए।
टखन को हाथ से पकड़ आप अपने घुटन को ऊपर नीचे कर। ऊपर नीचे करने से एक च हुआ
आपके सर, गदन एवं पीठ सीधी होनी चा हए।
इस या म आपक सांस साधारण होनी चा हए।
इस आसन को करने के बाद सवासन कर।
भ ासन के लाभ
भ ासन वारा कमर दद म कमी : इसके अ यास से आप कमर दद से नजात पा सकते ह।
भ ासन अंडाशय के वा थ म: यह अंडाशय को व थ रखता है और इसको PCOS के परेशा नय से
बचाता है।
भ ासन र ढ़ क ह डी के लए: र ढ़ क ह डी के लए लाभदायक आसन है।
शर र सुंदर म : भ ासन शर र को सुंदर बनाने म मदद करता है।
भ ासन दमाग को तेज बनाने म: यह आपके एका ता को बढ़ाते हुए दमाग को तेज करने म मदद करता
है। याददा त को बरक़रार रखने म मदद करता है।
शर र को शांत करने म: यह मन के चंचलता को कम करता है और शर र को शांत करने म सहायक है।
भ ासन वारा जनन शि त: इस आसन के अ यास से जनन शि त बढ़ती है।
पैर को मजबूत बनाने म: यह आपके पैर को मजबूत बनाते हुए इसके बहुत सार परेशा नय को दूर करता है।
नायु तं क मजबूत म: यह नायु तं एवं तां क तं को मजबूत बनाता है।
भ ासन आँख के वा थ म : भ ासन एक याना मक आसन है जो एका ता को बढ़ाने म मदद करती है |
वह ं एका ता आपके आँख के लए ज र है, इस तरह से आप अपनी ने शि त का वकास कर सकते ह।
मन क एका ता के लए: मन क ि थरता के लए यह आसन अ धक लाभकार है िजससे आपको शार रक एवं
मान सक बल मलता है।
भ ासन क सावधा नयां
गववती म हला को यह आसन कसी वशेष के नगरानी म करनी चा हए।
घुटने दद होने पर इस आसन को न कर।
21. P a g e | 21
1. दगंबर वामी (2001) वा माराम कृ त हठ द पका, कै व यधाम,
ीम माधव, योग मं दर स म त, लोनावला ।
2. नरंजान द वामी (2003) मह ष घेर ड कृ त सं हता योग पि लके श स
ट मूंगेर बहार ।
3. सर वती वामी स यानंद – आसन, ाणायाम, मु ा, बंध (2003) योग
पि लके श स ट मूंगेर बहार ।
4. भारती परमहंस वामी अनंत (2004) काशी आयुवद ंथमाला
हठ द पका, चौख भा ओ रय टा लया, द ल , भारत ।
5. शमा शैल (2008) या योग सं हता वा माराम कृ त हठयोग द पका,
योग पि लके श स ट मूंगेर बहार भारत ।
6. https://gyanunlimited.in/ayush/dhanurasana-
steps-benefits-and-precaution/301/
7. https://www.achisoch.com/dhanurasana-steps-
and-benefits-in-hindi.html
8. https://swadeshiupchar.in/2017/09/dhanurasan.html