2. वाक्र्
दो र्ा दो से
अधिक पदों के
सार्यक समूह को,
जिसका पूरा पूरा
अर्य निकलता है,
वाक्र् कहते हैं।
3. 1. श्र्ाम िे आपिे ममत्र की गाड़ी ररददद।
2. सुश़ील पलंग पर लेट टदव़ी देरिे
लगा।
1. सुश़ील पलंग पर लेट टदव़ी देरिे लगा।
2. राम के पपता का िाम दशरर् है।
3. कृ पर्ा शांनत बिार्े ररें।
4. अहा! ककतिा सुन्दर उपवि है।
5. श्र्ाम िे आपिे ममत्र की गाड़ी ररददद।
उदाहरण
5. 1. उद्देश्र्
जिसके बारे में कु छ बतार्ा
िाता है, उसे उद्देश्र् कहते हैं;
िैसे- 1. अिुराग रेलता है।
2. सधिि दौडता है।
इि वाक्र्ों में 'अिुराग' और
'सधिि' के पवषर् में बतार्ा
गर्ा है। अत: र्े उद्देश्र् हैं।
6. पविेर्
वाक्र् के जिस भाग में उद्देश्र् के बारे
में िो कु छ कहा िाता है, उसे पविेर्
कहते हैं;
1.अिुराग रेलता है।
इस वाक्र् में 'रेलता है‘ पविर्
है।
7. वाक्र् के भेद
वाक्र् भेद दो प्रकार से ककए िा सकते
हँ :-
१- अर्य के आिार पर वाक्र् भेद
२- रििा के आिार पर वाक्र् भेद
8.
9. अर्य के आिार पर
वाक्र् के आठ भेद हैं
१ - पविािवािक वाक्र् ।
२ - आज्ञावािक वाक्र् ।
३ - निषेिवािक वाक्र् ।
४ - प्रश्िवािक वाक्र् ।
५ - पवस्मर्ाददवािक वाक्र् ।
६ - इच्छावािक वाक्र् ।
७ - संदेहविक वाक्र् ।
८ - संके तवािक वाक्र् ।
10. १ - पविािवािक वाक्र्
जिस वाक्र् में ककस़ी किर्ा के होिे की सूििा दद गई हो, वह
पविािवािक वाक्र् कहलाता है।
िैसे:
ि़ीि़ी म़ीठी होत़ी है। सूर्य पूरब से उगता दूि उिला होता है। राम अर्ोध्र्ा के रािा र्े।
11. २ - आज्ञावािक वाक्र्
जिस वाक्र् में ककस़ी को आज्ञा , आदेश
ददर्ा गर्ा हो अर्वा निवेदि र्ा प्रार्यिा
की गई हो , वह आज्ञावािक वाक्र्
कहलाता है।
तुम बैठ िाओ। कृ पर्ा रडे हो िाइए
।
कृ पर्ा आप सब शान्त
रहें
।
।
हे प्रभु ! रक्षा कीजिए।
12. ३ - निषेिवािक वाक्र्
जिस वाक्र् में ककस़ी किर्ा के ि होिे का
बोि हो , वह निषेिवािक वाक्र् कहलाता
है।
गोलू पाठ िहदं पढ़ता है।
अंश पवद्र्ालर् िहदं िाएगा। रात में बबिलद िहदं रहत़ी उसिे बात तक िहदं की। गोलू पाठ िहदं पढ़ता है।
13. ४ - प्रश्िवािक वाक्र्
जिस वाक्र् में ककस़ी से कोई प्रश्ि
ककर्ा िाए , वह प्रश्िवािक वाक्र्
कहलाता है।
?
स्वास््र् अब कै सा है?आप क्र्ा रािा पसंद करेंगे?क्र्ा आप रार्गंि में
रहते हैं?
तुम्हारा िाम क्र्ा है?
14. ५ - पवस्मर्ाददवािक वाक्र्
जिस वाक्र् में पवस्मर् आदद के भाव
प्रकट हों , वह पवस्मर्ाददबोिक वाक्र्
कहलाता है।
अरे! इतिे बडे हो गए अहा! क्र्ा मौसम है। ित्! मुँह िोि लूँगा । । हार्! मैं तो डर हद गई।
15. ६ - इच्छावािक वाक्र्
जिस वाक्र् में ककस़ी की मिोकामिा
,मंगलकामिा र्ा आश़ीवायद प्रकट हो ,
वह इच्छावािक वाक्र् कहलाता है।
काश! मेरे भ़ी पंर होते। आपकी र्ात्रा मंगलमर् हो। ईश्वर तुम्हें ददर्ायर्ु करे। िव वषय की बिाइर्ाँ।
16. ७ - संदेहविक वाक्र्
जिस वाक्र् में ककस़ी कार्य के होिे में
संदेह हो , वह संदेहवािक वाक्र्
कहलाता है।
संभव है आि िूप निकले। संभवत: मैं ि़ीत िाऊँ । कदाधित्उसिे देरा हद ि हो। शार्द उसे रबर हद ि हो।
17. ८ - संके तवािक वाक्र् जिस
वाक्र् में ककस़ी एक किर्ा के होिे पर हद
दूसरद किर्ा के होिे का संके त हो , वह
संके तावािक वाक्र् कहलाता है।
1.िब िूप निकलेग़ी , तब कपडे िोएँगे ।
2. आप होते , तो इति़ी परेशाि़ी िहदं उठाि़ी पडत़ी।
3. र्दद तुम बुलाते , तो मैं ज़रूर आता ।
4. अगर मि लगाकर पढ़ते , तो पास हो िाते।
18.
19. रििा के अिुसार
वाक्र् के त़ीि भेद
हैं :-
१ - सरल वाक्र् ।
२ - संर्ुक्त वाक्र्
३ - ममश्र वाक्र् ।
20. १ - सरल वाक्र्
जिस वाक्र् में के वल एक हद किर्ा हो,
वह सरल र्ा सािारण वाक्र् कहलाता
है। िैसे :-
धिड़डर्ा उडत़ी है । श्रेर्ांश पतंग उडा रहा है । गार् र्ास िरत़ी है ।
21. २ - संर्ुक्त वाक्र्
िब दो अर्वा दो से अधिक सरल र्ा
सािारण वाक्र् ककस़ी सामािाधिकरण
र्ोिक (और - एवम ्- तर्ा , र्ा - वा -
अर्वा, लेककि -ककन्तु - परन्तु आदद) से
िुडे होते हैं, तो वह संर्ुक्त वाक्र् कहलाता
हैं।
- िन्दि रेल कर आर्ा और सो गर्ा ।- मैंिे उसे बहुत मिार्ा परन्तु वह िहदं
माि़ी ।
- कम रार्ा करो अन्र्र्ा मोटे हो
िाओगे ।
22. ३ - ममश्र वाक्र्
िब दो अर्वा दो से अधिक सरल र्ा
संर्ुक्त वाक्र् ककस़ी व्र्धिकरण
र्ोिक (र्दद...तो , िैसा...वैसा,
क्र्ोंकक...इसमलए , र्द्र्पप....तर्ापप
,कक आदद ) से िुडे होते हैं, तो वह ममश्र
र्ा ममधश्रत वाक्र् कहलाता है।
ऐसे वाक्र् में एक प्रिाि (मुख्र्)
उपवाक्र् और एक र्ा एक से अधिक
आधश्रत उपवाक्र् होते हैं।
23. - क्षक्षनति िे बतार्ा कक वह पटिा िाएगा ।
- र्दद अधिक दौडोगे तो र्क िाओगे।
िैसा काम करोगे वैसा फल ममलेगा।
24. ममधश्रत वाक्र् के दो भेद
(क) प्रिाि उपवाक्र् :-
ककस़ी वाक्र् में िो उपवाक्र् ककस़ी पर
आधश्रत िहदं होता अर्ायत ्स्वतंत्र होता है एवम्
उसकी किर्ा मुख्र् होत़ी है , वह मुख्र् र्ा
प्रिाि उपवाक्र् कहलाता है।
मोदद ि़ी िे कहा कक अच्छे ददि आएँगे।
इस वाक्र् में ‘मोदद ि़ी िे कहा’ प्रिाि उपवाक्र् है।
25. (र) आधश्रत उपवाक्र् :-
ककस़ी वाक्र् में िो उपवाक्र् दूसरे
उपवाक्र् पर निभयर होता है अर्ायत्
स्वतंत्र िहदं होता है एवम्ककस़ी ि ककस़ी
व्र्धिकरण र्ोिक से िुडा होता है , वह
आधश्रत उपवाक्र् कहलाता है।
मोदद ि़ी िे कहा कक अच्छे ददि आएँगे।
इस वाक्र् में ‘अच्छे ददि आएँगे।’ आधश्रत उपवाक्र् है।
26. आधश्रत उपवाक्र् के त़ीि भेद
(अ) - संज्ञा आधश्रत उपवाक्र्
ककस़ी वाक्र् में िो आधश्रत उपवाक्र् ककस़ी
दूसरे (प्रिाि) उपवाक्र् की संज्ञा हो अर्वा
कमय का काम करता हो , वह संज्ञा आधश्रत
उपवाक्र् कहलाता है।
र्ह ‘कक’ र्ोिक से िुडा रहता है।
रामदेव बाबा िे कहा है कक प्रनतददि र्ोग करिा िादहए।
इस वाक्र् में ‘प्रनतददि र्ोग करिा िादहए।’ संज्ञा आधश्रत
उपवाक्र् है।
27. - पवशेषण आधश्रत उपवाक्र् :-
ककस़ी वाक्र् में िो आधश्रत उपवाक्र्
ककस़ी दूसरे (प्रिाि) उपवाक्र् के संज्ञा
र्ा सवयिाम की पवशेषता बताता हो ,वह
पवशेषण आधश्रत उपवाक्र् कहलाता है।
र्ह ‘िो ,जिस, जिि’ र्ोिकों से
आरम्भ होता है।
28. िो दुबला - पतला लडका है उसे कमज़ोर मत समझो
जिस लडके का (जिसका) मि पढ़ाई में िहदं लगता,
वह मेरा दोस्त िहदं हो सकता।
- जिि लोगों िे (जिन्होंिे) मेहित ककर्ा , वे अवश्र् सफल होंगे।
29. इि वाक्र्ों में ‘िो ,जिस जिि’ से
आरम्भ होिेवाले उपवाक्र् अर्ायत्
1. ‘िो दुबला - पतला लडका है’ ,
2. ‘जिस लडके का (जिसका) मि पढ़ाई में
िहदं लगता’
3. तर्ा ‘जिि लोगों िे (जिन्होंिे) मेहित
ककर्ा’
अंशवाले उपवाक्र् पवशेषण आधश्रत
उपवाक्र् हैं।
30. किर्ापवशेषण आधश्रत
उपवाक्र्
ककस़ी वाक्र् में िो आधश्रत उपवाक्र्
ककस़ी दूसरे(प्रिाि) उपवाक्र् के किर्ा
की पवशेषता बताता हो , वह
किर्ापवशेषण आधश्रत उपवाक्र्
कहलाता है।
र्ह ‘िब , िहाँ, िैसे , जितिा’ र्ोिकों
से आरम्भ होता है।
31. - िब र्टा नर्रिे लग़ी , तब मोर िाििे लगा ।
िहाँ बस रुकत़ी है,वहाँ बहुत लोग रडे रहते हैं।
िैसे हद पाककस्ताि हारा,लोग टदव़ी तोडिे लगे ।
32. इि वाक्र्ों में ‘िब , िहाँ, िैसे , जितिा’
से आरम्भ होिेवाले उपवाक्र् अर्ायत्
1. ‘िब र्टा नर्रिे लग़ी,’
2. ‘िहाँ बस रुकत़ी है’ , ‘
3. िैसे हद पाककस्ताि हारा “
अंशवाले उपवाक्र् किर्ापवशेषण आधश्रत
उपवाक्र् हैं।