2. जलीय पारिस्थितिक तंत्र जल निकायों में स्थित पारिस्थितिक तंत्र नदियाँ, धारायें और झरनें मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र बहता पानी (नदियाँ, धारायें और झरनें) स्थिर / धीमी गति से बहता पानी (तालाब, झीलें, पोखर/ दलदल) lझीलें तालाब खुले समुद्र समुद्री पारिस्थितिक तंत्र खुले समुद्र तटीय खाड़ी और लवणीय दलदल मूँगे की चट्टानें मैनग्रोव्स खाड़ी और लवणीय दलदल मूँगें की चट्टानें और मैनग्रोव्स
3. मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी की सतह का 0.8% भाग मीठे पानी से ढंका है और उसमें पृथ्वी के कुल पानी का 0.009% भाग रहता है। मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्रों में संसार की मछलियों की ज्ञात प्रजातियों में से 41% पाई जाती हैं। मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र के दो प्रकार हैं : लोटिक : तेज़ बहते पानीवाले (नदियाँ, धारायें और झरनें) लैंटिक: स्थिर / धीमी गति से बहते पानीवाले (तालाब, झीलें, पोखर)
11. अधिकांश लोटिक प्रजातियाँ पॉइकिलोथर्म होती हैं, जिनका आंतरिक तापमान आसपास के बाहरी तापमान के साथ परिवर्तित होता है
12.
13. लेंटिक पारिस्थितिक तंत्र झीलों में आंतरिक विषमता होती हैं और उनकी जलराशि सब दूर एक समान नहीं होती झील के भीतर की जैव विविधता भी परिवर्तनशील होती है और इन कारकों पर निर्भर करती है भौतिक परिस्थितियाँ प्रकाश तापमान जल धाराएं रासायनिक परिस्थितियाँ पोषक तत्व प्रदूषक
14. झील के क्षेत्र लिटोरल क्षेत्र लिमनेटिक क्षेत्र (खुला पानी) स्थलीय पौधे बाहर निकले हुये पौधे तैरनेवाले पौधे जलमग्न पौधे यूफोटिक क्षेत्र बेंथिक क्षेत्र
15. झील के जीव-जंतु ऐसे प्राणी जो जहाँ चाहे वहाँ जा सकते हैं बड़े जीवप्लवक मछली उभयचर ऐसे प्राणी जो जहाँ भी पानी उन्हें ले जाए वहाँ चले जाते हैं जीवित प्राणी – प्लवक पशु : जीवप्लवक शैवाल : पादपप्लवक जीवाणु : जीवाणुप्लवक मृत प्राणी – मृत प्राणियों का अवशिष्ट आंतरिक : झील के भीतर उत्पन्न बाह्य : संग्रहण क्षेत्र से बह कर आने वाला ऐसे प्राणी जो झील के तल पर रहते हैं पशु जलीय कीड़े, सीपी, घोंघे, इल्लियाँ, क्रे मछली जीवाणु और फफूंद नालियों से आई अपशिष्ट तलछट पौधे मैक्रोफाइट पेरीफाइटॉन
16. मत्सयभक्षी मछली खाते हैं प्लवकभक्षी मछली खाते हैं प्राणीप्लवक खाते हैं शैवाल उपयोग करते हैं पोषक तत्व लीय पुनर्चक्रण बैंथिक (तलीय) जीवI झील की खाद्य-श्रृंखला
17. झील में खाद्य और ऊर्जा का संजाल बाहरी पोषक सौर ऊर्जा पुनर्चक्रित पोषक प्राथमिक उत्पादक प्राथमिक उपभोक्ता उपघटक द्वितीयक उपभोक्ता पनुर्चक्रित पोषक तत्व तृतीयक उपभोक्ता बहिर्प्रवाह के द्वारा क्षति तलछट के द्वारा क्षति
18. पेलेजिक समुद्रीय नेरिटिक पानी का उच्च स्तर एपीपेलेजिक फोटिक 200m पानी का निचला स्तर मेसोपेलेजिक सहलिटोरल या शैल्फ 10 डिग्री सेंटीग्रेड 700 to 1,000m लिटोरल बाथीयल बेथीपेलेजिक 4 डिग्री सेंटीग्रेड 2000 to 1,000m एफोटिक बेन्थिक एबीसलपेलजिक एबीसल 6,000m महासागर के क्षेत्र हेडल हेडापेलेजिक 10,000m
19. समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी की सतह के 71% भाग पर फैले हुये हैं खुले समुद्र तटीय खाड़ी और लवणीय दलदल मूँगे की खाड़ियाँ और मैंग्रोव्स प्रत्येक एक जटिल पारिस्थितिकीय तंत्र है अन्य पारिस्थितिक तंत्रों के समान ही इनमें भी उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटक होते हैं http://www.minresco.com/australia http://www.nu.ac.za http://www.learnnc.org/ http://www.earthhistory.org.uk/ http://www.geocities.com
Notes de l'éditeur
जलीय पारिस्थितिक तंत्रों को मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्रों और समुद्री तंत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है। मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्रों को पुन: दो वर्गों में बाँटा जा सकता है, लोटिक (बहता पानी) पारिस्थितिक तंत्र और लैंटिक (स्थिर पानी) पारिस्थितिक तंत्र।
महासागर के पारिस्थितिक तंत्रों को खुले समुद्र, तटीय, और खाड़ी के पारिस्थितिक तंत्रों साथ ही मूँगे की चट्टानों और मैंग्रोव की श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। इनमें से प्रत्येक जटिल पारिस्थितिक तंत्र है और इस प्रस्तुति में इन्हें विस्तार से नहीं बताया गया है।स्रोत- विकीपिडिया और http://www.epa.gov/watertrain/pdf/limnology.pdf
महासागर के पारिस्थितिक तंत्रों को खुले समुद्र, तटीय, और खाड़ी के पारिस्थितिक तंत्रों साथ ही मूँगे की चट्टानों और मैंग्रोव की श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। इनमें से प्रत्येक जटिल पारिस्थितिक तंत्र है और इस प्रस्तुति में इन्हें विस्तार से नहीं बताया गया है।स्रोत- विकीपिडिया और http://www.epa.gov/watertrain/pdf/limnology.pdf