हिचकी (हिक्का रोग) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
हिचकी या हिक्का रोग में सांस-रुक-रुककर या हिक्-हिक् की आवाज के साथ बाहर निकलते है| यह रोग पेट में समान वायु तथा गले में उदान वायु के प्रकोप से पैदा होती है|
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िहिचकी या िहिक्का रोग मे सांस-रुक-रुककर या
िहिक्-िहिक् की आवाज के साथ बाहिर िनिकलते हिै|
यहि रोग पेट मे समानि वायु तथा गले मे उदानि वायु
के प्रकोप से पैदा हिोती हिै| चूंिक वायु रुक-रुककर
मुख से बाहिर िनिकलती हिै इसिलए रोगी को
घबराहिट हिोती हिै| वहि समझता हिै की उसके गले मे
कोई भीतरी चीज अटक गई हिै, अत: उसकी मृत्यु
शीघ हिी हिो जाएगी| इसका सम्बंध कभी-कभी
वायु िवकार से भी हिोता हिै| उस समय इसे
मानििसक रोग कहिा जाता हिै| ऐसी हिालत मे रोगी
को मानििसक रूप से शान्त रहिनिे तथा वायु को कम
करनिे वाले पथ्य देनिे के िनिदेश िदए जाते हिै|
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कारण - िहिचकी साधारण रूप से फ्रे िनिक स्नायु की
उत्तेजनिा के कारण कंठ की पेशी मे संकुचनि हिोनिे के
फलस्वरूप आती हिै| स्वायु की उत्तेजनिा के तीनि कारण
बताए गए हिै - भावनिात्मक हिालत, आमाशय का अिधक
भरा हिोनिा तथा िमचर, मसाले, खटाई, खट्टे या कड़वे
भोजनि का सेवनि|
पहिचानि - रोगी बार-बार िहिचिकयां लेकर सांस को
बाहिर फे कता हिै| कंठ अवरुद हिो जाता हिै| पेट मे ददर
तथा कब्ज की िशकायत हिोती हिै| पेट मे वायु अिधक
बनिनिी शुरू हिो जाती हिै जो अपानि वायु के रूप मे निहिी
छूटती| िसर मे ददर, उबकाई, माथे पर पसीनिा, पेट
फू लनिा आिद िशकायते हिोनिे लगती हिै| कई बार लम्बे
समय तक िहिचिकयां आती रहिती हिै| रोगी बुरी तरहि
घबरा जाता हिै|
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नुसखे - िहिचकी आते हिी लौंग भूनकर रोगी को
िखलाना चािहिए|
• मोर के पंख जलाकर दो रत्ती चूण र शहिद के साथ
िदन मे तीन बार दे|
• उबले चावलो मे घी या मक्खन डालकर
चबलाकर खाएं|
• नीबू के रस मे जरा-सा काला नमक िमलाकर
िपएं|
• मुलहिठी का चूण र शहिद के साथ चाटे|
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• अदरक का रस एक चम्मच, कालीिमचर का चूण र एक
चुटकी, नीबू का रस आधा चम्मच तथा काला नमक एक
चुटकी - सबको िमलाकर चाटने से िहिचिकयां तुरन्त बंद
हिो जाती हिै|
• हिींग की धूनी देने से िहिचकी तत्काल रुक जाती हिै|
• बफ र का पानी पीने से िहिचिकयां बंद हिो जाती हिै|
• धिनया के दाने मुख मे रखकर चूसे|
• पुदीने को पानी मे उबालकर पानी िपएं|
• सोठ का चूण र तथा पुराना गुड़ - दोनो को िमलाकर
बार-बार सूंघने से भी िहिचकी बंद हिो जाती हिै|
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• दो चम्मच मलाई या मक्खन जरा-सी कालीिमचर के
चूण र के साथ खाने से भी िहिचकी रुक जाती हिै|
• नािरयल का पानी िदन मे चार-पांच बार िपएं|
• गाय का ताजा मक्खन तथा िमश्री खाने से िहिचकी बंद
हिो जाती हिै|
• िदन मे तीन-चार बार घी और बूरा िखलाएं|
• प्याज को काटकर बार-बार सूंघे|
• गन्ने का रस नीबू डालकर िपएं|
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• कच्चे आम की गुठली के भीतर की िगरी िनिकालकर धूप
मे सुखा ले| िफिर उसे पीसकर चूण र बनिा ले| आधा चम्मच
चूण र शहद के साथ चाटे|
• घर मे रखी हुई अमृतधारा की दो बूंदे पानिी मे डालकर
िपएं|
• सफिे द इलायची को पीसकर उसके चूण र मे जरा-सा
सेधा निमक डालकर फिं की लगाएं| ऊपर से ठंडा पानिी पी
ले|
तुलसी के पत्तो का रस एक चम्मच शहद के साथ चाटनिे
से भी िहचकी बंद हो जाती है|
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कया खाएं कया निही - अिधक गरम तथा अिधक
ठंडी चीजो का सेवनि नि करे| भोजनि करनिे के एक
घंटे बाद पानिी िपएं| पेट मे कब्ज, अफिरा, आमाशय
मे खुश्की आिद निही होनिी चािहए| साग-सिब्जयो
मे तरोई, लौकी, कददू, फिरासबीनि की फििलयां,
मटर, टमाटर, िभण्डी, कटहल आिद का प्रयोग
अिधक करे| इस रोग मे फिु ल्का का साग बहुत
लाभदायक है| तरोतज निमक घास की सब्जी
बनिाकर खाएं| मूली का सेवनि सेधा निमक के साथ
करे| रात को सोनिे से पूवर गाय का दूध िपएं| गले
तथा पैरो के तलवो पर चार िमनिट देशी घी मले|
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खुश्की पैदा करनिे वाले खाद पदाथो का सेवनि नि करे|
आलू, प्याज, अंडा, मांस, मछली, चावल, अरहर एवं मूंग
की दाल का उपयोग निही करनिा चािहए| दूध, मलाई, घी
तथा मकखनि का सेवनि उिचत मात्रा मे करनिा चािहए|
भोजनि करनिे के पश्चात् मूत्र त्याग अवश्य करे| बैंगनि तथा
करेले की सब्जी नि खाएं| सुबह उठकर एक िगलास पानिी मे
एक निीबू िनिचोड़कर िनित्य पीनिे की आदत डाले|
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खुश्की पैदा करने वाले खाद पदाथो का सेवन न करे|
आलू, प्याज, अंडा, मांस, मछली, चावल, अरहर एवं मूंग
की दाल का उपयोग नही करना चािहए| दूध, मलाई, घी
तथा मक्खन का सेवन उिचत मात्रा मे करना चािहए|
भोजन करने के पश्चात् मूत्र त्याग अवश्य करे| बैंगन तथा
करेले की सब्जी न खाएं| सुबह उठकर एक िगलास पानी मे
एक नीबू िनचोड़कर िनत्य पीने की आदत डाले|