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4. क्रक्रया
जजस शब्द अथर्ा शब्द-समूि के द्र्ािा क्रकसी कायय के िोने
अथर्ा क्रकये जाने का बोध िो उसे क्रिया किते िैं।
जैसे-
• सीता 'नाच ििी िै'।
• बच्चा दूध 'पी ििा िै'।
• सुिेश कॉिेज 'जा ििा िै'।
इनमें ‘नाच ििी िै’, ‘पी ििा िै’, ‘जा ििा िै’ शब्दों से कायय-
व्यापाि का बोध िो ििा िैं। इन सभी शब्दों से क्रकसी कायय के
किने अथर्ा िोने का बोध िो ििा िै। अतः ये क्रक्रयाएँ िैं।
व्याकिि में क्रक्रया एक वर्कािी शब्द िै।
5. क्रक्रया के भेद
क्रक्रया के दो भेद िैं-
अकमयक क्रक्रया।
सकमयक क्रक्रया।
6. अकमयक क्रक्रया
जजन क्रक्रयाओं का असि कताय पि िी पड़ता िै र्े
अकमयक क्रक्रया कििाती िैं।
ऐसी अकमयक क्रक्रयाओं को कमय की आर्श्यकता निीं
िोती।
अकमयक क्रक्रयाओं के उदाििि िैं-
िाके श िोता िै।
साँप िेंगता िै।
बस चिती िै।
7. सकमयक क्रक्रया
जजन क्रक्रयाओं का असि कताय पि निीं कमय पि पड़ता
िै, र्ि सकमयक क्रक्रया कििाती िैं।
इन क्रक्रयाओं में कमय का िोना आर्श्यक िोता िैं।
उदाििि-
मैं िेख लिखता िूँ।
सुिेश लमठाई खाता िै।
मीिा फि िाती िै।
भँर्िा फू िों का िस पीता िै।
8. पूर्यकालिक क्रक्रया
क्रकसी क्रक्रया से पूर्य यहद कोई दूसिी क्रक्रया प्रयुक्त िोती िै
तो र्ि पूर्यकालिक क्रक्रया कििाती िै।
जैसे- मैं अभी सोकि उठा िूँ। इसमें ‘उठा िूँ’ क्रक्रया से पूर्य
‘सोकि’ क्रक्रया का प्रयोग िुआ िै। अतः ‘सोकि’ पूर्यकालिक
क्रक्रया िै।
वर्शेष- पूर्यकालिक क्रक्रया या तो क्रक्रया के सामान्य रूप में
प्रयुक्त िोती िै अथर्ा धातु के अंत में ‘कि’ अथर्ा ‘किके ’
िगा देने से पूर्यकालिक क्रक्रया बन जाती िै। जैसे-
िाके श दूध पीते िी सो गया।
िड़क्रकयाँ पुस्तकें पढ़कि जाएँगी।
9. वर्शेषि
संज्ञा अथर्ा सर्यनाम शब्दों की वर्शेषता (गुि, दोष,
संख्या, परिमाि आहद) बताने र्ािे शब्द ‘वर्शेषि’
कििाते िैं।
जैसे - बड़ा, कािा, िंबा, दयािु, भािी, सुन्दि, कायि,
टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आहद।
व्याकिि में वर्शेषि एक वर्कािी शब्द िै।
10. वर्शेष्य
जजस संज्ञा अथर्ा सर्यनाम शब्द की वर्शेषता बताई
जाए र्ि वर्शेष्य कििाता िै।
यथा- गीता सुन्दि िै। इसमें ‘सुन्दि’ वर्शेषि िै औि
‘गीता’ वर्शेष्य िै।
वर्शेषि शब्द वर्शेष्य से पूर्य भी आते िैं औि उसके
बाद भी।
11. पूर्य में, जैसे-
थोड़ा-सा जि िाओ।
एक मीटि कपड़ा िे आना।
बाद में, जैसे-
यि िास्ता िंबा िै।
खीिा कड़र्ा िै।
14. परिमािर्ाचक वर्शेषि
जजन वर्शेषि शब्दों से संज्ञा या सर्यनाम की मात्रा अथर्ा नाप-
तोि का ज्ञान िो र्े परिमािर्ाचक वर्शेषि कििाते िैं।
परिमािर्ाचक वर्शेषि के दो उपभेद िै-
तनजश्चत परिमािर्ाचक वर्शेषि- जजन वर्शेषि शब्दों से र्स्तु की
तनजश्चत मात्रा का ज्ञान िो। जैसे-
(क) मेिे सूट में साढ़े तीन मीटि कपड़ा िगेगा।
(ख) दस क्रकिो चीनी िे आओ।
(ग) दो लिटि दूध गिम किो।
अतनजश्चत परिमािर्ाचक वर्शेषि- जजन वर्शेषि शब्दों से र्स्तु की
अतनजश्चत मात्रा का ज्ञान िो। जैसे-
(क) थोड़ी-सी नमकीन र्स्तु िे आओ।
(ख) कु छ आम दे दो।
(ग) थोड़ा-सा दूध गिम कि दो।
15. संख्यार्ाचक वर्शेषि
जजन वर्शेषि शब्दों से संज्ञा या सर्यनाम की संख्या का
बोध िो र्े संख्यार्ाचक वर्शेषि कििाते िैं।
जैसे - एक, दो, द्वर्तीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आहद।
संख्यार्ाचक वर्शेषि के दो उपभेद िैं-
तनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषि
जजन वर्शेषि शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध िो।
जैसे- दो पुस्तकें मेिे लिए िे आना।
अतनजश्चत संख्यार्ाचक वर्शेषि
जजन वर्शेषि शब्दों से तनजश्चत संख्या का बोध न िो।
जैसे- कु छ बच्चे पाकय में खेि ििे िैं।
16. संके तर्ाचक अथर्ा सार्यनालमक वर्शेषि
जो सर्यनाम संके त द्र्ािा संज्ञा या सर्यनाम की
वर्शेषता बतिाते िैं र्े संके तर्ाचक वर्शेषि कििाते
िैं।
वर्शेष - क्योंक्रक संके तर्ाचक वर्शेषि सर्यनाम शब्दों से
बनते िैं, अतः ये सार्यनालमक वर्शेषि कििाते िैं।
इन्िें तनदेशक भी किते िैं।
17. क्रक्रयावर्शेषि
जजन अवर्कािी शब्दों से क्रक्रया की वर्शेषता का
बोध िोता िै, र्े क्रक्रयावर्शेषि कििाते िैं।
क्रक्रयावर्शेषि साथयक शब्दों के आठ भेदों में
एक भेद िै।
व्याकिि में क्रक्रयावर्शेषि एक अवर्कािी
शब्द िै।