http://spiritualworld.co.in काबुल की एक पति-व्रता माई:
बाउली की कार सेवा में भाग लेने के लिए सिख बड़े जोश के साथ दूर दूर से आने लगे| इस तरह काबुल में एक प्रेमी सिख की पति व्रता स्त्री को पता लगा|
वह प्रातः काबुल से चलकर कार सेवा करती और सायंकाल काबुल पहुँच जाती| कुछ सिखो ने माई को सेवा करते हुए हाथ से संकेत करते देखा| कुछ दिन इसी तरह ही बीत गये तो एक दिन सिखो ने गुरु जी को कहा महाराज! एक माई रोज सुबह संगतो के साथ सेवा करती है और रात के समय देखते ही देखते लुप्त हो जाती है|
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2. बाउली की कार सेवा मे भाग लेने के िलए
िसख बड़े जोश के साथ दूर दूर से आने लगे|
इस तरह काबुल मे एक प्रेमी िसख की पतित
व्रता स्त्री को पतता लगा|
वह प्रातः काबुल से चलकर कार सेवा करती
और सायंकाल काबुल पतहुँच जाती| कुछ िसखो
ने माई को सेवा करते हुए हाथ से संकेत करते
देखा| कुछ िदन इसी तरह ही बीत गये तो एक
िदन िसखो ने गुर जी को कहा महाराज! एक
माई रोज सुबह संगतो के साथ सेवा करती है
और रात के समय देखते ही देखते लुप हो
जाती है|
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3. एक और बात भी यह माई करती है िक कार
सेवा करती करती अपना हाथ पलकर पीछे
कर लेती है ऐसा लगता है िक जैसे िकसी चीज
को िहला रही हो| हमे समझ नही आता िक
यह माई कौन है|
गुर अमरदास जी ने माई को अपने पास
बुलाया और पूछा िक तुम कहाँ से आती हो?
और काम करते करते हाथ से िकस चीज को
िहलती हो? माई ने बताया मे सुबह काबुल से
आती हूँ और कर सेवा करके शाम को घर चली
जाती हूँ|
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4. गुर जी ने कहा यह शिक तुम कहाँ से
लाईहो माई ने कहा महाराज! यह शिक
मैंने अपने पित व्रता धर्मर से पाई है| इसी के
बल से मे काबुल से आती हूँ और वािपस
चली जाती हूँ| सुबह आते समय मे अपने
छोटे बच्चे को पंघूढ़े मे सुला आती हूँ और
यहाँ हाथ मारकर पंघूढ़े को िहलती रहती
हूँ| िजससे यह सोया रहता है और खेलता
ही रहता है|
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5. माई से यह सुनकर िसखो ने उसे धन्ये
माना और गुर जी ने कुश होकर पतित -
पतत्नी के लोक पतरलोक सुहेला कर िदिया|
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6. माई से यह सुनकर िसखो ने उसे धन्ये
माना और गुर जी ने कुश होकर पतित -
पतत्नी के लोक पतरलोक सुहेला कर िदिया|
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