अल्सर के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
अल्सर का शाब्दिक अर्थ है - घाव| यह शरीर के भीतर कहीं भी हो सकता है; जैसे - मुंह, आमाशय, आंतों आदि में| परन्तु अल्सर शब्द का प्रयोग प्राय: आंतों में घाव या फोड़े के लिए किया जाता है| यह एक घातक रोग है, लेकिन उचित आहार से अल्सर एक-दो…
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अल्सर का शािक ब्दिक अथ र है - घाव| यह शरीर के भीतर
कही भी हो सकता है; जैसे - मुंह, आमाशय, आंतो आिदि
मे| परन्तु अल्सर शब्दि का प्रयोग प्राय: आंतो मे घाव या
फोड़े के िक लिए िकया जाता है| यह एक घातक रोग है,
लिेिकन उचिक चित आहार से अल्सर एक-दिो सप्ताह मे ठीक हो
सकता है|
कारण - अिक धिक मात्रा मे चिाय, कॉफी, शराब, खट्टे व
गरम पदिाथ र, तीखे तथ ा जलिन पैदिा करने वालिी चिीजे,
मसालिे वालिी वस्तुएं आिदि खाने से प्राय: अल्सर हो
जाता है| इसके अलिावा अम्युक भोजन, अिक धिक िक चिन्ता,
ईर्ष्यार, द्वेष, क्रोधि, कायरभार का दिबाव, शीघ काम
िक नपटाने का तनाव, बेचिैनी आिदि से भी अल्सर बन जाता
है| पेिक प्टक अल्सर मे आमाशय तथ ा पक्वाशय मे घाव हो
जाते है|
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धीरे-धीरे ऊतको को भी हानिन पहुंचनी शुर हो जानती है|
इसके द्वानरान पानचक रसो की ियाक्रियान ठीक प्रकानर से नही हो
पानती| ियाफिर वहानं फिोड़ान बन जानतान है |
पहचानन - पेट मे हर समय जलन होती रहती है| खट्टी-
खट्टी डकानरे आती है| िसर चकरानतान है और खानयान-िपयान
वमन के द्वानरान िनकल जानतान है| िपत जल्दी-जल्दी बढ़तान
है| भोजन मे अरुचिच हो जानती है| कब्ज रहतान है| जब
रोग बढ़ जानतान है तो मल के सानथ खून आनान शुर हो
जानतान है| पेट की जलन छानती तक बढ़ जानती है| शरीर
कमजोर हो जानतान है और मन बुझान-बुझान सान रहतान है|
रोगी िचड़िचड़ान हो जानतान है| वह बानत-बानत पर क्रिोध
प्रकट करने लगतान है|
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नुसखे - यियाद पेट मे जानंच करानने के बानद घानव कान पतान
चले तो संतरे कान रस सुबह-शानम आधान-आधान कप
इसतेमानल करे| इससे घानव भर जानतान है|
• िपसे हुए आंवले कान दो चम्मच चूण र रानत को एक कप
पाननी मे िभगो दे| सुबह उसमे आधान चम्मच िपसी हुई
सोठ, चौथानई चम्मच जीरान तथान दो चम्मच िपसी हुई
िमश्री िमलानकर सेवन करे|
• अल्सर के रोिगयो को दो केले कुचलकर उनमे तुलसी
के पतो कान रस एक चम्मच की मानत्रान मे िमलानकर खाननान
चानिहए|
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• यदिद अल्सर के कारण पेट मे ददर की िशिकायदत हो तो
एक चम्मच जीरा, एक चुटकी सेधा नमक तथा दो रत्ती
घी मे भुनी हुई हींग - सबको चूर्णर के रूप मे सुबह-शिाम
भोजन के बाद खाएं| ऊपर से मट्ठा िपएं|
• छोटी हरड़ दो, मुनक्का बीज रिहत दो तथा अजवायदन
एक चम्मच-तीनो की चटनी बनाकर दो खुराक करे| इसे
सुबह-शिाम ले|
• कच्चे केले की सब्जी बनाकर उसमे एक चुटकी हींग
िमलाकर खाएं| यदह अल्सर मे बहुत फायददा करती है|
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• एक चम्मच आंवले के मुरब्बे का रस तथा एक कप
अनार का रस - दोनो को िमलाकर सुबह के समयद
भोजन से पहले ले|
छोटी हरड़ एक, अजवायदन एक चम्मच, धिनयदा दो
चम्मच, जीरा एक चम्मच तथा हींग दो रत्ती - सबका
चूर्णर बनाकर दो खुराक करे| भोजन के बाद एक-एक
खुराक मट्ठे के साथ ले|
कयदा खाएं कयदा नहीं - इस रोग मे भोजन के बाद
आमाशियद के ऊपरी िहस्से मे ददर होने लगता है| इसिलए
रोगी को थोड़ी-सी हींग पानी मे घोलकर लेना चािहए|
रोगी को खाली दूर्ध, दही, खोए तथा मैदा की चीजे नहीं
खानी चािहए|
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यदिद दोपहर को केवल उबली हुई सब्जियोब्जियदो जिैसब्जे - लौकी,
तरोई, परवल, पालक, िटिण्डे आदिद का सब्जेवन करे तो
रोग जिल्दी चला जिाता है| अल्सब्जर मे मूली, खीरा,
ककड़ी, तरबूजि, खट्टी चीजिे जिैसब्जे - इमली और खटिाई नही
खानी चाियोहए| सब्जुबह नाश्ते मे हल्की चायद एवं ियोबस्कुटि
लेना चाियोहए| रात को हल्का भोजिन करना बहुत
लाभदायदक होता है| तम्बाकू, कैफीन, अंडा, मांसब्ज,
मछली, की तकलीफ को बढ़ा देता है, इसब्जियोलए इनका भी
प्रयदोग न करे|
अल्सब्जर के रोगी को भरपेटि भोजिन नही करना चाियोहए|
थोड़ा-थोड़ा भोजिन पांच-छ: बार मे करे, क्यदोिक भोजिन
का पचना पहली शर्तर होती है|
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भरपेटि भोजिन सब्जे अल्सब्जर पर दवाब पड़ सब्जकता है और
खायदा-ियोपयदा उल्टिी के रूप मे ियोनकल सब्जकता है| चायद बहुत
हल्की ियोपएं| यदिद चायद की जिगह पपीते, मौसब्जमी, अंगूर यदा
सब्जेब का रसब्ज ले तो लाभकारी होगा| भोजिन के बाद टिहलने
का कायदर अवश्यद करे| पानी उबला हुआद सब्जेवन करे| भोजिन
के बाद अपनी टिुण्डी पर सब्जरसब्जो का तेल लगा ले| रात को
सब्जोने सब्जे पूवर पेटि पर सब्जरसब्जो का तेल मले| पैर के तलवो पर
भी तेल की माियोलशर् करे|