Omega-3 Fatty Acids Increase Brain Volume While Reversing Many Aspects of Neu...
Moti lal
1. 1 | P a g e
हिन्दी हिनेमा में कु छ अहिनेता ऐिे िी िुए, हिन्िोंने नैिहगिक
अहिनय (नैचुरल एह्टिंग) के ििारे कामयाबी िाहिल की। इि कोहट
में मोतीलाल िर्िप्रमुख िैं। ििंिीर्कु मार और बलराम िािनी िी
नैचरल ए्टर माने िाते िै। मोतीलाल िन्मिात शोमेन रिे किे िाते
िै। र्ि लगातार तैंतीि िाल तक नायक या चररत्र-नायक के रूप में
हिल्मी परदे पर आते रिे और दशिकों को िाते रिे। उन्िोंने हिन्दी-
हिनेमा की मेलोड्रामाई ििंर्ाद-अदायगी और अहिनय की िँकरी-
लीक को छोड़कर स्र्च्छिंद-अहिनय की एक नई शैली िे दशिको को
रू-ब-रू कराया। अहिनय के हलए मश्कत करते उन्िें किी निीं
देखा गया। हिल्म-िगत में मोतीलाल को दादामुहन अशोक कु मार के
िमान अग्रि माना िाता था। उनके खाते में अनेक अच्छी हिल्में दिि
िैं।
मोतीलाल की हर्हशष्ट पिचान
िे ल्ट-िैट िे थी, हििे उन्िोंने
किी मुड़ने निीं हदया। शाकि -
स्कीन के िड़कीले शटि-पैंट,
चमचमाते िूते, मस्त चालढाल,
राििी अिंदाि, िार्-िार् में
निाित, बातचीत का नटखट
लििा, कु ल हमलाकर एक हििंदाहदल आदमी की छहर् पेश करते थे
मोतीलाल रािर्िंश। र्े िीते-िागते कै हलडोस्कोप थे। िब देखो,
हितनी बार देखो, िमेशा हनराले निर आते। मोतीलाल ििंगीत-ममिज्ञ
िी थे। र्े बाँिुरी, र्ायहलन, िामोहनयम और तबला बिाना िानते थे।
अपने टेरेि-अपािटमेंट में र्े िमेशा ििंगीत-मिहिलें िमाते, हिनमें
ििगल िी आते थे। उन्िोंने अस्िी िे अहिक हिल्मों में मित्र्पूर्ि
पहले नेचुरल एक्टर - मोतीलाल
जन्म 4 दिसम्बर 1910
दनधन 17 जून, 1965
जन्म - 4 दिसम्बर
मृत्यु -17 जून, 1965
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िूहमकाएँ हनिाई, हिनमें रािकपूर अहिनीत ‘अनाड़ी’ और
हदलीपकु मार की ‘पैगाम’ तथा ‘लीडर’ िी शाहमल िै।
मोतीलाल का िन्म 4 हदििंबर
1910 को हशमला में िुआ था
र्े हदल्ली के एक िुििंस्कृ त
पररर्ार िे थे। उनके हपता
हशक्षा हर्िाग में इिंस्पे्टर थे।
मोतीलाल एक िाल के िी थे
हक हपता चल बिे। उनके
पररर्ार को चाचा के घर रिना पड़ा, िो उत्तरप्रदेश में हिहर्ल िििन
थे। इन चाचा ने मोतीलाल एर्िं उनके पाँच िाई-बिनों की परर्ररश
की। चाचा ने िी मोतीलाल को िीर्न के प्रहत उदारर्ादी निररया
हदया। हशमला के अिंग्रेिी स्कू ल में प्रारिंहिक हशक्षा लेने के बाद
मोतीलाल ने पिले उत्तरप्रदेश, हिर हदल्ली में पढाई की। स्नातक की
उपाहि उन्िोंने हदल्ली िे ली। कॉलेि के हदनों में र्े ऑल-राउिंडर थे।
युर्ार्स्था में नैर्ी ज्र्ॉइन करने के इरादे िे मुिंबई पँिुचे तो ऐन-परीक्षा
के हदन बीमार िो गए और प्रर्ेश परीक्षा निीं दे पाए। इि बात का उन्िें
रिंि तो था, लेहकन एक हदन शानदार कपड़े पिनकर शूहटिंग देखने के
इरादे िे िागर स्टूहडयों िा पिुँचें। र्िाँ डायरे्टर कालीप्रिाद घोष
हकिी िामाहिक हिल्म की शूहटिंग कर रिे थे। घोष बाबू तेि-तरािर
युर्ा मोतीलाल को देखकर दिंग रि गए, ्योंहक अपनी हिल्म के हलए
उन्िें ऐिे िी िीरो की तलाश थी। हििकी तलाशी थी, र्ि खुद िामने
प्रकट िो गया – हिल्मी दुहनया में ऐिे इत्तिाक बिुत िुनने को हमलते
िैं।
घोष बाबू ने अपनी हिल्म ‘शिर का िादू’ (1934) के नायक के रूप
में उन्िें चुन हलया और नाहयका िहर्तादेर्ी के िमक्ष प्रस्तुत कर
हदया। िहर्तादेर्ी इि हिल्म की नाहयका थीं। तब हिल्मों में
पाश्र्र्गायन आम प्रचलन में निीं था, उिहलए मोतीलाल को अपने
मोतीलाल के दनधन पर
बॉलीवुड बडा बेरहम सादबत
हुआ। उनकी दचता को अदनन
िेने का काम अदिनेत्री नादिरा
ने पूरा दकया।
3. 3 | P a g e
गाने खुद गाने पड़े। गायक मन्ना डे के दृहष्टिीन चाचा कृ ष्र्चिंद्र डे
हिल्म के ििंगीतकार थे। उन्िोंने मोतीलाल िे एक गीत गर्ाया,
हििके बोल थे – ‘िमिे िुदिंर कोई निीं, कोई निीं िो िकता’। तब
यि गीत लोकहप्रय िो गया था। िागर मूर्ीटोन को उन हदनों कलाकरों
की नििरी किा िाता था। हििंहगिंग ए्टर िुरेन्द्र, हबब्बो, याकू ब, माया
बेनिी, कु मार और हचमनलाल लोिार िैिे िाकड़ िी र्िाँ मोिूद थे।
ििंगीतकारों में िीरेन बोि और अहनल हबस्र्ाि अपनी मिुर िुनों िे
‘हिल्र्र-हकिं ग’, ‘िागीरदार ’ और ‘िारहबडन-ब्राइड’ िैिी हिल्मों
को ििा रिे थे। ऐिे मािौल में मोतीलाल ने अपनी शालीन कॉमेडी,
मैनररज्म और स्र्ािाहर्क ििंर्ाद अदायगी िे तमाम नायकों को पीछे
छोड़ हदया।
िन् 1937 में मोतीलाल
ने िागर मूर्ीटोन छोड़
हदया और चिंदूलाल शाि
के रर्िीत स्टुहडयों में
काम करने चले गए।
रर्िीत की हिल्मों में
उन्िोंने हदर्ाली िे िोली
तक, ब्राह्मर् िे अछूत
तक और ग्रामीर् गँर्ई िे शिरी छैला-बाबू तक के हकरदार हनिाए।
अहिनेत्री खुशीद के िाथ उनकी हिल्म ‘शादी’ (41) िुपरहिट रिी।
रर्िीत के बैनर र्ाले उन्िोंने ‘परदेशी’, ‘अरमान’, ‘ििुराल’, और
‘मूहति’ िैिी दमदार हिल्मों में काम हकया। बॉेबे-टॉकीि ने अगर
गाँिीिी की प्रेरर्ा िे ‘अछूत-कन्या’ बनाई थी तो रर्िीत ने िी
‘अछूत’ (40) नामक हिल्म बनाई, हििमें मोतीलाल के िाथ गौिर
नाहयका थीं। हिल्म का नायक बचपन की अछूत िखी का िाथ
थामता िै और अछूतों के हलए मिंहदर के द्वार तक खुलर्ाता िै। हिल्म
को मिात्मा गाँिी और िरदार पटेल का आशीर्ाद प्राप्त था। यि
हिल्म राष्रीय हिल्म ििंग्रिालय पुर्े के पाि िुरहक्षत िै।
पाश्र्व गायक मुके श, मोतीलाल
के चचेरे िाई थे। मुके श ने
दिल्म पहली ‘नजर’ (45) में
मोतीलाल के दलए गाया था –
‘दिल जलता है, तो जलने िे’।
अदनल दवश्वास के संगीत से
सजे इस गीत को श्रोता सहगल
का गीत मानते रहे है।
4. 4 | P a g e
मििर खान द्वारा हनदेहशत हिल्म ‘पिली निर’ (45) में मोतीलाल
के हलए गायक मुके श ने पाश्र्र्गायन हकया, िो उनके चचेरे िाई थे।
गाना था, ‘हदल िलता िै िलने दे’, हििके ििंगीतकार थे अहनल
हबस्र्ाि। उि िमय में देश में ििगल की आर्ाि का िादू हिर
चढकर बोल रिा था। लोगों ने िमझा हक यि गीत िी ििगल का
गाया िुआ िोगा। लेहकन ऐिा निीं था। यि गीत आर्ाि की दुहनया में
मुके श की पिली िोरदार दस्तक थी। रूप के . शौरी की हिल्म ‘एक
थी लड़की’ (49) में ‘लारालप्पा गलि’ मीना शौरी और मोतीलाल की
चुलबली िोड़ी ने दशिकों का िरपूर मनोरिंिन हकया। यि िोड़ी ‘एक-
दो-तीन’ में िी दोिराई गई और उतनी िी कामयाब रिी। मोतीलाल
के अहिनय के अनेक पिलू थे। कॉमेडी रोल में अगर उन्िोंने दशिकों
को गुदगुदाया तो हिल्म ‘दोस्त’ और ‘गिरे’ में गिंिीर अहिनय करके
उन्िें अहििूत कर हदया। उनके कररयर की मास्टरपीि हिल्म थी
‘हमस्टर िेपत’ (52), हििे िेहमनी के एि. एि. बािन ने आर. के .
नारायर् के उपन्याि के आिार पर बनाया था। यि एक शिरी
चालबाि व्यहि की कार गुिाररयािं, िोखािड़ी इत्याहद की हदलचस्प
हिल्म थी। चालीं चैपहलन की हिल्म ‘द हकड’ िे प्रेररत एच.एि.
रर्ैल की हिल्म ‘मस्ताना’ (54) में मोतीलाल ने एक ि्कड़ की
िूहमका को िीर्िंत हकया। इि हिल्म का गाना – ‘झूम-झूम’ कर दो
दीर्ाने गाते िाएँ गली-गली, अपनी िुन में मस्ती का पैगाम िुनाए
गली-गली िचमुच में गली-गली गूँिा था।
िन् 1950 के बाद मोतीलाल ने चररत्र नायक का रूप िारर् कर
अपने अद्भुत अहिनय की और िी हमिालें पेश कीं। हबमल राय की
हिल्म ‘देर्दाि’ (1950) में उन्िोंने नायक हदलीपकु मार के शराबी
दोस्त चुन्नी बाबू की िूहमका में िान डाल दी। इि हिल्म के दशिकों
को र्ि दृश्य अर्श्य याद िोगा, िब नशे में चूर चुन्नी बाबू घर लौटते
िैं और अपनी छड़ी को दीर्ार पर पड़ रिी खूँटी के िाए पर टाँगने की
नाकाम कोहशशें करते िैं। यि अत्यिंत माहमिक िास्य दृश्य था। इि
हिल्म के हलए हिल्म िे यर ने उन्िें र्षि के िर्ोत्तम ििअहिनेता का
पुरस्कार घोहषत हकया था, हििे लेने िे उऩ्िोंने इिंकार कर हदया।
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हबमल राय की हिल्म ‘परख’ (60) की चररत्र िूहमका के हलए उन्िें
हिल्म िे अर अर्ॉडि हमला। रािकपूर की हिल्म ‘िागते रिो’ (1956)
में उन्िोने शराबी के रोल को चार चाँद लगा हदए। यि शेिू हमत्र और
अहमत मोइत्रा द्वारा हनदेशत हिल्म थी। उिमें मोतीलाल शराबी के
रोल में थे। र्े रात में िूनिान िड़क पर झूमते लडखड़ाते गाते िैं –
‘हिन्दगी ख्र्ाब िै’ यि एक दाशिहनक गीत था।
अहिनेत्री नूतन और तनूिा की
माता और िानी-मानी अहिनेत्री
शोिना िमथि के िाथ मोतीलाल
ने पिली बार 1936 में ‘दो
दीर्ाने’ हिल्म में काम हकया था,
िो कालािंतर में हर्शेष ररश्ते में
बदल गया। निहदहकयों के चलने
मोतीलाल ने उनके िोम-
प्रॉड्शन की हिल्म ‘िमारी बेटी’
नूतन के िाथ काम हकया और
इि हिल्म की पटकथा-ििंर्ाद
और हनमािर् की हिेमेदाररयाँ िी
हनिाई। अिल हिन्दगी में िी र्े नूतन के गॉडिादर थे। कररयर के
उत्तरािि में उन्िोंने ‘रािर्िंश प्रॉड्शन्ि’ की स्थापना कर
मित्र्ाकािंक्षी हिल्म ‘छोटी-छोटी बातें’ (65) शुरू की। र्े स्र्यिं इि
हिल्म के लेखक, नायक, हनमािता-हनदेशक िब कु छ थे। हिल्म को
राष्रहपता का ‘िहटिहिके ट ऑि मेररट’ िरूर हमला, मगर गर्ि का यि
पल देखने के हलए र्ि इि दुहनया में मौिूद निीं थे। हिल्म बनाते-
बनाते र्े न हििि हदर्ाहलया िुए, बहल्क परेशाहनयों िे िूझते िीर्न िे
िी हकनारा कर गए। िैिे गीतकार शौलेन्द्र के हलए ‘तीिरी किम’ का
हनमािर् िानलेर्ा िाहबत िुआ, र्ैिा िी िाल मोतीलाल का िुआ। 17
िून 1965 को ब्रीच कैं डी अस्पताल में उनका हनिन िो गया। उनकी
अिूरी हिल्म को पूरा करने का हर्त्तीय िार गायक मुके श ने उठाया,
िो उनिे बिुत स्नेि रखते थे। उन्िोंने हिल्म का ििंगीत पूरा करने के
बॉम्बे टॉकीज की दिल्म ‘अछू त
कन्या’ (36) के पैटनन पर
रणजीत ने ‘अछू त’ (40) दिल्म
बनाई थी। इसमें नायक
मोतीलाल अपने बचपन की
अछू त सखी गौहर का हाथ
थामता है। अछू त के दलए मंदिर
के िरवाजे खुलवाता है। इस
दिल्म को महात्मा गााँधी तथा
सरिार पटेल के आशीवानि प्राप्त
थे।
6. 6 | P a g e
हलए ििंगीतकार अहनल हबस्र्ाि को हदल्ली िे मुेबई बुलाया, िो
हिल्में छोड़कर हदल्ली में रिने लगे थे।
मोतीलाल को बचपन िे हशकार का शौक था। र्े कई बार घोड़े िहित
दुघिटना के हशकार िुए। र्े दि
िाल की उम्र में बन्दूक चलाना
िीख गए थे। उन्िें पेहटिंग का
चस्का िी था और र्े हिके ट िी
खेलते थे। स्टार इलेर्न में उन्िें
िमेशा शाहमल हकया िाता था।
एक बार र्ि हर्िय मचेण्ट की गेंद चोहटल िी िुए। उन्िोंने िी िुए।
उनके आँख में लगी थी, हििके कारर् कई हदनों तक हबस्तर पर
रिना पड़ा। दूिरी तरि हर्िय मचेण्ट ने प्रायहित स्र्रूप र्षो तक
मोतीलाल की िर हिल्म ‘िस्टि-डे-िस्टि शो’ देखने का व्रत हलया
और इिे हनिाया िी। मोतीलाल पूरे रईिी अिंदाि में दोस्तों के हलए
शराब पाहटियाँ आयोहित करते थे और घुडदौड़ में उनके घोड़े िी
दौड़ते थे। र्े अच्छे पायलट िी थे और अपने हर्मान िे हिन्दुस्तान
की िैर हकया करते थे। मालाबर हिल्ि पर उनका खूबिूरत बिंगला
था, हििमें ऊपरी मिंहिल पर मोतीलाल और नीचे उनकी पत्नी रिती
थी, िो पेशे में डॉ्टर थी। ब्यािता पत्नी को अनकी िीर्न-शैली
पििंद निीं थी। बाद में उन्िें छोड़कर हदल्ली चली गई । हबल्लोरी
आँखों र्ाले अहिनेता (िमुद्र-मिंथन िे म) चन्द्रमोिन मोतीलाल के
अिंतरिंग हमत्र थे। मोतीलाल ने अपने िमय के ििी प्रहिद्ध कलाकरों
के िाथ काम हकया, हिनमें हदलीपकु मार, रािकपूर, नरहगि,
मिुबाला, निीम बानो, िुरैया, नूरििाँ, मीनाकु मारी, मािुरी (पुरानी)
और र्नमाला के नाम उल्लेखनीय िैं। हर्डेबना देहखए हक उऩकी
अिंहतम यात्रा में बॉलीबुड का कोई हितारा निीं था। उनके आहखरी
र्षों की दोस्त अहिनेत्री नाहदरा ने उनकी हचता को अहनन दी थी।
मोतीलाल के हनिन पर बॉलीर्ुड बड़ा बेरिम िाहबत िुआ। उनकी
हचता को अहनन देने का काम अहिनेत्री नाहदरा ने पूरा हकया।
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दिके ट के शौकीन मोतीलाल
को एक मेच के िौरान दिके टर
दवजय मचेंट की गैंि लगी और
उनकी आाँखों चोदटल हुई।
दवजय मचेण्ट ने प्रायदित
स्वरूप वर्षों तक मोतीलाल की
हर दिल्म ‘िस्टन-डे-िस्टन शो’
िेखने का व्रत दलया और इसे
दनिाये िी।
7. 7 | P a g e
हिके ट के शौकीन मोतीलाल को एक मेच के दौरान हिके टर हर्िय मचेंट की गैंद लगी और उनकी
आँखों चोहटल िुई। हर्िय मचेण्ट ने प्रायहित स्र्रूप र्षो तक मोतीलाल की िर हिल्म ‘िस्टि-डे-
िस्टि शो’ देखने का व्रत हलया और इिे हनिाये िी।
मोती लाल के गाये गीत
‘मुझिे िुन्दर कोई निीं – ‘शिर का िादू’ /1938
‘रूठी लड़की कौन मनाए’ – ‘आपकी मरिी’ /1939
‘माशूक िर िगि िै, आहशक किीं-किीं’ – ‘शादी’ /1941
‘प्यारा-प्यारा िै िमािं’ – ‘कमल’ /1949
बॉेबे टॉकीि की हिल्म ‘अछूत कन्या’ (36) के पैटनि पर रर्िीत ने ‘अछूत’ (40) हिल्म बनाई थी।
इिमें नायक मोतीलाल अपने बचपन की अछूत िखी गौिर का िाथ थामता िै। अछूत के हलए मिंहदर
के दरर्ािे खुलर्ाता िै। इि हिल्म को मिात्मा गाँिी तथा िरदार पटेल
के आशीर्ािद प्राप्त थे।
पाश्र्र् गायक मुके श, मोतीलाल के चचेरे िाई थे। मुके श ने हिल्म पिली ‘निर’ (45) में मोतीलाल के
हलए गाया था – ‘हदल िलता िै, तो िलने दे’। अहनल हर्श्वाि के ििंगीत िे ििे इि गीत को श्रोता
ििगल का गीत मानते रिे िै।