1. सुसमाचार, प्रेररतों के काम Gospels, Acts
पौलुस के पत्र Paul’s Letters
शक्ततशाली पत्र Powerful Letters
प्रकाशशत वातय Revelation
पाठ 20: इब्रानियों - असली प्रस्ताव
Lesson 20: Hebrews, the Real Deal
2. इब्रानियों - असली प्रस्ताव
याकू ब - सभी या कु छ नहीीं
1 पतरस - पीडा के दृक्टिकोण
2 पतरस - सवेरा से पहले अींधेरे
1 यूहन्ना - साहचयय का आनींद लें
2 यूहन्ना - सत्य में प्यार
3 यूहन्ना - सुसमाचार प्रततरूप
यहूदा - अपनी क्थितत रखो
3. उद्देश्य
पररचय
असली कें द्र - इब्रातनयों 1,2
असली आराम 3-4:13
असली महायाजक 4:14-5:10,
6:20-8:6
असली शसद्धता 5:11-6:19
Objectives
Introduction
Real Centre 1,2
Real Rest 3-4:13
Real High Priest 4:14-5:10, 6:20-8:6
Real Maturity 5:11-6:19
4. असली वाचा - इब्रातनयों 8:7-9:18
ईश्वर का असली मार्य 9:19-
10:37
असली ववश्वास 10:38-11
असली दौड 12:1-14
असली राज्य12:14-28
असली काम 13
ववचार-ववमशय
Real Covenant 8:7-9:18
Real Way to God 9:19-10:37
Real Faith 10:38-11
Real Race 12:1-14
Real Kingdom 12:14-28
Real Action 13
Discussion
5. यीशु के बारे में सच्चाई को
समझने के शलए
उस सत्य में मसीह में
शसद्धता प्राप्त करने के शलए
जाल से बचने के शलए
यहूददयों में गर्र रहे िे
To understand the truth about
Jesus
To attain maturity in Christ in
that truth
To avoid traps the Jews were
falling into
6. सभी यहूददयों को सींबोगधत ककया
ईसवी 400-1600 से, शीर्यक "पौलुस के पत्र” नाम रखा र्या
िा
अींतर:
◦ शुभकामना
◦ लेखक यूनानी का मादहर है [1]
◦ लेखक भी न तो यीशु के साि िा या सीधे रहथयोद्घािन प्राप्त
ककया। (2:3)।
बरनबास और अपोलोस लेखक हो सकता है
Addressed to the Jews all over.
From AD 400-1600, titled “Paul’s letter
Differences: Greeting, author is master of Greek, author had
never been with Jesus or received direct revelation. (Ch 2:3).
Barnabas and Apollos strong candidates as author.
7. इब्रातनयों 11:6 और
ववश्वास बििा उसे प्रसन्ि
करिा अिहोिा है, तयोंकक
परमेश्वर के पास आने
वाले को ववश्वास करना
चादहए, कक वह है; और
अपिे खोजिे वालों को
प्रनतफल देता है।
6 without faith it is impossible to
please Him, for he who comes to
God must believe that He is
and that He is a rewarder of those
who seek Him. Ch 11
8. इब्रातनयों 1:10 और यह कक, हे
प्रभु, आदद में तू िे पृथ्वी की
िेव डाली, और थवर्य तेरे हािों
की कारीर्री है। 11 वे तो िाश
हो जाएंगे; परन्तु तू ििा रहेगा:
और वे सब वथत्र की नाईं
पुराने हो जाएींर्े। 12 और तू
उन्हें चादर की नाईं लपेिेर्ा,
और वे वथत्र की नाईं बदल
जाएींर्े: पर तू वही है और तेरे
वर्षों का अन्त ि होगा।
9. बाइबबल में चार प्रकार के आराम:
मसीह में आत्मा है, आत्मा को
आराम - मत्ती 11:28
अनन्त आराम - इब्रातनयों 4:9
सब्त आराम - इब्रातनयों 4:9
अथिायी आराम - इब्रातनयों 4:8
Four types of rest in the
bible:
R est in Christ, soul rest
Matt 11:28
E ternal rest 4:9
S abbath rest 4:9
T emporal rest 4:8
10. इब्रातनयों 4:8 और यदद यहोशू उन्हें
ववश्राम में प्रवेश कर लेता, तो उसके बाद
दूसरे ददन की चचाय न होती। 9 सो जान
लो कक परमेश्वर के लोर्ों के शलये सब्त
का ववश्राम बाकी है। 10 तयोंकक क्जस ने
उसके ववश्राम में प्रवेश ककया है, उस ने
भी परमेश्वर की िाईं अपिे कामों को
पूरा करके ववश्राम ककया है।
11 सो हम उस ववश्राम में प्रवेश करिे
का प्रयत्ि करें, ऐसा न हो, कक कोई जन
उन की िाईं आज्ञा ि माि कर गगर पडे।
So there remains a Sabbath rest for the
His rest has himself also rested from
his works, as God did from
His. 11 Therefore let us be diligent to
enter that rest, so that no one will fall,
through following the same example
of disobedience. Ch 4
11. इब्रातनयों 4:15 तयोंकक
हमारा ऐसा महायाजक नहीीं,
जो हमारी नििबलताओं में
हमारे साथ दुखी ि हो सके ;
वरन वह सब बातों में
हमारी नाईं परखा तो र्या,
तौभी तनटपाप तनकला।
15 For we do not have a high
priest who cannot sympathize
with our weaknesses, but One
who has been tempted in all
things as we are, yet without
sin.. Ch 4
12. इब्रातनयों 7:27 और उन
महायाजकों की नाईं उसे
आवश्यक नहीीं कक प्रतत ददन
पदहले अपने पापों और किर
लोर्ों के पापों के शलये
बशलदान चढाए; क्योंकक उस िे
अपिे आप को िललदाि
चढाकर उसे एक ही िार
निपटा ददया।
27 who does not need daily, like
those high priests, to offer up
sacrifices, first for His own sins
and then for the sins of the
people, because this He did once
for all when He offered up Himself
- Ch 7
13. महायाजक मसीह की ववशशटिता "
परमेश्वर के शलए पि -इब्रातनयों 10:19,20
ववनम्र आज्ञाकाररता के माध्यम से पहुींचे -
इब्रातनयों 5:8,9
परमेश्वर है - इब्रातनयों 1:10
हमारे साि सहानुभूतत - इब्रातनयों 4:15
पापहीन बशलदान - इब्रातनयों 4:15,7:27
कालातीत - इब्रातनयों 7:3,27
Path to God 10:19,20
Reached through humble obedience
5:8,9
Is God 1:10
Empathizes with us 4:15
Sinless Sacrifice 4:15,7:27
Timeless 7:3,27
14. इब्रातनयों 6:1 इसशलये आओ
मसीह की शशक्षा की आरम्भ
की बातों को छोड कर, हम
शसद्धता की ओर आर्े बढते
जाएीं, और मरे हुए कामों से
मन किराने, और परमेश्वर
पर ववश्वास करने।
Therefore leaving the elementary
teaching about the Christ, let us
press on to maturity, not laying
again a foundation of repentance
from dead works and of faith toward
God 6:1
15. इब्रातनयों 6:5 और परमेश्वर के उत्तम
वचन का और आने वाले युर् की
सामिों का स्वाद चख चुके हैं। 6
यदद वे भिक जाएीं; तो उन्हें मन
किराव के शलये किर नया बनाना
अन्होना है; तयोंकक वे परमेश्वर के
पुत्र को अपने शलये किर क्रू स पर
चढाते हैं और प्रर्ि में उस पर कलींक
लर्ाते हैं।
5 and have tasted the good word of God and
the powers of the age to
come, 6 and then have fallen away, it
is impossible to renew them again to
repentance, since they again crucify to
themselves the Son of God and put Him to
open shame. 6:5,6
16. इब्रातनयों 8:10 किर प्रभु कहता
है, कक जो वाचा मैं उन ददनों के
बाद इथत्राएल के घराने के साथ
िान््ूंगा, वह यह है, कक मैं
अपिी व्यवस्था को उि के मिों
में डालूंगा, और उसे उन के हृदय
पर शलखूींर्ा, और मैं उन का
परमेश्वर ठहरूीं र्ा, और वे मेरे
लोर् ठहरेंर्े। 11 और हर एक
अपने देश वाले को और अपने
भाई को यह शशक्षा न देर्ा, कक तू
प्रभु को पदहचाि क्योंकक छोटे से
िडे तक सि मुझे जाि लेंगे।
.. For all will know Me, From
the least to the greatest of
them. Ch 8
17. उपरोतत कहा र्या है कक
"नया वाचा" के वल पूणय बल
में होर्ा जब परमेश्वर
के पूणय प्रततसाद और पूणय
ज्ञान आता है - इसराइल
के साि शुरू
The passage above says the
“New covenant” will only be
in full force when full
response and full knowledge
of God comes – starting with
Israel
18. इब्रातनयों 10:19 सो हे
भाइयो, जब कक हमें यीशु के
लोहू के द्वारा उस नए और
जीवते मार्य से पववत्र थिान
में प्रवेश करने का दहयाव हो
र्या है। 20 जो उस िे परदे
अथाबत अपिे शरीर में से
होकर, हमारे ललये अलभर्षेक
ककया है
19 Therefore, brethren, since we
have confidence to enter the holy
place by the blood of Jesus, 20
by a new and living way which He
inaugurated for us through the
veil, that is, His flesh, ch 10
परमेश्वरपापी
यीशु
19. इब्रातनयों 11:1 अि
ववश्वास आशा की हुई
वस्तुओं का निश्चय,
और अनदेखी वथतुओीं
का प्रमाण है।
Now faith is the
assurance of things
hoped for, the conviction
of things not seen. 11:1
20. इब्रातनयों 12:1 इस कारण जब
कक र्वाहों का ऐसा बडा बादल
हम को घेरे हुए है, तो आओ,
हर एक रोकने वाली वथतु, और
उलझाने वाले पाप को दूर कर
के , वह दौड जजस में हमें दौडिा
है, ्ीरज से दौडें। 2 और
ववश्वास के कताय और लसद््
करिे वाले यीशु की ओर ताकते
रहें;
..let us run with endurance
the race that is set before
us, 2 fixing our eyes on Jesus,
the author and perfecter of
faith. Heb 12:1,2a
21. इब्रातनयों 12:28 इस कारण हम
इस राज्य को पाकर जो दहलिे
का िहीं, उस अनुग्रह को हाि से
न जाने दें, क्जस के द्वारा हम
भक्तत, और भय सदहत, परमेश्वर
की ऐसी आराधना कर सकते हैं
क्जस से वह प्रसन्न होता है। 29
तयोंकक हमारा परमेश्वर भस्म
करिे वाली आग है॥
28 Therefore, since we receive
a kingdom which cannot be shaken,
let us show gratitude, by which we
may offer to God an acceptable
service with reverence and
awe;29 for our God is a consuming
fire. Ch 12
22. इब्रातनयों 13:13 सो आओ उस
की तनन्दा अपने ऊपर शलए हुए
छाविी के िाहर उसके पास
निकल चलें। 14 तयोंकक यहाीं
हमारा कोई क्थिर रहने वाला
नर्र नहीीं, वरन हम एक आने
वाले नर्र की खोज में हैं।
So let’s go outside, where Jesus is,
where the action is—not trying to
be privileged insiders, but taking
our share in the abuse of Jesus. Ch
13:13 MSG
14 For here we do not have a lasting city,
but we are seeking the city which is
to come. Ch 13:14 (NASB)
24. असली कें द्र (Centre) - इब्रातनयों 1,2
असली आराम (Rest) 3-4:13
असली महायाजक (High Priest) 4:14-
5:10, 6:20-8:6
असली शसद्धता (Maturity) 5:11-6:19
असली वाचा (Covenant) 8:7-9:18
ईश्वर का असली मार्य (Way to God)
9:19-10:37
असली ववश्वास (Faith) 10:38-11
असली दौड (Race)12:1-14
असली राज्य (Kingdom) 12:14-28
असली काम (Action) 13
25. 1. ककस तरह से हम ईसाई ववश्वाशसयों के रूप में अब
भी यहूददयों की तरह व्यवहार करते हैं और सोचते
हैं?
2. हम अपने ददमार् को कै से बदल सकते हैं?
3. अर्र मसीह वाथतव में कें द्र है तो हमारे जीवन में
तया शभन्न होर्ा?
4. हम यहााँ और अब आराम कै से हाशसल कर सकते हैं?
In what ways do we as Christian believers still behave and think
like the Jews?
How can we change our mind set?
If Christ is truly centre what will be different in our lives?
How can we achieve rest here and now?