मोच आने के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
हाथ, पैरों, टखने या कुहनी आदि में मोच आने पर बाजारू पहलवानों से मलीद आदि नहीं करानी चाहिए| इससे अधिकांशत: नुकसान उठाना पड़ता है| इसका कारण यह है की मोच आने से नस-नाड़ियों के तंतु टूट जाते हैं| ऐसे में कड़ी मालिश से वे अधिक क्षत-विक्षत हो सकते हैं|
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हाथ, पैरो, टखने या कुहनी आदिद मे मोच आदने पर
बाजार पहलवानो से मलीद आदिद नही करानी चािहए|
इससे अधिधिकांशत: नुकसान उठाना पड़ता है| इसका
कारण यह है की मोच आदने से नस-नािड़यो के तंतु टूट
जाते है| ऐसे मे कड़ी मािलश से वे अधिधिक क्षत-िवक्षत हो
सकते है|
कारण - प्राय: पैर गलत स्थान या ऊं ची-नीची जगह
पर पड़ जाने के कारण संिधि-स्थल, जोड़ या नस वाला
स्थान चुटीला हो जाता है, इसी को मोच कहते है| यह
कभी-कभी पैर के मुड़ने, रपटने या िफिसल जाने के
फिलस्वरप होता है| साधिारणतया मोच कलाई, टखने,
कुहनी आदिद मे आदती है|
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पहचान - मोच आने वाले स्थान पर हल्का-सा चोट का
िनशान िदिखाई दिेता है, लेिकन सूजन हो जाने पर दिदिर
होने लगता है| मोच वाले स्थान को िहलाना डुलाना
तथा चलाना मुिश्कल हो जाता है|
नुस्खे - मोच आने पर सरसो के तेल मे जरा-सी हल्दिी
डालकर मािलश करने से सूजन कम होती है और दिदिर भी
चला जाता है|
• गेहूं का आटा तथा थोड़ी-सी िपसी हुई हल्दिी-दिोनो को
िमलाकर सरसो के तेल मे तवे पर गरम करके पुिल्टस
की तरह मोच पर बांधे|
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• ितल की खली का पानी मे िभगो दिे| इसके बादि उसे
गरम करके मोच वाले स्थान पर लगाएं| शीघ ही लाभ
महसूस होगा|
• मोच वाले स्थान पर बफ र का टुकड़ा रगड़ने से सूजन
नही आती|
• तुलसी के पत्तो का रस सरसो के तेल मे िमलाकर मोच
पर मािलश करे|
• िपसे नमक को तवे मे गरम करके कपड़े पर रखकर
मोच वाले स्थान पर बांध दिीिजए|
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• चने की पत्तियोत्तियो को पत्तानी के साथ पत्तीसकर चटनी बना
लीियोजिए| इसे मोच वाले स्थान पत्तर लगाकर पत्तट्टी बांध दे|
• पत्तान को गरम करके उस पत्तर तेल लगाकर पत्तट्टी बांध दे|
• सरसो के तेल मे तारपत्तीन का तेल ियोमलाकर मोच वाले
स्थान पत्तर मले|
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• पत्तान को गरम करके उस पत्तर तेल लगाकर पत्तट्टी बांध दे|
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स्थान पत्तर मले|