http://spiritualworld.co.in श्री गुरु तेग बहादर जी गुरु गद्दी मिलना:
जब श्री गुरु हरिगोबिंद जी ने गुरु गद्दी अपने छोटे पोत्र श्री हरि राय जी को दी तथ स्वंय ज्योति-ज्योत समाने का निर्णय कर लिया तो माता नानकी जी ने आपको हाथ जोड़कर विनती की कि महाराज! मेरे पुत्र जो कि संत स्वरुप हैं, उनकी ओर आपने ध्यान नहीं दिया| उनका निर्वाह किस तरह होगा? गुरु हरि गोबिंद जी ने जब अपनी पत्नी की यह बात सुनी तो उन्होंने वचन किया कि आप इस समय अपने पुत्र श्री तेग बहादर जी को लेकर अपने मायके बकाले गाँव चले जाओ| समय पर इन्ही को गुरु गद्दी प्राप्त हो जायेगी|
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Shri Guru Teg Bahadur Sahib Ji Guru Gaddi Milna - 088a
1.
2. जब श्री गुर हरिरिगोबिबद जी ने गुर गद्दी अपने छोबटे
पोबत श्री हरिरि रिाय जी कोब दी तथ स्वंय ज्योबित-
ज्योबत समाने का िनणयर्णय करि िलिया तोब माता
नानकी जी ने आपकोब हराथ जोबड़करि िवनती की िक
महरारिाज! मेरिे पुत जोब िक संत स्वरप हरै, उनकी
ओरि आपने ध्यान नहरी िदया| उनका िनवार्णहर िकस
तरिहर हरोबगा? गुर हरिरि गोबिबद जी ने जब अपनी
पत्नी की यहर बात सुनी तोब उन्हरोंने वचन िकया िक
आप इस समय अपने पुत श्री तेग बहरादरि जी कोब
लिेकरि अपने मायके बकालिे गाँव चलिे जाओ| समय
परि इन्हरी कोब गुर गद्दी प्राप हरोब जायेगी|
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3. गुर जी का वचन मानकरि माता नानकी जी श्री
(गुर) तेग बहरादरि जी कोब लिेकरि बकालिे आ गई|
वहराँ आकरि श्री तेग बहरादरि जी अलिग बैठकरि भजन
िसमरिन करिते रिहरते| वहर िकसी भी काम काज की
ओरि अपना ध्यान न देते| इस तरिहर ऐसी तप
साधना मे आपजी ने 21-22 सालि व्यतीत िकए|
आठवे गुर श्री हरिरि कृष्णय जी ने िदल्लिी मे ज्योबित-
ज्योबत समाने से पहरलिे पांच पैसे औरि नािरियलि
थालिी मे रिख करि औरि उसकोब माथा टेक करि वचन
िकया था िक "गुर बाबा बकालिे"|
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4. जब यह वचन सारे िसख सेवको मे प्रकट हो गया
तो श्री तेग बहादर जी कोष मे समािध लगाकर
छुप कर बैठ गए| 15 िदनो के बाद जब आपकी
समािध खुली तो माता जी ने कहा िक बेटा! आप
संगत मे प्रकट होकर दशनर्शन दो और उनकी
मनोकामना पूर्ण र्श करो| पर गुर जी अपनी िलव
जोड़कर बैठे रहे|
दूर्सरी ओर धीरमल जी गुर गद्दी लगाकर बकाले
आकर गुर बनकर बैठ गए| उसने जगह जगह यह
प्रचार िकया िक मै ही गुर हूँ| इनको देखकर और
सोढ भी यहाँ डेरा लगाकर बैठ गए| यह आपा
धापी देखकर श्रधालु िसख िवचिलत से होने लगे|
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5. मखन शनाह लुभाना िजला जेहलम गाँव टांडा
मे रहता था, जो िक देशन िवदेशन मे व्यपार का
काम करता था| एक बार वह िकसी िवदेशन से
जहाज का माल लादकर समुन्द के रस्ते देशन
को आ रहा था| तूर्फान के कारण जहाज
रेतीली िजल्हण मे फस गया| कोई चारा ना
चलता देखकर उसने गुर जी से हाथ जोड़कर
अरदास की िक सच्चे पातशनाह! मै आपके घर
का सेवक हूँ मेरी सहायता करके पार लगाओ|
मै आपके आगे पांच सौ मोहरे भेट करूँ गा|
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6. अपने भगत के हृदय की पुकार सुनकर अन्तयार्शमी
गुर ने अपना कंधा देकर मखन शनाह का डूर्बता
जहाज पार लगा िदया| और अपने सेवक की
प्राथर्शना कबूर्ल की|
जहाज पार लगाकर मखन शनाह ने सारा माल बेच
िदया| तो वह अपनी मनौत पूर्री करने के िलए
पंजाब आया| पंजाब आकर उसको पता लगा इस
समय गुर बकाले मे िनवास करते हे| तब उसने यह
िवचार िकया िक अन्तयार्शमी गुर स्वंय ही मुझसे
पांच सौ मोहरे माँगेगे| बकाले जाकर उसने देखा
िक वहाँ कई गुर बैठे है|
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7. उसने हर एक गद्दी लगाकर बैठे गुर के आगे दो
दो मोहरे रखकर माथा टेका| पर िकसी भी
गुर ने पांच सौ मोहरे पूरी ना माँगी| िफिर वह
सच्चे गुर को पूछता-पूछता श्री गुर तेग बहादर
जी के पास पहुँच गया| आप जी कोष मे बैठे थे|
आपने माता जी से पूछ कर कोष मे जाकर जब
दो मोहरे रखकर माथा टेका तो आपने हँस कर
कहा - मखन शाह! तू पांच सौ मोहरे गुर घर
की मनौत मानकर अब दो ही मोहरे रखता है|
तुम्हे गुर घर की मनौत पूरी करनी चािहए|
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8. गुर जी के यह वचन सुनकर मखन शाह को यकीन
आ गया िक यही सच्चे गुर है| उसने पांच सौ मोहरे
गुर जी के आगे भेट कर दी और खुशी से कोठे पर
चढ़कर ऊँ ची-ऊँ ची कपड़ा फिे रकर कहा, "गुर लाधो
रे, गुर लाधो रे|“
इस तरह जब सबको पता लग गया िक बकाले
वाले बाबा श्री गुर तेग बहादर जी है तो संगत
उमड़-उमड़ कर आपके दशर्शन करने के िलए आने
लगी| मखन शाह ने अपनी वातार्श सबको सुनाई िक
सच्चे गुर की परख िकस तरह हुई है| यह वातार्श
सुनकर श्रद्धालु िसख सेवको ने गुर जी के आगे भेट
रखकर माथा टेका|
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9. दूसरे िदन माता जी तथा भाई गढ़ीये से सलाह
करके मखन शाह ने चंदोआ और नीचे दिरयाँ
िबछाई और गुर जी के दीवान के िलए तैयारी
करके गुर जी को गद्दी लगवाकर िबठा िदया| गुर
जी का दीवान मे प्रगट होकर बैठना सुनकर िसख
सेवक उमड़-उमड़ कर दशर्शन करने को आए| आए
हुए सभी श्रदालुओ ने यथा शिक भेट अपर्शण की
और गुर जी को माथा टेका|
धीरमल ने इस तरह संगत की आवाजाई और गुर
जी भेट अपर्शण होते देखकर आदमी भेजकर सारा
चढ़ावा जो संगत ने भेट िकया था उठवा िलया|
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10. इस समय शीहे मसंद ने गुर जी को मारने के
िलिए गोलिी भी चलिाई| परन्तु वह खालिी गई
और गुर जी बच गए|
मखन शाह अपने साथ आदमी लिेकर धीरमलि
के डेरे से श्री गुर ग्रंथ सािहब की बीड के साथ-
साथ डेरे से सब कुछ लिे आया जो धीरमलि के
आदमी लिूट कर लिे गए थे| परन्तु गुर जी ने श्री
गुर ग्रंथ सािहब की बीड के अितिरक धीरमलि
को वािपस करा िदया|
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इस तरह अपना आदर ना होता देखकर अपना
सामान उठवाकर करतारपुर चलिा गया|